CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 3

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 3

BoardCBSE
ClassXII
SubjectHindi
Sample Paper SetPaper 3
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 3 of Solved CBSE Sample Paper for Class 12 Hindi is given below with free PDF download solutions.

समय :3 घंटे
पूर्णांक : 100

सामान्य निर्देश

  • इस प्रश्न-पत्र के तीन खंड हैं-क, ख और ग।
  • तीनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (15)

उत्तर-आधुनिक समाज में मनुष्य की सोच सिर्फ स्वयं तक ही सीमित हो गई है। नैतिकता सिर्फ दूसरों को उपदेश देने की वस्तु बनकर रह गई है। आज मनुष्य स्वयं को लाभ पहुँचाने के लिए सभी प्रकार के छल-प्रपंचों का सहारा लेता है। दैनिक जीवन में मानवीय व्यवहार के अंतर्गत एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण गुण सत्य बोलने संबंधी है, जिससे सामाजिक व्यवस्था एवं मानवीय संबंध निर्बाध रूप से निरंतर प्रगतिशील रह सकें। लेकिन एक समय अपनी सत्यवादिता को निभाने वाले राजा हरिश्चंद्र के अतुलनीय त्याग की कल्पना करना भी अब दुर्लभ है, वैसा वास्तविक व्यवहार तो असंभव है। हमारे समाज के निर्माताओं ने सामाजिक मूल्यों में सुत्य बोलने को इतना महत्त्व इसलिए प्रदान किया, क्योंकि मनुष्य अंत:क्रिया करने वाले दूसरे मनुष्यों के साथ छल-कपट न कर सके; समाज के अन्य सदस्य यथार्थ से वंचित एवं भ्रम के शिकार न रहें। यह सामाजिक व्यवस्था को न केवल सुचारु ढंग से परिचालित करने में सहायक है, बल्कि इस सामाजिक मूल्य के माध्यम से समाज अपने सदस्यों को त्याग करने एवं पुरहित को ध्यान में रखने की भी सीख देती है। यह सामाजिक मूल्यों को और उच्च स्तरीय बनाने एवं गरिमा प्रदान करने का भी कार्य करता है। कहा जा सकता है कि सत्य बोलना एक कुंजी अर्थात् आधारभूत सामाजिक मूल्य है, जिससे अन्य सामाजिक मूल्य अंतर्संबंधित हैं।

इसके ठीक विपरीत झूठ बोलना सबसे बड़ा व्यक्तिगत एवं सामाजिक दुर्गुण है। झूठ बोलुना एक प्रकार की चोरी है, जिसमें किसी की दृष्टि से तथ्यों को छिपाया जाता है। यह लोगों को न केवल वास्तविकता से दूर रखता है, बल्कि भावी परिणाम के प्रति भी सतर्क होने से वंचित करता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक स्तर पर समाज एवं दूसरे सदस्यों को क्षति होती है। यह व्यक्ति एवं सामाजिक दोनों स्तरों पर अत्यधिक नुकसानुदायुक एवं कष्टदायी होता है। यह सामाजिक स्तर पर किया जाने वाला सर्वाधिक नकारात्मक व्यवहार है, क्योंकि इसका प्रभाव वर्तमान के साथ-साथ भविष्य पर भी अत्यंत गंभीर रूप से पड़ता है। झूठ बोलने के कारण व्यक्ति कभी भी वास्तविकता से परिचित नहीं हो पाता, परिणामस्वरूप वह न तो उसे परिवर्तित करने के लिए कोई प्रयास कर पाता है और न ही संभावित दुष्परिणामों के प्रति सतर्क हो पता है।

इसलिए कहा गया है कि झूठ बोलने से बड़ा कोई पाप नहीं है। ‘पाप’ इस अर्थ में कि यह हमें दिग्भ्रमित करके वांछितु कर्तव्यों से वंचित रखता है। झूठ या असत्य कथन ही बुराइयों की जड़ है। दुनिया में आने वाले किसी बच्चे द्वारा सबसे पहला गलत कार्य झूठ बोलना ही है और यहीं से उसमें भावी अनैतिकताओं एवं अपराधों की नींव पड़ती है। इसलिए कहा जाता है कि झूठ बोलुना सभी पापों का मूल है।2

(क) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक बताइए। (1)
(ख) उत्तर-आधुनिक समाज में नैतिकता कहाँ तक सीमित हो गई है और क्यों? (2)
(ग) सत्य बोलने तथा मानवीय संबंधों के निरंतर प्रगतिशील होने में क्या संबंध है? (2)
(घ) सत्य बोलना एक आधारभूत सामाजिक मूल्य कैसे है? स्पष्ट कीजिए। (2)
(ङ) “झूठ बोलना एक प्रकार की चोरी है।” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
(च) झूठ बोलने को पाप के रूप में देखना कहाँ तक उचित है? (2)
(छ) झूठ को सभी पापों का मूल क्यों कहा गया है? (2)
(ज) गद्यांश का केंद्रीय भाव लगभग 20 शब्दों में लिखिए। (2)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 5 = 5)

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 3 1

(क) गलत राह पर चल रहे व्यक्ति को सही राह पर लाने के क्या उपाय हैं?
(ख) प्यार की शक्ति के बारे में कवि की क्या धारणा है?
(ग) प्रस्तुत काव्यांश में प्रयुक्त काव्य-पंक्ति “हर एक धृष्टता के कपोल आँसू से गीले होते हैं”- का आशय स्पष्ट कीजिए।
(घ) अंतर का स्नेह बाँटने से व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(ङ) प्रस्तुत काव्यांश का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अनुच्छेद लिखिए

(क) आपदा प्रबंधन
(ख) ओज़ोन क्षरण का प्राणी जगत पर प्रभाव
(ग) सफलता के लिए शिष्टाचार आवश्यक
(घ) ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता चलन

प्रश्न 4.
भारत के कुछ राज्यों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या बहुत कम है। आप इसका क्या कारण मानते हैं तथा आपकी दृष्टि में इस प्रवृत्ति को रोकने हेतु क्या उपाय हो सकते हैं? किसी दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को एक पत्र लिखकर इसे स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आपने पत्रकारिता का अध्ययन पूरा कर लिया है। किसी समाचार-पत्र में संवाददाता पद के लिए अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए आवेदन-पत्र लिखिए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए (1 × 5 = 5)

(क) विशेषीकृत पत्रकारिता से क्या समझते हैं?
(ख) हिंदी पत्रकारिता दिवस कब और किस उपलक्ष्य में मनाया जाता है?
(ग) संपादकीय में लेखक का नाम क्यों नहीं दिया जाता है?
(घ) ‘वॉचडॉग पत्रकारिता’ किस प्रकार लोकतंत्र का प्रहरी है?
(ङ) जनसंचार माध्यम किसे कहते हैं?

प्रश्न 6.
‘भारत में बाल मज़दूरी की समस्या’ विषय पर आलेख लिखिए।
अथवा
हाल ही में पढ़ी गई किसी पुस्तक की समीक्षा लिखिए। (5)

प्रश्न 7.
‘आधुनिक समय की गंभीर समस्याः ई-कचरा’ अथवा ‘समाचार पत्र का महत्त्व’ में से किसी एक विषय पर फ़ीचर तैयार कीजिए।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 x 4 = 8)

हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार –
शस्य अपार,
हिल-हिल।
खिल-खिल
हाथ हिलाते
तुझे बुलाते
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
अट्टालिका नहीं है रे

आतंक-भुवन
सदा पुंक पर ही होता
जुल-विप्लवु-प्लावन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से
सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हँसता है।
शैशव का सुकुमार शरीर।

(क) ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ख) अट्टालिकाओं को ‘आतंक-भवन’ क्यों कहा गया है?
(ग) काव्यांश का केंद्रीय भाव समझाइए।
(घ) प्रकृति बादलों को किस प्रकार बुलाती है और क्यों?

अथवा

आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
बात सीधी थी पर ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मुर गई।
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी!
हार कर मैंने उसे कील की तरह।

उसी जगह ठोंक दिया।
ऊपर से ठीक-ठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
नु ताकत!

(क) ‘बात की चूड़ी मर गई’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ख) भाषा को ‘कील की तरह ठोकने’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(ग) अंदर से कसाव और ताकत न होने का संदर्भ-सहित अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(घ) काव्यांश का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 3 = 6)
सवेरा हुआ।
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद् आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नई चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से ।
चमकीले इशारों से बुलाते हुए

(क) प्रातःकाल की तुलना किससे की गई है और क्यों?
(ख) काव्यांश में निहित बिंब को स्पष्ट कीजिए।
(ग) मानवीकरण के सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।

अथवा

आँगन में तुनुक रहा है ज़िदयाया है।
बालुक तो हई चाँद पै लुलुचाया है।

दर्पण उसे देके कह रही है माँ
देख आईने में चाँद उतर आया है।

(क) प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौंदर्य अपने शब्दों में लिखिए।
(ख) काव्यांश की भाषा एवं छंद की विशिष्टता बताइए।
(ग) देख आईने में चाँद उतर आया है’ कथन के सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 2 = 6)

(क) ‘आत्म परिचय’ कविता एक ओर “जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर कहती है “मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ”-विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है?
(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के आधार पर सिद्ध कीजिए कि कविता संवेदनहीन सूचना प्रसारण तंत्र पर एक व्यंग्य है।
(ग) ‘कवितावली’ कविता के आधार पर “माँगि के खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु न दैबको दोऊ” काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 4= 8)

भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र को कई रसों का पता है, उनमें से कुछ रसों का किसी कलाकृति में साथ-साथ पाया जाना श्रेयस्कर भी माना गया है, जीवन में हर्ष और विषाद आते रहते हैं, यह संसार की सारी सांस्कृतिक परंपराओं को मालूम है, लेकिन करुणा का हास्यू में बदल जाना एक ऐसे रस सिद्धांत की माँग करता है, जो भारतीय परंपराओं में नहीं मिलता। ‘रामायण’ तथा ‘महाभारत’ में जो हास्य है, वह ‘दूसरों पर है और अधिकांशतः वह पुरसंताप से प्रेरित है, जो करुणा है वह अकसर सद्व्यक्तियों के लिए और कभी-कभार दुष्टों के लिए है। संस्कृत नाटकों में जो विदूषक है वह राजव्यक्तियों से कुछ बदतमीज़ियाँ अवश्य करता है, किंतु करुणा और हास्य का सामंजस्य उसमें भी नहीं है। अपने ऊपर हँसने और दूसरों में भी वैसा ही मुद्दा पैदा करने की शक्ति भारतीय विदूषक में कुछ कम ही नज़र आती है।

(क) भारतीय कला के बारे में लेखक के क्या विचार हैं?
(ख) विदूषक किसे कहते हैं? इसका क्या महत्त्व है?
(ग) कौन-सी सांस्कृतिक परंपरा भारत में सामान्य रूप से नहीं दिखती?
(घ) भारतीय साहित्य में हास्य संबंधी कौन-सी कमी है?

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 4 = 12)

(क) लक्ष्मी के भक्तिन बनने की प्रक्रिया मर्मस्पर्शी क्यों है? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
(ख) बाज़ार एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। स्पष्ट कीजिए।
(ग) “काले मेघा पानी दे’ पाठ का कौन-सा पात्र इंदर सेना पर पानी फेंका जाना सही ठहराता है? वह उसके पक्ष में क्या-क्या तर्क देता है?
(घ) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में प्रयुक्त पंक्ति ‘कफ़न की क्या ज़रूरत है’ से क्या अभिप्राय है?
(ङ) राजनीतिक सीमा में बँटे होने के बावजूद हिंदुस्तान और पाकिस्तान में एक ही इंसानी दिल के टुकड़े धड़क रहे हैं, जो मिलने को आतुर हैं। ‘नमक’ पाठ के आधार पर इसे स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 13.
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में एक ओर स्थिति को ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लेने का भाव है, तो दूसरी ओर अनिर्णय की स्थिति भी। कहानी के इस द्वंद्व को स्पष्ट कीजिए। (5)

प्रश्न 14.
(क) क्या सिंधु घाटी सभ्यता को ‘जल संस्कृति’ कह सकते हैं? कारण सहित उत्तर दीजिए।
(ख) जूझ’ कहानी प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष की प्रेरक कथा है। इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए। (5)

उत्तर

उत्तर 1.

(क) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक ‘सच और झूठ का प्रभाव हो सकता है।

(ख) उत्तर-आधुनिक समाज में नैतिकता सिर्फ दूसरों को उपदेश देने तक सीमित हो गई है, क्योंकि मनुष्य केवल अपने लाभ के बारे में सोचता है, चाहे उसके लिए उसे छल-प्रपंच का सहारा ही क्यों न लेना पड़े। आज मानव अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए दूसरों का अहित करने से भी पीछे नहीं रहता है।

(ग) सत्य बोलना एक ऐसा मानवीय गुण है, जिसके कारण आपसी अंतःक्रिया में मनुष्य एक-दूसरे के साथ छल-कपट नहीं कर सकता। इससे समाज के सदस्यों के बीच किसी तरह का भ्रम या अनिश्चय की स्थिति नहीं रहती है। साथ ही, समाज के सदस्य यथार्थ से वंचित नहीं रहते। इसी कारण सामाजिक व्यवस्था एवं मानवीय संबंध निरंतर विकसित होते रहते हैं।

(घ) सत्य बोलना एक कुंजी अर्थात् आधारभूत सामाजिक मूल्य है, क्योंकि इससे अन्य सामाजिक मूल्य संबंधित हैं। वस्तुतः सत्य बोलने की प्रवृत्ति के कारण ही मनुष्य एक-दूसरे पर विश्वास करता है और कही गई बातों के आधार पर ही भविष्य की योजनाएँ निर्धारित की जाती हैं। भाईचारे की भावना के कारण ही मनुष्य एक-दूसरे के लिए त्याग करता है तथा उसके अंदर परहित की भावना उत्पन्न होती है।

(ङ) “झूठ बोलना एक प्रकार की चोरी है।” इस पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार, चोरी करने की प्रक्रिया में कोई चीज़ छिपाकर सबकी नज़रों से बचाई जाती है, ठीक ऐसी ही प्रवृत्ति झूठ बोलने के दौरान अपनाई जाती है। झूठ बोलने की प्रक्रिया में तथ्यों को छिपाया जाता है, दुनिया के लोगों को वास्तविकता से दूर रखा जाता है। इस अर्थ में कहा जा सकता है कि झूठ बोलना एक प्रकार की चोरी ही है।

(च) जब कभी कोई व्यक्ति झूठ बोलता है, तो उससे पूरा समाज या अन्य कोई विशिष्ट व्यक्ति यथार्थ से परिचित नहीं हो पाता। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि वह न तो उस स्थिति को परिवर्तित करने के लिए कोई प्रयास कर पाता है और न ही संभावित दुष्परिणामों के प्रति सतर्क हो पाता है। इस कारण अन्य व्यक्ति या समाज को अनपेक्षित हानि होती है, जिसे समाप्त करने या कम करने का उसे अवसर ही नहीं मिल पाता है। इस संदर्भ में झूठ बोलने को पाप के रूप में देखना औचित्यपूर्ण है।

(छ) प्रस्तुत गद्यांश में स्पष्ट किया गया है कि दुनिया में कदम रखने वाले किसी भी बच्चे द्वारा सबसे पहला गलत कार्य उसके झूठ बोलने से ही प्रारंभ होता है। झूठ बोलना प्रारंभ करके ही वह गलत मार्ग की ओर अग्रसर होता है और यहीं से उसकी भावी अनैतिक गतिविधियों तथा अपराध करने की शुरुआत होती है। इस कारण झूठ को सभी पापों का मूल कहा गया है।

(ज) गद्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि मनुष्य को सदैव सत्य बोलना चाहिए, क्योंकि सत्य के आधार पर ही सामाजिक मूल्य उच्च स्तरीय तथा गरिमामय रूप में स्थापित होते हैं, जबकि झूठ के आधार पर मनुष्य गलत मार्ग की ओर अग्रसर होता है, जिससे व्यक्ति के साथ समाज का भी अहित होता है।

उत्तर 2.
(क) प्रस्तुत काव्यांश के अनुसार, गलत राह पर चल रहे व्यक्ति को प्रेम, अपनापन, सहानुभूति आदि से भरे व्यवहार द्वारा समझाकर सही मार्ग पर लाया जा सकता है।

(ख) कवि की धारणा है कि प्यार में वह शक्ति होती है, जो किसी भी प्रकृति के व्यक्ति को उचित एवं अभीष्ट मार्ग पर ले आए। इसके माध्यम से संसार की सभी बुराइयों को दूर तथा अच्छाइयों का प्रतिस्थापन किया जा सकता है।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में काव्य-पंक्ति “हर एक धृष्टता के कपोल आँसू से गीले होते हैं” का आशय यह है कि चाहे कोई व्यक्ति कितना भी बुरा या दुष्ट क्यों न हो, उसके अंदर भी एक हृदय होता है, जो भावनाओं से भरा होता है।

(घ) प्रस्तुत काव्यांश में स्पष्ट किया गया है कि अंतर का स्नेह बाँटने से व्यक्ति का स्थान और अधिक ऊँचा हो जाता है, इससे व्यक्ति का जीवन पूर्व की अपेक्षा अधिक सहज एवं लोक कल्याणकारी बन जाता है।

(ङ) प्रस्तुत काव्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि प्रेम या स्नेह का लोगों के बीच अधिक-से-अधिक संचार करना चाहिए। मानव समाज की विशिष्टता उसकी मानवीयता में ही निहित है। इन मानवीय गुणों का मूल मानव के अंदर व्याप्त प्रेम की भावना है, जो सभी में मौजूद है।

उत्तर 3.

(क) आपदा प्रबंधन

आपदा से निपटने की तैयारी आपदा प्रबंधन कहलाती है। आपदा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जीवन का सामान्य कर्म बिगड़ जाता है। और मनुष्य एवं पर्यावरण के बचाव हेतु तत्काल बड़े स्तर पर सहायता आवश्यक होती है। आपदाएँ प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित दोनों ही प्रकार की होती हैं।

प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न आपदाएँ ‘प्राकृतिक आपदा’ की श्रेणी में आती हैं; जैसे-आँधी, तूफ़ान, चक्रवात, भूस्खलन, बाढ़, भूकंप आदि। इसी प्रकार मानवीय क्रियाकलापों द्वारा जनित आपदा मानव-निर्मित या मानव-जनित आपदा कहलाती है। ऐसी आपदाएँ प्रायः असावधानी अथवा अज्ञानता के कारण घटती हैं। उदाहरण के लिए; आग लगना, हानिकारक रसायन का रिसाव होना आदि। भोपाल-गैस दुर्घटना मानवीय आपदा का सबसे बड़ा उदाहरण है। आपदाओं से बहुत-सी हानियाँ होती हैं, जिन्हें तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है-प्रत्यक्ष प्रभाव, अप्रत्यक्ष प्रभाव तथा गौण प्रभाव। इसके मुख्य चरण हैं-पूर्व में ही बचाव योजना बनाना, प्रबंधन करना, विभिन्न संस्थाओं के मध्य तालमेल स्थापित करना तथा आपदा के समय प्रभावी ढंग से बचाव प्रक्रिया को अंजाम देना।

आपदा के बाद पुनर्वास के लिए काम करना भी आपदा प्रबंधन विभाग का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। आपदा प्रबंधन प्रणाली आपदा को घटने से रोक तो नहीं सकती, लेकिन आपदा आने से पूर्व लोगों को जागरूक करके तथा राहत कार्यों को सही समय पर क्रियान्वित करके आपदा के कारण होने वाले दुष्प्रभावों एवं हानि को कम ज़रूर कर सकती है। इसलिए आपदा प्रबंधन महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक है। निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि आपदा प्रबंधन के कारण हम विभिन्न आपदाओं का डटकर सामना कर सकेंगे तथा उनके दुष्प्रभावों से बच सकेंगे। इससे देश को आगे बढ़ने में निश्चित रूप से सहायता मिलेगी।

(ख) ओज़ोन रण का प्राणी-जुगत पर प्रभाव

ओज़ोन गैस के आवरण को ‘पृथ्वी का रक्षा कवच’ कहा जाता है। ओज़ोन गैस पृथ्वी के चारों ओर समतापमंडल में १५ से ३५ किमी के बीच विद्यमान है। ओज़ोन परत, ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनती है। यह पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की ख़तरनाक पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है। सूर्य की ये पराबैंगनी किरणें प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। इस प्रकार ओज़ोन परत पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान यह पाया गया है कि ओज़ोन परत का क्षरण तीव्र गति से हो रहा है। ओज़ोन परत के क्षय के कई कारण हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण है औद्योगीकरण| औद्योगीकरण ने। वातावरण को अत्यंत प्रदूषित कर दिया है, जिससे पर्यावरण में ऐसे तत्त्वों की वृद्धि हुई है, जो ओज़ोन परत के लिए अत्यधिक हानिकारक हैं।

ओज़ोन परत के क्षरण के कई घातक परिणाम सामने आ रहे हैं। यदि इसका क्षय समय रहते नहीं रोका गया, तो इसके और भी घातक परिणामों के सामने आने की आशंका है। इसके कारण पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की पराबैंगनी किरणों की मात्रा बढ़ जाएगी, जिससे समस्त प्राणी जगत को हानि पहुँचेगी। ओज़ोन परत की अनुपस्थिति में जीव-जंतुओं तथा मनुष्यों को त्वचा संबंधी अनेक प्रकार के गंभीर तथा जानलेवा रोगों का सामना करना पड़ेगा, पेड़-पौधों का विकास बाधित होगा, पृथ्वी के तापमान में अत्यधिक वृद्धि होगी, परिणामतः पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा और जीवन संकट में पड़ जाएगा। ओज़ोन परत का संरक्षण करना अति आवश्यक है। हमें समय रहते ओजोन परत का क्षय रोकने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे और ओजोन परत के क्षरण के भावी खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा।

(ग) अफलता के लिए शिष्टाचार आवश्यक

‘शिष्ट’ और ‘आचार’ शब्द के मेल से बना ‘शिष्टाचार’ शब्द हमारे जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका अभिप्राय सभ्य एवं उचित व्यवहार करने से है। यह सर्वमान्य है कि किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत के साथ-साथ शिष्ट व्यवहार का होना भी आवश्यक है। कहा जाता है कि व्यक्ति का आचरण जैसा होगा, उसी के अनुकूल उसे परिणाम भी प्राप्त होगा। अपने सद् आचरण एवं व्यवहार कुशलता के कारण कम योग्यता वाला व्यक्ति भी तेज़ी से सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ सकता है और कोई अधिक योग्यता वाला व्यक्ति भी उचित व्यवहार के अभाव में जीवनभर असफल ही रह सकता है।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इस कारण उसके लिए शिष्टाचार का महत्त्व एवं उसकी आवश्यकता और भी अधिक बढ़ जाती है। शिष्टाचार व्यक्ति को अनुशासन की प्रेरणा देता है। अनुशासन के बिना समाज में अराजकता तथा अव्यवस्था का फैलना स्वाभाविक है। अतः हमें सार्वजनिक स्थलों पर शिष्टाचार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जहाँ एक ओर शिष्टाचार हमारे व्यक्तित्व में चार चाँद लगा देता है, वहीं दूसरी ओर अशिष्ट आचरण हमारे लिए अनेक बाधाएँ तथा कठिनाइयाँ उत्पन्न करने के साथ हमारी सामाजिक गरिमा को नष्ट कर देता है। शिष्टाचार-रहित व्यवहार तथा आचरण, लड़ाई-झगड़े, युद्ध तथा गलतफ़हमी आदि के कारण बनते हैं।

जीवन में सफलता हेतु आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में शिष्टाचार का पालन करे और आने वाली पीढ़ी को भी शिष्टाचार का पाठ पढ़ाए। शिष्टाचार के अभाव में अनुशासन भी नहीं रह पाता और अनुशासन के अभाव में समाज में कई प्रकार की बुराइयाँ अपनी जड़ें मज़बूत कर लेती हैं। अतः हमें स्वयं तथा सामाजिक हित के लिए शिष्टाचार के गुण को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि शिष्टाचार जीवन में सफलता का निर्णायक मापदंड है।

(घ) ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता चलन

ऑनलाइन शॉपिंग का अर्थ है इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे विभिन्न प्रकार के उत्पादों को खरीदना| ऑनलाइन शॉपिंग से आप घर बैठे मनचाही वस्तु मँगा सकते हैं और अच्छी बात यह है कि आप वस्तु की कीमत अदा, अपनी ऑर्डर की हुई वस्तु के मिल जाने पर कर सकते हैं। देखा जाए तो ऑनलाइन शॉपिंग समय की बचत करने का एक असरदार तरीका है। हमारे देश में फ्लिपकार्ट, अमेज़न, ईबे डॉट इन, स्नैप डील डॉट कॉम, होम शॉप आदि कंपनियाँ ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं। विशेषकर महानगरों में लोगों को घर बैठे ऑनलाइन चीजें पसंद करना एवं उन्हें मँगाना सुविधाजनक लगने लगा है। आने वाले समय में इसका दायरा किस तरह बढ़ेगा, इसकी आहट बाजार में दिखने लगी है।

ऑनलाइन शॉपिंग के तेज़ी से बढ़ते प्रचलन से पता चलता है कि उपभोक्ताओं की मानसिकता एवं खरीदारी का तरीका तेज़ी से बदल रहा है। पारंपरिक बाज़ारों में खरीदारी की तुलना में ऑनलाइन शॉपिंग का प्रचलन बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं।

  • होम डिलीवरी ऑनलाइन शॉपिंग का एक अन्य प्रमुख आकर्षण होम डिलीवरी है। लोगों को उत्पाद खरीदकर लाने में मेहनत नहीं करनी पड़ती और न ही इसके लिए कोई विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है।
  • उत्पाद चयन हेतु पर्याप्त विकल्प ऑनलाइन शॉपिंग की एक अन्य प्रमुख खूबी यह है कि इसमें खरीदारी के लिए उत्पाद के विभिन्न विकल्प मौजूद रहते हैं, जिनकी सभी विशेषताओं को सही ढंग से जानकर अपनी आवश्यकता के अनुसार उनमें से किसी वस्तु का चयन किया जा सकता है।
  • कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा ऑनलाइन शॉपिंग में कैश ऑन डिलीवरी अर्थात् उत्पाद प्राप्त होने पर पैसा देना होता है।
  • किस्तों पर खरीदारी की सुविधा ऑनलाइन शॉपिंग में अनेक रिटेलर्स द्वारा लोगों को किस्तों पर खरीदारी करने की सुविधा भी प्रदान की जाती है, जिससे उपभोक्ता की जेब पर एक साथ बोझ नहीं पड़ता।
  • विभिन्न प्रकार के आकर्षक प्रस्ताव ऑनलाइन शॉपिंग में कई तरह के ऑफर्स (प्रस्ताव) भी दिए जाते हैं। एक उत्पाद खरीदने पर दूसरा मुफ़्त या उत्पाद के मूल्य पर अतिरिक्त छूट, जैसे लाभ भी उपभोक्ताओं को ऑनलाइन शॉपिंग के लिए आकर्षित करते हैं।

हालाँकि इंटरनेट की दुनिया में धोखाधड़ी और जालसाजी की घटनाएँ भी कम नहीं होतीं। अतः हमें सतर्कतापूर्वक ऑनलाइन शॉपिंग करनी चाहिए और विश्वस्त कंपनियों की ही सेवा प्राप्त करनी चाहिए। इस तरह, आप निश्चय ही ऑनलाइन शॉपिंग को ‘ऑफलाइन शॉपिंग’ से बेहतर पाएँगे।

उत्तर 4.

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 12 सितंबर, 20××

सेवा में,
संपादक महोदय,

हिंदुस्तान टाइम्स,
नई दिल्ली।

विषय भारत में घटते लिंगानुपात के संबंध में।

महोदय,

मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से भारत में घटते लिंगानुपात के संबंध में लोगों का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। आज भारत में लिंगानुपात तेज़ी से घट रहा है और कुछ राज्यों में तो यह खतरनाक स्थिति तक पहुँच गया है। घटते लिंगानुपात को सबसे महत्त्वपूर्ण कारण कन्या भ्रूण हत्या है, जिसे विकसित तकनीक का सहारा लेकर बड़ी आसानी से अंजाम दिया जा रहा है। कन्या भ्रूण-हत्या के पीछे सबसे बड़ी वज़ह सामान्य भारतीयों में पुत्र-प्राप्ति की लालसा है। पढ़े-लिखे समाजों में भी यह आकांक्षा उसी स्तर पर है, जो अशिक्षित समाजों में व्याप्त है। कन्या भ्रूण हत्या के पीछे आर्थिक निर्धनता एवं अशिक्षा भी प्रमुख वज़ह मानी जाती हैं।

वास्तव में, यह प्रवृत्ति हमारे कुत्सित विचारों एवं संकीर्ण मान्यताओं के कारण फल-फूल रही है। लड़कों की तुलना में हम लड़कियों को हीन मानते हैं तथा भविष्य के लिए लड़कियों को बोझ समझते हैं। यदि इस तरह की मानसिक विकृतियों को समय रहते रोका नहीं गया, तो समाज को इससे उत्पन्न प्रभाव का सामना करना पड़ेगा।

इस कुप्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार को सख्ती से कदम उठाने चाहिए तथा जनसामान्य को भी सक्रिय रूप से आगे आना चाहिए। लिंग संबंधी किसी भी तरह के परीक्षण पर तत्काल सख्ती से पूर्णतः रोक लगानी चाहिए तथा जनसामान्य के बीच शिक्षा का अधिक-से-अधिक प्रसार करना चाहिए। कन्या वर्ग को शिक्षा, नौकरी, अनुदान आदि क्षेत्रों में विशेष सुविधाएँ देनी चाहिए तथा लोगों के बीच इस संबंध में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए, जिससे पुरुषों और महिलाओं के बीच के इस अंतर को कम किया जा सके।

आशा है कि जनहित में आप इसे प्रकाशित करने की कृपा करेंगे।
सधन्यवाद।

भवदीय
क.ख.ग.

अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 19 सितंबर, 20××

सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
बहादुर शाह जफ़र मार्ग, नई दिल्ली।

विषय संवाददाता पद के आवेदन हेतु।

महोदय,

आपके समाचार-पत्र के संवाददाता विभाग ने संवाददाता की नियुक्ति हेतु आवेदन-पत्र आमंत्रित किए हैं। मैं भी इस पद के लिए अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मेरा विवरण इस प्रकार है।

नाम सुंदर श्याम
पिता का नाम श्री मनोहर कृष्ण
जन्मतिथि 17 मई, 19××

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 3 2

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपने कार्य को पूरी योग्यता, ईमानदारी एवं निष्ठा से करूंगा। आशा है कि आप मुझे सेवा करने का अवसर प्रदान कर कृतार्थ करेंगे।

सधन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.

उत्तर 5.
(क) किसी क्षेत्र विशेष की गहन जानकारी देना और विश्लेषण करना विशेषीकृत पत्रकारिता कहलाती है। पत्रकारिता में विषय के अनुसार विशेषता के सात क्षेत्र हैं–संसदीय पत्रकारिता, न्यायालय पत्रकारिता, आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, विज्ञान और विकास पत्रकारिता, अपराध पत्रकारिता, फैशन तथा फ़िल्म पत्रकारिता।

(ख) भारत में हिंदी पत्रकारिता दिवस प्रतिवर्ष 30 मई को मनाया जाता है, क्योंकि इसी तारीख को सन् 1826 में पंडित जुगल किशोर शुक्ला ने देश का पहला हिंदी समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तंड’ प्रकाशित किया था। प्रत्येक मंगलवार को छपकर आने वाले इस साप्ताहिक समाचार-पत्र का प्रकाशन कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) से किया गया था।

(ग) संपादकीय किसी समाचार-पत्र की विचारधारा का संवाहक होता है। यह व्यक्ति विशेष के दृष्टिकोण को प्रस्तुत न करके, उस समाचार-पत्र या समूह के दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता है। यही कारण है कि संपादकीय में प्रायः लेखक का नाम नहीं दिया जाता है।

(घ) लोकतंत्र में पत्रकारिता का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है। सरकार के कामकाज की गड़बड़ियों का पर्दाफ़ाश करना ही ‘वॉचडॉग पत्रकारिता’ कहलाती है। सरकारी अनियमितताओं एवं अव्यवस्थाओं को जनता के बीच ले जाने के माध्यम से यह सरकार पर नियंत्रण रखती है। इससे लोकतंत्र की व्यवस्था एवं मर्यादा बनी रहती है।

(ङ) जब व्यक्तियों के समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद की अपेक्षा किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम से संवाद स्थापित करने की कोशिश की जाती है तथा इसकी पहुँच व्यापक स्तर पर होती है, तो इसे जनसंचार माध्यम कहा जाता है; जैसे-रेडियो, दूरदर्शन, समाचार-पत्र, इंटरनेट आदि।

उत्तर 6.

भारत में बाल मजदूरी

‘बाल मज़दूरी’ से तात्पर्य ऐसी मज़दूरी से है, जिसके अंतर्गत 5 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चे किसी संस्थान में कार्य करते हैं। जिस आयु में उन बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए, उस आयु में वे किसी दुकान, रेस्टोरेंट पटाखे की फैक्ट्री, हीरे तराशने की फैक्ट्री, शीशे का सामान बनाने वाली फैक्ट्री आदि में काम करते हैं। भारत जैसे विकासशील देश में बाल मज़दूरी के अनेक कारण हैं। अशिक्षित व्यक्ति शिक्षा का महत्त्व न समझ पाने के कारण अपने बच्चों को मज़दूरी करने के लिए भेज देते हैं। जनसंख्या वृद्धि बाल मज़दूरी का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। निर्धन परिवार के सदस्य पेट भरने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को काम पर भेज देते हैं। भारत में बाल मज़दूरी को गंभीरता से नहीं लिए जाने के कारण इसे प्रोत्साहन मिलता है। देश में कार्य कर रही सरकारी, गैर-सरकारी और निजी संस्थाओं की बाल मजदूरी को दूर करने में गंभीर रुचि की कमी है। बाल मज़दूरी की समस्या का समाधान करने के लिए सरकार कड़े कानून बना सकती है। समाज के निर्धन वर्ग को शिक्षा प्रदान करके बाल मज़दूरी को प्रतिबंधित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके भी बाल मज़दूरी को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसी संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, जो बाल मज़दूरी का विरोध करती हैं या बाल मज़दूरी करने वाले बच्चों के लिए शिक्षा से जुड़े कार्यक्रम चलाती हैं।

अथवा

प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ. राही मासूम रज़ा के उपन्यास ‘आधा गाँव’ की समीक्षा

हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ. राही मासूम रज़ा द्वारा लिखित उपन्यास ‘आधा गाँव’ पहली बार वर्ष 1966 में प्रकाशित हुआ। यह उपन्यास हिंदी के कथा-साहित्य के क्षेत्र में मील का पत्थर’ है। यह एक समर्थ आँचलिक उपन्यास है।

‘आधा गाँव’ उपन्यास को परंपरागत औपन्यासिक ढाँचे को तोड़ने वाला उपन्यास कहा गया है। उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले के अँचल गंगोली के शिया मुसलमानों के जीवन को अनेक विसंगतियों के बीच इस उपन्यास में चित्रित किया गया है। उपन्यासकार इस अँचल को एक ऊँघते परिवेश में चित्रित करता है, जो इतिहास से बेख़बर है और जिसमें भविष्य की कोई कल्पना नहीं। उपन्यास में ही लेखक की ओर से कहा गया है कि वह जो कहानी कह रहा है, वह जितनी सच्ची है, उतनी ही झूठी भी, क्योंकि यह बनी-बनाई कहानी नहीं है, बल्कि सचमुच जीने योग्य कहानी है-”यह उम्रों के हेर-फेर में फँसे हुए सपनों और हौसलों की कहानी है। यह कहानी उन खंडहरों की है, जहाँ कभी मकान थे और यह कहानी उन मकानों की है, जो खंडहरों पर बनाए गए हैं।”

उपन्यास के अंतर्गत विभिन्न रोचक शीर्षकों में राही मासूम रज़ा एक आँचलिक परिवेश बुनते हैं, जैसे-मियाँ लोग, ताना-बाना, नमक गाथा, प्यास-तन्हाई आदि। लेखक इस उपन्यास में शिया मुसलमानों के घरों की अंतरंग जिंदगी और संबंधों में प्रवेश करता है। उपन्यास की भाषा का ठेठपन इसका सर्वाधिक विशिष्ट आकर्षण है तथा सीधे-सच्चे मनुष्यों की ज़बान से निकली गालियों ने भी आँचलिक परिवेश को और अधिक मुखर कर दिया है।

भारतीय समाज के ग्रामीण परिवेश का ताना-बाना तथा हिंदू-मुस्लिम संबंधों की गहराई को समुचित ढंग से समझने तथा तार्किक मूल्यांकन करने के लिए सभी के द्वारा यह उपन्यास पढ़े जाने योग्य है।

उत्तर 7.

आधुनिक समय की गंभीर समस्या : ई-कचरा

इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट अर्थात् ई-कचरा आधुनिक समय की एक गंभीर समस्या है। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफ़ी काम हो रहा है। इसके फलस्वरूप, आज नित नए-नए उन्नत तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उत्पादन हो रहा है। जैसे ही बाज़ार में उन्नत तकनीक वाला उत्पाद आता है, वैसे ही पुराने यंत्र बेकार पड़ जाते हैं। इसी का नतीजा है कि आज कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फ़ोन, टीवी, रेडियो, प्रिंटर, आई-पोड्स आदि के रूप में ई-कचरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार एक वर्ष में पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न होता है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि ई-कचरे का निपटान उस दर से नहीं हो पा रहा है, जितनी तेज़ी से यह पैदा हो रहा है। बहुत कम मात्रा में ही ई-कचरे का निपटान हो पाता है। शेष कचरा या तो लैंडफिल साइट्स में डाल दिया जाता है या खुले में जला दिया जाता है। इससे पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों में आर्सेनिक, कोबाल्ट, मरकरी, बेरियम, लिथियम, कॉपर, क्रोम, लेड आदि हानिकारक अवयव होते हैं। इन्हें खुले में जलाना या मिट्टी में दबाना अत्यंत खतरनाक हो सकता है। इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है।

अब समय आ गया है कि ई-कचरे के उचित निपटान और पुनः चक्रण पर ध्यान दिया जाए अन्यथा पूरी दुनिया शीघ्र ही ई-कचरे का ढेर बन जाएगी। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा और विकासशील देशों के साथ अपनी तकनीकों को साझा करना होगा, क्योंकि विकसित देशों में ही ई-कचरे का उत्पादन अधिक होता है और वे जब-तब चोरी-छिपे विकासशील देशों में उसे भेजते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एक होना होगा।

अथवा

समाचार-पत्र का महत्त्व

हमारा समाज परिवर्तनशील समाज है। समय के साथ-साथ समाज में भी परिवर्तन होता रहता है। विभिन्न परिवर्तनों की सूचना देना और हमारी ख़बर लेने का सबसे सरल और सस्ता माध्यम समाचार-पत्र है। आज प्रत्येक पढ़ा-लिखा व्यक्ति समाचार-पत्र पढ़ता है। उसे सुबह उठते ही समाचार-पत्र पढ़ने की आदत होती है और विश्वभर में फैले संवाददाता एवं संवाद एजेंसियाँ समाचार एकत्र करके समाचार-पत्रों के कार्यालयों में भिजवाती हैं। फिर संपादक इनका संपादन करके प्रकाशन योग्य बनाते हैं। समाचार-पत्र को प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। समाचार-पत्र लोगों को जागरूक बनाने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाने का सशक्त माध्यम है। सरकारी घपलों का पर्दाफ़ाश करने और सरकार के क्रियाकलापों का कच्चा चिट्ठा खोलने में भी उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण रहती है। हमें घर बैठे ही समाचार-पत्रों से विश्वभर की जानकारी मिल जाती है। जानकारी के अतिरिक्त और बहुत कुछ समाचार-पत्रों में होता है; जैसे-ज्ञानवर्द्धक लेख, संपादकीय लेख, अन्य विद्वानों द्वारा लिखे गए लेख आदि। समसामयिक विषयों पर अनेक प्रासंगिक चर्चा भी इनमें मौजूद रहती है। इसके अलावा इसमें मनोरंजन सामग्री भी प्रकाशित होती है, जिसमें कहानियाँ, चुटकुले, कविताएँ आदि शामिल रहते हैं।

उत्तर 8.
(क) ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ से कवि का आशय है कि बादल जल के रूप में जो विप्लव अर्थात् हलचल उत्पन्न करते हैं, उससे छोटे पौधे अर्थात् समाज के निम्न वर्ग के लोग सर्वाधिक लाभान्वित होते हैं। विप्लव का दूसरा अर्थ क्रांति से है। कवि का अभिप्राय यह है कि समाज का शोषित, दमित एवं वंचित वर्ग ही सामाजिक एवं राजनीतिक क्रांति का सूत्रधार बनता है तथा उसके लाभों से सबसे अधिक वही जुड़ता है अर्थात् उसे ही सर्वाधिक लाभ होता है।

(ख) अट्टालिकाओं को ‘आतंक-भवन’ इसलिए कहा गया है, क्योंकि अट्टालिकाओं को धनी एवं शोषक वर्ग के निवासस्थान के रूप में चित्रित किया गया है। कवि का मानना है कि इन अट्टालिकाओं में उन शोषक वर्गों का निवास है, जिन्होंने अपने धन एवं सामर्थ्य के बल पर समाज के अधिकांश शोषितों का शोषण करके इस समाज में अपना आतंक कायम किया है।

(ग) काव्यांश में कवि यह स्पष्ट करना चाहता है कि समाज में होने वाली प्रत्येक क्रांति से सबसे अधिक निम्न वर्ग ही प्रभावित होता है। शोषक वर्ग अपनी अट्टालिकाओं (ऊँचे भवनों) में क्रांति से उत्पन्न भय के आवेश में रहता है, फिर भी उस पर क्रांति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(घ) प्रस्तुत काव्यांश के अनुसार, प्रकृति बादलों को प्रसन्नतापूर्वक हाथ हिला-हिलाकर बुलाती है। वस्तुतः बादलों के बरसने से पहले चलने वाली हवा से छोटे पौधे एवं फ़सलें हँसते एवं लहराते जैसे दिखाई पड़ रहे हैं। कवि कहता है कि प्रकृति बादलों को इसलिए बुलाती है, क्योंकि ये बादल ही वर्षा लाकर किसान की पीड़ा को दूर कर सकते हैं तथा समाज में क्रांति का बिगुल बजा सकते हैं।

अथवा

(क) प्रस्तुत काव्य-पंक्ति ‘बात की चूड़ी मर गई’ एक मुहावरेदार प्रयोग है। कवि कहना चाहता है कि अभिव्यक्ति या काव्य के लिए उचित एवं सरल भाषा का चुनाव न कर पाने की स्थिति में उसका कोई महत्व नहीं रह जाता। वह निरर्थक एवं प्रभावहीन हो जाती है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब हम अपनी कोई बात ज़बरदस्ती कहना या थोपना चाहते हैं, तो वह अपना प्रभाव खो देती है।

(ख) भाषा को ‘कील की तरह ठोकने’ से कवि का अभिप्राय यह है कि अभिव्यक्ति के लिए उचित शब्द या माध्यम न मिल पाने की स्थिति में कवि ने अपनी बात को उलझी हुई स्थिति में ही छोड़ दिया। उसकी अस्पष्टता यथावत् बनी रही। उसकी कसावट समाप्त हो जाने से उसका प्रभाव क्षीण हो गया, हालाँकि बाह्य सुंदरता वैसी ही बनी रही।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने कथ्य या अभिव्यक्ति के संदर्भ में यह स्पष्ट करना चाहा है कि भाषा में अंदर से कसावट एवं ताकत न होने का अर्थ अभिव्यक्ति या कथ्य की निरर्थकता एवं निरुद्देश्यता है। भावों के स्पष्ट न होने पर कोई भी बात महत्त्वहीन होकर केवल शब्दाडंबर या शब्दों का जाल बनकर रह जाती है। उसकी प्रभावकारी क्षमता समाप्त हो जाती है।

(घ) प्रस्तुत काव्यांश के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भाषा के साथ सावधानी बरतते हुए स्वाभाविक रूप से उसका व्यवहार करना चाहिए अर्थात् परिस्थितियों एवं संदर्भो के अनुरूप सोच-समझकर सदा सार्थक शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए। निरर्थक एवं अप्रासंगिक शब्दों का प्रयोग भाषा को प्रभावहीन बना देता है।

उत्तर 9.
(क) प्रस्तुत काव्यांश में प्रातःकाल की तुलना खरगोश की लाल आँखों से की गई है, क्योंकि शरद् ऋतु का प्रातःकालीन सूर्य चमकीला लाल होता है और खरगोश की लाल आँखों जैसा प्रतीत होता है। कवि ने यहाँ प्रातःकाल का चित्रण करने के लिए दृश्य बिंब का सहारा लिया है, जो अत्यंत प्रासंगिक एवं अर्थपूर्ण है।

(ख) काव्यांश में बिंब योजना अत्यंत नवीन एवं आकर्षक है। इसमें दृश्य एवं श्रव्य बिंबों का प्रयोग किया गया है। कवि ने एक ओर शरद् ऋतु के सवेरे की तुलना खरगोश की चमकीली लाल आँखों से करते हुए दृश्य बिंब प्रस्तुत किया है, तो दूसरी ओर श्रव्य बिंब का प्रयोग करते हुए कहा है कि शरद् का सवेरा ऐसा प्रतीत होता है, जैसे कोई अपनी चमकीली साइकिल को तेज़ गति से चलाते हुए घंटी बजाकर शोर मचाते हुए लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में शरद् ऋतु का मानवीकरण विभिन्न बिंबों के माध्यम से किया गया है। खरगोश की लाल आँखों जैसा सवेरा, चमकीली साइकिल की घंटी बजाते हुए तेज़ गति से शरद् ऋतु के सवेरे का आना आदि में मानवीकरण अलंकार मौजूद है, क्योंकि यहाँ निर्जीव शरद् ऋतु के सवेरे पर विभिन्न मानवीय गतिविधियों का आरोपण किया गया है।

अथवा

(क) प्रस्तुत काव्यांश में बच्चे द्वारा चाँद माँगने के लिए की जाने वाली सहज चेष्टा एवं बाल-सुलभ हठ का भावपूर्ण चित्रण हुआ है। बच्चे को मनाने के क्रम में माँ द्वारा दर्पण में चाँद दिखलाना अत्यंत स्वाभाविक है, जिसका प्रयोग वर्षों से अनेक माताएँ अपने बच्चे को बहलाने के लिए करती आईं हैं। अक्सर माताएँ अपने अबोध शिशुओं के हठ को इसी प्रकार के उपायों से शांत करती हैं। काव्यांश में वात्स्लय रस है।

(ख) काव्यांश की भाषा सरल, सुबोध एवं आकर्षक है, जिसमें सजीवता का गुण भी मौजूद है। उर्दू-हिंदी मिश्रित लोकभाषा अर्थात् स्थानीय बोली के अनेक शब्दों का प्रयोग किया गया है; जैसे-ज़िदयाया, हई, देके, पै आदि। चित्रात्मक शैली एवं बिंब प्रधान भाषा अपनी स्वाभाविकता के कारण अत्यंत आकर्षक बन पड़ी है।

यह काव्यांश उर्दू एवं फ़ारसी के एक छंद ‘रुबाई’ में लिखा गया है। इस छंद में चार पंक्तियाँ होती हैं, जिसकी पहली, दूसरी एवं चौथी पंक्ति में तुक मिलाया जाता है, जबकि तीसरी पंक्ति स्वच्छंद होती है।

(ग) काव्यांश में प्रयुक्त काव्य-पंक्ति ‘देख आईने में चाँद उतर आया है’ में एक सरल एवं सहज माँ की स्वाभाविक सूझ-बूझ की प्रवृत्ति की झलक मिलती है। बालक द्वारा चाँद लेने की ज़िद करने पर माँ आईने में उसे चाँद की परछाईं दिखाती है। इस पूरे उपक्रम में ग्रामीण संस्कृति एवं ग्रामीण स्त्रियों की रचनात्मक काल्पनिकता मुखरित हो उठी है।

उत्तर 10.
(क) ‘आत्म परिचय’ कविता की प्रथम पंक्ति में कवि कहता है-”मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ”, जबकि आगे की पंक्तियों में उसका कथन है-”मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ।” वस्तुतः ये दोनों पंक्तियाँ परस्पर विरोधाभासी लगती हैं, जो इस बात का परिचायक है कि संसार से हमारा रिश्ता दो विरोधी प्रवृत्तियों-प्रीति एवं कलह से एक समान है। संसार का भार हमारे मन-मस्तिष्क पर निश्चित रूप से पड़ता है। यह दुनिया अपने व्यंग्य-बाणों, तौर-तरीकों एवं शासन-प्रशासन से मनुष्य को चाहे जितना भी कष्ट दे, किंतु मनुष्य इससे पूरी तरह कटकर रह ही नहीं सकता, क्योंकि इस दुनिया से ही, इस समाज से ही मनुष्य का अस्तित्व है। यही हमारा उत्स एवं हमारी अस्मिता है। कवि सांसारिकता की प्रवृत्तियों से उभरे कष्ट के बाद मुक्ति की आकांक्षा पालता है। संसार के प्रति आसक्ति का अभाव और संसार के निवासियों के प्रति प्यार ही इन पंक्तियों का आशय है।

(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता संवेदनहीन सूचना प्रसारण तंत्र पर एक गहरा व्यंग्य है। सामाजिक कार्यक्रम के नाम पर किसी अपाहिज की पीड़ा को जनसंचार माध्यमों के द्वारा आमजनों तक पहुँचाने वाला व्यक्ति उसके दुःख-दर्द को बेचने का काम करता है। उसे न तो अपाहिजों के प्रति वास्तविक संवेदना है और न उनके मान-सम्मान के प्रति चिंता। उसका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना है। उसके द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न बेहद अपमानजनक होते हैं। जो प्रसारण तंत्र की संवेदनहीनता को ही उजागर करते हैं। वास्तव में, मीडिया (दूरदर्शन) द्वारा एक अपाहिज व्यक्ति का साक्षात्कार लेने का उद्देश्य सामाजिक कार्यक्रम के नाम पर व्यक्ति की दीनता एवं बेबसी को बेचकर अपने दर्शकों की संख्या में वृद्धि करके पैसा कमाना है।

(ग) प्रस्तुत काव्य पंक्ति के माध्यम से तुलसीदास जी ने भक्ति की रचनात्मक भूमिका को स्पष्ट करते हुए राम की भक्ति के बल पर जाति-पाँति एवं धर्म के आडंबरों का खंडन करने का साहस दिखाया है। रामभक्त तुलसी अपने युग की विषमताओं से डरते नहीं हैं, क्योंकि वे रामभक्ति में आकंठ डूबे हुए हैं। अतः वे स्वाभिमान एवं निडरता का परिचय देते हुए कहते हैं कि मुझे अपना संसार बिगड़ने का कोई भय नहीं है और न ही मुझे किसी से धन, संपत्ति या आश्रय पाने की चाह है। मैं तो लोगों से माँगकर खाने में ही संतुष्ट हूँ। मुझे मस्जिद में सोने से भी कोई परहेज़ नहीं है। मैं तो राम के भरोसे निश्चित हूँ। यहाँ तुलसीदास ने पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं का ज़ोरदार खंडन तथा मस्जिद में सोने की बात कहकर धार्मिक संकीर्णताओं की धज्जियाँ उड़ा दी हैं।

उत्तर 11.
(क) भारतीय कला के बारे में लेखक का मानना है कि भारतीय कला को सौंदर्यशास्त्र एवं कई रसों की अच्छी समझ व उन पर अच्छी पकड़ है, जिसका प्रमाण अनेक स्थानों पर प्राप्त होता है। भारतीय कलाकृतियों का सौंदर्यशास्त्र के विभिन्न प्रतिमानों पर खरा उतरना तथा उनमें विभिन्न रसों का पाया जाना श्रेष्ठता का सूचक है, किंतु भारतीय कला में करुणा और हास्य की एक साथ प्रस्तुति नहीं मिलती अर्थात् करुणा और हास्य को एक-दूसरे में परिवर्तित नहीं किया जाता।

(ख) भारतीय साहित्य के संस्कृत नाटकों में हास्य अभिनेता को ‘विदूषक’ कहा जाता है। यह राजा का अत्यंत विश्वस्त पात्र होता है, जो अपने वाक्चातुर्य से राजा एवं दरबारियों का मनोरंजन करता है। यह अपने पेटूपन या बेतुकी बातों के माध्यम से लोगों के दिलों में हास्य की भावना उत्पन्न करके उनका स्वस्थ मनोरंजन करता है।

(ग) भारतीय संस्कृति में करुणा का हास्य में बदले जाने एवं स्वयं पर हँसने वाली परंपरा सामान्यतः दिखाई नहीं देती। हमारे समाज में दूसरों पर तो हँसा जाता है, लेकिन स्वयं को हँसी का पात्र नहीं बनाया जाता। प्रसिद्ध प्राचीन भारतीय महाकाव्यों-रामायण एवं महाभारत में भी दूसरों पर हँसने की परंपरा है, स्वयं पर नहीं।

(घ) भारतीय साहित्य में करुणा व हास्य के सामंजस्य का अभाव दिखता है। इनकी रचना लोकमंगल हेतु की जाती है, जहाँ पाठक को आनंद प्रदान करना उद्देश्य तो है, लेकिन वह पारलौकिक या चित्त शांति का आनंद प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त जहाँ थोड़ा-बहुत हास्य है भी, वह स्वयं से संबंधित न होकर दूसरों पर हँसने से संबंधित है। भारतीय साहित्य करुणा को हास्य में बदलने के आनंद से वंचित है।

उत्तर 12.
(क) ‘लक्ष्मी’ का जीवन दुःखों से भरा था। जब वह केवल 36 वर्ष की थी, तभी वह विधवा हो गई थी। पति की मृत्यु के उपरांत उसके ससुराल वाले उसकी संपत्ति हड़पना चाहते थे, इसलिए वे उसकी दूसरी शादी के लिए ज़ोर देने लगे, परंतु लक्ष्मी ने ऐसा करने से स्पष्ट इनकार कर दिया। उसने अपने बड़े दामाद को घरजमाई बनाकर रखा, परंतु वह भी शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो गया। अपने घर में धन का अभाव रहने के कारण वह एक बार लगान भी समय पर न चुका पाई, जिसके कारण उसे धूप में खड़े रहने की सज़ा मिली। इस अपमान को सहन न कर सकने के कारण वह अपना गाँव छोड़कर शहर आ गई और लेखिका के यहाँ सेविका बन गई। उसकी वेशभूषा देखकर लेखिका ने उसका नाम ‘भक्तिन’ रख दिया। इस प्रकार, ‘लक्ष्मी’ के ‘भक्तिन’ बनने की प्रक्रिया यथार्थ में अत्यंत मर्मस्पर्शी है।

(ख) बाज़ार में सभी जाति, धर्म एवं लिंग के व्यक्ति आते हैं और वे अपनी-अपनी आवश्यकता के अनुसार, वस्तुएँ खरीदते हैं। बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता, वह सिर्फ ग्राहक की क्रय शक्ति को देखता है। बाज़ार में व्यक्ति की महत्ता उसकी क्रय शक्ति पर निर्भर करती है। विक्रेता उसी ग्राहक को महत्त्व देता है, जो अधिक खरीदारी करता है। इस दृष्टि से जाति-धर्म का भेद मिटाकर बाज़ार सामाजिक समरसता की रचना करता है। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि बाज़ार सभी प्रकार की असमानताओं को भूलकर सामाजिक समरसता को स्थापित करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(ग) ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में लेखक की जीजी इंदर सेना पर पानी फेंका जाना सही ठहराती है, जबकि लेखक अपनी जीजी की बात से बिलकुल भी सहमत नहीं दिखता।

लेखक की जीजी अपनी बात या विचार के पक्ष में निम्नलिखित तर्क देती हैं।

जब हम किसी से कुछ पाना चाहते हैं, तो हमें इसके लिए पहले चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। इसी उद्देश्य से हम पानी का अर्घ्य चढ़ाते हैं, क्योंकि जीवन में हम जिस चीज़ को पाना चाहते हैं, उसे पाने के लिए पहले अर्घ्य नहीं चढ़ाएँगे अर्थात् देंगे नहीं तो उसे पाएँगे कैसे?

  • मनुष्य को पहले त्याग करना चाहिए और फिर फल की आशा रखनी चाहिए। त्याग उसी वस्तु का मान्य होता है, जिसकी त्याग करने वाले को भी बहुत आवश्यकता होती है। पानी के संदर्भ में भी यही स्थिति है।
  • जीजी ने खेत में गेहूं की अच्छी फ़सल पाने के लिए अच्छे बीजों को डालने का तर्क देकर भी अपनी बात को सही ठहराया अर्थात् इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को सही बताया।

(घ) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ की ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में लेखक ने गाँव की उस चिरपरिचित अवस्था का भावपूर्ण चित्रण किया है, जिसमें गाँववासी अपनी भावनाओं से ही एक-दूसरे की सहायता कर पाते हैं, क्योंकि वे आर्थिक रूप से इतने समर्थ नहीं होते कि किसी की आर्थिक सहायता कर सकें। जब महामारी से विभिन्न घरों में एक-दो लाशें लगातार निकलनी शुरू हो गईं, तो वे मानसिक एवं आर्थिक रूप से इतने टूट गए कि कफ़न तक के लिए प्रबंध करना भी उनके लिए मुश्किल होने लगा। उन्हें कफ़न का इंतज़ाम करने के लिए सोचना पड़ रहा था।

यही कारण है कि गाँव वाले अपने पड़ोसियों को बिना कफ़न के ही लाशों को पानी में बहा देने की सलाह देने लगे, क्योंकि सभी की आर्थिक स्थिति अत्यधिक बदतर हो गई थी।

(ङ) ‘नमक’ कहानी स्पष्ट करती है कि राजनैतिक सीमा तथा सत्ता लोलुपता व मज़हबी दुराग्रहों में बँटे होने के बावजूद भारत और पाकिस्तान के नागरिकों के दिलों में विभाजन की भावना या किसी भी प्रकार का तनाव नहीं है। यह एक सच्चाई है कि सामान्य जनता धर्म या क्षेत्र के आधार पर विभाजन पसंद नहीं करती है। भारतीय सिख बीबी लाहौर का नमक, पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी दिल्ली की जामा मस्जिद तथा भारत के कस्टम अधिकारी ढाका के नारियल को अभी तक नहीं भूले हैं। वस्तुतः वे सब मिल-जुलकर रहना चाहते हैं, उनके दिलों में कोई भेदभाव नहीं है, लेकिन राजनीतिक चालों ने उनकी इच्छाओं का दमन कर दिया और वे उस राजनीतिक परिस्थिति के शिकार बन गए, जिसने गंगा-जमुनी संस्कृति को विभाजित कर दिया। यह विभाजन अभी तक दिलों पर हावी नहीं हो पाया है।

उत्तर 13.
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में स्थिति को ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लेना व अनिर्णय की स्थिति का द्वंद्व प्रारंभ से अंत तक बना रहता है। कहानी के मुख्य पात्र यशोधर बाबू एक साधारण व्यक्ति हैं, जिनके व्यक्तित्व पर किशन दा का अत्यधिक प्रभाव है। किशन दा ने ही यशोधर बाबू को जीवन के कठिन समय में सभी प्रकार से सहारा दिया था। यशोधर बाबू के मन एवं मस्तिष्क पर उनका इतना अधिक प्रभाव था कि वे किशन दा की तरह ही सोचते थे। वे भी संयुक्त परिवार को ही अच्छा मानते थे तथा अपने संबंधियों की सहायता करना अपना फ़र्ज समझते थे। उनके बच्चे पढ़-लिखकर अच्छा वेतन प्राप्त कर रहे थे, लेकिन यशोधर बाबू उनके कहने पर भी अपनी सादगी को नहीं छोड़ना चाहते थे। उनकी पत्नी चाहती थी कि वे भी समय के साथ ढल जाएँ, परंतु यशोधर बाबू स्वयं को बदलना नहीं चाहते थे। बच्चों के कहने पर यशोधर बाबू की पत्नी ने शादी की 25वीं वर्षगाँठ पर पार्टी करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, लेकिन ऑफिस में यशोधर बाबू से सहकर्मियों द्वारा दावत माँगे जाने पर वे केवल मिठाई खाने के लिए कुछ रुपये ही देते हैं।

घर पर आयोजित अपनी ही पार्टी में वे अनमने ढंग से शामिल तो हो जाते हैं, लेकिन खाना नहीं खाते। इस प्रकार अनेक स्थितियाँ ऐसी आती हैं, जब यशोधर बाबू को न चाहते हुए भी ढलना पड़ता है। वस्तुतः वे अनिर्णय की स्थिति से बाहर नहीं आ पाते। इस प्रकार संपूर्ण कहानी परंपरागत जीवन शैली और आधुनिक विचारधाराओं से प्रेरित जीवन शैली से उत्पन्न द्वंद्व के बीच रची-बसी है।

उत्तर 14.
(क) नदी, कुएँ, स्नानागार और बेजोड़ जल निकासी व्यवस्था को देखते हुए सिंधु घाटी सभ्यता को ‘जल संस्कृति’ कहा जा सकता है। आज के ग्रामीण एवं शहरी समाज के सामने एक बड़ी समस्या जल की उपलब्धता एवं उसकी निकासी से जुड़ी हुई है, लेकिन हज़ारों वर्ष पूर्व की सिंधु सभ्यता में जल का प्रबंधन अत्यंत उच्च स्तरीय था।

सिंधु घाटी सभ्यता में सामूहिक स्नान के लिए बने स्नानागार उत्कृष्ट वास्तुकला के उदाहरण होने के साथ-साथ तत्कालीन जल प्रबंधन की उत्कृष्टता को भी दर्शाते हैं। एक पंक्ति में आठ स्नानघर हैं, जिनमें किसी का भी द्वार एक-दूसरे के सामने नहीं खुलता है। पानी के जमाव वाले कुंड के तल में तथा दीवारों पर ईंटों के बीच चूने एवं चिराड़ी के गारे का प्रयोग हुआ है, जिससे कुंड का पानी रिसकर बाहर न आ सके और बाहर का अशुद्ध पानी कुंड में न जा सके।

सिंधु सभ्यता के नगरों में सड़कों के साथ बनी हुई नालियाँ पक्की ईंटों से ढकी हैं। यह जल निकासी का सुव्यवस्थित बंदोबस्त है। आधुनिक वास्तुकार भी सिंधु सभ्यता की इस व्यवस्था की उत्कृष्टता एवं महत्त्व को स्वीकार करते हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता को उच्च स्तरीय सभ्यता के रूप में पहचान बनाने में वहाँ के ‘जल प्रबंधन का महत्त्वपूर्ण योगदान है। अतः सिंधु घाटी सभ्यता को जल संस्कृति’ के रूप में भी देखा जा सकता है।

(ख) जूझ’ कहानी में कथा नायक ने मुख्यतः अपनी पढ़ाई के प्रति जूझने की भावना को उजागर किया है। इसमें यह दर्शाया गया है कि लेखक को पढ़ाई जारी रखने के लिए अत्यधिक संघर्ष करना पड़ा। लेखक के पिता बहुत आलसी और गैर-ज़िम्मेदार व्यक्ति हैं। वह लेखक को पाठशाला नहीं भेजते थे, क्योंकि यदि लेखक पाठशाला चला जाएगा, तो खेत का काम कौन करेगा? वे स्वयं दिनभर गाँव में घूमते रहते और रखमाबाई के कोठे पर भी जाते, जबकि लेखक को खेत के काम में लगाए रखना चाहते थे।

गाँव के एक प्रभावशाली व्यक्ति दत्ता जी राव के कहने पर उन्होंने लेखक को पाठशाला तो भेजा, लेकिन अपनी कुछ शर्तों के साथ। उनकी शर्ते थीं कि लेखक सुबह के ग्यारह बजे तक खेतों में पानी देकर फिर पाठशाला जाएगा और पाठशाला से आकर फिर एक घंटा पशुओं को चराएगा। यदि किसी दिन खेत में अधिक काम होगा, तो उस दिन वह पाठशाला से छुट्टी ले लेगा। इतनी कड़ी मेहनत के बाद भी लेखक ने अपने पढ़ने का जुनून नहीं छोड़ा। पाठशाला में भी लड़कों ने उसकी खिल्ली उड़ाई, क्योंकि वह मटमैली धोती एवं गमछा पहनकर गया था। धीरे-धीरे लेखक ने अपने परिश्रम एवं लगन के बल पर अपने अध्यापकों एवं सहपाठियों का दिल जीत लिया। लेखक प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करता हुआ पढ़ाई भी करता है और खेत का काम भी सँभालता है।

इस प्रकार यह कहानी हमें प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने की प्रेरणा देती है कि व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाली बाधाओं एवं समस्याओं से जूझना चाहिए और उन पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 2

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 2

BoardCBSE
ClassXII
SubjectHindi
Sample Paper SetPaper 2
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Paper for Class 12 Hindi is given below with free PDF download solutions.

समय :3 घंटे
पूर्णांक : 100

सामान्य निर्देश

  • इस प्रश्न-पत्र के तीन खंड हैं-क, ख और ग।
  • तीनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (15)

जिस प्रकार हमारे शरीर के लिए भोजन आवश्यक है, उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क को भी भोजन की आवश्यकता होती है। मस्तिष्क का सर्वोत्तम भोजन पुस्तकें हैं। इनका अपना ही आनंद है, जो किसी अन्य वस्तु से नहीं मिल सकता। अध्ययन करते सुमय हम जीवन की चिंताओं और दुःखों को भूल जाते हैं।

अध्ययन कई प्रकार का होता है। पहला प्रकार, हल्का-फुल्का अध्ययन अर्थात् समाचार-पत्रों, पुत्र-पत्रिकाओं आदि की पढ़ाई करना होता है, जिनसे वर्तमान घटनाओं के विषय में विस्तृत ज्ञान प्राप्त होता है। इनके द्वारा हमें विश्व के प्रत्येक भाग की घुटनाओं और क्रियाकलापों के विषय में सब कुछ पता चलता रहता है। आज के युग में हम इस प्रकार के हल्के-फुल्के अध्ययन से अलग नहीं रह सकते। बिना समाचार-पत्रों के हम कुएँ के मेंढक के समान हो जाएँगे। इसलिए ऐसे अध्ययन को, जो आनंदमय हो और शिक्षाप्रद भी, अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसके बाद यात्रा और साहसिक कार्यों से संबद्ध पुस्तकें आती हैं। सामान्यतया व्यक्ति दैनिक जीवन की कठोर वास्तविकताओं से दूर भागना चाहता है, किंतु साहसिक कार्य करने की भावना मानव के रक्त में होती है। यात्रा और साहसिक कार्यों का वर्णन करने वाली पुस्तकें हमारे मन में भी साहस और निर्भीकता की भावना पैदा करती हैं। खाली समय को आनंद से बिताने का सबसे अच्छा साधन है, उपन्यास। शाम के समय अथवा गाड़ी में यात्रा करते समय उपन्यास पढ़ने से बेहतर कोई मनोरंजन नहीं है। कुछ समय के लिए पाठक अपने व्यक्तित्व और सत्ता को ही भूल जाता है। वह उपन्यास के किसी चरित्र के साथ एकाकार हो जाता है।

इससे उसे अपार सुख मिलता है। इनके अलावा गंभीर अध्ययन की पुस्तकें होती हैं। इनमें साहित्य, इतिहास, दर्शन आदि की पुस्तकें भी आती हैं, जो सभी काल में पढ़ी जाने योग्य कृतियाँ होती हैं। ऐसी पुस्तकें गंभीर और विचारशील व्यक्तियों के लिए होती हैं। साहित्य का विद्यार्थी सभी युगों के सर्वोत्कृष्ट विद्वानों के संपर्क में आता है और अपने चिंतन के लिए उपयोगी आहार प्राप्त करता है। वे उसे जीवन के आध्यात्मिक मूल्यों की पूरी जानकारी देते हैं। इस प्रकार वह अपने जीवन को श्रेष्ठ और मुहान् बना सकता है। उसका दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है और मानव के प्रति उसकी सहानुभूति बढ़ जाती है।

बेकन ने कहा था कि- “कुछ पुस्तकों का केवुल स्वाद चखना चाहिए, कुछ को निगल जाना चाहिए और कुछ को अच्छी प्रकार से चबाकर पुचा लेना चाहिए। किसी पुस्तक को पाठ्य-पुस्तक के रूप में पढ़ने में अनिवार्यता की भावना आ जाती है। यह अनिवार्यता उपयोगी हो सकती है, परंतु उससे रुचि का हनन हो जाता है। पुस्तकों का वास्तविक प्रेमी तो हर समय इनकी संगति में आनंद का अनुभव करता है। पढ़ने की आदत मनुष्य के सभ्य होने का चिह्न है। यह मनोरंजन का अच्छा साधन है। और खाली समय को व्यतीत करने का सबसे अच्छा उपाय है। पुस्तकों का खज़ाना किसी भी राजा के खज़ाने से बड़ा होता है। पुस्तकें कला, साहित्य, विज्ञान और ज्ञानरूपी सोने की खाने हैं।

(क) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) प्रस्तुत गद्यांश में प्रयुक्त पंक्ति “मस्तिष्क का सर्वोत्तम भोजन पुस्तकें हैं” का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) अध्ययन करते समय मनुष्य किस मनोदशा में पहुँच जाता है?
(घ) समाचार-पत्रों के अभाव में मनुष्य की क्या दशा हो सकती है?
(ङ) साहसिक साहित्य पढ़ने से क्या लाभ है?
(च) लेखक के अनुसार, खाली समय को आनंद से बिताने का सबसे अच्छा साधन क्या है और क्यों?
(छ) गद्यांश के केंद्रीय भाव को लगभग 20 शब्दों में लिखिए।
(ज) पाठ्य-पुस्तक पढ़ने एवं सामान्य पुस्तक पढ़ने में क्या अंतर देखा जाता है?

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 5 = 5)

टूटता है तनु तड़प
मुगुर रुक मेघ मत बरस
खड़ा है सूर्य ऊपुर
धूरा है वुज्र मेरा पाँव
कूटता है स्वर्ण घुनु से
कोई दोनों हाथ मेरे

ज़मीं पर बीज अपने
किरण चुम-चुम
घहरता स्वर्ण घने घुनु-घून
पिघुलकर रक्तु दोनों पुत्थरों से चूमता भू
मृदा से गंध उठती सोंधी-सोंधी
और उग आते सने मिट्टी सहस्रों हाथ

(क) प्रस्तुत काव्यांश में स्वर्ण घन किसका प्रतीक है? उसके द्वारा क्या किया जा रहा है?
(ख) कविता का वर्ण्य-विषय स्पष्ट कीजिए।
(ग) मिटटी से सोंधी-सोंधी गंध कब उठने लगती है?
(घ) भूमि पर किसने बीज गाड़ रखे हैं? उनके क्या परिणाम होते हैं?
(ङ) ‘पिघलकर रक्त दोनों पत्थरों से चूमता भू’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अनुच्छेद लिखिए (5)

(क) कन्या भ्रूण हत्या
(ख) नारी समाज के सम्मुख चुनौतियाँ
(ग) जल संरक्षण
(घ) शिक्षा का अधिकार

प्रश्न 4.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के शिक्षा सचिव को एक पत्र लिखिए, जिसमें राष्ट्र की भावात्मक एकता को संवर्धित करने हेतु शिक्षण संस्थानों के योगदान के संबंध में प्रत्येक राज्य में एक-एक समिति का गठन करने संबंधी निर्णय की जानकारी हो।

अथवा

आवश्यक एवं भ्रामक प्रचार करने वाले विज्ञापनों से ग्राहकों एवं उपभोक्ताओं को होने वाली परेशानी का उल्लेख करते हुए किसी समाचार-पत्र के संपादक को इस संबंध में दो सुझाव देते हुए पत्र लिखिए। (5)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए (1 × 5= 5)

(क) पत्रकारीय लेखन और साहित्यिक सृजनात्मक लेखन में अंतर बताइए।
(ख) स्तंभ लेखन से क्या तात्पर्य है?
(ग) ‘इंटरनेट’ किसे कहते हैं?
(घ) संपादकीय’ किसे कहते हैं?
(ङ) ‘इन डेप्थ रिपोर्ट के विषय में बताइए।

प्रश्न 6.
‘महानगरों में अतिक्रमण की समस्या’ विषय पर एक आलेख लिखिए।

अथवा

हाल ही में पढ़ी गई किसी पुस्तक की समीक्षा लिखिए। (5)

प्रश्न 7.
‘किशोर और अपराध’ अथवा ‘मीडिया की विश्वसनीयता पर लगते प्रश्न चिह’ में से किसी एक विषय पर फ़ीचर लेखन तैयार कीजिए।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (2 × 4 = 8)

नभ में पाँति-बँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।

हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।
उसे कोई तृनिक रोक रखो।
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें
नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।

(क) आशय स्पष्ट कीजिए।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।

(ख) कवि स्वयं को माया से बँधा क्यों महसूस करता है?
(ग) कवि किसे तनिक रोक रखने की बात करता है और क्यों?
(घ) काव्यांश का केंद्रीय भाव समझाइए।

अथवा

धूत कहौ,अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ।
काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब,काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।
तुलसी सरनाम गुलामु है राम को, जाको रुचै सौ कुहै कछु ओऊ।
माँगि के खैबो, मुसीत को सोइबो,लैबोको एकु न दैबको दोऊ।।

(क) तुलसीदास अपना जीवन-निर्वाह कैसे करना चाहते हैं?
(ख) तुलसीदास ने समाज के प्रति अपना क्षोभ किन शब्दों में व्यक्त किया है?
(ग) ‘काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब’ के द्वारा तुलसीदास समाज के लोगों से क्या कहना चाहते हैं?
(घ) तुलसीदास राम के कैसे भक्त हैं? काव्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 3= 6)

प्रातः नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ।
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो।
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक

मल दी हो किसी ने
नील जुल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और ……………….
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है।

(क) प्रस्तुत कविता के शिल्प सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ख) कविता की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।
(ग) “अभी गीला पड़ा है”- पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

अथवा

मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को,

भुरता उरे में विह्वलता है।
दिनु जल्दी-जुल्दी ढलता है।

(क) प्रस्तुत काव्यांश के भाव सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।
(ख) काव्यांश के शिल्प सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ग) काव्यांश में कवि ने किस भाव को स्पर्श किया है?

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 2= 6)

(क) ‘आत्म परिचय’ कविता में प्रयुक्त काव्य-पंक्ति “मैं और, और जग और, कहाँ का नाता’ में प्रयुक्त ‘और’ शब्द की विशेषता बताइए।
(ख) तुलसीदास की संकलित चौपाइयों के आधार पर लक्ष्मण के प्रति राम के स्नेह संबंधों पर प्रकाश डालिए।
(ग) ‘छोटा मेरा खेत’ कविता में कवि किस प्रकार की रोपाई और कटाई करने की बात करता है?

प्रश्न 11.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 4 = 8)

दंगल में ढोल की आवाज़ सुनते ही वह अपने भारी-भरकम शरीर का प्रदर्शन करना शुरू कर देता था। उसकी जोड़ी तो मिलती ही नहीं थी, यदि कोई उससे लड़ना भी चाहता तो राजा साहब लुट्नु को आज्ञा नहीं देते। इसलिए वह निराश होकर, लंगोट लगाकर देह में मिट्टी मल और उछालकर अपने को साँड या भैंसा साबित करता रहता था। बूढ़े राजा साहब देख-देखकर मुस्कुराते रहते। यो ही पंद्रह वर्ष बीत गए। पहलवान अजेय रहा। वह दंगल में अपने दोनों पुत्रों को लेकर उतुरता था। पहलवान की सास पहले ही मर चुकी थी, पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी। दोनों लड़के पिता की तरह गठीले और तगड़े थे। दंगल में दोनों को देखकर लोगों के मुँह से अनायास ही निकल पड़ता “वाह! बाप से भी बढ़कर निकलेंगे ये दोनों बेटे!”

(क) ढोल की आवाज़ सुनते ही लुट्टन सिंह की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
(ख) कुश्ती के दंगल में लुट्न पहलवान निराश ही क्यों रह जाता था?
(ग) राजा साहब अपने प्रिय पहलवान लुट्टन सिंह को दंगल में कुश्ती लड़ने की आज्ञा क्यों नहीं देते थे?
(घ) राजा साहब लुट्टन सिंह की किन गतिविधियों पर मुस्कुराते रहते थे?

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 4 = 12)
(क) ‘बाज़ार-दर्शन’ पाठ का लेखक बाज़ार को किस रूप में देखता है? क्या आप उसके निष्कर्ष से सहमत हैं?

(ख) “चैप्लिन ने न सिर्फ फ़िल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया, बल्कि दर्शकों की वर्ग एवं वर्ण व्यवस्था को भी तोड़ा।” इस पंक्ति में लोकतांत्रिक बनाने और वर्ण व्यवस्था तोड़ने का क्या अभिप्राय है? क्या आप इससे सहमत हैं?

(ग) ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेल गीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?

(घ) सर्वग्रासी काल की मार से बचते हुए वही दीर्घजीवी हो सकता है, जिसने अपने व्यवहार में जडता छोइकर नित बदल रही। स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। ‘शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

(ङ) जाति-प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे डॉ. आंबेडकर के क्या तर्क हैं?

प्रश्न 13.
सिल्वर वैडिंग कहानी के आधार पर पीढ़ियों के अंतराल के कारणों पर प्रकाश डालिए। क्या इस अंतराल को कुछ पाटा जा सकता है? कैसे, स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 14.
(क) “सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित थी।” कैसे?
(ख) ‘डायरी के पन्ने’ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि ऐन फ्रैंक बहुत प्रतिभाशाली तथा परिपक्व व्यक्तित्व की लड़की थी।

उत्तर

उत्तर 1.
(क) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक’ पुस्तकों का महत्त्व’ हो सकता है।

(ख) प्रस्तुत गद्यांश में पुस्तकों को मस्तिष्क का सर्वोत्तम भोजन मानने का अर्थ यह हुआ कि पुस्तकें पढ़ने से मस्तिष्क को एक नई ऊर्जा मिलती है, एक नई शक्ति मिलती है, जिसके कारण व्यक्ति अपने अन्य सभी कार्यों को सही ढंग से संपन्न कर पाता है। यदि शरीर को भोजन न मिले, तो शरीर शिथिल और रुग्ण हो जाता है। इसी तरह यदि मस्तिष्क को भी उचित खुराक नहीं मिलेगी, तो वह शिथिल हो जाएगा, रुग्ण हो जाएगा। यही कारण है कि कई लोग पुस्तकें पढ़ने को ही अपने मनोरंजन का साधन मानते हैं।

(ग) अध्ययन करते समय मनुष्य उच्च मनोदशा में पहुँच जाता है। जहाँ वह अपने जीवन की चिंताओं एवं दुःखों को भूल जाता है। वह आनंद की एक ऐसी दुनिया में पहुँच जाता है, जहाँ सांसारिक यथार्थ की उसे कोई सुध नहीं होती। वह अपने व्यक्तित्व एवं सत्ता को भूलकर अध्ययन की विषय-वस्तु के साथ इतना एकाकार हो जाता है कि कुछ समय के लिए उसका बाहरी दुनिया से नाता टूट जाता है। इस समूची प्रक्रिया में उसे अपार सुख प्राप्त होता है।

(घ) समाचार-पत्र के माध्यम से वर्तमान घटनाओं तथा देश-दुनिया में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं एवं क्रियाकलापों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। यदि समाचार-पत्रों का अध्ययन नहीं किया जाए, तो व्यक्ति कूप-मंडूक अर्थात् कुएँ का मेंढक बनकर रह जाएगा। वह अपने घर को ही दुनिया समझकर शेष दुनिया से अलग हो जाएगा। यह स्थिति उसके व्यक्तित्व एवं जीवन के विकास के लिए अत्यंत घातक सिद्ध होगी।

(ङ) साहसिक साहित्य मनुष्य में व्याप्त साहसिक कार्य करने की भावना को और अधिक उभार देता है। साहसिक पुस्तकें व्यक्ति के मन में साहस एवं निर्भीकता की भावना पैदा करती हैं। व्यक्ति एक नए उत्साह एवं प्रेरणा से भर जाता है और उच्च आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु प्रयासरत् हो जाता है।

(च) लेखक के अनुसार, खाली समय को आनंद से बिताने का सबसे अच्छा साधन उपन्यास है, क्योंकि शाम के समय या यात्रा के दौरान उपन्यास पढ़ने से बेहतर कोई मनोरंजन नहीं है। इसके पाठन से पाठक कुछ समय के लिए अपने व्यक्तित्व और सत्ता को ही भूल जाता है। वह उपन्यास के किसी चरित्र के साथ एकाकार हो जाता है, जिससे उसे अपार सुख की प्राप्ति होती है।

(छ) गद्यांश का केंद्रीय भाव पुस्तकों के महत्त्व पर प्रकाश डालना है। लेखक ने पुस्तकों की तुलना भोजन से करते हुए उसे मस्तिष्क के लिए अनिवार्य माना है। पुस्तक पढ़ने से मनुष्य को कई लाभ होते हैं। पुस्तकें मनुष्य में साहस और निर्भीकता की भावना पैदा करती हैं।

(ज) पाठ्य-पुस्तक पढ़ने एवं सामान्य पुस्तक पढ़ने में सबसे महत्त्वपूर्ण अंतर यह है कि पाठ्य-पुस्तक के साथ अनिवार्यता की भावना जुड़ जाती है, जबकि सामान्य पुस्तकों के अध्ययन में ऐसी कोई बात नहीं होती। पाठ्य-पुस्तक अनिवार्य होने के कारण उपयोगी हो सकती है, लेकिन उसके प्रति पाठक की रुचि कम हो जाती है, जबकि सामान्य पुस्तकों के अध्ययन में पाठक की स्वाभाविक रूप से अधिक रुचि बनी रहती है।

उत्तर 2.
(क) प्रस्तुत काव्यांश में स्वर्ण घन पूँजीपति वर्ग के कुचक्र अथवा षड्यंत्र का प्रतीक है, उसके द्वारा शोषित वर्ग पर अत्याचार किया जा रहा है।

(ख) प्रस्तुत कविता का वर्ण्य-विषय पूँजीपति वर्ग तथा शोषित वर्ग के बीच के संघर्ष को उजागर करना है।

(ग) पूँजीपतियों के क्रूर अत्याचारों से त्रस्त होने के कारण जब शोषित वर्ग की आँखों से रक्त मिश्रित अश्रु बहकर भूमि पर गिरते हैं, तब मिट्टी से सोंधी-सोंधी गंध उठने लगती है।

(घ) प्रस्तुत कविता का नायक शोषित वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाला एक मज़दूर है। उसी ने अपने हाथों से भूमि पर अपने बीज गाड़े हैं और उन बीजों से सहस्रों मज़दूरों अर्थात् सर्वहारा वर्ग के सदस्यों का जन्म होता है।

(ङ) प्रस्तुत काव्य पंक्ति का आशय यह है कि पूँजीपति द्वारा एक मज़दूर के साथ क्रूर व्यवहार किया जा रहा है, जिससे उसकी शुष्क आँखों से रक्त मिश्रित आँसू निकलकर भूमि पर गिरने लगते हैं।

उत्तर 3.

(क) कन्या भ्रूण हत्या

गर्भस्थ शिशु के लिंग की जाँच कराकर कन्या भ्रूण होने की स्थिति में उसकी हत्या करना कन्या भ्रूण हत्या कहलाती है। कन्या भ्रूण हत्या आज एक ऐसी अमानवीय समस्या का रूप धारण कर चुकी है, जो कई और गंभीर समस्याओं की भी जड़ है। इसके कारण महिलाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन घट रही है। जिसके फस्वरूप वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत को लिंगानुपात प्रति हज़ार पुरुषों पर 940 महिलाएँ हैं। भारत में कन्या भ्रूण हत्या के कई कारण हैं। कन्या भ्रूण हत्या का एक बड़ा कारण दहेज प्रथा है। लोग लड़कियों को पराया धन समझने तथा उसके विवाह में दहेज देने के लिए बाध्य होने के कारण इस सामाजिक अभिशाप को बढ़ावा देने लगे हैं। निर्धनता एवं अशिक्षा महत्त्वपूर्ण कारण होते हुए भी पर्याप्त कारण नहीं हैं। आजकल शिक्षित एवं आर्थिक रूप से समृद्ध परिवारों में भी कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएँ सामान्य रूप से देखी जा रही हैं और इसके पीछे कारण है-वंश परंपरा का निर्वाह करने संबंधी मान्यता एवं सोच या मानसिकता। पढ़े-लिखे लोगों में भी यह धारणा व्याप्त है कि वंश पुरुष से ही चलता है। समाज को अपनी यह रूढ़िवादी मानसिकता बदलनी होगी अन्यथा जब पुरुषों को जन्म देने वाली माँ ही नहीं रहेगी, तो पुरुषों का अस्तित्व कैसे बच सकेगा? कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक एवं नैतिक दृष्टि से एक अमानवीय कृत्य है, जिसे रोका जाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए लोगों को शिक्षित एवं जागरूक करना अनिवार्य है। कोई भी कानून तब तक कारगर नहीं हो सकता है, जब तक उसे जनसामान्य का सहयोग न प्राप्त हो। इसमें सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों की भी भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कन्या भ्रूण हत्या की सामाजिक कुरीति को रोकने में मीडिया की भूमिका अत्यधिक उल्लेखनीय है। आज आवश्यकता इस बात की है कि समाज के सभी पक्ष इस संबंध में अपने दायित्व को समझें तथा इस भीषण सामाजिक कलंक को समाप्त करने में प्रत्येक नागरिक अपना सहयोग दे।

(ख) नारी समाज के सम्मुख चुनौतियाँ

नारी ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। यह धैर्य, सहिष्णुता तथा सृष्टि की जीती-जागती प्रतिमूर्ति है। अनेक कष्टों को झेलती-सहती नारी मनुष्यता का नया इतिहास प्रतिदिन रचती है, किंतु समाज से उसे प्रेम तथा रागात्मकता के बदले केवल कष्ट ही मिलता है। नारियों की स्थिति समाज में उनकी गरिमा के अनुरूप नहीं है। वे शोषित तथा प्रताड़ित हैं। नारी-समाज के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं, जिसके निवारण के बिना सामाजिकता के निर्माण की संकल्पना को पूरा करना संभव नहीं। भारत में नारियों की स्थिति चिंताजनक है। समाज में अंतर्निहित कुरीतियों, रूढ़ियों तथा अंध-आस्थाओं का केंद्र महिलाओं को बनाया गया है। उनकी शिक्षा तथा उन्नति की ओर कम ध्यान दिया जाता है। पितृप्रधान समाज में विभेद का आधार पारिवारिक ढाँचा ही है।

‘दहेज प्रथा’ एक ऐसी सामाजिक विकृति है, जो नारियों के समक्ष प्रमुख चुनौती के रूप में आई है। विवाह के समय लड़की के पिता अथवा परिजनों से मोटी रकम की माँग की जाती है। दहेज की माँग समाज की सबसे असंगत माँग है, जो विवाह के बाद युवती के जीवन को नारकीय बना देती है।

शिक्षा तथा पोषण के स्तर पर पुरुष तथा महिलाओं के बीच भारी अंतर है। लड़कियों को घर के काम-काज से जोड़ दिया जाता है। उनकी पढ़ाई-लिखाई यां तो कराई नहीं जाती अथवा बीच में ही छुड़ा दी जाती है। नौकरी-पेशा इत्यादि में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले काफ़ी कम है। राजनीति के क्षेत्र में भी पुरुषों ने ही अपना वर्चस्व बना रखा है।

नारी समाज के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं, लेकिन नारी ने अपनी प्रतिभा के दम पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है। उच्चस्थ पदों पर अब उनकी नियुक्तियाँ हो रही हैं। खेल के मैदानों से लेकर राजनीति के गलियारों तक महिलाओं ने अपनी भूमिका को पूरी क्षमता के साथ निभाया है। बावजूद इसके आज भी यह आधी आबादी अपने अधिकार को प्राप्त करने में पूर्णतः सक्षम नहीं हुई है। चुनौतियाँ अत्यधिक हैं, किंतु आने वाले समय में महिलाओं की भूमिका निर्णायक होगी, ऐसी अपेक्षा की जा सकती है।

(ग) जल संरक्षण

कहा जाता है–जल ही जीवन है। जल के बिना न तो मनुष्य का जीवन संभव है और न ही वह किसी कार्य को संचालित कर सकता है। जल मानव की मूल आवश्यकता है। यूँ तो पृथ्वी के धरातल को 71% भाग जल से भरा है, किंतु इनमें से अधिकतर हिस्से का पानी खारा अथवा पीने योग्य नहीं है। पृथ्वी पर मनुष्य के लिए जितना पेयजल विद्यमान है, उसमें से अधिकतर अब प्रदूषित हो चुका है, इसके कारण ही पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है।

जल-संकट के कई कारण हैं। पृथ्वी पर जल के अनेक स्रोत हैं; जैसे-वर्षा जल, नदियाँ, झील, पोखर, झरने, भूमिगत जल इत्यादि। पिछले कुछ वर्षों में सिंचाई एवं अन्य कार्यों के लिए भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग के कारण भूमिगत जल के स्तर में गिरावट आई है। औद्योगीकरण के कारण नदियों का जल प्रदूषित होता जा रहा है। इन्हीं कारणों से पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है।

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का संतुलन बिगाड़ा है और अपने लिए भी खतरे की स्थिति उत्पन्न कर ली है। अब प्रकृति का श्रेष्ठतम प्राणी होने के नाते उसका कर्तव्य बनता है कि वह जल-संकट की समस्या के समाधान के लिए जल-संरक्षण पर ज़ोर दे। जल-संकट को दूर करने के लिए जल के अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए। जल के उपयोग को कम करने एवं उसके संरक्षण के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण भी आवश्यक है।

वृक्ष वर्षा लाने एवं पर्यावरण में जल के संरक्षण में सहायक होते हैं। इसके अतिरिक्त वृक्ष वायुमंडल में नमी बनाए रखते हैं और तापमान की वृद्धि को भी रोकते हैं। अतः जल-संकट के समाधान के लिए वृक्षों की कटाई पर नियंत्रण कर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। वृक्षारोपण से पर्यावरण के प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है।

(घ) शिक्षा का अधिकार

किसी भी देश के शिक्षित नागरिक ही उस देश को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सक्षम होते हैं।

शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए भारत सरकार ने सभी के लिए शिक्षा को अनिवार्य करने के उद्देश्य से शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित किया। वर्ष 2002 में संविधान के 86वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21 ए के भाग 3 के माध्यम से 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करने का प्रावधान किया गया तथा 1 अप्रैल, 2010 से इसे पूरे देश में लागू किया और इसी के साथ भारत, शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा देने वाला विश्व का 135वाँ देश बन गया।

‘शिक्षा का अधिकार’ अपने आप में भी एक प्रगतिवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसका मुख्य उद्देश्य प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित है। यह अधिकार 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए 8वीं कक्षा तक मुफ़्त व अनिवार्य शिक्षा को सुनिश्चित करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बच्चों से किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा और न ही उन्हें शुल्क अथवा किसी खर्च की वजह से आधारभूत शिक्षा से वंचित किया जाएगा। इसके तहत विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात (40 : 1) भी निश्चित किया गया है। यह अधिनियम आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग के लिए गैर-सरकारी स्कूलों में 25% सीटों के आरक्षण का प्रावधान भी करता है। कुल मिलाकर यह अधिनियम शिक्षा के केंद्र में बच्चों को संलग्न करता है तथा उन्हें हर प्रकार से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम की एक अन्य तथा महत्त्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि यह माता-पिता तथा अभिभावकों को निर्देश देता है कि वह अपने बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिलवाएँ।

एक ओर जहाँ शिक्षा के अधिकार अधिनियम में अनेक खूबियाँ हैं, वहीं दूसरी ओर इसकी सबसे बड़ी खामी यह है कि इसमें 0-6 वर्ष के आयु वर्ग तथा 14-18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया है। इससे कक्षा 8वीं के बाद पढ़ाई जारी रखने वाले विद्यार्थियों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगता है।

‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम शिक्षा के क्षेत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण तथा क्रांतिकारी कदम है। आशा है कि आने वाले समय में इस अधिनियम की सहायता से सबको समान रूप से शिक्षा प्राप्ति के अवसर उपलब्ध होंगे और सर्वसाधारण के विकास को अपेक्षित गति प्रदान की जा सकेगी।

उत्तर 4.

पत्र संख्या 53/231/2015
प्रेषक,
उपसचिव,
मानव संसाधन विकास मंत्रालय,
नई दिल्ली।

दिनांक 14 सितंबर, 20××

सेवा में,
शिक्षा सचिव,
उत्तर प्रदेश सरकार,
लखनऊ।

विषय शिक्षण संस्थानों के योगदान संबंधी समिति का गठन्।

महोदय,

उपरोक्त विषय में आपके पत्र संख्या 973/2015 शिक्षा, 12 मई, 20×× के उत्तर में मुझे यह सूचित करने का निर्देश प्राप्त हुआ है कि मंत्रालय द्वारा राष्ट्र की भावात्मक एकता को संवर्धित करने हेतु शिक्षण संस्थानों के योगदान के संबंध में प्रत्येक राज्य में एक-एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है।

समिति में कम-से-कम 10 सदस्य होने चाहिए, जो शिक्षा एवं जन-सेवा से संबद्ध हों। आप अपने राज्य में ऐसी समिति का गठन कर मंत्रालय को सूचित करने की कृपा करें।

सधन्यवाद!
भवदीय
क.खे.ग.

अथवा

परीक्षा भवन
दिल्ली।

दिनांक 16 अगस्त, 20××

सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
गाजियाबाद।

विषय भ्रामक विज्ञापन के संबंध में।

महोदय,

विनम्र निवेदन है कि आजकल भ्रामक विज्ञापनों के कारण आम जनता परेशान है। इसी विषय में मेरे विचार प्रकाशित करने की कृपा करें। नि:संदेह आज विज्ञापनों का बोलबाला है। अख़बार, टीवी, रेडियो, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, दीवारें, गलियाँ, बाज़ार सब विज्ञापनों से भरे पड़े हैं। विज्ञापनों की इस भीड़ में सत्य को छिपाकर असत्यता का भ्रामक प्रचार किया जाता है, जो अपने माल को जितना आकर्षक बनाकर दिखाता है, वह उतना ही अधिक बिकता है। इस तथ्य को जानने के बाद उत्पादकों का सारा ज़ोर अपने माल को उत्तम बनाने में नहीं, बल्कि उसके झूठे-सच्चे प्रचार-प्रसार में लगने लगा। यही कारण है कि आज का उपभोक्ता परेशान है। वह सोचता है कि अमुक साबुन या पाउडर से उसके दाग-धब्बे बिलकुल धुल जाएँगे, किंतु जब मोटी राशि खर्च करके उसे इस्तेमाल करता है, तो निराशा ही हाथ लगती है। वह अपनी इस परेशानी को कहीं कह भी नहीं सकता।

विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को धोखा देना ऐसा अपराध है, जिसे आसानी से एक व्यक्ति सिद्ध नहीं कर सकता, न ही यह लड़ाई अकेले लड़ी जा सकती है। इसे रोकने के लिए या तो सरकारें अपने अधिकारियों की सहायता से अथवा सामाजिक संस्थाएँ मिलकर मोर्चा खोल सकती हैं। मेरा सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं से आग्रह है कि भ्रष्टाचार की इस खुली लूट को रोकने के लिए वे सार्थक प्रयास करें, ताकि आम जनता को लूटा न जा सके।

सधन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.

उत्तर 5.
(क) पत्रकारीय लेखन में पत्रकार पाठकों, दर्शकों व श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि साहित्यिक सृजनात्मक लेखन में चिंतन के ज़रिए नई रचना का उद्भव होता है।

(ख) महत्त्वपूर्ण लेखकों के लेखों की नियमित श्रृंखला को स्तंभ लेखन कहा जाता है। इनमें विचारपरक लेख होते हैं।

(ग) इंटरनेट आधुनिक जनसंचार का सबसे सुदृढ़, व्यापक और बहुआयामी माध्यम है। इसके द्वारा कम समय में देश-विदेश की जानकारी को प्राप्त किया जा सकता है। इसमें मुद्रण, ध्वनि, दृश्य आदि सभी संचार माध्यम मिले होते हैं।

(घ) समाचार से संबंधित तथ्य, समाचार की पृष्ठभूमि, समाचार का दूरगामी प्रभाव, घटनाओं के कारणों की व्याख्या, आलोचना, प्रशंसा, सुझाव आदि पर पत्रिका के संपादक द्वारा लिखे गए विचार ‘संपादकीय’ कहलाते हैं।

(ङ) ‘इन डेप्थ रिपोर्ट में सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध तथ्यों, सूचनाओं और आँकड़ों की छानबीन करके किसी घटना, समस्या या मुद्दे से जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाया जाता है।

उत्तर 6.
महानगरों में अतिक्रमण की समस्या

लोग अपने घरों, दुकानों, दफ्तरों आदि के सामने की ज़मीन पर अवैध निर्माण कर लेते हैं और उस सार्वजनिक ज़मीन को अपने घर, दुकान या दफ़्तर का स्थायी हिस्सा बना लेते हैं। इसी को अतिक्रमण कहते हैं। इस समस्या के लिए लोग व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार हैं, परंतु यह बात भी 100% सही है कि इसके कारण सबसे ज्यादा परेशानी भी उन्हीं लोगों को उठानी पड़ती है। इसका नतीजा सबके सामने है। कम व्यस्त जगहों पर भी भारी जाम का सामना करना पड़ता है। इससे उस स्थान से गुज़रने वाले सभी व्यक्तियों का बहुमूल्य समय व्यर्थ में बर्बाद होता है। प्रायः यह देखने-सुनने में आता है कि सरकारी अधिकारी अपनी जेब गरम करने के लिए इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। यदि किसी व्यक्ति को अपने फ्लैट का क्षेत्र बढ़ाना है, तो वह सरकारी अधिकारी को थोड़े पैसे देकर अपना काम करवा लेता है। अतिक्रमण से निपटने के लिए सरकार को कड़ी नज़र रखनी होगी और इस प्रक्रिया में संलग्न व्यक्तियों के प्रति कठोर कदम उठाने होंगे। साथ ही, सभी सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता को बढ़ावा देना होगा और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को दंडित करना होगा। इस काम में हम दूसरे देशों से सहायता तथा सीख ले सकते हैं।

दिल्ली जैसे महानगर पहले ही जगह की कमी से जूझ रहे हैं, उस पर अतिक्रमण ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी है। महानगरों में अतिक्रमण की समस्या आम हो गई है। सरकारी एजेंसियाँ कई बार कठोर कार्रवाई भी करती हैं, किंतु बार-बार चेतावनी जारी किए जाने के बावजूद लोगों की गतिविधियों में बदलाव नहीं आता।

अथवा

प्रसिद्ध साहित्यकार मोहन शकेश द्धारा रचित
नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन की समीक्षा

प्रसिद्ध साहित्यकार मोहन राकेश द्वारा लिखित नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ (वर्ष 1959) हिंदी नाटक-लेखन में एक क्रांतिकारी प्रयोग था, जिसे संगीत नाटक अकादमी का पुरस्कार भी मिला।

‘आषाढ़ का एक दिन’ महान् कवि कुलगुरु कालिदास को केंद्र में रखकर लिखा गया है, लेकिन वस्तुतः कालिदास इस नाटक में एक ऐसे आधुनिक कलाकार का मूर्तिमान रूप हैं, जो अपनी सृजनात्मक समस्याओं से ग्रस्त होने के साथ-साथ राज्यव्यवस्था द्वारा किए गए अपमान से भी क्षुब्ध हैं। ऊपर से देखने में किसी बीते युग का नाटक लगने पर भी उसमें आधुनिक युग के अनेक संदर्भ और ऐसे सुगठित चरित्र हैं, जिनसे सामान्य व्यक्ति का भी तादात्म्य हो सकता है।

‘आषाढ़ का एक दिन’ निःसंदेह एक उच्चस्तरीय नाटक है। इसका प्रदर्शन प्रबुद्ध दर्शकों के समक्ष ही अधिक सार्थक सिद्ध हो सकता है। इस अर्थ में भी नाटक अत्यंत सफल है कि संस्कृतनिष्ठ भाषा का निर्वाह करते हुए भी नाटककार अपनी बात को सामान्य दर्शकों तक पहुँचा सका है। भाषा बाधक न बनकर नाटक की खूबी बन गई है। आधुनिक काल की विडंबनाओं को समझने हेतु चिंतन की प्रचुर सामग्री प्राप्त करने की दृष्टि से यह नाटक अत्यंत समृद्ध है, जिसे एक बार सभी को देखना या पढ़ना चाहिए।

उत्तर 7.
किशोर और अपराध

हमारे देश में कानूनी रूप से अठारह वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को वयस्क और इससे कम आयु वाले को किशोर माना गया है। हर देश में किशोरों की आयु अलग-अलग निर्धारित की गई है, हमारे देश में यह आयु 18 वर्ष तक है। बीते दिनों में कुछ संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि किशोर आयु घटाकर 15 वर्ष कर देनी चाहिए। इस तरफ अवश्य ही ध्यान दिया जाना चाहिए कि अचानक ही किशोर आयु को तीन वर्ष घटाकर 15 वर्ष करने की माँग क्यों की गई है। यदि आप नियमित रूप से समाचार-पत्र का अध्ययन करते हैं, तो संभवतः इसका कारण समझने में आपको देर नहीं लगेगी। गंभीर श्रेणी के अंतर्गत आने वाले अपराधों में किशोरों की सक्रियता बहुत बढ़ गई है। कई बार उनके द्वारा किए गए अपराध पूरे समाज को न केवल दहलाकर रख देते हैं, बल्कि यह सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं कि इसको कारण क्या है? आखिर क्या वजह है कि हमारे नैतिक मूल्य इतने कमजोर और प्रभावहीन हो रहे हैं? क्यों हमारे देश में बच्चे समय से पहले बड़े हो रहे हैं? निस्संदेह हमारे देश में बच्चे समय से पहले परिपक्वता की ओर बढ़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि वैश्वीकरण के इस दौर में पुराने नैतिक मूल्य टूट रहे हैं, लेकिन उनकी जगह नए मूल्यों की संरचना नहीं हो पा रही है। कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल फ़ोन आदि के आने से उनका क्रियाक्षेत्र अपेक्षाकृत बहुत बढ़ गया है, जिससे वे स्वयं ही अपने मूल्यों का निर्माण कर रहे हैं। माता-पिता इसे समझ नहीं पा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि निम्न वर्ग के किशोरों के साथ-साथ, समाज के उच्च वर्ग के शिक्षित माता-पिता की संतानें भी गंभीर अपराधों में लिप्त पाई गई हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह समस्या किसी वर्ग विशेष से नहीं, बल्कि पूरे समाज से जुड़ी हुई है।

इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए सामाजिक स्तर पर गहन चिंतन और चर्चा की आवश्यकता है, जिससे बच्चों को कम उम्र में ही अपराधों की ओर प्रवृत्त होने से रोका जा सके।

अथवा

मीडिया की विश्वसनीयता पर लगते प्रश्न चिह्न

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। विश्व के महान् सम्राट नेपोलियन ने कहा था

”मैं लाखों संगीनों की अपेक्षा तीन विरोधी
समाचार-पत्रों से अधिक डरता हूँ।”

अर्थ और विज्ञान के इस दौर की यह कड़वी सच्चाई है कि आज पत्रकारिता, सेवा से ज़्यादा व्यवसाय बन गई है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्लैमर और पीत पत्रकारिता में वृद्धि होने से मीडिया का स्तर दिनों-दिन गिरता जा रहा है। इधर कुछ वर्षों से धन देकर समाचार प्रकाशित करवाने एवं व्यावसायिक लाभ के अनुसार समाचारों को प्राथमिकता देने की घटनाओं में भी तेज़ी से वृद्धि हुई है। फलस्वरूप इनकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्न उठने शुरू हो गए हैं। इसका कारण यह है कि भारत के अधिकतर समाचार-पत्रों एवं न्यूज़ चैनलों का स्वामित्व किसी-न-किसी स्थापित उद्यमी घराने के पास है।

जनहित एवं देशहित से अधिक इन्हें अपने उद्यमों के हित की चिंता रहती है, इसलिए ये अपने हितों को प्राथमिकता देते हैं। सरकार एवं विज्ञापनदाताओं का प्रभाव भी समाचार-पत्रों एवं टेलीविज़न प्रसारण में देखा जा सकता है। प्रायः समाचार-पत्र अपने विज्ञापनदाताओं के विरुद्ध कुछ छापने से बचते हैं। इस प्रकार की पत्रकारिता किसी भी देश के लिए घातक है। पत्रकारिता, व्यवसाय से कहीं अधिक सेवा है। व्यावसायिक प्रतिबद्धता पत्रकारिता के मूल्यों को नष्ट करती है। आज पत्रकारिता के माध्यम से आर्थिक हितों को साधने वाले लोग जिम मॉरिसन की इस पंक्ति को गलत अर्थों में प्रयोग कर रहे हैं-”जनसंचार माध्यम पर नियंत्रण करना बुद्धि पर नियंत्रण करना है।”

आज आवश्यकता है स्वतंत्रता सेनानी, कवि व पत्रकार श्री माखनलाल चतुर्वेदी की कही गई उस बात को व्यवहार में लाने की जिसे उन्होंने वर्ष 1925 में ‘कर्मवीर’ के लेख में अंतिम वाक्य के रूप में लिखा था-“प्रभु करे सेवा के इस पथ में मुझे अपने दोषों का पता रहे और आडंबर, अभिमान एवं आकर्षण मुझे पथ से भटका न सके।” सचमुच यदि मीडिया के क्षेत्र में इस आदर्श का सभी लोग अनुसरण करने लगें, तो वह दिन दूर नहीं कि इसे समाज में फिर से पहले की तरह विश्वसनीयता प्राप्त होने लगेगी।

उत्तर 8.
(क) प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि आकाश में काले-कजरारे बादलों की घटा उमड़ी हुई है। ऐसा लगता है मानो साँझ की श्वेत काया सजीव होकर आकाश में तैर रही है। अभिप्राय यह है कि काले बादलों पर संध्याकालीन सूर्य की श्वेत किरणेंपड़ने से साँझ सजीव हो उठी है।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश के अनुसार, आकाश में काले-काले बादलों ने अपना डेरा जमा रखा है। इन बादलों के नीचे से गुज़रते बगुलों
की श्रृंखला जादू की तरह कवि को सम्मोहित करती है। इस सौंदर्य के कारण वह स्वयं को माया से बँधा महसूस करता है।

(ग) कवि आकाश में उपस्थित मोहक दृश्य को देखकर उसके जादू से बँध गया है। बादलों के बीच गुज़रते बगुलों की श्रृंखला को । वह अपलक निहारना चाहता है। इस रमणीक सौंदर्य को वह अपनी आँखों से ओझल नहीं होने देना चाहता। इसीलिए कवि इसे तनिक रोके रखने को कहता है।

(घ) काव्यांश का केंद्रीय भाव सौंदर्य है। सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कवि ने चित्रात्मक वर्णन को महत्त्व दिया है। यह चित्र तथा कवि के मन पर पड़ने वाला प्रभाव कविता का वर्ण्य-विषय बन गया है। वस्तुगत तथा आत्मगत प्रवृत्तियों के संयोग पाठक को सौंदर्य के स्वाभाविक संसार में प्रवेश दिलाते हैं।

अथवा

(क) तुलसीदास लिखते हैं-‘मॉगि कै खैबो, मसीत को सोइबो’ अर्थात् वे भिक्षावृत्ति से और मस्जिद में सोकर अपना जीवन-निर्वाह करना चाहते हैं। उन्हें लोगों के कुछ भी कहने की परवाह नहीं है, उन्हें किसी से कुछ भी लेना-देना नहीं। वे तो बस जगत पिता श्रीराम के दास हैं।

(ख) तुलसीदास ने समाज के प्रति अपना क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा है कि चाहे कोई मुझे धूर्त कहे, योगी कहे, राजपूत कहे या जुलाहा कहे अर्थात् किसी भी वर्ग या जाति से जोड़कर देखे, मुझे इसकी कोई चिंता नहीं है, क्योंकि न तो मुझे। किसी की बेटी से अपने बेटे का ब्याह करना है और न ही दूसरों की जाति-बिरादरी में शामिल होकर उसे बिगाड़ना है। वास्तव में, तुलसीदास यहाँ जाति-पॉति पर आधारित सामाजिक व्यवस्था के पोषकों पर गहरा व्यंग्य करते हैं।

(ग) प्रस्तुत कथन के माध्यम से तुलसीदास यह बताना चाहते हैं कि उन्हें न तो किसी की बेटी से अपने बेटे का ब्याह रचाना है। और न किसी की जाति-बिरादरी में शामिल होकर उसे बिगाड़ना है; वे संत हैं, जिसकी कोई समाज निर्मित जाति नहीं होती। उनकी जाति एवं धर्म केवल मनुष्य एवं मनुष्यता है। इस प्रकार, जाति की शुद्धता की बात करने वाले परंपरा के ठेकेदारों पर जिन्होंने समाज को विभिन्न संकीर्ण आधारों पर विभाजित कर रखा है, उनपर तीखी टिप्पणी की है।

(घ) काव्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि तुलसीदास स्वयं को राम का गुलाम अर्थात् दास बताते हैं। वे राम के अनन्य भक्त हैं। वे कहते हैं कि मेरी प्रसिद्धि राम के दास के रूप में ही इस संसार में है। मुझे किसी और से कोई लेना-देना नहीं है, जिसे जो समझ में आए, वह मेरे विषय में कहे। वस्तुतः यह राम के प्रति तुलसीदास जी की अनन्य भक्ति ही है।

उत्तर 9.
(क) शिल्प के स्तर पर कविता विशिष्ट प्रवृत्ति को दर्शाती है। कवि शिल्पों के प्रयोग में सचेत है। नए बिंब, नवीन प्रतीक तथा नए उपमानों के माध्यम से कविता नई चमक के साथ सामने आई है। ‘उषा’ कविता में प्रकृति के परिवेश में होने वाला परिवर्तन मानवीय जीवन का चित्र बनकर सामने आया है। शमशेर ने प्रकृति की गति को बाँधने के लिए अपनी बिंबधर्मिता का कुशल प्रयोग किया है। कवि का चित्रकार मन भी मोम की भॉति पिघलकर शब्दों में फैल गया है।

(ख) कविता की भाषा सहज है, किंतु कविता के अंतर्गत विस्तृत बिंब का सृजन करने के कारण भाषा ध्वन्यात्मक एवं बिंबात्मक बन गई है। देशज तथा तत्सम शब्दों के सुंदर समन्वय के साथ कवि ने कविता को अद्भुत गति प्रदान करने में सफलता पाई है।

(ग) “अभी गीला पड़ा है” पंक्ति का भाव यह है कि सूर्योदय से पहले के आकाश में नमी होती है। ऐसा आभास होता है कि शाम को भोजन बनाने के बाद किसी गृहिणी ने अपने चूल्हे को राख से लीपा हो, जो अब तक गीला है। अत: भाव यह है कि भोर के नभ में सजलता का गुण विद्यमान है।

अथवा

(क) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने समय व्यतीत होने के क्रम में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की आतुरता का चित्रण किया है। प्रियजन से मिलने की आतुरता समय बीतने के साथ प्राणियों की मनोदशा एवं उसकी गतिविधियों को प्रभावित करती है। इसी की अत्यंत सहज एवं मार्मिक अभिव्यक्ति इन पंक्तियों में हुई है।

(ख) काव्यांश की भाषा सहज, सरस एवं प्रभावोत्पादक है। जल्दी-जल्दी’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार ‘कौन, किसके’ आदि के प्रयोग के कारण प्रश्नालंकार विद्यमान है। ‘जल्दी-जल्दी’ में ‘ई’ वर्ण की निरंतर आवृत्ति से स्वर-मैत्री उत्पन्न हुई है। काव्यांश में गेयता का गुण है।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने अपनी निराशा, उदासी एवं व्यर्थता-बोध के भाव संबंधी मर्म को सफलतापूर्वक स्पर्श किया है। चिड़ियों के अपने बच्चों की चिंता करने में वात्सल्य भाव दृष्टिगोचर होता है। इन पंक्तियों का सहृदय पाठक पर अत्यंत जीवंत प्रभाव पड़ता है।

उत्तर 10.
(क) प्रस्तुत काव्य-पंक्ति में कवि ने’और’ शब्द का प्रयोग तीन अर्थों में किया है। इस शब्द की अपनी ही विशेषता है, जिसे विशेषण के रूप में प्रयुक्त किया गया है। मैं और’ का अर्थ है कि मेरा अस्तित्व बिलकुल अलग है। मैं तो कोई अन्य ही अर्थात् विशेष व्यक्ति हूँ। ‘जग और’ से आशय है कि यह जगत भी कुछ अलग ही है। इन दोनों के बीच प्रयुक्त तीसरे ‘और’ का अर्थ है-के साथ अर्थात् यह दोनों को संयुक्त करने वाला पद है। कवि कहता है कि जब मैं और मेरा अस्तित्व बिलकुल अलग है, यह जगत भी बिलकुल अलग है, तो मेरा इस जगत के साथ संबंध कैसे स्थापित हो सकता है? यहाँ यमक अलंकार का चमत्कार प्रदर्शित हुआ है। कवि ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि इस संसार से आसक्ति की बात तो सोची भी नहीं जा सकती है।

(ख) पुरुषोत्तम श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण से अत्यधिक स्नेह करते थे। उन्हें मूर्च्छित देखकर वे विलाप करने लगते हैं। वे लक्ष्मण के वन आने का कारण स्वयं को मानते हुए स्वयं को ही इस दुर्घटना के लिए दोषी मानते हैं। वे नारी-हानि को भ्रातृ-हानि से कमतर मानते हैं। लक्ष्मण को बिछड़ते देखकर राम आत्मग्लानि एवं शोक से भर जाते हैं। वे स्वयं को शक्तिहीन-सा महसूस कर रहे हैं। इन सभी अवतरणों के आधार पर स्पष्टतः कहा जा सकता है कि राम और लक्ष्मण के स्नेह संबंध अद्वितीय हैं।

(ग) कवि रचना एवं साहित्य के संदर्भ में ‘क्षण की रोपाई’ तथा ‘अनंतता की कटाई’ की बात करता है। जिस प्रकार कृषि में फ़सल की रोपाई और कटाई की जाती है, उसी प्रकार साहित्य क्षेत्र में कवि किसी क्षण विशेष में उपजे मन के भावों को आधार ग्रहण करके अपनी रचना को मूर्त रूप देता है। एक क्षण का वह समय कालांतर में कालजयी साहित्यिक कृति का रूप ग्रहण करती है, जो अपने प्रभाव के स्तर पर काल की सीमाओं का अतिक्रमण कर निरंतर जीवन-रस प्रदान करती रहती है।

उत्तर 11.
(क) ढोल की आवाज़ लुट्टन सिंह के शरीर में बिजली जैसी सिहरन दौड़ा देती थी। उसका मन ढोल की ताल पर कुश्ती का प्रदर्शन करने के लिए उतावला हो जाता था। वह कुश्ती के लिए मचलने लगता था।

(ख) कुश्ती के दंगल में लुट्टन सिंह चाहता था कि वह कुश्ती लड़े तथा अन्य पहलवानों को चित्त कर दे, परंतु राजा साहब इसकी आज्ञा नहीं देते थे, इसलिए वह निराश ही रह जाता था।

(ग) राजा साहब जानते थे कि लुट्टन सिंह का सामना करने की शक्ति किसी भी पहलवान में नहीं है, बावजूद इसके वह उसे कुश्ती लड़ने की आज्ञा इसलिए नहीं देते थे, क्योंकि वह राज पहलवान था। यदि किसी भी कारण वह पराजित हो जाता, तो राजा साहब को शर्मिंदा होना पड़ता और पहलवान लुट्टन को भी हमेशा ग्लानि रहती।

(घ) राजा साहब जब लुट्टन सिंह को कुश्ती लड़ने की आज्ञा नहीं देते थे, तो वह निराश होकर कुश्ती के लिए लंगोट पहनकर मैदान में मिट्टी से ही कुश्ती लड़ता रहता। मिट्टी को कभी वह अपने शरीर पर मलता, तो कभी उछल-उछलकर उसके साथ खेलता रहता। इन्हीं सब गतिविधियों को देखकर राजा साहब मुस्कुराते रहते।

उत्तर 12.

(क) लेखक बाज़ार को एक जादू के रूप से देखता है। वह कहता है कि जिस प्रकार चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही इस जादू का असर तब भरपूर मात्रा में होता है, जब व्यक्ति की जेब भरी हो और मन खाली हो या फिर जेब खाली हो और मन भरा न हो। यदि मन खाली है, तो अनेक प्रकार की वस्तुएँ व्यक्ति को आमंत्रित करती रहेंगी। यह सब बाज़ार के जादू का ही असर है। लेखक ने जादू की जकड़ से बचने के लिए बिलकुल सही रास्ता बताया है कि व्यक्ति को बाज़ार तभी जाना चाहिए, जब उसे अपनी आवश्यकता के बारे में पूर्ण जानकारी हो, बिलकुल भगत जी की तरह, क्योंकि अपनी आवश्यकता का ज्ञान होने पर ही हम बाज़ार को तथा बाज़ार हमें, दोनों एक-दूसरे को सच्चा लाभ दे पाएँगे।

(ख) फ़िल्म कला को लोकतांत्रिक बनाने का अर्थ है-फ़िल्म सामान्य लोगों के लिए उपयोगी बनाना यानी सामान्य लोगों की अनुभूति को प्रकट करना अर्थात् किसी विशेष वर्ग या वर्ण का प्रतिनिधित्व न करना| लोकतांत्रिक कला अधिक-से-अधिक जनसामान्य को प्रभावित एवं प्रसन्न करती है। चार्ली ने ऐसा ही किया। चार्ली चैप्लिन की फ़िल्में किसी भी वर्ग या वर्ण के लोगों को समान रूप से प्रभावित करती थीं, जबकि अन्य फ़िल्मों के विशेष दर्शक वर्ग हुआ करते हैं। चार्ली एक ऐसे कलाकार थे, जो वर्ग एवं वर्ण की सीमा को तोड़कर अपनी फ़िल्मों में अभिनय करते थे। यहाँ तक कि उनकी फ़िल्में देश की सीमा को भी लॉघ गईं। उन्होंने सिर्फ मानव जाति की भावनाओं को तरजीह दी तथा करुण एवं हास्य का सम्मिश्रण करके मूल मानवीय भावनाओं को जीवंत बनाए रखा।

(ग) वर्षा, पानी, बैल, भोजन सबका पारस्परिक संबंध है। वर्षा के रूप में जब पानी मिलता है, तो बैल पानी पीकर खेतों पर जाते हैं। उसके बाद ही फ़सल आने पर सभी को भोजन मिलता है। ग्रीष्म ऋतु की असहनीय लू में प्रत्येक जीव-जंतु और पेड़-पौधे व्याकुल हो जाते हैं। बैल भी प्यासे ही रह जाते हैं और बैलों के काम नहीं करने के कारण ही खेतों में अन्न नहीं उगता है। इसी कारण वर्षा के अभाव में सारी खेती के नष्ट होने का खतरा पैदा हो जाता है। इसलिए इंदर सेना के इस खेल गीत में बैलों की प्यास की बात मुखरित हुई है। लोग इंदर को भेंट करने के लिए पानी देंगे, तभी इंदर भगवान प्रसन्न होंगे। इंदर भगवान के प्रसन्न होने पर ही बैलों की प्यास बुझेगी और सुचारु ढंग से खेती हो पाएगी।

(घ) परिवर्तन संसार का नियम है। मनुष्य को समयानुसार परिवर्तन करते रहना चाहिए। मृत्यु तो अटल है, जो लोग समय के साथ चलते हैं, नए को स्वीकार करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं, उनको समाज भी अपना मानने लगता है और वे कुछ समय के लिए काल के कोड़ों से भी बचे रहते हैं। इसके विपरीत, जो एक ही स्थान पर जमे रहते हैं, उनको समाज भी पुराना, जीर्ण-क्षीण समझकर अस्वीकार कर देता है। जरा (वृद्धावस्था) और मृत्यु अतिपरिचित और अतिप्रामाणिक सत्य है, जिसे सभी को स्वीकार करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए।

(ङ) जाति-प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप मानने से डॉ. आंबेडकर इनकार करते हैं। उनके अनुसार यह विभाजन अस्वाभाविक है, क्योंकि

  • यह मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है।
  • इसमें व्यक्ति की क्षमता की उपेक्षा की जाती है।
  • यह केवल माता-पिता के सामाजिक स्तर का ध्यान रखती है।
  • व्यक्ति के जन्म से पहले ही श्रम विभाजन निर्धारित हो जाना अनुचित है।
  • जाति-प्रथा व्यक्ति को जीवनभर के लिए एक ही व्यवसाय से बाँध देती है। व्यवसाय उपयुक्त हो या अनुपयुक्त, व्यक्ति को उसे अपनाने के लिए बाध्य किया जाता है।
  • विपरीत परिस्थितियों में भी पेशा बदलने की अनुमति नहीं दी जाती, भले ही किसी को भूखा क्यों न मरना पड़े?

उत्तर 13.
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में पीढ़ियों के अंतराल की समस्या को समाज के सामने रखा गया है। अंतराल का कारण है कि पुरानी पीढ़ी नए बदलाव को समझना ही नहीं चाहती, स्वीकार करना तो दूर की बात है। पंतजी यानी यशोधर बाबू भी इस बात को मानते हैं कि उनके बच्चे, दुनियादारी उनसे ज़्यादा अच्छी तरह समझते हैं। फिर भी वे पुराने विचारों में रहना पसंद करते हैं। रहन-सहन, पहनावा, आपसी रिश्तेदारी सभी यशोधर जी को अपने पुराने विचारों या सोच के कारण ‘समहाउ इंप्रापर’ ही लगते हैं।

इस पूरी कहानी में नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के अंतराल को दर्शाया गया है। इस अंतर को कम करने का एक ही तरीका हैबदलाव। पुरानी पीढ़ी के लोगों को समझना चाहिए कि नई पीढ़ी बदलाव चाहती है। वह संसार में अपने नियमों के साथ जीना चाहती है और नई पीढ़ी को भी पुराने विचारों को उसी सीमा तक बदलना चाहिए, जिससे पुरानी पीढ़ी दुःखी न हो और नई पीढ़ी को उससे लाभ मिले। समय के साथ सामंजस्य करके ही हम स्वयं को तथा अन्यों को प्रसन्न रख सकते हैं।

उत्तर 14.
(क) जब सिंधु सभ्यता की खुदाई हुई, तब वहाँ मिट्टी के बर्तन, सिक्के, मूर्तियाँ, पत्थर और मिट्टी के उपकरण मिले थे। इन चीज़ों का मिलना यह बताता है कि उस समय लोग इन चीज़ों को प्रयोग में लाते थे। सड़कों, नालियों तथा गलियों को साफ़-सुथरा रखना उनकी समझदारी को दर्शाता है। मुअनजोदड़ो के अजायबघर में प्रदर्शित वस्तुओं में भी कलाकृतियाँ हैं, औजार हैं, किंतु कोई हथियार नहीं है। समूची सिंधु सभ्यता में कहीं भी हथियार के दर्शन नहीं होते, जो स्पष्ट संकेत करता है कि शक्ति से इस सभ्यता का संबंध नहीं के बराबर रहा होगा। इसके अतिरिक्त, कहीं भी न तो राजा या सेनापति का कोई चित्र मिलता है और न ही किसी की समाधि। इन सबसे स्पष्ट होता है कि इस सभ्यता में सत्ता का कोई केंद्र नहीं था। राजा या सेना का अस्तित्व अत्यंत संदिग्ध है। अतः यहाँ आत्म अनुशासित राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था की संभावना अधिक प्रबल लगती है।

(ख) ऐन फ्रैंक की प्रतिभा एवं धैर्य का परिचय हमें उसकी डायरी से ही मिलता है। उसमें किशोरावस्था का अक्खड़पन कम तथा सहज शालीनता अधिक है, जबकि उसकी अवस्था में अन्य कोई लड़की अपनी विचलित मानसिकता एवं बेचैनी का आभास करा देती। ऐन ने अपने स्वभाव एवं अवस्था पर नियंत्रण पा लिया था। वह एक सकारात्मक, परिपक्व एवं सुव्यवस्थित विचारों वाली लड़की थी, जिसमें अद्भुत सहनशक्ति थी। बुरी लगने वाली अनेक बातों को भी वह शालीन चुप्पी के साथ बड़ों का सम्मान करने के लिए सहन कर जाती थी। पीटर के प्रति अपने अंतरंग भावों को भी वह सहेजकर केवल डायरी में ही व्यक्त करती है। अपनी भावनाओं को वह किशोरावस्था में भी जिस परिपक्वता के साथ नियंत्रित करती है, वह वास्तव में सराहनीय है। इसी परिपक्व सोच का परिणाम उसके डायरी लेखन में सामने आता है। यदि ऐन में सधी हुई परिपक्वता न होती, तो मानव-समाज को तत्कालीन युद्धकाल की यथार्थ दास्तान पढ़ने को प्राप्त नहीं होती।

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CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1

CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 are part of CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1.

CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1

BoardCBSE
ClassXII
SubjectComputer Science
Sample Paper SetPaper 1
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme, as prescribed by the CBSE, is given here. Paper 1 of Solved CBSE Sample Paper for Class 12 Computer Science is given below with free PDF download Answers.

Time: 3 Hours
Maximum Marks: 70

General Instructions:

  • All questions are compulsory within each Section.
  • Programming Language in SECTION A : C++.
  • Answer the questions after carefully reading the text.

SECTION A

Question 1.
(a) Which of the following are not reserved keywords in C++?

WHILE, default, if, IF, do, INCLUDE, int, FLOAT

(b) Which C++ header file(s) will be essentially required to be included to run/execute the following C++ code?

void main( )
{
int Cno = 102; char CName[ ]= "Aayaan";
cout<<setw(5)<<Cno<<setw(25)<<CName<<endl;
}

(c) Rewrite the following program after removing the syntactical error(s), if any. Underline each correction.

#include
#include[stdio.h]
void main( )
{
struct movie
{
char movie_name[20];
char movie_type;
int ticket_cost = 100;
}
MOVIE;
gets(movie_name);
gets(movie_type);
}

(d) Find the output of the following C+ + program code:
Note: Assume all required header files are already being included.

void Change(int a = 25) .
{
for(int I = 10; I <= a; I+ = 4)
cout<<I<<" ";
cout< }
void Update(int &n)
{
n+ = 20:
Change(n);
}
void main()
{
int C = 15:
Update(C); '
Change( ):
cout<<"Number=''<<C<<endl:
}

(e) Find the output of the following program:

class TEACHER
{
int Tid, TeachCode, TeacherCount;
public:
TEACHER(int Thid=1)
{
Tid=Thid;
TeachCode=0;
TeacherCount=0;
}
void Subject(int S=20)
{
TeachCode++;
TeacherCount+=S;
}
void Status( )
{
cout<<Tid<<":"<<TeachCode<<”:”<<TeacherCount<<endl; 
} 
}; 
void main( ) 
{ 
TEACHER T(5), M: 
T.Subject( ); 
M.Subject(50); 
T.Status( ): 
T.Subject(30); 
M.Status( ); 
T. Status( ); 
}

(f) Observe the following program carefully, if the value of Num entered by the user is 5, choose the correct possible output(s) from the options from (i) to (iv). And also find the minimum and maximum value of Rndnum variable. Note: Assume all required header files are already being included. random(n) function will generate an integer between 0 to n-1.

void main( ) 
{ 
randomize( ); 
int Num, Rndnum; 
cin>>Num;
Rndnum = random(Num)+5;
for(int N=1; N<=Rndnum; N++)
cout<<N<<" ";
}

Output
(i) 1 2 3 4
(ii) 1 2
(iii) 1 2 3 4 5 6 7 8 9
(iv) 1 2 3

Question 2.
(a) Explain the transitive nature of inheritance with an example.
(b) Answer the questions (i) and (ii) after going through the following class:

class Vehicle
{
int VehicleNo, Track;
public:
Vehicle( ); // Function1
Vehicle(int VH); // Function2
Vehicle(Vehicle &V); // Function3
void Allocated; // Function4
void Moved; // Function5
};
void main( )
{
Vehicle V;
:
:
}

(i) Out of the following, which option is correct for calling Function2?
Option 1 – Vehicle H(V);
Option 2 – Vehicle P(10);
(ii) Name the feature of object oriented programming which is illustrated by Function1, Function2 and Function3 combined together.
(c) Define the class Student with the following specifications:
Private members
admno integer
sname 20 characters
eng, math, science float
total float
ctotal ( ) A function to calculate eng + math + science

Public members
Takedata( ) function to accept values for admno, sname, eng, math, science and invoke ctotal( ) to calculate total.
Sbowdata( ) function to display all the data members on the screen.
(d) Answer the questions (i) to (iv) based on the following code:

class MANAGER
{
int Mgr_no;
char Mgr_Name[20];
protected:
char Dept[20];
public:
MANAGER( );
void Mentry( );
void Mdisplay( );
};
class EMPLOYEE
{
int emp_no;
char emp_name[20];
protected:
float salary;
public: .
EMPLOYEE( );
void Eentry( );
void Edisplay( );
};
class COMPANY:private MANAGER, public EMPLOYEE
{
char cmp_no[10];
char estb_date[8]:
public:
char description[20];
COMPANY( );
void Centry( );
void Cdetail( ):
};

(i) Which type of inheritance is shown in the above example?
(ii) Write the names of data members which are accessible from objects belonging to class COMPANY.
(iii) Write the names of all the member functions which are accessible from objects belonging to class COMPANY.
(iv) Write the names of all the data members which are accessible from member functions of class EMPLOYEE.

Question 3.
(a) Write a function in C++ which accepts an integer array and its size as arguments and replaces elements having odd values with thrice its value and elements having even values with twice its value.
e.g. If an array of five elements initially contains the elements as 3, 4, 5, 16, 9
Then, the function should rearrange the content of the array as 9, 8, 15, 32, 27
(b) An array P[50] [60] is stored in the memory along the column with each of the element occupying 2 bytes. Find out the memory location for the elements P[10] [20], if the base address of the array is 6800.
(c) Given the necessary declaration of linked implemented queue containing players information (as defined in the following definition of Node). Also, write a user defined function in C++ to delete one player’s information from the queue.

struct Node
{
int PlayerNo;
char PIayerName[20];
Node * Link;
};
class QUEUE( )
{
Node *front, *rear;
public:
QUEUE( )
{
front=rear=Null;
}
void Insert_Node( );
void Delete_Node( );
~QUEUE( );
};

(d) Change the following infix expression into postfix expression:
((A + B) * C + D/E – F)
(e) Write a function in C++ to find the sum of both left and right diagonal elements from a two dimensional array (matrix).
e.g. If array contains
4 3 5
6 7 4
5 6 7
The output will be
Sum of Diagonal 1 : 18
Sum of Diagonal 2 : 17

Question 4.
(a) Find the output of the following C++ code considering that the binary file STU.DAT exists on the hard disk with a data of 50 students.

class Student
{
int Rno;
char Sname[50];
public:
int count( );
};
void main( )
{
fstream f;
f.open("STU.DAT", ios::binary|ios::in);
Student S;
int a=1;
while(a<2)
{
f.read((char*)&S, sizeof(S));
a++ ;
}
int Position=f.tellg( )/sizeof(S);
cout<<"\n Present Student Record:"<<Position<<endl; 
f.close( ); 
}

(b) Write a function in C++ to print the count of the word “is” as an independent word in a text file “DIALOGUE.TXT”. e.g. If the content of the file DIALOGUE.TXT is This is his book. Is this book good? Then the output of the program should be 2.
(c) Assuming a binary file “JOKES.DAT” is containing objects belonging to a class JOKE (as defined below). Write a user-defined function in C++ to add more objects belonging to class JOKE at the bottom of it.

class JOKE, 
{
int Jokeid; // Joke identification number 
char Type[5]; // Joke type 
char Jokedesc[255]; // Joke description 
public; 
void NewJokeEntry( ) 
{ 
cin>>Jokeid;gets(Type);
gets(Jokedesc);
}
void ShowJoke( )
{
cout<<Jokeid<<": "<<Type<<endl<<Jokedesc<<endl;
}
};

SECTION B

Question 5.
(a) Differentiate between primary key and candidate key of a table with the help of an example.
(b) Write SQL queries for (i) to (iv) and find outputs for SQL queries (v) to (viii). Which are based on the tables?
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 1

CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 2
(i) To display the details of all the clients except those whose city is Delhi.
(ii) To display the ClientName, City from table CLIENT and ProductName and Price from table PRODUCT, with their corresponding matching P_ID.
(iii) To display names of those clients whose city is Delhi and has ‘e’ as third letter in their name.
(iv) To display product names and price in decreasing order of price.

(v) SELECT DISTINCT City FROM CLIENT;
(vi) SELECT ManufacturerName, MAX(Price), MIN(Price), COUNT(*)
FROM PRODUCT GROUP BY ManufacturerName;
(vii) SELECT ClientName, ProductName FROM CLIENT, PRODUCT
WHERE CLIENT.P_ID = PRODUCT.P_ID;
(viii) SELECT ProductName, Price, ClientName, City FROM PRODUCT, CLIENT
WHERE PRODUCT.P_ID=CLIENT.P_ID AND Price<90;

Question 6.
(a) Verify the following using Boolean laws:
\(\bar { X } Y+X\bar { Y } +\bar { X } \bar { Y } =\left( \bar { X } +\bar { Y } \right)\)
(b) Write the equivalent Boolean expression for the following logic circuit:
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 3
(c) Given the following truth table, derive a Sum of Product (SOP) form of Boolean expression from it:
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 4
(d) If F(A, B, C, D) = π(0, 2, 4, 5, 7, 8, 10, 12, 13, 15), obtain the simplified form using K-map.

Question 7.
(a) Which network device is used to amplify the feeble signals when they are transported over a long distance? Also, write its function.
(b) Give two major reasons to have network security.
(c) How does node failure cause network failure in a ring topology?
(d) What is the purpose of using a Web browser? Name any one commonly used Web browser.
(e) Knowledge Supplement Organisation (KSO) has set-up its new center at Bengaluru for its office and Web-based activities. It has 4 blocks of buildings as shown in the diagram below:
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 5
(i) Suggest a cable layout of connections among the blocks.
(ii) Suggest the most suitable place, i.e. Block to house the server of this organization with a suitable reason.

(iii) Which type of network out of the following is formed be a connection the computers of these three blocks?
I. LAN
II. MAN
III. WAN

(iv) Which wireless channel out of the following should be opted by (KSO) to connect to people from all over the world?
I. Infrared
II. Microwave
III. Satellite

(f) Categorize the following client side and server side script category:
(i) PHP
(ii) VB Script
(iii) ASP
(iv) JavaScript

(g) List the characteristics of a computer virus.

Answers

Answer 1.
(a) WHILE, IF, INCLUDE, FLOAT are not reserved keywords in C ++.

(b) <iomanip.> → setw( )
<iostraem.h> → cout( )

(c) #include
#include
void main( )
{
struct movie
{
char movie_name[20];
char movie_type;
int ticket cost;
} MOVIE;
MOVIE.ticket cost=100:
qets(MOVIE, movie name):
cin>>MOVIE, movie type:
}

(d) Output
10 14 18 22 26 30 34
10 14 18 22
Number = 35
(e) Output
5 : 1 : 20
1 : 1 : 50
5 : 2 : 50
(f) The possible output is (iii) 1 2 3 4 5 6 7 8 9
The minimum value of Rndnum = 5
The maximum value of Rndnum = 9

Answer 2.
(a) Inheritance is transitive, i.e. if a class B inherits properties of another class A, then all subclasses of B will automatically inherit the properties of class A. This property is called transitive nature of inheritance,
e.g.

class A .
{ int a;
public:
void setA( )
{
cin>>a;
}
};
class B:public A
{
int b;
public:
void setB( )
{
cin>>b;
}
};
class C:public B
{
int c;
public:
void setC( )
{
cin>>c;
}
};

The above example show the transitive nature of inheritance,
(b) (i) Option 2-Vehicle P(10); is correct
(ii) Constructor overloading

(c) class Student
{
int admno;
char sname[20];
float eng, math, science;
float total;
ctotal( )
{
float sum = eng + math + science;
return sum;
}
public:
void Takedata( )
{
cout<<"Enter admission number\n";cin>>admno;
cout<<"Enter your name\n"; gets(sname);
cout<<"Enter marks in English\n"; cin>>eng;
cout<<"Enter marks in Maths\n";cin>>math;
cout<<"Enter marks in Science\n";cin>>science;
ctotal( );
}
void Showdata( )
cout<<"Admi ssion number\n"<<admno<<endl;
cout<<"Name\n"<<sname<<endl;
cout<<"Marks in Engl ish\n"<<eng<<endl;
cout<<"Marks in Maths\n"<<math< cout<<"Marks in Science\n"<<science<<endl;
cout<<"Total Marks\n"<<total;
}
};

(d) (i) Multiple Inheritance
(ii) description
(iii) Centry( ), Cdetail( ), Eentry( ), Edisplay( )
(iv) emp_no, emp_name, salary

Answer 3.

(a) void replace(int *arr, int Size)
{
int i;
for(i=0; i<Size; i++)
if(arr[i]%2 == 0)
arr[i]=arr[i]*2;
else
arr[i]=arr[i]*3;
for(i=0; i<Size; i++)
cout<<arr[i]<<" ";
}

(b) P[50][60]=Base address = 6800
R = 50
Size of element W=2 bytes
I = 10, J = 20, Ir =0, Ic = 0
P[I][J] = B + W*[(I-Ir) + R*(J-Ic)]
P [10][20] =6800 + 2 * [(10 – 0) + 50 * (20 – 0)]
= 6800 + 2 * [10+1000]
= 6800+ 2 *[1010]
= 6800 + 2020 = 8820

(c) void Delete_Node( )
{
Node *P;
if(front==Null)
cout<<"Underflow":
else if (front==rear)
{
P=front;
cout<<"Deleted Node information is";
cout<PlayerNo;
puts(P->playerName);
front=rear=Null;
delete P;
}
else
{
P=front;
cout<<"Deleted Node information is";
cout<PlayerNo;
puts(p->PlayerName);
front-front->Link;
delete P;
}
}

(d) Given, expression as ((A + B)* C + D/E – F)
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 6
Hence, the postfix expression is AB + C * D/E-F

(e) void DiagSum(int AC[ ]C5], int N) //A[ ][ ] is a matrix of size m x n and m = n
{
int SumD1=0, SumD2=0;
for(int I=0; I<N; I++)
{
SumD1 =A[I][I]; SumD2+=A[N-I-1][I];
}
cout<<"Sum of Diagonal 1 : "<<SumD1<<endl;
cout<<"Sum of Diagonal 2 : "<<SumD2<<endl; 
}

Answer 4.
(a) Present Student Record: 1

(b) void COUNT( ) 
{
fstream File; 
Fi1e.open("DIALOGUE.TXT", ios::in);
char word[80]; int c=0; 
File>>word;
while(!File.eof(.))
{
for(int i=0; i<strlen(word); i++) 
word[i] = tolower(word[i]); 
if(strcmp(word,"is")=0) C++; 
File>>word;
}
cout<<"count of is in file"<<c<<endl;
File.close( );
}

(c) void AddJoke( )
{
char ans = "y";
fstream file;
file.open("JOKES.DAT", ios::app | ios::binary);
cout<<"want to add an object(y/n)";
ans = getchar( );
while(ans == ’y’)
{
JOKE J1;
J1.NewJokeEntry( );
file.write((char *)&J1, sizeof(J1));
cout<<"want to add an object(y/n)’;
ans = getchar( );
}
file.close( );
}

Answer 5.
(a) A candidate key can be any column or a combination of columns that can qualify as unique key in the database. There can be multiple candidate keys in one table. While the Primary key is a column that uniquely identifies a record. A relation can have only one primary key.
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 7
In the EMPLOYEE table, Encode and Regno both can identify uniquely. So, both are candidate keys. Here, we have created Encode as a primary key.

(b) (i) SELECT * FROM CLIENT WHERE City NOT IN (’Del hi');
(ii) SELECT ClientName, City, ProductName, Price FROM CLIENT, PRODUCT
WHERE CLIENT.P_ID = PRODUCT.P_ID;
(iii) SELECT ClientName FROM CLIENT
WHERE City='Delhi' AND ClientName LIKE"__e%";
(iv) SELECT ProductName, Price FROM PRODUCT ORDER BY Price DESC;

CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 8
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 9

Answer 6.
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 10
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 11
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 12

Answer 7.
(a) Repeater: The basic function of a repeater is to amplify the incoming signal and retransmit it, to the other device.
(b) Two major reasons to have network security are as follows:
(i) Security keeps information secure from unauthorized users.
(ii) Authentication determining that the user. is. authorized before sharing sensitive information with or entering into a business deal.
(c) The transmission of data in a ring goes through every connected node on the ring before returning to the sender. If one node fails to pass data through itself, the entire network has failed and no traffic can flow until the defective node has been removed from the rang.
(d) The Web browser fetches the page requested, interprets” the text and formatting commands that it contains and displays the page properly formatted on the screen, e.g. Mozilla Firefox.
(e) (i) Cable Layout
CBSE Sample Papers for Class 12 Computer Science Paper 1 13
(ii) The most suitable place/block to house the server of this organization would be Block C, as this block contains the maximum number of computers, thus decreasing the cabling cost for most of the computers as well as increasing the efficiency of the maximum computers in the network.
(iii) I. LAN because its coverage area is up to 5 km.
(iv) III. Satellite because its coverage area is in all over the world.
(f) Client-side script
(iii) VB Script
(iv) JavaScript
Server-side script
(i) PHP
(ii) ASP
(g) The following are the characteristics of a computer virus:
(i) it is able to replicate.
(ii) It requires a host program as a carrier.
(iii) It is activated by external action.
(iv) Its replication ability is limited to the system.

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 1

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 1

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ClassXII
SubjectHindi
Sample Paper SetPaper 1
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 1 of Solved CBSE Sample Paper for Class 12 Hindi is given below with free PDF download solutions.

समय :3 घंटे
पूर्णांक : 100

सामान्य निर्देश

  • इस प्रश्न-पत्र के तीन खंड हैं- क ख और ग।
  • तीनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (15)

भाषा का एक प्रमुख गुण है—सृजनशीलता। हिंदी में सृजनशीलता का अद्भुत गुण है, अद्भुत क्षमता है, जिससे वह निरंतर प्रवाहमान है। हिंदी ही ऐसी भाषा है, जिसमें समायोजन की पर्याप्त और जादुई शक्ति है। अन्य भाषाओं और संस्कृतियों के शब्दों को हिंदी जिस अधिकार और सहजता से ग्रहण करती है, उससे हिंदी की संभावनाएँ प्रशस्त होती हैं। हिंदी के लचीलेपन ने अनेक भाषाओं के शब्दों को ही नहीं, उनके सांस्कृतिक तेवरों को भी अपने में समेट लिया है। यही कारण है कि हिंदी सामाजिक संस्कृति की तथा विविध भाषा-भाषियों और धूर्मावलंबियों की प्रमुख पहचान बन गई है। अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेज़ी आदि के शुब्द हिंदी की शब्द-संपदा में ऐसे मिल गए हैं, जैसे वे जुन्म से ही इसी भाषा परिवार के सदस्य हों। यह समाहार उसकी जीवंतता का प्रमाण है।

आज हम परहेज़ी होकर, शुद्धतावाद की जड़ मानसिकता में कैद होकर नहीं रह सकते। सूचना-क्रांति, तकनीकी-विकास और वैज्ञानिक आविष्कारों के दबाव ने हमें सबसे संवाद करने के अवसर दिए हैं। विश्व-ग्राम की संकल्पना से हिंदी को निरंतर चुलना होगा। इसके लिए आवश्यक है-आधुनिक प्रयोजनों के अनुरूप विकास और भाषा एवं लिपि से संबंधित यांत्रिक साधनों का विकास। इंटरनेट से लेकर बाज़ार तक, राजकाज से लेकर शिक्षा और न्याय के मंदिरों तक हिंदी को उपयोगी और कार्यक्षम बनाने के लिए उसका सरल-सहज होना आवश्यक है और उसकी ध्वनि, लिपि, शब्द-वर्तनी, वाक्य-रचना आदि का मानकीकृत होना भी ज़रूरी है। सरकार की तत्परता के साथ हम जुनुता की दृढ़ इच्छाशक्ति, सजगता और सचेष्टता को जोड़ दें, तो वह दिन दूर नहीं, जब हिंदी अंतर्राष्ट्रीय सरहदों में भारत की प्रतिनिधित्व करेगी।

(क) उपरोक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) हिंदी की समायोजन शक्ति से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(ग) हिंदी भारत की सामाजिक संस्कृति की पहचान कैसे बन गई?
(घ) हिंदी भाषा के संदर्भ में शुद्धतावादी होने का क्या तात्पर्य है?
(ङ) आज हमें सबसे संवाद स्थापित करने का अवसर मिला है। हिंदी के संदर्भ में इसे स्पष्ट कीजिए।
(च) हिंदी के माध्यम से विश्व-ग्राम की संकल्पना को साकार करने के लिए क्या आवश्यक है?
(छ) हिंदी को सभी क्षेत्रों में उपयोगी एवं कार्यक्षम कैसे बनाया जा सकता है?
(ज) गद्यांश के केंद्रीय भाव को लगभग 20 शब्दों में लिखिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

उस काल मारे क्रोध के तुन काँपने उसका लगा,
मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जुगा।
मुख-बाल-रवि-सुम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ,
प्रलयार्थ उनके लिए वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ?
युग-नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जुल की धार-से,
अब रोष के मारे हुए, वे दहकते अंगार-से।
निश्चय अरुणिमा-मित्तु अनुल की जुल उठी वह ज्वाल-सी,
तब तो दृगों का जुल गया शोकाश्रु जल तत्काल ही।
साक्षी रहे संसार करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं,
अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारूँ न मैं,
अथवा अधिक कुहना वृथा है, पार्थ का प्रण है युही,
साक्षी रहे सुन ये वचन रवि, शशि, अनल, अंबर, मुही।

पूरा कराँगा कार्य सुबु कथानुसार यथार्थ मैं।
जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैं अभी,
वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दिखेंगे सभी।
अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है,
इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है,।
उस खल जयद्रथ को जगत में मृत्यु ही अब सार है,
उन्मुक्त बस उसके लिए कौरव नरक का द्वार है।
उपयुक्त उस खलु को न यद्यपि मृत्यु का भी दंड है,
पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दंड और प्रचंड है।
तो सत्यू कुहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर धारूँ न मैं।
सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथु-वध करूँ,
तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनुलु में जलु मुरू।

(क) प्रस्तुत काव्यांश में किसके क्रोध का वर्णन किया गया है और क्रोध का कारण क्या है?
(ख) काव्यांश में किसे मारने का प्रण लिया गया है और किसके द्वारा?
(ग) शत्रु को नहीं मार पाने की स्थिति में अर्जुन ने कौन-सी शपथ ली थी?
(घ) आशय स्पष्ट कीजिए
उसे काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा,
मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।
(ङ) प्रस्तुत काव्यांश का मूल-भाव स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अनुच्छेद लिखिए

(क) ग्लोबल वार्मिंग
(ख) पर्वतीय प्रदेश की यात्रा
(ग) योग का महत्त्व
(घ) राष्ट्र निर्माण में नारी की भूमिका

प्रश्न 4.
बस में गुंडों द्वारा घेर लिए जाने पर एक महिला यात्री की सहायता करने वाले बस-संवाहक के साहस एवं कर्तव्य भावना की प्रशंसा करते हुए परिवहन निगम के मुख्य प्रबंधक को पत्र लिखिए।

अथवा

विलंब से पुस्तक जमा करने पर पुस्तकालयाध्यक्ष द्वारा लगाए गए आर्थिक दंड से मुक्ति के लिए प्राचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज, इलाहाबाद को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए (1 × 5 = 5)

(क) समाचार लेखन में शीर्षक का क्या महत्त्व है?
(ख) विशेष रिपोर्ट के लेखन में किन बातों पर अधिक बल दिया जाता है?
(ग) ‘इंट्रो’ तथा ‘बॉडी’ किसे कहते हैं?
(घ) पत्रकारिता के प्रमुख प्रकार बताइए।
(इ) प्रिंट माध्यम से क्या तात्पर्य है?

प्रश्न 6.
‘विज्ञापन की बढ़ती हुई लोकप्रियता’ विषय पर एक आलेख लिखिए।

अथवा

हाल ही में पढ़ी गई किसी पुस्तक की समीक्षा लिखिए।

प्रश्न 7.
‘फुटपाथ पर सोते लोग’ अथवा ‘आधुनिक जीवन में मोबाइल फ़ोन’ में से किसी एक विषय पर फ़ीचर लेखन कीजिए।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 4= 8)

‘तिरती है समीर-सागर पुर
अस्थिर सुख पर दु:ख की छाया
जग के दग्धू हृदय पुर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया
यह तेरी रण-तरी

भुरी आकांक्षाओं से,
घन, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशाओं से।
नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!

(क) काव्यांश में वर्णित माया का उल्लेख किस रूप में किया है?
(ख) कवि ने ‘जग के दग्ध हृदय’ का प्रयोग किस संदर्भ में किया है?
(ग) बादल की रणभेरी का सुप्त अंकुरों पर कैसा प्रभाव पड़ रहा है?
(घ) काव्यांश का केंद्रीय भाव समझाइए।

अथवा

खेती न किसान को, भिखारी को न भीख, बलि,
बनिक को बुनिज, न चाकर को चाकरी।
जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,
कहैं एक एकन सों “कहाँ जाई, का करी?’

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,
साँकरे सबै पै, राम! रावरं कृपा करी।
दारिद-दसानन दबाई दुनी, दीनबंधु!
दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी।

(क) प्रस्तुत काव्यांश में विभिन्न वर्गों के लोगों की कैसी अवस्था का चित्रण किया गया है?
(ख) वेद और पुराण क्या कहते हैं?
(ग) तुलसीदास ने दरिद्रता को किसके समान बताया है?
(घ) आजीविकाविहीन लोग अपनी पीड़ा किस प्रकार व्यक्त करते हैं?

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 3= 6)

आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी

रह-रह के हवा में जो लोका देती है।
गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी

(क) काव्यांश का भाव-सौंदर्य अपने शब्दों में लिखिए।
(ख) काव्यांश की भाषा एवं छंद के बारे में टिप्पणी कीजिए।
(ग) काव्यांश में प्रस्तुत बिंब एवं अलंकार पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 x 2 = 6)

(क) ‘कविता के बहाने’ कविता के संदर्भ में चिड़िया एवं कविता के बीच के संबंध का आधार स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में निहित व्यंग्य पर टिप्पणी कीजिए।
(ग) ‘बादल-राग’ कविता में कृषकों की किस दशा का चित्रण है? उनकी ऐसी दशा क्यों है?

प्रश्न 11.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 4 = 8)

पंद्रह दिन यों गुज़रे कि पता नहीं चला। जिमखाना की शामें, दोस्तों की मुहब्बत, भाइयों की खातिरदारियाँ, उनुका बस न चलता था कि बिछुड़ी हुई परदेसी बहन के लिए क्या कुछ न कर दें। दोस्तों, अज़ीज़ों की यह हालत थी कि कोई कुछ लिए आ रहा है, कोई कुछ। कहाँ रखें, कैसे पैक करें, क्यों कर ले जाएँ-एक समस्या थी। सबसे बड़ी समस्या थी बादामी कागज़ की एक पुड़िया की जिसमें कोई सेर भुर लाहौरी नमुक था।

सफ़िया का भाई एक बहुत बड़ा पुलिस अफसर था। उसने सोचा कि वह ठीक राय दे सकेगा। चुपके से पूछने लगी, “क्यों भैया, नमुक ले जा सकते हैं?” वृह हैरान होकर बोला, “नमुक? नुमुक तो नहीं ले जा सकते, गैर-कानूनी है और नमक का आप क्या करेंगी? आप लोगों के हिस्से में तो हमसे बहुत ज़्यादा नमक आया है।” वह झुंझुला गई, “मैं हिस्से-बखरे की बात नहीं कर रही हूँ, आया होगा। मुझे तो लाहौर का नुमक चाहिए, मेरी माँ ने यही मँगवाया है।”

(क) सफिया के पंद्रह दिन किस प्रकार व्यतीत हए?
(ख) सफ़िया के सामने कौन-सी सबसे बड़ी समस्या आ खड़ी हुई?
(ग) नमक ले जाने की बात पर सफ़िया के भाई ने क्या कहा?
(घ) सफ़िया की क्या प्रतिक्रिया थी, जब उसने अपने भाई का जवाब सुना?

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 4= 12)

(क) लेखिका के कार्यों में भक्तिन किस प्रकार से मदद करती थी?

(ख) ‘बाज़ारुपन’ से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं?

(ग) दिनों-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवा वर्ग ‘काले मेघा पानी’ दे की इंदर सेना की तर्ज पर कोई सामूहिक आंदोलन प्रारंभ कर सकता है? अपने विचार लिखिए।

(घ) महाभारत का कौन-सा दृश्य करुण और हास्योत्पादक दोनों है? ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

(ङ) “अगर सभी का दिमाग हम अदीबों की तरह घूमा हुआ होता, तो यह दुनिया कुछ बेहतर ही जगह होती, भैया।” सफ़िया ने ऐसा क्यों कहा? ‘नमक’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 13.
“कहते हैं, कविता में से कविता निकलती हैं। कलाओं की तरह वास्तुकला में भी कोई प्रेरणा चेतन-अवचेतन ऐसे ही सफ़र करती होगी!” क्या आप लेखक के इस विचार से सहमत हैं? ‘अतीत में दबे पाँव’ के आधार पर उक्त कथन का आशय स्पष्ट करते हुए उत्तर लिखिए।

प्रश्न 14.
(क) “धन की महत्ता पारिवारिक संबंधों से अधिक है।” ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए। (5)
(ख) ऐन को अपनी डायरी ‘किट्टी’ (एक निर्जीव गुड़िया) को संबोधित कर लिखने की ज़रूरत क्यों पड़ी? (5)

उत्तर

उत्तर 1.
(क) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक ‘हिंदी भाषा और तकनीकी युग’ हो सकता है।

(ख) हिंदी की समायोजन शक्ति से लेखक का अभिप्राय गैर-हिंदी भाषाओं की कई विशेषताओं को अपने अंदर समाहित कर लेने से है अर्थात् हिंदी भाषा द्वारा अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेज़ी जैसी अनेक बाहरी भाषाओं एवं संस्कृतियों के शब्दों को आत्मसात् कर लेने व स्वयं में घुला-मिला लेने की क्षमता से है।

(ग) गद्यांश के अनुसार, हिंदी के लचीलेपन ने तथा इसकी अद्भुत समायोजन शक्ति ने न केवल अनेक भाषाओं के शब्दों को, बल्कि उनके सांस्कृतिक तत्त्वों को भी अपने में समेट लिया है। इस प्रकार हिंदी ने अधिक-से-अधिक सांस्कृतिक तत्त्वों एवं अन्य भाषाओं के शब्दों को स्वयं में समाहित कर अपना स्वरूप निर्मित किया है, जिसके कारण वह भारतीय संस्कृति की पहचान भी बन गई है।

(घ) हिंदी भाषा के संदर्भ में शुद्धतावादी होने से तात्पर्य उसका अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी इत्यादि गैर-हिंदी भाषाओं से शब्दों को ग्रहण न करने तथा हिंदी की बोलियों व उनके शब्दों को प्रधानता प्रदान करके हिंदी का विकास करने से है।

(ङ) सूचना क्रांति, तकनीकी विकास और वैज्ञानिक आविष्कारों के द्वारा हमें सबसे संवाद स्थापित करने का अवसर प्राप्त हुआ है, जिसका माध्यम हिंदी भाषा बनी है। अत्याधुनिक परिवर्तनों एवं विकास ने हमें हिंदी को अपनाते हुए विश्व-ग्राम की संकल्पना को साकार करने का भी अवसर दिया है और हम इस पथ पर ईमानदारीपूर्वक आगे भी बढ़ रहे हैं।

(च) गद्यांश के अनुसार, हिंदी भाषा को सबके साथ कदम मिलाकर चलने के लिए आवश्यक है कि हम आधुनिक प्रयोजनों के अनुरूप तथा भाषा एवं लिपि से संबंधित यांत्रिक साधनों का अधिकतम विकास करें, तभी विश्व-ग्राम की संकल्पना साकार हो सकती है।।

(छ) सरलता एवं सहजता ऐसे गुण हैं, जिनके कारण कोई भाषा जन-जन तक प्रसार पाती है, जबकि उसकी लिपि, ध्वनि, शब्द-वर्तनी, वाक्य-रचना आदि के मानक स्वरूप के कारण भाषा में सार्वभौमिकता एवं स्थायित्व का गुण आता है। अतः इन सभी गुणों से पूर्ण करके ही हिंदी को सभी क्षेत्रों में उपयोगी व कार्यक्षम बनाया जा सकता है।

(ज) प्रस्तुत गद्यांश को केंद्रीय भाव हिंदी भाषा की महत्ता को स्पष्ट करना है। हिंदी भाषा में अनेक भाषाओं और संस्कृतियों के शब्दों को आत्मसात् करने की क्षमता है। अपने इसी गुण के कारण हिंदी भारतीय संस्कृति की पहचान बन गई है। हिंदी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए सरकार तथा जनता की दृढ़ इच्छाशक्ति, सजगता और सचेष्टता की आवश्यकता है।

उत्तर 2.

(क) प्रस्तुत काव्यांश में अर्जुन के क्रोध का वर्णन किया गया है, क्योंकि जयद्रथ आदि अनेक कौरवों ने युद्धभूमि में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को घेरकर छलपूर्वक उसका वध कर दिया था।

(ख) अर्जुन-पुत्र अभिमन्यु का कौरवों द्वारा कायरतापूर्ण तरीके से युद्धभूमि में वध करने के कारण जयद्रथ को मारने का प्रण अर्जुन द्वारा लिया गया है।

(ग) अर्जुन ने अपने पुत्र अभिमन्यु को धोखे एवं अनैतिक तरीके से मारने के दोषी जयद्रथ को नहीं मार पाने की स्थिति में स्वयं ही आग में जलकर मर जाने की शपथ ली थी।

(घ) प्रस्तुत काव्य पंक्तियों का आशय यह है कि अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार सुनकर अर्जुन का शरीर अत्यधिक क्रोध के आवेश से काँपने लगा। उसके क्रोध को देखकर ऐसा लग रहा था मानो तेज़ हवाओं के कारण सागर में प्रलयंकारी तूफ़ान आ गया हो।

(ङ) प्रस्तुत काव्यांश में मुख्यतः अपने पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु से उत्पन्न अर्जुन के क्रोध एवं क्षोभ को चित्रित किया गया है। इसी क्रोध एवं क्षोभ के कारण वे जयद्रथ को मारने का प्रण लेते हैं।

उत्तर 3.

(क) ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है विश्व स्तर पर धरती के तापमान में वृद्धि होना। ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे न केवल मनुष्य, बल्कि धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के जीवन पर संकट है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे अधिक ज़िम्मेदार हैं, मनुष्य और उसकी गतिविधियाँ। औद्योगिक क्रांति संपन्न होने के बाद से ही ग्रीन-हाउस गैसों की मात्रा में अत्यंत तेज़ी से वृद्धि हो रही है। मानव जनित विभिन्न गतिविधियों से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि ग्रीन-हाउस गैसों का आवरण सघन होता जा रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग से धरती का तापमान बढ़ने के साथ-साथ ग्लेशियरों पर जमी बर्फ पिघलनी प्रारंभ हो चुकी है। ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढेगा और तटीय देशों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। गर्मी अत्यधिक बढ़ जाने के कारण मलेरिया, डेंगू , यलो फीवर जैसे संक्रामक रोग बढ़ेंगे। सूर्य की पराबैंगनी किरणों की मात्रा बढ़ने से विभिन्न प्रकार के त्वचा संबंधी रोग एवं कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियाँ बढ़ेगी। पशु-पक्षियों एवं पेड़-पौधों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से होने वाले जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप आने वाले दिनों में कहीं सूखा बढ़ेगा, तो कहीं बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि होगी। इसके कारण मौसम की तीव्रता में वृद्धि, कृषि उपज में परिवर्तन, व्यापार मार्गों में परिवर्तन, प्रजाति विलोपन आदि से संबंधित समस्याएँ उत्पन्न होंगी।

ग्लोबल वार्मिंग का मुद्दा किसी देश या महाद्वीप से जुड़ा हुआ नहीं है और इसे बनाने-बिगाड़ने में छोटे-बड़े प्रत्येक देश की भूमिका है। इसीलिए सभी को मिलकर इसे कम करने में अपनी सक्रिय प्रतिबद्धता दिखानी होगी। वस्तुत: वैश्विक समस्या से निपटने के लिए। प्रत्येक व्यक्ति को पेट्रोल, डीजल एवं बिजली का उपयोग कम करके हानिकारक गैसों को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। वनों की कटाई को रोकना होगा तथा अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना होगा।

(ख) पर्वतीय प्रदेश की यात्रा

मनुष्य स्वभावतः मनोरंजन प्रिय होता है। यात्रा करने से मनोरंजन तो होता ही है, साथ ही अन्य कई प्रकार के लाभ भी होते हैं। पर्वतीय यात्रा तो और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि पर्वतों के दृश्य आनंद प्रदान करने वाले होते हैं।

ग्रीष्मावकाश में मैं अपने मित्रों के साथ शिमला गया। हम सब अपनी तैयारी पूर्ण कर सायंकाल 5:00 बजे की गाड़ी से शिमला के लिए चल पड़े। रात के डेढ़ बजे कालका स्टेशन पहुँचकर हम लोग 3-4 डिब्बों वाली एक छोटी-सी गाड़ी में शिमला के लिए रवाना हुए। गाड़ी ज्यों-ज्यों ऊपर शिमला की ओर बढ़ती जा रही थी, त्यों-त्यों वातावरण में ठंडक भी बढ़ती जा रही थी। सामने मनोहारी दृश्य दिखाई पड़ रहे थे। फूल व फलों से लदे वृक्षों से लिपटी हुई लताएँ सुशोभित हो रही थीं। विविध रंगों के पक्षी फुदक-फुदककर मधुर तान सुना रहे थे। पर्वतों के बीच में लंबी-लंबी सुरंगें बनी हुई थीं, जिनमें प्रविष्ट होने पर गाड़ी सीटी बजाती थी तथा गाड़ी में प्रकाश भी हो जाता था।

इस तरह के मनोरम दृश्यों को देखते हुए हम शिमला पहुँच गए। कुलियों ने हमारा सामान उठाया और हम एक सुंदर होटल में ठहरे। वहाँ हमने चार आदमियों द्वारा खींचा जाने वाला एक रिक्शा देखा। सुबह उठते ही हम घूमने चले गए। पहाड़ियों पर चढ़ते, नीचे उतरते तथा मार्ग में ठंडे-गर्म पानी के झरने देखकर हम बड़े प्रसन्न हो रहे थे। ऊपर बैठे हुए हम देखते थे कि नीचे बादल बरस रहे हैं। लोग भागकर घरों में घुस जाते। कहीं धूप, कहीं छाया। इस विचित्र मौसम को देखकर हम स्वयं को देवलोक में महसूस करने लगे। हमने वहाँ जाकू मंदिर देखा, जहाँ बहुत सारे बंदर थे। हम उनके लिए चने भी ले गए थे। शिमला में घूमते हुए छुट्टियाँ समाप्त हुईं और हम घर वापस लौट आए।

शिमला की यह आनंदमयी यात्रा आज भी मेरे मानसपटल पर अंकित है।

(ग) योग का महत्व

‘योग’ संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ मिलाना, जोड़ना, संयुक्त होना अथवा तल्लीन होना है। योग का आसन ‘योगासन कहलाता है। यह एक व्यायाम ही नहीं है, बल्कि सिद्धि है, जिसे प्राप्त करने के लिए शरीर को संतुलित करने की आवश्यकता होती है। ‘अष्टाध्यायी’ के प्रवर्तक ‘पतंजलि योग के प्रथम गुरु माने जाते हैं। उनके अनुसार ‘योगश्चित्तवृत्ति निरोधः’ अर्थात् मानसिक वृत्तियों को वश में करना ही योग है।

वास्तव में, हमारी शक्ति नैसर्गिक है। इसमें एक विकास-क्रम होता है। विकास की प्रक्रिया की सहजता हमें स्वस्थ तथा ऊर्जावान रखती है, जबकि असहज प्रवृत्तियों का प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ता है और मनुष्य रोगग्रस्त हो सकता है। मन तथा शरीर का घनिष्ठ संबंध है। मन की शांति शरीर को स्वस्थ रखती है। मन की अशांति मानसिक तनाव का कारण है। मानसिक तनाव व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग नहीं होने देता है और शरीर व्याधियों से घिर जाता है। सिर, पेट, रक्त-धमनियों, श्वसन-तंत्र इत्यादि में उत्पन्न विकार चरम-सीमा पर पहुँचकर मनुष्य के अंत को निश्चित कर देते हैं। ‘योग’ इसी प्रक्रिया को रोकने का कारगर उपाय है। योग का विश्वस्तर पर बढ़ रहा प्रयोग, इसकी प्रासंगिकता को प्रमाणित करता है। योग एक सुखद तथा शांतिमय जीवन की संजीवनी है। योग से हमारे अंदर विनम्रता, उदारता तथा मानवीय गुणों की उत्पत्ति होती है। यह चरित्र-निर्माण में सहायक है। जीवन के हर लक्ष्य को पूरा करने में एकाग्रता की आवश्यकता होती है। यदि योग-साधना को अपनाया जाए, तो मनुष्य अपने सभी लक्ष्यों तक पहुँचने में सक्षम हो सकता है।

‘योग’ आज एक थेरेपी के रूप में विकसित हुआ है। हर रोग के लिए अलग-अलग आसनों की प्रक्रिया है, जिसे अपनाकर मनुष्य स्वस्थ हो सकता है। वर्तमान समय में योग के प्रति रुचि बढ़ी है। योग को अपनाने की प्रक्रिया देश में ही नहीं, विदेशों में भी तेज़ी से प्रचलित हो रही है। पश्चिमी देशों में भी योग शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ा है। पाश्चात्य-शैली में जीने वाले लोग ‘योग’ की तरफ़ देख रहे हैं। 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित करना व संपूर्ण विश्व द्वारा इस अवसर पर बढ़-चढ़कर समारोहों का आयोजन करना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

(घ) राष्ट्र निर्माण में नारी की भूमिका

समाज एवं राष्ट्र में नारी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। नारी के बिना सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। किसी भी राष्ट्र के निर्माण में उस राष्ट्र की आधी आबादी अर्थात स्त्रियों की भूमिका की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि किसी भी कारण से आधी आबादी निष्क्रिय रहती है, तो उस राष्ट्र तथा समाज की समुचित एवं उल्लेखनीय प्रगति की कल्पना करना भी कठिन है। आधुनिक समय में स्त्री की स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्र प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर है। नारी ने स्वतंत्रता संग्राम में भी आगे बढ़कर पूरी क्षमता एवं उत्साह के साथ भाग लिया। महारानी लक्ष्मीबाई, विजयालक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ़ अली, सरोजिनी नायडू , सुचेता कृपलानी, अमृत कौर आदि स्त्रियों का योगदान प्रेरणादायी रहा है। स्वतंत्रता के पश्चात्, स्त्रियों ने अपनी उपस्थिति को और भी व्यापक बनाया। हर क्षेत्र में नारी का योगदान है चाहे वो चिकित्सा का क्षेत्र हो या इंजीनियरिंग का, सिविल सेवा का क्षेत्र हो या बैंक का, पुलिस हो या फौज़, विज्ञान हो या व्यवसाय प्रत्येक क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर स्त्रियाँ आज सम्मान पूर्वक आसीन हैं। आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जो महिलाओं की भागीदारी से अछूता हो। उसकी स्थिति में आए अभूतपूर्व सुधार ने उसे हाशिए पर रखना असंभव बना दिया है। नारी के जुझारुपन का लोहा सबको मानना पड़ रहा है।

नारी के अपूर्व योगदान ने राष्ट्र को सुदृढ़ किया है। घर एवं परिवार को संभालने के अतिरिक्त नारी ने विभिन्न प्रकार की आर्थिक एवं सामाजिक गतिविधियों में भाग लेकर राष्ट्र को मज़बूती प्रदान की है, परंतु अभी भी सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं नैतिक दृष्टि से उसकी स्थिति व्यावहारिक रूप से पुरुषों के समकक्ष नहीं हुई है। इसके लिए हमें उन्हें विकास के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने होंगे, जिससे उनकी मेधा एवं ऊर्जा का भरपूर उपयोग हो सके और राष्ट्र, समाज एवं परिवार लाभान्वित हो सके। इसी में संपूर्ण राष्ट्र एवं मानव समुदाय का कल्याण निहित है।

उत्तर 4.

परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 25 सितंबर, 20××
सेवा में,
मुख्य प्रबंधक,
दिल्ली परिवहन निगम,
दिल्ली।

विषय बस-संवाहक के साहस और कर्तव्य भावना की प्रशंसा हेतु।

महोदय,

मैं एक ज़िम्मेदार नागरिक की हैसियत से आपको यह पत्र लिख रहा हूँ। मैं आपके विभाग के बस-संवाहक करतार सिंह के साहस और कर्तव्य भावना के बारे में आपको एक संस्तुति करना चाहता हूँ। वह बहुत ही साहसी, नेक और भला इंसान है।

मैं 22 सितंबर को दिल्ली से आगरा की यात्रा कर रहा था। बस दिल्ली से शाम को 6:00 बजे चली थी। लगभग 8:00 बजे हमारी बस भोजन के लिए एक होटल पर रुकी। तभी वहाँ अचानक कई गुंडों ने एक महिला को घेर लिया और रिवॉल्वर की नोक पर उससे ज़बर्दस्ती करने का प्रयास करने लगे। उस समय बस के अधिकांश यात्री खाने-पीने में व्यस्त थे। बस-संवाहक करतार सिंह ने यह देखकर अकेले ही उन शस्त्रधारी गुंडों से न केवल महिला की रक्षा की, वरन् उसका कीमती सामान भी लुटने से बचा लिया। बाद में उस महिला ने शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा करके उन गुंडों को बंधक बनाकर पुलिस के हवाले कर दिया। सभी यात्रियों ने राहत की साँस ली, क्योंकि एक बड़ी अनहोनी टल गई थी। सभी ने करतार सिंह के साहस की बहुत प्रशंसा की। मैं चाहता हूँ कि इस साहसिके व्यवहार के लिए करतार सिंह को विभाग की ओर से सम्मानित किया जाए, जिससे अन्य बस-संवाहकों सहित आम लोगों को भी प्रेरणा मिल सके।

सधन्यवाद!

भवदीय
क.ख.ग.

अथवा

परीक्षा भवन
दिल्ली।
दिनांक 12 सितंबर, 20××

सेवा में,
प्राचार्य महोदय,
राजकीय इंटर कॉलेज,
इलाहाबाद।

विषय पुस्तकालयाध्यक्ष द्वारा लगाए गए आर्थिक दंड से मुक्ति हेतु।

महोदय,

मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि मैं आपके इंटर कॉलेज की कक्षा-12 की छात्रा हूँ और विद्यालय के पुस्तकालय की एक सक्रिय सदस्य भी हूँ। मैं हमेशा पुस्तकालय का सदुपयोग करते हुए विभिन्न पुस्तकों को पढ़कर कुछ नया ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करती रहती हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि मेरे घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि मैं हमेशा अपनी मनपसंद पुस्तकों को खरीदकर पढ़ सकें। अतः विद्यालय का पुस्तकालय मेरी जिज्ञासाओं को शांत करने में अत्यधिक सहायता करता है।

मैंने पिछले दिनों भारत के इतिहास से संबंधित रोमिला थापर द्वारा लिखित एक पुस्तक को पढ़ने के लिए पुस्तकालय से निर्गत कराया था, लेकिन उसके अगले ही दिन एक सड़क दुर्घटना में मेरे बाएँ पैर की हड्डी टूट गई और मैं विद्यालय आने में असमर्थ हो गई। इस घटना के संबंध में मैंने अपनी कक्षा के अध्यापक को सूचित कर दिया था। मेरे घर में कोई भी ऐसा सदस्य नहीं था, जो विद्यालय आकर पुस्तक वापस लौटा सके। अतः पुस्तन को लौटाने में विलंब हो गया।

इस संबंध में पुस्तकालयाध्यक्ष ने मेरे ऊपर सौ रुपये (₹ 100/-) का आर्थिक दंड लगा दिया है। मेरी वास्तविक स्थिति एवं आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस दंड को माफ़ करने की कृपा की जाए, ताकि मैं इस आर्थिक दंड से मुक्त हो सकें। इसके लिए मैं सदा आपकी आभारी रहूँगी।

सधन्यवा!
भवदीय
क.ख.ग.

उत्तर 5.

(क) समाचार लेखन के क्रम में सर्वप्रथम शीर्षक को ही लिखे जाने की परिपाटी है। इस प्रकार शीर्षक समाचार का प्रवेश-द्वार कहलाता है। शीर्षक पढ़ने मात्र से संबद्ध समाचार की मुख्य घटना की सांकेतिक जानकारी मिल जाती है।

(ख) विशेष रिपोर्ट के लेखन में घटना, समस्या या मुद्दे की गहरी छानबीन की जाती है तथा महत्त्वपूर्ण तथ्यों को इकट्ठा करके उनका विश्लेषण किया जाता है।

(ग) किसी भी समाचार के कभी-कभी पहले और दूसरे पैराग्राफ़ में सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्यों और सूचनाओं को लिखा जाता है जिसे इंट्रो या ‘लीड’ कहते हैं। जबकि ‘बॉडी’ में समाचार के विस्तृत ब्योरे को घटते हुए महत्त्व के क्रम में लिखा जाता तथा उसकी पृष्ठभूमि का भी जिक्र किया जाता है।

(घ) पत्रकारिता के मुख्य प्रकार हैं-खोजपरक पत्रकारिता, विशेषीकृत पत्रकारिता, वॉचडॉग पत्रकारिता, एडवोकेसी पत्रकारिता तथा वैकल्पिक पत्रकारिता

(ङ) प्रिंट माध्यम जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना है। प्रिंट माध्यम को लंबे समय तक सुरक्षित रखकर उसे कभी भी पढ़ा जा सकता है। इसमें समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि शामिल हैं।

उत्तर 6.
विज्ञापन की बढ़ती हुई लोकप्रियता

आज के युग को विज्ञापनों का युग कहा जा सकता है। आज सभी जगह विज्ञापन-ही-विज्ञापन नज़र आते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ एवं उत्पादक अपने उत्पाद एवं सेवा से संबंधित लुभावने विज्ञापन देकर उसे लोकप्रिय बनाने का हर संभव प्रयास करते हैं। किसी नए उत्पाद के विषय में जानकारी देने, उसकी विशेषता एवं प्राप्ति स्थान आदि बताने के लिए विज्ञापन की आवश्यकता पड़ती है। यदि विज्ञापन का सहारा न लिया जाए, तो सामान्य जनता को अपने उत्पाद एवं सेवा की जानकारी नहीं दी जा सकती। विज्ञापनों के द्वारा किसी भी सूचना तथा उत्पाद की जानकारी, पूर्व में प्रचलित किसी उत्पाद में आने वाले बदलाव आदि की जानकारी दी जा सकती है। विज्ञापन का उद्देश्य जनता को किसी भी उत्पाद एवं सेवा की सही सूचना देना है, लेकिन आज विज्ञापनों में अपने उत्पाद को सर्वोत्तम तथा दूसरों के उत्पादों को निकृष्ट कोटि का बताया जाता है। आजकल के विज्ञापन भ्रामक होते हैं तथा मनुष्य को अनावश्यक खरीदारी करने के लिए प्रेरित करते हैं। अतः विज्ञापनों का यह दायित्व बनता है कि वे ग्राहकों को लुभावने दृश्य दिखाकर गुमराह नहीं करें, बल्कि अपने उत्पाद के सही गुणों से परिचित कराएँ। तभी उचित सामान ग्राहकों तक पहुँचेगा और विज्ञापन अपने लक्ष्य में सफल होगा।

अथवा

हाल ही में पढ़ी गई पुस्तक ‘लता दीदी : अजीब दास्ताँ है ये’ की समीक्षा

एक बार शास्त्रीय संगीत के विश्व प्रसिद्ध गायक उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ साहब ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर की तारीफ़ करते हुए कहा था-”यह लड़की गलती से भी गलत सुर नहीं लगाती है। उसी स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर पर लिखी गई पुस्तक ‘लता दीदी : अजीब दास्ताँ है ये’ की समीक्षा प्रस्तुत की जा रही है। हरीश भिमानी कृत इस पुस्तक को वाणी प्रकाशन की ओर से वर्ष 2009 में प्रकाशित किया गया था। इस पुस्तक में लेखक ने लता के 21 देशों के 53 शहरों में आयोजित 139 कार्यक्रमों में उनके साथ बिताए गए क्षणों के अनुभव को शब्दों में पिरोया है।

इस पुस्तक के द्वारा लेखक ने लता के जीवन से संबद्ध विभिन्न अनछुए पहलुओं को पूरी ईमानदारी और आत्मीयता के साथ पाठकों के सामने रखा है। पुस्तक में लता की संगीत साधना के दौरान उनके परिजनों व अन्य लोगों से मिले सहयोग सहित उनके स्वभाव, उनकी पसंद-नापसंद की भी चर्चा की गई है, ताकि उनके प्रशंसकों व चाहने वालों की जिज्ञासा को कुछ हद तक शांत किया जा सके। पुस्तक के अंत में विश्व की इस महान् गायिका के बारे में नामी-गिरामी हस्तियों के विचारों को महत्त्व दिए जाने से पुस्तक निश्चय ही जीवंत हो गई है। अतः तथ्यों की प्रस्तुति की दृष्टि से यह एक सफल और उपयोगी पुस्तक साबित हुई है।

पूरी पुस्तक में लेखक के द्वारा विचारों के तारतम्य को बनाए रखने के साथ-साथ भाषा को सहज, शुद्ध व प्रवाहमयी रखने का प्रयास काफ़ी सराहनीय है। लेखक के द्वारा जहाँ-तहाँ अंग्रेज़ी-हिंदी के मुहावरों का भी इस प्रकार प्रयोग किया गया है, जिससे कि पाठक वर्ग बरबस इस पुस्तक की ओर आकर्षित हो जाए। अंततः यह कहा जा सकता है कि हिंदुस्तान की पहचान बन चुकी पार्श्व गायिका लता मंगेशकर पर लिखी गई यह पुस्तक ज्ञानवर्द्धक, मनोरंजक और पठनीय है।

उत्तर 7.
फुटपाथ पर सोते लोग

गाँव तथा छोटे शहरों की बेकारी तथा महानगरों में काम के अवसर मौजूद रहने के कारण बड़ी संख्या में लोग उसकी ओर खिंचे चले आते हैं, लेकिन महानगरों में आने वाले लोगों का सामना सबसे पहले आवास की समस्या से होता है। ऐसे में कमज़ोर आय के लोगों का आश्रय फुटपाथ’ बनता है। दिनभर मज़दूरी करने के बाद सड़कों के किनारे सोना उनकी मजबूरी हो जाता है, क्योंकि उनकी आय इतनी कम होती है कि वे आवास लेना भी चाहें, तो भी नहीं ले सकते। महानगरों में आवास किराए पर भी बहुत महँगे होते हैं। यदि आवास का खर्च, खाने का खर्च, रोज़मर्रा की चीज़ों का खर्च ही मिला लिया जाए, तो एक आम आदमी की सारी आय तो इन्हीं खर्चे में निकल जाएगी, ऐसे में वह अपने लिए या अपने परिवार के लिए क्या बचाएगा?

अतः वह फुटपाथ पर ही सोने को मजबूर हो जाता है, लेकिन समाज एवं सरकारी तंत्र के लिए यह शर्म की बात है। ऐसे गरीब लोग कई बार भीषण दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। सरकार का यह उत्तरदायित्व है कि वह ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए कार्य करे, आखिर वे भी तो इसी धरती या देश के नागरिक हैं। ऐसे लोगों को यदि रोज़गार के अवसर उनके शहर या गाँव में ही उपलब्ध कराए जाएँ, तो शायद उन्हें महानगरों में जाने की ज़रूरत ही नहीं होगी।

अथवा

आधुनिक जीवन में मोबाइल फोन

मोबाइल के नाम से प्रसिद्ध इलेक्ट्रॉनिक मशीन आज विश्व में क्रांति का वाहक बन गई है। वर्तमान समय में मोबाइल के बिना व्यक्ति व्यर्थ जैसा महसूस करने लगा है। बिना तारों वाला मोबाइल फ़ोन जगह-जगह लगे ऊँचे टॉवरों से तरंगों को ग्रहण करते हुए मनुष्य को दुनिया के प्रत्येक कोने से जोड़े रहता है। मोबाइल फ़ोन सेवा प्रदान करने के लिए विभिन्न टेलीफ़ोन कंपनियाँ अपनी-अपनी सेवाएँ देती हैं। मोबाइल फ़ोन बात करने, एसएमएस की सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के खेल, कैलकुलेटर, फ़ोनबुक की सुविधा, समाचार, चुटकुले, इंटरनेट सेवा आदि भी उपलब्ध कराता है। अनेक मोबाइल फ़ोनों में इंटरनेट की सुविधा भी होती है, जिससे ई-मेल भी किया जा सकता है। मोबाइल फ़ोन में उपलब्ध सुविधाओं के माध्यम से हम अपना पत्र टाइप कर सकते हैं, उसे किसी को भेज सकते हैं और किसी का पत्र प्राप्त कर सकते हैं। मोबाइल फ़ोन का सबसे बड़ा दोष यह है कि यह समय-असमय बजता ही रहता है। लोग सुरक्षा और शिष्टाचार भूल जाते हैं। अकसर लोग गाड़ी चलाते समय भी फ़ोन पर बात करते हैं, जो असुरक्षित ही नहीं, बल्कि कानूनन अपराध भी है। अपराधी एवं असामाजिक तत्त्व मोबाइल का प्रयोग अनेक प्रकार के अवांछित कार्यों में करते हैं। इसके अधिक प्रयोग से कानों व हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः इन खतरों से सावधान होना आवश्यक है।

उत्तर 8.
(क) कवि को संसार का हृदय शोषण तथा अत्याचार आदि से जला हुआ प्रतीत हो रहा है। उसे इस दुःखी संसार के ऊपर उमड़ते-गरजते बादल भी निर्दयी माया के सदृश नज़र आ रहे हैं, जो संपूर्ण जग को अपने जल-प्रलय में डुबा देने को आतुर हैं। काव्यांश में माया का उल्लेख इसी रूप में किया गया है।

(ख) शोषण व अत्याचार से पीड़ित सामान्यजन की वेदना को अभिव्यक्त करने के लिए कवि ने ‘जग के दग्ध हृदय’ का प्रयोग किया है, जो उमड़ते व गर्जन करते हुए बादल को अमृत-जल बरसाने वाले प्राकृतिक स्रोत सहित शोषण व अत्याचार के विरुद्ध लड़ने वाले वीर क्रांतिकारी योद्धा के रूप में दिखाई दे रहे हैं।

(ग) काव्यांश के अनुसार, बादलों की गर्जनारूपी रणभेरी सुनकर धरती के भीतर सुप्तावस्था में पड़े बीजांकुर सजग हो गए हैं। और वे नवजीवन प्राप्ति की आशा में सिर उठाकर बादल के बरसने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

(घ) प्रस्तुत काव्यांश को केंद्रीय भाव जनक्रांति को प्रदर्शित करता है। कवि कहता है कि वायुरूपी समुद्र में क्रांतिकारी बादलों की सेना छा गई है। इससे पूँजीयातियों के क्षणिक सुखों पर संकट के बादल छा गए हैं और दुःखी जनों के लिए अनेक नई संभावनाओं के अंकुर फूटने लगे हैं। बादल युद्ध की नौका के समान रण-भेदी बजाते हुए जन-जन की आकांक्षाओं को साथ लिए उमड़े चल रहे हैं तथा पृथ्वी में सोए क्रांति के बीच करवटें ले रहे हैं।

अथवा

(क) प्रस्तुत काव्यांश में किसान, व्यापारी, सेवक, भिक्षुक आदि समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों की निर्धनता व बेरोज़गारी के कारण उत्पन्न दयनीय अवस्था का चित्रण हुआ है अर्थात् समाज में किसान, मज़दूर, व्यापारी, सेवक आदि सभी जीविकाविहीन होने के कारण भुखमरी के शिकार हो रहे हैं।

(ख) कवि तुलसीदास जी के अनुसार, वेद एवं पुराण सभी यही कहते हैं कि उनके आराध्य राम ने सब पर कृपा की है अर्थात् । सभी दीन-दुःखियों को संकट से उबारा है। यहाँ कहने का तात्पर्य यह है कि भगवान श्रीराम की कृपा से ही संसार में व्याप्त घोर दरिद्रता का नाश किया जा सकेगा। अतः सबको उनकी शरण में जाना चाहिए।

(ग) तुलसीदास ने दरिद्रता को रावण के समान बताया है। इस दरिद्रतारूपी रावण ने दुनिया को अपने पंजों में दबाया हुआ है, | जिसे देखकर उनका मन अत्यंत व्यथित है। इसी कारण वे अत्यंत कातर भाव से अपने प्रभु श्रीराम से इस दरिद्रता को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

(घ) लोग अपनी जीविकाविहीनता के कारण चिंतित हैं। उनके सामने अपनी जीविका चलाने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है। अतः आजीविकाविहीन लोग चिंता के कारण सिहरकर भयातुर स्वर में एक-दूसरे से यही कहते हैं-”हम कहाँ जाएँ, क्या करें?” अर्थात् किसी को दरिद्रता दूर करने का कोई उपाय नहीं सूझता।

उत्तर 9.
(क) प्रस्तुत काव्यांश में शायर द्वारा एक माँ का अपने बच्चे को झुलाने तथा हवा में उछालने का सहज-स्वाभाविक वर्णन किया गया है। वह कभी उसे झुलाती है, तो कभी हवा में उछालकर पुनः हाथों में पकड़ लेती है, जिससे बच्चा सहज रूप से खिलखिलाकर हँस पड़ता है और उसकी हँसी हवा में गूंज उठती है।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश की भाषा उर्दू एवं लोकभाषा मिश्रित है। ‘चाँद का टुकड़ा’ मुहावरे का सहज प्रयोग बच्चे की सुंदरता एवं मधुरता को अभिव्यक्त करने के लिए किया गया है। काव्यांश को छंद उर्दू कविता का अत्यंत प्रसिद्ध छंद’रुबाई’ है। इसमें चार पंक्तियाँ होती हैं। पहली, दूसरी एवं चौथी पंक्तियाँ तुकांत होती हैं।

(ग) काव्यांश में जहाँ ‘चाँद का टुकड़ा’, ‘गोद-भरी’ और ‘हवा में लोकाती’ (उछालती) माँ के वर्णन में दृश्य बिंब है, वहीं हँसी की खिलखिलाहट में श्रव्य बिंब भी आकर्षक बन पड़ा है।

काव्यांश में वात्सल्य रस की अभिव्यक्ति होने के साथ-साथ बच्चे के मुँह से निकलने वाली किलकारी के रूप में स्वभावोक्ति अलंकार तथा ‘रह-रह’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार का प्रयोग सार्थक बन पड़ा है।

उत्तर 10.
(क) ‘कविता के बहाने’ कविता में, कविता के लिए चिड़िया के बहाने उड़ान भरने जैसी विशेषता को रेखांकित किया गया है। इसका आधार यह है कि उड़ान मूल रूप में चिड़िया के द्वारा ही भरी जाती है। यह एक क्रिया है, जो चिड़िया के उन्मुक्त नैसर्गिक स्वभाव का परिचय देती है, मगर कवि ने इसे कल्पना के रूप में मानसिक उड़ान मानकर कविता से जोड़ दिया है। चिड़िया की उड़ान का वर्णन कविता कर सकती है, लेकिन कविता की उड़ान को चिड़िया नहीं जान सकती। इस प्रकार चिड़िया और कविता को एक-दूसरे से जोड़कर कविता की उड़ान को श्रेष्ठ सिद्ध किया गया है।

(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के माध्यम से कवि कहता है कि मीडिया वाले समर्थ एवं सशक्त होते हैं। वे किसी की करुणा को भी खरीद-बेच सकते हैं। वे कमज़ोर एवं अशक्त व्यक्तियों को समाज के सामनेलाकर लोगों की सहानुभूति एवं आर्थिक लाभ लेना चाहते हैं। इससे उनकी लोकप्रियता एवं आय दोनों में वृद्धि होती है। इस कविता के माध्यम से कवि ने मीडिया के व्यावसायिक दृष्टिकोण एवं समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के प्रति उनकी तुच्छ मनोवृत्ति को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।

(ग) ‘बादल-राग’ कविता में कृषकों की दयनीय दशा का चित्रण किया गया है। उनकी आर्थिक दशा बुरी है और वे बेरोज़गार भी हैं। उनकी भुजाएँ कमज़ोर हैं। वे इतने कृशकाये हैं कि सिर्फ हड्डियों का ढाँचा नज़र आते हैं। अब वे बादलों के बरसने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, कृषकों की ऐसी दशा धनिकों के कारण है। धनिकों ने ही उनका रक्त-मांस चूसकर उन्हें दीन-हीन बना दिया है।

उत्तर 11.
(क) सफ़िया अपने भाइयों से मिलने लाहौर गई थी। वहाँ पर उसके भाइयों ने उसकी बहुत खातिरदारी की और दोस्तों ने भी उससे बहुत अधिक मुहब्बत दिखाई। इन सब में वह इतनी खो गई कि पंद्रह दिन किस प्रकार व्यतीत हो गए, उसे पता ही नहीं चला।

(ख) सफ़िया के सामने अब सबसे बड़ी समस्या थी बादामी कागज़ की पुड़िया में रखा सेर भर लाहौरी नमक, जिसे सिख बीबी ने मँगवाया था, लेकिन वह यह नहीं समझ पा रही थी कि उसे दिल्ली किस प्रकार ले जाए?

(ग) सफ़िया का भाई एक बहुत बड़ा पुलिस अफ़सर था। सफ़िया के पूछने पर नमक को सीमा पार ले जाने को उसने गैर-कानूनी बताया। साथ ही, यह भी कहा कि भारत में तो पाकिस्तान से भी अधिक नमक है।

(घ) अपने भाई के जवाब पर सफ़िया ने कहा कि वह किसी हिस्से की बात नहीं कर रही है। उसे तो केवल लाहौर का नमक चाहिए, क्योंकि उसकी माँ ने उससे यही मँगवाया है।

उत्तर 12.

(क) भक्तिन लेखिका के कार्यों में हर तरह से मदद करती थी। वह लेखिका के खान-पान, रहन-सहन इत्यादि का ध्यान रखती थी। वह उसकी पुस्तकों का भी ध्यान रखती थी और कभी-कभी छात्रावास के बच्चों की भी देखभाल कर लिया करती थी। वह लेखिका के इधर-उधर पड़े रुपयों को भी मटकी में सँभालकर रख देती थी। अतः वह लेखिका की सहायता के लिए छाया बनकर उसके साथ रहती थी।

(ख) बाज़ारुपन से तात्पर्य है-उपभोक्तावादी संस्कृति से प्रभावित भौतिकता प्रधान दृष्टि से बाह्य चमक-दमक एवं दिखावेपन को महत्त्व देना। जब माल बेचने वाले व्यर्थ की चीज़ों को आकर्षक बनाकर ग्राहकों को ठगते हैं तथा ग्राहक दिखावे के लिए अनावश्यक चीज़ों को खरीदते हैं, तो वहाँ बाज़ारुपन मौजूद रहता है। बाज़ारुपन के अंतर्गत छल, कपट एवं शोषणपूर्ण व्यवहार का प्रभाव अधिक रहता है, जो व्यक्ति बाज़ार से आवश्यकता की चीजें ही खरीदते हैं, वे ही बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं।

(ग) हाँ, पानी के गहराते संकट से निपटने के लिए आज का युवा वर्ग बहुत कुछ कर सकता है। वह गाँव-गाँव में नए तालाब खुदवा सकता है। वर्षा के पानी को संरक्षित करने के नए-नए उपाय खोज सकता है एवं विद्यमान प्रणालियों को सही ढंग से क्रियान्वित करा सकता है। वह घर-घर जाकर पानी के महत्त्व को समझाकर पानी की एक-एक बूंद का सदुपयोग करना | सिखा सकता है तथा जल संरक्षण के विभिन्न उपायों को सार्थक ढंग से लागू करवा सकता है।

(घ) महाभारत में ऐसा वर्णन आया है कि अपने मित्र कृष्ण के देहावसान के पश्चात् वृद्ध हो चुके अर्जुन एक बार डाकुओं से उनकी पत्नियों की रक्षा तो नहीं कर सके, पर वे हवा में तीर अवश्य चलाते रहे। यहाँ एक ओर तो अर्जुन के वृद्ध हो जाने के कारण श्रीकृष्ण की पत्नियों का डाकुओं से बचाव न हो पाने में करुण रस की अभिव्यक्ति हुई है, तो दूसरी ओर वृद्ध अर्जुन द्वारा लक्ष्य अर्थात् डाकुओं से दूर हवा में तीर चलाए जाने में हास्य रस की अभिव्यक्ति हुई है। अतः इसी दृश्य को करुण और हास्योत्पादक दोनों माना है।

(ङ) ‘नमक’ कहानी में सफ़िया के पुलिस अफ़सर भाई ने उससे कहा था, “आप अदीब ठहरीं और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा ज़रूर ही घूमा हुआ होता है। इसके प्रत्युत्तर में सफ़िया ने प्रस्तुत वाक्य कहे। इसके माध्यम से वह यह कहना चाहती है कि साहित्यकार प्रेम, करुणा, उदारता, सहिष्णुता, मानवता एवं भाईचारे का संदेश देता है। अतः यदि सभी व्यक्ति अदीबों की तरह सोचते, तो इस दुनिया में घृणा, द्वेष, क्रोध, संघर्ष आदि नहीं रहते और प्रेम एवं भाईचारे से परिपूर्ण यह दुनिया मौजूदा स्थिति से अधिक बेहतर होती।

उत्तर 13.
कविता में से कविता निकलती है’-कहने से लेखक का आशय यह है कि एक विशेष काल अथवा विशेष क्षेत्र के काव्य हमेशा दूसरे काल अथवा क्षेत्र के काव्य को प्रभावित करते हैं। लेखक का यह कहना सत्य भी है, क्योंकि कई बार अलग-अलग भाषाओं अथवा देशों के काव्यों में काफ़ी समानताएँ देखने को मिलती हैं। उदाहरण के लिए, फ़ारसी शायर उमर खय्याम की रुबाइयों से भारतीय कवि हरिवंशराय बच्चन की काव्य-रचना ‘मधुशाला’ की समानता। ये दोनों रचनाएँ अलग-अलग देशों की तो हैं ही, साथ-ही अलग-अलग समय में भी लिखी गई हैं। ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ को आधार बनाकर आज भी पूरे विश्व में न जाने कितने साहित्य रचे जा रहे हैं। ‘अतीत में दबे पाँव’ के लेखक ने कविता की तरह वास्तुकला क्षेत्र में भी विभिन्न शैलियों की पुनःस्थापना की बात स्वीकारते हुए कहा है कि वास्तुकला में भी कोई प्रेरणा चेतन-अवचेतन ऐसे ही सफ़र करती होगी। लेखक का मानना है कि पाँच दशक पूर्व शायद काबूजिए ने मुअनजोदड़ो से प्रेरणा लेकर ही इतने व्यवस्थित ढंग से चंडीगढ़ शहर का निर्माण करवाया होगा, जहाँ मुअनजोदड़ो की तरह किसी भी घर का द्वार मुख्य सड़क पर न खुलकर सम्बद्ध गलियों में खुलता है। किसी भी घर में प्रवेश करने के लिए सबसे पहले सेक्टर के अंदर जाना पड़ता है और तब घरों के द्वारों से जुड़ी गलियों में पहुँचना पड़ता है। मैं लेखक के विचार से पूर्णतः सहमत हूँ, क्योंकि मेरा मानना है कि किसी भी काल की कलाएँ आने वाली पीढ़ियों के कलाकारों का मार्गदर्शन करती हैं। यही कारण है कि वर्तमान समय में निर्मित की गई कई इमारतों या अन्य संरचनाओं में भी न सिर्फ प्राचीन वास्तुकला की शैलियों को अपनाया जाता है, बल्कि निर्माण में अन्य राष्ट्रों की वास्तुकला की स्पष्ट छाप भी देखने को मिलती है।

उत्तर 14.
(क) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि आज का जीवन अर्थकेंद्रित यानी ‘धन आधारित हो गया है। आज पारिवारिक संबंध भी दाँव पर लगे हुए हैं इन संबंधों का टिकना भी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। जब तक आर्थिक स्थिति बेहतर रहती है, तब तक पारिवारिक रिश्तों में भी गर्माहट बनी रहती है, लेकिन यदि धन या पैसों का अभाव होने लगे, तो संबंधों में भी धीरे-धीरे खटास आने लगती है। यही स्थिति यशोधर पंत के परिवार की भी है। उनके परिवार वाले भी उनकी ऊपर की कमाई चाहते हैं, लेकिन यशोधर पंत सिद्धांतवादी व्यक्ति हैं और उन्होंने दूसरे तरीके से धन कमाने की कभी सोची भी नहीं थी। सिद्धांतों के कारण उन्होंने अपने कोटे का फ्लैट भी नहीं लिया था। इन सभी बातों से उनके बच्चे उनसे परेशान (खिन्न) रहते हैं। उनका बड़ा बेटा भूषण विज्ञापन कंपनी में हैं 1500 प्रतिमाह पर काम करता है। यशोधर बाबू और भूषण के बीच विचारों की गहरी खाई है और भूषण कभी भी किसी काम के बाद कह देता था कि पैसे मैं दे दूंगा। यह बात यशोधर बाबू के गले के नीचे कभी नहीं उतरी अर्थात् धन के कारण उनके परिवार में भी तनाव की स्थिति बनी रहती है। आधुनिक युग में धन का महत्त्व दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

(ख) ऐन एक संवेदनशील लड़की है। 13 वर्ष की उम्र में ही उसे दुःख बाँटने के लिए किसी साथी की आवश्यकता पड़ने लगी, परंतु अपने मन की बात किससे कहे? अब तक उसे ऐसा कोई मिला ही नहीं, जिससे वह अपने मन की बात कह सके। इसलिए उसने एक सुंदर तरीका ढूंढ निकाला। वह था उसके द्वारा अपनी प्यारी निर्जीव गुड़िया किट्टी को संबोधित कर डायरी लिखना। लोग ऐन को घमंडी और अक्खड़ समझते थे तथा सब लोग ऐन के प्रति उपदेशात्मक व्यवहार ही रखते थे। पीटर को वह अपना अच्छा दोस्त समझती थी तथा उसे प्यार भी करती थी, लेकिन पीटर ने कभी उसके मन में झाँकने की कोशिश ही नहीं की। सभी सवालों का हल ऐन ने डायरी लिखकर खोज निकाला। इससे ऐन का एकाकीपन भी दूर हो गया। यदि कोई ऐसा होता जो ऐन को उसके मन की गहराइयों तक समझ पाता, तो शायद ऐन को कभी डायरी लिखने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती, परंतु ऐसा नहीं हो सका। इसलिए ऐन ने अपनी निर्जीव गुड़िया किट्टी को ही अपना माध्यम बनाकर अपनी भावनाओं को डायरी में व्यक्त कर दिया।

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CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6

CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6 are part of CBSE Sample Papers for Class 12 Economics. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6.

CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6

BoardCBSE
ClassXII
SubjectEconomics
Sample Paper SetPaper 6
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 6 of Solved CBSE Sample Paper for Class 12 Economics is given below with free PDF download solutions.

Time : 3 hrs
M.M.: 80

General Instructions

  • All questions in both the sections A and B are compulsory. However, there is internal choice in questions of 3,4 and 6 marks.
  • Question Nos. 1-4 and 13-16 are very short answer type questions, carrying 1 mark each.
    They are required to be answered in one sentence each.
  • Question Nos. 5-6 and 17-18 are short answer I type questions, carrying 3 marks each.
    Answers to them should not normally exceed 60 words each.
  • Question Nos. 7-9 and 19-21 are short answer II type questions, carrying 4 marks each.
    Answers to them should not normally exceed 70 words each.
  • Question Nos. 10-12 and 22-24 are long answer type questions, carrying 6 marks each.
    Answers to them should not normally exceed 100 words each.
  • Answers should be brief and to the point and the above word limit be adhered to as far as possible.

Section – A

Question 1.
What is the formula for computing Marginal Rate of Transformation?

Question 2.
Raj Mohan runs a clutch plate manufacturing unit and is currently operating in the second stage of law of variable proportion. State any one measure that can be adopted by him so that the transition to third stage is delayed.

Question 3.
“Total product always increases whether there is increasing returns or diminishing returns to a factor.” Is the given statement true or false? Give reason.

Question 4.
When Marginal Revenue is zero, Total Revenue is
(a) increasing
(b) diminishing
(c) maximum
(d) minimum

Question 5.
Briefly discuss the causes of economic problem.
Or
Diagrammatically illustrate the impact of import substitution policy on the Production Possibility Curve (PPC) of India.

Question 6.
Given below is the utility schedule of a consumer for commodity X. The price of the commodity is ₹ 6 per unit. How many units should the consumer purchase to maximise satisfaction? (Assume that the utility is expressed in utils and 1 util = ₹ 1).

Consumption (units)Total Utility (utils)Marginal Utility (utils)
11010
2188
3257
4316
5343
6340

Question 7.
Explain the effect of the following on elasticity of supply of the good :
(i) Nature of inputs used
(ii) Technique of production
Or
Distinguish between short-run and long-run production functions.

Question 8.
When the price of a commodity goes up by 10%, a consumer’s demand falls from 500 units to 400 units. Calculate the Price Elasticity of Demand (Ed).

Question 9.
Explain the implications of the following features of perfect competition.
(i) Large number of buyers and sellers.
(ii) Freedom of entry and exit of the firm.

Question 10.
How is equilibrium price determined? How is it affected by changes in demand for the commodity?

Question 11.
What is meant by price elasticity of demand? Explain briefly any five factors affecting elasticity of demand.
Or
Why is a consumer in equilibrium, only at the point of tangency of the budget line with an indifference curve?

Question 12.
State whether the following statements are true or false. Give reasons for your answer.
(i) When Marginal Revenue (MR) is constant and not equal to zero, then Total Revenue (TR) will also be constant.
(ii) As soon as Marginal Cost (MC) starts rising, Average Variable Cost (AVC) also starts rising.
(iii) Marginal Product (MP) starts diminishing from the point of inflexion.

Section B

Question 13.
What is capital expenditure in the government budget?

Question 14.
Which of these is not an example of direct tax?
(a) Wealth tax
(b) Income tax
(c) Sales tax
(d) Corporation tax

Question 15.
The total deposits of commercial banks are ₹ 1,00,000 crore, while the money created by commercial banks is ₹ 50,00,000 crore. Find the value of Legal Reserve Ratio.

Question 16.
What are the components of measurement of money supply?

Question 17.
“Country ‘Z’ is operating at full employment equilibrium.” What are the implications of this statement? Identify the economic value being followed by the country.

Question 18.
Investment demand includes financial investment like purchase of shares from secondary market. Do you agree?
Or
Explain consumption function with the help of a diagram.

Question 19.
If the real GDP is ₹ 3,000 and price index is 175, then calculate the nominal GDP. What does the price index of 175 indicate?

Question 20.
Explain the problem of double coincidence of wants faced under Barter System. How money has solved this problem?
Or
Describe the evolution of money.

Question 21.
Government has started spending more on providing free services like education and health to the poor. Explain the economic value it reflects.

Question 22.
Calculate Gross National Product at Factor Cost by
(i) Income method and
(ii) Expenditure method from the following data.

S. No.Contents(₹) in crores
(i)Net Domestic Capital Formation500
(ii)Compensation of Employees1,850
(iii)Consumption of Fixed Capital100
(iv)Government Final Consumption Expenditure1,100
(V)Private Final Consumption Expenditure2,600
(Vi)Rent400
(vii)Dividend200
(viii)Interest500
(ix)Net Exports(-)100
(X)Profits1,100
(xi)Net Factor Income from Abroad(-)50
(xii)Net Indirect Taxes250

Identify the economic value involved in the estimation of national income.

Question 23.
Given below is the Consumption Function (C) in an economy.
C = 200 + Y
With the help of a numerical example, show that in this economy, as income increases Average Propensity to Consume (APC) will decrease.
Or
The savings function of an economy is S = – 200 + Y. The economy is in equilibrium when income is equal to ₹ 2,000. Calculate
(i) Investment Expenditure at Equilibrium Level of Income (I)
(ii) Autonomous Consumption (\(\overline { C } \))
(iii) Investment Multiplier (K)

Question 24.
(i) Other thing? remaining constant, explain the impact of rise in foreign currency on national income.
(ii) Give any three points of difference between depreciation of currency and devaluation of currency.

Answers

Answer 1.
Marginal Rate of Transformation
\(=\frac { Units\quad of\quad Good\quad Y\quad Sacrified\quad \left( \triangle Y \right) }{ Units\quad od\quad Good\quad X\quad Gained\quad \left( \triangle X \right) } \)

Answer 2.
By improving the technology of production, Raj Mohan can delay the transition to the third state of law of variable proportion.

Answer 3.
The given statement is true. In stages of increasing and diminishing returns, total product rises because in these stages marginal product is positive.

Answer 4.
(c) Maximum

Answer 5.
Economic problem arises due to the following reasons :

  1. Human “Wants are Unlimited Human wants are unlimited as it is a repetitive process in which wants get increased by consuming goods and sen/ices. Fulfillment of one want leads to the surfacement of another want.
  2. Resources are Limited Resources are limited in supply in relation to their demand. Scarcity is the basic feature of every economy. No economy can be self-sufficient in everything. Scarcity is a universal phenomenon, which continues indefinitely. The scarcity of resources creates economic problem for every country in the world.
  3. Resources have Alternative Uses The resources are not only scarce in supply but they also have alternative uses. e.g. land can be used to produce wheat or to rice or to build a hospital or a school. A choice between the alternative uses of land has to be made. This problem of choice leads to an economic problem.

Or
Import substitution policy means producing goods in the country rather than importing from rest of the world. To produce more output, now inputs are being imported which increases the resources of the country. Consequently, production possibility curve would shift right from ab to a1b1.
CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6 1

Answer 6.
The consumer will purchase 4 units because at this consumption level, Marginal Utility (MU) is equal to the price. At consumption level of less than 4 units, MU is greater than price. Therefore, there is a scope of increasing gain by purchasing more. If he buys more than 4 units, MU becomes less than the price. Therefore, there is a scope of increasing gain by purchasing less, so consumer maximises satisfaction at 4 units of consumption of commodity X.

Answer 7.
The effect of the following on elasticity of supply of the good is as follows:

  1. Nature of Inputs Used The Elasticity of Supply depends on the nature of inputs used for the production of a commodity. If commonly available inputs are used, supply will be elastic, but in case of scarcely available inputs, the supply will be inelastic.
  2. Technique of Production In case of production of a commodity, supply will be less elastic if it involves the use of a complex and expensive technology. On the other hand, use of a simple technology facilitates quicker changes in output and supply.

Or
Difference between short-run production function and long-run production function are:

BasisShort-run Production FunctionLong-run Production Function
Nature of factorsSome factors are variable while ” others are fixed.All factors are variable.
Proportions typeShort-period production function is of variable proportions type.Long-period production function is of constant proportions type.
Scale of outputScale of output remains constant.Scale of output changes.
Study of output behaviourBehaviour of output is studied with reference to ‘Returns to a factor’ or ‘Law of Variable Proportions.Behaviour of output is studied with reference to ‘Returns to scale’.

Answer 8.
Given, Percentage change in price = 10%,
Initial Quantity (Q) = 500 units
New Quantity = 400 units
Change in Quantity (∆Q) = 400 – 500 = -100 units
Percentage change in quantity demanded
CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6 2

Answer 9.
(i) Very Large Number of Buyers and Sellers A perfectly competitive market is dominated by very large number of buyers and sellers of a commodity. It means that there is no such buyer or seller in the market whose purchase or sale is so large as to impact the total sale or purchase in the market. Each buyer and seller has only a fractional share in the market demand and market supply respectively. Each buyer and seller has to accept the price as it is in the .market. Therefore, it is said that a firm under perfect competition is a price taker not a price maker.

(ii) Freedom of Entry and Exit of Firm Under perfect competition, a firm can enter or leave the industry anytime. In order to analyse the implications of this feature, we need to focus on short period and long period situation. Short period by definition, is too short for an existing firm to leave the industry or for a new firm to join the industry. Accordingly, the significance of this feature is restricted only to long period situations. Because of free entry and exit, firms in the long-run earn only normal profits. In case, extra normal profits are earned, new firms will join the industry. In this case, market supply will increase, market price will fall and extra normal profits will be wiped out. In case of extra normal losses, some of the existing firms will leave the industry. Market supply will decrease, market price will increase and extra normal losses will be wiped out. Hence, there will be neither supernormal profits nor losses in the long-run.

Answer 10.
Equilibrium price is determined at a point where market demand is equal to market supply. Other things being equal, equilibrium price increases with an increase in demand and falls with a decrease in demand as shown in the following figure:
CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6 3

In the given figure, DD is the initial demand curve and SS is the supply curve. Initially, the equilibrium point is E. Corresponding to this point, equilibrium price is OP.
As demand increases, demand curve DD shifts rightwards to D1D1. Supply remaining the same, equilibrium point shifts to E1. At this point, the equilibrium price is OP1. which is higher than OP. As demand decreases, demand curve DD shifts leftwards to D2D2. Supply remaining the same, equilibrium point shifts to E2. At this point, the equilibrium price is OP2, which is lower than OP.

Answer 11.
Price elasticity of demand measures the degree of responsiveness of quantity demanded of a commodity to a change in its price. Price Elasticity of Demand for a commodity is defined as the percentage change in quantity demanded for the commodity divided by the percentage change in its price.
Some of the important determinants of price elasticity of demand are as follows: (any five)

  1. Nature of the Commodity Nature of the commodity is an important determinant of the price Elasticity of Demand. Necessities like food items and prestige goods have an inelastic demand, while luxuries and comforts have comparatively elastic demand.
  2. Availability of Substitutes The demand for commodities having close substitutes is very elastic because if there is an increase in the price of the commodity, their people will start using substitute commodities.
  3. Postponement of Consumption The demand for commodities is elastic, whose consumption can be postponed for sometime such as the demand of television, otherwise it is inelastic as in the case of medicines.
  4. Different Uses of the Commodity A commodity which has several uses will have an elastic demand. On the other hand, a commodity having only one use will have inelastic demand, e.g. milk, steel, etc have elastic demand because they can be put to several uses.
  5. Time Period Generally, longer the duration of period, greater will be the elasticity of demand because consumer have enough time to adjust their demand and vice-versa.
  6. Habits If consumers are habituated of some commodities, the demand for such commodities will usually be inelastic, e.g. alcohol.
  7. Proportion of Income Spent on the Goods Items such as toothpaste, needle will have an inelastic demand as consumers spend a small proportion of their income on such items. On the other hand, goods on which the consumers spend a large proportion of their income (cloth, food, etc) tend to have elastic demand.

Or
Consumer’s equilibrium is a point where budget line is tangent to Indifference Curve (IC) or equilibrium is achieved where slope of Indifference Curve is equal to the slope of budget line or price line.
Two conditions of the consumer’s equilibrium are given below:
(i) \(XY=\frac { { P }_{ X } }{ { P }_{ Y } } \)
(ii) At the point of equilibrium, Indifference Curve must be convex to the origin. It implies that at the point of equilibrium, MRS must be diminishing.
CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6 4
In the given diagram, E is the equilibrium point at which budget line touches the higher Indifference Curve IC2. Points ’A’ and ‘B’ lie on IC1, which offers lower level of satisfaction to the consumer and IC3 is not affordable as per the income of consumer and prices of the two goods.
So, the consumer is at equilibrium at point F’ only, where the indifference curve is tanget to the budget line.MM.

Answer 12.

  1. False, because when Marginal Revenue (MR) is constant, Total Revenue (TR) is increasing at a constant rate. Only when Marginal Revenue is zero, Total Revenue is constant.
  2. False, Average Variable Cost (AVC) can fall even when Marginal Cost (MC) starts rising. In the figure given, MC is at its minimum at point ‘a’ and AVC is at its minimum at point Between points ‘a’ to ‘b’, MC is rising, but AVC is falling.
    CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6 5
  3. True, because point of inflexion is a point from where slope of Total Product (TP) changes. And, Slope of TP=MP. Therefore, from this point, MP stops increasing and starts diminishing.

Answer 13.
Capital expenditure of the government budget refers to those expenditures of the government which either increase assets or reduce liabilities of the government.

Answer 14.
(c) Sales tax because it is not levied directly on the income of the consumer or earner.

Answer 15.
We know that,
Money created
= Deposits of Commercial Banks x \(\frac { 1 }{ LRR } \)
\(50,00,000=1,00,000\times \frac { 1 }{ LRR } \)
⇒ \(LRR=\frac { 1 }{ 50,00,000 } \) = 0.02 or 2%

Answer 16.
The components of M1 measurement of money supply (M1)=Currency (including notes and coins held by people) + Demand Deposits + Other Demand Deposits

Answer 17.
The implications of this statement are as follows:

  1. Aggregate demand is equal to aggregate supply in country ‘Z’.
  2. In country ’Z’, resources are being utilised in an optimum manner.
    Economic value being followed is that of best use of country’s resources.

Answer 18.
No, I do not agree. The term investment demand refers to the demand for real investment and not financial investment. Real investment is concerned with the increase in stock of capital assets such as tools, equipments, inventories and also increase in stock of consumer goods. Thus, it does not include investment in shares and securities.
Or
The functional relationship between the consumption expenditure and the income is known as consumption function. Symbolically,
C = f (Y), which is read as, ‘Consumption is a function of income’.
Consumption function in terms of an algebric expression can be written as:
\(C=\overline { C } +bY\)
Where, C = Consumption expenditure
\(\overline { C } \) = Autonomous consumption at zero level of income
b = Marginal Propensity to Consume
Y = Income
Let us understand it with the help of a diagram.
CBSE Sample Papers for Class 12 Economics Paper 6 6
In the above diagram, point B represents the break-even point, where the consumption expenditure is equal to the income. To the left of point S, consumption is greater than income and to the right of point 6, consumption is less than income.

Answer 19.
Given,
Real Gross Domestic Product = ₹ 3,000, and Price Index = 175
We know that,
Price Index = \(\frac { Nominal\quad GDP }{ Real\quad GDP } \times 100\)
\(\Rightarrow 175=\frac { Nominal\quad GDP }{ 3,000 } \times 100\)
Norminal GDP = 175 x 30
=₹ 5,250
The price index of 175 indicates that as compared to the base year, the prices have increased by 75%. in current year

Answer 20.
Double Coincidence of Wants Barter system can only work, when both the persons are ready to exchange each other’s goods. For example, if a person has surplus rice and he wants wheat then he will have to find a person who has surplus wheat and wants rice. But usually this type of double coincidence is rare, especially in modern times.

Money has eliminated double coincidence of wants. In modern times, the buyer buys goods for money and the seller sells goods for money. So, the person having surplus rice can sell it in the market for money and from that money he can purchase wheat. So, money facilitates exchange of goods and services and helps in carrying on trade smoothly.
Or
The various forms that money took during the process of evolution are discussed below:

  1. Commodity Money All sorts of commodities like pearls, sea-shells, salt etc have been used as a medium of exchange.
  2. Animal Money Animals such as cow, goat, etc were used as a medium of exchange. .
  3. Metallic Money Money made from metals like gold, silver, copper etc was called metallic money.
  4. Paper Money Money made of paper is known as paper money.
  5. Credit Money It refers to bank deposits with banks which are withdrawable through a cheque.
  6. Plastic Money It is the modern form of money in the form of debit and credit cards.
  7. Virtual Money It is the latest form of money which exists in web world. Bit coin is the example of virtual’money.

Answer 21.
With the efforts of government in raising educational and health related services, level of health and education of poor people is expected to rise. This leads to a rise in human capital formation.
Efficiency of workers is expected to rise with improvement in their health and with improvement in their education, skill formation will take place.
Consequently, the level of technology tends to scale up due to which more research and innovations are facilitated.
Higher level of output is achieved with the same level of inputs. So, Production Possibility Curve (PPC) tends to shift to the right.

Answer 22.
(i) By Income Method
Gross National Product at Factor Cost = Compensation of Employees + Rent + Interest + Profits ‘ + Net Factor Income from Abroad + Consumption of Fixed Capital
= 1,850 + 400 + 500 + 1,100 + (- 50) + 100
= 3,950 – 50 = ₹ 3,900 crore
(ii) By Expenditure Method
Gross National Product at Factor Cost = Private Final Consumption Expenditure + Government Final Consumption Expenditure + Net Domestic Capital Formation + Consumption of Fixed Capital + Net Exports + Net Factor Income from Abroad – Net Indirect Taxes
= 2,600 + 1,100+ 500 + 100 + (-100) + (-50) – 250
= 4,300 – 400 = ₹ 3,900 crore
The economic value involved in estimation of national income is to assess the level of economic development in the country.

Answer 23.
Consumption Function (C) =200 + 0.75 Y
Suppose, Income (Y) in the economy is ₹ 400, ₹ 500 or ₹ 600
When Y = 400
C= 200 + 0.75 x 400 = ₹ 500
When, Y = 500
C= 200 + 0.75 x 500 = ₹ 575
When Y = 600
C= 200 + 0.75 x 600 = ₹ 650
Therefore,

Income (Y)Consumption (C)APC (C /Y)
400500500/400 = 1.25
500575575/500 = 1.15
600650650/600 = 1.08

From the above table, it is clear that as income rises, Average Propensity to Consume (APC) decreases.
Therefore, as shown in the given example as income increases from ₹ 400 to ₹ 500 to ₹ 600,
APC decreases from 1.25 to 1.15 to 1.08, respectively.
Or
(i) Investment Expenditure Substituting the value of
Y in saving function,
We get
S = -200+ 0.25 x 2,000 = ₹ 300
At equilibrium level of income, S = /
So, / =₹ 300
Thus, investment expenditure at equilibrium level of income is ₹ 300.
where, S = Savings
/ = Investments, Y = National Income/Income
(ii) Autonomous Consumption
Consumption + Saving = Income … (i)
Autonomous consumption refers to that level of consumption expenditure where income is zero. Flere, if income (Y) = 0, Saving (S) = -200 Putting these value in equation (i), We get Consumption + (- 200) = 0
⇒ Consumption = ₹ 200 So, Autonomous Consumption = ₹ 200
(iii) investment Multiplier \(K=\frac { 1 }{ MPS } \)
From saving function, we know that
Marginal Propensity to Save (MPS) = 025
Investment Multiplier (K) = \(\frac { 1 }{ 0.25 } =4\)

Answer 24.
(i) There is no direct impact on national income of a country with change in exchange rate. But change in exchange rate has an indirect impact on national income. When exchange rate rises, domestic currency depreciates. The foreign countries can now purchase more quantity of goods and services from the same amount of foreign currency from the domestic country. Imports tends to fall and exports tend to rise. Accordingly, aggregate demand tends to rise. A rise in AD may lead to a rise in national income.

(ii) Difference between depreciation and devaluation of currency are:

BasisDepreciation of CurrencyDevaluation of Currency
Market forces of demand and supplyDepreciation of foreign currency is determined by market forces of demand and supply.Devaluation of foreign currency is not determined by market forces of demand and supply.
Government interventionThere is generally no direct intervention of government.Devaluation is generally done by government itself.
PlanningIt is not planned at all.It is generally planned by government.

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