क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः Summary Notes Class 8 Sanskrit Chapter 13

By going through these CBSE Class 8 Sanskrit Notes Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः Summary, Notes, word meanings, translation in Hindi, students can recall all the concepts quickly.

Class 8 Sanskrit Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः Summary Notes

क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः Summary

भारत का इतिहास अत्यधिक गरिमामय रहा है। प्राचीनकाल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। किसी समय भारतवर्ष विश्व में अग्रणी हुआ करता था तथा इसे विश्वगुरु का सम्मान प्राप्त था। ‘अनेकता में एकता’ जैसी अनेक विशेषताएँ भारत की हुआ करती थीं।

भारत की प्राकृतिक सुषमा भी विलक्षण है। कवि ने इन्हीं विशेषताओं और दिव्यता को प्रस्तुत पाठ में दर्शाया है। यह डॉ. कृष्णचन्द्र त्रिपाठी के द्वारा रचित है। इसमें भारत के स्वर्णिम इतिहास का गुणगान है। भारत की विकासशीलता तथा गतिशीलता का विहंगम दृश्य उपलब्ध होता है। प्राचीन परम्परा, संस्कृति, आधुनिक मिसाइल क्षमता तथा परमाणु शक्ति सम्पन्नता के गीत के द्वारा कवि ने देश की सामर्थ्यशक्ति का वर्णन किया है।

क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः Word Meanings Translation in Hindi

मूलपाठः, अन्वयः, शब्दार्थः, सरलार्थश्च

(क) सुपूर्णं सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डं
नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्।
इयं स्वर्णवद् भाति शस्यैधरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥1॥

अन्वयः-
खाद्यान्नभाण्डं सदैव सुपूर्णं अस्ति। यत्र नदीनां जलं पीयूषतुल्यम् (अस्ति)। इयं धरा शस्यैः स्वर्णवत् भाति। भारतस्वर्णभूमिः क्षितौ राजते।

शब्दार्थ-
भाण्डम्-पात्र।
यत्र-जहाँ।
पीयूषतुल्यम्-अमृत के समान।
स्वर्णवत्-सोने के समान।
शस्यैः-फसलों के द्वारा।
धरा-पृथ्वी।
क्षितौ-पृथ्वी पर।

सरलार्थ-खाद्यान्न के पात्र सदा परिपूर्ण रहते हैं। जहाँ नदियों का जल अमृत के समान है। यह (भारत) भूमि फसलों के द्वारा सुशोभित है। पृथ्वी पर भारत स्वर्णभूमि के रूप में शोभायमान है।

(ख) त्रिशूलाग्निनागैः पृथिव्यस्त्रघोरैः
अणूनां महाशक्तिभिः पूरितेयम्।
सदा राष्ट्ररक्षारतानां धरेयम्
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥2॥

अन्वयः-
त्रिशूलाग्निनागैः पृथिव्यस्त्रघोरैः अणूनां महाशक्तिभिः इयं पूरिता। इयं सदा राष्ट्ररक्षारतानाम् धरा (अस्ति)। भारतस्वर्णभूमिः क्षितौ राजते।

शब्दार्थ-
त्रिशूल:-त्रिशूल आदि के द्वारा।
अस्त्रघोरैः- भयंकर अस्त्रों से।
पूरिता-पूर्ण।
रताः-लगे हुए।

सरलार्थ-
त्रिशूल, अग्नि, नाग तथा पृथ्वी आदि भयंकर अस्त्रों के द्वारा तथा परमाणु महाशक्ति के द्वारा यह पूर्ण है। यह राष्ट्ररक्षा में लीन (वीरों) की पृथ्वी है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान है।

(ग) इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या
जगद्वन्दनीया च भूः देवगेया।
सदा पर्वणामुत्सवानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥3॥

अन्वयः-
इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या, जगद्वन्दनीया च देवगेया भूः। इयं सदा पर्वणाम् उत्सवानां धरा। क्षितौ भारतस्वर्णभूमिः राजते।

शब्दार्थ-
पर्वणाम्-पर्वो का।
वीरभोग्या-वीरों के द्वारा भोग्य।
वन्दनीया-स्तुति करने योग्य।

सरलार्थ-
यह वीरों के द्वारा भोग्य, कर्म के द्वारा सेवनीय, विश्व के द्वारा स्तुति करने योग्य तथा देवताओं के द्वारा आने योग्य भूमि है। यह सदा पर्वो की तथा उत्सवों की पृथ्वी है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान

(घ) इयं ज्ञानिनां चैव वैज्ञानिकानां
विपश्चिज्जनानामियं संस्कृतानाम्।
बहूनां मतानां जनानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥4॥

अन्वयः-
इयं ज्ञानिनां वैज्ञानिकानां चैव विपश्चिज्जनानां संस्कृतानां (धरा)। इयं बहूनां मतानां। जनानां धरा (अस्ति)। क्षितौ भारतस्वर्णभूमिः राजते।

शब्दार्थ-
विपश्चित्-विद्वान्।
बहूनाम्-अनेक।

सरलार्थ-
यह ज्ञानियों, वैज्ञानिकों, विद्वान् लोगों की तथा संस्कृत लोगों की यह (पृथ्वी) है। यह भूमि अनेक मतों वाले लोगों की है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान है। क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः

(ङ) इयं शिल्पिनां यन्त्रविद्याधराणां
भिषक्शास्त्रिणां भूः प्रबन्धे युतानाम्।
नटानां नटीनां कवीनां धरेयं
क्षितौ राजतै भारतस्वर्णभूमिः ॥5॥

अन्वयः-
इयं शिल्पिनां यन्त्रविद्याधराणां भिषक्शास्त्रिणां प्रबन्धे युतानां भूः। नटानां नटीनां कवीनां धरा। क्षितौ भारतस्वर्णभूमिः राजते।

शब्दार्थ-
भिषक्-वैद्य।।
युतानाम्-लगे हुए।
प्रबन्धे-प्रबन्ध में।
शिल्पिनाम्-कारीगर।

सरलार्थ-
यह शिल्पी लोगों की, यन्त्र विद्याधरों की, वैद्यक शास्त्रों के जानने वालों की, प्रबन्ध में लगे हुए लोगों की पृथ्वी है। यह नटों की, नटियों की तथा कवियों की पृथ्वी है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान है।

(च)  वने दिग्गजानां तथा केशरीणां
तटीनामियं वर्तते भूधराणाम्।
शिखीनां शुकानां पिकानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥6॥

अन्वयः-
इयं वने दिग्गजानां तथा केशरीणां तटीनां भूधराणां शिखीनां शुकानां पिकानां धरा। क्षितौ भारतस्वर्णभूमिः राजते।

शब्दार्थ-
दिग्गजानाम्-हाथियों की।
केशरीणाम्-सिंहों की।
तटीनाम्-नदियों की।
भूधराणाम्-पर्वतों की।
शिखीनाम्-मोरों की।
पिकानाम्-कोयलों की।

सरलार्थ-
यह वन में हाथियों की, सिंहों की, नदियों की, पर्वतों की, मोरों की, तोतों की, कोयलों की धरा है। पृथ्वी पर भारतरूप स्वर्णभूमि शोभायमान है।