Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 37 अश्वत्थामा

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 37 अश्वत्थामा

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 37

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अश्वत्थामा ने घायल दुर्योधन के सामने क्या प्रतिज्ञा ली?
उत्तर:
अश्वत्थामा ने जलाशय के पास घायल दुर्योधन के सामने प्रतिज्ञा की कि वह आज ही रात पांडवों को बरबाद करके रहेगा।

प्रश्न 2.
अश्वत्थामा के मस्तिष्क से क्या बात नहीं निकल पा रही थी?
उत्तर:
उसके पिता द्रोणाचार्य को मारने के लिए पांडवों ने जो कुचक्र रचा, वह अश्वत्थामा के मस्तिष्क से नहीं निकल पा रहा था।

प्रश्न 3.
कृपाचार्य ने किस बात को अधर्म बताया?
उत्तर:
कृपाचार्य ने सोते हुए व्यक्ति को मारने को अधर्म बताया।

प्रश्न 4.
पांडव वीरों के मारे जाने पर दुर्योधन ने अश्वत्थामा से क्या कहा?
उत्तर:
पांडव वीरों के मारे जाने पर दुर्योधन ने अश्वत्थामा से कहा- गुरु-भाई अश्वत्थामा आपने दुर्योधन की खातिर वह कार्य किया है जो भीष्म पितामह और कर्ण भी नहीं कर सके।

प्रश्न 5.
विलाप करती द्रौपदी ने पांडवों से क्या कहा?
उत्तर:
शोक विह्वल द्रौपदी युधिष्ठिर के पास आकर कातर स्वर में बोली- इस पापी अश्वत्थामा का वध अवश्य किया जाए।

प्रश्न 6.
अश्वत्थामा को किसने पराजित किया?
उत्तर:
अश्वत्थामा को भीम ने पराजित किया।

प्रश्न 7.
उत्तरा कौन थी? उसके पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर:
उत्तरा अभिमन्यु की पत्नी थी। उसके पुत्र का नाम परीक्षित था, जो पांडवों के वंश का एक मात्र चिह्न बच गया था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अश्वत्थामा कौन था? उसने पांडवों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा क्यों की थी?
उत्तर:
अश्वत्थामा आचार्य द्रोण का पुत्र था। वह दुर्योधन का शुभचिंतक था। कुरुक्षेत्र के मैदान में अठारह दिनों तक चले युद्ध में दुर्योधन की सेना और उसके ओर से युद्ध करने वालों के मरने से वह बहत निराश एवं हताश हो चला था। कौरव पक्ष के अनेक वीर योद्धा छलपूर्वक मारे गए। आश्वत्थामा के पिता द्रोणाचार्य को भी कुचक्र एवं कूटनीति से मारा गया था। यह बात अश्वत्थामा भली-भाँति जानता था। अपने मित्र की दुर्दशा और पिता को कुचक्र से मारे जाने की बातें याद कर अश्वत्थामा ने पांडवों को बर्बाद करने की प्रतिज्ञा की।

प्रश्न 2.
अश्वत्थामा ने पांडवों को कैसे मारा?
उत्तर:
अश्वत्थामा ने रात के समय सोते हुए पांडवों को छल से मारा। धृष्टद्युम्न व द्रौपदी के पाँचों पुत्रों को तो उसने पैरों से कुचल डाला। इसके बाद पांडव शिविर को ही आग लगा दी। इस कुकृत में कृपाचार्य व कृतवर्मा भी थे।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 37

दुर्योधन पर जो कुछ घटना घटी उसका हाल जानकर अश्वत्थामा बहुत दुखी हुआ। दुर्योधन के सामने जाकर उसने प्रतिज्ञा की कि वह आज ही रात में पांडवों का अंत करके रहेगा। अब अश्वत्थामा को कौरव सेना का सेनापति बनाया गया। अश्वत्थामा सोचने लगा- मैं इन पांडवों और पिता जी की हत्या करने वाले धृष्टद्युम्न को, और उनके सभी रिश्तेदारों क्यों नहीं एक साथ ही मौत के घाट उतार दूं। अभी रात का वक्त हो रहा है वे लोग शिविरों में सो रहे होंगे। इस समय उनका वध करना सबसे आसान होगा। अश्वत्थामा ने कृपाचार्य को जगाकर अपनी सारी योजना बताया।

अश्वत्थामा की ये सारी योजना सुनकर कृपाचार्य दुखी हो गए। बोले- अश्वत्थामा! सोते हुए को मारना कभी भी धर्म नहीं हो सकता। तुम यह विचार वापस ले लो। यह सुनकर अश्वत्थामा चिढ़कर बोला- आपने भी यह क्या धर्म-धर्म की रट लगा रखी है। अश्वत्थामा पांडवों की शिविर की ओर जाने लगा तो यह देखकर कृपाचार्य और कृतवर्मा भी अश्वत्थामा के साथ हो लिए। आधी रात बीत चुकी थी। पांडवों के सभी सैनिक घोर नींद में सो रहे थे। अश्वत्थामा सबसे पहले धृष्टद्युम्न के शिविर में घुसा और सो रहें धृष्टद्युम्न पर और द्रौपदी के पाँच पुत्रों को अपने पैरों से कुचलकर मार डाला। इस कुकृत्य में कृपाचार्य और कृतवर्मा ने भी अश्वत्थामा का साथ दिया। फिर इन तीनों ने मिलकर पांडव शिविर में आग लगा दी। सोए हुए सैनिक जाग गए और डर कर जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग गए। अश्वत्थामा इन डरे हुए सैनिक को मारता गया।

फिर यह समाचार सुनाने के लिए अश्वत्थामा भाग कर दुर्योधन के पास गया और सारी बात बतायी। यह सुनकर दुर्योधन काफ़ी प्रसन्न हुआ और बोला- गुरु भाई अश्वत्थामा आपने मेरे लिए वह काम किया है जो पितामह, भीष्म और कर्ण भी न कर सके। इतना कहकर उसने प्राण त्याग दिए।

इधर द्रौपदी अपने भाई और पुत्रों की मृत्यु पर काफ़ी दुखी हुई। वह बोली- अश्वत्थामा से बदला लिया जाए। पाँचों पांडव अश्वत्थामा की खोज में निकल पड़े और पांडवों ने गंगा तट पर अश्वत्थामा को खोज लिया। अश्वत्थामा और भीम में भयंकर युद्ध हुआ। अंत में अश्वत्थामा हार गया।

इस प्रकार पांडव वंश का अंत हो गया लेकिन उत्तरा के गर्भ की रक्षा हो गई और उत्तरा ने परीक्षित को जन्म दिया। इसी परीक्षित से पांडवों का वंश आगे चला।

युद्ध समाप्त होने के बाद हजारों निःसहाय स्त्रियों को लेकर महाराज धृतराष्ट्र कुरुक्षेत्र की भूमि में गए। वहाँ अपने ही वंश को मृत देखकर विलाप करने लगे।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-91- वैर – दुश्मनी, ढंग – तरीका, निर्दयता – कठोरता।
पृष्ठ संख्या-92- सर्वनाश – पूरी तरह समाप्त कर देना, जीवित – जिंदा, शोक – दुख, हालत – स्थिति, नामोनिशान – पहचान, गर्भ – पेट, समर-भूमि – युद्धभूमि।