Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक

These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 12 राम का राज्याभिषेक are prepared by our highly skilled subject experts.

Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 12 Question Answers Summary राम का राज्याभिषेक

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 12

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विभीषण की क्या इच्छा थी?
उत्तर:
विभीषण की इच्छा थी कि राम कुछ दिन लंका में रुक जाते।

प्रश्न 2.
राम को अयोध्या वापस लौटने की जल्दी क्यों थी?
उत्तर:
क्योंकि भरत ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि चौदह वर्ष पूरे होते ही यदि राम नहीं लौटे तो वे प्राण दे देंगे। यही कारण था कि राम को वापस लौटने की जल्दी थी।

प्रश्न 3.
विभीषण ने राम से क्या प्रार्थना की?
उत्तर:
विभीषण ने राम से प्रार्थना की कि उन्हें अपने साथ ले जाएँ ताकि वे उनका राज्याभिषेक देख सकें।

प्रश्न 4.
ऋषि भारद्वाज ने राम से क्या अनुरोध किया?
उत्तर:
ऋषि भारद्वाज ने राम से अनुरोध किया कि वे आश्रम में ही रात बिता लें।

प्रश्न 5.
लंका से अयोध्या तक सभी कैसे पहुँचे?
उत्तर:
लंका से अयोध्या तक सभी विभीषण के पुष्पक विमान से पहुँचे।

प्रश्न 6.
सीता के आग्रह पर बीच में विमान कहाँ उतरा?
उत्तर:
सीता के आग्रह पर विमान किष्किंधा में उतरा।

प्रश्न 7.
राम ने हनुमान को अपने पहुंचने से पहले अयोध्या क्यों भेजा?
उत्तर:
राम ने हनुमान को अपने पहुँचने से पहले अयोध्या इसलिए भेजा ताकि उन्हें भरत की नीयत का पता चल जाए कि राम के आने से वे प्रसन्न हैं या नहीं।

प्रश्न 8.
गंगा-यमुना के संगम पर किसका आश्रम था?
उत्तर:
गंगा-यमुना के संगम पर ऋषि भारद्वाज का आश्रम था।

प्रश्न 9.
राम के आगमन के समाचार पर भरत ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की?
उत्तर:
राम के आगमन के समाचार से भरत की खुशी का ठिकाना न रहा। वे बार-बार हनुमान को धन्यवाद देने लगे।

प्रश्न 10.
नंदीग्राम पहुँचने से पहले राम ने क्या किया?
उत्तर:
नंदीग्राम पहुँचने से पहले राम ने पुष्पक विमान को कुबेर के पास भिजवा दिया क्योंकि यह विमान कुबेर का ही था। जिसे रावण ने बलपूर्वक छीन लिया था।

प्रश्न 11.
राम का राज्याभिषेक किसने किया?
उत्तर:
राम का राज्याभिषेक मुनि वशिष्ठ ने किया।

प्रश्न 12.
राज्याभिषेक के अवसर पर राम ने सीता को क्या उपहार दिया?
उत्तर:
राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विभीषण राम को लंका में रुकने का आग्रह क्यों कर रहे थे?
उत्तर:
विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिनों के लिए लंका में रुक जाएँ, और थोड़ा विश्राम कर लें। उनकी थकान भी उतर जाएगी और वह नगर का भ्रमण भी कर लेंगे। इसके अलावा विभीषण की यह भी इच्छा थी कि राम के सान्निध्य से उन्हें उनसे रीति-नीति सीखने का मौका मिलेगा।

प्रश्न 2.
विभीषण ने कहाँ जाने का आग्रह राम से किया?
उत्तर:
विभीषण राम के सान्निध्य में रहना चाहते थे। उन्होंने राम से यह अनुरोध किया कि वे उनके राज्याभिषेक में शामिल होना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने राम के साथ अयोध्या चलने की अनुमति माँगी। राम ने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया। इसके लिए यात्रा व्यवस्था विभीषण पर छोड़ी गई। विभीषण का पुष्पक विमान राम-लक्ष्मण और सीता के साथ सुग्रीव, हनुमान तथा विभीषण को अयोध्या ले जाने के लिए तैयार था।

प्रश्न 3.
राम ने लंका में रुकने के लिए विभीषण का आग्रह स्वीकार क्यों नहीं किया?
उत्तर:
विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिनों के लिए लंका में रुक जाएँ, पर राम ने इसे स्वीकार करने में असमर्थता प्रकट की। राम के वनवास के चौदह वर्ष पूरे हो चुके थे। भरत द्वारा प्रतीक्षा किए जाने के कारण वे तुरंत लौट जाना चाहते थे। चौदह वर्ष की अवधि से अधिक देर होने पर भरत अपने प्राण दे सकते थे। इसलिए राम ने लंका में रुकने का आग्रह अस्वीकार कर दिया।

प्रश्न 4.
नंदीग्राम में राम का स्वागत कैसे हुआ?
उत्तर:
नंदीग्राम में राम का भव्य स्वागत हुआ। आकाश राम की जयघोष से गूंज उठा। राम ने विमान से उतर कर भरत को गले लगाया और माताओं को प्रणाम किया। भरत आश्रम के अंदर से राम की खड़ाऊँ ले आए तथा उन्होंने खड़ाऊँ को स्वयं राम के पैरों में पहनाया। चारों तरफ खुशी का वातावरण था तथा सभी के आँखों में खुशी के आँसू थे।

प्रश्न 5.
हनुमान और भरत के भेंट का वर्णन करें।
उत्तर:
हनुमान वायु वेग से उड़कर नंदीग्राम पहुँचे। वहाँ उन्होंने भरत को बताया कि राम का वनवास पूरा हो गया है। वे प्रयाग पहुँच चुके हैं। वे उन्हीं की आज्ञा से यहाँ आपके पास पहुंचे हैं। यह सुनकर भरत की खुशी का ठिकाना न रहा। उनकी आँखों में खुशी के आँसू थे। इस शुभ सूचना के लिए वह हनुमान को धन्यवाद दे रहे थे। उनके चेहरे पर केवल प्रसन्नता का भाव था। हनुमान उनसे विदा लेकर राम के पास लौट आए।

प्रश्न 6.
राम के राज्याभिषेक का वर्णन करें।
उत्तर:
राम के राज्याभिषेक पर पूरी अयोध्या नगरी दीपमालाओं से जगमगा रही थी। पूरा नगर सजाया गया था। फूलों की सुगंध चारों तरफ फैल रही थी। वाद्ययंत्रों की झंकार सुनाई दे रही थी। राम का राजतिलक मुनि वशिष्ठ ने किया। माताओं ने आरती उतारी, मंगलाचरण गाया गया। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठे थे। इस प्रकार चारों ओर खुशी का वातावरण था। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया। सीता ने अपने गले का हार उतारकर सेवक हनुमान को भेंट कर दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लंका से अयोध्या जाते हुए राम ने मार्ग में सीता को कौन-कौन से स्थानों का परिचय कराया?
उत्तर:
लंका से अयोध्या जाते समय मार्ग में पहले युद्धभूमि पड़ती थी। राम, सीता, लक्ष्मण, सुग्रीव हनुमान तथा विभीषण को लेकर विमान लंका से चला। पहले रणभूमि दिखी, फिर नल और नील द्वारा बनाया गया सेतुबंध। फिर पुष्पक विमान किष्किंधा में उतरा। उसके आगे राम ने सीता को ऋष्यमूक पर्वत और फिर पंपा सरोवर से परिचय कराया। सीता को गोदावरी नदी भी दिखाई। राम ने बताया कि इसी नदी के तट पर पंचवटी थी जहाँ उनकी पर्णकुटी थी। वह पर्णकुटी अभी भी बनी हुई थी। इसके बाद राम ने सीता को गंगा-यमुना के संगम पर बने ऋषि भारद्वाज के आश्रम का परिचय कराया, जहाँ पुष्पक विमान उतरा। यहाँ सबने रात बिताई। अगले सुबह प्रयाग से श्रृंगवेरपुर होते हुए राम का विमान अयोध्या पहुँच गया।

प्रश्न 2.
राम के आगमन के बाद अयोध्या की घटनाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
सजी-धजी अयोध्या नगरी राम के आगमन के लिए बेचैन थी। माताएँ एवं मुनिगण खुश थे। पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। नगरवासी राम को वापस देखकर प्रसन्न थे। भरत अयोध्या का राज्य राम को नंदीग्राम में ही लौटा चुके थे। राजमहल में मुनि वशिष्ट ने कहा कि अगले दिन राज्याभिषेक किया जाएगा। इसकी तैयारी शत्रुघ्न पहले ही कर चुके थे। अगले दिन राम का राज तिलक हुआ। राम और सीता रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे। राजतिलक मुनि वशिष्ट ने किया। माताओं ने आरती उतारी, मंगला चरण गाया गया। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया। सीता ने हनुमान की भक्ति तथा पराक्रम के लिए यह हार उन्हें भेंट कर दिया। राम राज्य का कार्यकाल लंबे समय के लिए हुआ। इनके काल में प्रजा काफ़ी खुश थी।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
युद्ध से बचने के लिए रावण को किन-किन लोगों ने क्या-क्या समझाया? अगर रावण किसी की सलाह मान लेता तो क्या होता?
उत्तर:
युद्ध से बचने के लिए रावण को हनुमान, विभीषण तथा अंगद ने सलाह दी। उन्होंने समझाया कि सीता को सम्मानपूर्वक वापस कर दो। इसी में सभी का कल्याण है। नहीं तो सभी का विनाश निश्चित हो जाएगा लेकिन रावण ने किसी की बात नहीं मानी। रावण यदि इन तीनों में से किसी एक की बात मान लेता युद्ध न होता।

प्रश्न 2.
अपने शहर या नगर के किसी समारोह का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. विभीषण की क्या इच्छा थी?
2. विभीषण राम को कुछ दिन लंका में क्यों रोकना चाहते थे?
3. राम तत्काल अयोध्या क्यों जाना चाहते थे?
4. विभीषण ने राम से क्या प्रार्थना की?
5. गंगा-यमुना के संगम पर किसका आश्रम था?
6. भरत आश्रम से क्या उठा लाए?
7. हनुमान और भरत की भेंट का वर्णन करें।
8. नंदीग्राम में राम का स्वागत किस प्रकार हुआ?
9. हनुमान को अयोध्या भेजते हुए राम ने उनसे क्या कहा?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. राम के राज्याभिषेक का वर्णन कीजिए।
2. लंका से अयोध्या जाते हुए राम ने सीता को कौन-कौन से स्थानों से परिचित कराया?
3. राम के आगमन के बाद अयोध्या की घटनाओं का वर्णन करें।

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 12 Summary

लंका विजय के बाद विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में आराम करें। इससे उन्हें राम का सान्निध्य भी मिल जाएगा और रीति-नीति सीखने का मौका भी। वनवास के अब चौदह वर्ष पूरे हो गए थे। उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। वे तत्काल अयोध्या लौट जाना चाहते थे। उन्होंने कहा भरत मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। अगर जाने में देर हो गई तो वे प्राण त्याग देंगे। वे प्रतिज्ञा से बँधे हैं। अब विभीषण ने प्रस्ताव किया कि वे राज्याभिषेक में शामिल होना चाहते हैं। राम ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया। राम ने सुग्रीव को भी आमंत्रित किया। विभीषण का पुष्पक विमान उन्हें ले जाने को तैयार था। विमान लंका से अयोध्या नगरी की ओर चला। राम-सीता को मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थान बताते जा रहे थे। सीता के आग्रह पर विमान किष्किधा में उतरा, सुग्रीव की रानियों तारा और रूपा को लाने के लिए। उसके आगे ऋष्यमूक पर्वत पड़ा। इस पर्वत पर पर्णकुटी अब भी बनी हुई थी। जहाँ वे रहते थे। आगे गंगा-यमुना के संगम पर ऋषि भारद्वाज के आश्रम पर विमान उतरा। सबने रात वहीं बिताई। यहीं से राम ने अपने जाने की सूचना देने के लिए हनुमान को अयोध्या भेजा। वे हनुमान द्वारा अयोध्या का समाचार जानना चाहते थे। उनका सोचना था कि यदि उनके अयोध्या लौटने पर भरत को प्रसन्नता नहीं होगी तो वे अयोध्या नहीं जाएँगे। यदि भरत मेरे अयोध्या जाने से खुश होंगे तभी मैं अयोध्या जाऊँगा।

हनुमान वायु-वेग से उड़ चले। हनुमान से राम के आगमन की सूचना पाकर भरत की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। वे यह शुभ समाचार देने के लिए बार-बार उनका धन्यवाद दे रहे थे। हनुमान उनसे विदा लेकर आश्रम में राम के पास लौट आए। अगली सुबह विमान प्रयाग से शृंगवेरपुर होते हुए सरयू नदी के ऊपर पहुँच गया। उधर अयोध्या में राम के आगमन में पूरी तैयारियाँ होने लगीं। शत्रुघ्न राज्याभिषेक की व्यवस्था में जुट गए। महल से तीनों रानियाँ नंदीग्राम के लिए चल पड़ीं। राम का नंदीग्राम में भव्य स्वागत हुआ। राम ने विमान से उतरकर भरत को गले लगाया और माताओं को प्रणाम किया। भरत ने राम की खड़ाऊँ लाकर अपने हाथों से उन्हें पहनाईं। राम-लक्ष्मण ने नंदीग्राम में तपस्वी बाना उतार दिया। दोनों को राजसी वस्त्र पहनाए गए। जन-समूह उनकी जयजयकार करते हुए अयोध्या की ओर चल दिया। पुष्पक विमान कुबेर का था जिसे रावण ने उनसे बलात् छीन लिया था। अब उस विमान को कुबेर के पास भेज दिया गया।

अयोध्या में सर्वत्र प्रसन्नता का वातावरण था। सजी-धजी अयोध्या नगरी राम दर्शन के लिए बेचैन थी। माताएँ एवं मुनिगण खुश थे। पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। अगले दिन मुनि वशिष्ट ने राम का राजतिलक किया। राम-सीता सोने के सिंहासन पर बैठे। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठे। माताओं ने आरती उतारी। शुभ-गीत गाए गए। सीता ने अपने गले का हार उतारकर हनुमान को उपहार में दिया।

कुछ दिनों बाद विभीषण लंका लौट गए। सुग्रीव किष्किंधा चले गए। ऋषि-मुनि अपने-अपने आश्रम लौट गए। हनुमान राम के दरबार में ही रह गए। राम ने लंबे समय तक अयोध्या पर शासन किया। राम न्यायप्रिय थे। उनका राज्य रामराज्य था।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 80
विश्राम – आराम। सान्निध्य – निकटता। तत्काल – तुरंत। प्रतीक्षा – इंतजार। विलंब – देरी। आग्रह – अनुरोध, प्रार्थना। कोषागार – खजाना। अस्वीकार – इनकार।

पृष्ठ संख्या 81
पर्वत – पहाड़। अद्भुत – विचित्र। आगमन – आने की खबर। पूर्व – पहले। संशय – संदेह। अवधि – समय। सत्ता – गद्दी। आपत्ति – विरोध। वेग – गति। मार्ग – रास्ता।

पृष्ठ संख्या 83
भव्य स्वागत – शानदार स्वागत। जयघोष – नारा। व्यवस्था – इंतजाम। बलात – ज़बरदस्ती, बलपूर्वक। विरत – अलग। उपहार – भेंट।

पृष्ठ संख्या 84
अतिथि – मेहमान। प्रयाण – प्रस्थान, जाना। भेदभाव – अंतर। स्मृति – याद। पराक्रम – ताकत।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 11 लंका विजय

These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 11 लंका विजय are prepared by our highly skilled subject experts.

Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 11 Question Answers Summary लंका विजय

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 11

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राम की सेना कहाँ से रवाना हुई ?
उत्तर:
राम की सेना किष्किंधा से रवाना हुई।

प्रश्न 2.
राम ने अंगद को लंका क्यों भेजा?
उत्तर:
राम ने अंगद को रावण से सुलह समझौता करने के लिए संदेश लेकर भेजा।

प्रश्न 3.
सुग्रीव ने वानरों से क्या कहा?
उत्तर:
सुग्रीव ने वानरों से कहा कि युद्ध भयानक होगा, इसलिए केवल वही सैनिक युद्ध में जाएँगे जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ हों।

प्रश्न 4.
विभीषण ने लक्ष्मण की दुविधा को कैसे सुलझाया?
उत्तर:
विभीषण ने लक्ष्मण की दुविधा को मेघनाद के महल का गुप्त दरवाज़ा दिखाकर सुलझाया।

प्रश्न 5.
विभीषण ने रावण को क्या समझाया?
उत्तर:
विभीषण ने रावण को समझाया कि कृपया आप सीता को लौटा दें। इसी में सबकी भलाई है।

प्रश्न 6.
समुद्र ने राम को क्या सलाह दी?
उत्तर:
समुद्र ने राम को सलाह दी कि उनकी सेना में एक नल नाम का वानर है जो पुल बना सकता है। पुल बनाकर आप एवं आपकी सेना लंका में प्रवेश कर सकते हैं।

प्रश्न 7.
राम ने अंगद को लंका क्यों भेजा?
उत्तर:
राम ने रावण से सुलह की अंतिम कोशिश करने के लिए अंगद को लंका भेजा।

प्रश्न 8.
रावण ने विभीषण के साथ क्या व्यवहार किया?
उत्तर:
रावण ने विभीषण की बात अनसुनी कर दी तथा उसे कक्ष से निकाल दिया।

प्रश्न 9.
राम ने विभीषण के साथ कैसे व्यवहार किया?
उत्तर:
राम ने विभीषण के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया।

प्रश्न 10.
मेघनाद को इंद्रजीत क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
मेघनाद को इंद्रजीत कहा जाता है क्योंकि उसने एकबार इंद्र को पराजित किया था, इसलिए उसे इंद्रजीत कहा जाता है।

प्रश्न 11.
लक्ष्मण का उपचार किसने किया? संजीवनी बूटी कौन लाए?
उत्तर:
लक्ष्मण का उपचार वैद्य सुषेण ने किया तथा हनुमान जी संजीवनी बूटी लाए।

प्रश्न 12.
रावण की सेना के चार महाबलियों के नाम लिखो।
उत्तर:
(i) धूम्राक्ष (ii) वज्रद्रष्ट (iii) अकंपन (iv) प्रहस्त

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रावण को क्या समझाने का प्रयत्न किया और क्यों? रावण पर इसका क्या असर हुआ?
उत्तर:
विभीषण ने रावण को यह समझाने का प्रयास किया कि आप सीता को वापस लौटा दें। राम से युद्ध न करना ही ठीक हैं। इसी में सबकी भलाई है। सीता के मिल जाने पर राम लंका पर आक्रमण नहीं करेंगे और लंका विनाश से बच जाएगी। ये महाविनाश के संकेत हैं। विभीषण की बात सुन रावण क्रोध से भड़क उठा। उसने विभीषण से कहा, “तुम भाई नहीं शत्रु हो। मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्यकता नहीं है।” यह कहकर रावण ने उसे वहाँ से चले जाने का निर्देश दिया।

प्रश्न 2.
विभीषण लंका से निकलकर कहाँ पहुँचे और वहाँ किससे मिले?
उत्तर:
रावण ने क्रोधित होकर विभीषण को लंका से चले जाने के लिए कहा। विभीषण चार सहायकों के साथ लंका से निकलकर राम के शिविर में जा पहुँचे। वह सुग्रीव के माध्यम से राम से मिले। राम ने विभीषण को अपना शरणागत एवं मित्र मानकर उनका स्वागत किया।

प्रश्न 3.
राम की सेना के सामने कौन-सी एक बड़ी चुनौती थी? उस चुनौती का कैसे सामना किया?
उत्तर:
राम की सेना को लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र को पार करना ही सबसे बड़ी चुनौती थी। राम तीन दिन तक समुद्र से विनती करते रहे कि वह रास्ता दे दे, लेकिन वह नहीं माना। इस कारण राम क्रोधित हो गए। उनके क्रोध को शांत करने के लिए समुद्र ने उन्हें एक उपाय बताया कि उन्हीं की सेना का नल नामक एक वानर पुल बना सकता है। नल ने अगले दिन पुल बनाना आरंभ कर दिया। पाँच दिन में पुल बनकर तैयार हो गया। सबसे पहले विभीषण और उनके पीछे वानर सेना उस पुल से समुद्र पार कर गए।

प्रश्न 4.
कुंभकर्ण कौन था? उसने युद्धभूमि में क्या किया? उसका अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
कुंभकर्ण रावण का भाई था। युद्धभूमि में कुंभकर्ण को देखते ही वानर सेना में भगदड़ मच गई। वानरी सेना उसका मुकाबला नहीं कर पाई। उसने हनुमान और अंगद को भी घायल कर दिया। यह देख राम और लक्ष्मण ने बाणों की वर्षा कर कुंभकर्ण को मार गिराया। कुंभकर्ण सदा के लिए धरती पर सो गया।

प्रश्न 5.
रावण ने कुंभकर्ण को क्यों जगाया?
उत्तर:
रावण को जब अपनी सेना के अनेक महाबलियों के मारे जाने की सूचना मिली तो उसने स्वयं सेना की कमान संभाल ली। राम के बाणों से उसका मुकुट धरती पर जा गिरा। इससे वह लज्जित होकर लौट गया। उसे अब तक राम की शक्ति का भी पता चल गया। इसलिए उसने कुंभकर्ण को जगाया।

प्रश्न 6.
लक्ष्मण का उपचार किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
घायल लक्ष्मण को उठाकर हनुमान रणक्षेत्र से दूर ले गए। वैद्य सुषेण को बुलाया गया। हनुमान को संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा गया। बूटी आने पर इलाज शुरू हुआ। धीरे-धीरे रक्त का रिसाव बंद हो गया। घाव भर गया। संजीवनी का प्रभाव चमत्कारी था।

प्रश्न 7.
युद्धभूमि में लक्ष्मण कैसे अचेत हुए तथा उनका इलाज कैसे किया गया?
उत्तर:
लक्ष्मण और रावण का भीषण युद्ध हो रहा था। तभी राम और विभीषण भी वहाँ आ गए। अपने शत्रु राम की सेना के साथ विभीषण को देखकर रावण आग बबूला हो गया। रावण उसे देशद्रोही मानता था। उसने विभीषण के ऊपर निशाना साधा, किंतु लक्ष्मण ने उसका बाण बीच से काट दिया। रावण के दूसरे घातक बाण के सामने लक्ष्मण आ गए और विभीषण को बाण लगने से बचा लिया। बाण लगते ही लक्ष्मण बेहोश हो गए। हनुमान उन्हें रणक्षेत्र से दूर ले गए। हनुमान संजीवनी बूटी लाए। वैद्य सुषेण के सलाह से लक्ष्मण शीघ्र ही ठीक हो गए।

प्रश्न 8.
ऐसी कौन सी घटना घटी जिसे सुनकर रावण असंभव कहते हुए चीख उठा?
उत्तर:
नल के द्वारा पुल बनाने का काम पाँच दिनों में तैयार होने के बाद उस पुल से राम की सेना समुद्र पार कर लंका पहँची। पुल बनने की बात पर रावण काफ़ी आश्चर्यचकित हुआ। समुद्र पर पुल कैसे बन सकता है, इसी बात पर वह असंभव कहते हुए चीख पड़ा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लक्ष्मण और मेघनाद के युद्ध का वर्णन करें।
उत्तर:
मेघनाद और लक्ष्मण के बीच भीषण युद्ध हुआ। दोनों का निशाना अचूक था। उनके बाण हवा में टकराकर बर्बाद हो जाते। अचानक लक्ष्मण का एक बाण मेघनाद को लगा। वह घायल होकर झुक गया। लक्ष्मण ने उसके ऊपर बाणों की बौछार कर दी। मेघनाद के लिए आगे बढ़ना कठिन हो गया। वह पीछे भागकर महल में चला गया। लक्ष्मण ने कुछ दूर तक उसका पीछा किया, फिर रुक गए। लक्ष्मण को महल के अंदर जाने का रास्ता पता नहीं था। विभीषण उनकी परेशानी को समझ गए। उन्होंने लक्ष्मण को गुप्त रास्ता दिखाया। उसके बाद लक्ष्मण ने महल में प्रवेश कर मेघनाद को मारा।

प्रश्न 2.
राम और रावण के बीच युद्ध का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
राम और रावण के बीच युद्ध भयानक था। शस्त्रों की गति बहुत तेज़ थी। उनसे बहुत तेज़ चिंगारी आ रही थी। हवा थम गई थी और सूरज बादलों के पीछे छिप गया था। दोनों वीर योद्धा बहादुरी के साथ लड़ रहे थे। उनका युद्ध देख अगल-बगल के छोटे-छोटे युद्ध थम गए थे। कोई योद्धा एकसूत भर पीछे हटने को राजी नहीं था। इस बीच रावण के एक बाण से राम के रथ की ध्वजा कटकर गिर पड़ी। राम ने जोर से प्रहार किया। बाण रावण के मस्तक पर लगा। रक्त की धारा बहने लगी। रावण भागकर अपने महल में चला गया। थोड़ी देर बाद राम और रावण में फिर युद्ध शुरू हो गया। राम के बाणों ने रावण के रथ का मुँह मोड़ दिया। यह पराजय का संकेत था। वह हिम्मत हार गया। जब तक वह रथ घुमाता, राम का एक बाण उसके पार निकल गया। उसके हाथों से धनुष छूट गया वह पृथ्वी पर गिर पड़ा और राम के हाथों मारा गया।

प्रश्न 3.
राम की सेना के सामने क्या चुनौती थी? उसका समाधान किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
राम की सेना के सामने समुद्र को पार करने की चुनौती थी। समुद्र विशाल था। पहले राम ने हाथ जोड़कर समुद्र से प्रार्थना की कि उसे रास्ता दे दे। तीन दिनों तक वे बैठे रहे। वे समुद्र से रास्ता देने की प्रार्थना करते रहे। पर जब वह नहीं माना, तब राम क्रोध में आ गए। राम के क्रोध को देखकर समुद्र ने उन्हें सलाह दी-“आपकी की सेना में नल वानर है वह पुल बना सकता है। उससे वानर सेना पार कर जाएगी।” नल ने अगले दिन काम की शुरुआत कर दी। पुल बनने लगा। वानर कंकड़, पत्थर, शिलाएँ लाते रहे। नल पुल बनाते रहें। पाँच दिन में पुल तैयार हो गया-समुद्र को दो भागों में बाँटता हुआ। पहले विभीषण पुल के उस पार गए पीछे-पीछे वानर सेना, सेना का अगला शिविर लंका में बना। पुल बनने का समाचार सुनकर रावण आश्चर्यचकित हो गया।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
यह राम कथा वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। तुलसीदास रचित रामचरित मानस के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और चार्टपेपर या डिस्प्ले बोर्ड पर लिखकर कक्षा में लगाओ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. हनुमान ने सीता को कैसे विश्वास दिलाया कि वह राम का सेवक है?
2. सीता से विदा लेकर हनुमान ने क्या किया?
3. रावण ने हनुमान को क्या सजा दी?
4. विभीषण लंका से निकलकर कहाँ गए?
5. लक्ष्मण का उपचार किस प्रकार हुआ?
6. मेघनाद को इंद्रजीत क्यों कहा जाता था?
7. विभीषण के समझाने का रावण पर क्या असर हुआ?
8. राम की सेना ने समुद्र कैसे पार किया?
9. युद्ध के मैदान में लक्ष्मण कैसे अचेत हुए?
10. कुंभकर्ण कौन था? उसकी मृत्यु किस प्रकार हुई ?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. लक्ष्मण और मेघनाद के युद्ध का वर्णन करें।
2. राम और रावण के बीच युद्ध का वर्णन करें।
3. राम की सेना के सामने क्या चुनौती थी। उसका समाधान कैसे निकला?
4. राम और रावण की सेना के बीच हुए युद्ध का वर्णन संक्षेप में अपने शब्दों में करें।

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 11 Summary

सुग्रीव ने युद्ध की तैयारियाँ तुरंत आरंभ करने का निर्देश दिया। सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ बैठकर युद्ध की योजना पर विचार-विमर्श किया। योग्यता और उपयोगिता के आधार पर भूमिकाएँ निश्चित कर दी गईं। समुद्र को पार करने के तरीके पर भी विचार हुआ। लंका कूच करने की तैयारियाँ रातभर चलती रहीं। सेना किष्किंधा से दहाड़ती, किलकारियाँ भरती रवाना हुई। हनुमान, अंगद, जामवंत, नल और नील को आगे रखा गया। युद्ध के नियम और अपनी रक्षा के तरीके भी बताए गए।

सुग्रीव के सेनापति नल सेना का नेतृत्व कर रहे थे। जामवंत और हनुमान सबसे पीछे थे। दिन रात चलकर सेना ने महेंद्र पर्वत पर अपना डेरा डाला। उधर लंका में खलबली मची हुई थी। समुद्र निकट ही था। पर्वत पर सेना का ध्वज लहरा रहे थे। उधर राक्षसों को यह डर सता रहा था कि जिसका दूत लंका में आग लगा सकता है वह स्वयं कितना शक्तिशाली होगा लेकिन रावण इससे अनभिज्ञ था। विभीषण सेना की हताशा से परिचित हो गए थे। वे रावण को वस्तु स्थिति बताने के लिए गए। उन्होंने सीता को लौटा देने की सलाह दिया। विभीषण की बात अनसुनी कर दी। उन्हें अपने कक्ष से निकाल दिया। फिर भी विभीषण रावण को समझाने लगे। रावण क्रुद्ध हो उठा बोला निकल जाओ, तुम मेरे भाई नहीं, शत्रु के शुभचिंतक हो। विभीषण उसी रात अपने चार सहायकों के साथ लंका से निकल गए। दोनों के रास्ते अलग हो गए। विभीषण उसी रात राम के पास जाना चाहते थे। विभीषण को देखकर वानर चिल्लाकर सबको सावधान कर रहे थे। वानर उन्हें सुग्रीव के सामने लाए। विभीषण बोले “मैं लंका के राजा रावण का छोटा भाई हूँ। मैं राम की शरण में आया हूँ, मुझे उनके पास पहुँचा दें।” सुग्रीव राम के पास गए। उनकी बात सुनकर राम ने कहा-“हमें विभीषण को स्वीकार करना चाहिए। विभीषण को आदर सहित अंदर लाइए।” जल्दी ही विभीषण राम के विश्वासपात्र बन गए। विभीषण ने उन्हें रावण की शक्ति से परिचित कराया। राम ने विभीषण को आश्वस्त करते हुए कहा-“विभीषण तुम चिंता मत करो। राक्षस मारे जाएंगे। लंका की गद्दी तुम्हारी होगी।” विभीषण ने लंका की बहुत-सी जानकारी राम को दी। रावण और उसके योद्धाओं की शक्ति के बारे में बताया। अब समस्या थी कि समुद्र को पार कैसे किया जाए। राम ने समुद्र से विनती की कि समुद्र रास्ते दे दे। वह नहीं माना। राम को क्रोध आ गया। राम का क्रोध देखते हुए समुद्र ने राम को सलाह दी कि आपकी सेना में नल पुल बना सकता है। अगले दिन नल ने समुद्र पर पुल बनाने का काम प्रारंभ कर दिया। पाँच दिन में पुल तैयार हो गया। पुल बनने की बात सुनकर रावण क्रोध से चीख उठा। राम की सेना समुद्र पार गई थी। अब दोनों सेनाएँ समुद्र के एक ओर थीं। राम अपनी सेना को चार भागों में बाँट रखा था। राम ने स्वयं पर्वत पर चढ़कर लंका का निरीक्षण किया। राम ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि सूर्योदय होते ही लंका को घेर लिया जाए। वानर सेना जय-जयकार करती चल पड़ी। इसी बीच राम ने अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा। राम ने कहा कि सुलह का अंतिम प्रयास कर लो ताकि रावण सीता लौटा दे और युद्ध टल जाए। रावण उनका संदेश सुनकर क्रोधित हो उठा। अंगद ने सारी स्थिति से राम को परिचित करा दिया। अब युद्ध छिड़ गया। भयानक युद्ध हुआ। शाम होते समय मेघनाद ने रावण सेना को पीछे हटते देखा। मेघनाद की नज़र राम-लक्ष्मण पर थी। वह मायावी राक्षस था। उसके बाण राम-लक्ष्मण को लग गए। दोनों मूच्छित होकर गिर पड़े। मेघनाद दोनों भाइयों को मृत समझकर रावण को सूचना देने के लिए राजमहल की ओर दौड़ा। इधर सभी वानर राम-लक्ष्मण के पास एकत्र हो गए। विभीषण ने दोनों का उपचार किया। उनकी मूर्छा टूटी तो सभी वानर युद्ध के लिए तैयार हो गए और वानरों में खुशी की लहर दौड़ गई।

अगले दिन फिर युद्ध की शुरुआत हुई। रावण की सेना के महाबली एक-एक करके मारे जाने लगे। युद्ध में धूम्राक्ष, वज्रद्रष्ट, अकंपन, प्रहस्त मारे गए। रावण को सारी सूचनाएँ मिल रही थीं। अब उसने स्वयं युद्ध का. नेतृत्व संभाला। पहली मुठभेड़ में वह लक्ष्मण पर भारी पड़ा, परंतु राम के बाणों ने उसका मुकुट ज़मीन पर गिरा दिया। रावण लज्जित हो गया। उसने अपने भाई कुंभकर्ण को जगाया जो छह महीना सोता और छह महीना जागता था। कुंभकर्ण ने अंगद और हनुमान को घायल कर दिया। फिर राम-लक्ष्मण ने यह देखकर बाणों की वर्षा करके उसे मार दिया। रावण निराश हो गया। कुंभकर्ण के मरने से लंका अनाथ हो गई। मेघनाद ने रावण को सहारा दिया। मेघनाद ने रावण से कहा आप मुझे आज्ञा दें मैं दोनों भाइयों को मारकर आपके चरणों में ला दूंगा। मेघनाद और लक्ष्मण में भीषण युद्ध हुआ। अचानक लक्ष्मण का एक बाण उसे लगा। मेघनाद घायल होकर महल की ओर भागा। लक्ष्मण उसका पीछा करना चाहते थे पर महल की संरचना उन्हें पता नहीं थी। तभी विभीषण ने लक्ष्मण को महल का गुप्त मार्ग बताया। मेघनाद महल में मारा गया। अब रावण विलाप करने लगा। वह मूच्छित हो गया। लक्ष्मण की वानर सेना भी महल में प्रवेश कर गई थी। वानरों ने लंका को तहस-नहस कर दिया। लक्ष्मण ने अतिकाय का सिर काट डाला। वानरों ने लंका में आग लगा दी। चारों ओर मारकाट मच गई। अकंपन, प्रजंध, युपाक्ष, कुंभ मारे गए। राक्षस सेना भाग खड़ी हुई। अब रावण अकेला बच गया था। विभीषण को राम की सेना में देखकर रावण उबल पड़ा। पहले उसने अपने छोटे भाई को शत्रु मानकर बाण चलाया पर लक्ष्मण ने उस बाण को बीच में ही काट दिया। दूसरी बार बाण लक्ष्मण को लगा। लक्ष्मण अचेत होकर धरती पर गिर पड़े। राम ने रावण को चुनौती देते हुए कहा-तेरा अंत निश्चित है। हनुमान लक्ष्मण को रक्षाक्षेत्र से दूर ले गए। वैद्य सुषेण को बुलाया गया। हनुमान संजीवनी बूटी लाए। धीरे-धीरे रक्त रिसाव बंद हो गया। लक्ष्मण स्वस्थ हो गए। अब राम-रावण का युद्ध भयानक हो गया। रावण का एक बाण राम को लगा। उनके रथ की ध्वजा कटकर गिर पड़ी। राम ने प्रहार किया। बाण रावण के मस्तक पर लगा। रक्त की धारा बह निकली। वह अपने महल में चला गया। युद्ध फिर शुरू हुआ। राम के बाणों ने रावण के रथ का मुँह तोड़ दिया। यह पराजय का संकेत था। रावण हिम्मत हारने लगा। राम का एक बाण रावण के पार निकल गया। रावण के हाथ से धनुष छूट गया और वह पृथ्वी पर गिर पड़ा। लंका विजय अभियान पूरा हुआ। राम की जयकार होने लगी। बची हुई सेना इधर-उधर जान बचाकर भागने लगी।

इधर विभीषण अपने भाई की मौत पर विलाप कर रहे थे। राम ने उनको ढाढस बँधाया। उन्हें समझाया कि रावण महान योद्धा था। मृत्यु सत्य है इसे स्वीकार करो। राम ने सुग्रीव को गले लगा लिया। राम ने एक-एक वानर का आभार माना। राम ने लक्ष्मण से विभीषण के राज्याभिषेक की तैयारी करने को कहा। हनुमान को अशोक वाटिका में जाकर सीता को लंका-विजय का समाचार सुनाने को कहा गया।

रावण के अंत्येष्टि के बाद विभीषण का राज्याभिषेक शुरू हो गया। लक्ष्मण विभीषण को राजसिंहासन तक लाए। समुद्र-जल से उनका अभिषेक किया गया। हनुमान सीता को लेकर वहाँ आ गए। सभी वानरों ने पहली वार सीता माँ को देखा। सुग्रीव नल-नील ने भी उनके दर्शन किए। सीता एक वर्ष बाद राम से मिलीं।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 69
कूच – प्रस्थान। तत्पर – तैयार। भयानक – डरावना। कोलाहल – शोरगुल। रणनीति – युद्ध करने का ढंग। तंबू – शामियाना। शक्तिशाली – बलवान। हताश – निराश। स्थिति – दशा।

पृष्ठ संख्या 70
पताका – झंडा। शुभचिंतक – भला सोचने वाला। शक्ति – ताकत, बल। विश्वास – भरोसा। अहंकार – घमंड। विश्वासपात्र – जिस पर विश्वास किया जाय। सभागार – सभा भवन। अपमानित – लज्जित। सत्कार – आदर-सम्मान।

पृष्ठ संख्या 71
विस्मय – हैरान, आश्चर्य। विभक्त – बँटा हुआ। प्रयास – कोशिश। शिखर – चोटी। निरीक्षण – जाँच। सुलह – समझौता। पश्चाताप – पछतावा। प्रतीक्षा – इंतजार।

पृष्ठ संख्या 73
उतावला – बेचैन। चीत्कार – चिल्लाना। ढेर होना – मर जाना। क्षत-विक्षत – छिन्न-भिन्न करना, घायल करना। मूर्छित – बेहोश। मृत – मरा हुआ। उपचार – इलाज। ध्वस्त – नष्ट। अक्षम – अयोग्य।

पृष्ठ संख्या 75
रणभूमि – युद्ध का मैदान। अनुमति – आज्ञा। अंक – गोद । पराक्रमी – ताकतवर। चकित – हैरान। संरचना – बनावट। ज्येष्ठ – बड़ा। शस्त्रागार – हथियारों का भंडार।

पृष्ठ संख्या 77
विश्वासघात – धोखा देना। अचेत – बेहोश। निगरानी में – देखरेख में। चिकित्सा – इलाज। सूचना – खबर। समाप्तखत्म। महासंग्राम – महायुद्ध।

पृष्ठ संख्या 78
हिम्मत – साहस। कोलाहल – शोर। अंत्येष्टि – अंतिम संस्कार। विलंब – देरी। स्वर्ण कलश – सोने का कलश।

पृष्ठ संख्या 79
अधीर – बेचैन। व्यवस्था – इंतजाम। सौम्य – शांत।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 10 लंका में हनुमान

These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 10 लंका में हनुमान are prepared by our highly skilled subject experts.

Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 10 Question Answers Summary लंका में हनुमान

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 10

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बाली किसके द्वारा मारा गया?
उत्तर:
बाली राम के द्वारा मारा गया।

प्रश्न 2.
लंकारोहण के लिए वानरों के कितने दल बनाए गए?
उत्तर:
लंकारोहण के लिए चार वानरों के दल बनाए गए।

प्रश्न 3.
जामवंत किस बात में सफल हुए?
उत्तर:
जामवंत रावण तक पहुँचने में सफल हुए।

प्रश्न 4.
हनुमान एक ही छलाँग में कहाँ जा खड़े हुए?
उत्तर:
हनुमान एक ही छलाँग में महेंद्र पर्वत पर जा खड़े हुए।

प्रश्न 5.
हनुमान के रास्ते में कौन-कौन सी राक्षसियाँ आईं?
उत्तर:
हनुमान के रास्ते में सुरसा तथा सिंहिका राक्षसियाँ आईं।

प्रश्न 6.
समुद्र के अंदर कौन-सा पर्वत था?
उत्तर:
समुद्र के अंदर मैनाक पर्वत था। वह चमकता हुआ सुनहारा पर्वत था।

प्रश्न 7.
सिंहिका नामक राक्षसी ने क्या किया?
उत्तर:
वह छाया राक्षसी थी। उसने जल में हनुमान की परछाई पकड़ ली हनुमान ने उसे मार डाला।

प्रश्न 8.
हनुमान ने लंका में कब प्रवेश किया?
उत्तर:
हनुमान ने शाम ढलते लंका नगरी में प्रवेश किया?

प्रश्न 9.
हनुमान को सीता कहाँ मिली?
उत्तर:
हनुमान को सीता अशोक वाटिका में मिलीं।

प्रश्न 10.
हनुमान ने सीता को क्या-क्या दिया?
उत्तर:
हनुमान ने सीता को राम की अंगूठी दी तथा उनका संदेश दिया।

प्रश्न 11.
हनुमान से लड़ते हुए कौन मारा गया?
उत्तर:
हनुमान से लड़ते हुए रावण का पुत्र अक्षय कुमार मारा गया।

प्रश्न 12.
वानर सेना के सामने क्या चुनौती थी?
उत्तर:
वानर सेना के सामने सागर को पार करने की चुनौती थी।

प्रश्न 13.
रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश क्यों दिया?
उत्तर:
रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने का आदेश इसलिए दिया क्योंकि उसने लंका में बहुत उत्पात मचाया।

प्रश्न 14.
हनुमान ने लंका में आग कैसे लगायी?
उत्तर:
हनुमान ने लंका में रावण द्वारा हनुमान की पूछ में आग लगाने पर उसने सारी लंका जला डाली।

प्रश्न 15.
हनुमान ने अशोक वाटिका में क्या उत्पात किया?
उत्तर:
हनुमान ने अशोक वाटिका को तहस-नहस कर उजाड़ दिया। वृक्ष उखाड़ दिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लंका जाते हुए मार्ग में हनुमान को किन-किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
लंका जाते हुए हनुमान को कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ा। रास्ते में राक्षसी सुरसा आई। उसका शरीर विराट था। वह हनुमान को खा जाना चाहती थी। पवन पुत्र हनुमान उसे चकमा देकर आगे बढ़ गए। वे उसके मुँह में घुसे और तत्काल ही निकलकर आगे बढ़ गए। आगे उन्हें सिंहिका नाम की राक्षसी का सामना करना पड़ा। उसने हनुमान की परछाई पकड़ ली। इससे वे अचानक आसमान में ठहर गए। हनुमान को उस पर क्रोध आया। उन्होंने सिंहिका को मार डाला और आगे बढ़े।

प्रश्न 2.
हनुमान के छलाँग लगाने पर महेंद्र पर्वत पर आए परिवर्तन को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
जब जामवंत ने हनुमान से कहा कि सीता की खोज सिर्फ आप ही कर सकते हैं। तब हनुमान उठे और धरती को प्रणाम कर एक ही छलाँग में महेंद्र पर्वत पर पहुँच गए। हनुमान के छलाँग से पर्वत दरक गया, वृक्ष काँपने लगे, पशु-पक्षी चीत्कार करने लगे, चट्टानें आग के गोलों की तरह दहक उठीं। हनुमान इन सब बातों से बेखबर-वायु गति से आगे बढ़ते गए। कई स्थानों पर जल के झरने फूट पड़े। कहीं धुआँ उठने लगा।

प्रश्न 3.
हनुमान ने लंका में सीता की खोज किस प्रकार की?
उत्तर:
लंका पहुँचकर हनुमान ने शाम ढलने पर नगरी में प्रवेश किया। हनुमान ने रात के अंधेरे में रावण के महल का कोना-कोना छान मारा, परंतु सीता जैसी कोई स्त्री वहाँ नहीं मिली। फिर उन्होंने सभी राक्षसों के घर छान लिए। पशुशालाएँ भी देख लीं। अंत में उन्हें वाटिका दिखाई दी, जिसमें अशोक के बड़े-बड़े वृक्ष लगे थे। वह दीवार लाँघकर वाटिका में पहुँचे। वे एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गए। उन्हें एक वृक्ष के नीचे राक्षसियों का झुंड दिखाई दिया। उन्हें राक्षसियों के बीच बैठी एक स्त्री दिखाई दी। उनका चेहरा मुरझाया हुआ और दयनीय था। वे देखते ही पहचान गए कि यह सीता हैं। इस तरह हनुमान सीता को खोजने में सफल हो गए।

प्रश्न 4.
रावण ने सीता को अपने वश में करने के लिए क्या-क्या प्रयास किया?
उत्तर:
रावण ने अपने वश में करने के लिए सीता को हर तरह से डराया, लालच दिया। सीता काँप रही थीं। उन्होंने रावण का तिरस्कार किया। रावण ने सीता से कहा-‘सुमुखी’। मैं तुम्हें स्पर्श नहीं करूँगा, जब तक स्वयं ऐसा नहीं चाहोगी मैं तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहता हूँ। मेरी बात मान लो तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहता हूँ। मेरी बात मान लो और सुख भोग का आनंद लो।

प्रश्न 5.
हनुमान लंका को देखकर चकित हो गए?
उत्तर:
लंका नगरी देखने के लिए हनुमान एक पहाड़ी पर चढ़ गए। वहाँ से चारों ओर नज़र दौड़ाई। लंका सोने की सुंदर नगरी थी। उन्होंने ऐसा नगर कभी नहीं देखा था। चारों ओर मटकते बगीचे, हरे-भरे पेड़ तथा भव्य भवन थे। राक्षस नगरी में इतनी सुंदरता को देखकर ही हनुमान चकित थे।

प्रश्न 6.
हनुमान ने सीता को देखकर कैसे पहचाना?
उत्तर:
अचानक वाटिका के एक कोने से राक्षसियों की हँसी सुनाई पड़ी। हनुमान पेड़ से चिपककर नीचे की डाली पर आए। उन्होंने राक्षसियों के बीच एक शोकाग्रस्त, दुर्बल, दयनीय स्त्री को देखा। उनका चेहरा मुरझाया हुआ था। वह उदास और दयनीय लग रही थीं। वह अत्यंत दुर्बल भी हो गई थीं। उनका शोकाग्रस्त चेहरा देखते ही हनुमान ने अनुमान लगा लिया कि यही सीता माँ हैं।

प्रश्न 7.
हनुमान ने पेड़ से नीचे उतरकर सीता को अपना परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर:
हनुमान पेड़ से नीचे उतरे। सीता को प्रणामकर राम की अंगूठी उन्हें दी और बोले, ‘हे माता मैं राम का दास हूँ। उन्होंने मुझे यहाँ भेजा है। सीता के मन की शंका को दूर करने के लिए उन्होंने सीता द्वारा पर्वत पर फेंके गए आभूषणों की याद दिलाई। तब जाकर सीता के मन का संदेह दूर हुआ।

प्रश्न 8.
लंका छोड़ने से पहले हनुमान ने लंका में उत्पात क्यों मचाया?
उत्तर:
हनुमान को सीता का पता लगने के बाद इसकी सूचना राम को अतिशीघ्र देना चाह रहे थे, पर लंका छोड़ने से पहले वे रावण से मिलना चाहते थे। अतः रावण से मिलने का अब एक ही तरकीब था कि लंका में उत्पात मचाया जाए। अतः अब उन्होंने लंका में उत्पात मचाया और अनेक राक्षसों को मार डाला तो राक्षस भागे-भागे राजमहल गए और इसकी सूचना रावण को दी। अंततः मेघनाद ने हनुमान को बाँधा और रावण के पास ले गया।

प्रश्न 9.
हनुमान ने लंका से किष्किंधा लौटकर राम से क्या कहा?
उत्तर:
हनुमान ने लंका से किष्किंधा लौटकर राम को सीता के द्वारा दिया गया अपना एक आभूषण चूड़ामणि दिया। हनुमान ने सीता से अपनी भेंट का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि वे बहुत व्याकुल हैं। वे बहुत चिंतित हैं। वे सदा राक्षसराक्षसियों से घिरी रहती हैं। वे आपकी प्रतीक्षा में हैं। उन्होंने कहा है-यदि श्रीराम दो माह में यहाँ नहीं आँऐगे तो पापी रावण मुझे मार डालेगा।

प्रश्न 10.
हनुमान से सीता का समाचार जानकर वानरों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
दूसरे किनारे सागर तट पर प्रतीक्षा कर रहे वानर हनुमान से सीता का समाचार जानकर किलकारियाँ भरने लगे। खुशी में उनका जंगल में उत्पात बढ़ गया। उन्होंने रास्ते में कई वन उजाड़े। फल खाए और फें के। सभी वानर खुशी में कूदते हुए किष्किंधा पहुँच गए और राम को सीता की सूचना दी। वहाँ पहुँचकर हनुमान ने राम को सीता द्वारा दिया गया आभूषण चूड़ामणि दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हनुमान की लंका-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
हनुमान ने लंका जाते हुए झुककर धरती को छुआ और एक ही छलाँग में महेंद्र पर्वत पर जा खड़े हुए। वहाँ से उन्होंने विराट समुद्र को देखा। फिर पूर्व की दिशा को मुँह करके पिता को प्रणाम किया। अगले पल हाथ ऊपर उठा करके छलांग लगा दी। अगले पल ही वे आकाश में थे। हनुमान के छलाँग लगाने तक पर्वत शांत था। छलाँग के दबाव से पर्वत दरक गया। हनुमान वायु की गति से आगे बढ़ रहे थे। मार्ग में उन्होंने दिशा बदली। समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरें उठने लगीं। समुद्र में एक पर्वत था-मैनाक। उसके अनुरोध पर भी वहाँ नहीं रुके। हनुमान के रास्ते में कई बाधाएँ आईं। रास्ते में विराट शरीर वाली राक्षसी सुरसा मिली। वह हनुमान को खाना चाहती थी। हनुमान मुँह में घुसकर बाहर निकल आए। आगे जाने पर सिंहिका नामक छाया राक्षसी ने जल में हनुमान की परछाई पकड़ ली। हनुमान अचानक आसमान में ठहर गए। क्रोधित होकर उन्होंने सिंहिका को मार डाला। अब उन्हें चमकती सोने की लंका दिखाई पड़ने लगी। दूसरे दिन शाम ढलने पर वे लंका में प्रवेश कर गए।

प्रश्न 2.
हनुमान-सीता भेंट का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हनुमान को अंततः सीता अशोक वाटिका में मिल गईं। पहले पेड़ पर उन्होंने बैठे-बैठे राम कथा शुरू कर दी। राम का गुनगान सुनकर सीता ने पूछा, ‘तुम कौन हो?’ फिर हनुमान पेड़ से नीचे उतरे और सीता को बताया मैं श्रीराम का दास हूँ। उन्होंने मुझे यहाँ आपका समाचार लेने के लिए भेजा है। सीता ने राम का कुशल-क्षेम पूछा। हनुमान सीता को अपने कंधे पर बिठाकर राम तक ले जाना चाहते थे। पर सीता ने इस प्रकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। यह कार्य उन्हें अनुचित लगा। फिर हनुमान ने सीता से विदा ली चलते समय सीता ने अपना एक आभूषण चूड़ामणि हनुमान को दिया। हनुमान ने सीता को विश्वास दिलाया-‘निराश न हो, माते! श्रीराम दो माह में यहाँ अवश्य पहुँच जाएँगे।’ इसके बाद चलते समय हनुमान ने अशोक वाटिका को तहस-नहस कर डाला।

प्रश्न 3.
त्रिजटा कौन थी? उसने रात में क्या सपना देखा?
उत्तर:
त्रिजटा लंका की एक राक्षसी थी। वह अन्य राक्षसियों से बिलकुल अलग थी। वह सीता को डराती-धमकाती नहीं थी। वह सीता से अपनत्व जताते हुए बात करती थी। एक दिन उसने सीता से कहा कि उसने एक सपना देखा है। पूरी लंका समुद्र में डूब गई है। सब कुछ बर्बाद हो गया है। यह सपना अच्छा नहीं है। वह सोच में पड़ गई कि कहीं यह सपना सीता के दुख से जुड़ा तो नहीं है।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
राम कथा में कई नदियों और स्थानों के नाम आए हैं। इसकी सूची बनाओ और एटलस में देखो कि कौन-कौन सी नदियाँ और जगहें अभी भी मौजूद हैं। यह काम आप चार-चार ग्रुप बनाकर पता करके लिखो।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. समुद्र को पार किसने किया?
2. किस-किस राक्षसी ने हनुमान के मार्ग को रोका?
3. रावण ने सीता को कहाँ ठहराया हुआ था?
4. हनुमान ने सीता को कैसे विश्वास दिलाया कि वे राम के सेवक हैं ?
5. हनुमान ने सीता को क्या-क्या दिया?
6. हनुमान से लड़ते हुए कौन मारा गया?
7. विभीषण ने रावण को हनुमान को मारने से क्यों रोका?
8. वानर सेना के सामने क्या चुनौती थी?
9. हनुमान ने लंका में सीता की खोज किस प्रकार की?
10. हनुमान से सीता का समाचार जानकर वानरों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
11. हनुमान लंका को देखकर चकित क्यों हो गए?
12. हनुमान को लंका कैसी दिखाई दी?
13. त्रिजटा कौन थी? उसने रात में क्या स्वप्न देखा था?
14. हनुमान ने पकड़े जाने पर रावण से क्या कहा?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. सीता-हनुमान की क्या बात हुई?
2. हनुमान सीता को देखकर कैसे पहचान गए?
3. महेंद्र पर्वत के सौंदर्य का संक्षिप्त वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
4. लंका तक हनुमान की यात्रा का वर्णन कीजिए।
5. लंका में हनुमान ने क्या उत्पात मचाया?

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 10 Summary

मार्ग में समुद्र देखकर वानर दल असमंजस में पड़ गए। इस दल में सबसे बुद्धिमान जामवंत थे। वे जानते थे कि समुद्र पार करना हनुमान के बस की बात है और यह काम हनुमान ही कर सकते हैं। जामवंत ने हनुमान से कहा कि यह काम आप कर सकते हैं। तब हनुमान उठे और धरती को प्रणाम कर एक ही छलांग में महेंद्र पर्वत पर पहुँच गए। वहाँ से उन्होंने विराट समुद्र की ओर देखा। हनुमान ने वहाँ पूर्व दिशा की ओर देखकर अपने पिता को प्रणाम किया। हनुमान ने पर्वत पर झुककर उसे हाथ-पैर से कसकर दबाया और छलाँग लगा दी। अगले पल वे आकाश में थे। हनुमान के छलाँग से पर्वत दरक गया, वृक्ष काँपने लगे, पशु-पक्षी चीत्कार करने लगे चट्टान आग के गोला की तरह दहक उठे। हनुमान इन सब बातों से बेखबर-वायु गति से आगे बढ़ते गए। उनकी परछाई समुद्र में नाव की तरह दिखाई देती थी। समुद्र के अंदर एक पर्वत ‘मैनाक’ था। वह जलराशि को चीरकर ऊपर उठा। मैनाक चाहता था कि हनुमान यहाँ रुककर कुछ देर विश्राम कर लें लेकिन हनुमान राम के कार्यों में लीन थे। उनको रास्ते में कई बाधाएँ आईं। सुरसा राक्षसी उन्हें खा जाना चाहती थी। उस राक्षसी का शरीर विशाल था। हनुमान उसके मुँह में घुसकर निकल आए। आगे सिंहिका राक्षसी मिली। सिंहिका राक्षसी ने हनुमान की छाया पकड़ ली। क्रोधित होकर हनुमान ने उसे भी मार दिया।

अब लंका दूर नहीं थी। वह दूर क्षितिज पर दिखाई पड़ने लगी थी। लंका नगरी देखने के लिए हनुमान एक पहाड़ी पर चढ़ गए। सोने की लंका दूर से ही जगमगा रही थी। उन्होंने ऐसा नगर पहले कभी नहीं देखा था। हनुमान समुद्र के किनारे उतर गए। वह अब लंका को और निकट से देख पा रहे थे। इतनी लंबी यात्रा करने के बाद भी हनुमान बिलकुल भी नहीं थके थे। वे राक्षस नगरी की सुंदरता को देखकर चकित हो गए। अब हनुमान के सामने सीता को ढूँढ़ने की समस्या थी। दिन के समय लंका में प्रवेश करना हनुमान को उपयुक्त नहीं लगा। शाम ढलने पर उन्होंने नगरी में प्रवेश किया। वे चारों ओर सीता की खोज करने लगे। सीता महल में कहीं नज़र नहीं आई तब हनुमान महल से बाहर निकल आए।

अंत:पुर के बाहर हनुमान ने रावण का रथ देखा। वह रत्नों से सजा था। वे इस रथ को देखकर चकित रह गए। तभी उनका ध्यान अशोक वाटिका की तरफ गया। वे दीवार लाँघकर वहाँ पहुँचे। वहाँ ऊँचे-ऊँचे पेड़ लगे हुए थे। वहाँ भी उन्हें सीता दिखाई नहीं दीं। उनमें निराशा घर करती जा रही थी। वह एक पेड़ पर चढ़कर बैठ गए। वे उसके पत्तों में छिप गए। वे वहाँ से सब कुछ देख सकते थे और उन्हें कोई नहीं देख सकता था। रात हो गई। अचानक वाटिका के एक कोने से अट्टहास सुनाई पड़ा। राक्षसियों का झुंड किसी बात पर अट्टहास कर रहा था। इसके बाद हनुमान पेड़ से चिपककर नीचे की डाली पर आए। उन्होंने राक्षसियों के बीच एक शोकग्रस्त, दुर्बल, दयनीय नारी को देखा। हनुमान ने अनुमान लगाया कि यही सीता माँ हैं। तभी उन्होंने राजसी ठाट-बाट के साथ रावण को आते देखा। रावण ने सीता को बहलाया-फु सलाया, लालच दिया। सीता नहीं डिगीं। वह बोलीं दुष्ट। राम के सामने तुम्हारा अस्तित्व ही क्या है? मुझे राम के पास पहुँचा दो। वे तुम्हें क्षमा कर देंगे। रावण क्रोध में पैर पटकता हुआ चला गया। उसके बाद सीता को राक्षसियों ने घेर लिया और वे सब रावण का प्रस्ताव स्वीकार कर लेने के लिए सीता पर दबाव देने लगीं। उन राक्षसियों में एक त्रिजटा नाम की राक्षसी भी थी। उसकी सहानुभूति सीता के साथ थी। देर रात तक एक-एक कर राक्षसियाँ चली गईं। अब सीता वाटिका में अकेली थीं। हनुमान ने पेड़ पर-बैठे-बैठे राम कथा शुरू कर दी। राम का गुनगान सुनकर सीता चौंक उठीं। उन्होंने ऊपर देखकर पूछा, “तुम कौन हो?” हनुमान नीचे उतर आए। सीता को प्रणाम कर राम की अंगूठी उन्हें दी। उन्होंने स्वयं को श्रीराम का दास बताया। श्रीराम ने मुझे यहाँ भेजा है। सीता ने राम का कुशल-क्षेम पूछा।

हनुमान को लेकर सीता के मन में अभी भी शंका थी। हनुमान ने पर्वत पर फेंके आभूषणों की याद दिलाकर उनकी शंका दूर कर दी। हनुमान सीता को कंधे पर बिठाकर राम के पास ले जाना चाहते थे किंतु सीता ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा ऐसा करना उचित नहीं होगा। हनुमान ने सीता से विदा ली। वे पूरी सूचना लेकर तत्काल राम तक पहुँचना चाहते थे। उन्होंने विश्वास दिया कि-निराश न हो, माते! श्रीराम यहाँ दो माह में अवश्य पहुँच जाएँगे। हनुमान ने जाने से पहले रावण का उपवन तहस-नहस कर दिया। अशोक वाटिका उजाड़ दी। विरोध करने वाले सभी राक्षसों को मार डाला। रावण का पुत्र अक्षय कुमार भी मारा गया। चलते समय सीता ने अपना एक आभूषण चूड़ामणि हनुमान को दिया।

राक्षसों ने इसकी सूचना रावण को दी। रावण के क्रोध का ठिकाना न रहा। उसने मेघनाद को भेजा। मेघनाद ने हनुमान से भीषण युद्ध किया। वह इंद्रजीत था। अंततः उसने हनुमान को बाँध लिया। राक्षस उन्हें खींचते हुए रावण के दरबार में ले आए। रावण के प्रश्नों का उत्तर निर्भीकतापूर्वक देते हुए हनुमान ने कहा-मैं श्रीराम का दास हूँ। मैं सीता की खोज में आया था। उनसे मैं मिल चुका हूँ। आपके दर्शन करने के लिए मुझे इतना उत्पात करना पड़ा। क्रोध में रावण हनुमान को मारने उठा किंतु विभीषण ने यह कहकर रोक दिया कि दूत का वध निषेध है। आप इसे कोई दूसरा दंड दें। हनुमान ने पुनः रावण से निवेदन किया कि आप सीता को सम्मान के साथ लौटा दें। रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगा देने की आज्ञा दी। राक्षसों ने उनके पूँछ में आग लगा दी। हनुमान ने एक से दूसरी अटारी पर कूदते हुए सारे भवन को जला दिया। चारों ओर हाहाकार मच गया। सीता सकुशल पेड़ के नीचे बैठी हुई थीं। उन्होंने देखा सीता पेड़ के नीचे सकुशल बैठी थीं। हनुमान ने सकुशल देखा और प्रणाम करके राम के पास चल पड़े।

दूसरे तट पर अंगद, जामवंत आदि उनकी प्रीतक्षा कर रहे थे। हनुमान ने संक्षेप में लंका का हाल सुनाया। सभी वानर खुश हो गए। वे सभी किष्किंधा पहुँच गए। हनुमान ने राम को सीता द्वारा दिया गया चूड़ामणि उतारकर दे दिया। राम की आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने हनुमान को गले लगा लिया। समय कम था। लंका पर आक्रमण करना था। वानर-सेना इसके लिए तैयार थी। सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ बैठकर युद्ध की योजना पर विचार किया। योग्यता और उपयोगिता के आधार पर भूमिकाएँ निश्चित कर दी गईं। समुद्र को पार करने के तरीके पर भी विचार हुआ। हनुमान, अंगद, जामवंत, नल और नील को आगे रखा गया।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 61
समर्पण – सौंपना। गरिमा – गौरव, सम्मान। परिजन – संबंधी, रिश्तेदार। गति – चाल। अंगड़ाई – जम्हाई लेना। शिखर – चोटी। विराट – विशाल। चुनौती – ललकारना। समर्पण – त्याग। परिजन – रिश्तेदार। निश्चल – शांत। चीत्कार – चीखना। बेखबर – निश्चित। परछाईं – छाया।

पृष्ठ संख्या 63
पवन – पुत्र-हनुमान। चकमा देना – धोखा देना। विवरण – वर्णन। कक्ष – कमरा । वैभवपूर्ण – ऐश्वर्यशाली, शानदार। अधिकतर – ज्यादातर।

पृष्ठ संख्या 64
स्वर्ण – सोने। चकित – हैरान। वाटिका – बगीचा। शोकग्रस्त – दुखी। अट्टहास – तेज हँसी। आतुर – बेचैन। राजसी – राजाओं का सा। ठाट-बाट – शान-शौकत। लालच – लोभ।

पृष्ठ संख्या 65
तिरस्कार – अपमान। स्पर्श – छूना। अस्तित्व – होना। अवसर – मौका। कुशल-क्षेम – कुशल-मंगल।

पृष्ठ संख्या 67
महाबली – बलवान। तिलमिलाना – व्याकुल होना। जघन्य – घोर। उत्पात – परेशान करना। ठिठोली – मज़ाक।

पृष्ठ संख्या 68
अचानक – एकाएक। संक्षेप – सारांश। निर्धारित करना – तय करना।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 9 राम और सुग्रीव

These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 9 राम और सुग्रीव are prepared by our highly skilled subject experts.

Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 9 Question Answers Summary राम और सुग्रीव

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 9

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बाली कहाँ का राजा था?
उत्तर:
बाली किष्किंधा का राजा था।

प्रश्न 2.
सुग्रीव कौन था?
उत्तर:
सुग्रीव किष्किंधा के वानर राज बाली का छोटा भाई था।

प्रश्न 3.
राम और सुग्रीव की मित्रता किसने कराई?
उत्तर:
राम और सुग्रीव की मित्रता हनुमान ने कराई।

प्रश्न 4.
ऋष्यमूक पर्वत पर कौन रहते थे?
उत्तर:
ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव रहते थे। वहाँ वे निर्वासन का समय बिता रहे थे।

प्रश्न 5.
हनुमान कौन थे?
उत्तर:
हनुमान सुग्रीव के मित्र थे।

प्रश्न 6.
सुग्रीव ने हनुमान को कहाँ भेजा?
उत्तर:
सुग्रीव ने हनुमान को राम-लक्ष्मण के बारे में जानने के लिए भेजा।

प्रश्न 7.
राम ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन कैसे किया?
उत्तर:
सुग्रीव को अपनी शक्ति का विश्वास कराने के लिए शाल के सातों वृक्षों को एक ही बाण से काट कर गिरा दिया। इस शक्ति प्रदर्शन पर सुग्रीव ने हाथ जोड़ लिए।

प्रश्न 8.
राम पहली बार बाली पर बाण क्यों नहीं चला पाए? उनकी दुविधा क्या थी?
उत्तर:
राम पहली बार बाली पर बाण नहीं चला सके क्योंकि बाली और सुग्रीव देखने में एक जैसे लगते थे। राम बाली को पहचान नहीं सके, वे दुविधा में पड़ गए। इसलिए वे पहली बार बाण नहीं चला सके।

प्रश्न 9.
जामवंत, हनुमान के बारे में क्या जानते थे?
उत्तर:
जामवंत, हनुमान के बारे में जानते थे कि हनुमान पवन पुत्र हैं, उनकी शक्ति अपार है।

प्रश्न 10.
राम ने हनुमान को दक्षिण दिशा की ओर भेजते समय क्या वस्तु दी और उनसे क्या कहा?
उत्तर:
राम ने हनुमान को दक्षिण दिशा की ओर भेजते समय अपनी अंगूठी दी। उन्होंने कहा जब सीता से भेंट हो, तो उन्हें अंगूठी दिखाना। वह समझ जाएँगी कि तुम मेरे दूत हो।

प्रश्न 11.
जटायु के भाई का क्या नाम था?
उत्तर:
जटायु के भाई का नाम संपाती था।

प्रश्न 12.
किष्किंधा की राजगद्दी किसे मिली और युवराज किसे बनाया गया?
उत्तर:
किष्किंधा की राजगद्दी सुग्रीव को दी गई और बाली के पुत्र अंगद को युवराज बनाया गया।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर क्यों रह रहे थे?
उत्तर:
सुग्रीव किष्किंधा के वानरराज बाली के छोटे भाई थे। पिता की मृत्यु के बाद उनके बड़े भाई बाली राजा बने थे। शुरुआत में दोनों भइयों के बीच काफ़ी प्रेम था लेकिन बाद में किसी बात को लेकर मतभेद इतना बढ़ गया कि बाली ने सुग्रीव को जान से मार डालना चाहा और उसकी पत्नी पर भी अपना अधिकार कर लिया। अपनी जान बचाने के लिए सुग्रीव को ऋष्यमूक पर्वत पर जाना पड़ा।

प्रश्न 2.
सुग्रीव ने हनुमान को कहाँ और किसलिए भेजा?
उत्तर:
सग्रीव को हनुमान पर भरोसा था। अतः सग्रीव ने हनुमान को उन दोनों युवकों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए भेजा जो उसकी ओर चले आ रहे थे। सुग्रीव ने उन्हें बाली के गुप्तचर समझा।

प्रश्न 3.
राम-लक्ष्मण से ऋष्यमूक आने का प्रयोजन जानकर हनुमान मुसकराने क्यों लगे?
उत्तर:
राम-लक्ष्मण से उनके ऋष्यमूक आने का उद्देश्य जानने के बाद हनुमान मुसकराने लगे। वह समझ गए थे कि राम और सुग्रीव दोनों की स्थिति एक जैसी है। दोनों को एक-दूसरे की मदद चाहिए। इससे वे मित्र हो सकते हैं। राम अयोध्या से निकाले गए हैं और सुग्रीव किष्किंधा से। राम की पत्नी को रावण उठा ले गया है और सुग्रीव की पत्नी उसके भाई ने छीन ली है। दोनों के पिता नहीं है।

प्रश्न 4.
राम सुग्रीव से क्यों क्षुब्ध हो गए?
उत्तर:
राम की सहायता से किष्किंधा का राजा बनने के बाद सुग्रीव अपने राग-रंग में वचन भूल गए। उधर राम सुग्रीव और वानरी सेना की प्रतीक्षा किष्किंधा में कर रहे थे। सुग्रीव ने राम को वचन दिया था कि लंकारोहण तथा सीता की खोज में वह उनकी सहायता करेंगे। वर्षा ऋतु बीत जाने के बाद भी उन्होंने अपने वचन को नहीं निभाया। इसलिए राम क्षुब्ध हो गए।

प्रश्न 5.
लंकारोहण से पहले राम ने क्या किया?
उत्तर:
लंकारोहण से पहले राम ने वानरी सेना को चार टोलियों में बाँटा। इसके अलावा राम चाहते थे कि वानरों की सेना भेजने से पहले होशियार और चतुर दूत को लंका भेजा जाए। उनमें अंगद दक्षिण जाने वाले अग्रिम दल के नेता बने। इसी दल में हनुमान, नल और नील भी थे। उन्होंने हनुमान को बुलाकर अपनी अंगूठी दी और कहा कि “सीता से भेंट होने पर उन्हें यह दिखाना। वह समझ जाएँगी कि तुम्हें मैंने भेजा है।”

प्रश्न 6.
बाली का वध किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
किष्किंधा पहुँचकर सुग्रीव ने बाली को चुनौती दी। उस समय बाली अंत:पुर में रानी तारा के पास था। पत्नी के समझाने के बावजूद वह पैर पटकता बाहर आया और हाथ को हवा में लहराया। वह घूसे से सुग्रीव को मारना चाहता था। पर तभी राम का बाण उसकी छाती में लगा और वह लड़खड़ाकर गिर पड़ा। उसके मरते ही राम, लक्ष्मण और हनुमान पेड़ की ओट से बाहर निकल आए।

प्रश्न 7.
सीता की खोज में वानरी सेना उधेड़बुन में क्यों पड़ गई?
उत्तर:
लंकारोहण से पहले राम ने वानरी सेना को चार टोलियों में विभक्त किया। दक्षिण की ओर जाने वाली टोली किष्किंधा से चली। विशाल समुद्र को देखकर वहाँ सभी हिम्मत हार गए। तभी वहाँ उन्हें जटायु का भाई संपाती मिला। उसने उन्हें बताया कि रावण सीता को लंका ले गया है। समुद्र को पार करना उन सब के लिए असंभव था और वे सीता की खोज का काम पूरा किए बिना किष्किंधा वापस नहीं जाना चाहते थे। इस कारण वानरी सेना उधेड़बुन में पड़ गई।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण दिशा में जाने वाले वानरी दल की यात्रा का वर्णन करें।
उत्तर:
दक्षिण दिशा में जाने वाली वानरी सेना की अगुवाई अंगद और हनुमान कर रहे थे। मार्ग में चलते-चलते वे एक ऐसे स्थान पर पहुँचे, जिसके आगे, विशाल समुद्र शुरू होता था। समुद्र को देखकर सभी की हिम्मत जवाब दे रही थी। उसी समय वहाँ पहाड़ी के पीछे से एक विशाल गिद्ध आया। वह जटायु का भाई संपाती था। उसने बताया कि सीता लंका में है। वहाँ तक पहुँचने के लिए समुद्र पार करना ही होगा। सीता की सूचना पाकर प्रसन्न वानर-दल विशाल समुद्र को देखकर फिर उदास हो गया। लक्ष्य सामने था लेकिन कठिन था। सभी अंत में विचार करने लगे कि समुद्र कैसे पार किया जाए। तभी उनकी नज़र हनुमान पर पड़ी। जामवंत जानते थे कि हनुमान यह काम कर सकते हैं। उनकी शक्ति आपार है। बस उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि वह यह काम कर सकते हैं। जामवंत ने हनुमान से कहा कि यह कार्य उन्हें ही करना होगा। सभी उनकी ओर आशाभरी दृष्टि से देखने लगे।

प्रश्न 2.
सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहने को क्यों मज़बूर थे? राम ने उनकी किस प्रकार मदद की?
उत्तर:
सुग्रीव बाली के छोटे भाई थे। बाली किष्किंधा के राजा थे। पिता की मृत्यु के बाद बड़े पुत्र होने के नाते वह किष्किंधा का राजा बना था लेकिन बाद में बड़े भाई बाली ने उसे राज्य से निकाल दिया था। उसकी पत्नी छीन ली तथा उसकी हत्या करने का प्रयास कर रहा था। सुग्रीव अपने सहयोगी मित्रों के साथ ऋष्यमूक पर्वत पर निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे। राम ने सुग्रीव की सहायता का वचन देकर उसे बाली से युद्ध के लिए ललकारने को कहा। योजना बनाकर सभी किष्किंधा पहुँचे। बाली और सुग्रीव में भीषण मल्ल युद्ध हुआ। दोनों भाइयों का चेहरा एक जैसा होने के कारण राम बाली को पहचानने में असमर्थ रहे। इसके फलस्वरूप राम के द्वारा कोई मदद न मिलने के कारण सुग्रीव जान बचाकर भागे। वह राम पर क्रोधित हुए। राम ने उन्हें अपनी परेशानी से अवगत कराया। फिर दुबारा सुग्रीव को बाली से युद्ध करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा इस बार बाली की मृत्यु निश्चित है। दोनों भाइयों का युद्ध आरंभ हुआ और राम ने पेड़ की ओट से बाली पर तीर चलाया। वह लड़खड़ा कर गिर पड़ा। आनन-फानन में राज्याभिषेक की तैयारियाँ की गईं और सुग्रीव को राजगद्दी मिली।

प्रश्न 3.
राम-सुग्रीव भेंट का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
हनुमान राम-लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाकर सुग्रीव के पास ले गए। दोनों ने एक-दूसरे को मित्रता का वचन दिया। राम ने सीता-हरण की बात सुग्रीव को बताई। सुग्रीव को कुछ बात याद आई। उन्होंने बताया कि रावण का रथ इसी पर्वत के ऊपर से होकर गया था। सीता स्वयं को रावण के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने गहनों की एक पोटली को राम के सामने रखते हुए कहा क्या ये गहने सीता के हैं ? राम-लक्ष्मण ने उन्हें पहचान लिया। इसके बाद सुग्रीव ने अपनी व्यथा-कथा सुनाई कि मेरे बड़े भाई बाली ने मुझे राज्य से निकाल दिया है तथा मेरी पत्नी को भी छीन लिया है। राम ने उसे सहायता का अश्वासन दिया। इस तरह यह मुलाकात उनकी मित्रता में बदल गई।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
आपने अपने आसपास के बड़ों से रामायण की कहानी सुनी होगी। रामलीला भी देखी होगी। क्या आपको अपनी पुस्तक रामकथा की कहानी और बड़ों से सुनी रामायण की कहानी में कोई अंतर नज़र आया? यदि हाँ तो उसके बारे में कक्षा में बताओ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. सुग्रीव कहाँ के रहने वाले थे?
2. दो युवकों को ऋष्यमूक पर्वत की ओर आता देख सुग्रीव क्यों घबरा गए?
3. सुग्रीव ने हनुमान को कहाँ भेजा?
4. सुग्रीव को राम की शक्ति पर भरोसा क्यों नहीं था?
5. जामवंत हनुमान के बारे में क्या जानते थे?
6. जटायु के चरित्र से तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है?
7. कुटिया से लौटते हुए राम क्या सोच रहे थे?
8. पंचवटी में ऐसी कौन-सी घटना घटी कि लक्ष्मण को अपने अग्रज राम को सांत्वना देना एवं धैर्य बँधाना पड़ा?
9. टूटे हुए रथ और टूटी पुष्पमाला को देखकर राम-लक्ष्मण ने क्या अनुमान लगाया?
10. राम को जटायु किस हाल में मिला? उसने उन्हें क्या बताया?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. कुटिया में सीता को न पाकर राम की क्या दशा हुई?
2. राम ने सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर जाने का निश्चय क्यों किया?
3. बाली बध की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
4. दक्षिण दिशा की ओर राजकुमारों की यात्रा तथा कबंध राक्षस से उनकी भेंट का वर्णन करें।
5. राम और शबरी की भेंट का वर्णन करें।
6. दक्षिण दिशा की ओर राजकुमारों की यात्रा तथा कबंध राक्षस से उनकी भेंट का वर्णन करें।

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 9 Summary

सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। वह किष्किंधा के वानरराज के छोटे पुत्र थे। पिता के नहीं रहने पर उसका बड़ा भाई बाली वहाँ का राजा बना। पहले दोनों भाइयों में बड़ा प्रेम था। बाद में उन दोनों भाइयों में मतभेद हो गया। मनमुटाव इतना बढ़ गया कि बाली सुग्रीव के नाम का दुश्मन बन गया। उसे जान से मार देना चाहता था। बाली के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर चला गया। राम और लक्ष्मण कबंध और शबरी के कहने पर ऋष्यमूक पर्वत पर पहुँचे। वहाँ सुग्रीव से मिले। सुग्रीव वहाँ निर्वासन में अपना जीवन बिता रहे थे। रास्ते में हनुमान से भेंट हुई। हनुमान उन दोनों भाइयों से बोले कि मैं सुग्रीव का सेवक हूँ। लक्ष्मण ने अपना परिचय देकर वन में आने का कारण बताया तथा कबंध और शबरी की सलाह का उल्लेख भी किया। हनुमान के चेहरे पर हल्की-सी मुसकान आ गई। वे सोचने लगे कि कोई उससे सहायता माँगने आया है, जिसे स्वयं मदद चाहिए।

हनुमान समझ गए कि राम और सुग्रीव की स्थिति एक जैसी है। दोनों मित्र हो सकते हैं। राम अयोध्या से निर्वासित हैं तथा सुग्रीव किष्किंधा से। एक की पत्नी रावण उठा ले गया है तथा दूसरे की पत्नी को भाई ने छीन लिया है। दोनों के पिता नहीं हैं। तब हनुमान ने राम और लक्ष्मण को कंधे पर बिठाकर तत्काल ऋष्यमूक के शिखर पर पहुंचा दिया। उन्होंने दोनों को सुग्रीव से मिला दिया। दोनों पक्षों ने अग्नि को साक्षी मानकर मित्रता का वचन दिया। राम-सीता-हरण की बात सुग्रीव को बताई। सुग्रीव को कुछ बात याद आई। उन्होंने बताया कि रावण का रथ इसी पर्वत के ऊपर से होकर गया था। सीता स्वयं को रावण के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। वानरों को देखकर उन्होंने कुछ आभूषण नीचे फेंक दिए थे। उन्होंने गहनों की एक पोटली को राम के सामने रखते हुए कहा कि क्या ये गहने सीता के हैं ?

राम ने आभूषण तुरंत पहचान लिए। गहने देखकर वे शोक में डूब गए। सुग्रीव ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा-सीता आपको अवश्य मिल जाएँगी। मैं हर प्रकार से आपकी सहायता करूँगा। रावण का सर्वनाश निश्चित है।

राम के बाद सुग्रीव ने अपनी व्यथा-कथा सुनाई। बाली ने मुझे राज्य से निकाल दिया। उसने मेरे राज्य और स्त्री को छीन लिया है। वह मुझे जान से मारने का प्रयास कर रहा है। उसने राम से सहायता माँगी। राम बोले, “मित्र चिंता मत करो। तुम्हें राज्य भी मिलेगा और पत्नी भी।” राम काफ़ी सुकुमार थे। उन्हें देखकर सुग्रीव को भरोसा नहीं हुआ। बाली महाबलशाली है उसे हराना आसान नहीं है। बाली शाल के सात वृक्षों को एक साथ झकझोर सकता है। राम सुग्रीव की बात को समझ गए। राम ने शाल के सात विशाल वृक्षों को एक ही बाण से काटकर गिरा दिया। इस शक्ति प्रदर्शन को देखकर सुग्रीव ने राम के सामने हाथ जोड़ लिए। राम ने सुग्रीव से बाली को ललकारने के लिए कहा। योजना बनाकर सब किष्किंधा पहुँच गए। सुग्रीव ने बाली को ललकारा। बाली के क्रोध की सीमा न थी। भीषण मल्ल युद्ध हुआ। राम पेड़ के पीछे खड़े थे। उन्होंने तीर नहीं चलाया। सुग्रीव किसी तरह वहाँ से जान बचाकर ऋष्यमूक पर्वत आ गया। सुग्रीव राम से काफ़ी कुपित था। उसे लगता था कि राम ने उसके साथ धोखा किया है। सुग्रीव का कहना था कि राम ने समय पर बाण नहीं चलाया। राम की परेशानी थी कि दोनों भाई एक जैसे ही दिखते थे। बाली और सुग्रीव दोनों भाइयों का चेहरा मिलता-जुलता था। उनमें अंतर करना कठिन था, अत: उन्होंने तीर नहीं चलाया। राम-लक्ष्मण के समझाने बुझाने पर वह पुनः युद्ध के लिए किष्किंधा गया। बाली रानी तारा के पास था। उसने बाली को रोकने का प्रयास किया, पर बाली गुस्से से पागल हो गया था। वह सुग्रीव की छाती में घुसा मारने वाला ही था कि राम के एक ही बाण ने उसे धाराशायी कर दिया। बाली के गिरते ही राम, लक्ष्मण और हनुमान पेड़ों की ओट से बाहर निकल आए।

आनन-फानन में सुग्रीव के राज्याभिषेक की तैयारी कर दी गई। सुग्रीव को राजगद्दी मिली। राम की सलाह पर बाली के पुत्र अंगद को युवराज का पद दिया गया। राम किष्किंधा से लौट आए लेकिन सुग्रीव चाहते थे कि राम कुछ दिन वहीं रहें पर राम ने मना कर दिया। राम-सुग्रीव की वानर-सेना की प्रतीक्षा कर रहे थे। पर सुग्रीव राग-रंग में उलझकर अपना वचन भूल गए। हनुमान को सुग्रीव का वचन याद था। उन्होंने सुग्रीव को याद दिलाया। राम सुग्रीव के व्यवहार से क्षुब्ध थे। लक्ष्मण सुग्रीव को समझाने के लिए किष्किंधा गए। उन्होंने वहाँ पहुँचकर धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई। डोरी खींचकर छोड़ी तो उनकी टंकार से सुग्रीव काँप गया। उसे राम को दिया गया वचन याद आ गया। तारा की सलाह पर सुग्रीव ने राम के पास जाकर क्षमा याचना की। राम ने उसे गले लगा लिया। पीछेपीछे वानर सेना आ पहुँची। लक्ष्मण के पीछे चल पड़े। हनुमान के साथ लाखों वानर थे। जामवंत के पीछे भालुओं की सेना भी थी। इसके बाद सीता खोज की योजना बनी। वानरों को चार टोलियों में बाँटा गया। राम और सुग्रीव की जय-जयकार करते हुए वानर अपनी निर्धारित दिशाओं की ओर चल पड़े। दक्षिण जाने वाले दल को राम ने रोक लिया। उन्होंने हनुमान को पास बुलाकर अपनी अंगूठी उन्हें दे दी। इस पर राम का चिह्न था। उन्होंने कहा-“जब सीता से भेंट हो तो यह अंगूठी उन्हें दे देना। वे इसे पहचान जाएँगी। समझ जाएँगी कि तुम्हें मैंने भेजा है। तुम मेरे दूत हो।”

इसके बाद अंगद और हनुमान दक्षिण की ओर चल पड़े। रास्ते में विशाल समुद्र था जिसे पार करना कठिन था। तभी रास्ते में जटायु का भाई संपाती मिला और बताया कि सीता को रावण ले गया है। सीता तक पहुँचने के लिए सागर पार करना होगा। सीता तक पहुँचने का यही रास्ता है। सीता की सूचना मिलने से वानर दल को भरोसा हो गया कि सीता इसी मार्ग से दक्षिण की ओर गई हैं। सीता तक पहुँचने का यही रास्ता है। पर समुद्र को पार करना संभव नहीं था। वानर अब असमंजस में थे। इसी बीच जामवंत की दृष्टि हनुमान पर पड़ी। जामवंत जानते थे कि हनुमान पवन पुत्र हैं। वे यह काम कर सकते हैं, पर उन्हें इसका अनुमान नहीं। सीता तक पहुँचने के लिए सागर पार करना होगा।

इस दल में सबसे बुद्धिमान जामवंत थे किंतु इस कठिन कार्य का उनके पास भी उत्तर नहीं था। जामवंत ने हनुमान से कहा कि यह कार्य आप ही कर सकते हैं।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 54
पड़ाव – ठहरने का स्थान। शीघ्रता – जल्दी। निर्वासन – देश निकाला। ज्येष्ठ – बड़ा। चौकस – सावधान। निरंतर – लगातार। गुप्तचर – जासूस। तत्काल – तुरंत। सुरक्षित – बिना खतरे के। भरोसा – विश्वास। सहमत होना – एक मत होना।

पृष्ठ संख्या 55
भटकना – इधर-उधर घूमना। साक्षी – गवाह। तुरंत – तत्काल। आभूषण – जेवर। संकट – मुसीबत।

पृष्ठ संख्या 57
सांत्वना – भरोसा। सर्वनाश – पूर्ण विनाश। व्यथा – कथा भरी कहानी। सुकुमार – सुंदर, कोमल। प्रदर्शन – दिखावा। ललकार – चुनौती हो। मल्ल युद्ध – दो व्यक्तियों की लड़ाई। भारी पड़ना – अधिक बलशाली होना। कुपित – क्रुद्ध। मृत्यु – मौत।

पृष्ठ संख्या 58
दुविधा – असमंजस। चूक – गलती। साहस – हिम्मत।

पृष्ठ संख्या 59
क्षुब्ध – व्याकुल। विनाश – अंत। चिह्न – निशान।

पृष्ठ संख्या 60
अथाह – बहुत गहरा। साहस जवाब देना – हिम्मत हारना। विकराल, विकट – दुर्गम, भयानक। अपार – बहुत अधिक।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 8 सीता की खोज

These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 8 सीता की खोज are prepared by our highly skilled subject experts.

Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 8 Question Answers Summary सीता की खोज

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 8

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुटिया की ओर भागे चले आ रहे राम के मन में कौन-सी आशंकाएँ थीं?
उत्तर:
राम के मन में मारीच की माया और सीता की सुरक्षा को लेकर अनेक आशंकाएँ थीं।

प्रश्न 2.
लक्ष्मण को कुटी छोड़कर अपने तरफ आते देख राम क्रोधित क्यों हुए?
उत्तर:
लक्ष्मण को कुटी छोड़कर आते देख राम इसलिए क्रोधित हुए योंकि सीता कुटिया में अकेली थीं।

प्रश्न 3.
सीता की खोज में वन में भटकते राम और लक्ष्मण ने क्या देखा?
उत्तर:
सीता की खोज में भटकते राम-लक्ष्मण ने वन में एक टूटे रथ के टुकड़े, मरा हुआ सारथी तथा मृत घोड़े देखे। पास ही पुष्पमाला बिखरी पड़ी थी।

प्रश्न 4.
कबंध कौन था?
उत्तर:
कबंध एक विशालकाय, डरावना राक्षस था। उसकी एक आँख थी। गर्दन नहीं थी। उसका शरीर मोटे माँस पिंड जैसा था। उसके दाँत बाहर निकले थे तथा जीभ साँप की तरह थी।

प्रश्न 5.
कबंध ने राम से क्या अनुरोध किया?
उत्तर:
कबंध ने राम से अनुरोध किया कि उसका अंतिम संस्कार राम ही करें।

प्रश्न 6.
शबरी कौन थी?
उत्तर:
शबरी मतंग ऋषि की शिष्या थी।

प्रश्न 7.
शबरी ने राम को किसके पास जाने की सलाह दी?
उत्तर:
शबरी ने राम को सुग्रीव के पास जाने की सलाह दी।

प्रश्न 8.
राम को सीता के वियोग में विलाप करते देख लक्ष्मण ने उनसे क्या कहा?
उत्तर:
राम को सीता के वियोग में विलाप करते हुए देखकर लक्ष्मण ने राम से कहा कि आप धैर्य रखिए हम सीता को ढूँढ़ निकालेंगे।

प्रश्न 9.
हिरणों के झुंड ने सिर उठाकर क्या इशारा किया?
उत्तर:
हिरण आसमान की ओर सिर उठाकर दक्षिण दिशा की ओर भाग गए।

प्रश्न 10.
सीता को ढूँढ़ने के दौरान लक्ष्मण को क्या मिला?
उत्तर:
सीता को ढूँढ़ने के दौरान लक्ष्मण को पुष्पमाला मिली जिसे सीता ने अपनी वेणी में गूंथ रखा था।

प्रश्न 11.
कबंध ने राम से किसकी सहायता लेने को कहा?
उत्तर:
कबंध ने राम से सुग्रीव की सहायता लेने को कहा। उनके पास बहुत बड़ी वानरी सेना थी।

प्रश्न 12.
पक्षीराज जटायु ने मरने से पहले क्या बताया?
उत्तर:
पक्षीराज जटायु ने बताया कि सीता को रावण उठा ले गया है और वह दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर गया है।

प्रश्न 13.
शबरी ने राम-लक्ष्मण को क्या खिलाया?
उत्तर:
शबरी ने राम लक्ष्मण को मीठे बेर खिलाये।

प्रश्न 14.
कबंध ने राम को पहले किससे मिलने को कहा?
उत्तर:
कबंध ने राम को पहले मतंग ऋषि की शिष्या शबरी से मिलने को कहा।

प्रश्न 15.
शबरी ने राम को किससे मिलने की सलाह दी?
उत्तर:
शबरी ने राम को सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह दी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सीता को कुटी में न देखकर राम की क्या दशा हुई?
उत्तर:
मायावी मारीच को मार गिराने के बाद राम कुटी की ओर दौड़कर भागे। वहाँ जब उन्होंने सीता को नहीं देखा तो, कुटी के आस-पास उनकी बहुत तलाश की। जब वे कहीं नहीं मिली तो वे शोक से व्याकुल हो गए। राम सीता को पुकारते रहे पर आवाज़ पेड़ों से टकराकर हवा में विलीन हो जाती थी। यहाँ तक कि पशु-पक्षियों की चहक भी लुप्त हो गई थी। उन्होंने नदी, पेड़-पौधे, हाथी, शेर, फूल, चट्टान, पत्थरों से भी सीता के बारे में पूछा। वे अपनी सुध-बुध खो बैठे थे। शोक में वे यह भी भूल गए कि पौधे तथा चट्टान नहीं बोलते। विलाप करते हुए राम ने लक्ष्मण से कहा मैं सीता के बिना नहीं रह सकता। उनकी मानसिक स्थिति विक्षिप्त जैसी हो गई थी।

प्रश्न 2.
लक्ष्मण को आता देखकर राम की क्या दशा हुई?
उत्तर:
लक्ष्मण को कुटी छोड़कर अपनी तरफ आता देखकर राम के मन में अनिष्ट की आशंकाएँ और भी बढ़ गईं। वे सोचने लगे कि अकेली सीता को तो राक्षस उठा ले गए होंगे। वे लक्ष्मण से क्रुद्ध थे। उन्होंने लक्ष्मण का बाँया हाथ जोर से पकड़ लिया था। दोनों भाई आशंकित थे।

प्रश्न 3.
लक्ष्मण ने किस प्रकार राम को ढाढस बंधाया?
उत्तर:
लक्ष्मण ने राम से कहा-आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए हम मिलकर देवी सीता की खोज करेंगे वे जहाँ भी होंगी हम उन्हें ढूंढ़ निकालेंगे। सीता हमारी प्रतीक्षा कर रही होंगी।

प्रश्न 4.
सीता की खोज में मार्ग में भटकते हुए लक्ष्मण ने क्या-क्या देखा?
उत्तर:
सीता की खोज में मार्ग में भटकते-भटकते राम-लक्ष्मण ने रथ के टुकड़े, मरा हुआ सारथी और मरे हुए घोड़े देखे। वहीं उन्हें सीता के बालों के साथ गुँथी पुष्पमाला भी पड़ी मिली। थोडी दूरी पर उन्होंने पक्षीराज जटायु को देखा। उसके पंख कटे हुए थे। वह खून से लथपथ था। जटायु ने उन्हें सीता के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी।

प्रश्न 5.
राम ने सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर जाने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर:
सीता के वियोग में जब राम विलाप कर रहे थे, उसी समय आश्रम के आस-पास घूमने वाले हिरणों का एक झुंड उनके समीप आया। राम को लगा वे हिरण संभवतः सीता के बारे में कुछ जानते हैं और उन्हें बताना चाहते हैं। राम ने उनसे सीता के विषय में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण दिशा की ओर भाग गए। राम ने संकेत समझ लिया और सीता की खोज में दक्षिण दिशा में ही जाने का निश्चय किया।

प्रश्न 6.
राम को जटायु किस हाल में मिला? उसने उन्हें क्या बताया?
उत्तर:
राम को जटायु लहूलुहान अवस्था में मिला। उसके पंख कटे हुए थे तथा वह अंतिम साँसें गिन रहा था। उसने राम को बताया कि सीता को रावण उठा ले गया है। सीता का विलाप सुनकर उसने रावण को चुनौती दी थी। उसने रावण का रथ तोड़ दिया था उसके सारथी और घोड़े को मार दिया था, परंतु सीता को हरण करने से न बचा सका। रावण ने उसके पंख काट डाले और सीता को लेकर दक्षिण-पश्चिम दिशा में उड़ गया। जटायु ने राम को पूरी बात बता दी। सूचना देने के बाद जटायु ने अपने प्राण त्याग दिए।

प्रश्न 7.
राक्षस कबंध ने राम-लक्ष्मण की क्या सहायता की?
उत्तर:
राक्षस कबंध ने दोनों भाइयों राम और लक्ष्मण को पंपा सरोवर के पास ऋष्यमूक पर्वत पर जाने के लिए कहा। वह वानर राज सुग्रीव का क्षेत्र था। वे निर्वासित जीवन बिता रहे थे। उन्होंने कहा कि सुग्रीव की वानरी सेना सीता की खोज में आपकी

प्रश्न 8.
शबरी कौन थी तथा कहाँ रहती थी?
उत्तर:
शबरी मतंग ऋषि की शिष्या थी। वह पंपा सरोवर के पास बने मतंग ऋषि के आश्रम में रहती थी। उसकी आयु बहुत हो गई थी। शरीर जर्जर हो गया था, लेकिन आँखें ठीक थीं। वह हर पल राम की प्रतीक्षा करती थी। राम को आश्रम में आया देखकर शबरी बहुत खुश हुई। उसने उनका बहुत स्वागत किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण दिशा की ओर राजकुमारों की यात्रा तथा कबंध राक्षस से उनकी भेंट का वर्णन करें।
उत्तर:
सीता की खोज में राम और लक्ष्मण दोनों भाई दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते जा रहे थे। मार्ग काफ़ी कठिन था। एक दिन यात्रा से पहले ही कबंध नामक एक विशालकाय और भयानक राक्षस ने उन पर हमला कर दिया। उसने अपने एक -एक हाथ से दोनों भाइयों को उठा लिया। राम-लक्ष्मण ने अपनी तलवार से एक झटके में उसके हाथ काट दिए। उनकी शक्ति और बुद्धि पर आश्चर्यचकित कबंध ने उनका परिचय पूछा। राम का परिचय जानकर वह बहुत खुश हुआ। उसने राम से कहा कि वह सीता के विषय में विशेष कुछ जानता है। यदि राम मेरा अंतिम संस्कार करना स्वीकार करें तो मैं सहायता का उपाय बता सकता हूँ। राम ने उसकी शर्त को स्वीकार किया और वचन दिया कि वह उसका अंतिम संस्कार करेंगे। राम की सहमति के बाद कबंध ने कहा कि ऋष्यमूक पर्वत पर निर्वासित जीवन जी रहे वानर राज सुग्रीव सीता को ढूँढ़ने में आपकी सहायता कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
राम और शबरी के बीच वार्तालाप का वर्णन अपने शब्दों में करो।
उत्तर:
शबरी मंतग ऋषि की शिष्या थी। वह पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि के आश्रम में रहती थी। उसकी आयु बहुत हो गई थी। उसका शरीर जर्जर था, लेकिन आँखें ठीक थीं। वह हर पल राम की ही प्रतीक्षा करती रहती थी। एक दिन अचानक आश्रम में राम को देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई। उसने राम-लक्ष्मण का बहुत स्वागत किया। उसने उन्हें स्वयं चख-चखकर मीठे बेर खिलाए और रहने के लिए जगह दी। उसने कहा कि आप सुग्रीव से मित्रता कीजिए। सीता को खोजने में वह आपकी मदद करेगा। उसके पास विशाल वानरी सेना है।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे कुछ प्रमुख पात्रों के चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन दिया गया है। तालिका में रामायण के कुछ पात्रों के नाम हैं। प्रत्येक नाम के सामने अपयुक्त विशेषताओं को छाँटकर लिखिए।

पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबंधु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रियता और ज्ञानी।

राम ____________, सीता ____________
लक्ष्मण _________, कैकेयी ____________
रावण ___________, हनुमान ____________
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. कुटिया की ओर भागे चले आ रहे राम के मन में कौन-सी आशंकाएँ थीं?
2. लक्ष्मण को कुटी छोड़कर आते देख राम क्रोधित क्यों हुए?
3. राम को सीता के वियोग में विलाप करते देख लक्ष्मण ने उनसे क्या कहा?
4. हिरणों के झुंड ने क्या इशारा किया?
5. पक्षीराज जटायु ने सीता के बारे में क्या बताया?
6. अंत निकट होने पर कबंध ने राम-लक्ष्मण से क्या आग्रह किया?
7. शबरी ने राम-लक्ष्मण को क्या सलाह दी?
8. कबंध कौन था? उसने राम से पहले किससे मिलने को कहा?
9. कुटिया में सीता को न पाकर राम की क्या दशा हुई?
10. राम को सीता के जाने की दिशा का संकेत किससे मिला?
11. कबंध कौन था? उसने राम-लक्ष्मण में क्या देखा?
12. शबरी कौन थी? शबरी ने राम को क्या बताया?
13. राम ने सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर जाने का निश्चय क्यों किया?
14. राम को जटायु किस हाल में मिला? उसने उन्हें क्या बताया?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. टूटे हुए रथ और टूटी पुष्पमाला को देख राम और लक्ष्मण ने क्या अनुमान लगाया?
2. पंचवटी में ऐसी कौन-सी घटना घटी कि लक्ष्मण को अपने अग्रज राम को सांत्वना देना एवं धैर्य बँधाना पड़ा?
3. राम और शबरी की वार्तालाप का वर्णन करें?
4. राम-जटायु भेंट का वर्णन अपने शब्दों में करें।

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 8 Summary

राम के मन में कई तरह की शंकाएँ थीं, कई तरह के प्रश्न थे। राम को अनिष्ट की आशंकाएँ थीं। उन्होंने सोचा कि सीता अकेली रहीं तो राक्षस उन्हें मार डालेंगे। मन में अनेक भय लिए वे आगे बढ़ रहे थे तभी उनकी नज़र लक्ष्मण पर पड़ी। लक्ष्मण को देखते ही राम की शंका और बढ़ गई। लक्ष्मण ने उन्हें बताया कि देवी सीता के कटु वचनों ने मुझे यहाँ आने के लिए बाध्य किया। राम ने लक्ष्मण से कहा कि “तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन करके अच्छा नहीं किया। मेरा मन काफ़ी चिंतित है पता नहीं सीता किस हाल में होगी।” कुटिया अभी दूर थी। राम ने वहीं से पुकारा-‘सीते तुम कहाँ हो?’ पर कोई जवाब नहीं आया। राम सीता को पुकारते रहे पर आवाज़ पेड़ों से टकराकर हवा में विलीन हो जाती थी। राम भागते हुए आश्रम पहुँचे। कुटिया में जाकर देखा। सीता का कहीं पता नहीं था। वे अपना सुध-बुध भुला बैठे। राम रोने लगे। सीता से बिछुड़ना उनके लिए असहनीय था। राम की स्थिति विक्षिप्त जैसे हो गई थी।

विरह में राम गोदावरी नदी के पास गए। उन्होंने नदी, पेड़-पौधे, हाथी, शेर, फूल, चट्टान पत्थरों से भी सीता के बारे में पूछा। वे अपनी सुध-बुध खो बैठे थे। राम का दुख लक्ष्मण से देखा नहीं जा रहा था। विलाप करते हुए राम ने लक्ष्मण से कहा- “मैं सीता के बिना नहीं रह सकता।” राम कह रहे थे-“लक्ष्मण तुम अयोध्या लौट जाओ। मैं वहाँ नहीं जाऊँगा। यहीं प्राण दे दूंगा।”

लक्ष्मण ने राम को समझाते हुए कहा कि “आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। हम लोग मिलकर सीता की खोज करेंगे।” राम शांत हो गए। इसी बीच आश्रम के आस-पास भटकने वाला हिरणों का झुंड राम-लक्ष्मण के निकट आ गया। राम ने हिरणों से सीता के बारे में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण की ओर भाग गए। राम ने संकेत समझ लिया। उन्होंने लक्ष्मण से कहा-हमें सीता की खोज दक्षिण दिशा में करनी चाहिए। उन्होंने वन में भटकते हुए टूटे रथ के टुकड़े देखे। इसके अलावा मरा सारथी और मृत घोड़े भी देखे। लक्ष्मण समझ गए कि यहाँ थोड़ी देर पहले ही संघर्ष हुआ है। सीता की वेणी में गुंथी पुष्पमाला को वहाँ पड़े देखा। वहाँ से थोड़ी ही दूरी पर राम ने पक्षीराज जटायु को देखा। जटायु के पंख कटे हुए थे। वह अंतिम साँस गिन रहा था। उसी ने राम को बताया, “रावण सीता को उठा ले गया है। मेरे पंख उसी ने काटे हैं। मैंने रावण से युद्ध किया और लड़ते-लड़ते उसका रथ तोड़ डाला था। मैं सीता को बचा नहीं सका। रावण सीता को लेकर दक्षिण की ओर गया है। इतना कहकर जटायु ने प्राण त्याग दिए।” वहीं राम और लक्ष्मण ने उसका अंतिम संस्कार किया।

राम-लक्ष्मण सीता की तलाश में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ने लगे। मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए दोनों भाई आगे बढ़ते गए। आगे का मार्ग काफ़ी कठिन था। उन्हें बार-बार राक्षसों के आक्रमण का सामना करना पड़ता था। एक दिन रास्ते में कबंध नामक राक्षस ने उन लोगों पर आक्रमण किया। वह बहुत ही खतरनाक था। उसने दोनों भाइयों को उठाकर हवा में उड़ा लिया। राम-लक्ष्मण ने तलवार निकाल कर एक झटके में ही उसके हाथ काट डाले। कबंध उनकी शक्ति देखकर हैरान रह गया। उसने उनका परिचय पूछा। राम के बारे में उसने सुन रखा था। अब उन्हें सामने देखकर प्रसन्न हो गया। वह बोला-मैं सीता के संबंध में तो कुछ नहीं जानता लेकिन तुम लोगों की सहायता का उपाय ज़रूर बता सकता हूँ लेकिन मेरा एक निवेदन है कि मेरा अंतिम संस्कार राम करें। राम ने उसका निवेदन स्वीकार कर लिया। तब कबंध ने उन्हें बताया कि-पंपा सरोवर के समीप ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव रहते हैं। आप उन्हीं के पास जाएँ। वे अपने वानरी सेना के साथ सीता को अवश्य खोज निकालेंगे। ‘इतना कहते हुए उसने राम-लक्ष्मण को अपने समीप बुलाया और कहा पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है। वहीं उनकी शिष्या शबरी रहती है। आप शबरी से भी अवश्य मिलना। कबंध की बातों से राम में सीता तक पहुँचने की आशा बलबती हो गई। इतना कहने के बाद कबंध के प्राण निकल गए। राम उसका अंतिम संस्कार कर सरोवर की ओर चल पड़े।

वहाँ से वे लोग शबरी की कुटिया में गए। उसकी आयु बहुत थी। वह हर पलं राम की प्रतीक्षा में अपनी आँखें खुली रखती थी। राम को आश्रम में देखकर शबरी बहुत खुश हुई। उसने राम का स्वागत किया। उसने भी सुग्रीव से मित्रता करने को कहा। खाने को मीठे फल व रहने को जगह दी। शबरी ने राम को विश्वास दिलाया कि सुग्रीव सीता की खोज में उनकी अवश्य मदद करेंगे। वे सीता को अवश्य ढूँढ निकालेंगे। उनके पास विलक्षण शक्ति वाले वानर हैं। अगले दिन वे ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव से मिलने गए।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 48
आशंकाएँ – भय, डर। पगडंडी – कच्चे स्थानों या घास पर पैदल चलने से बना रास्ता। कटुवचन – कड़वी बातें। कटाक्ष – व्यंग्य, ताना। उलाहना – शिकायत। उल्लंघन – आदेश न मानना। ठिकाना – स्थान। संदेह – शक।

पृष्ठ संख्या 49
उपस्थित – हाज़िर होना। अनुपस्थित – गैरहाजिर। विलीन – खो जाना। असहनीय – जो सहा न जा सके। शोकसंतप्त – दुख में डूबा हुआ। आघात – धक्का। विरह – बिछुड़ना। मौन – चुप। विक्षप्त – पागलों जैसी। परिहास – मजाक। निकट – पास। धैर्य – हिम्मत। प्रतीक्षा – इंतज़ार।

पृष्ठ संख्या 50
ढाढ़स – हिम्मत। मृग – हिरण। संकेत – इशारा। मृत – मरे। प्रयोजन – मतलब। असमंजस – दुविधा। संघर्ष – टक्कर। पुष्पमाला – फूलों की माला। बेणी – चोटी। त्यागना – छोड़ना। लहूलुहान – खून से लथपथ। अंतिम साँसें गिनना – मरने की हालत में होना। विधान – नियम, रीति।

पृष्ठ संख्या 51
तत्परता – चुस्ती। आक्रमण – हमला। स्पष्ट – साफ। आग्रह – हठ । सहमति – रजामंदी। मदद – सहायता। पर्वत – पहाड़।

पृष्ठ संख्या 52
जर्जर – कमज़ोर। काया – शरीर। तृप्त – संतुष्ट। विलक्षण – अद्भुत।