NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद की जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं? [Imp.]
उत्तर:
लेखक हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है, उससे प्रेमचंद की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर आती हैं-

  • प्रेमचंद का व्यक्तित्व संघर्षशील था। वे अभावों में जीते हुए भी संघर्ष करते रहे।
  • प्रेमचंद सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों को दूर करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे।
  • प्रेमचंद दिखावे से दूर रहकर एवं आडंबरहीन जीवन जीते थे।
  • प्रेमचंद मर्यादित. जीवन जीते थे।
  • वे महान साहित्यकार थे जिन्होंने समाज के उपेक्षित वर्ग के जीवन को अपनी कृतियों में स्थान दिया।

प्रश्न 2.
सही कथन के सामने () का निशान लगाइए
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 1

प्रश्न 3.
नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रही है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। [Imp.]
(ख) तुम पर्दे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं। [Imp.][CBSE]
(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो? [Imp.]

उत्तर:
(क) जूता धनवान, शक्ति और सत्तासीन लोगों का प्रतीक है जबकि टोपी ज्ञानवान और गुणवानों का। दुर्भाग्य से समाज में सदा से ही ज्ञानवानों की अपेक्षा धनवानों को मान-सम्मान प्रदान किया गया है। ज्ञानवानों को सदा ही धनवानों के सामने झुकना पड़ा है। कुछ ज्ञानवान भी अपना स्वाभिमान भुलाकर दूसरों के जूतों पर कुरबान होते आए हैं।

(ख) प्रेमचंद आडंबर एवं दिखावे से दूर रहने वाले व्यक्ति थे। वे जिस हाल में थे, उसी में खुश रहते थे। उनके पास दिखावा करने योग्य कुछ न था। इसके विपरीत कुछ लोग अपनी कमियों को छिपाने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं। लेखक ने लोगों की इसी प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है।

(ग) यह एक सामान्य-सा नियम है कि व्यक्ति जिस वस्तु को घृणा के योग्य समझता है उसे पैर से इशारा करता है। यहाँ प्रेमचंद सामाजिक कुरीतियों एवं बुराइयों को घृणित समझते थे। वे उनकी ओर पैर की उँगली से इशारा करके उनसे संघर्ष करते रहे।

प्रश्न 4.
पाठ में एक जगह पर लेखक सोचती है कि ‘फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।’ आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?
उत्तर:
प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं

  1. लोग प्रायः ऐसा सोचते और करते हैं कि दैनिक जीवन में साधारण कपड़ों का प्रयोग करते हैं और विशेष अवसरों के लिए वे अच्छे कपड़े रखते हैं। प्रेमचंद के पास शायद दूसरी पोशाक नहीं थी।
  2. लेखक सोचता है कि सादा जीवन जीने वाला यह आदमी भीतर-बाहर सब एक-सा है। इसका दोहरा व्यक्तित्व नहीं है, इन्होंने कभी दिखावटी जीवन नहीं जिया।

प्रश्न 5.
आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?
उत्तर:

  1. प्रेमचंद की वेषभूषा देखकर लेखक उनकी पोशाक पर टिप्पणी करता है पर तुरंत ही अपनी टिप्पणी बदल लेता है।
  2. समाज में फैली दिखावे की प्रवृत्ति सच्चा चित्रण है।
  3. समाज में फैली रुढ़ियाँ, कुरीतियाँ व्यक्ति की राह में रोड़ा उत्पन्न करती हैं, इसे दर्शाया गया है।
  4. लेखक प्रेमचंद के जूते फटे होने के कारणों पर अनेक संभावनाएँ प्रकट करता है।
  5. कुंभनदास का प्रकरण एकदम सटीक बन पड़ा है।

प्रश्न 6.
पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा? [CBSE]
उत्तर:
‘टीला’ रास्ते में आने वाला वह अवरोध है जिसको लाँघना कठिन होता है। यहाँ व्यंग्य
में टीला शब्द का प्रयोग प्रेमचंद के जीवन में आने वाली सामाजिक कठिनाइयों के लिए किया गया है, जिसे पंडित, पुरोहित, मौलवी, जमींदार आदि समाज के कथित ठेकेदारों ने खड़ी की है। इनके कारण ही ऊँच-नीच की भावना, जाति-पाँति, छूआछूत, बाल-विवाह, शोषण, बेमेल विवाह, अमीर-गरीब की भावना आदि टीले के रूप में खड़ी हो मार्ग को अवरुद्ध करती हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
उत्तर:
राजनीति जब से धन कमाने का जरिया बनी है तब से हर गली-मुहल्ले में नेता पैदा हो रहे हैं। कुछ ऐसा ही हमारे पड़ोस में भी है। मेरे घर से चार घर छोड़ते ही पाँचवाँ घर नेताजी का है। लोग बताते तो हैं कि वे दसवीं फेल हैं पर इच्छाएँ बड़ी लंबी। इन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने सफ़ेद कुरता-पायजामा सिलवाया और एक जैकेट लिया। वे पिछले चुनाव में खड़े हुए और भाग्य ने जोर मारा, वे जीत भी गए। विधायक बनते ही जोड़-तोड़कर मंत्री बने। अब वे अपने कुरते-पायजामे का सही उपयोग कर विरोधियों को ठिकाने लगवाया। उन पर हत्या, लूटपाट और अवैध वसूली के मुकदमे दर्ज हुए, पर उन पर कोई असर नहीं पड़ा। वे सर्वत्र अपने सफ़ेद पहनावे के कारण दागों पर सफेदी का चादर डाले घूमते-फिरते हैं। लोग जानते हैं कि इस सफ़ेद कपड़े से उन्होंने कितने दाग छिपा रखे हैं।

प्रश्न 8.
आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है? [CBSE]
उत्तर:
आज के समय में लोगों की सोच और दृष्टिकोण में काफी बदलाव आ गया है। लोग प्रथम मुलाकात में व्यक्ति का स्वागत-सत्कार उसकी वेशभूषा देखकर ही करते हैं। आज गुणी-से-गुणी व्यक्ति भी अच्छे कपड़ों के अभाव में आदरणीय नहीं बन पाता है। ऐसे में लोग अपनी वेशभूषा के प्रति विशेष रूप से सजग हो गए हैं।

लोग अपनी हैसियत जताने के लिए अच्छे कपड़े पहनते हैं। आज सादा-जीवन जीने वालों को पिछड़ा समझा जाने लगा है। अब तो ऐसे भी छात्र-छात्राएँ मिल जाएँगे जिन्हें पढ़ाई की चिंता कम अपने आधुनिक फैशन वाले कपड़ों की अधिक रहती है। संपन्न वर्ग को ऐसा करते देख मध्यम और निम्न वर्ग भी वैसा ही करने को लालायित हो उठा है

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.
पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
मुहावरे – वाक्य प्रयोग
हाँसला पस्त करना – नोटबंदी के कारण छोटे-छोटे दुकानदारों और उद्यमियों के हौंसले पस्त हो गए।
कुएँ के तल में होना – गरीबी के कारण लोगों की हँसी कुएँ के तेल में चली जाती है।
न्योछावर होना – वीर सैनिक देश की आन-बान और शान के लिए युद्ध में न्योछावर हो जाते हैं।
लहूलुहान होना – बस से टकराकर भिखारी लहूलुहान हो गया।
चक्कर काटना – पके आम तोड़ने के लिए कुछ लड़के कब से चक्कर लगा रहे हैं।
ठोकर मारना – पिता के वचनों का मान रखने के लिए राम ने अयोध्या के राज सिंहासन को ठोकर मार दिया।
पहाड़ फोड़ना – मज़दूर आते ही ऐसे पड़ गया मानो पहाड़ फोड़कर आया हो।
संकेत करना – ट्रैफिक पुलिस ने संकेत किया और गाड़ियाँ चल पड़ीं।
टीला खड़ा होना – समाज ने ऐसे नियम बनाए थे कि होरी की राह में कदम-कदम पर टीले खड़े थे।

प्रश्न 10.
प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है

  1.  साहित्यिक पुरखे
  2.  महान कथाकार
  3. उपन्यास सम्राट
  4.  युग प्रवर्तक
  5.  जनता के लेखक।

पाठेतर सक्रियता

• महात्मा गाँधी भी अपनी वेश-भूषा के प्रति एक अलग सोच रखते थे, इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे, पता लगाइए।
उत्तर:
महात्मा गाँधी जीवन में सादगी को बहुत महत्त्व देते थे। वे इसलिए भी सादे और कम कपड़े पहना करते थे क्योंकि भारत के बहुत से गरीब लोगों के पास तन ढकने के लिए वस्त्र नहीं थे। वे कहा करते थे-इस देश में कुछ लोगों के पास एक भी वस्त्र नहीं है। तब कीमती और अधिक वस्त्र रखना उनके साथ अन्याय करना है।

• महादेवी वर्मा ने ‘राजेंद्र बाबू’ नामक संस्मरण में पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का कुछ इसी प्रकार चित्रण किया है, उसे पढ़िए। 
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• अमृतराय लिखित प्रेमचंद की जीवनी ‘प्रेमचंद-कलम का सिपाही’ पुस्तक पढ़िए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए। [CBSE]
(ख) चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
(ग) “आदमीनामा’ शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है?
(घ) इस कविता का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों? [CBSE]
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि मानव के निम्नलिखित रूपों का बखान करती है

  • बादशाही रूप का
  • दीन-हीन निर्धन और फकीर का
  • मालदार आदमी का
  • एकदम कमज़ोर मनुष्य को
  • स्वादिष्ट भोग भोगते इनसान का
  • सूखी रोटियाँ चबाने वाले मनुष्य का।

(ख) कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक-दोनों रूपों का तुलनात्मक प्रस्तुतीकरण किया है। वे रूप इस प्रकार हैं-
          सकारात्मक                             नकारात्मक

  1. बादशाह                                 भिखारी-फकीर और गरीब
  2. मालदार                                 कमज़ोर
  3. भोग भोगता इनसान                 सूखी रोटियाँ खाता इनसान
  4. चोर पर निगाह रखने वाला        उनकी जूतियाँ चुराने वाला
  5. जान न्योछावर करने वाला         जान लेने वाला
  6. सहायता करने वाला                 अपमान करने वाला, सहायता के लिए पुकारने वाला
  7. शरीफ़ लोग                             कमीने लोग
  8. अच्छे लोग                               बुरे लोग

इनके अतिरिक्त आदमी ही सद्गुरु या पीर है और आदमी ही शिष्य है। आदमी ही इमाम है और आदमी ही नमाज़ी है।
(ग) इस कविता के इन अंशों को पढ़कर मेरे मन में मनुष्य के बारे में यह धारणा बनती है कि वह भाग्य और परिस्थितियों का दास होता है। उसकी परिस्थितियाँ ही उसे बादशाह बनाती हैं या फकीर बना देती हैं। कभी वह किसी की पगड़ी उछालता है तो कभी किसी की सहायता करता है। कभी किसी की जान का दुश्मन बन जाता है तो कभी उस पर जान तक न्योछावर कर देता है। कभी वह सहायता के लिए पुकार लगाता है तो कभी किसी की करुण पुकार सुनकर सहायता के लिए दौड़ता है। ये सब रूप उसकी परिस्थितियों के परिणाम हैं। ।
(घ) मुझे निम्नलिखित पंक्तियाँ बहुत सुंदर प्रतीत हुईं –

यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तेग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी।

क्यों-इन पंक्तियों की सरलता, रवानगी और विविधता ने मुझे छू लिया। पहली पंक्ति में जान वारने का चित्रण है तो । दूसरी पंक्ति में जान से मारने का। तीसरी पंक्ति में अपमान करने का चित्रण है तो चौथी में सहायता की पुकार लगाने वाले का। पाँचवीं पंक्ति में सहायता करने वाले का चित्रण है। ये पाँचों बिंब बहुत सजीव बन पड़े हैं।
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न हैं। वह धन-संपदा का स्वामी बनना चाहता है। मालदार, भोगी और बादशाह बनना चाहता है। वह सद्गुरु बनकर लोगों को उपदेश देना चाहता है। इस प्रकार दुनिया भर का सम्मान प्राप्त करना चाहता है। वह करुणावान भी है। इसलिए वह दुखियों की सहायता भी करना चाहता है।
आदमी में पशु जैसा स्वार्थ भी होता है। कभी-कभी वह चोरी, हिंसा, हत्या, अपमान, लड़ाई-झगड़ा आदि बुराइयों में भी लिप्त होता दिखाई देता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अंशों की व्याख्या कीजिए-
(क) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
उत्तर:
नज़ीर अकबराबादी कहते हैं कि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रूप हैं। उनके भाग्य अलग-अलग हैं। कोई बादशाह है। तो कोई दीन-हीन फकीर और भिखारी है। किसी को दुनियाभर का सारा ऐश्वर्य प्राप्त है तो कोई दर-दर का भिखारी है। आदमी में दोनों संभावनाएँ छिपी हुई हैं।

(ख) अशराफ़ और कमीने से ले शाह ती वज़ीर ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
उत्तर:
देखिए अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न ‘4’।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
(क)
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी
उत्तर:
इन पंक्तियों में व्यंग्य यह है कि हर आदमी के स्वभाव और रुचि में अंतर होता है। वह अच्छा बनने पर आए तो कुरआन पढ़ने वाला और नमाज अदा करने वाला सच्चा धार्मिक मनुष्य भी बन सकता है। यदि वह दुष्टता पर आ जाए तो ऐसे पवित्र धार्मिक लोगों की जूतियाँ चुराने का काम भी कर सकता है। कुछ लोग बुराई पर नज़र रखने में रुचि लेते हैं। इस प्रकार अपने-अपने स्वभाव के अनुसार सबके कार्य भिन्न हो जाते हैं।

(ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी |
उत्तर:
इन पंक्तियों में बताया गया है कि मनुष्य को परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न कार्य एवं व्यवहार करने पड़ते हैं। कभी-कभी वह औरों का अपमान करने पर उतारू हो जाता है तो कभी संकट में फँसकर दूसरों की सहायता के लिए पुकार लगाता है। कभी-कभी वह करुणावान बनकर दूसरों की रक्षा करने को तत्पर हो जाता है। आशय यह है कि मनुष्य-स्वभाव में बुराइयाँ और अच्छाइयाँ दोनों हैं। यह उस पर निर्भर है कि वह किस ओर बढ़ चले।

प्रश्न 4.
नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।

  • राज़ (रहस्य)
  • फ़न (कौशल)
  • राज (शासन)
  • फन (साँप का मुँह)
  • ज़रा (थोड़ा)
  • फ़लक (आकाश)
  • जरा (बुढ़ापा)
  • फलक (लकड़ी का तख्ता)।

ज़ फ़ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।
उत्तर:

  1. ज़ – हाज़िर, मज़दूर
  2. फ़ – फ़ासला, रफ़्तार।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए
(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगड़ी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ङ) तेग मारना
उत्तर:
(क) टुकड़े चबाना – मैंने वह गरीबी भी भोगी है जब मुझे जैसे-तैसे टुकड़े चबाकर जीना पड़ा।
(ख) पगड़ी उतारना – आजकल के बच्चे छोटी-छोटी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने बाप की पगड़ी उतार लेते हैं।
(ग) मुरीद होना – जब से मैंने भगवान रजनीश का प्रवचन सुना, तभी से मैं उनका मुरीद हो गया।
(घ) जान वारना – भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करते-करते अपनी जान वार दी।
(ङ) तेग मारना – यदि आदमी क्रोध में आ जाए तो वह किसी को तेग मारने से भी नहीं चूकता।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
अगर ‘बंदर नामा’ लिखना हो तो आप किन-किन सकारात्मक और नकारात्मक बातों का उल्लेख करेंगे।
उत्तर:
सकारात्मक – संवेदनशील, पारिवारिक प्राणी, परिवार की रक्षा, समूह में रहने की कला, स्वाभिमानी स्वभाव, आक्रमण से रक्षा करने का स्वभाव।
नकारात्मक – मनमाने ढंग से विचरण, दूसरों को बिना कारण काटना।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?
उत्तर:
हीरे के प्रेमी उसे साफ़-सुथरा खरादा हुआ और आँखों में चकाचौंध करने वाले रूप में पसंद करते हैं।

प्रश्न 2.
लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
त्तर:
लेखक ने अखाड़े की मिट्टी और धूल से सनने को संसार का सबसे दुर्लभ सुख माना है।

प्रश्न 3.
मिट्टी की आभा क्या हैं? उसकी पहचान किससे होती है?
उत्तर:
मिट्टी की आभा धूल है। उसके रूप और गुण की पहचान उसके धूल से होती है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
उत्तर:
ग्रामीण जीवन में गोधूलि बेला होती है। उस समय वातावरण में उठी हुई धूल शिशु के मुख पर सुशोभित होती है। हर ग्रामीण शिशु इस सुख का अनुभव करता है। अत: ग्रामीण जीवन में धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती।

प्रश्न 2.
हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है? [CBSE]
उत्तर:
हमारी सभ्यता इसलिए धूल से बचना चाहती है क्योंकि वह खुद को प्रगतिशील, आधुनिक और शहरी संस्कृति को अपनाने वाली है। इसका मानना है कि धूल से इनके बनवटी श्रृंगार फीके और धुंधले पड़ जाएँगे। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे भी धूल में न खेलें और न उसे हाथ लगाएँ।

प्रश्न 3.
अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है? [CBSE]
उत्तर:
अखाड़े की मिट्टी विशेष होती है। वह तेल और मट्टे से सिझाई हुई होती है। जब यह पसीने से लथपथ शरीर पर फिसलती है तो ऐसा लगता है कि मानो आदमी कुआँ खोदकर निकला हो।

प्रश्न 4.
श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?
उत्तर:
श्रद्धा, भक्ति और स्नेह की भावना की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन इसलिए है क्योंकि धूल का जुड़ाव व्यक्ति की मातृभूमि से होता है। एक सती स्त्री इसे अपने माथे से लगाती है। योद्धा इसे अपनी आँखों से लगाकर देशभक्ति और देश के प्रति श्रद्धा प्रकट करता है। किसी धूल-धूसरित बालक को गोद में उठाकर उसके प्रतिस्नेह प्रकट किया जाता है।

प्रश्न 5.
इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यग्य किया है? [CBSE]
उंत्तर:
लेखक ने नगरीय सभ्यता को बनावटी, नकली तथा चकाचौंध-भरी कहा है। नगर के लोग मिट्टी को मैल कहकर उससे दूर रहते हैं। इस कारण वे धूल में सनने का तथा स्वाभाविक खेलों का आनंद नहीं ले पाते।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (5(0-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
लेखक वालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है? [CBSE]
अथवा
लेखक ने ‘धूल’ पाठ में बाल कृष्णा के सहज सौंदर्य के साथ किसकी तुलना करते हुए उसे महत्त्वहीन बताया। हैं और क्यों? [CBSE 2012]
उत्तर:
लेखक बालकृष्ण के मुँह पर छाई गोधूलि को इसलिए श्रेष्ठ मानता है क्योंकि अभिजात्य वर्ग ने सौंदर्य में वृद्धि करने वाले अनेक साधनों का आविष्कार कर लिया, पर बालकृष्ण के मुख पर लगी धूल जैसा सौंदर्य बढ़ाती है, उसके सामने सारे सौंदर्य फीके नजर आते हैं। इसके अलावा इसी धूल में खेल-कूदकर शिशु बड़ा होता है। जिन बच्चों का बचपन गाँव में बीतता है, उनके धूल-धूसरित शरीर के बिना बचपन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 2.
लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है? [CBSE]
उत्तर:
लेखक ने मिट्टी और धूल में अंतर बताया है। उसके अनुसार मिट्टी शरीर है तो धूल प्राण है। मिट्टी शब्द है तो धूल उससे उत्पन्न रस है। मिट्टी चाँद है तो धूल उसकी चाँदनी है। दूसरे शब्दों में, मिट्टी की आभा की दूसरा नाम है-धूल। कहने का आशय यह है कि धूल में चमक होती है, आभा होती है। मिट्टी की पहचान उसकी धूल से होती है।

प्रश्न 3.
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है? [CBSE 2012
उत्तर:
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है; जैसे-आम की बागों के पीछे छिपते सूर्य की किरणों में जो धूलि सोने को मिट्टी कर देती है, सूर्यास्त के बाद रास्ते पर गाड़ी के निकल जाने के बाद जो रुई के बादलों की तरह या ऐवरावत हाथी के नक्षत्र पथ की तरह जहाँ की तहाँ स्थिर रह जाती है। चाँदनी रात में मेले में जाने वाली गाडियों के पीछे धूल कवि की कल्पना की भाँति उमड़ती चलती है। यही धूल फूल की पंखुड़ियों पर सौंदर्य बनकर छा जाती है।

प्रश्न 4.
ही वह घन चोट न टूट’ का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
उन -इस उक्ति का अर्थ है-हीरा वही है जो घन की चोट खाकर भी न टूटे। आशय यह है कि असली हीरा सुदृढ़ होता है। पाठ के संदर्भ में इसका अर्थ है-ग्रामीण लोग हीरे की भाँति सुदृढ़ होते हैं। वे संकटों की मार से हारते नहीं हैं। जिन्हें इस देश की धूल-मिट्टी से प्यार है, वे हर संकट में और अधिक मज़बूत होकर उभरते हैं।

प्रश्न 5.
धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘धूल’ पाठ से स्पष्ट होता है कि धूल, धूली, धूलि, धूरि और गोधूलि आदि की व्यंजनाएँ अलग-अलग हैं। धूल मानव जीवन का यथार्थवादी गई है जबकि ‘धूलि उसकी कविता है। ‘धूलि’ छायावादी दर्शन है जिसकी वास्तविकता संदिग्ध है और ‘धूरि’ लोक संस्कृति को जागरण है और गोधूलि ग्रामीण क्षेत्रों में सूर्यास्त के समय गायों के खुरों से उठने वाली वह धूल है जो वन प्रांत से घर की ओर दौड़ती-भागती गायों के खुरों से उठती है। इन सबका रंग एक ही है, रूप की भिन्नता भले ही हो।

प्रश्न 6.
‘धूल पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘धूल’ पाठ का केंद्रीय भाव लिखिए। पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है? [CBSE 2012]
उत्तर:
धूल’ पाठ का मूल भाव है-ग्रामीण सभ्यता का गुणगान करना। जो लोग गाँव की धूल में सनकर पले-बढ़े हैं, वे हीरे के समान सुंदर और सुदृढ़ हैं। ग्रामीण जीवन की तुलना में नागरिक जीवन का बनावटी सौंदर्य काँच के समान नकली और नश्वर होता है। लेखक के अनुसार, ‘धूल मिट्टी की महिमा का नाम है। वह मिट्टी की आभा है। यह गर्द या मैल नहीं है, बल्कि पवित्र है। सती हो या योद्धा-सब इसे अपने माथे पर सुशोभित करते हैं। हमें चाहिए कि हम धूल का सम्मान करें, इसके संपर्क में रहें।।

प्रश्न 7.
कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है? [CBSE 2012]
उत्तर:
कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने यह कहा है कि गोधूलि को अपनी कविता का विषय बनाकर कितने ही कवियों ने अपनी लेखनी चलाई है परंतु सच्चाई तो यही है कि गोधूलि पूरी तरह से गाँवों की संपत्ति है जो शहरों के हिस्से में नहीं आई है। शहरों में तो बस धूल धक्कड़ है। यहाँ धूलि होने पर भी गोधूलि कहाँ हो सकती है। इसकी एक विडंबना यह भी है कि कवियों ने अपनी कविता में जिस धूल को अमर किया है वह हाथी-घोड़ों के चलने से दौड़ने वाली धूल नहीं, बल्कि गायों और गोपालकों के पैरों से उठने वाली धूलि है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।
उत्तर:
जो धूल फूल के ऊपर बैठ जाती है और उसका श्रृंगार करती है, वही धूल शिशु के मुँह पर बैठकर उसकी स्वाभाविक शारीरिक आभा को और अधिक निखार देती है। आशय यह है कि धूल के कारण शिशु का मुख और फूल दोनों सुंदर प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 2.
‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की-लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर:
इन पंक्तियों द्वारा लेखक यह कहना चाहता है कि धन्य-धन्य वे नर कहकर लेखक ने उस व्यक्ति को धन्य कहा है परंतु ‘मैले जो करत’ कहकर अपनी हीन भावना भी प्रकट कर दी क्योंकि धूल-धूसरित शिशु को गोद में उठाने से अपने कपड़ों के मलिन होने से चिंतित भी है। यह व्यक्ति धूल भरे हीरों का प्रेमी नहीं है।

प्रश्न 3.
मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में। [CBSE]
उत्तर:
लेखक के अनुसार, मिट्टी और धूल में वही अंतर है जो कि शब्द और रस में, देह और प्राण मैं, चाँद और चाँदनी में है। आशय यह है कि मिट्टी स्थूल है। ‘धूल’ उसका सूक्ष्म सौंदर्य और प्रभाव है।

प्रश्न 4.
हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।
उत्तर:
नगरीय सभ्यता द्वारा धूल को हेय समझने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य करते हुए लेखक कहता है कि धूल को माथे से लगाने योग्य है। इससे देशभक्ति की भावना की अभिव्यक्ति होती है पर नगर का अभिजात्य और आधुनिक कहलाने वाले वर्ग यदि इसे माथे से न लगाए तो इस पर पैर रखकर इसका अपमान भी न करे। अर्थात धूल का अपमान नहीं सम्मान करना चाहिए।

प्रश्न 5.
वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।
उत्तर:
इस पंक्ति में लेखक कहता है-ये धूल भरे हीरे अर्थात् मैले-कुचैले दीखने वाले ग्रामीण बंधु कभी विद्रोह पर उतर आए तो तुम पर ऐसी चोट करेंगे कि तुम्हें इनकी ताकत का तथा अपनी कमज़ोरी का साफ पता चल जाएगा। आशय यह है कि ये ग्रामीण जने वास्तविक हैं और ठोस हैं, जबकि नगरवासी चकाचौंध भरी नकली जिंदगी जीते हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छाँटिएउदाहरण : विज्ञापित-वि (उपसर्ग) ज्ञापित संसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निर्द्वद्व, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन।
उत्तर:

  1. संसर्ग = सम् + सर्ग
  2. उपमान = उप + मान
  3. संस्कृति = सम् + कृति
  4. दुर्लभ = दुः + लभ
  5. निर्द्वद्व = निः + द्वंद्व
  6. प्रवास = प्र + वास
  7. दुर्भाग्य = दुः + भाग्य
  8. अभिजात = अभि + जीत
  9. संचालन = सम् + चालन

प्रश्न 2.
लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल हान जैसे प्रयोग किए हैं। धूल से संबंधित अन्य पाँच प्रयोग और बताइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
अन्य प्रयोग इस प्रकार हैं-
धूल का स्पर्श करना, धूल से बढ़कर होना, धूल दिखाई देना, धूलि भरा, धूल से खेलना।
वाक्य प्रयोग-

  1. धूल का स्पर्श करना – सभी पहलवान अखाड़े में उतरने से पहले धूल का स्पर्श करते हैं।
  2. धूल से बढ़कर होना – जिस तत्त्व ने हमारे जीवन का निर्माण किया, वह धूल से बढ़कर और कोई नहीं है।
  3. धूल दिखाई देना – जिन्हें अपनी संस्कृति पर गर्व नहीं है, उन्हें स्वर्ण में भी धूल दिखाई देती है।
  4. धूलि भरा – माँ को अपने पुत्र का धूलि भरा चेहरा बहुत मनमोहक लगता है।
  5. धूल से खेलना – हम बचपन से ही धूल से खेल-खेलकर बड़े हुए हैं।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
शिवमंगल सिंह सुमन की कविता ‘मिट्टी की महिमा’, नरेश मेहता की कविता ‘मृत्तिका’ तथा सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की ‘धूल’ शीर्षक से लिखी कविताओं को पुस्तकालय में हूँढ़कर पढ़िए।

उत्तर:
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘मिट्टी की महिमा’ के कुछ शब्द इस प्रकार हैं-

मिट्टी की महिमा मिटने में
मिट-मिट हर बार सँवरती है।
मिट्टी मिट्टी पर मिटती है।
मिट्टी मिट्टी को रचती है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
इस पाठ में लेखक ने शरीर और मिट्टी को लेकर संसार को असारता का जिक्र किया है। इस असता का वर्णन अनेक भक्त कवियों ने अपने काव्य में किया है। ऐसी कुछ रचनाओं का संकलन कर कक्षा में भित्ति पत्रिका पर लगाइए।

उत्तर:
कबीर का एक पद है-

रहना नहिं देस बिराना है।
यहु संसार कागद की पुरिया बूंद पड़े घुलि जाना है।
यहु संसार झाड़ औ झाँखड़ उरझ पुरझ मरि जाना है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 हामिद खाँ

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पाठ्य-पुस्तक के बोध-प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?
उत्तर:
लेखक मालाबार से तक्षशिला (पाकिस्तान) के पौराणिक खंडहर देखने गया था। वह तेज धूप में भूख-प्यास से परेशान होकर एक गाँव की ओर चला गया। वहाँ चपातियों की महक महसूस कर एक दुकान में खाना खाने के लिए गया, जहाँ उसका हामिद खाँ से परिचय हुआ।

प्रश्न 2.
“काश में आपकं मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।’-हामिद ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:
लेखक ने हामिद खाँ को हिंदू-मुसलमान संबंधों के बारे में बताया, उन्हें पहले तो विश्वास नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान में मुसलमानों को अत्याचार करनेवालों की संतान समझा जाता था। लेखक ने हामिद खाँ को बताया कि भारत में हिंदू मुसलमान मिलकर रहते हैं। एक-दूसरे के त्योहारों में सम्मिलित होते हैं। हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे न के बराबर होते हैं। मुसलमानों की मसजिद हिंदुओं के निवास स्थान के पास होती है। हामिद खाँ विश्वास ही नहीं कर पाया कि वे हिंदू हैं और इतने गौरव से एक मुसलिम से बात कर रहें है। मुसलमानी होटल में भी भारत में खाना खाने में किसी हिंदू को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेखक द्वारा हिंदू-मुसलमान की एकता भरी बातों पर हामिद खाँ पहले तो भरोसा नहीं कर पाया इसलिए वे उनके देश में आकर ये सब देखना चाहता था।

प्रश्न 3.
हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?
उत्तर:
हामिद को लेखक की निम्नलिखित बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था-

  • भारत में हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते हैं।
  • हिंदू निस्संकोच मुसलमानों के होटलों में खाना खाने जाते हैं।
  • यहाँ सांप्रदायिक दंगे न के बराबर होते हैं।

प्रश्न 4.
हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इनकार क्यों किया?
उत्तर:
हामिद खाँ पाकिस्तान का रहनेवाला था। वह एक भला आदमी था। मानवीय भावनाओं का उसके जीवन में बहुत महत्त्व था। भूख के कारण होटल ढूंढते हुए लेखक तंग गलियों में स्थित हामिद खाँ के होटल पर पहुँच गए वहाँ उनकी मेहमाननवाजी अच्छा इंसान समझ कर की गई। खाने के बदले लेखक पैसे देना चाहते थे परंतु हामिद खाँ ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया। एक रुपये के नोट को वापिस करते हुए हामिद खाँ ने कहा कि मैंने आपसे पैसे ले लिए, लेकिन मैं चाहता हूँ कि ये पैसे आपके पास रहें। आप जब भारत पहुँचे तो उनकी मेहमाननवाजी को याद रखें। लेखक की इंसानियत व उनकी मेल-मिलाप की बातों से हामिद खाँ प्रभावित हुआ था इसलिए उसने मेहमाननवाज़ी के पैसे लेने से इंकार कर दिया।

प्रश्न 5.
मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के संबंध सद्भावपूर्ण थे। वे एक-दूसरे को शक की दृष्टि से नहीं देखते थे। वे आपस में लड़ते-झगड़ते नहीं थे। हिंदू इलाकों में भी मस्जिदें थीं। यहाँ सांप्रदायिक दंगे बहुत ही कम होते थे।

प्रश्न 6.
तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?
उत्तर:
तक्षशिला में धर्म के नाम पर धार्मिक झगड़े जन्म लेते रहते थे। इन झगड़ों की खबरें समाचार-पत्र में छपती रहती थीं। लेखक ने जब इस सांप्रदायिक झगड़े की खबर पढ़ी तो उसका सीधा ध्यान हामिद खाँ की ओर गया। उसने प्रार्थना की कि भगवान हामिद खाँ की दुकान को कोई नुकसान न पहुँचाए। हिंदू-मुसलिम भेद-भाव की आग उस तक न पहुँच पाए। इससे लेखक के स्वभाव की मानवीय भावना का परिचय मिलता है। उनकी दृष्टि में धर्म की प्रधानता नहीं थी। मानवीयता प्रमुख थी। हामिद खाँ उन्हें भला मानव लगा इसलिए उसके प्रति हमदर्दी व सहानुभूति की भावना उनके मन में थी।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 गीत – अगीत

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।
(ख) जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है? [CBSE]
(ग) प्रेमी जब गीत गाता है, तो प्रेमी की क्या इच्छा होती है? [CBSE]
(घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।
(ङ) प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।
(च) मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।
(छ) सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
(ज) “गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।
उत्तर:
(क) जब नदी किनारों से कुछ कहते हुए बह जाती है तो गुलाब सोचता है-‘यदि परमात्मा ने मुझे भी स्वर दिए होते तो मैं भी अपने पतझड़ के दिनों की वेदना को शब्दों में सुनाता। निम्नलिखित पंक्तियाँ देखिए-

गाकर गीत विरहं के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलको कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।”

(ख) जब शुकः गाता है तो शुकी का हृदय प्रसन्नता से फूल जाता है। वह उसके प्रेम में मग्न हो जाती है।
(ग) जब प्रेमी प्रेम के गीत गाता है तो प्रेमी (प्रेमिका) की इच्छा होती है कि वह उस प्रेम गीत की पंक्ति में डूब जाए, उसमें लयलीन हो जाए। उसके शब्दों में –

‘हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की बिधना’ ।

(घ) सामने नदी बह रही है। वह मानो अपनी विरह वेदना को कलकल स्वर में गाती हुई चली जा रही है। वह किनारों को अपनी व्यथा सुनाती जा रही है। उसके किनारे के पास एक गुलाब का फूल अपनी डाल पर हिल रहा है। वह मानो सोच रहा है कि यदि परमात्मा ने उसे स्वर दिया होता तो वह भी अपने दुख को व्यक्त करता।
(ङ) प्रकृति का पशु-पक्षियों के साथ गहरा रिश्ता है। पशु-पक्षी प्रकृति की उमंग के साथ उमंगित होते हैं। कविता में कहा गया है

गाता शुक जब किरण वसंती,
छूती अंग पर्ण से छनकर।

जब सूर्य की वासंती किरणें शुक के अंगों को छूती हैं तो वह प्रसन्नता से गा उठता है।
(च) प्रकृति मनुष्य को भी आह्लादित करती है। साँझ के समय स्वाभाविक रूप से प्रेमी का मन आल्हा गाने के लिए ललचा उठता है। यह साँझ की ही मधुरिमा है जिसके कारण प्रेमी के हृदय में प्रेम उमड़ने लगता है।
(छ) गीत और अगीत में थोड़ा-सा अंतर होता है। मन के भावों को प्रकट करने से गीत बनता है और उन्हें मन-ही-मन ।
अनुभव करना ‘अगीत’ कहलाता है। यद्यपि ‘अगीत’ को प्रकट रूप से कोई अस्तित्व नहीं होता, किंतु वह होता अवश्य है।
जिस भावमय मनोदशा में गीत का जन्म होता है, उसे ‘अगीत’ कहा जाता है।
(ज) “गीत अगीत’ का मूल भाव यह है कि गीत के साथ-साथ गीत रचने की मनोदशा भी महत्त्वपूर्ण होती है। मन-ही-मन भावानुभूति को अनुभव करना भी कम सुंदर नहीं होता। उसे ‘अगीत’ कहा जा सकता है। माना कि गीत सुंदर होता है, परंतु गीत के भावों को मन में अनुभव करना भी सुंदर होता है।

प्रश्न 2.
संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
(क) अपने पतझर के सपनों का
                 मैं भी जग को गीत सुनाता
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इनके रचयिता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। कवि ने इन पंक्तियों में गुलाब के मन की व्यथा प्रस्तुत की है।

व्याख्या- नदी को किनारों से बातें करता देख किनारे खड़ा गुलाब सोचता है कि नदी को स्वर मिला है, वह किनारों से बातें कर रही है। इसी प्रकार यदि ईश्वर ने मुझे भी स्वर दिया होता तो मैं भी अपने पतझड़ के सपनों के गीत संसार को सुनाता।

(ख) गाता शुक जब किरण वसंती ।
                 छूती अंग पर्ण से छनकर
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इनके रचयिता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। कवि ने इन पंक्तियों में तोते की प्रसन्नता और गीत-गान का वर्णन किया है।

व्याख्या- पेड़ की सघन डाल पर बैठे तोते को जब सूर्य की वसंती किरणे स्पर्श करती हैं तो पेड़ की पत्तियों से छनकर आती किरणों के प्रभाव से वह पुलकित हो उठता है और गीत गाना शुरू कर देता है।

(ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की।
                 बिधना यों मन में गुनती है।
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इनके रचयिता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। इन पंक्तियों में प्रेमी के गीतों को सुनकर भाव-विभोर हुई प्रेमिका के मनोभावों को वाणी दी गई है।

व्याख्या- कवि मानवीय प्रेम के बारे में बताता है कि प्रेमी के गीत का पहला स्वर उसकी राधा पर ऐसा प्रभाव डालता है। कि वह उसके करीब आकर गीत सुनकर भाव-विभोर हो जाती है और सोचती है कि हे ईश्वर! मैं उसके गीतों की कड़ी क्यों न हुई। यदि उसके गीतों की कड़ी होती तो उसका सामीप्य पा जाती।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य-विन्यास लिखिए-
उदाहरण : तट पर एक गुलाब सोचता
                एक गुलाब तट पर सोचता है।

  1. देते स्वर यदि मुझे विधाता ।
  2. बैठा शुक उस घनी डाल पर
  3. गूंज रहा शुक का स्वर वन में ।
  4. हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
  5. शुकी बैठ अंडे है सेती ।

उत्तर:

  1. यदि विधाता मुझे स्वर देते।
  2. शुक उस घनी डाल पर बैठा।
  3. शुक का स्वर वन में गूंज रहा।
  4. मैं गीत की कड़ी क्यों न हुई?
  5. शुकी बैठकर अंडे सेती है।

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