Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 40 श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 40 श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 40

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने कितने वर्षों तक द्वारिका में शासन किया?
उत्तर:
महाभारत की समाप्ति के बाद श्रीकृष्ण ने चालीस वर्षों तक द्वारिका में राज्य किया।

प्रश्न 2.
बलराम को अपना शरीर क्यों त्यागना पड़ा?
उत्तर:
अपने यदुवंश का अंत होते देखकर वे बहुत दुखी हुए, इसलिए उन्होंने वहीं समाधि पर बैठकर अपने शरीर का त्याग कर दिया।

प्रश्न 3.
यदुवंश का पतन क्यों हुआ?
उत्तर:
आपसी फूट के कारण यदुवंश का नाश हुआ।

प्रश्न 4.
शिकारी ने श्रीकृष्ण को क्या समझाया?
उत्तर:
शिकारी ने श्रीकृष्ण को दूर से एक हिरन समझा।

प्रश्न 5.
श्रीकृष्ण कहाँ लेटे हए थे?
उत्तर:
श्रीकृष्ण एक पेड़ के नीचे लेटे हुए थे।

प्रश्न 6.
श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद पांडव कहाँ चले गए?
उत्तर:
श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद पांडव अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजगद्दी पर बिठाकर तीर्थयात्रा करते हुए हिमालय की ओर चले गए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बलराम ने शरीर क्यों त्याग दिया?
उत्तर:
यदुवंश का नाश होते देखकर बलराम को बहुत दुख हुआ। अतः उन्होंने समाधि में बैठकर शरीर को त्याग दिया।

प्रश्न 2.
पांडवों ने अपना अंतिम समय कहाँ और किस तरह बिताया?
उत्तर:
श्रीकृष्ण की मृत्यु का समाचार सुनकर पांडवों में भी सांसारिक जीवन के प्रति अलगाव छा गया। अतः अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को गद्दी पर बैठाकर पाँचों पांडवों ने एक साथ तीर्थ यात्रा का निश्चय किया। इस दौरान उन्होंने कई पवित्र स्थानों का दर्शन करते हुए हिमालय की ओर यात्रा शुरू कर दी। उन्होंने अपना अंतिम समय हिमालय पर तप करते हुए बिताया।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 40

महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण छत्तीस वर्षों तक द्वारका में राज्य करते रहे। उनके शासन में यदुवंशियों ने काफ़ी सुख भोगा। लेकिन आपसी कलह के कारण इतने, विशाल यदुवंशियों का अंत हो गया। वंश के नाश को देखकर बलराम अत्यधिक दुखी हुए। अतः समाधि में बैठकर शरीर का त्याग कर दिया।

अपने वंश का नाश होते देखकर श्रीकृष्ण भी काफ़ी विचलित हुए और अंत में उन्होंने भी ध्यान मग्न मुद्रा अपना लिया। एक दिन वे पेड़ के नीचे ज़मीन पर लेट गए, तभी किसी का बाण उनके तलवा को भेदता हुआ उनके शरीर में प्रवेश कर गया और वहीं उनका अंत हो गया।

इस दुखद समाचार से पांडवों का सांसारिक जीवन से विरक्ति हो गई। जीवन के प्रति विराग छा गया। अतः अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को गद्दी पर बिठाकर पाँचों पांडवों ने एक साथ तीर्थ करने का निश्चय किया। उन लोगों ने कई पवित्र स्थानों का दर्शन किए, उसके बाद हिमालय की ओर चले गए। इधर परीक्षित और उनके वंशजों ने लंबे समय तक राज्य किया।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-96- विशाल – बड़ा, असीम – बहुत अधिक, त्यागना – छोड़ना, नाश – अंत, तलाश – खोज, न्यायोचित – उचित न्याय।