Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 8 सीता की खोज

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 8 Question Answers Summary सीता की खोज

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 8

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुटिया की ओर भागे चले आ रहे राम के मन में कौन-सी आशंकाएँ थीं?
उत्तर:
राम के मन में मारीच की माया और सीता की सुरक्षा को लेकर अनेक आशंकाएँ थीं।

प्रश्न 2.
लक्ष्मण को कुटी छोड़कर अपने तरफ आते देख राम क्रोधित क्यों हुए?
उत्तर:
लक्ष्मण को कुटी छोड़कर आते देख राम इसलिए क्रोधित हुए योंकि सीता कुटिया में अकेली थीं।

प्रश्न 3.
सीता की खोज में वन में भटकते राम और लक्ष्मण ने क्या देखा?
उत्तर:
सीता की खोज में भटकते राम-लक्ष्मण ने वन में एक टूटे रथ के टुकड़े, मरा हुआ सारथी तथा मृत घोड़े देखे। पास ही पुष्पमाला बिखरी पड़ी थी।

प्रश्न 4.
कबंध कौन था?
उत्तर:
कबंध एक विशालकाय, डरावना राक्षस था। उसकी एक आँख थी। गर्दन नहीं थी। उसका शरीर मोटे माँस पिंड जैसा था। उसके दाँत बाहर निकले थे तथा जीभ साँप की तरह थी।

प्रश्न 5.
कबंध ने राम से क्या अनुरोध किया?
उत्तर:
कबंध ने राम से अनुरोध किया कि उसका अंतिम संस्कार राम ही करें।

प्रश्न 6.
शबरी कौन थी?
उत्तर:
शबरी मतंग ऋषि की शिष्या थी।

प्रश्न 7.
शबरी ने राम को किसके पास जाने की सलाह दी?
उत्तर:
शबरी ने राम को सुग्रीव के पास जाने की सलाह दी।

प्रश्न 8.
राम को सीता के वियोग में विलाप करते देख लक्ष्मण ने उनसे क्या कहा?
उत्तर:
राम को सीता के वियोग में विलाप करते हुए देखकर लक्ष्मण ने राम से कहा कि आप धैर्य रखिए हम सीता को ढूँढ़ निकालेंगे।

प्रश्न 9.
हिरणों के झुंड ने सिर उठाकर क्या इशारा किया?
उत्तर:
हिरण आसमान की ओर सिर उठाकर दक्षिण दिशा की ओर भाग गए।

प्रश्न 10.
सीता को ढूँढ़ने के दौरान लक्ष्मण को क्या मिला?
उत्तर:
सीता को ढूँढ़ने के दौरान लक्ष्मण को पुष्पमाला मिली जिसे सीता ने अपनी वेणी में गूंथ रखा था।

प्रश्न 11.
कबंध ने राम से किसकी सहायता लेने को कहा?
उत्तर:
कबंध ने राम से सुग्रीव की सहायता लेने को कहा। उनके पास बहुत बड़ी वानरी सेना थी।

प्रश्न 12.
पक्षीराज जटायु ने मरने से पहले क्या बताया?
उत्तर:
पक्षीराज जटायु ने बताया कि सीता को रावण उठा ले गया है और वह दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर गया है।

प्रश्न 13.
शबरी ने राम-लक्ष्मण को क्या खिलाया?
उत्तर:
शबरी ने राम लक्ष्मण को मीठे बेर खिलाये।

प्रश्न 14.
कबंध ने राम को पहले किससे मिलने को कहा?
उत्तर:
कबंध ने राम को पहले मतंग ऋषि की शिष्या शबरी से मिलने को कहा।

प्रश्न 15.
शबरी ने राम को किससे मिलने की सलाह दी?
उत्तर:
शबरी ने राम को सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह दी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सीता को कुटी में न देखकर राम की क्या दशा हुई?
उत्तर:
मायावी मारीच को मार गिराने के बाद राम कुटी की ओर दौड़कर भागे। वहाँ जब उन्होंने सीता को नहीं देखा तो, कुटी के आस-पास उनकी बहुत तलाश की। जब वे कहीं नहीं मिली तो वे शोक से व्याकुल हो गए। राम सीता को पुकारते रहे पर आवाज़ पेड़ों से टकराकर हवा में विलीन हो जाती थी। यहाँ तक कि पशु-पक्षियों की चहक भी लुप्त हो गई थी। उन्होंने नदी, पेड़-पौधे, हाथी, शेर, फूल, चट्टान, पत्थरों से भी सीता के बारे में पूछा। वे अपनी सुध-बुध खो बैठे थे। शोक में वे यह भी भूल गए कि पौधे तथा चट्टान नहीं बोलते। विलाप करते हुए राम ने लक्ष्मण से कहा मैं सीता के बिना नहीं रह सकता। उनकी मानसिक स्थिति विक्षिप्त जैसी हो गई थी।

प्रश्न 2.
लक्ष्मण को आता देखकर राम की क्या दशा हुई?
उत्तर:
लक्ष्मण को कुटी छोड़कर अपनी तरफ आता देखकर राम के मन में अनिष्ट की आशंकाएँ और भी बढ़ गईं। वे सोचने लगे कि अकेली सीता को तो राक्षस उठा ले गए होंगे। वे लक्ष्मण से क्रुद्ध थे। उन्होंने लक्ष्मण का बाँया हाथ जोर से पकड़ लिया था। दोनों भाई आशंकित थे।

प्रश्न 3.
लक्ष्मण ने किस प्रकार राम को ढाढस बंधाया?
उत्तर:
लक्ष्मण ने राम से कहा-आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए हम मिलकर देवी सीता की खोज करेंगे वे जहाँ भी होंगी हम उन्हें ढूंढ़ निकालेंगे। सीता हमारी प्रतीक्षा कर रही होंगी।

प्रश्न 4.
सीता की खोज में मार्ग में भटकते हुए लक्ष्मण ने क्या-क्या देखा?
उत्तर:
सीता की खोज में मार्ग में भटकते-भटकते राम-लक्ष्मण ने रथ के टुकड़े, मरा हुआ सारथी और मरे हुए घोड़े देखे। वहीं उन्हें सीता के बालों के साथ गुँथी पुष्पमाला भी पड़ी मिली। थोडी दूरी पर उन्होंने पक्षीराज जटायु को देखा। उसके पंख कटे हुए थे। वह खून से लथपथ था। जटायु ने उन्हें सीता के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी।

प्रश्न 5.
राम ने सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर जाने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर:
सीता के वियोग में जब राम विलाप कर रहे थे, उसी समय आश्रम के आस-पास घूमने वाले हिरणों का एक झुंड उनके समीप आया। राम को लगा वे हिरण संभवतः सीता के बारे में कुछ जानते हैं और उन्हें बताना चाहते हैं। राम ने उनसे सीता के विषय में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण दिशा की ओर भाग गए। राम ने संकेत समझ लिया और सीता की खोज में दक्षिण दिशा में ही जाने का निश्चय किया।

प्रश्न 6.
राम को जटायु किस हाल में मिला? उसने उन्हें क्या बताया?
उत्तर:
राम को जटायु लहूलुहान अवस्था में मिला। उसके पंख कटे हुए थे तथा वह अंतिम साँसें गिन रहा था। उसने राम को बताया कि सीता को रावण उठा ले गया है। सीता का विलाप सुनकर उसने रावण को चुनौती दी थी। उसने रावण का रथ तोड़ दिया था उसके सारथी और घोड़े को मार दिया था, परंतु सीता को हरण करने से न बचा सका। रावण ने उसके पंख काट डाले और सीता को लेकर दक्षिण-पश्चिम दिशा में उड़ गया। जटायु ने राम को पूरी बात बता दी। सूचना देने के बाद जटायु ने अपने प्राण त्याग दिए।

प्रश्न 7.
राक्षस कबंध ने राम-लक्ष्मण की क्या सहायता की?
उत्तर:
राक्षस कबंध ने दोनों भाइयों राम और लक्ष्मण को पंपा सरोवर के पास ऋष्यमूक पर्वत पर जाने के लिए कहा। वह वानर राज सुग्रीव का क्षेत्र था। वे निर्वासित जीवन बिता रहे थे। उन्होंने कहा कि सुग्रीव की वानरी सेना सीता की खोज में आपकी

प्रश्न 8.
शबरी कौन थी तथा कहाँ रहती थी?
उत्तर:
शबरी मतंग ऋषि की शिष्या थी। वह पंपा सरोवर के पास बने मतंग ऋषि के आश्रम में रहती थी। उसकी आयु बहुत हो गई थी। शरीर जर्जर हो गया था, लेकिन आँखें ठीक थीं। वह हर पल राम की प्रतीक्षा करती थी। राम को आश्रम में आया देखकर शबरी बहुत खुश हुई। उसने उनका बहुत स्वागत किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण दिशा की ओर राजकुमारों की यात्रा तथा कबंध राक्षस से उनकी भेंट का वर्णन करें।
उत्तर:
सीता की खोज में राम और लक्ष्मण दोनों भाई दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते जा रहे थे। मार्ग काफ़ी कठिन था। एक दिन यात्रा से पहले ही कबंध नामक एक विशालकाय और भयानक राक्षस ने उन पर हमला कर दिया। उसने अपने एक -एक हाथ से दोनों भाइयों को उठा लिया। राम-लक्ष्मण ने अपनी तलवार से एक झटके में उसके हाथ काट दिए। उनकी शक्ति और बुद्धि पर आश्चर्यचकित कबंध ने उनका परिचय पूछा। राम का परिचय जानकर वह बहुत खुश हुआ। उसने राम से कहा कि वह सीता के विषय में विशेष कुछ जानता है। यदि राम मेरा अंतिम संस्कार करना स्वीकार करें तो मैं सहायता का उपाय बता सकता हूँ। राम ने उसकी शर्त को स्वीकार किया और वचन दिया कि वह उसका अंतिम संस्कार करेंगे। राम की सहमति के बाद कबंध ने कहा कि ऋष्यमूक पर्वत पर निर्वासित जीवन जी रहे वानर राज सुग्रीव सीता को ढूँढ़ने में आपकी सहायता कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
राम और शबरी के बीच वार्तालाप का वर्णन अपने शब्दों में करो।
उत्तर:
शबरी मंतग ऋषि की शिष्या थी। वह पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि के आश्रम में रहती थी। उसकी आयु बहुत हो गई थी। उसका शरीर जर्जर था, लेकिन आँखें ठीक थीं। वह हर पल राम की ही प्रतीक्षा करती रहती थी। एक दिन अचानक आश्रम में राम को देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई। उसने राम-लक्ष्मण का बहुत स्वागत किया। उसने उन्हें स्वयं चख-चखकर मीठे बेर खिलाए और रहने के लिए जगह दी। उसने कहा कि आप सुग्रीव से मित्रता कीजिए। सीता को खोजने में वह आपकी मदद करेगा। उसके पास विशाल वानरी सेना है।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे कुछ प्रमुख पात्रों के चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन दिया गया है। तालिका में रामायण के कुछ पात्रों के नाम हैं। प्रत्येक नाम के सामने अपयुक्त विशेषताओं को छाँटकर लिखिए।

पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबंधु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रियता और ज्ञानी।

राम ____________, सीता ____________
लक्ष्मण _________, कैकेयी ____________
रावण ___________, हनुमान ____________
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. कुटिया की ओर भागे चले आ रहे राम के मन में कौन-सी आशंकाएँ थीं?
2. लक्ष्मण को कुटी छोड़कर आते देख राम क्रोधित क्यों हुए?
3. राम को सीता के वियोग में विलाप करते देख लक्ष्मण ने उनसे क्या कहा?
4. हिरणों के झुंड ने क्या इशारा किया?
5. पक्षीराज जटायु ने सीता के बारे में क्या बताया?
6. अंत निकट होने पर कबंध ने राम-लक्ष्मण से क्या आग्रह किया?
7. शबरी ने राम-लक्ष्मण को क्या सलाह दी?
8. कबंध कौन था? उसने राम से पहले किससे मिलने को कहा?
9. कुटिया में सीता को न पाकर राम की क्या दशा हुई?
10. राम को सीता के जाने की दिशा का संकेत किससे मिला?
11. कबंध कौन था? उसने राम-लक्ष्मण में क्या देखा?
12. शबरी कौन थी? शबरी ने राम को क्या बताया?
13. राम ने सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर जाने का निश्चय क्यों किया?
14. राम को जटायु किस हाल में मिला? उसने उन्हें क्या बताया?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. टूटे हुए रथ और टूटी पुष्पमाला को देख राम और लक्ष्मण ने क्या अनुमान लगाया?
2. पंचवटी में ऐसी कौन-सी घटना घटी कि लक्ष्मण को अपने अग्रज राम को सांत्वना देना एवं धैर्य बँधाना पड़ा?
3. राम और शबरी की वार्तालाप का वर्णन करें?
4. राम-जटायु भेंट का वर्णन अपने शब्दों में करें।

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 8 Summary

राम के मन में कई तरह की शंकाएँ थीं, कई तरह के प्रश्न थे। राम को अनिष्ट की आशंकाएँ थीं। उन्होंने सोचा कि सीता अकेली रहीं तो राक्षस उन्हें मार डालेंगे। मन में अनेक भय लिए वे आगे बढ़ रहे थे तभी उनकी नज़र लक्ष्मण पर पड़ी। लक्ष्मण को देखते ही राम की शंका और बढ़ गई। लक्ष्मण ने उन्हें बताया कि देवी सीता के कटु वचनों ने मुझे यहाँ आने के लिए बाध्य किया। राम ने लक्ष्मण से कहा कि “तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन करके अच्छा नहीं किया। मेरा मन काफ़ी चिंतित है पता नहीं सीता किस हाल में होगी।” कुटिया अभी दूर थी। राम ने वहीं से पुकारा-‘सीते तुम कहाँ हो?’ पर कोई जवाब नहीं आया। राम सीता को पुकारते रहे पर आवाज़ पेड़ों से टकराकर हवा में विलीन हो जाती थी। राम भागते हुए आश्रम पहुँचे। कुटिया में जाकर देखा। सीता का कहीं पता नहीं था। वे अपना सुध-बुध भुला बैठे। राम रोने लगे। सीता से बिछुड़ना उनके लिए असहनीय था। राम की स्थिति विक्षिप्त जैसे हो गई थी।

विरह में राम गोदावरी नदी के पास गए। उन्होंने नदी, पेड़-पौधे, हाथी, शेर, फूल, चट्टान पत्थरों से भी सीता के बारे में पूछा। वे अपनी सुध-बुध खो बैठे थे। राम का दुख लक्ष्मण से देखा नहीं जा रहा था। विलाप करते हुए राम ने लक्ष्मण से कहा- “मैं सीता के बिना नहीं रह सकता।” राम कह रहे थे-“लक्ष्मण तुम अयोध्या लौट जाओ। मैं वहाँ नहीं जाऊँगा। यहीं प्राण दे दूंगा।”

लक्ष्मण ने राम को समझाते हुए कहा कि “आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। हम लोग मिलकर सीता की खोज करेंगे।” राम शांत हो गए। इसी बीच आश्रम के आस-पास भटकने वाला हिरणों का झुंड राम-लक्ष्मण के निकट आ गया। राम ने हिरणों से सीता के बारे में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण की ओर भाग गए। राम ने संकेत समझ लिया। उन्होंने लक्ष्मण से कहा-हमें सीता की खोज दक्षिण दिशा में करनी चाहिए। उन्होंने वन में भटकते हुए टूटे रथ के टुकड़े देखे। इसके अलावा मरा सारथी और मृत घोड़े भी देखे। लक्ष्मण समझ गए कि यहाँ थोड़ी देर पहले ही संघर्ष हुआ है। सीता की वेणी में गुंथी पुष्पमाला को वहाँ पड़े देखा। वहाँ से थोड़ी ही दूरी पर राम ने पक्षीराज जटायु को देखा। जटायु के पंख कटे हुए थे। वह अंतिम साँस गिन रहा था। उसी ने राम को बताया, “रावण सीता को उठा ले गया है। मेरे पंख उसी ने काटे हैं। मैंने रावण से युद्ध किया और लड़ते-लड़ते उसका रथ तोड़ डाला था। मैं सीता को बचा नहीं सका। रावण सीता को लेकर दक्षिण की ओर गया है। इतना कहकर जटायु ने प्राण त्याग दिए।” वहीं राम और लक्ष्मण ने उसका अंतिम संस्कार किया।

राम-लक्ष्मण सीता की तलाश में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ने लगे। मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए दोनों भाई आगे बढ़ते गए। आगे का मार्ग काफ़ी कठिन था। उन्हें बार-बार राक्षसों के आक्रमण का सामना करना पड़ता था। एक दिन रास्ते में कबंध नामक राक्षस ने उन लोगों पर आक्रमण किया। वह बहुत ही खतरनाक था। उसने दोनों भाइयों को उठाकर हवा में उड़ा लिया। राम-लक्ष्मण ने तलवार निकाल कर एक झटके में ही उसके हाथ काट डाले। कबंध उनकी शक्ति देखकर हैरान रह गया। उसने उनका परिचय पूछा। राम के बारे में उसने सुन रखा था। अब उन्हें सामने देखकर प्रसन्न हो गया। वह बोला-मैं सीता के संबंध में तो कुछ नहीं जानता लेकिन तुम लोगों की सहायता का उपाय ज़रूर बता सकता हूँ लेकिन मेरा एक निवेदन है कि मेरा अंतिम संस्कार राम करें। राम ने उसका निवेदन स्वीकार कर लिया। तब कबंध ने उन्हें बताया कि-पंपा सरोवर के समीप ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव रहते हैं। आप उन्हीं के पास जाएँ। वे अपने वानरी सेना के साथ सीता को अवश्य खोज निकालेंगे। ‘इतना कहते हुए उसने राम-लक्ष्मण को अपने समीप बुलाया और कहा पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है। वहीं उनकी शिष्या शबरी रहती है। आप शबरी से भी अवश्य मिलना। कबंध की बातों से राम में सीता तक पहुँचने की आशा बलबती हो गई। इतना कहने के बाद कबंध के प्राण निकल गए। राम उसका अंतिम संस्कार कर सरोवर की ओर चल पड़े।

वहाँ से वे लोग शबरी की कुटिया में गए। उसकी आयु बहुत थी। वह हर पलं राम की प्रतीक्षा में अपनी आँखें खुली रखती थी। राम को आश्रम में देखकर शबरी बहुत खुश हुई। उसने राम का स्वागत किया। उसने भी सुग्रीव से मित्रता करने को कहा। खाने को मीठे फल व रहने को जगह दी। शबरी ने राम को विश्वास दिलाया कि सुग्रीव सीता की खोज में उनकी अवश्य मदद करेंगे। वे सीता को अवश्य ढूँढ निकालेंगे। उनके पास विलक्षण शक्ति वाले वानर हैं। अगले दिन वे ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव से मिलने गए।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 48
आशंकाएँ – भय, डर। पगडंडी – कच्चे स्थानों या घास पर पैदल चलने से बना रास्ता। कटुवचन – कड़वी बातें। कटाक्ष – व्यंग्य, ताना। उलाहना – शिकायत। उल्लंघन – आदेश न मानना। ठिकाना – स्थान। संदेह – शक।

पृष्ठ संख्या 49
उपस्थित – हाज़िर होना। अनुपस्थित – गैरहाजिर। विलीन – खो जाना। असहनीय – जो सहा न जा सके। शोकसंतप्त – दुख में डूबा हुआ। आघात – धक्का। विरह – बिछुड़ना। मौन – चुप। विक्षप्त – पागलों जैसी। परिहास – मजाक। निकट – पास। धैर्य – हिम्मत। प्रतीक्षा – इंतज़ार।

पृष्ठ संख्या 50
ढाढ़स – हिम्मत। मृग – हिरण। संकेत – इशारा। मृत – मरे। प्रयोजन – मतलब। असमंजस – दुविधा। संघर्ष – टक्कर। पुष्पमाला – फूलों की माला। बेणी – चोटी। त्यागना – छोड़ना। लहूलुहान – खून से लथपथ। अंतिम साँसें गिनना – मरने की हालत में होना। विधान – नियम, रीति।

पृष्ठ संख्या 51
तत्परता – चुस्ती। आक्रमण – हमला। स्पष्ट – साफ। आग्रह – हठ । सहमति – रजामंदी। मदद – सहायता। पर्वत – पहाड़।

पृष्ठ संख्या 52
जर्जर – कमज़ोर। काया – शरीर। तृप्त – संतुष्ट। विलक्षण – अद्भुत।