Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 5 रचनानुवादः

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Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 5 रचनानुवादः

अभ्यासः

वर्थमान काल:

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां वाक्यानां हिंदीभाषया आंग्लाभाषया स्वभाषया वा अनुवाद कुरुत –

  1. वयं वाराणसीं गच्छामः – ……………………..
  2. त्वं कुत्र गच्छसि? – ……………………..
  3. युवा किम् कुरुथः? – ……………………..
  4. यूयं प्रहसनं पश्यथ? – ……………………..
  5. अहं लेख लिखामि – ……………….
  6. आवां गृहकार्य कुर्वः -……………………..
  7. वयं भोजनं पचामः – ……………………..
  8. रमेशः कथां शृणोति – ……………………..
  9. लता गीतं गायति – ……………………..
  10. माता जलं पिबति – ……………………..
  11. नद्यौ वेगेन वहतः – ……………………..
  12. बालिका: अभ्यासं कुर्वन्ति – ……………………..
  13. शिशवः दुग्धं पिबन्ति – ……………………..
  14. नृत्यांगनाः नृत्यन्ति – ……………………..
  15. पुरुषाः जलं नयन्ति – ……………………..

उत्तर:

  1. वयं वाराणसीं गच्छामः – हम सब वाराणसी जाते हैं।
  2. त्वं कुत्र गच्छसि? – तुम कहाँ जाते हो?
  3. युवा किम् कुरुथः? – तुम दोनों क्या करते हो?
  4. यूयं प्रहसनं पश्यथ? – तुम सब प्रहसन को देखते हो?
  5. अहं लेख लिखामि – मैं लेख खिलता हूँ।
  6. आवां गृहकार्य कुर्वः – हम दोनों गृहकार्य करते हैं।
  7. वयं भोजनं पचामः – हम सब भोजन पचाते हैं।
  8. रमेशः कथां शृणोति – रमेश कथा सुनता है।
  9. लता गीतं गायति – लता गीत गाती है।
  10. माता जलं पिबति – माँ जल (पानी) पीती है।
  11. नद्यौ वेगेन वहतः – दो नदियाँ तेजी से बहती हैं।
  12. बालिका: अभ्यासं कुर्वन्ति – लड़कियाँ अभ्यास करती हैं।
  13. शिशवः दुग्धं पिबन्ति – बच्चे दूध पीते हैं।
  14. नृत्यांगनाः नृत्यन्ति – नृत्यांगनाएँ नाचती हैं।
  15. पुरुषाः जलं नयन्ति – पुरुष जल लाते हैं।

प्रश्न 2.
अधोलिखिताना वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं कुरुत –

  1. हाथी चलता है। – ……………………….
  2. दो बन्दर कूदते हैं। – ……………………….
  3. दो लड़कियाँ नाचती हैं। – ……………………….
  4. वृद्धजन धीरे-धीरे चलते हैं। – ……………………….
  5. महिलाएँ बातचीत करती हैं। – ……………………….
  6. बच्चियाँ कहानी सुनती हैं। – ……………………….
  7. दो छात्र पाठ याद करते हैं। – ……………………….
  8. दो किसान खेत जोतते हैं। – ……………………….
  9. दो बैल चरते हैं। – ……………………….
  10. दो हंस तैरते हैं। – ……………………….
  11. लोग काम करते हैं। – ……………………….
  12. तुम क्या करते हो? – ……………………….
  13. तुम पाठ याद करते हो। – ……………………….
  14. तुम लोग व्यर्थ समय बिताते हो। – ……………………….
  15. मैं घूमती हूँ। – ……………………….
  16. मैं पुस्तक पढ़ती हूँ। – ……………………….
  17. हम दोनों गृहकार्य करते हैं। – ……………………….
  18. हम दोनों बातें करते हैं।’ – ………………………..
  19. हम लोग स्वाध्याय करते हैं। – ……………………….

उत्तर:

  1. हाथी चलता है। – गजः चलति।
  2. दो बन्दर कूदते हैं। – वानरौ कूर्दतः।
  3. दो लड़कियाँ नाचती हैं। – कन्ये नृत्यतः।
  4. वृद्धजन धीरे-धीरे चलते हैं। – वृद्धाः शनैः शनैः चलन्ति।
  5. महिलाएँ बातचीत करती हैं। – महिलाः वार्ता कुर्वन्ति।
  6. बच्चियाँ कहानी सुनती हैं। – बालाः कथां शृण्वन्ति।
  7. दो छात्र पाठ याद करते हैं। – छात्रौ पाठं स्मरतः।
  8. दो किसान खेत जोतते हैं। – कृषको क्षेत्र कर्षतः।
  9. दो बैल चरते हैं। – वृषभौ चरतः।
  10. दो हंस तैरते हैं। – हंसौ तरतः
  11. लोग काम करते हैं। – जनाः कार्यं कुर्वन्ति।
  12. तुम क्या करते हो? – त्वं किं करोषि?
  13. तुम पाठ याद करते हो। – त्वं पाठं स्मरसि।
  14. तुम लोग व्यर्थ समय बिताते हो। – यूयं वृथा समयं यापयथ।
  15. मैं घूमती हूँ। – अहं भ्रमामि।
  16. मैं पुस्तक पढ़ती हूँ। – अहं पुस्तकं पठामि।
  17. हम दोनों गृहकार्य करते हैं। – आवाम् गृहकार्य कुर्वः।
  18. हम दोनों बातें करते हैं।’ – आवाम् वार्ता कुर्वः।
  19. हम लोग स्वाध्याय करते हैं। – वयम् स्वाध्यायं कुर्मः।

भूतकाल:

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां वाक्यानां हिंदीभाषया आंग्लभाषया स्वभाषया वा अनुवादं कुरुत –

  1. गजा: अचलन् – …………………
  2. सिंहः अगर्जत् – …………………
  3. अजौ अचरताम् – …………………
  4. वानरौ अकूर्दताम् – …………………
  5. युवानः अक्रीडन् – …………………
  6. वृषभाः भारम् अवहन् – …………………
  7. छात्राः पाठ्म अपठन् – …………………
  8. बालकाः पाठम् अपठन् – …………………
  9. त्वं पाठम् अस्मरः – …………………
  10. युवां कार्यम् अकुरुतम् – …………………
  11. अहं कविताम् अस्मरम् – …………………
  12. आवाम् ग्रामम् अगच्छाव – …………………
  13. आवाम् भोजनम् अपचाव – …………………
  14. वयम् चलचित्रम् अपश्याम् – …………………
  15. वयम् भोजनम् अकरवाम – …………………

उत्तर:

  1. गजा: अचलन् – हाथी चले।
  2. सिंहः अगर्जत् – शेर गरजे।
  3. अजौ अचरताम् – दो बकरे चरे/ दो बकरों ने चरा।
  4. वानरौ अकूर्दताम् – दो बन्दर कूदे।
  5. युवानः अक्रीडन् – जवान लोग खेले।
  6. वृषभाः भारम् अवहन् – बैलों ने भार उठाया (ढोया)
  7. छात्राः पाठ्म अपठन् – छात्रों ने पाठ का पढ़ा।
  8. बालकाः पाठम् अपठन् – बच्चों ने पाठ को पड़ा
  9. त्वं पाठम् अस्मरः – तुमने पाठ याद किया।
  10. युवां कार्यम् अकुरुतम् – तुम दोनों ने काम किया।
  11. अहं कविताम् अस्मरम् – मैने कविता याद की।
  12. आवाम् ग्रामम् अगच्छाव – हम दोनों गाँव गए।
  13. आवाम् भोजनम् अपचाव – हम दोनों ने भोजन पकाया।
  14. वयम् चलचित्रम् अपश्याम् – हम सबने सिनेमा देखा।
  15. वयम् भोजनम् अकरवाम – हम सबने भोजन किया।

प्रश्न 2.
अधोलिखितानां वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं कुरुत –

  1. छात्रों ने पाठ पढ़ा। – …………………….
  2. शिशु ने दूध पीया। – …………………….
  3. माता ने बच्चे को प्यार किया। – …………………….
  4. छात्रा ने कविता सुनाई। – …………………….
  5. माता ने गीता सुनाई। – …………………….
  6. क्या तुमने काम समाप्त किया? – …………………….
  7. तुम लोगों ने कथा सुनी! – …………………….
  8. मैंने गीत गाया। – …………………….
  9. हम दोनों ने पाठ याद किया। – …………………….
  10. हम लोगों ने विज्ञान पढ़ा। . – …………………….
  11. हम लोगों ने यात्रा की। – …………………….
  12. मैं पटना गया। – …………………….
  13. हम दोनों ने खीर बनाई। – …………………….
  14. हम लोगों ने फल खाए। – …………………….

उत्तर:

  1. छात्रों ने पाठ पढ़ा। – छात्राः पाठम् अपठन्।
  2. शिशु ने दूध पीया। – शिशुः दुग्धम् अपिबत्।
  3. माता ने बच्चे को प्यार किया। – माता पुत्रे अस्निहयत्।
  4. छात्रा ने कविता सुनाई। – छात्रा कविते अश्रावयत्।
  5. माता ने गीता सुनाई। – माता गीताम् अशृणोत्।
  6. क्या तुमने काम समाप्त किया? – किं त्वं कार्यम् समाप्तम् अकरोः?
  7. तुम लोगों ने कथा सुनी! – यूयम कथाम् अशृणुत।
  8. मैंने गीत गाया। – अहं गीतम् अगायम्।
  9. हम दोनों ने पाठ याद किया। – आवाम् पाठम् अस्मराव।
  10. हम लोगों ने विज्ञान पढ़ा।  – वयं विज्ञानम् अपठाम।
  11. हम लोगों ने यात्रा की। – वयं यात्राए अकरवाम।
  12. मैं पटना गया। – अहं पटनाम् (पाटलिपुत्रम् ) अगच्छम्।
  13. हम दोनों ने खीर बनाई। – आवाम् क्षीरान्नम् अपचाव।
  14. हम लोगों ने फल खाए। – वयं फलानि अरवादाम।

भावविषय काल

प्रश्न 1.
अधोलिखिताना वाक्यानां हिंदीभाषया आंग्लभाषया स्वभाषया वा अनुवाद कुरुत –

  1. सेवकः पात्राणि प्रक्षालयिष्यति – ………………………
  2. दाता याचकाय धनं दास्यति – ………………………
  3. स्थपतिः भवन निर्मास्यति – ………………………
  4. पत्रवाहकः पत्राणि प्रेषयिष्यति – ………………………
  5. तृषार्ती जलं पास्यतः – ………………………
  6. क्षुधार्ताः रोटिका खादिष्यन्ति – ………………………
  7. वृक्षाः फलिष्यन्ति – ………………………
  8. गायकाः गीतानि गास्यन्ति – ………………………
  9. आलोचकाः निन्दयिष्यन्ति – ………………………
  10. त्वं दुग्धं पास्यसि – ………………………
  11. यूयं पादपान् सेक्ष्यथ – ………………………
  12. अहं कथां श्रोष्यामि – ………………………
  13. आवां शाटिकां क्रेष्याव: – ………………………
  14. वयं क्रीडिष्यामः – ………………………

उत्तर:

  1. सेवकः पात्राणि प्रक्षालयिष्यति – नौकर बर्तनों को धोएगा।
  2. दाता याचकाय धनं दास्यति – दानी भिखारी को धन देगा।
  3. स्थपतिः भवन निर्मास्यति – राज मिस्त्री भवन बनाएगा।
  4. पत्रवाहकः पत्राणि प्रेषयिष्यति – डाकिया चिट्ठियों को भेजेगा।
  5. तृषार्ती जलं पास्यतः – दो प्यासे जल पिएँगे।
  6. क्षुधार्ताः रोटिका खादिष्यन्ति – भूखे लोग रोटी खाएँगे।
  7. वृक्षाः फलिष्यन्ति – वृक्ष फलेंगे।
  8. गायकाः गीतानि गास्यन्ति – गायक गीत गाएँगे।
  9. आलोचकाः निन्दयिष्यन्ति – आलोचक निन्दा करेंगे।
  10. त्वं दुग्धं पास्यसि – तुम दूध पियोगे।
  11. यूयं पादपान् सेक्ष्यथ – तुम सब पौधों को सींचोगे।
  12. अहं कथां श्रोष्यामि – मैं कथा सुनूँगा।
  13. आवां शाटिकां क्रेष्याव: – हम दोनों साड़ी खरीदेंगी।
  14. वयं क्रीडिष्यामः – हम सब खेलेंगे।

प्रश्न 2.
अधोलिखितानां वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं कुरुत –

  1. वह घर जाएगी। – ……………………..
  2. वे दोनों चलचित्र देखेंगे। – ……………………..
  3. वे लोग गीत गाएँगी। – ……………………..
  4. तुम फल ले जाओगे। – ……………………..
  5. माली पौधों को जल से सींचेंगे – ……………………..
  6. पिता धन भेजेंगे। – ……………………..
  7. भक्त देव को नमस्कार करेंगे। – ……………………..
  8. तुम इस समय क्या करोगे? – ……………………..
  9. मैं चित्र देखुंगा – ……………………..
  10. तुम लोग प्रश्न पूछोगे। – ……………………..

उत्तर:

  1. वह घर जाएगी। – सा गृहं गमिष्यति।
  2. वे दोनों चलचित्र देखेंगे। – तौ चलचित्रं द्रक्ष्यतः।
  3. वे लोग गीत गाएँगी। – ताः गीतानि गास्यन्ति।
  4. तुम फल ले जाओगे। – त्वं फलानि नेष्यसि।
  5. माली पौधों को जल से सींचेंगे – मालाकाराः पादमान् जलेन सेक्ष्यन्ति।
  6. पिता धन भेजेंगे। – पिता धनं प्रेषयिष्यति।
  7. भक्त देव को नमस्कार करेंगे। – भक्ताः देवं नंयन्ति।
  8. तुम इस समय क्या करोगे? – त्वम् इदानीं किं करिष्यसि?
  9. मैं चित्र देखुंगा – अहं चित्रं द्रक्ष्यामि।
  10. तुम लोग प्रश्न पूछोगे। – यूयं प्रश्नानि प्रक्ष्यथ।

आज्ञार्थ वाक्यप्रयोग:

प्रश्न 1.
अधोलिखितान वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवाद कुरुत –

  1. छात्र मन लगाकर पड़े। – ………………..
  2. दो बालिकाएँ गीत सुनें। – ………………..
  3. सभी स्त्रियाँ भय त्यागें। – ………………..
  4. शिष्य आचार्य को प्रणाम करें। – ………………..
  5. देशभक्त देश की रक्षा करें। – ………………..
  6. सभी नृत्यांगनाएँ नृत्य करें। – ………………..
  7. तुम घर जाओ। – ………………..
  8. तुम दोनों संगीत का आनन्द लो। – ………………..
  9. तुम सभी चुप रहो। – ………………..
  10. मैं भी दौड़ें। – ………………..

उत्तर:

  1. छात्र मन लगाकर पड़े। – छात्रा: मनसा पठन्तु।
  2. दो बालिकाएँ गीत सुनें। – कालिके गीतं शृणुताम्।
  3. सभी स्त्रियाँ भय त्यागें। – नार्यः भयं तयजन्तु।
  4. शिष्य आचार्य को प्रणाम करें। – शिष्याः आचार्य प्रणमन्तु।
  5. देशभक्त देश की रक्षा करें। – देशभक्ताः देशं रक्षन्तु।
  6. सभी नृत्यांगनाएँ नृत्य करें। – नृत्यांगनाः नृत्यन्तु।
  7. तुम घर जाओ। – त्वं गृहं गच्छ।
  8. तुम दोनों संगीत का आनन्द लो। – युवाम् संगीतस्य आनंद गृणीतम्।
  9. तुम सभी चुप रहो। – यूयं तूष्णीं भवत।
  10. मैं भी दौड़ें। – अहम् अपि धावानि।

प्रश्न 2.
अधोलिखितानां वाक्यानां हिंदीभाषया आंग्लभाषया स्वभाषया वा अनुवादं कुरुत –

  1. वृद्धः विश्राम करोतु – …………………….
  2. कर्मकरौ कार्य कुरुताम् – …………………….
  3. जनाः कर्मणि लग्नाः स्युः – …………………….
  4. त्वं विषयम् अवगच्छ – …………………….
  5. युवां महापुरुषं नमतम् – …………………….
  6. यूयं इत: धावथ – …………………….
  7. अहं पाठं स्मराणि – …………………….
  8. आवां स्पर्धायां भागं गुह्रीव – …………………….
  9. वयं दीनानां सेवां कुर्याम – …………………….
  10. संगीतज्ञाः गायन्तु – …………………….

उत्तर:

  1. वृद्धः विश्राम करोतु – वृद्ध विश्राम (आराम) करे।
  2. कर्मकरौ कार्य कुरुताम् – दो कर्मचारी काम करें।
  3. जनाः कर्मणि लग्नाः स्युः – लोग काम में लगे रहें।
  4. त्वं विषयम् अवगच्छ – तुम विषय को जानो ( समझो)।
  5. युवां महापुरुषं नमतम् – तुम दोनों महापुरुष को नमस्कार करो।
  6. यूयं इत: धावथ – तुम सब यहाँ से दौड़ो।
  7. अहं पाठं स्मराणि – मैं पाठ याद करूँ।
  8. आवां स्पर्धायां भागं गुह्रीव – हम दोनों प्रतियोगिता में भाग लें।
  9. वयं दीनानां सेवां कुर्याम – हम सब दुःखियों की सेवा करें।
  10. संगीतज्ञाः गायन्तु – संगीत विशेषज्ञ गाएँ।

प्रश्न 3.
उदाहरणानुमनुसृत्य वर्तमानकालस्य वाक्यानाम् आज्ञार्थकवाक्ये परिवर्तन कुरुत –
यथा – वर्तमानकालिकवाक्यानि आज्ञार्थकवाक्यानि

सः गीतं गायति – सः गीत गायतु
बालको तरतः – बालको तरताम्
शिष्या नमन्ति – शिष्याः नमन्तु

  1. चिकित्सक : उपचारं करोति – ……………………………
  2. सेवको कार्याणि सम्पादयतः – ……………………………
  3. सैनिकाः देशं रक्षन्ति – ……………………………
  4. जनमः सुतान् पालयति – ……………………………
  5. त्वं धनं प्रेषयसि – ……………………………
  6. युवां गृह गच्छथः – ……………………………
  7. यूयं पादकन्दुकं क्रीडथ – ……………………………
  8. अहं वृक्षम् आरोहामि – ……………………………
  9. आवां जल्पावः – ……………………………
  10. वयम् अत्र उपदिशामः – ……………………………

उत्तर:

  1. चिकित्सक : उपचारं करोति – चिकित्सकः उपचारं करोतु।
  2. सेवको कार्याणि सम्पादयतः – सेवको कार्याणि सम्पादयताम्।
  3. सैनिकाः देशं रक्षन्ति – सैनिकाः देशं रक्षन्तु।
  4. जनमः सुतान् पालयति – जनकः सुतान् पालयति।
  5. त्वं धनं प्रेषयसि – त्वं धनं प्रेषय।
  6. युवां गृह गच्छथः – युवां गृहं गच्छतम्।
  7. यूयं पादकन्दुकं क्रीडथ – यूयं पावकन्दुकं क्रीडत।
  8. अहं वृक्षम् आरोहामि – अहं वृक्षम् आरोहाणि।
  9. आवां जल्पावः – आवां जल्पाव।
  10. वयम् अत्र उपदिशामः – वयम् अत्र उपविशाम।

विध्यर्थे वाक्यप्रयोगः

प्रश्न 1.
अधोलिखितवा वाक्यानां हिंदीभाषया आंग्लभाषया स्वभाषया वा अनुवाद कुरुत –

  1. रमेशः कार्य कुर्यात् – …………………………..
  2. श्रमिकः पाषाणं त्रोटयेत् – ………………………….
  3. सैनिकः देशं रक्षेत् – ………………………….
  4. राधा जलं पिबेत् – ………………………….
  5. कविः काव्यं कुर्यात् – ………………………….
  6. नद्यौ वहेताम् – ………………………….
  7. स्त्रियः भोजनं पचेयुः – ………………………….
  8. बालिकाः चित्रं रचयेयुः – ………………………….
  9. त्वं लेखनी यच्छेः – ………………………….
  10. युवां समाधानं वदंतम् – ………………………….
  11. यूयं कृपा प्रदर्शयेत – ………………………….
  12. अहं भोजन पचेयम् – ………………………….
  13. आवां जलम् आनयेव – ………………………….
  14. वयं गृहकार्य कुर्याम – ………………………….

उत्तर:

  1. रमेशः कार्य कुर्यात् – रमेश को काम करना चाहिए।
  2. श्रमिकः पाषाणं त्रोटयेत् – मजदूर को पत्थर तोड़ना चाहिए।
  3. सैनिकः देशं रक्षेत् – सैनिक को देश की रक्षा करनी चाहिए।
  4. राधा जलं पिबेत् – राधा को पानी पीना चाहिए।
  5. कविः काव्यं कुर्यात् – कवि को कविता करनी (रचनी) चाहिए।
  6. नद्यौ वहेताम् – दो नदियों को बहना चाहिए।
  7. स्त्रियः भोजनं पचेयुः – स्त्रियों को भोजन पकाना चाहिए।
  8. बालिकाः चित्रं रचयेयुः – लड़कियों को चित्र बनाना चाहिए।
  9. त्वं लेखनी यच्छेः । – तुम्हें कलम देनी चाहिए।
  10. युवां समाधानं वदंतम् – तुम दोनों को समाधान बोलना चाहिए।
  11. यूयं कृपा प्रदर्शयेत – तुम सभी को कृपा प्रदर्शित करनी (दिखानी) चाहिए।
  12. अहं भोजन पचेयम् – मुझे भोजन पकाना चाहिए।
  13. आवां जलम् आनयेव – हम दोनों को पानी लाना चाहिए।
  14. वयं गृहकार्य कुर्याम – हम सभी को गृहकार्य करना चाहिए।

प्रश्न 2.
अधोलिखितानां वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं कुरुत –

  1. पपावरण की रक्षा करनी चाहिए. – …………………………
  2. मुझे अपने भविष्य की चिंता करनी चाहिए। – …………………………
  3. तुम्हें विज्ञान पढ़ना चाहिए। – …………………………
  4. तुम दोनों को शिष्ट होना चाहिए। – …………………………
  5. तुम लोगों को दूध पीना चाहिए। – …………………………
  6. सभी बच्चों को समय पर आना चाहिए। – …………………………
  7. चिकित्सकों को ज्ञानी होना चाहिए। – …………………………
  8. न्यायाधीश को न्याय करना चाहिए। – …………………………
  9. ‘छात्रों को कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए। – …………………………
  10. बच्चे को दौड़ना चाहिए। – …………………………
  11. सभी को शाम को खेलना चाहिए। – …………………………
  12. समय पर भोजन करना चाहिए। – …………………………
  13. मुझे पाठ याद करना चाहिए। – …………………………

उत्तर:

  1. पपावरण की रक्षा करनी चाहिए. – वयं पणविरण
  2. मुझे अपने भविष्य की चिंता करनी चाहिए। – अहं स्वभविष्यं चिन्तयेयम्।
  3. तुम्हें विज्ञान पढ़ना चाहिए। – त्वं विज्ञान पठेः।
  4. तुम दोनों को शिष्ट होना चाहिए। – युवाम् शिष्ठौ भवेतम्।
  5. तुम लोगों को दूध पीना चाहिए। – यूयं दुग्धं पिबेता
  6. सभी बच्चों को समय पर आना चाहिए। – सर्वे बाला: समये आगच्छेयु।:
  7. चिकित्सकों को ज्ञानी होना चाहिए। – चिकित्सकाः ज्ञानवन्तः भवेयुः।
  8. न्यायाधीश को न्याय करना चाहिए। – न्यायाधीशः न्यायं कुर्यात्।
  9. ‘छात्रों को कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए। – छात्राः कर्तव्यनिष्ठाः भवेयुः।
  10. बच्चे को दौड़ना चाहिए। – बालः धावेत्।
  11. सभी को शाम को खेलना चाहिए। – सर्वे सायं क्रीडेयुः।
  12. समय पर भोजन करना चाहिए। – समये भोजनं कुर्यात्।
  13. मुझे पाठ याद करना चाहिए। – अहं पाठं स्मरेयम्।

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 4 संवादानुच्छेदलेखनम्

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Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 4 संवादानुच्छेदलेखनम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितसंवाद मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –

लता – राधिके! प्रात:काले एव सज्नीभूय कुत्र गन्तुं सन्नद्धा?
राधिका – 1 – ………………………….
लता – विद्यालयम्! अस्यां वेशपूभायाम्? तव गणवेशः कुत्राऽस्ति?
राधिका – 2 – …………………………
लता – अहा। काव्यालिस्पर्धा! बहुशोभनम्। स्पर्धा तव विद्यालये एव अस्ति उत अपरस्मिन् विद्यालये?
राधिका – 3 – …………………………..
लता – त्वम् प्रतियोगितायां सम्यग्रूपेण प्रस्तुतिं कुर्याः इति मम शुभकामना।
राधिका – 4 – …………………………..
राधिका – 5 – …………………………….

मञ्जूषा

(क) शुभाऽस्ते सन्तु पन्थानः
(ख) अहं विद्यालयं गच्छामि।
(ग) धन्यवादः भगिनि।
(घ) विद्यालये नास्ति स्पर्धा, वयं शिक्षिकया सह अपर विद्यालयं गमिष्यामः।
(ङ) अद्य काव्यालि-प्रतियोगिता अस्ति, अहं प्रतियोगितायां भागं ग्रहीतुं सज्नीभूय गच्छामि।
उत्तर:
1 – (ख) अहं विद्यालयं गच्छामि।
2 – (ङ) अद्य काव्यालि-प्रतियोगिता अस्ति, अहं प्रतियोगितायां भागं ग्रहीतुं सज्नीभूय गच्छामि।
3 – (घ) विद्यालये नास्ति स्पर्धा, वयं शिक्षिकया सह अपर विद्यालयं गमिष्यामः।
4 – (ग) धन्यवादः भगिनि।
5 – (क) शुभाऽस्ते सन्तु पन्थानः

प्रश्न 2.
अधोलिखितसंवाद मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –

राहुलः – अभिनव! नमोनमः! चिरात् दृष्टोऽसि?
अभिनव-1 – ………………………………..
राहुलः – अभिवादये तरुण! भवता सह मिलित्वा प्रसन्नोऽस्मि।
तरुणः-2 – …………………………………..
राहुलः – भवान् किं करोति?
तरुणः – अहं संस्कृतसाहित्ये स्नातकोत्तरपरीक्षा संपाद्य आगतोऽस्मि।
राहुल-3 – …………………………………..
तरुणः – किमर्थम्?
राहुलः-4 – …………………………………..
तरुणः – संस्कृतपठनेन सह वैज्ञानिकप्रविधीनाम् उपयोगे न कोऽपि दोषः? अहं तु सर्वाणि वैज्ञानिकोपकरणानि उपयोजयामि।
राहुलः – शोभनम्। 5 – …………………………………..

मञ्जूषा

(क) भवान् अधुनिक: वस्तैः सज्जः, बहुमूल्यं च चलदूरभाषयन्त्र धारयन् आधुनिक इव प्रतीयते।
(ख) मम मनसः भ्रान्तिरियम् अपगता यत् संस्कृताध्येतारः रूढिवादिनः भवन्ति।
(ग) अहमपि प्रसन्नोऽस्मि।
(घ) परं भवन्तं दृष्ट्वा तु न प्रतीयते यत् भवान् संस्कृतच्छातः।
(ङ) अहं मातुलगृह गतवान् आसम्। अयं मम मातुलपुत्रः तरुणः। एनम् मिलतु।
उत्तर:
1 – (ङ) अहं मातुलगृह गतवान् आसम्। अयं मम मातुलपुत्रः तरुणः। एनम् मिलतु।
2 – (ग) अहमपि प्रसन्नोऽस्मि।
3 – (घ) परं भवन्तं दृष्ट्वा तु न प्रतीयते यत् भवान् संस्कृतच्छातः।
4 – (क) भवान् अधुनिक: वस्तैः सज्जः, बहुमूल्यं च चलदूरभाषयन्त्र धारयन् आधुनिक इव प्रतीयते।
5 – (ख) मम मनसः भ्रान्तिरियम् अपगता यत् संस्कृताध्येतारः रूढिवादिनः भवन्ति।

प्रश्न 3.
अधोलिखितसंवाद मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –

माता – पुत्र! त्वम् अधुना किं पठसि?
पुत्र:-1 – …………………………………..
माता – किम् काऽपि परीक्षा अस्ति संस्कृतस्य?
पुत्र:- मातः। 2 – …………………………………..
माता – अतीवशोभनम्। अभ्यासं कृत्वा सोत्साहं स्पर्धायां भागग्रहणं कुरु।
पुत्र:-3 – …………………………………..
माता – प्रथम श्लोकानाम् अर्थान् अवबोध ततः स्मरणं कुरु। एवम् न विस्मरिष्यसि।
पुत्र:-4 – …………………………………..
माता – आगच्छ पुत्र! अहम् सर्वेषां श्लोकानाम् अर्थमपि अवबोधयामि, सस्वरवाचन चापि शिक्षयामि।
पुत्र:- (प्रसन्नतया) 5 – …………………………………. (कथयित्वा आलिङ्गति)

मञ्जूषा

(क) मातः! अतीव स्नेहमयी असि त्वम्। अहं त्वयि भृशं स्निह्यामि।
(ख) परमहं श्लोकान् स्मृत्वा अपि विस्मरामि। न जाने कीदृशी प्रस्तुतिः भविष्यति?
(ग) मातः! माम् श्लोकानाम् अर्थान् अवबोधया
(घ) परमश्व: संस्कृतश्लोकोच्चारण-प्रतियोगिता वर्तते।
(ङ) अहं संस्कृत-श्लोकान् कण्ठस्थीकरोमि।
उत्तर:
1 – (ङ) अहं संस्कृत-श्लोकान् कण्ठस्थीकरोमि।
2 – (घ) परमश्व: संस्कृतश्लोकोच्चारण-प्रतियोगिता वर्तते।
3 – (ख) परमहं श्लोकान् स्मृत्वा अपि विस्मरामि। न जाने कीदृशी प्रस्तुतिः भविष्यति?
4 – (ग) मातः! माम् श्लोकानाम् अर्थान् अवबोधया
5 – (क) मातः! अतीव स्नेहमयी असि त्वम्। अहं त्वयि भृशं स्निह्यामि।

प्रश्न 4.
अधोलिखितसंवावं मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –

मोहनः – नमोनमः पितृव्य! कथमस्ति भवान्?
पितृव्यः – अहम् सम्यक् अस्मि। अपि यूयं स्वस्थाः स्थ?
1 – ………………………………….
मोहनः – आम् पितृव्या! प्रदूषणस्य स्थितिः तु गभीरा सजाता। अतएव
2 – ………………………………….
पितृव्यः – अवकाशः! परमनेन किं भविष्यति?
3 – ………………………………….
मोहनः – इदं तु सत्यम्। सर्वकारः प्रदूषणनिवारणाय अन्यानपि उपायान् करोति।
पितृव्यः – 4 – ………………………………….
मोहनः – आम् पितृव्य! सर्वकारेण तु अनेके उपायाः कृताः। जनाः
सार्वजनिकवाहनानां प्रयोगाय प्रेरिताः, समविषमनियमानां प्रयोगेण
वाहनयातायातं न्यूनीकरणीयम् इति निर्देशितम्।
पितृव्यः – वत्स! त्वमपि स्वास्थ्यरक्षणाय तत्परो भव।

मञ्जूषा

(क) प्रदूषणस्य दुष्प्रभावः तु बालैः सह वयस्कानामपि स्वास्थ्ये भवति।
(ख) सर्वकारेण सह सामान्यजनेः अपि प्रदूषणवारणस्य प्रयन्तः करणीयः।
(ग) अपरिहार्यस्थिती एव गृहात् बहिः गच्छ। यावत् वायौ हानिकारकाणि तत्त्वानि सन्ति, तावत् पर्यन्तं गृहे तिष्ठा।
(घ) देहल्या पर्यावरणप्रदूषणेन स्थितिः भयङ्करी अस्ति इति श्रुतं मया।
(ङ) विद्यालयेषु अपि त्रिदिवसीयः अवकाशः घोषितः।
उत्तर:
1 – (घ) देहल्या पर्यावरणप्रदूषणेन स्थितिः भयङ्करी अस्ति इति श्रुतं मया।
2 – (ङ) विद्यालयेषु अपि त्रिदिवसीयः अवकाशः घोषितः।
3 – (क) प्रदूषणस्य दुष्प्रभावः तु बालैः सह वयस्कानामपि स्वास्थ्ये भवति।
4 – (ख) सर्वकारेण सह सामान्यजनेः अपि प्रदूषणवारणस्य प्रयन्तः करणीयः।
5 – (ग) अपरिहार्यस्थिती एव गृहात् बहिः गच्छ। यावत् वायौ हानिकारकाणि तत्त्वानि सन्ति, तावत् पर्यन्तं गृहे तिष्ठा।

प्रश्न 5.
अधोलिखितसंवाद मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –

रमेश प्रसादः – अभिवादये महोदय!
प्रधानाचार्यः – नमोनमः, किमागमनप्रयोजनम्?
रमेश प्रसादः – 1 ………………………………
प्रधानाचार्यः – परं सत्रस्य मध्ये प्रवेशः कथं संभवो भविष्यति?
रमेश प्रसादः – 2 ………………………………..
प्रधानाचार्यः – अस्तु, पश्यामि अहं किं कर्तुं शक्लोमि? भवान् किं करोति? छात्रस्य माता वा किं करोति?
रमेश प्रसाद: – 3 ………………………………….
प्रधानाचार्यः – सा शिक्षिता अस्ति न वा?
रमेश प्रसादः – 4 ………………………………….
प्रधानाचार्यः – इदं तु बहुशोभनम्। शिक्षिता माता
5. ………………………………..

मञ्जूषा

(क) अहं केन्द्रसर्वकारे वित्तविभागे सहायकाधिकारी अस्मि। मम पत्नी एका गृहिणी अस्ति। सा गृहस्य सर्वाणि कार्याणि सम्पादयति।
(ख) शिशोः आचारव्यवहारेण समं शैक्षिकप्रगते: अपि अवधानं कर्तुं समर्था भवति।
(ग) अहं भवतां विद्यालये स्वपुत्रस्य प्रवेशार्थम् निवेदनं कर्तुम् आगतोऽस्मि
(घ) अहं स्थानान्तरितो भूत्वा अत्रागतोऽस्मि, अतएव सत्रस्य मध्ये प्रवेशार्थ प्रार्थये।
(ङ) आम् महोदय! सा स्नातकपरीक्षोत्तीर्णा अस्ति।
उत्तर:
1 – (ग) अहं भवतां विद्यालये स्वपुत्रस्य प्रवेशार्थम् निवेदनं कर्तुम् आगतोऽस्मि
2 – (घ) अहं स्थानान्तरितो भूत्वा अत्रागतोऽस्मि, अतएव सत्रस्य मध्ये प्रवेशार्थ प्रार्थये।
3 – (क) अहं केन्द्रसर्वकारे वित्तविभागे सहायकाधिकारी अस्मि। मम पत्नी एका गृहिणी अस्ति। सा गृहस्य सर्वाणि कार्याणि सम्पादयति।
4 – (ङ) आम् महोदय! सा स्नातकपरीक्षोत्तीर्णा अस्ति।
5 – (ख) शिशोः आचारव्यवहारेण समं शैक्षिकप्रगते: अपि अवधानं कर्तुं समर्था भवति।

प्रश्न 6.
अधोलिखितसंवाद मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –

प्रवीरः – मनोज महोदय! चिन्तित इव प्रतीयसे? किं कारणं खलु?
मनोज: – 1 ………………………………..
अहम् तस्य व्यवहारेण उद्विग्नतामनुभवामि।
प्रवीरः – किम् सः आरंभतः एव उद्दण्डः आसीत्?
मनोज: – 2 ………………………………..
न जाने इदानीं सः किमर्थम् एवम् आचरति? इति न जाने।
प्रवीरः 3 – ………………………………..
मनोजः – कक्षायां पञ्चाशत् छात्राः भवन्ति। किम् एकैकमुपरि ध्यान संभवमस्ति?
प्रवीरः 4 – ………………………………..
परम् यदि कोऽपि असामान्यमाचरित, तर्हि तस्य व्यवहारोपरि तु अवधान दातव्यमेव।
मनोजः – शोभनं कथयसि 5 – ………………………………..

मञ्जूषा

(क) किं त्वं तस्य परिवर्तितव्यवहारस्य कारणम् अन्विष्टवान्?
(ख) सर्वेषामुपरि तु व्यक्तिगतावधानं न संभवम्।
(ग) अहं मनोवैज्ञानिकरीत्या तस्य व्यवहारस्य कारणं ज्ञास्यामि।
(घ) द्वित्राभ्यां मासाभ्यां एकः छात्र: उद्दण्ड इव आचरति।
(ङ) न, न, सः तु अतीव विनयशीलः आसीत्।
उत्तर:
1 – (घ) द्वित्राभ्यां मासाभ्यां एकः छात्र: उद्दण्ड इव आचरति।
2 – (ङ) न, न, सः तु अतीव विनयशीलः आसीत्।
3 – (क) किं त्वं तस्य परिवर्तितव्यवहारस्य कारणम् अन्विष्टवान्?
4 – (ख) सर्वेषामुपरि तु व्यक्तिगतावधानं न संभवम्।
5 – (ग) अहं मनोवैज्ञानिकरीत्या तस्य व्यवहारस्य कारणं ज्ञास्यामि।

प्रश्न 7.
अधोलिखितसंवादं मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –

शुभंकरः – माधवि! त्वम् अल्पाहारार्थं किम् आनीतवती असि?
माधवी – 1 – ………………………………..
अनुरागः – अहम् ओदनं द्विदचं च आनीतवान् अस्मि।
शुभंकरः – मम माता मह्यं रोटिकां तुम्बीफलशाकं च दत्तवती, परम्
2 – ………………………………..
लता – मम पार्श्व आलुकस्य चिप्स शीतलपेयं चास्ति।
3 – ………………………………..
लता – आम्, मां, शीतलपेयं रोचते।
आशीषः 4 – ………………………………..
किं विस्तृत त्वया यत् चिप्सादिक जकयो ज्यवस्तूनि स्वास्थ्याय हितकराणि न भवन्ति।
शुभंकर – यद्वस्तु अस्मभ्यं न रोचते. तत् वयं कथं खादेम?
आशीषः – सर्वदा तध्यमिदं स्मरणीयं यत् 5 …………………………..

मञ्जूषा

(क) अद्यैव शिक्षिका संतुलिताहारविषये पाठितवती।
(ख) मम अल्पाहारपात्रे रोटिका, पनसशाकं चास्ति।
(ग) मह्यं न रोचते रोटिका, शाकं च।
(घ) रुचिकर भोजनं सर्वदा स्वास्थ्यप्रदं न भवति।
(ङ) किं तुभ्यं रोचते?
उत्तर:
1 – (ख) मम अल्पाहारपात्रे रोटिका, पनसशाकं चास्ति।
2 – (ग) मह्यं न रोचते रोटिका, शाकं च।
3 – (ङ) किं तुभ्यं रोचते?
4 – (क) अद्यैव शिक्षिका संतुलिताहारविषये पाठितवती।
5 – (घ) रुचिकर भोजनं सर्वदा स्वास्थ्यप्रदं न भवति।

प्रश्न 8.
अधोलिखितसाद सापाप्रवासवासः पूरयता –
आचार्यः – प्रणव! किं त्वं स्वजीवनलक्ष्य निर्धारितवान्?
प्रवण: – आम् गुरवः 1 ………………………………..
आचार्य – शोभनम् तर्हि चिकित्सको भूत्वा जनसेवा करिष्यसि।
2 – ………………………………..
प्रणवः – महोदय! चिकित्साक्षेत्रे बहुधनार्जनस्यापि अवसरः प्राप्यते।
3 – ………………………………..
आचार्य – किम् धनार्जनाय विदेशगमनमेव तव जीवनोद्देश्यम्?
4 – ………………………………..
प्रणवः – आचार्य! किं स्वप्रतिभायाः उपयोगं कृत्वा सुविधाकांक्षा नोचिता?
आचार्य – अनुचिता नास्ति सुविधानां धनानां च इच्छा, पर
5 – ……………………………….

मञ्जूषा

(क) स्वदेशं प्रति स्वकर्तव्यस्य उपेक्षा न करणीया।
(ख) अहं चिकित्साविज्ञानं पठिष्यामि।
(ग) भारते अध्ययनं कृत्वा विदेश पलायिष्यसे? किमिदम् उचितम्?
(घ) उत्तम जीवनलक्ष्यम्।
(ङ) अहं तु चिकित्सको भूत्वा विदेशे जीवन यापयिष्यामि. इति मम मनसि बलवती इच्छा अस्ति। अस्अिस्ति
उत्तर:
1 – (ख) अहं चिकित्साविज्ञानं पठिष्यामि।
2 – (घ) उत्तम जीवनलक्ष्यम्।
3 – (ङ) अहं तु चिकित्सको भूत्वा विदेशे जीवन यापयिष्यामि. इति मम मनसि बलवती इच्छा अस्ति। अस्अिस्ति
4 – (ग) भारते अध्ययनं कृत्वा विदेश पलायिष्यसे? किमिदम् उचितम्?
5 – (क) स्वदेशं प्रति स्वकर्तव्यस्य उपेक्षा न करणीया।

प्रश्न 9.
अधोलिखितसंवादं मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –
प्रवीरः – श्वः अस्माकं समावर्तनसंस्कारः (farewel ceremony) अस्ति। न जाने कथं द्रुतगत्या वर्षाणि व्यतीतानि।
अतुलः – 1 ……………………………………..
प्रवीरः – अहं तु अभिन्त्रविज्ञानं पठिष्यामि।
देवेशः – मया तु चिकित्साविज्ञानं पठिष्यते।
नीलिमा – 2 ……………………………………
वैष्णवी – अहं “मधुवनीचित्रकला” इत्यस्य प्रशिक्षयं प्राप्य कुटीरोद्योग चालयिष्यामि। महा चित्रांकनम् अतीय रोचते।
अतुल: – 3 …………………………………
मण्डनः – अस्मिन् कीदृश्यम् आश्चर्यम्? 4 ……………………………..
देवेशः – त्वमपि मण्डन। तब गणितक्षेत्रे दक्षतां दृष्ट्वा त्वयि भविष्यस्य गणितज्ञ पश्यामि अहम्। त्वं कृषिकार्य करिष्यसि?
मण्डनः – 5 ……………………………………
अवनीश – सम्यक् कथितम्। अधुना तु सर्वकारेण भूमिस्वास्थयपत्रम् (soil health card) अपि प्रदीयते, येन भूमिस्वास्थ्यपरीक्षणं भवति।
सर्वे – भूमेः अपि स्वास्थ्यस्य परीक्षणम्? (हसन्ति)
अवनीश – अथ किम्? भूमेः अपि स्वास्थ्यपरीक्षणं कर्तव्यम्।

मञ्जूषा

(क) द्वादशकक्षानन्तरं त्वं कस्मिन् क्षेत्रे भविष्यनिर्माणं करिष्यसि?
(ख) अथ किम्? वैज्ञानिकरीत्या कृषिकायं कृत्वा अहं देशस्य कृमिसम्पदः विकासे योगदान करिष्यामि।
(ग) अहो महदाश्चर्यम्! कक्षायाः सर्वाधिका मेधाविनी छात्रा चित्रकलाक्षेत्रे भविष्यनिर्माण करिष्यति?
(घ) अहं वस्त्रालंकरणविज्ञानं पठिष्यामि।
(ङ) अहमपि कृषिविज्ञानं पठित्वा कृषिकार्य करिष्यामि।
उत्तर:
1 – (क) द्वादशकक्षानन्तरं त्वं कस्मिन् क्षेत्रे भविष्यनिर्माणं करिष्यसि?
2 – (घ) अहं वस्त्रालंकरणविज्ञानं पठिष्यामि।
3 – (ग) अहो महदाश्चर्यम्! कक्षायाः सर्वाधिका मेधाविनी छात्रा चित्रकलाक्षेत्रे भविष्यनिर्माण करिष्यति?
4 – (ङ) अहमपि कृषिविज्ञानं पठित्वा कृषिकार्य करिष्यामि।
5 – (ख) अथ किम्? वैज्ञानिकरीत्या कृषिकायं कृत्वा अहं देशस्य कृमिसम्पदः विकासे योगदान करिष्यामि।

प्रश्न 10.
अधोलिखितसंवावं मञ्जूषाप्रदत्तवाक्यैः पूरयत –
(विद्यालयात् गृहम् आगच्छति अभिषेक:)
अभिषेकः – मातः! गृहात् बहिः अवकरः प्रक्षिप्तः अस्ति। कः प्रक्षिप्तवान् अवकरम्?
माता – 1 …………………………………..
किमभवत्? त्वं किमर्थं पृच्छसि?
अभिषेकः – मातः किं गृहाभ्यन्तरं मार्जनेन एव स्वच्छताकार्य समाप्यते खलु?
माताः – 2 ………………………………..
अभिषेकः – मातः! मार्गमुभयतः अवकराणां पर्वत इव दृश्यते, तस्य मालिन्यम् अस्माकं श्वासे अवरोध जनयति।
एते – 3 …………………………………….
अतएव अस्माभिः अस्माकं परिवेशः स्वच्छ: करणीयः।
माता – त्वं सुष्टु भणसि। परं किमहमेकाकिनी एव मार्गन्य परिष्टकरणं करवाणि?
अभिषेक: – 4 ……………………………….
माता – शोभनं वत्स! परं सद्यः एव तव मनसि स्वच्छतायाः संकल्पः कथम् उद्भूत?
अभिषेकः – 5 ………………………………..

मञ्जूषा

(क) अवकराः अनेकान् रोगान् अपि जनयन्ति।
(ख) वयम् आरम्भं कर्मः। शनैःशनैः अन्ये अपि अस्मिन् पुनीतकर्मणि सहयोगिनः भविष्यन्ति।
(ग) अद्य विद्यालये स्वच्छताया महत्त्वविषये आचार्या पाठितवती।
(घ) सर्वे स्वगृहमेव परिष्कुर्वन्ति।
(ङ) अहमेव गृहस्य मार्जनं कृत्वा अवकर बहिः प्रक्षिप्तवती।
उत्तर:
1 – (ङ) अहमेव गृहस्य मार्जनं कृत्वा अवकर बहिः प्रक्षिप्तवती।
2 – (घ) सर्वे स्वगृहमेव परिष्कुर्वन्ति।
3 – (क) अवकराः अनेकान् रोगान् अपि जनयन्ति।
4 – (ख) वयम् आरम्भं कर्मः। शनैःशनैः अन्ये अपि अस्मिन् पुनीतकर्मणि सहयोगिनः भविष्यन्ति।
5 – (ग) अद्य विद्यालये स्वच्छताया महत्त्वविषये आचार्या पाठितवती।

प्रश्न 11.
स्वस्य मात्रा, भगिन्या, अथवा मित्रेण सह संवाद पञ्चवाक्यैः स्वशब्दैः लिखत।
उत्तर:

  1. प्राता – भगिनि! अधुना तव अध्ययनं कथं भवति?
  2. भगिनी – भ्रातः! मम अध्ययनं तु उत्तम वर्तते परं नव परीक्षा चलति किम्?
  3. भ्राता – आम्। सम्प्रति मम अर्धवार्षिकी परीक्षा भवति।
  4. भगिनी – तव प्रश्न पत्राणि कीदृशानि भवन्ति अस्यां परीक्षायाम्?
  5. भ्राता – अधुना पर्यन्तुं तु सर्वाणि प्रश्न पत्राणि उत्तमानि जातानि, अहं पूर्णतया सन्तुष्टोऽस्मि।

अनुच्छेदलेखनम्

(श्रवण-भाषण-कौशल-विकासार्थम्)

प्रश्न 1.
मम परिचयः
मम नाम अनुश्री अस्ति। अहं त्रयोदशवर्षीया बालिका अस्मि। अहं राजकीय विद्यालये नवम-कक्षायां पठामि। अहम् चेन्नईनगरे निवसामि। मम गृहे मम पितरौ, ममानुजः च सन्ति। सर्वे मयि स्निह्यन्ति। अध्ययनक्षेत्रे विज्ञानविषय मे अतीव रोचते। सममेव चित्रांकने अपि मम अभिरुचिः अस्ति। भाषासु संस्कृतभाषा मे प्रिया। तत्र वाक्यसंयोजनकाले शब्दरूपधातुरूपप्रयोगे अहम् आनन्दमनुभवामि। भविष्ये चित्रकारिताक्षेत्रे नैपुण्यमधिगमिष्यामीति में जीवनलक्ष्यम्।

निर्देश:
अध्यापक: कक्षायाम् आत्मपरिचयस्य आदर्शवाचन कुर्यात्, छात्राश्च तत् श्रुत्वा स्वपरिचयरूपेण कानिचित् वाक्यानि लिखेयुः।
उत्तर:
दयानिधिः-मम नाम दयानिधिः वर्तते। अहं डी.ए.वी. विद्यालये नवमी कक्षायां पठामि। मम पितरी अध्यापको स्तः। तयोः छात्राः तयोः प्रशंसा कुर्वन्ति ती गृहे ममापि यथा समयं प्रीत्या मम मार्गदर्शन कुर्वन्ति। अहं स्वपित्रों: उपरि गर्वामि।

प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रदूषणम्:
अद्यत्वे भारतस्य राजधान्याः देहल्याः वातावरणम् अतीव प्रदुषित सञ्जातमस्ति। सर्वत्र वायी विषमयानि तत्वानि, यथा कार्बनमोनोऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, अमोनिया इत्यादीनि व्याप्तानि सन्ति येन जनाना स्वास्थ्योपरि दुष्प्रभाव भवति। प्रातः सायं च वातावरणे कूहा भवति। अधिसंख्यकाः जनाः श्वासरोगेण प्रस्ताः भवन्ति, नेत्रयोः दाह: अपि अनुभूयते। पर्यावरणप्रदूषणस्य करणानि औद्योगिकसंस्थानां बाहुल्यम्, वाहनेभ्यः निर्गताः धूमाः पलालस्य ज्वालनेन निर्गतः धूमाः, स्फोटकपदार्थानां ज्वालनम् इत्यादीनि सन्ति। सर्वकारः अपि अनेकाः नीतयः निर्मीय प्रदूषणस्तर हासता नेतु प्रयलशीलोऽस्ति परम् अस्माभिः अपि एवं प्रयतितव्यम् येन पर्यावरण प्रदूषितः न भवेत्।

निर्देश:
अध्यापक: अनुच्छेदस्यास्य आदर्शवाचनं कुर्यात्। अनन्तरं छात्राः अपि अनुवाचनं कुर्युः प्रदूषणनिवारणार्थ स्वविचारान् अपि लिखेयुः।

उत्तर:
वातावरणे विषाक्तानि तत्त्वानि वायवश्च यदा प्रसरन्ति तदा वातावरणं जीवितुं योग्यं न भवति। इदमेव प्रदूषणं कश्यते। अस्मिन् प्रदूषणे जनाः कथं स्वस्थरीत्या जीविष्यन्ति एतत् प्रश्नमनुत्तरितं वर्तते। अत: अधिकारिकान् वृक्षान् आरोपयेत् जलं वायु वातावरणं च शोधायितु सदैव प्रयासरतो भवेत्। यज्ञं वृक्षारोपणं, मार्गे जलसिञ्चन सदैव कर्तव्यम्। तदैव प्रदूषण निवारणं भविष्यति।

प्रश्न 3.
अनुशासनम्:
जीवन अनुशासनस्य अत्यधिक महत्त्वं भवति। अनुशासनपालनेन अस्माकं व्यक्तित्वस्य संतुलितः विकासः भवति। समयपालनस्य प्रवृत्ति विवर्धते। समयपालनेन च सर्वाणि कार्याणि समयेन भवन्ति। अनेन समाजिकतायाः अपि विकासः भवति। कर्तव्याकर्तव्यस्य ज्ञानमपि प्राप्यते, येन वयं मनुष्यजीवनं सफलं कुर्मः। अनुशासनम् अस्मान् सन्मार्ग प्रति प्रेरयति। अनुशासनस्य प्रवृत्तिः अन्त:करणात् एव भवति।

निर्देश:
अनुच्छेदमिमं पठित्वा कक्षायाम् अनुसानविषये छात्रा: चर्चा-विचारं कुर्वन्तु। पुस्तिकायां च लिखन्तु।

उत्तर:
अनुशासनम् अस्माकं जीवनस्य वरदानमिव वर्तते। अनेन अस्माकं जीवने सद्प्रवृत्तिः जायते, वृद्धाणां प्रसन्ताम् आशीर्वादञ्च प्राप्येते, समयस्य च सदुपयोगो भवति। अनेनैव अस्मादृशाः छात्राः देशस्य समाजस्य च मार्गदर्शन
कर्तुम् सक्षमाः भवन्ति। अतः अनुशासनं सर्वैः सवैपालनीयम्।

प्रश्न 4.
विमुद्रीकरणम्:
2016 तमे वर्षे नवम्बरमासस्य अष्टम्यां तारिकायां प्रधानमन्त्रिणा विमुद्रीकरणस्य घोषणा कृता। पञ्चशत-रूप्यकाणां सहस्रात्मकानां च रूप्यकाणां निषधः सञ्जातः। अस्य निर्णयस्य कारणमासीत् जनानां धनाढ्यानां च पार्थ यत् कृष्णधनं संचितमस्ति तत् बहिरायातु। मासद्वयम् विमुद्रीकरणेन जनैः अनेक काठिन्यम् अनुभूतं परं भ्रष्टाचार रोधु कृतेस्मिन् सर्वकारस्य निर्णये सर्वेऽपि जनाः कठिन्यम् अनुभवन्तः अपि सहयोग कृतवन्तः। विमुद्रीकरणश्य परिणामेन सर्व धनं सर्वाः च मुद्राः वित्तकोशे समायाताः।

निर्देश:
छात्राः परस्परं ‘विमुद्रीकरणम्’ इति विषयमधिकृत्य चर्चा कुर्वन्तु, पक्षे विपक्षे च स्वर सिपा लिखन्तु।

उत्तर:
कक्षायां इन्द्रः वरुणश्च द्वी वर्गों स्तः। इन्द्रवर्गः कथयति-विमुद्रीकरण देशाय वरदानमिय आतम्। वरुणवर्ग:- अनेन किमपि तु न भूतम्। यद्धनं कृष्णधनरूपे आसीत् तस्य ज्ञान सर्वकारेण अद्यापिनाभवत्। इन्द्रवर्ग:- परम् अधिकाधिकं धनं तु राजकोषे आगतम्, किञ्चिद् कृष्णधनस्य अपि ज्ञानमभवत्।

वरुणवर्ग:- एतत् तु सत्यम्, परम एतदुपरि अधिकाधिक परिश्रम कर्तव्यम्।

प्रश्न 5.
परीक्षा:
अहो परीक्षा पुनः समायाता। अस्याः नामोच्चारणेन एव गात्राणि कम्मन्ते, मनसि चिन्ताजालाः आयान्ति। सर्व पठितमपि विस्मृतमिव प्रतीयते। न जाने कीदृशं प्रश्नपत्रम् आगमिष्यति, कथं च अहं स्पृहणीयमकान् लस्ये इत्येव चिन्ता गुरुतरा भवति। न जाने केन महापुरुषेण परीक्षायाः संकल्पना विहिता? मन्येऽहं ईश्वरोऽपि यदि परीक्षार्थी भूयात्, सोऽपि भीतो भूत्वा पलायनं कुर्यात्।

निर्देश:
शिक्षकाणां निर्देशने छात्रः परीक्षविषये चर्चा विचारं च कुर्वन्ति पुस्तिकायां च लिखन्तु।

उत्तर:
परीक्षा छात्राणां जीवनस्य एकोऽ मूल्यः अवसरः विद्यते। अनेन छात्राः एवजीवने अग्ने गन्तुं सक्षमाः भवन्ति। मानव जीवनस्य एकमपि इंदुशं क्षेत्र नास्ति यत्र परीक्षा न भवति। परीक्षया एवं जनानां जीवने स्फूर्तिः, सजगता आगच्छान्ति। अतः परीक्षायाः कदापि पलायनं छात्रैः जनै: वा न कर्तव्यम्।

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम्

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Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम्

अभ्यासः

यहाँ ध्यातव्य है कि प्रत्येक चित्र के साथ दी गयी मञ्जूषा में प्रदत्त पद छात्रों की सहायता के लिए हैं, किंतु उनका प्रयोग अनिवार्य नहीं है। छात्र स्वेच्छा से भी वाक्य संरचना कर सकते हैं।

प्रश्न 1.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतने पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – उद्यानम्, बालः, खेलतः, द्वौ, बाला करोति, पश्यति, वृक्षः, चित्रम्, रचयति, उपविशति, दोलायाम्, पादकन्दुकम्
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 1
उत्तर:

  1. इदम् उद्यानस्थ चित्रम् अस्ति।
  2. अत्र द्वौ वृक्षौ स्तः।
  3. उद्याने द्वौ बालौ दोलायां दोलायतः।
  4. त्रयः बालकाः पादकन्दुकं क्रीडन्ति।
  5. एका च बालिका चित्रं रचयति।

प्रश्न 2.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – खेलन्ति, क्रीडाङ्गणे, वृक्षाः, बालाः, फुटबॉलक्रीडा, पश्यन्ति, गृहम्
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 2
उत्तर:

  1. इदं चित्रम् क्रीडाङ्गणस्य अस्ति।
  2. तत्र अनेके वृक्षाः सन्ति।
  3. क्रीडाङ्गणे एकं गृहम् अपि अस्ति।
  4. तत्र षट् बालाः फुटबॉलक्रीडां क्रीडन्ति।
  5. तान् माता-पिता द्वौ बालौ च पश्चन्ति।

प्रश्न 3.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – धावन्ति, प्रसन्नाः, सन्ति, हस्तौ, मेलयित्वा, कन्या, वेशभूषां, धारयन्ति, अस्ति, हसन्ति
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 3
उत्तर:

  1. इदं चित्रम् वस्त्रविपणेः अस्ति।
  2. अत्र अनेकानि वस्त्राणि सज्जितानि सन्ति।
  3. स्व कन्याः कन्याभ्यः मेलयित्वा पितरौ प्रसन्नौ स्तः।
  4. तत्र अनेकानि सुन्दराणि वस्त्राणि विक्रयितुं सन्ति।
  5. बालाः परस्परं मिलित्वा हसन्ति।

प्रश्न 4.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – बालः, पश्यत्:, बालः, वृक्षः, हरितः, पुष्पे, पादपाः, पत्राणि, पश्यन्ति
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 4
उत्तर:

  1. इदं चित्रम् उपवनस्यः अस्ति।
  2. उपवने अनेके पादपाः वृक्षाः च सन्ति।
  3. द्वौ बालौ तत्र व्यायाम कुरुतः।
  4. दोलायां तिष्ठन्तौ द्वौ बालौ तौ पश्यतः।
  5. आकाशे अनेके खगाः उड्डयन्ति।

प्रश्न 5.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – शाकविक्रेता, कोलाहलः, समूहः, आकारयन्ति, कदली, आलुकम्, पलाण्डु, गुञ्जनम्, प्रयच्छन्ति, विक्रीणन्ति
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 5
उत्तर:

  1. इदं चित्रम् शाक आपणस्य अस्ति।
  2. अत्र अनेकानि शाकानि विक्रयितुम् आगतानि सन्ति।
  3. आपणे अनेकानि फलानि अपि सन्ति।
  4. जनान् शाकविक्रेता समूहाः आकारयन्ति।
  5. अनेके जनाः शाकानि फलानि च क्रीणन्ति।

प्रश्न 6.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – महाभारतम्, श्रीकृष्णः, अर्जुनाय, युद्धसमये, उपदेशान्, मोहात्, ददाति, कर्तव्यपालनम्, युद्धाय, सन्नद्धः
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 6
उत्तर:

  1. इदं चित्रम् महाभारत युद्ध समयस्य अस्ति।
  2. अत्र श्रीकृष्णः अर्जुस्य कर्तव्यपालनस्य उपदेशं यच्छति।
  3. अर्जुनः मोहग्रस्तः भूत्वा श्रीकृष्णस्य पादयोः पतति।
  4. चित्रे द्वयोः पक्षयोः सेनाः तिष्ठन्ति।
  5. सेनायाः सैनिकाः युद्धाय सन्नद्धाः सन्ति।

प्रश्न 7.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – मुस्लिमधर्मावलम्बिनः, पालयन्ति, सेवई, इति मिष्टान्नम्, नूतनवस्त्राणि, वर्धापनानि, आलिङ्गनं, धार्मिकं सौहार्दम्, उत्सवः, मानयन्ति, उपासनागृहम्
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 7
उत्तर:

  1. इदं चित्रम् मुस्लिम धर्मिणाम् ईदपर्वणः अस्ति।
  2. अत्र मुस्लिम धर्मावलम्बिनः परस्परम् आलिङ्गन दुर्वन्ति।
  3. सर्वे जनाः नूतनवस्त्राणि धारिताः सन्ति।
  4. ते परस्परं उपासनागृहं गत्वा उपासना कुर्वन्ति।
  5. जनाः आस्मिन् दिवसे ‘सेवई’ इति मिष्टान्न खादन्ति।

प्रश्न 8.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – ईसामसीहः, जन्म, दिसम्बरमासस्य, केक इत्याख्यं मिष्टान्नम्, नूतनवस्त्राणि, गिरिजागृहम्, उपासनापद्धतिः, शैत्यम्, सिक्थवर्तिका, सान्ताक्लॉज इति, उपहारणि, वाञ्छन्ति
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 8
उत्तर:

  1. इदं चित्रम् क्रिसमस पर्वणः अस्ति।
  2. अत्र सांताक्लॉज इति नाम पुरुषः बालान् उपहारं यच्छति।
  3. इदं पर्व दिसम्बर मासस्य पञ्चविंशाति पारिकायां मान्यते।
  4. ख्रीस्त जनाः गिरिजागृहम् गत्वा समवेतस्वरैः प्रार्थनां कुर्वन्ति।
  5. ते ईसामसीह महापुरुषस्य जन्म दिवस उपलक्ष्ये इदं पर्व मानयन्ति।

प्रश्न 9.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – चलचित्रम्, जनाः, सम्मर्दः, चलचित्रपटः, उत्सुकाः, चिकिटम्, खाद्यसामग्री, मध्यान्तरः, भारतम्, पश्यन्ति
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 9
उत्तर:

  1. इदं चित्र चलचित्रगृहस्य अस्ति।
  2. अनेके जनाः अत्र दृश्यन्ते।
  3. तत्र चलचित्रपटः अस्ति।
  4. जनाः चिकिटम् क्रीत्वा चित्रपटम् पश्यन्ति।
  5. तत्र जनाः मध्यान्तरे खाद्यसामग्रीम् अपि खादन्ति।

प्रश्न 10.
अधोलिखितं चित्रं वर्णयन् संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि लिखत –
मञ्जूषा – भारतद्वारम्, सैनिकाः, गणतंत्रदिवसः, पथसंचलनम्, ध्वजोत्तोलनम, भवित, राष्ट्रियपर्व, अवकाशः जनसम्मर्द, सैनिकाः
Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 3 चित्रवर्णनम् 10
उत्तर:

  1. इदं चित्रं गणतन्त्र दिवसस्य अस्ति।
  2. गणतन्त्र दिवस समारोहः सम्पूर्ण देशे मान्यते।
  3. परं सः दिल्ली नगरे प्रमुखरूपेण भारत द्वारे आयोज्यते।
  4. आस्मिन् देशस्य सैनिकाः, छात्राः पुरस्कारप्राप्ताः बालकाश्च पथसंचलनं कुर्वन्ति।
  5. राष्ट्रपतिः तत्र ध्वजोत्तोलनम् करोति।

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 2 पत्रम्

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Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 2 पत्रम्

अभ्यासः

(क) अनौपचारिकम् पत्रम्

अभ्यासः-योगदिवसे भूयमाने कार्यक्रमे भगिन्याः सहभागित्व वर्णयन् एक पत्र लिखत।
उत्तर:
चण्डीगढ़म्
10/07/20xx

प्रिये भगिनि!
सप्रेम नमो नमः
आशास्ति यत् त्वं तत्र पूर्णतया कुशलिनी भविष्यसि। इदं श्रुत्वा मम मनसि आनन्दो जातः यत् भवती योगदिवसे पटेल चतुष्पथे नवदिल्याम् एकविंशतिमायां तारिकायां भूयमाने कार्यक्रमे भागं ग्रहीयति। इदं तु अतीव सुन्दर भविष्यति। “योगचित्तवृत्तिः निरोधः” अर्थात् योगः चित्तवृत्तीनां निरोधः कथ्यते।
जना: योगं कृत्वा शरीरेण मनसा, बुद्धया आत्मना च स्वस्थाः भवन्ति। अद्य तु योगस्य महत्तं सम्पूर्ण संसार: जानाति। यदि भवती योगं करिष्यति तर्हि सर्वाङ्गीणरूपेण स्वस्था भविष्यति। शेषं पुन: लेखिष्यामि। आशास्ति गृहे सर्वे कुशलिनः सन्ति।

भवताम् भ्राता
मान्धाता शर्मा
115/98, गौरव सरिणी, चण्डीगढ़म्

(ख) औपचारिकम् पत्रम्

प्रश्न 1.
(क) अवकाशार्थं प्राचार्या प्रति प्रार्थनापत्रम् लिखत।
उत्तर:
सेवायाम्
प्राचार्या! केन्द्रीय विद्यालयः रोहिणी,
दिल्ली
विषय : दिनदस्य अवकाशार्थं प्रार्थना पत्रम्
महोदये

सविनय निवेदनम् अस्ति यत् अहं भवत्याः विद्यालयस्य नवमी कक्षायाः छात्रा अस्मि। हयः मम गृहे चौरेण चौर्यकार्य कृतम्। गृहस्य सर्व धनम्, आभूषणानि पात्राणि च चोरितानि जातानि। सर्वे जनाः अतीव दु:खिनः सन्ति। गृहे सम्पूर्ण दिने सम्बन्धिनः, मित्राणि प्रतिवेशिकाश्च सान्त्वनार्थम् आगच्छान्ति। मम पितरौ अतीव दु:खिनौ स्तः। अतः भवतीना सेवायो निवेदनमस्ति यत् महयं दिनद्वयस्थ अवकाशं दत्त्वा कृतार्थयन्तु भवत्यः।

भवताम् आज्ञाकारी शिष्य:
यथार्थ प्रणवः
कक्षा-नवमी (अ)
अनुक्रमांक-37

प्रश्न 2.
(क) भ्रातुः विवाहे गमनाय प्रार्थना-पत्रम् लिखत।
उत्तर:
सेवायाम्
प्राचार्या, केन्द्रीय विद्यालयः चमोली
विषय:- भ्रातुः विवाहे गृहं गन्तुं (गमनाय) प्रार्थना पत्रम्।
महोदये

सविनयं निवेद्यते यत् आगामि सप्ताहे मम ज्येष्ठस्य भ्रातुः विवाहः सम्पत्स्यते/वरयात्रा मम गृहात् जोशीमठे गमिष्यति। पारिवाकिर जनः भवति सति मम उपस्थितिः तत्र अनिवार्या वर्तते।
अतः भवतीनां सेवायां निवेदयामि यत् भवत्यः महयं पञ्चदिवसानाम् अवकशान् दत्त्वा कृतार्थयन्तु। एषु दिवसेषु यपि पठनस्य हानिः भविष्यति तस्याः पूरयितुम् अहं पूर्णरूपेण प्रयास करिष्यामि।

भवताम् आज्ञाकारिणी शिष्या
सरोज शरदः
कक्षा-नवमी (स)
अनुक्रमांक-35
दिनाङ्कः 13/07/20XX

प्रश्न 3.
(क) भवान् अविनाशः। शैक्षिकभ्रमणाय अनुमतिं व्ययार्थ धन प्रार्थयितुं च पितर प्रति मञ्जूषायाः सहायतया पत्र लिखतु।
स्वाध्याये, भवान्, प्रथमसत्रीया, शैक्षिकभ्रमणस्य, अनुमतिः, गन्तुम्, पञ्चशतरुप्यकाणि, प्रेषयन्तु, शीघ्रातिशीघ्र, प्रतीक्षायाम्
उत्तर:
छात्रावासतः
दिनाङ्क:
20/08/20XX
पूज्यपितृचणाः.
प्रणतीनां शतम्।

अत्र अहं कुशलः स्वाध्याये व्यापूतः अस्मि। आशासे भवान् अपि मात्रा सह आनन्देन निवसति। मम प्रथमसत्रीय परीक्षा सम्पन्ना। परीक्षानन्तर शिक्षकैः सह छात्राणां शैक्षिकभ्रमणस्य योजना अस्ति। यदि भवतः अनुमतिः स्यात् तर्हि अहमपि तैः सह गन्तुम् इच्छामि। सर्वैः एव गन्तुकामैः पञ्चशतरुप्यकानि देयानि सन्ति। भवतः अनुमतिः अस्ति चेत् पंचशतरूप्यकाणि शुल्काय, पंचशतरुप्यकाणि च मार्गव्ययार्थ प्रेषयन्तु भवन्तः। कृपया शीघ्रातिशीघ्रं स्वमन्तव्यं प्रकटयन् पत्र लिखतु। भवतः अनुमत्याः प्रतीक्षायाम्।

भवतः पुत्रः
अविनाशः

प्रश्न 4.
पर्वतीयसुषमाया: वर्णनं कुर्वन् स्वमित्रं नमितं प्रति सुमेशस्य पत्रम्।
उत्तर:
प्रिय मित्र नमित,
सप्रेम नमोनमः।

अत्र कुशलं, तत्र अस्तु। दिसम्बरमासे अहं परिवारेण सह कश्मीरप्रदेशम् अगच्छम्। कश्मीरप्रदेशस्य सौन्दर्यं तु दर्शकान् आकर्षयति। विविधैः फलै: युक्ता: वृक्षा: प्रकृते: सौन्दर्य वर्धन्ते एव। सर्वत्र एव हरीतिमा आसीत्। यत्र कुत्रापि दृष्टि: गच्छति तत्र प्रकृते: सुषमा एव दृश्यते स्म। कश्मीर-प्रदेशस्य डलसर: तु न सर्वेषाम् आकर्षणस्य केन्द्रः अस्ति। यदा अत्र हिमपात: भवति तस्य वर्णन कर्तुं तु कोऽपि समर्थः अस्ति। कश्मीरप्रदेश: पृथिव्या: स्वर्ग: एव। यदा भवान् अत्र आगमिष्यति तदा मम कथनस्य सत्यतां ज्ञास्यति। शेष सर्वं कुशलम्।

मातृपित्रो: चरणयो: प्रणामा:।
भवत: मित्रम्
सुमेश:
दिनाङ्क:-28.11.2018

प्रश्न 5.
(क) दण्डशुल्कक्षमापनार्थ प्रधानाचार्य प्रति प्रार्थना-पत्रम् लिखत।
उत्तर:
परीक्षा भवनात्
दिनाङ्कः
15/03/20xx
श्रीमन्तः प्रधानाचार्य महोदय,
ङ्केाजकीयः तरिष्ठ माध्यमिक विशालपा
राजेन्द्र नगरम्, नव दिल्ली -110005
महोदयः

सविनयं निवेदयते यत् अहं भवतां विद्यालस्य नवमी कक्षायाः छात्रोऽस्मि। हयः अहं विद्यालय बिलम्बात् आगच्छम् यतः मम द्विचाक्रिका मार्गे विकृता अभवत्। अतः विलम्बात् आगते मम कक्षाध्यापक: मां शतरुप्यकाणां दण्डेन दण्डितम् अकरोत्। मम गृहस्थ स्थिति: उत्तमा नास्ति। अतः अहं इदं शुल्क दण्डं दातुं समर्थः नास्मि। अनेन भवतां सेवायां निवेदयामि यत् माम् अनेक दण्ड शुल्केन मुक्ति प्रदाय कृतार्थयन्तु भवन्तः।

सधन्यवादम्
भवतः शिष्यः
रामानुजः

प्रश्न 6.
(क) ई-मनी’ इत्यस्य महत्त्वं वर्णयन् मातुलं प्रति पत्रं लिखत।
उत्तर:
मुम्बई नगरात्
दिनाङ्कः 22/06/20xx
समादरणीय मातुल महाभाग!
सादर प्रणामम्.

भवतः पत्रं मया अद्यैव प्राप्त। भवान् ‘ई-मनी’ इत्यस्य महत्त्वस्य विषये पृष्टवान्। अतः वदामि। ‘ई-मनी’ एका आधुनिक-धनप्रेषण-प्रणाली अस्ति। अनया प्रणाल्या विना अतिरिक्तं परिश्रमं धनं कुत्रापि प्रेषयितुं शक्यते। मातुला: महोदयाः! गृहे स्थित्वा एव जनाः अनया प्रणाल्या धन प्रेषयित्वा प्राप्य वा लाभान्विता: भविन्त। इथ भारत-सर्वकारस्य बहुप्रचारिता एका विद्या अस्ति। यस्यां समयस्य, परिश्रमस्य, करस्य च अपव्ययः न भवति। यदि भवान् अपि अस्याः प्रयोग करिष्यति तर्हि अवश्यमेव लाभान्वितः भविष्यति। मातुलान्याः चरणयोः मम प्रणामः कथनीयः।

भवतां भगिनीजायः
मोहन कुमारः

प्रश्न 7.
(क) अतिविश्वासात् हानिः इत्यधिकृत्य मित्राय मञ्जूषायाः सहायतया पत्रं लिखत।
अस्तु, पृष्टम्, कारणम्, परीक्षापरिणामः, ईदृशः, मया, अतिविश्वासः, अन्यः, सर्वम्
उत्तर:
परीक्षाभवनतः
दिनाङ्कः 02/03/20xx
प्रिय मित्र!
नमोनमः

अत्र कुशल तत्र अस्तु। भवता पृष्टम् यत् प्रथमसत्रपरीक्षायां मम परीक्षापरिणामः कीदृशः अस्ति? प्रथमसत्रपरीक्षाया मम परीक्षापरिणामः आशानुकूल: न अस्ति। अस्य कारणम् अपि मया ज्ञातम्, मम स्वोपरि अतिविश्वासः एव आसीत् यत् अहं तु सर्वम् एव जानामि। कदाचित् ईदृशः स्वोपरि विश्वासः मानवाय विनाशकारी भवति। अस्य दुष्परिणामः मया सु सोढ़ः परं कोऽपि अन्यः अस्य पात्रं न भवेत्। इति कृत्वा कथयामि। कदापि स्वोपरि अतिविश्वासः न करणीयः। शेषं सर्वम् कुशलम्। सर्वेभ्यः मम प्रणामाः।

भवतः मित्रम्

प्रश्न 8.
(क) भवान् सुमितः। मञ्जूषायां दत्तैः पदैः सह योगस्य महत्त्व वर्णयन् स्वमित्र अमितं प्रति पत्र लिखतु।
योगस्य, आगताः, प्रभावः, कार्यक्रमे, सिध्यति, प्रेरितान्. जनाःतैः.
उत्तर:
परीक्षाभवनतः
दिनाङ्कः 12/03/20xx
प्रिय मित्र अमित!
सप्रेम नमोनमः

अत्र कुशलं तत्र अस्तु। मम पिता योगदिवसे योगस्य प्रचारार्थं स्वक्षेत्रे आयोजन कृतम्। तस्मिन् कार्यक्रमे योगविद्यायां कुशलाः अनेके जनाः आगत्य स्वविचारान् प्रकटितवन्तः। एवं ते जनान् योगस्य जीवने स्वीकारार्थ प्रेरितान् अपि अकुर्वन्। योगेन किं किं सिध्यति किं किं च प्राप्यते इति अपि ते स्पष्टीकृतम्। तेषाम् उद्बोधकानां विचाराणाम् ईदृशः प्रभावः जातः येन ये अपि जनाः तत्र अगताः ते योगप्रक्रियां जीवने धारणार्थ प्रतिज्ञाम् अकुर्वन्। यदि भवान् अपि अत्र स्यात् तदा स्वयं पश्येत्। अस्तु! शेषं सर्व कुशलम्।

भवत: मित्रम्
सुमितः

प्रश्न 9.
(क) भवान् प्रथमसत्रपरीक्षावाम् उत्तमाङ्कान् प्राप्तवान् इति वर्णयन् मित्र प्रति मञ्जूषायाः सहायतया पत्र लिखतु।
समयानुसारिणीम्, सर्वम् अस्तु, अङ्काः, अनुपालनम्, पृष्टम्, कारणम्, कारणात्, परीक्षापरिणामः
उत्तर:
परीक्षाभवनतः
दिनाङ्कः 15/04/20xx
प्रिय मित्र!
नमोनमः

अत्र कुशलं तत्र सर्वम् अस्तु। भवता पृष्टम् यत् प्रथमसत्रपरीक्षायां मम परीक्षापरिणामः कीदृशः अस्ति? प्रथमसत्रपरीक्षायां मम परीक्षापरिणामः आशानुकूलः अस्ति। अस्य कारणम् एतत् अस्ति यत् मया नियमानाम् अनुपालन कृतमा खेलनस्य समये खेलनम्, पठनस्य समये पठनम् कृतम्। अस्मात् कारणात् मया परीक्षायां शोभनाः अडाः प्राप्ताः। सत्यम् एव एतत् यदि समयस्य अनुपालनम् क्रियते तदा अस्य परिणामोऽपि शोभनीयः भवति। भवान् अपि एवं समयानुसारिणीम् पालयेत्। शेष कुशलम्। सर्वेभ्यः मम प्रणामाः।

भवतः मित्रम्

प्रश्न 10.
(क) अतिवृष्टेः कारणात् विषमजीवन यापयन्तीं स्वभगिनीं प्रति पत्र लिखत।
उत्तर:
झांसी नगरात्
दिनाङ्कः 05/07/20xx

प्रिये भगिनि!
सप्रेम नमोतमः

अत्र सर्व कुशलवर्तते। दूरदर्शनेन ज्ञातं यत् सम्प्रति जोधपुर नगरे अतीव वृष्टेः कारणात् जनजीवनम् कठिन जानमस्ति। सर्वत्र जलमेव दृश्यते। मार्गेषु, भवनेषु सरणिषु च जलम् एकत्रितं जातम्। अनेकानि भवनाति ध्वस्तानि अभवन्, अनेके जनाः मृत्यु प्राप्तवन्तः। वस्तु आपूर्तिः जनानाञ्च आवागमनम् अवरुद्ध जातम्। अनेकानि वाहनानि, महार्हाणि वस्तूनि, पश्व: बालाश्च नदीषु अवहन्। अनेक सर्वत्र हाहाकारः एवास्ति।
आस्किन् विषमे समये भवन्तः सर्वे नागरिकाः कथं जीवनं यापयन्ति इति भवती लिख्यताम्। अहम् ईश्वर प्रार्थये यत् शीघ्रमेव जोधपुर वासिनां जीवन सुखमयं पूर्ववत् कुर्यात्।

भवदीयः अनुजः
प्रशान्त

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 1 अपठितावबोधनम्

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Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 1 अपठितावबोधनम्

अभ्यासः

I. अधोलिखित-परिच्छेदं पठित्वा अभ्यासप्रश्नानाम् उत्तर प्रदत्त। गोदावरीतीरे विशाल: शाल्मलीतरुः आसीत्। तत्र पक्षिणः निवसन्ति स्म। अथ कदाचित् रात्रौ कश्चिद् व्याधः तत्र तण्डुलान् विकीर्य जालं च विस्तीर्य प्रच्छन्नो भूत्वा स्थितश्य। प्रात:काले चित्रग्रीवनामा कपोतराजः सपरिवारः आकाशे तान् तण्डुलकणान् अपश्यत्। ततः कपोतराजः तण्डुललुब्धान् कपोतान् प्रत्याह-“कुतोऽत्रनिर्जने वने तण्डुलकणानां सम्भवः। भद्रमिदं न पश्यामि। संभवतः कोऽपि व्याधः अत्र भवेत्। सर्वथा अविचारित कर्म न कर्तव्यम्।” परं तस्य वचनं तिरस्कृत्य कश्चित् तरुणः कपोत: सदर्पमाह-आः! किमेवमुच्यते।

वृद्धानां वचनं ग्राह्यमापत्काले ह्युपस्थिते।
सर्वत्रैवं विचारेण भोजनेऽप्यप्रवर्तनम्

एतदाकये सर्वे कपोताः तत्र उपविष्टाः जाले च निबद्धाः अभवन्। यतो हि-बहुश्रुता अपि लोभमोहिताः क्लिश्यन्ते।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) आपत्काले केषां वचनं ग्राह्यम्?
उत्तर:
वृद्धाणाम्

(ख) विशाल: शाल्मलीतरुः कुत्रसीत?
उत्तर:
गोदावरीतीरे

(ग) व्याधः कान् विकीर्य प्रच्छन्नो भूत्वा स्थितः?
उत्तर:
तण्डुलान्

(घ) सर्वथा कीदृशं कर्म न कर्तव्यम्?
उत्तर:
अविचारितम्

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) कपोतराजः कान् प्रत्याह?
उत्तर:
तण्डुललुब्धान् कपोतान् प्रत्याह।

(ख) के कदा क्लिश्यन्ते?
उत्तर:
बहुश्रुता अपि लोभमोहिताः क्लिश्यन्ते।

प्रश्न 3.
भाषिककार्यम् –

(क) ‘विशाल: शाल्मलीतरुः आसीत्।’ अत्र विशेषणपदं किम्?
उत्तर:
विशाल:

(ख) ‘तरुणः कपोतः सदर्पम् आह’ इति वाक्ये क्रियापदं चित्वा लिखत।
उत्तर:
आह

(ग) ‘तत्र रात्रौ पक्षिणः निवसन्ति स्म’, इति वाक्ये कर्तृपद चित्वा लिखत।
उत्तर:
दक्षिणः

(घ) ‘वृद्धः’ इत्यस्य किं विलोमपदं गद्यांशे प्रयुक्तम्?
उत्तर:
तरुणः

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षकं दीयताम्।
उत्तर:
लोभः न कर्तव्यः।

II. समयो हि अन्येषां वस्तूनाम् अपेक्षया अधिक: महत्त्वपूर्णः मूल्यवान् च वर्तते। अन्यानि वस्तूनि विनष्टानि पुनरपि लघु शक्यन्ते परं समयो विनष्टो न केनापि उपायेन पुनः परावर्तयितुं शक्यते। जनाः द्विधा समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति-व्यर्थयापनेन अकार्यकरणेन च। अनेके जनाः कार्यसम्पादने समर्थाः अपि निरर्थक समयं यापयन्ति। इतस्ततः भ्रमन्ति, अप्रयोजनं गृहे-गृहे अटन्ति। ते तु स्वार्थाय न च परार्थाय किञ्चित् कार्य कुर्वन्ति। न धर्मम् आचरन्ति न धनम् उपार्जन्ति, तेषां जन्म निरर्थकं भवति। भूमिरपि एतादृशानां निष्क्रियाणां भार वोदू नेच्छिति। ईदृशाः जनाः कस्मै अपि न रोचन्ते न वा कश्चित् तेभ्यः आश्रयमेव दातुमिच्छति। ते यत्र-यत्र गच्छन्ति ततः एव बहिष्क्रियन्ते। पितरौ अपि एतादृशान् तनयान् न अभिनन्दतः। अतः अस्माभिः आलस्यं विहाय सर्वदैव समयस्य सदुपयोगः कर्तव्यः।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) पितरौ एतादृशान् कान् नाभिनन्दतः?
उत्तर:
तनयान्

(ख) क: विनष्टः परावर्तयितुं न शक्यते?
उत्तर:
समयः

(ग) का निष्क्रियाणां भारं वोढुं नेच्छति?
उत्तर:
भूमिः

(घ) किं विहाय समयस्य सदुपयोगः कर्तव्यः?
उत्तर:
आलस्यम्

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) केषां जन्म निरर्थकं भवति?
उत्तर:
अनेके जनाः कार्यसम्पादने समर्थाः अपि निरर्थक समय यापयन्ति। इतस्ततः भ्रमन्ति, अप्रयोजनं गृहे-गृहे अटन्ति। ते तु स्वार्थाय न च परार्थाय किञ्चित् कार्यं कुर्वन्ति। न धर्मम् आचरन्तुि, न धनम् उपार्जन्ति, तेषा जन्म निरर्थकं भवति।

(ख) अन्येषां वस्तुनामपेक्षया समयः किमर्थमधिकः महत्त्वपूर्णः मूल्यवान् च?
उत्तर:
समयो हि अन्येषां वस्तूनाम् अपेक्षया अधिक: महत्त्वपूर्णः मूल्यवान् च वर्तते। अन्यानि वस्तूनि विनष्टानि पुनरपि लब्धुं शक्यन्ते परं समयो विनष्टो न केनापि उपायेन पुनः परावर्तयितुं शक्यते।

प्रश्न 3.
भाषिककार्यम् –

(क) ‘यावान् काल: निरर्थकः गतः सः गतः एव’ इति वाक्ये अव्ययपदं किम् इति चित्वा लिखत।
उत्तर:
एव

(ख) ‘सदुपयोगः’ इत्यस्य पदस्य किं विलोमपदं गद्यांशे प्रयुक्तम्?
उत्तर:
दुरुपयोगः

(ग) अनेके जनाः’ इत्यस्य विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
जनाः

(घ) ‘पुत्रान्’ इत्यस्य कृते गद्यांशे किं पदं प्रयुक्तम्?
उत्तर:
तनयान्

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षक दीयताम्।
उत्तर:
समयस्य सदुपयोगः

III. जयदेवः वेदशास्त्रज्ञः सदाचारी वयोवृद्धः च आसीत्। तस्य पुत्र धनेशः विद्वान् पितृभक्तश्चासीत्। सः पितुः सकाशादेव वेदशास्त्राणाम् अध्ययनं करोति स्म। श्रद्धया च तं सेवते। धनेशः सर्वदा अव्यवधानेन पित्रोः वचनं पालयति स्म। पित्रोः सेवायाम् अध्ययने चैव तस्य समयः गच्छति स्म। तस्य सेवया पितरौ सर्वदा स्वस्थौ प्रसन्नी चास्ताम्। एतत्सर्वं दृष्ट्वा एकदा नगेन्द्रः नाम शिष्यः धनेशमपृच्छत्-हे धनेश! कि जीवनपर्यन्तम् एवमेव पितृसेवायाः कार्य करिष्यसि? त्वं जीवनस्य किम् उद्देश्यम् मन्यसे? प्रश्नौ निशम्य धनेशः साश्चर्यम् उदतरत्-भोः मित्र! किं त्वं ‘पित्रो: सेवया एव विज्ञानम्’ इति सूत्रं न श्रुतवान्। अहं तयोः सेवया एव आत्मानं गौरवान्वितम् अनुभवामि। कालक्रमेण धनेशः लोकविश्रुतः विद्वान् अभवत्।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) धनेश: कयोः सेवायां समयं यापयति स्म?
उत्तर:
पित्रोः

(ख) क: विद्वान् पितृभक्तश्चासौत्?
उत्तर:
धनेशः

(ग) कः धनेशं जीवनस्य अभिप्रायम् अपृच्छत्?
उत्तर:
शिष्यः

(घ) आचार्यस्य नाम किम् आसीत्?
उत्तर:
जयदेवः

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) धनेशस्य समयः कथं गच्छति स्म?
उत्तर:
धनेशस्य समयः पित्रोः सेवायाम् अध्ययने चैव गच्छति सम।

(ख) नगेन्द्रस्य प्रश्नौ निशम्य धनेशः साश्चर्यम् किम् उदतरत्?
उत्तर:
प्रश्नौ निशम्य धनेशः साश्चर्यम् उदतरत्-भोः मित्र! किं त्वं ‘पित्रोः सेवया एव विज्ञानम्’ इति सूत्र न श्रुतवान्। अहं तयोः सेवया एव आत्मानं गौरवान्वितम् अनुभवामि।

प्रश्न 3.
यथानिर्देशम् उत्तरत –

(क) ‘तस्य पुत्रः धनेशः’ इत्यत्र ‘तस्य’ इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्?
उत्तर:
जयदेवाय

(ख) ‘श्रुत्वा’ इति पदस्य किं समानार्थकपदं गद्यांशे प्रयुक्तम्?
उत्तर:
निशम्य

(ग) ‘पितरौ सर्वदा स्वस्थौ प्रसन्नौ चास्ताम्’ अत्र क्रियापदं चित्वा लिखत।
उत्तर:
आस्ताम्

(घ) ‘मातुः’ इति पदस्य किं विलोमपदं गद्यांशे प्रयुक्तम्?
उत्तर:
पितुः

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षकं दीयताम्।
उत्तर:
पितुः भक्तः धनेशः, पित्रो: सेवया एव विज्ञानम्

IV. अमर्त्य सेनः इति नाम एव संस्कृतमयम्। अस्य जन्म शान्तिनिकेतने अभवत्। शान्तिनिकेतनस्य संस्थापक: गुरुदेवः रवीन्द्रनाथठाकुरः अस्य नामकरणं कृतवान्। बालकस्य नामकरणं कुर्वन् सः उक्तवान् आसीत्-‘अमर्त्यसेनः इत्येतत् पद संस्कृत मूलम्। शान्तिनिकेतने वसन् अमर्त्य सेनः संस्कृताभ्यास कृतवान् सः ‘स्वपितामहः श्री क्षितीश मोहन सेन इव संस्कृतस्य प्रसिद्धः विद्वान् भवेयम्’ इति इच्छति स्म। उच्चशिक्षाप्राप्त्यर्थ स आंग्लदेशम् अगच्छत् तत्र ‘अर्थशास्त्रस्य’ विशदम् अध्ययनं कृत्वा प्राध्यापकः अभवत्। अध्यापन-समये सः अर्थशास्त्रविषयकी महतीं गवेषणाम् अकरोत्। अध्यापन-कार्य समाप्य श्रीअमर्त्यसेनः भारतं प्रत्यावर्तत। भारत-सर्वकारः तस्य वैदुष्यं विद्वत्तां च समादरन् तस्मै ‘भारतरत्नम्’ इति सम्मान दत्तवान् जयतु एषः संस्कृतपुत्रः, अर्थशास्त्री च।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) अमर्त्य सेनस्य जन्म कुत्र अभवत्?
उत्तर:
शान्तिनिकेतने

(ख) अमर्त्यसेनाय ‘भारतरत्नम्’ इति सम्मान क: दत्तवान्?
उत्तर:
भारत-सर्वकारः

(ग) अमर्त्यसेनः उच्चशिक्षार्थं कुत्र अगच्छत्?
उत्तर:
आंग्लदेशम्

(घ) अमर्त्य सेनः कुत्र संस्कृताभ्यासं कृतवान्?
उत्तर:
शान्तिनिकेतने

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) अमर्त्य सेनस्य नामविषये रवीन्द्रनाथः ठाकुर किम् उक्तवान्?
उत्तर:
‘अमर्त्य सेनः’ इत्येतत् पदं संस्कृत-मूलम्।

(ख) अध्यापनसमये सः किं कृतवान?
उत्तर:
अध्यापन-समये सः अर्थशास्त्रविषयकी महतीं गवेषणाम् अकरोत्।

प्रश्न 3.
यथानिर्देशम् उत्तरत –

(क) ‘अस्य जन्म शान्तिनिकेतने अभवत्।’ इत्यस्मिन् वाक्ये ‘अस्य’ इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्?
उत्तर:
श्री अमर्त्यसेनाय

(ख) ‘अमर्त्यसेनः संस्कृताध्यासं कृतवान्। गद्यांशेऽस्मिन् कर्तृपद चित्वा लिखत।
उत्तर:
श्री अमर्त्य सेनः

(ग) ‘अगच्छत्’ इति क्रियापदस्य किं विलोमपदम् अत्र पयुक्तम्?
उत्तर:
प्रत्यावर्तत

(घ) ‘महतीं गवेषणाम्’ अत्र विशेषणपदं किम्?
उत्तर:
महतीम्

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षक दीयताम्।
उत्तर:
संस्कृतपुत्रः अर्थशास्त्री भारतरत्नम् च श्री अमर्त्यसेनः

V. विगतसप्ताहे अस्माकं विद्यालयपक्षतः शैक्षणिकयात्राप्रसने वयम् उज्जयिनी प्रति अगच्छामा उज्जयिनीं भारतस्य इतिहास धर्म-दर्शन-कला-साहित्य-योग-ज्योतिषादीनां च केन्द्रम् अस्ति। अत्र स्थितस्य महाकालेश्वरस्य कारणेनापि अस्याः विशिष्ट महत्त्वम्। एषा अवन्तिका, विशाला, प्रतिकल्पा, कुमुदवती, स्वर्णशृंगा इति नामभिरपि शास्त्रेषु वर्णिता। अत्रत्या वेधशालाऽपि अतिविशिष्टा। जनाः वेधशाला ‘यन्त्रभवनम्’ इत्यपि वदन्ति। इयम् आंग्लभाषायाम् ‘आब्जर्वेटरी’ इत्यपि कध्यते। शैक्षणिकयात्राप्रसंगात् अस्याः विशिष्टावलोकनम् अस्माभिः कृतम्। एषा वेधशाला उज्जयिन्याः दक्षिणभागे क्षिप्रायाः उत्तरतटे उन्नतभूभागे स्थिताऽस्ति। कर्करेखा इतः एव निर्गता। इदं स्थानं गणितस्यापि अधारस्थलम्। अष्टादशशताब्या राज्ञा जयसिंहेन ज्योतिषानुरागवशात् वेधशालायाः निर्माण कारितम्। ग्रहाणां प्रत्यक्षवेधनाय जयसिंह उज्जयिन्याम् काश्याम् देहल्याम् जयपुरे मधुरायां च वेधशालानां निर्माणम् अकारयत्। वस्तुतः वेधशाला वीक्ष्य मनसि गौरवमनुभवामि यत् प्राचीनकालेऽपि अस्माकं पूर्वजानां गणितस्य ग्रहनक्षत्राणाञ्च ज्ञानम् अद्भुतं वैज्ञानिकञ्चासीत्।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) वेधशाला कस्याः उत्तरतटे स्थिता अस्ति?
उत्तर:
क्षिप्रायाः

(ख) विद्यालयपक्षतः वयं कुत्र अगच्छाम?
उत्तर:
उज्जयिनीम्

(ग) वेधशालायाः एकम् अपरं नाम लिखत?
उत्तर:
यन्वभवनम्

(घ) वेधशाला कास्य आधारस्थलम्?
उत्तर:
गणितस्य

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) जयसिंहः कुत्र-कुत्र वेधशालानां निर्माणम् अकारयत्?
उत्तर:
जयसिंहः उज्जयिन्याम् काश्याम् देहल्याम् जयपुरे मथुरायां च वेधशालानां निर्माणम् अकारयत्।

(ख) उज्जयिनी केषां केन्द्रम् वर्तते?
उत्तर:
उज्जयिनी भारतस्य इतिहास-धर्म-दर्शन-कला-साहित्य-योग-ज्योतिषादीनां च केन्द्रम् अस्ति।

प्रश्न 3.
यथानिर्देशम् उत्तरत –

(क) ‘दृष्ट्वा’ इत्यर्थे किं पदम् अनुच्छेदे प्रयुक्तम्?
उत्तर:
वीक्ष्य

(ख) ‘उत्तरभागे’ इति पदस्य विपरीतार्थपदम् अनुच्छेदात् चित्वा लिखत।
उत्तर:
दक्षिणभागे

(ग) ‘शैक्षणिकयात्राप्रसङ्गात् अस्याः विशिष्टावलोकनम् अस्माभिः कृतम्’-अत्र ‘अस्याः’ इति सर्वनामपदं कस्यै प्रयुक्तम्?
उत्तर:
वेधशालायै

(घ) ‘अस्माकं पूर्वजानां ज्ञानम् अद्भुतं वैज्ञानिकञ्चासीत्’ इत्यस्मिन् वाक्ये विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
ज्ञानम्

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षक दीयताम्।
उत्तर:
उज्जयिन्याः वर्णनम्/उज्जयिन्याः यात्रावर्णनम्

VI. पञ्चदश-शताब्द्यां निर्मितं ‘लोधी गार्डन’ इति प्रसिद्धम् उपवनं नवदेहलीक्षेत्रे स्थितमस्ति। नवतिः एकड-परिमित बृहदाकारकम् इदमुपवनम्। अत्र शताधिक वर्षेभ्यः प्राचीनाः पादपाः सन्ति। तेषु वटवृक्षः अश्वत्थः निम्ब: किंशुक: आम्रम् देवदारुः इंगुदीः सिंसपाः आमलकवृक्षः बिल्वः अर्जुनः च प्रमुखाः सन्ति। सरणिषु स्थिताः वृक्षाः दर्शकानां मनांसि हरन्ति। प्रतिदिन सहस्रशः जनाः अत्र विहाराय आगच्छन्ति। लक्षशः खगाश्च अत्राश्रयं प्राप्नुवन्ति। इदम् उपवनम् चतुर्भागेषु विभिक्तम्। एकत्र पुष्पारामः विराजते। अस्मिन् आरामे मुख्यतया पाटलम् नवमल्लिका उत्पलम् जपाकुसुमम् शेफालिका बकुलपुष्पम् रजनीगन्धा यूथिका च सन्ति। पुष्याणां शोभा दर्शकानां मनः प्रसादयति। मधुगन्धिनः भ्रमराः पुष्पेषु उडयन्ते। पुष्पेभ्यः मधुररसं नीत्वा मधुमक्षिकाः मधुसञ्चयं कुर्वन्ति। अस्मिन् उपवने विद्युन्निर्झराः वातावरणं मनोहरम् शीतलञ्च कुर्वन्ति। अत्र भ्रान्त्वा रुग्णाः अपि जनाः स्वास्थ्यलाभं कुर्वन्ति। कदाचिदस्माभिः अत्र भ्रमणाय गन्तव्यमेव।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) ‘लोधीगार्डन’ इति उपवनम् कति भागेषु विभक्तम्
उत्तर:
चतुर्पु (चतुर्भागेषु)

(ख) भ्रमराः कुत्र उड्डयन्ते?
उत्तर:
पुष्पेषु

(ग) रुग्णाः जनाः किं कृत्वा स्वास्थ्यलाभं कुर्वन्ति?
उत्तर:
भ्रान्त्वा

(घ) केषां शोभा दर्शकानां मनः प्रसादयति?
उत्तर:
पुष्पाणाम्

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) ‘लोधी-गार्डन’ इति नामके उपवने के प्रमुखाः वृक्षाः सन्ति?
उत्तर:
‘लोधी-गार्डन’ इति नामके उपवने वटवृक्षः अश्वत्थः निम्बः किंशुकः आम्रम् देवदारुः इंगुदीः सिंसपाः आमलकवृक्षः विल्वः अर्जुन: च प्रमुखा: वृक्षाः सन्ति।

(ख) पुष्पारामे उपलब्धानां केषाञ्चित् पुष्पाणां नामानि लिखत। उत्तर: पुष्पारामे उपलब्धानां मुख्यतया पाटलम् नवमल्लिका उत्पलम् जपाकुसुमम् शेफालिका बकुलपुष्पम् रजनीगन्धा ।
उत्तर:
यूथिका च सन्ति।

प्रश्न 3.
यथानिर्देशम् उत्तरत –

(क) गद्यांशात् संख्यावाचकमेकं पदं चित्वा लिखत।
उत्तर:
नवतिः

(ख) ‘मधुगन्धिनः भ्रमराः’ अत्र किं विशेषणपदं प्रयुक्तम्?
उत्तर:
मधुगन्धिनः

(ग) ‘स्वस्थाः इति पदस्य किं विलोमपदं गद्यांशे प्रयुक्तम्?
उत्तर:
रुग्णाः

(घ) ‘सहस्रशः जनाः भ्रमणाय आगच्छन्ति’ अत्र कर्तृपदं किम्।
उत्तर:
जनाः

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षकं दीयताम्।
उत्तर:
‘लोधी गार्डन’, ‘देहल्याः प्रसिद्धम् उपवनम् लोधी गार्डन’

VII. अम्ब अहमपि अनुजेन देवेशेन सह क्रीडितुं बहिर्गच्छामि, द्वारं पिधेहि कृपया।” पुत्र्याः इदं वचः निशम्य रमा स्वशैशवं प्राप्ता विचारमग्ना चाभवत्-यदा ममानुजः क्रीडनाय बहिर्गच्छति स्म तदा अहं स्वपितृभ्यां गृहकार्यार्थ पठनार्थ चैव प्रेरिता येनाऽहं गृहस्योत्तरदायित्वनिर्वाहे शिक्षाक्षेत्रे च श्रेष्ठाऽभवम्। परमद्यापि एका कुण्ठा मनसि यदा-कदा जायते यदहं पाठ्यसहगामिक्रियासु क्रीडासु वा कदापि उत्तम प्रदर्शनं कर्तुं समर्था नाऽभवम्। अद्य मत्सदृश्य: नार्यः वायुयानं चालयन्ति ताः शिक्षिकाः चिकित्सिकाः अधिकारिण्यः प्रशासिकाः वा भूत्वा गृहस्योत्तरदायित्त्वमपि निर्वहन्ति। कः दोषः असीन्मम यत् निपुणा सत्यपि अहमेतादृशं किमपि कर्तुं नापारयम्। अस्तु तावत्! चिन्तयाऽलम्। अहं पुत्र्यै तादृश्यः सर्वाः सुविधाः अवश्यमेव प्रदास्यामि येन तस्याः मनसि एतादृश्याः कुण्ठायाः अवकाशः एव न स्यात्।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) रमा काभ्यां गृहकार्यार्थं पाठनार्थं च प्रेरिता?
उत्तर:
स्वपितृभ्याम्

(ख) रमा कस्यै सर्वाः सुविधाः प्रदास्यति?
उत्तर:
पुत्र्यै

(ग) रमायाः पुत्री केन सह क्रीडितुं बहिर्गच्छति?
उत्तर:
अनुजेन (देवेशेन)

(घ) रमा कास्य निर्वाहे श्रेष्ठा अभवत्?
उत्तर:
गृहस्योत्तरदायित्वस्य

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) पुत्र्याः किं वचः निशम्य रमा स्वशैशव प्राप्ता?
उत्तर:
“अम्ब! अहमपि अनुजेन देवेशेन सह क्रीडितुं बहिर्गच्छामि, द्वारं पिधेहि कृपया।”

(ख) रमायाः मनसि यदा कदा कीदृशी कुण्ठा जायते?
उत्तर:
यदा-कदा जायते यदहं पाठ्यसहगामिक्रियासु क्रीडासु वा कदापि उत्तम प्रदर्शन कर्तुं समर्था नाऽभवम्। अद्य मत्सदृश्यः नार्यः वायुयानं चालयन्ति ताः शिक्षिकाः चिकित्सिकाः अधिकारिण्यः प्रशासिकाः वा भूत्वा गृहस्योत्तरदायित्त्वमपि निर्वहन्ति। कः दोषः असीन्मम यत् निपुणा सत्यपि अहमेतादृशं किमपि कर्तुं नापारयम्।

प्रश्न 3.
यथानिर्देशम् उत्तरत –

(क) ‘एतादृश्याः कुण्ठायाः अवकाशः एव न स्यात्’-अत्र किं विशेष्यपदम्?
उत्तर:
कुण्ठायाः

(ख) ‘मत्सदृश्य: नार्यः’ वायुयानं चालयन्ति “इति वाक्ये किं कर्तृपदम्?
उत्तर:
नार्यः

(ग) ‘द्वार पिधेहि कृपया’ अत्र किं क्रियापदम्?
उत्तर:
पिधेहि

(घ) ‘अस्तु तावत्’ अनयोः पदयोः किम् अव्ययपदम्?
उत्तर:
तावत्

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षकं दीयताम्।
उत्तर:
रमायाः कुण्ठा/रमायाः मनसः कुण्ठा

VIII. नकुलः प्रतिदिन प्रातः स्यूतकमादाय महाविद्यालयं गच्छति सायंकाले च कदा आगमिष्यति इति तु अनिश्चितः एव। पितरौ एतत्सर्व दृष्ट्वा आहती भवतः। पुत्रं बेधवितुञ्च प्रयत्नम् अकुरुताम् परं नकुलः किमपि शृणोति। एकदा पुत्र प्रबोधयन्ती माता रुदन्ती वदति यत् धिङ् मम जीवितम्, यस्या सूनुरपि अविश्वसिति, मनोगतं भावमेव न ज्ञापयति। मातु: एतादृशेन व्यवहारेण साश्रुनयनः पुत्रः वदति-मातः! अद्यत्वे मम मित्राणि मा मद्यपानाय प्रेरयन्ति। तैः सह अहमपि सानन्द मद्यपानं धूम्रपानमपि च करोमि खाद्याखाद्यं च खादामि। बहुधा मित्राणि प्रति ‘न’ इति वक्तुमिच्छामि परमसमर्थः एवात्मानं पश्यामि मित्रतावशात्। मातः। कर्तव्याकर्तव्यमपि विस्मृतं मया। दर्शय मां सन्मार्गम्। एवंभूतं पुत्रं स्नेहेन लालयन्ती माता तमबोधयत् यत्-‘त्यज दुर्जनसंसर्गम्, समानशीलव्यसनेषु चैव सख्यं करणीयमिति’। मातः वात्सल्यमयेन बोधनने नकुलः दुर्जनसंसर्ग त्यक्तुं दृढनिश्चयं करोति।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) ‘धिङ् मम जीवितम्’ इति का वदति?
उत्तर:
माता

(ख) को आहतौ भवतः?
उत्तर:
पितरौ

(ग) माता पुत्रं किं तयक्तुम् अकथयत्?
उत्तर:
दुर्जनसंसर्गम्

(घ) नकुलः मित्राणि प्रति किं वक्तुमिच्छति स्म?
उत्तर:
‘न’ इति

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) नकुलः मित्रैः सह किं किं करोति स्म?
उत्तर:
नकुलः मित्रैः सह धूम्रपान, मद्यपानं च करोति स्म।

(ख) स्नेहेन लालयन्ती माता पुत्रं किं बोधयति?
उत्तर:
स्नेहेन लालयन्ती माता पुत्र बोधयति-त्यज दुर्जनसंसर्गम्, समानशीलव्यसनेषु चैव सख्यं करणीयमिति’।

प्रश्न 3.
यथानिर्देशम् उत्तरत –

(क) अद्यत्वे मम मित्राणि मां मद्यपानाय प्रेरयन्ति’-अत्र किमव्ययपदम्?
उत्तर:
अद्यत्वे

(ख) ‘साश्रुनयनः पुत्रः वदति’-अत्र किं विशेषणपदम्?
उत्तर:
साश्रुनयनः

(ग) ‘अनेकशः’ इति पदस्य किं समानार्थकपदं गद्यांशे प्रयुक्तम्?
उत्तर: बहुधा

(घ) गद्यांशे ‘शत्रून्’ इति पदस्य किं विलोमपदं प्रयुक्तम्?
उत्तर:
मित्राणि

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षकं दीयताम्।
उत्तर:
दुर्जन संसर्गस्य दुष्प्रभाव:

IX. एकः काष्ठहारः काष्ठान्यानेतुं वनमगच्छत्। तत्र सहसैव वृक्षध्वनि श्रुत्वा तिष्ठति। वृक्षः समीपस्थं कर्तित वृक्षं दृष्ट्वा रुदन्निव वदति स्म, घः एकः काष्ठहारः काष्ठाय मम मित्रस्य शरीरमच्छिनत्। छेदनेनास्य शरीरे व्रणान् दृष्ट्वातीव दु:खितोऽहम्। सः तु आपणं गतवान पर न कोऽप्यस्त्यत्र योऽस्य व्रणानामपचार करोतु। किमर्थ विस्मरन्ति जनाः यदस्माकं शरीरं न केवलं काष्ठविक्रवणाय एवास्ति अपितु वायोः शुद्धीकरणाय, कूहानाशनाय, आतपेन श्रान्तेभ्यः पथिकेभ्यः, पशुभ्यश्च छायाप्रदानाय, खगेभ्यः निवासाय, व्याधितेभ्यः औषधये, बुभुक्षितेभ्यः फलप्रदानाय चाप्यस्ति। काष्ठविक्रयेण तु केवलमेकवारमेव एकस्यैव लाभ: जायते परमनेन चिरकालपर्यन्तं विविधाः प्राणिनः निराश्रिताः भवन्ति। फलौषधीनां प्राप्तिरपि दुर्लभा भवति। एवमेव एकैकं कृत्वाऽस्माकं सर्वेषां कर्तनेन वसन्तादीनां ऋतूनां महत्त्वमपि विलुप्त भविष्यति। इदं सर्व श्रुत्वा खिन्नमनः काष्ठहारः वृक्षकर्तनात् विरम्य वृक्षारोपणम् आरब्धवान्।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) काष्ठहारः किं श्रुत्वा तिष्ठति?
उत्तर:
वृक्षध्वनिम्

(ख) वृक्षस्य वार्ता श्रुत्वा काष्ठहारः कीदृशः अभवत्?
उत्तर:
खिन्नमनः

(ग) काष्ठहारः काष्ठानि नीत्वा कुत्र गतवान्?
उत्तर:
आपणम्

(घ) वृक्षाः कस्य शुद्धीकरणाय भवन्ति?
उत्तर:
वायोः

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) वृक्षः किमर्थं दुःखितः आसीत्?
उत्तर:
वृक्षः काष्ठहारेण छिन्नशरीरस्य वृक्षस्य व्रणान् दृष्ट्वा दुःखितः आसीत्।

(ख) वृक्षाणां कर्तनेन केषां महत्त्वं विलुप्तं भविष्यति?
उत्तर:
वसन्तादीनां ऋतूणां महत्त्वमपि विलुप्तं भविष्यति।

प्रश्न 3.
यथानिर्देशम् उत्तरत –

(क) ‘वृक्षः समीपस्थं वृक्षं दृष्ट्वा रुदन्निव वदति’-अस्मिन् वाक्ये किं विशेषणपदम्?
उत्तर:
समीपस्थम्

(ख) ‘आश्रिताः’ इति पदस्य कृते किं विलोमपदम् अनुच्छेदे प्रयुक्तम्?
उत्तर:
निराश्रिताः

(ग) ‘विलोक्य’ इत्यर्थे किं पदम् अनुच्छेदे प्रयुक्तम्?
उत्तर:
दृष्ट्वा

(घ) ‘ह्यः एकः काष्ठहार: मम मित्रस्य शरीरमच्छिनत्’-अत्र किम् अव्ययपदम्।
उत्तर:
छः

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षकं दीयताम्।
उत्तर:
वृक्षाणां महत्त्वम्

X. विज्ञानस्य नवीनेषु आविष्कारेषु एकः अतीव उपयोगी आविष्कारः अस्ति-चलभाषियन्त्रम् (मोबाइल इति।) अस्य मुख्य प्रयोजनमासीत् दूरवर्तिना केनापि जनेन सह वार्तालापः सुकरः भवेत् इति। परमद्यत्वे तु चलभाषियन्त्र लघुसङ्गणकमिव वर्तते। एवं प्रातीयते यत् जनाः हस्ते एक सम्पूर्ण जगत् एव नयन्तः गच्छन्ति। अनेन ते न केवलं वार्ता कुर्वन्ति अपितु वार्तया सहैव वक्तारं साक्षात् पश्यन्त्यपि। ईमेल-फेसबुक-व्हाट्सएप-माध्यमैः एतदतीव सुकर संदेशवाहकमपि। अस्य माध्यमेन गमनागमनार्थं शीघ्रमेव वाहनं प्राप्य जनाः सरलतया स्वगन्तव्यं प्राप्नुवन्ति। न केवलमेतदेव अपितु एतत् यन्त्र मनोरञ्जनकारि अपि। बालाः, वृद्धाः युवानः अस्य माध्यमेन विविधक्रीडाभिः मनोरञ्जनक्षमाः भवन्ति। परमेतदपि विचारणीयं यस्य अधिकाधिक प्रयोगः हानिकरः भवति। ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’ इत्यनुरूपेण अस्य यथावश्यकं प्रयोगः एव करणीयः।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत –

(क) किम् अतीव सुकर सन्देशवाहकम्?
उत्तर:
चलभाषियन्त्रम्

(ख) जनाः वार्तया सह साक्षात् कं पश्यन्ति
उत्तर:
वक्तारम्

(ग) किं प्राप्य जनाः स्वगन्तव्यं प्राप्नुवन्ति?
उत्तर:
वाहनम्

(घ) अस्य अधिकाधिकप्रयोगः कीदृशः भवति?
उत्तर:
हानिकरः

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) अस्य मुख्यं प्रयोजन किमासीत्?
उत्तर:
अस्य मुख्य प्रयोजनमासीत् दूरवर्तिना केनापि जनेन सह वार्तालाप: सुकरः भवेत् इति।

(ख) ‘केनापि जनने सह वार्तालाप: सुकरः भवेत्, इत्यत्र किं विशेषणपदम्?
उत्तर:
बालाः, वृद्धाः युवानः अस्य माध्यमेन विविधक्रीडाभिः मनोरञ्जनक्षमाः भवन्ति।

प्रश्न 3.
यथानिर्देशम् उत्तरत –

(क) ‘लब्वा’ इत्यर्थे किं पदं गद्यांशेऽस्मिन् प्रयुक्तम्?
उत्तर:
प्राप्य

(ख) ‘केनापि जनेन सह वार्तालाप: सुकरः भवेत्’ इत्यत्र किं विशेषणपदम्?
उत्तर:
केन, सुकरः

(ग) ‘अस्य यथावश्यकं प्रयोगः एव करणीयः’ इति अत्र किं क्रियापदम्?
उत्तर:
करणीयः

(घ) ‘चलभाषियन्त्र’ लघुसङ्गणकमिव वर्तते’ इति अत्र किम् अव्ययपदम्।
उत्तर:
इव

प्रश्न 4.
उपरोक्तगद्यांशस्य उचितं शीर्षकं दीयताम्।
उत्तर:
चलदूरभाष यन्त्रस्य महत्त्वम्