NCERT Solutions for Class 7 Hindi Bal Mahabharat Katha (Chapter 1 to 40) बाल महाभारत कथा

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Bal Mahabharat Chapter 1 बाल महाभारत कथा are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Bal Mahabharat Chapter 1 बाल महाभारत.

BoardCBSE
TextbookNCERT
ClassClass 7
SubjectHindi Bal Mahabharat
ChapterChapter 1
Chapter Nameबाल महाभारत
Number of Questions Solved20
CategoryNCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Bal Mahabharat Katha (Chapter 1 to 40) बाल महाभारत कथा

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
गंगा ने शांतनु से कहा-“राजन्! क्या आप अपना वचन भूल गए?” तुम्हारे विचार से शांतनु ने गंगा को क्या वचन दिया होगा?
उत्तर
शांतनु ने गंगा की शर्त के अनुसार यह वचन दिया था कि उसके किसी भी कार्य में शांतनु को बोलने का अधिकार नहीं होगा। इसी वचन के आधार पर गंगा ने एक-एक करके सात पुत्र नदी में फेंक दिए किंतु शांतनु सदा चुप रहे। वचन बद्ध होने के कारण ही उन्होंने कभी कुछ न कहा।

प्रश्न 2.
महाभारत के समय में बड़े पुत्र को अगला राजा बनाने की परंपरा को ध्यान में रखते हुए बताओ कि तुम्हारे अनुसार किसे राजा बनाया जाना चाहिए था— युधिष्ठिर या दुर्योधन को? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर-
महाभारत के समय में राजा के बड़े पुत्र को अगला राजा बनाने की परंपरा थी। इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए हमारे अनुसार युधिष्ठिर को ही रोजा बनाया जाना चाहिए था, क्योंकि हस्तिनापुर की गद्दी के उत्तराधिकारी पांडु थे। अतः उनके बड़े पुत्र को ही गद्दी मिली चाहिए थी। यदि हम यह भी मान लेते हैं कि धृतराष्ट्र भी राजा थे, तो भी युधिष्ठिर गद्दी के दावेदार थे, क्योंकि वे दुर्योधन से बड़े थे।

प्रश्न 3.
महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए कौरवों और पांडवों ने अनेक प्रयास किए। तुम्हें दोनों के प्रयासों में जो उपयुक्त लगे हों, उनके कुछ उदाहरण दो।
उत्तर
महाभारत युद्ध के कुछ अनुचित प्रयासों को छोड़ दिया जाए तो दोनों पक्षों के प्रयास उपयुक्त लगे। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं

  1. अपने मित्रों की सहायता लेना।
  2. युधिष्ठिर का भीष्म, द्रोण, कृप, शल्य से युद्ध करने की आज्ञा लेना।
  3. पांडवों द्वारा श्रीकृष्ण को अपने साथ लेना।
  4. पांडवों द्वारा कौरव-पक्ष के लोगों की सहानुभूति पा लेना।

प्रश्न 4.
तुम्हारे विचार से महाभारत के युद्ध को कौन रुकवा सकता था? कैसे?
उत्तर
हमारे विचार से महाभारत युद्ध को रोकने का सामर्थ्य पितामह भीष्म और आचार्य द्रोण में था क्योंकि यदि ये दोनों यह निर्णय कर लेते कि हम अन्याय का साथ नहीं देंगे, तो कृपाचार्य व अश्वत्थामा भी इनके साथ ही रहते। इनके अभाव में दुर्योधन लड़ने की हिम्मत न करता।
एक और शक्ति थी, जो महाभारत की नौबत ही नहीं आने देती और वह शक्ति थी, कुंती। शस्त्र-अभ्यास के दिन जब कर्ण अर्जुन को चुनौती दे रहा था, तब कुंती यदि साहस करके यह घोषणा कर देती कि कर्ण उसका पुत्र है, तो अर्जुन तो कर्ण के पैर पकड़ लेता। कर्ण की दोस्ती के बल पर ही दुर्योधन इतना आक्रामक हुआ।

प्रश्न 5.
इस पुस्तक में से कोई पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर

  1. नीचा दिखाना-दुर्योधन का प्रयास सदैव पांडवों को नीचा दिखाने का रहता था।
  2. काम तमाम करना-महाभारत युद्ध के दूसरे दिन भीमसेन ने दुर्योधन के चार भाइयों का काम तमाम कर दिया था।
  3. व्यर्थ डींग मारना-पितामह भीष्म ने धृतराष्ट्र से कहा था-महाराज! यह राधापुत्र कर्ण व्यर्थ की डींग मारता है।
  4. दंग रहना-अभिमन्यु के युद्ध कौशल को देखकर कौरव-सेना दंग रह गई।
  5. नाक में दम करना-घटोत्कच ने अपने प्रहारों से कर्ण की नाक में दम कर दिया था।

प्रश्न 6.
महाभारत में एक ही व्यक्ति के एक से अधिक नाम दिए गए हैं। बताओ, नीचे लिखे हुए नाम किसके हैं?
पृथा राधेय वासुदेव गांगेय सैरंध्री कंक
उत्तर
पृथा        –    कुंती
राधेय      –    कर्ण
वासुदेव   –    श्रीकृष्ण
गांगेय     –    देवव्रत, भीष्म
सैरंध्री     –    द्रौपदी
कंक      –    युधिष्ठिर।

प्रश्न 7.
इस पुस्तक में भरतवंश की वंशावली दी गई है। तुम भी अपने परिवार की ऐसी ही एक वंशावली तैयार करो। इस कार्य के लिए तुम अपने माता-पिता या अन्य बड़े लोगों से मदद ले सकते हो।
उत्तर
छात्र यह कार्य स्वयं करेंगे।

प्रश्न 8.
तुम्हारे अनुसार महाभारत कथा में किस पात्र के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ और क्यों?
उत्तर-
हमारे अनुसार महाभारत कथा में सबसे अधिक अन्याय कर्ण के साथ हुआ है- मसलन वह एक ऐसा पात्र था जो जन्म के समय से ही उसे अपनी माता के द्वारा त्याग दिया गया। उत्तम कुल में जन्म लेकर भी वह सूत-पुत्र कहलाया। शस्त्र परीक्षण के दिन पहचान लेने के बाद भी कुंती ने उसे नहीं अपनाया। इंद्र ने उसके साथ छल किया। परशुराम ने उसे शाप दिया। अर्जुन ने उसे छल से मारा। इस तरह हम देखते हैं कि महाभारत कथा में सबसे अधिक अन्याय कर्ण पर ही हुआ था।

प्रश्न 9.
महाभारत के युद्ध में किसकी जीत हुई? (याद रखो कि इस युद्ध में दोनों पक्षों के लाखों लोग मारे गए थे।)
उत्तर
युद्ध में कितने ही लोग मारे जाएँ, अंत में जीत तो एक पक्ष की होती ही है। महाभारत युद्ध में अठारह अक्षौहिणी सेना कट गई थी किंतु राज्य तो पांडवों को मिला। अतः जीत पांडवों की हुई, न्याय की हुई।

प्रश्न 10.
तुम्हारे विचार से महाभारत की कथा में सबसे अधिक वीर कौन था/थी? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर-
महाभारत के युद्ध में एक से बढ़कर एक महारथियों ने भाग लिया था लेकिन सबसे अधिक कौन वीर था, इस पर निष्कर्ष निकाल पाना कठिन था। इसमे तुलनामक दृष्टि से देखते है तो पितामह, भीष्म, भीम, आचार्य द्रोण, कर्ण व अर्जुन एक से बढ़कर एक महारथी इस युद्ध में भाग लिए थे। अर्जुन की वीरता महाभारत कथा में कई जगहों पर देखने को मिलती है। उसने अपनी वीरता के बल पर राजा द्रुपद को बंदी बनाकर आचार्य द्रोणाचार्य के सामने ला खड़ा किया था। गंधर्वराज से कर्ण पराजित हुआ जबकि अर्जुन विजयी हुए। विराट के पास रहकर अर्जुन ने कर्ण को हराया। उसने द्रौपदी के स्वयंवर में रखे गए शर्त को पूरा कर स्वयंवर को जीता। अर्जुन ने कर्ण, द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा और कृपाचार्य जैसे महारथियों को परास्त कर दिया। पितामह भीष्म को पृथ्वी छेद कर उनकी अंतिम समय में इच्छा पूरी की। इस प्रकार तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो पांडु पुत्र अर्जुन को सबसे अधिक वीर माना जा सकता है, क्योंकि उसकी वीरता की प्रशंसा स्वयं पितामह भीष्म और द्रोणाचार्य भी कर चुके हैं।

प्रश्न 11.
यदि तुम युधिष्ठिर की जगह होते, तो यक्ष के प्रश्नों के क्या उत्तर देते?
उत्तर
यदि मैं युधिष्ठिर की जगह होता तो मैं भी यक्ष के प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार देने का प्रयास करता कि यक्ष प्रसन्न होकर मेरे मृत भाइयों को जीवित कर देते।

प्रश्न 12.
महाभारत के कुछ पात्रों द्वारा कही गई बातें नीचे दी गई हैं। इन बातों को पढ़कर उन पात्रों के बारे में तुम्हारे मन में क्या विचार आते हैं
(क)शांतनु ने केवटराज से कहा-“जो माँगोगे दूंगा, यदि वह मेरे लिए अनुचित न हो।”
(ख)दुर्योधन ने कहा-“अगर बराबरी की बात है, तो मैं आज ही कर्ण को अंगदेश का राजा बनाता हूँ।”
(ग)धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से कहा-”बेटा, मैं तुम्हारी भलाई के लिए कहता हूँ कि पांडवों से वैर न करो। वैर दुख और मृत्यु का कारण होता है।”
(घ)द्रौपदी ने सारथी प्रातिकामी से कहा-”रथवान! जाकर उन हारनेवाले जुए के खिलाड़ी से पूछो कि पहले वह अपने को हारे थे या मुझे?”
उत्तर

  1. हमारे मन में यह विचार आता है कि उस काल के शासक ऐसा कोई कार्य करने के लिए तैयार नहीं होते थे जिससे उनके राज्य या स्वयं उनको किसी प्रकार की हानि उठानी पड़े।
  2. हमें दुर्योधन अशिष्ट लगता है। उसका व्यवहार आतंकवादियों जैसा है। वह राजा नहीं है। राजा तो धृतराष्ट्र हैं किंतु उसके सामने कोई बोल नहीं पाता। कर्ण को अंगदेश का राजा बनाने में भी उसका स्वार्थ झलकता है।
  3. धृतराष्ट्र लाचार पिता के समान दिखाई देते हैं जो संतान को उचित सलाह दे रहे हैं किंतु जानते भी हैं कि उनकी बात नहीं मानी जाएगी। अतः दुख और मृत्यु का भय भी दिखाते हैं। हमारे मन में यह भाव आता है कि बड़ों की बात न मानने का परिणाम महाभारत है।
  4. द्रौपदी तेजस्वी नारी है। उस तेज के कारण ही वह युधिष्ठिर को ‘हारने वाले जुए के खिलाड़ी’ कहती है। उसे नीति का ज्ञान है। विचार आता है कि काश! सभी भारतीय नारियों में इतना तेज होता, तो समाज का बहुत बड़ा हित होता।।

प्रश्न 13.
युधिष्ठिर ने आचार्य द्रोण से कहा- “अश्वत्थामा मारा गया, मनुष्य नहीं, हाथी।” युधिष्ठिर सच बोलने के लिए प्रसिद्ध थे। तुम्हारे विचार से उन्होंने द्रोण से सच कहा था या झूठ? अपने उत्तर का कारण भी बताओ?
उत्तर-
मेरे विचार से युधिष्ठिर ने द्रोणाचार्य से झूठ कहा था कि अश्वत्थामा मारा गया क्योंकि कथन था- ‘अश्वत्थामाः मृतो नरो या कुंजरो या”। इस वाक्य से स्पष्ट हो जाता है कि अश्वत्थामा हाथी मर गया लेकिन एक तो युधिष्ठिर ने जान बूझकर ऐसा कहा, दूसरी बात नरो पहले कहा है, अंतिम अंश धीमी आवाज़ में था। ऐसा युधिष्ठिर ने इसलिए कहा था क्योंकि वे जानते थे कि द्रोण के लिए यह असहनीय सदमा होगा, जिससे वे विचलित हो जाएँगे फिर उनको मारना आसान हो जाएगा।

प्रश्न 14.
महाभारत के युद्ध में दोनों पक्षों को बहुत हानि पहुँची। इस युद्ध को ध्यान में रखते हुए युद्धों के कारणों और परिणामों के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखो। शुरुआत हम कर देते हैं-

  1. युद्ध में दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक मारे जाते हैं।
  2. …………………………………………………..
  3. …………………………………………………..
  4. …………………………………………………..
  5. …………………………………………………..
  6. …………………………………………………..

उत्तर
(2)
जन-धन की अपार हानि होती है।
(3)युद्ध का दंड हमारी अनेक पीढ़ियों को सहना पड़ता है।
(4)नारियों व बच्चों को अपार कष्ट सहने पड़ते हैं।
(5)वैज्ञानिक उन्नति रुक जाती है।
(6)सांस्कृतिक पतन प्रारंभ हो जाता है।

प्रश्न 15.
मान लो तुम भीष्म पितामह हो। अब महाभारत की कहानी अपने शब्दों में लिखो। जो घटनाएँ तुम्हें ज़रूरी न लगें, उन्हें तुम छोड़ सकते हो।
उत्तर
पूरी कहानी के सार को पढे व अपने शब्दों में लिखने का प्रयास करें।

प्रश्न 16.
(क)द्रौपदी के पास एक ‘अक्षयपात्र’ था, जिसका भोजन समाप्त नहीं होता था। अगर तुम्हारे पास ऐसा ही एक पात्र हो, तो तुम क्या करोगे?
(ख)यदि ऐसा कोई पात्र तुम्हारे स्थान पर तुम्हारे मित्र के पास हो, तो तुम क्या करोगे?
उत्तर

  1. यदि मेरे पास एक अक्षयपात्र हो तो मैं अपनी पहुँच के किसी भी निर्धन को भूख से तड़प कर मरने नहीं दूंगा।
  2. यदि अक्षयपात्र मेरे मित्र के पास हो, तो उसे सलाह दूंगा कि इससे निर्धन व जरूरतमंद की सहायता करो।

प्रश्न 17.
नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो। सोचकर लिखो कि जिन शब्दों के नीचे रेखा खींची गई है, उनके अर्थ क्या हो सकते हैं?
(क) गंगा के चले जाने से शांतनु का मन विरक्त हो गया।
(ख) द्रोणाचार्य ने द्रुपद से कहा-“जब तुम राजा बन गए, तो ऐश्वर्य के मद में आकर तुम मुझे भूल गए।”
(ग) दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा-“पिता जी, पुरवासी तरह-तरह की बातें करते हैं।
(ध) स्वयंवर मंडप में एक वृहदाकार धनुष रखा हुआ था।
(ङ) चौसर का खेल हमने तो ईजाद किया नहीं।
उत्तर-
(क) विरक्त – उदासीन
(ख) मद – अहंकार, सत्ता का नशा ।
(ग) पुरवासी। – नगरवासी
(घ) वृहदाकार – बहुत बड़े आकार का
(ङ) ईजाद – खोज, आविष्कार

प्रश्न 18.
लाख के भवन से बचने के लिए विदुर ने युधिष्ठिर को सांकेतिक भाषा में सीख दी थी। आजकल गुप्त भाषा का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ होता होगा? तुम भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपनी गुप्त भाषा बना सकते हो। इस भाषा को केवल वही समझ सकेगा, जिसे तुम यह भाषा सिखाओगे। ऐसी ही एक भाषा बनाकर अपने दोस्त को एक संदेश लिखो।
उत्तर
आजकल गुप्तचर विभाग गंभीर अवसरों पर सांकेतिक भाषा का प्रयोग करता है। सेना के भी अपने सांकेतिक शब्द होते हैं। आतंकवादी भी ऐसी ही भाषा बना लेते हैं। आप भी अपने मित्रों के साथ मिलकर किसी भी प्रकार की सांकेतिक भाषा बना सकते हैं। इस भाषा के आधार पर आप बातचीत भी कर सकते हैं और एक दूसरे को संदेश भी भेज सकते हैं।

प्रश्न 19.
महाभारत कथा में तुम्हें जो कोई प्रसंग बहुत अच्छा लगा हो, उसके बारे में लिखो। यह भी बताओ । कि वह प्रसंग तुम्हें अच्छा क्यों लगा?
उत्तर
महाभारत एक ऐसा विशाल ग्रंथ है जिसकी समता संसार की किसी भी भाषा का कोई भी ग्रंथ नहीं कर सकता। अतः उसमें अनेक प्रसंग ऐसे हैं जो बहुत अच्छे लगते हैं। यदि एक का ही चयन करना है, तो महाभारत युद्ध प्रारंभ होने से पूर्व अर्जुन का मोह और श्रीकृष्ण का उपदेश ऐसा प्रसंग है जिसकी प्रशंसा सारा संसार करता है। वह प्रसंग ही ‘श्रीमद्भगवतगीता’ के नाम से जाना जाता है। | यह प्रसंग हमें इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि इसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही संदेश दिया है कि मनुष्य को कर्म करने में विश्वास करना चाहिए, फल की इच्छा की चाह नहीं करनी चाहिए। वर्तमान में भी यह कथन सत्य प्रतीत होता है।

प्रश्न 20.
तुमने पुस्तक में पढ़ा कि महाभारत कथा कंठस्थ करके सुनाई जाती रही है। कंठस्थ कराने की क्रिया उस समय इतनी महत्त्वपूर्ण’ क्यों रही होगी? तुम्हारी समझ में आज के ज़माने में कंठस्थ करने की आदत कितनी उचित है?
उत्तर-
उस जमाने में आज के समान पुस्तक की छपाई नहीं होती थी। अतः शिक्षा गुरु मुख से सुनकर कंठस्थ की जाती थी। आज उतना कंठस्थ करने की आवश्यकता नहीं है। आज के ज़माने में कागज़ और प्रैस की तकनीक उपलब्ध है। अतः अब इसकी उतनी आवश्यकता नहीं है, फिर भी विद्या को कंठस्थ कर लेने से ज्ञान का विकास होता है और वक्त पर काम आता है।

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