NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9 संगतकार

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9 संगतकार.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है? [CBSE 2012; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008; A.I. CBSE 2008 C]
उत्तर:
संगतकार के माध्यम से कवि किसी भी कार्य अथवा कला में लगे सहायक कर्मचारियों और कलाकारों की ओर संकेत कर रहा है। वे सहायक कलाकार स्वयं को महत्त्व न देकर मुख्य कलाकार और मुख्य व्यक्ति के महत्त्व को बढ़ाने में अपनी शक्ति लगा देते हैं।

प्रश्न 2.
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
उत्तर:
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा बड़े-बड़े नेताओं, अभिनेताओं, संतों-महात्माओं के साथ भी इसी प्रकार सहयोग करते हैं। नेताओं के इर्द-गिर्द रहने वाले सभी सहायक उपनेता अपने बड़े नेता के महत्त्व को बढ़ाने में लगे रहते हैं। आम कार्यकर्ता, झंडे लगाने वाले, नारे लगाने वाले कार्यकर्ता संगतकार की भूमिका ही निभाते हैं। संतों-महात्माओं के आने से पहले उनकी महिमा का गुणगान करने वाले भक्त और उनके जाने के बाद उनका प्रचार करने वाले भक्त भी संगतकार के समान होते हैं।

प्रश्न 3.
संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं? [Imp.][CBSE 2012]
अथवा
संगतकार की भूमिका को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
संगतकार निम्नलिखित रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं

  • वे अपनी आवाज़ और पूँज को मुख्य गायक की आवाज में मिलाकर उनकी आवाज़ का बल बढ़ाते हैं।
  • वे गायक द्वारा और कहीं गहरे चले जाने पर उनकी स्थायी पंक्ति को पकड़े रखते हैं तथा मुख्य गायक को वापस मूल स्वर पर ले आते हैं।
  • वे मुख्य गायक की थकी हुई, टूटती-बिखरती आवाज़ को बल देकर सहयोग देते हैं। उन्हें अकेला नहीं पड़ने देते, बिखरने नहीं देते।

प्रश्न 4
भाव स्पष्ट कीजिए
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है। या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है। उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर:
देखिए अर्थग्रहण संबंधी काव्यांश ‘4’ का ‘भावार्थ’ भाग।

प्रश्न 5.
किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आज कुमार विशु एक सफल गायक है। कभी वह बिल्कुल बच्चा था। तब उसके कितने ही साथियों, मित्रों, अध्यापकों और प्रशंसकों ने उसके बल को बढ़ाया। वे उसकी प्रतिभा पर मुग्ध थे। इसलिए सभी उसे आगे बढ़ाने की कोशिश किया करते थे। उसका एक मित्र उसके लिए अच्छे-अच्छे गीत और गज़लें लिखा करता था। दूसरा उसे बड़े-बड़े कार्यक्रमों में ले जाता था। कोई ऐसा भी था, जो अपना काम छोड़कर उसके साथ कार्यक्रमों में जाता था तथा उसकी हर सुविधा का ध्यान रखता था। उसके चारों ओर प्रशंसा का वातावरण बनाकर रखता था। इन सबसे उसे मानसिक बल मिला। यदि ये सब सहयोगी उसे बल देने की बजाय चुप रह जाते या रोड़े अटकाते तो वह निराश होकर न जाने कहीं भटक या अटक जाता। अतः किसी भी प्रसिद्ध कलाकार के महत्त्व के पंछे उसके सहायकों का भरपूर योगदान होता है।

प्रश्न 6.
कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए। [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009] |
उत्तर:
जब मुख्य गायक गीत गाते-गाते अपने स्वर को बहुत ऊँचाई पर ले जाता है, तो कभी-कभी उसका स्वर बिखरने लगता है। उत्साह मंद पड़ने लगता है। रुचि और शक्ति समाप्त होने लगती है। तब संगतकार उसके पीछे मुख्य धुन को दोहराता चलता है। वह अपनी आवाज़ से उसके बिखराव को सँभाल लेता है। उसके उत्साह को वापस लौटा लाता है। इस प्रकार संगतकार की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। वह मुख्य गायक का सहायक ही नहीं, संरक्षक, बलवर्द्धक और आनंददायक साथी है।।

प्रश्न 7.
सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं? [Imp.] [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008] |
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति सफलता के चरम शिखर पर पहुँचकर अचानक लड़खड़ा जाता है तो उसके सहयोगी ही उसे बल, उत्साह, शाबासी और साथ देकर सँभालते हैं। वे अपनी शक्ति उसके लिए लगा देते हैं। वे उसकी कमी को पूरा करने का भरसक प्रयास करते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाएँ
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?
उत्तर:
(क) ऐसी स्थिति में मैं घबरा जाता हूँ। प्रायः तनावग्रस्त हो जाता हूँ। मैं उन्हें फोन पर फोन करने लगता हूँ। कभी आयोजकों से प्रार्थना करता हूँ कि वे किसी तरह कार्यक्रम को थोड़ी देर के लिए टालें। कुछ भी हो, मैं अपने सहायकों के बिना मंच पर गाने नहीं जाता। जब मैं गाना गाने जाता हूँ तो गर्दन हिलाकर झूमने वाला एकाध प्रशंसक भी चाहिए। कोई मंच पर बैठे-बैठे वाह-वाह करने वाला भी चाहिए। जब मैं गायकी करने उतरता हूँ तो अपने सहायक गायक के बिना गाना ही नहीं गाता।
(ख) यदि दुर्भाग्यवश कभी मेरे सहयोगी कलाकार नृत्य-समारोह में न पहुँच पाएँ तो मैं कुछ भी नहीं कर सकता। मैं नर्तक हूँ और गायक कलाकार न आए तो मैं क्या कर लूंगा? हारमोनियम या तबला बजाने वाला न पहुँचे तो मैं क्या कर सकता हैं। ऐसी स्थिति में मैं मंच पर पहुँचूँगा। श्रोताओं से हाथ जोड़कर क्षमा माँगूंगा। साथ ही आयोजकों से निवेदन करूंगा कि वे कोशिश करके किसी सहायक वादक को बुला लाएँ। मैं उसके साथ संगति करने की भरपूर कोशिश करूंगा। उस समय मैं किसी प्रसिद्ध गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर दूंगा।

प्रश्न 9.
आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों की भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
सांस्कृतिक समारोह में काम करने वाले सहायक लोगों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। उनके सहयोग के बिना मंच पर दृश्य अभिनीत नहीं हो सकते। वे ही मंच-सज्जा करते हैं। एक-एक उपकरण को सही जगह पर सजाते हैं। दो ही मिनट में नाटक खेलने की तैयारी करना कोई हँसी-खेल नहीं है। योग्य और कुशल सहायक ही ऐसा कर सकते हैं। अनाड़ी
और लापरवाह सहायकों के कारण कई बार बड़े-बड़े नाटक असफल हो जाते हैं। यदि मंच के पीछे खड़ा सहायक ठीक समय पर पृष्ठभूमि में बजने वाला टेप-रिकार्डर न चला सका, या आग का गोला न जला सका, या मटका आदि उपलब्ध न करा सका तो नाटक धरा का धरा रह जाएगा। मंच के पीछे खड़े सहायक ही मंच के सारे सामान को सँभालकर कलाकारों को चिंतामुक्त करते हैं। यदि कलाकारों को अपना सामान आदि उठाने की भी फिक्र हो तो उसका तनाव मंच पर भी दिखाई देने लगेगा। इस प्रकार मंच के सहयोगियों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 10.
किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?
अथवा
‘संगतकार’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि संगतकार जैसे व्यक्ति सर्वगुण संपन्न होकर भी समाज में अग्रिम पंक्ति में न आकर प्रायः पीछे ही क्यों रहते हैं?
[A.I. CBSE 2008 C]
अथवा
संगतकार प्रतिभावान होते हुए भी शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे? [CBSE 2012] |
उत्तर:
किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग मुख्य कलाकार नहीं बन पाते। कारण स्पष्ट है। वे मुख्य गायक के सहायक के रूप में आते हैं। यदि वे जीवन-भर तबला, हारमोनियम आदि वाद्य-यंत्र बजाते रहे तो मुख्य कलाकार कैसे बन सकते हैं। हाँ, यदि कभी उन्हें स्वतंत्र रूप से अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिले, उनका गायन सुना जाए, उनका तबला या हारमोनियम ही सुना जाए, तभी वे मुख्य स्थान प्राप्त कर सकेंगे। इस बात के अवसर कम होते हैं। ”
प्रायः संगतकार द्वितीय श्रेणी की प्रतिभा वाले होते हैं। प्रथम श्रेणी की प्रतिभा वाले कलाकार जल्दी ही संगतकार की भूमिका छोड़कर स्वतंत्र कार्यक्रम करने लगते हैं। यदि नहीं करते, तो इसे उनके प्रयासों की कमी या दुर्भाग्य माना जाना चाहिए।
मुख्य कलाकार बनने में जहाँ प्रतिभा चाहिए, वहाँ लोगों के बीच संबंध भी चाहिए। कुछ लोग उसके प्रशंसक होने चाहिए। उसे ऊपर उठाने वाले होने चाहिए। जो कलाकार गरीब होते हैं, साधनहीन होते हैं, वे प्रायः शीर्ष स्थान से वंचित रह जाते हैं। उन्हें स्वयं को स्थापित करने के अवसर बहुत कम मिलते हैं।

पाठेतर सक्रियता

आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध गायिका की गीत प्रस्तुति का आयोजन है
( क ) इस संबंध पर सूचना पट्ट के लिए एक नोटिस तैयार कीजिए।
( ख ) गायिका व उसके संगतकारों का परिचय देने के लिए आलेख (स्क्रिप्ट) तैयार कीजिए।
उत्तर:
(क) लता का गायन-समारोह बड़े हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि भारत की सुर-सम्राज्ञी लता मंगेशकर हमारे विद्यालय के मुख्य भवन में अपने स्वरों का जादू बिखेरने आ रही हैं। कार्यक्रम दिनांक 15 मार्च, 2013, सायं 6.00 बजे आरंभ होगा। सभी छात्र-छात्राएँ आमंत्रित हैं। समारोह-भवन में परिचय-पत्र लेकर आएँ। 5-45 के बाद किसी को अंदर आने की अनुमति नहीं होगी।
(ख) आज जिस स्वर-सम्राज्ञी का गायन आप सुनने जा रहे हैं, वे हैं भारत-कोकिला लता मंगेशकर। लता जी के नाम को कौन नहीं जानता? वे पिछले 50 सालों से भारत के संगीत-जगत और फिल्मी जगत में घटा-सी छाई हुई हैं। 50 साल बाद भी उनका स्वर किसी कुँआरी कन्या-सा पवित्र है। उन्होंने हजारों गाने गाए हैं, देश-विदेश में गाया है। आज वे मुख्य रूप से आपको भक्ति-संगीत सुनाएँगी और आपको अध्यात्म के सागर में डुबकी लगवाएँगी।
उनके साथ तबले पर संगति कर रहे हैं-ग्वालियर के संगीत घराने के मशहूर तबलावादक गोपाल महाराज। वे भी पिछले तीस वर्षों से तबले पर संगति कर रहे हैं। जब उनके तबले पर थाप पड़ती है तो बादल गड़गड़ा उठते हैं। कभी बारिश का स्वर भिगोने लगता है तो कभी नदियों में कमल खिल उठते हैं। वे स्वतंत्र रूप से तबलावादन के कई राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं। उन्हें इस क्षेत्र में अनेक पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। | वीणा पर संगति कर रही हैं-श्रीमती सीमा राजदान। सीमा राजदान वीणा-गायन के क्षेत्र में एक नया नाम है। किंतु काम बिल्कुल वैसा है जैसा कि नया सूरज करता है। उनकी वीणा में नई स्वर-भंगिमा है और बिल्कुल नया अंदाज।

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