NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
(ख) माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
(ग) “एक पत्र-छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ का प्रयोग मनुष्य के जीवन में आने वाली नाना प्रकार की कठिनाइयों के कारण कठिन एवं संघर्षपूर्ण
जीवन के लिए किया है। कवि का मानना है कि मनुष्य को जीवन में कठिनाइयाँ ही कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में उसका जीवन किसी अग्नि पथ से कम नहीं है।
(ख) ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’ और ‘लथपथ’ शब्दों को बार-बार प्रयोग कर कवि क्रमशः कहना चाहता है कि जीवन में संघर्ष करते हुए लोगों से सुख की माँग मत करो, संघर्ष को बीच में छोड़कर कठिनाइयों से हार मान कर वापस न लौटने की कसम लेने तथा कठिनाइयाँ से जूझते हुए कर्मशील बने रहने की प्रेरणा दे रहा है।
(ग) ‘एक पत्र-छाँह भी माँग मत’ का आशय है कि मनुष्य जब कठिनाइयों से लगातार संघर्ष करता है तो थककर, निराश होकर संघर्ष का मार्ग त्यागकर सुख की कामना करने लगता है तथा सुख पाकर लक्ष्य प्राप्ति को भूल जाता है, अतः मंजिल मिले बिना सुख की लालसा नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क)  तू न थमेगा कभी
        तू न मुड़ेगा कभी
उत्तर:
इसका आशय यह है कि मनुष्य को कष्टों से भरे मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए कभी पीछे नहीं मुड़ना चाहिए। इस मार्ग पर केवल अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना चाहिए। उसके जीवन में अकर्मण्यता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए क्योंकि आगे बढ़ते रहना ही उसके जीवन का लक्ष्य है। वह संघर्षों से भी न घबराए। वह सुख त्यागकर अग्निपथ को चुनौती देता रहे।

(ख)  चल रहा मनुष्य है।
        अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
उत्तर:
कवि के अनुसार मनुष्य को अपना जीवन सफल बनाने के लिए निरंतर संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए। इस मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति को कई बार आँसू बहाने पड़ते हैं। शरीर से पसीने बहाते हुए खून से लथपथ होते हुए भी उसे निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए क्योंकि संघर्ष करनेवाला मनुष्य ही सफलता प्राप्त करता है और महान कहलाता है।

प्रश्न 3.
इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
अथवा
‘अग्निपथ’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
अथवा
‘अग्निपथ’ कविता मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कैसे?
उत्तर:
‘अग्नि पथ’ कविता का मूलभाव यह है कि मानव जीवन में कठिनाइयाँ ही कठिनाइयाँ हैं। इस पथ पर बढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए मनुष्य को सुख की कामना नहीं चाहिए। उसे कठिनाइयों से हार मानकर न रुकना चाहिए और न वापस लौटना चाहिए। जीवन में सफल होने के लिए भले ही आँसू, खून और पसीने से लथपथ होना पड़े, पर संघर्ष का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘जीवन संघर्ष का ही नाम है’ इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा का आयोजन कीजिए।
उत्तर:

  1. पहला छात्र – जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है।
  2. दूसरा छात्र – मेरे विचार से, संघर्ष करना मज़बूरी है, आवश्यकता नहीं। कौन जबरदस्ती संघर्ष करना चाहेगा।
  3. तीसरा छात्र – हर आदमी संघर्ष टालना चाहता है।
  4. पहला छात्र – मेरा मतलब है, जीवन में संघर्ष के बिना काम नहीं चलता। उससे बचो नहीं जा सकता।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
‘जीवन संघर्षमय है, इससे घबराकर थमना नहीं चाहिए’ इससे संबंधित अन्य कवियों की कविताओं को एकत्र कर एक एलबम बनाइए।
उत्तर:
पढ़िए शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता-सच है महज़ संघर्ष ही।
रामधारी सिंह दिनकर की ‘कुरुक्षेत्र’।

Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. Learn Insta try to provide online tutoring for you.

 

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7  धर्म की आड़

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?
उत्तर:
आज धर्म के नाम पर कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा उत्पात किया जा रहा है और भोले-भाले लोगों को आपस में लड़ाया जा रहा है।

प्रश्न 2.
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?
उत्तर:
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ उसका विरोध होना चाहिए।

प्रश्न 3.
लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन-सा दिन सबसे बुरा था?
उत्तर:
स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था जब स्वाधीनता के काम में मुल्ला, मौलवी, शंकराचार्य जैसे धर्म के आचार्यों को अधिक महत्त्व दिया गया।

प्रश्न 4.
साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?
उत्तर:
साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह घर करके बैठी है कि धर्म और ईमान के नाम पर अपनी जान दे देना उचित है।

प्रश्न 5.
धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?
उत्तर:
शुद्ध आचरण और सदाचार करना धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
चलते पुरजे लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?
उत्तर:
चलते पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को बेवकूफ़ बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। वे चाहते हैं कि उनका नेतृत्व कायम रहे। उनका प्रभाव बना रहे।

प्रश्न 2.
चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं? [CBSE 2012]
उत्तर:
चालाक लोग साधारण आदमी की धार्मिक भावनाएँ भड़काते हैं। साधारण आदमी धर्माध होकर धर्म के नाम पर मरने-मिटने को तैयार हो जाता है। उसकी इसी स्थिति का लाभ चालाक लोग उठाते हैं।

प्रश्न 3.
आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?
उत्तर:
जो लोग धर्म के प्रति दिखावा मात्र करके लोगों को आपस में लड़वाते हैं, आनेवाला समय उन्हें टिकने नहीं देगा। जन साधारण की समझ में आ गया है कि ऐसे धार्मिक नेता उनकी भावनाओं से खेलते हैं।

प्रश्न 4.
कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति किसी धर्म को मानने और पूजा-उपासना की कोई भी रीति अपनाने को स्वतंत्र है। उसकी इस स्वाधीनता में हस्तक्षेप करने के कार्य को देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा।

प्रश्न 5.
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?
उत्तर:
पाश्चात्य देशों में धनी लोगों के पास पैसा है, ऊँची-ऊँची इमारतें हैं, सुख-सुविधा है। गरीब लोग रोटी के लिए संघर्ष करते हैं और झोंपड़ियों में रहते हैं।

प्रश्न 6.
कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?
उत्तर:
जिन लोगों का आचरण अच्छा है, जो दूसरों का कल्याण करते हैं, अपने आचरण से दूसरों को दुख नहीं पहुंचाते हैं तथा जो अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए भोले-भाले लोगों का शोषण नहीं करते हैं, वे धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है? [CBSE 2012]
उत्तर:
धर्म और ईमान के नाम परं दंगे-फसाद हो रहे हैं। कुछ स्वार्थी आदमी धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़वाते हैं। अपने निजी स्वार्थों के लिए आम आदमी के प्राण ले लिए जाते हैं। इसको रोकने का उपाय है कि लोगों को उन आदमियों और धर्म की सही शिक्षा के लिए जानकारी दी जाए। लोगों को समझाया जाए कि दंगा करके खून बहाने वालों का कोई धर्म नहीं होता।

प्रश्न 2.
‘बुद्धि को मार’ के संबंध में लेख़क के क्या विचार हैं?” [CBSE 2012]
उत्तर:
बुधि की मार के संबंध में लेखक का विचार है-कुछ चलते-पुरज़े लोगों द्वारा साधारण लोगों के मस्तिष्क में ऐसे विचार भर देना कि वे अपनी बुधि से कुछ भी सोचने-समझने योग्य न रह जाएँ। ऐसे लोगों की धार्मिक भावनाएँ भड़काकर अपने हित साधने योग्य बना लेना ताकि स्वार्थी लोग अपना स्वार्थ आसानी से पूरा कर सकें।

प्रश्न 3.
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
लेखक के अनुसार, धर्म के विषय में मानव स्वतंत्र होना चाहिए। हर व्यक्ति आजाद हो। वह जो धर्म अपनाना चाहे, अपनाए। कोई किसी की स्वतंत्रता में बाधा न खड़ी करे। धर्म का संबंध हमारे मन से, ईमान से, ईश्वर और आत्मा से होना चाहिए। वह मन को शुद्ध करने का मार्ग होना चाहिए, अपने जीवन को ऊँचा उठाने का साधन होना चाहिए, दूसरे को कुचलने का नहीं।

प्रश्न 4.
महात्मा गाँधी के धर्म संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
गांधी जी धर्म को मानने वाले थे। इसके बिना वे एक कदम भी नहीं चलते थे। वे पूजा-पाठ, नमाज पढ़ने जैसी दिखावापूर्ण धार्मिक क्रियाओं को सच्चा धर्म नहीं मानते थे। उनका धर्म पवित्र भावनाओं से भरपूर था। वे धर्म को लोगों के कल्याण का साधन समझते थे। उनका मानना था कि धर्म ऊँचे और उदार तत्वों का हुआ करता है, जिसे अपनाने में किसी को आपत्ति नहीं हो सकती।

प्रश्न 5.
सबके कल्याण हेतु अपने आचरणा को सुधारना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जब तक हम स्वयं का आचरण ठीक नहीं रखेंगे, दूसरे लोगों को उसकी प्रेरणा नहीं दे सकते। समाज में उदाहरण बनने के लिए हमें स्वयं का आचरण सुधारना होगा। मानव मात्र की भलाई तभी हो सकती है, जब हम निजी स्वार्थ को छोड़कर पूरे समाज की भलाई के बारे में सोचें।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
उबल पड़ने वाले साधारण आदमी को इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।
उत्तर:
कुछ चालू-पुरज़े लोग तथा धर्म के तथाकथिक ठेकेदार साधारण लोगों के दिमाग में यह बात अच्छी तरह बिठा देते हैं कि धर्म और ईमान ही तुम्हारे लिए सब कुछ हैं। इसी से तुम्हारा कल्याण होने वाला है। इसकी रक्षा करते हुए तुम्हें अपनी ज्ञान की परवाह नहीं करनी चाहिए। ये अनपढ़ साधारण भोले लोग धर्म क्या है, यह जाने-समझे बिना तनिक-सा उकसाए जाते ही मरने-कटने के लिए तैयार हो जाते हैं। वे दूसरों के बहकावे में जल्दी आ जाते हैं। इससे उनकी शक्ति और साहस का दुरुपयोग स्वार्थी लोग अपने हित के लिए करते हैं।

प्रश्न 2.
यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।
उत्तर:
भारत में धार्मिक नेता लोगों की बुद्धि का शोषण करते हैं। पहले वे अपने प्रति अंध श्रद्धा उत्पन्न करते हैं। लोग उन्हें ईश्वर, आत्मा और धर्म का पूज्य प्रतीक मान बैठते हैं। जब लोगों की श्रद्धा उन पर जम जाती है तो वे ईमान, धर्म, ईश्वर या आत्मा का नाम लेकर उन्हें दूसरे धर्म वालों से लड़ाते-भिड़ाते हैं तथा अपने स्वार्थ सिद्ध करते हैं।

प्रश्न 3.
अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।
उत्तर:
धर्म और ढोंग में अंतर है। धर्म ईश्वर तक पहुँचाने की कड़ी है। कुछ लोग धर्म का आडंबर करते हुए दो-दो घंटे तक पूजा-पाठ करते हैं, शंख बजाते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं। ऐसा करके वे समझते हैं कि वे कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे लोग यदि अपना आचरण नहीं सुधारते हैं, तो यह पूर्जा-पाठ सब व्यर्थ हो जाएगा। उनके आचरण-व्यवहार में सज्जनता और दूसरों के कल्याण की भावना निहित होनी चाहिए।

प्रश्न 4.
तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो! [CBSE 2012]
उत्तर:
स्वयं ईश्वर भटके हुए लोगों को कहता है-लोगों को धर्म के नाम पर लड़वाना छोड़ो। अपवित्र काम छोड़ो, खुद की पूजा करवाना छोड़ दो। मानवता को समझो। आदमी बनो और पशु वाला आचरण त्याग दो। आशय यह है कि धर्म के नाम पर कट्टरता त्याग दो और मनुष्य के साथ उदारतापूर्वक सहयोग और स्नेह से व्यवहार करो।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए

          सुगम            –      दुर्गम

  1. धर्म              –       …………………..
  2. ईमान           –       …………………..
  3. साधारण       –       …………………..
  4. स्वार्थ           –       …………………..
  5. दुरुपयोग     –        …………………..
  6. नियंत्रित       –       …………………..
  7. स्वाधीनता    –       …………………..

उत्तर:

  1. धर्म             –        अधर्म
  2. ईमान          –         बेईमान
  3. साधारण      –        असाधारण
  4. स्वार्थ          –        निस्वार्थ
  5. दुरुपयोग    –        सदुपयोग
  6. नियंत्रित      –        अनियंत्रित
  7. स्वाधीनता   –       पराधीनता

प्रश्न 2.
निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए-

  1. ला,
  2. बिला,
  3. बे,
  4. बद,
  5. ना,
  6. खुश,
  7. हर,
  8. गैर

उत्तर:

  1. ला – लापता, लाजवाब, लापरवाही।
  2. बिला – बिलावजह, बिलानागा।
  3. बे – अदब, बेवज़ह, बेवफ़ा, बेशक ।
  4. बद – बदनाम, बदसूरत, बदतमीज़ ।
  5. ना – नासमझ, नादानी, नामर्द ।
  6. खुश – खुशफहमी, खुशगवार।
  7. हर – हररोज़, हरदम।
  8. गैर – गैरकानूनी, गैरहाज़िर।

प्रश्न 3.
उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए-
उदाहरण : देव + त्व = देवत्व
उत्तर:

  1. लघु + त्व = लघुत्व
  2. प्रभु + त्व = प्रभुत्व
  3. महत् + त्व = महत्त्व
  4. नारी + त्व = नारीत्व
  5. मनुष्य + त्व = मनुष्यत्व।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरण : चलते पुरजे
उत्तर:

  1. समझता – बूझता,
  2. पढ़े – लिखे,
  3. इने – गिने,
  4. मन – माना,
  5. स्वार्थ – सिद्धि,
  6. लड़ाना – भिड़ाना,
  7. दीन – दीन,
  8. नित्य – प्रति,
  9. भली – भाँति,
  10. दिन – भर,
  11. पूजा – पाठ,
  12. देश – भर,
  13. सुख – दुःख।

प्रश्न 5.
‘भी’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए-
उदाहरण : आज मुझे बाज़ार होते हुए अस्पताल भी जाना है।
उत्तर:

  1. यह भोजन मेरे साथ तुम्हें भी करना है।
  2. गाँधीजी के साथ नेहरू भी आए हैं।
  3. आज सब्जीमंडी से आम भी लाना।
  4. नौकरी के लिए मेहनत ही नहीं, सिफ़ारिश भी करनी पड़ती है।
  5. हम मसूरी-नैनीताल ही नहीं, कौसानी भी गए थे।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘धर्म एकता का माध्यम है-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर:

  1. एक छात्र – धर्म से एकता बढ़ती है। धार्मिक आयोजनों में लोग ऊँच-नीच भूलकर मित्र भाव से भाग लेते हैं।
  2. दूसरा छात्र – परंतु कुछ लोग धर्म के नाम पर ही स्वयं को अलग मानते हैं। कोई खुद को सिख कहता है, कोई बौद्ध कहता है, कोई हिंदू तो कोई मुसलमान।।
  3. तीसरा छात्र – परंतु वे सब हैं तो आदमी ही। चौथा छात्र-परंतु धर्म का नाम लेते ही वे स्वयं को इनसान नहीं हिंदू, ईसाई या मुसलमान कहने लगते हैं।

Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. Learn Insta try to provide online tutoring for you.

 

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?
उत्तर:
अग्रिम दल का नेतृत्व अभियान दल के उपनेता ‘प्रेमचंद’ कर रहे थे।

प्रश्न 2.
लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?
उत्तर:
‘सागरमाथा’ का तात्पर्य है-समुद्र का माथा अर्थात् सबसे ऊँचा स्थान। हिमालय के सबसे ऊँचे पर्वत को सागरमाथा कहना पूरी तरह सार्थक था। इसलिए लेखिका को यह नाम अच्छा लगा।

प्रश्न 3.
लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
उत्तर:
लेखिका को ध्वज जैसा वह बड़ा-सा बरफ़ का फूल (प्लूम) लगा जो पहाड़ के शिखर पर 150 किलोमीटर से अधिक तेज़ हवा के चलने और बरफ़ के उड़ने से बनता है।

प्रश्न 4.
हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?
उत्तर:
हिमस्खलन से चार शेरपा कुलियों को चोट लगी थी। एक की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 5.
मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?
उत्तर:
पर्वतारोहियों में से दो व्यक्तियों की मृत्यु की बात सुनकर अन्य आरोहियों के चेहरे पर आए अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा, कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान के खतरों और कभी-कभी तो मृत्यु को भी आदमी को सहज भाव से स्वीकारना चाहिए।

प्रश्न 6.
रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर:
रसोई सहायक की मृत्यु जलवायु अनुकूल न होने के कारण हुई।

प्रश्न 7.
कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?
उत्तर:
कैंप चार साउथकोल जो ‘पृथ्वी पर बहुत अधिक कठोर’ जगह के नाम से प्रसिद्ध है, में 29 अप्रैल, 1984 को लगाया गया।

प्रश्न 8.
लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?
उत्तर-
लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय एक नौसिखिया पर्वतारोही के रूप में दिया।

प्रश्न 9.
लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर:
लेखिका की सफलता पर बधाई देते हुए कर्नल खुल्लर ने कहा, “मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा।” उन्होंने यह भी कहा कि देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा? [CBSE]
अथवा
लेखिका किसे देखकर भौंचक्की रह गई और देर तक निहारती रही? [CBSE]
उत्तर:
एवरेस्ट को नजदीक से देखकर लेखिका को इतना अच्छा लगा कि वह भौंचक्की होकर देखती रही। वह एवरेस्ट, ल्होत्से और नुत्से से घिरी टेढ़ी-मेढ़ी बर्फीली नदी को निहारती रही।

प्रश्न 2.
डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं? [CBSE]
उत्तर:
डॉक्टर मीनू मेहता ने अभियान दल के सदस्यों को एल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुल बनाने, लट्ठों और रस्सियों का उपयोग करने, बरफ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियाँ बाँधने जैसे अनेक अभियांत्रिक कार्यों की जानकारी दी।

प्रश्न 3.
तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में क्या कहा? [CBSE]
उत्तर:
तेनजिंग ने लेखिकों की प्रशंसा में निम्नलिखित शब्द कहे-“तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।’

प्रश्न 4.
लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर:
लेखिका को अगले दिन की, जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। वे भारी बोझ लेकर धीरे-धीरे बिना ऑक्सीजन के चढ़ाई कर रहे थे, जो अभी तक लेखिका के पास नहीं आ सके थे।

प्रश्न 5.
लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया? [CBSE]
उत्तर:
लोपसांग ने स्विस छुरी की सहायता से तंबू का रास्ता साफ़ किया। उसने बड़े-बड़े हिमपिंडों को सामने से हटाया तथा चारों तरफ फैली कठोर बर्फ़ की खुदाई की। तब जाकर बाहर निकलने का रास्ता साफ़ हो सका।

प्रश्न 6.
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?
उत्तर:
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की तैयारी करने के लिए सुबह चार बजे उठ गई, बरफ़ पिघलाया और चाय बनाई। कुछ बिस्कुट और आधी चाकलेट का नाश्ता करने के बाद वह सवेरे पाँच बजे तंबू से निकल पड़ी।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखि

प्रश्न 1.
उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया? [CBSE]
उत्तर:
उपनेता प्रेमचंद ने लेखिका को हिमपात के खतरों से अवगत कराया। उसने बताया कि उनके अग्रिम दल ने कैंप एक तक का रास्ता साफ़ कर दिया है। यह कैंप हिमपात के ठीक ऊपर है। पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिह्नित कर दिया गया है। परंतु हिमपात अनियमित और अनिश्चित होता है। यद्यपि बीच में पड़ने वाली ग्लेशियर की नदी पर रास्ता बना दिया गया है किंतु हिमपात और अधिक हो गया तो रास्ता बनाने का काम फिर से करना पड़ सकता है।

प्रश्न 2.
हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर:
पहाड़ी की ऊँची-ऊँची चोटियों पर हिमपात अनियमित ढंग से होता है और इसमें अनिश्चित बदलाव होते रहते हैं। अनियमित रूप से बरफ़ का गिरना ही हिमपात है। तेज हवा चलने से हिमपात की मात्रा बढ़ जाती है। सूखी बरफ़ हवा में उड़ने लगती है तथा दृश्यता शून्य तक पहुँच जाती है। इससे सारी परिस्थितियाँ बदल जाती हैं।

प्रश्न 3.
लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है? [CBSE]
अथवा
लेखिका के साथ हुए हादसे का वर्णन अपने शब्दों में करें।।[CBSE]
उत्तर:
लेखिका के तंबू में गिरा बर्फ़ का पिंड बहुत भयानक था। वह ल्होत्से ग्लेशियर से टूट कर नीचे गिरा था। उसके कारण एक विशाल हिमपुंज का निर्माण हो गया था। यह हिमपिंड अपने में अनेक बड़े-बड़े हिमखंडों को समाए हुए था। यह विशाल हिमखंड एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भयंकर आवाज के साथ ढलान से नीचे, आया था। इसके कारण पर्वतारोहियों को कैंप पूरी तरह तहस-नहस हो गया। आश्चर्य की बात यह रही कि चोट सभी को लगी किंतु मरा कोई नहीं।

प्रश्न 4.
लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर:
लेखिका को देखकर ‘की’ इसलिए हक्का-बक्का रह गया क्योंकि लेखिका उससे पहले साउथ कोल कैंप पर पहुँच चुकी थी, जबकि वह साउथकोल की ओर ऊपर बढ़ रहा था। उसने देखा लेखिका कैंप में विश्राम न करके उसके लिए चाय और जूस लिए नीचे उतरती आ रही है जबकि उसे कैंप में आराम करना चाहिए। लेखिका में ऐसी सेवा, सहयोग की भावना, एवं संवेदनशीलता देखकर ‘को’ हक्का-बक्का होना ही था।

प्रश्न 5.
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए निम्नलिखित कैंप बनाए गए
बेस कैंप – यह कैंप काठमांडु के शेरपालैंड में लगाया गया। पर्वतीय दल के नेता कर्नल खुल्लर यहीं रहकर एक-एक गतिविधि का संचालन कर रहे थे। उपनेता प्रेमचंद ने भी हिमपात संबंधी सभी कठिनाइयों का परिचय यहीं दिया।
कैंप-एक – यह हिमपात से ऊपर 6000 मीटर की ऊँचाई पर था। यहाँ हिमपात से सामान उठाकर कैंप तक लाए जाने । का अभ्यास भी किया गया।
कैंप-तीन – यह ल्होत्से पहाड़ियों के आँगन में स्थित था। यहीं नाइलॉन के कैंपों में लेखिका और उसके साथी सोए थे कि एक हिमखंड उन पर आ गिरा था।
कैंप-चार – यह समुद्र-तट से 7900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित था। यहीं से साउथ कैंप और शिखर कैंप के लिए चढ़ाई की गई।
साउथ कोल कैंप-यहीं से अंतिम दिन की चढ़ाई शुरू हुई।
शिखर कैंप-यह पर्वत की सर्वोच्च चोटी से ठीक नीचे स्थित था। चोटी पर चढ़ने से पहले यहीं आराम करके चायपान किया गया।

प्रश्न 6.
चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी? [CBSE]
उत्तर:
चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी शंक्वाकार थी। यह चोटी इतनी पतली हो गई थी कि एक साथ दो व्यक्ति साथ-साथ नहीं खड़े हो सकते थे। वहाँ खड़ा हो पाना कठिन हो रहा था। उसके आगे तो बस हज़ारों मीटर, दूर-दूर तक बस सीधी ढलान ही ढलान थी।

प्रश्न 7.
सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है? [CBSE]
उत्तर:
सम्मिलित अभियान में आपसी सहायता और सहयोग से ही कार्य संपन्न होते हैं। बचेंद्री पाल ने अपने व्यवहार से इस सहयोग भावना का परिचय दिया। उसने देखा कि अभी उसके साथी की, जय और मीनू कैंप तक नहीं पहुँचे, तो वह उनके लिए चाय और जूस बनाकर रास्ते में जा पहुँची। उस खतरनाक रास्ते पर जाना कठिन तथा खतरनाक था। फिर भी बचेंद्री पाल ने यह खतरा उठाया। उसने ‘की’ और ‘जय’ को रास्ते में जाकर पेय पदार्थ पिलाया।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
आशय यह है कि एवरेस्ट पर चढ़ाई का रास्ता अत्यंत दुर्गम और खतरनाक होता है। इस अभियान में प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे-हिमपात, भूस्खलन, बरफ़ की चट्टाने गिरने से दुर्घटनाओं का होना आमबात है। इतने बड़े अभियान में ऐसी बातों को अत्यंत सहजभाव से लिया जाता है। इन घटनाओं से डरने और विचलित होने वाला व्यक्ति इसमें सफल नहीं हो सकता है।

प्रश्न 2.
सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
उत्तर:
हिमपात होने से कभी-कभी धरती में ही दरार पड़ जाती है। यह दरार इतनी गहरी और चौड़ी हो जाती है कि धरती फट जाती है। उसके बीच गहरी खाई-सी बन जाती है। यह विचार आते ही मन में बहुत डर लगता है। इससे भी भयानक यह जानकारी थी कि जितने समय तक ये पर्वतारोही और कुली चढाई अभियान पर रहेंगे, हिमपात होता रहेगा और बर्फ गिरने की भयानक घटनाएँ होती रहेंगी। यह हिमपात पर्वतारोहियों के शरीर को छूता रहेगा।

प्रश्न 3.
बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ को चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
उत्तर:
आशय यह है कि लेखिका ने अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए अपने साथ लाए दुर्गा की तस्वीर और हनुमान चालीसा’ को लाल कपड़े में लपेटा, पूजा-अर्चना किया और बरफ़ में दबा दिया और इस सफलता हेतु मन ही मन धन्यवाद दिया। उसने अपने माता-पिता को याद कर उनके प्रति कृतज्ञता और आदर का भाव व्यक्त किया।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए-

  1. निहारा है,
  2. धसकना,
  3. खिसकना,
  4. सागरमोथा,
  5. जायजा लेना,
  6. नौसिखिया।

उत्तर:

  1. निहारा है – प्रसन्नतापूर्वक देखा है।
    जब बचेंद्री पाल ने हिमालय की शोभा पर मुग्ध होकर उसे प्रशंसा के भाव से देखा तो उसके लिए निहारना’ शब्द का प्रयोग किया।
  2. धसकना – नीचे को धंसना।
    जब धरती का कुछ हिस्सा नीचे की ओर दब जाता है तो उसे धसकना कहते हैं।
  3. खिसकना – अपनी जगह से हटकर परे चले जाना।
    हिमपात आने पर कभी-कभी बड़े-बड़े हिमखंड खिसक जाते हैं।
  4. सागरमाथा – संसार का सबसे ऊँचा स्थान।
    जिस स्थान से बचेंद्री पाल ने हिमालय की चढाई आरंभ की, वह समुद्र तल का सर्वोच्च स्थान है। इसलिए उसे समुद्र का माथा ठीक ही कहा गया है।
  5. जायज़ा लेना – जाँच-परख करना।
    बचेंद्री पाल के अभियान-दल के पहुँचने से पहले एक अग्रिम दल जाता था। वह सारी परिस्थिति का जायजा लेता था।
  6. नौसिखिया – नया-नया, अनजान, अनाड़ी।
    तेनजिंग के सामने बचेंद्री पाल ने स्वयं को नौसिखिया पर्वतारोही कहा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए-

  1. उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।
  2. क्या तुम भयभीत थीं।
  3. तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री।

उत्तर:

  1. उन्होंने कहा-“तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”
  2. क्या तुम भयभीत थीं?
  3. तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली, बचेंद्री!

प्रश्न 3.
नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए
उदाहरण :  हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था।

  1. टेढ़ी-मेढ़ी
  2. हक्का-बक्का
  3. गहरे-चौड़े
  4. इधर-उधर
  5. आस-पास
  6. लंबे-चौड़े

उत्तर:

  1. टेढ़ी-मेढ़ी – बर्फ़ की नदी टेढ़ी-मेढ़ी थी।
  2. हक्का-बक्का – जय बचेंद्री को आया देखकर हक्का-बक्का रह गया।
  3. गहरे-चौड़े – बर्फ गिरने के कारण धरती पर गहरे-चौड़े गड्ढे पड़ गए थे।
  4. इधर-उधर – पर्वत-चोटी के इधर-उधर ढलानें ही थीं।
  5. आस पास – पर्वत पर आस पास कोई पेड़ नहीं था।
  6. लंबे-चौड़े – रास्ते के दोनों ओर लंबे-चौड़े पर्वत थे।

प्रश्न 4.
उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए-
उदाहरण : अनुकूल –  प्रतिकूल

  1. नियमित        –   …………………
  2. विख्यात        –   …………………
  3. आरोही         –   …………………
  4. निश्चित          –   …………………
  5. सुंदर           –    …………………

उत्तर:

  1. नियमित – अनियमित
  2. विख्यात – कुख्यात
  3. आरोही – अवरोही
  4. निश्चित – अनिश्चित
  5. सुंदर – असुंदर

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए
जैसे – पुत्र-सुपुत्र

  1. वास
  2. व्यवस्थित
  3. कूल
  4. गति
  5. रोहण
  6.  रक्षित

उत्तर:

  1. वास – सुवास, निवास
  2. व्यवस्थित – सुव्यवस्थित, अव्यवस्थित
  3. कूल – प्रतिकूल, दुकूल, अनुकूल
  4. गति  – प्रगति, सद्गति, दुर्गति
  5. रोहण – आरोहण
  6. रक्षित – सुरक्षित, अरक्षित।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक

  1. मैं “…………………..” यह कार्य कर लूंगा।।
  2. बादल घिरने के …………………: ही वर्षा हो गई।
  3. उसने बहुत ………………….. इतनी तरक्की कर ली।
  4. नाङकेसा को ……………………. गाँव जाना था।

उत्तर:

  1. मैं सुबह तक यह कार्य कर लूंगा।।
  2. बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई।
  3. उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।
  4. नाङकेसा को अगले दिन गाँव जाना था।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
इस पाठ में आए दस अंग्रेजी शब्दों का चयन कर उनके अर्थ लिखिए।
उत्तर:

  1. बेस कैंप – पर्वतारोही-दल जिस भवन या तंबू से अपने चढ़ाई-अभियान का आरंभ करता है।
  2. एवरेस्ट – हिमालय की एक ऊँची चोटी का नाम।
  3. किलोमीटर – एक हजार मीटर दूरी का फासला।।
  4. पुल – सेतु।
  5. ग्लेशियर – बर्फ की नदी।
  6. अल्युमिनियम – एक धातु का नाम।
  7. वॉकी-टॉकी – एक बेतार का संचार-यंत्र जिसके द्वारा चलते-चलते बात की जा सकती है।
  8. साउथ – दक्षिण दिशा।
  9. एक्सप्रेस – बहुत तीव्र गति।
  10. स्ट्रेचर – रोगी या घायल को लादकर ले जाने का उपकरण।
  11. कुकिंग गैस – खाना पकाने की गैस
  12. ऑक्सीजन सिलिंडर – ऑक्सीजन गैस से भरा हुआ बेलनाकार पात्र।
  13. थरमस – पेय पदार्थ को गर्म रखने का बर्तन।।
  14. किट – सभी आवश्यक सामानों से बँधी पोटली, बैग या फाइल।
  15. नायलॉन – एक प्रकार का कृत्रिम रबर।।

प्रश्न 2.
पर्वतारोहण से संबंधित दस चीज़ों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. नायलॉन की रस्सी
  2. ऑक्सीज़न
  3. फावड़ा
  4. वॉकी-टॉकी
  5. झंडियाँ
  6. अल्युमिनियम की सीढ़ी
  7. लट्टे
  8. तंबू
  9. धुरी
  10. थरमस।

प्रश्न 3.
तेनजिंग शेरपा की पहली चढ़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
तेनजिंग शेरपा को 1935 में ‘एरिक शिप्टन’ के साथ पहली बार एवरेस्ट अभियान पर जाने का अवसर मिला। तब वे 19 साल के थे। यह अभियान एवरेस्ट के तिब्बत क्षेत्र का था। इसका उद्देश्य चोटी तक पहुँचने का नहीं था। इस पहले अभियान में उन्होंने रस्सी का प्रयोग करके ग्लेशियर के बीच कदम बढ़ाने के रास्ते खोजे। जब उन्होंने यात्रा शुरू की तो बेस कैंप में ही उन्हें एक मृत शरीर मिला। उन्होंने मृत शरीर को वहीं दफना दिया और पास रखी डायरी उठा ली। इस यात्रा में मौसम बहुत अच्छा था। तेनजिंग को महसूस हुआ था कि उन्हें तभी चोटी तक पहुँचना चाहिए था।

प्रश्न 4.
इस पर्वत का नाम ‘एवरेस्ट’ क्यों पड़ा? जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
सन् 1830 से 1841 की अवधि में सर जार्ज एवरेस्ट ब्रिटिश शासन के दौरान ‘सर्वेअर जनरल ऑफ इंडिया’ थे। उन्होंने पहली बार एवरेस्ट चोटी की प्रामाणिक जानकारी रिकार्ड की थी। तब इस चोटी का नाम रखा गया था-‘पीक-15’। बाद में सन् 1865 में सर जार्ज एवरेस्ट को सम्मानित करने के उद्देश्य से इस चोटी का नाम ‘माउंट एवरेस्ट’ रखा गया।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
आगे बढ़ती भारतीय महिलाओं की पुस्तक पढ़कर उनसे संबंधित चित्रों को संग्रह कीजिए एवं संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करके लिखिए

  1. पी.टी. ऊषा
  2. आरती साहा
  3. किरण बेदी।

उत्तर:

  1. पी.टी. ऊषा भारत की श्रेष्ठ धाविका थी। उसने एशियार्ड खेलों में कई स्वर्ण पदक जीते व ओलंपिक खेलों में चौथे स्थान पर रही।
  2. आरती साहा इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली भारतीय और एशियाई महिला थीं। उन्होंने 42 किलोमीटर का यह चैनल 16 घंटे 20 मिनट में तैरकर पार किया।
  3. किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा में अपनी ईमानदारी और साहस के कारण जानी जाती है। आजकल वे भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने में लगी हुई हैं।

प्रश्न 2.
रामधारी सिंह दिनकर का लेख-‘हिम्मत और जिंदगी’ पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर:
पढिए।

प्रश्न 3.
‘मन के हारे हार हैं, मन के जीते जीत’-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:

  1. पहला छात्र-मनुष्य मन की खुशी चाहता है। इसलिए मनुष्य कहलाता है।
  2. दूसरा छात्र-मनुष्य तन का कष्ट उठाकर भी मन को प्रसन्न करना चाहता है।
  3. तीसरा छात्र-तन और मन दोनों का परस्पर गहरा संबंध है।
  4. चौथा छात्र-मन ही इंजन है जिसके आधार पर तन गति करता है।

Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. Learn Insta try to provide online tutoring for you.

 

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 दिये जल उठे

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 दिये जल उठे.

पाठ्य-पुस्तक के बोध-प्रश्न

प्रश्न 1.
किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया? [CBSE 2012]
उत्तर:
स्थानीय कलेक्टर द्वारा सरदार पटेल की गिरफ्तारी की प्रेरणा का कारण था—पिछले आंदोलन के समय सरदार पटेल द्वारा इसी कलेक्टर को अहमदाबाद से भगा दिया जाना। यही कारण था कि पटेल के द्वारा दो शब्द बोले जाते ही निषेधाज्ञा लागू कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया।

प्रश्न 2.
जज को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।
उत्तर:
जज को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने के लिए डेढ़ घंटा इसलिए लगा क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि किस धारा के तहत उन पर आरोप लगाया जाए और उन्हें जेल भेजा जाए। उस समय पटेल को 500 रुपये के जुर्माने के साथ 3 महीने की जेल की सजा हुई। पुलिस पहरे में ही बोरसद की अदालत में लाया गया। जज के सामने ही उन्होंने अपना अपराध कबूल किया था। वह उन्हें कितनी और किस प्रकार कीसज़ा दें यह तथ्य उसकी समझ में नहीं आ रहा था।

प्रश्न 3.
“मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।”-यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरदार पटेल को रास में अकारण गिरफ्तार कर बिना मुकदमा चलाए उन्हें 500 रुपए का जुर्माना और तीन महीने के कारावास की सजा सुना दी गई थी। जेल के रास्ते में आश्रमवासियों और गांधी से यह कहना, “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।” इस बात का संकेत था कि अंग्रेज़ सरकार मेरी गिरफ्तारी के बाद आपको भी अकारण गिरफ्तार कर सकती है।

प्रश्न 4.
”इनसे आप लोग त्याग ओर हिम्मत सीखें”-गाँधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?
अथवा
रास में गाँधी जी ने अपने भाषण में क्या कहा? अपने शब्दों में लिखिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
रास में गांधी जी का भव्य स्वागत किया गया। दरबार समुदाय के लोग इसमें सबसे आगे थे। दरबार गोपालदास और रविशंकर महाराज वहाँ मौजूद थे। उन्होंने अपने भाषण में दरबारों का खासतौर पर उल्लेख किया है। ये रियासतदार होते हैं। इन्हें साहबी भी कहा गया है। ऐशो-आराम की जिंदगी भी एक तरह का राजपाट था। दरबार सभी कुछ छोड़कर यहाँ बस गए थे। कभी गांधी जी ने कहा था कि इनसे त्याग और साहस की परिभाषाएँ सीखनी चाहिए। धैर्य, त्याग और साहस के द्वारा ही अंग्रेजी शासन को बाहर खदेड़ा जा सकता है।

प्रश्न 5.
पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि-‘कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
गांधी जी अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नमक के कानून को तोड़ना चाहते थे। अंग्रेजों के राज्य में यह काम इतना आसान न था। गांधी जी और सत्याग्रहियों ने अपनी सूझबूझ का परिचय दिया और रास से चलकर मही नदी के किनारे पहुँचे। वहाँ से नाव के सहारे मही नदी पार की। इस यात्रा में उन्हें कई मील पैदल कीचड़ और पानी में चलना पड़ा और अंत में सफल रहे। इससे सिद्ध होता है कि तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेल-जोल से कठिन परिस्थितियों का सामना किया। जा सकता है।

प्रश्न 6.
महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रात 12 बजे महिसागर नदी का किनारा लोगों की भीड़ से भर गया। घना अँधेरा छाया हुआ था। सत्याग्रहियों के आने का इंतजार हो रहा था। गांधी जी बाहर निकले और घुटनों तक पानी में चलकर नाव तक पहुँचे। महात्मा गांधी जी की जय, सरदार पटेल की जय, नेहरू की जय के नारों से महिसागर नदी का किनारा पूँज रहा था। नाव रवाना हुई। उसे निषादराज चला रहे थे। कुछ ही दूर में नारों की आवाज़ नदी के दूसरे तट से भी आने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे नदी का किनारा न हो पहाड़ की घाटी हो जहाँ प्रतिध्वनि सुनाई दे रही थी। महिसागर के दूसरे तट पर भी स्थिति बिलकुल वैसी ही थी। गांधी जी के पार करने के बाद तट पर दिये लेकर खड़े लोग खड़े ही रह गए। अभी सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। शायद उन्हें पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगे। जिन्हें नदी पार करनी होगी।

प्रश्न 7.
”यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूंगा।”-गांधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?
उत्तर:
गांधी धर्म यात्रा को चलकर पूरी करना चाहते थे। उनका मानना था कि यात्रा में कष्ट सहकर सुख, दुख समझें तभी यात्रा सफल होती है। इससे उनके अत्यंत परिश्रमी, आत्मनिर्भर होने, अपना काम स्वयं करने तथा धार्मिक होने जैसी चारित्रिक गुणों का पता चलता है।

प्रश्न 8.
गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?
उत्तर:
गांधी जी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे। झूठ बोलकर और चोरी से काम करना उनकी शैली में नहीं था। उनकी व्यक्तित्व की विशेषताओं से वरिष्ठ अधिकारी भी परिचित थे। ब्रिटिश शासकों में एक ऐसा वर्ग भी था जिसे लग रहा था गांधी जी और उनके सत्याग्रही मही नदी के किनारे अचानक पहुँचकर नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे। समुद्री पानी नदी तट पर काफ़ी नमक छोड़ जाता है जिसकी रखवाली के लिए चौकीदार रखे जाते हैं। वे मानते ही नहीं हैं कि कोई काम गांधी जी अचानक या चुपके से करेंगे। इसके बावजूद भी नदी के तट से सारे नमक के भंडार हटा दिए गए और उन्हें नष्ट करा दिया गया ताकि इसका खतरा ही न रहे। गाँधी जी द्वारा बनाई गई योजना ने वरिष्ठ अधिकारियों को हैरानी में डाल दिया।

प्रश्न 9.
गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?
उत्तर:
गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर इसलिए खड़े थे, ताकि बाद में जो सत्याग्रही आएँगे, उन्हें भी नदी के पार पहुँचाया जा सके।

Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. Learn Insta try to provide online tutoring for you.

 

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 पद

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 पद.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए। [CBSE]
(ख) पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद सौंदर्य आ गया है, जैसे-पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
(ग) पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए- .
उदाहरण :

  • दीपक             बाती
  • …………….         …………….
  • ……………          ……………
  • ……………          ……………
  • ……………          ……………

(घ) दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
(ङ) दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
(च) रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नाम से पुकारा है? [CBSE]
(छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसईआ।
उत्तर:
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना करते हुए कवि ने अपने प्रभु को चंदन, बताते हुए अपनी तुलना पानी से, घन बताते हुए उसे देखकर प्रसन्न होने वाले मोर से, दीपक के साथ जलकर प्रकाश फैलाने वाली बाती से, मोती। के साथ जुड़कर माला बनाने वाले धागे से और सोने में मिलकर उसको मूल्य बढ़ाने वाले सुहागे से की है।

(ख) नाद सौंदर्य प्रस्तुत करने वाले इस पद के अन्य शब्द हैं- मोरा-चकोरा, बाती-राती, धागा-सुहागा, दासा-रैदासा।

(ग) पहले पद में अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध पद हैं-

  • चंदन – पानी
  • दीपक – बाती
  • घन – मोर
  • मोती – धागा
  • चाँद – चकोर
  • सोना – सोहागा
  • स्वामी – दास

(घ) दूसरे पद में कवि ने अपने आराध्य प्रभु को ‘गरीब निवाजु’ कहा है। कवि को पता है कि उसके प्रभु ने समाज के उस वर्ग का भी उधार किया है जिसे कोई स्पर्श भी नहीं करना चाहता है। उन्होंने नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन आदि का उद्धार किया जो समाज के अत्यंत पिछड़े एवं दबे वर्ग से थे। समाज में इस वर्ग का सहायक ईश्वर के अलावा कोई और नहीं होता है। प्रभु द्वारा ऐसे लोगों का उद्धार करने के कारण कवि ने उन्हें गरीब नवाजु कहा है।

(ङ) “जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ पंक्ति का आशय है कि संत कवि रैदास समाज में फैली अस्पृश्यता को पसंद नहीं करते हैं। समाज के लोग इस वर्ग से दूरी बनाकर रहना चाहते हैं। वे छुआछूत के कारण उनके करीब भी नहीं जाते हैं, परंतु कवि के प्रभु इस भेदभाव को नहीं मानते हैं और अपने स्पर्श से उसका भी कल्याण करते हैं। प्रभु अपनी समदर्शिता, दयालुता, उदारता के कारण किसी भक्त से भेदभाव नहीं करते हैं।
(च) रैदास ने अपने स्वामी को गरीब निवाजु, गुसाईं हरिजीउ आदि नामों से पुकारा है।

(छ)
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 1

प्रश्न 2.
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-

  1. जाकी अँग-अँग बास समानी
  2. जैसे चितवत चंद चकोरा
  3. जाकी जोति बरै दिन राती
  4. ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करे ।
  5. नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै [CBSE]

उत्तर:

  1. जिसकी सुगंध मेरे अंग-अंग में समा चुकी है अर्थात् मेरे जीवन रूपी जल में परमात्मा रूपी चंदन की सुगंध समा गई है।
  2. जिस प्रकार चकोर पक्षी दिन-रात चाँद की ओर निहारता रहता है, वैसे ही मैं अपने प्रभु की ओर निहारता रहता हूँ।
  3. रैदास कहते हैं कि उसके जीवन में दिन-रात उसी प्रभु की ज्योति जल रही है।
  4. रैदास कहते हैं कि प्रभु ही सर्वसमर्थ हैं, दीनदयालु और कृपालु हैं। उन्होंने रैदास जैसे अछूत को महान संत बना दिया। ऐसी असीम कृपा ईश्वर ही कर सकता है।
  5. रैदास कहते हैं-गोबिंद सर्वसमर्थ है। वह निडर है। वह रैदास जैसे नीच प्राणी को उच्च कोटि का संत बना सकता है।

प्रश्न 3.
रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
संत कवि रैदास अपने आराध्य प्रभु से अत्यंत घनिष्ठ प्रेम करते हुए अनन्य भक्ति भाव रखते हैं। वे अपने प्रभु से मिलकर उसी प्रकार एकाकार हो जाते हैं; जैसे-चंदन के साथ पानी, घन के साथ मोर, चाँद के साथ चकोर और सोने के साथ सुहागा। वे अपने प्रभु से अनन्य भक्ति करते हैं। उनका प्रभु गरीबों को उद्धार करने वाला है। वह गरीब निवाज गरीबों के माथे पर भी छत्र सुशोभित करने वाला है, अछूतों का उद्धार करने वाला, नीचों को ऊँचा करने वाला तथा अपनी कृपा से सभी का उद्धार करने वाला है।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
भक्त कवि कबीर, गुरु नानक, नामदेव और मीराबाई की रचनाओं का संकलन कीजिए। |
उत्तर:
कबीर, नानक और नामदेव की वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में से पढ़े। मीराबाई के पद पाठ्यक्रम की पुस्तकें खोजकर पढ़ें।

प्रश्न 2.
पाठ में आए दोनों पदों को याद कीजिए और कक्षा में गाकर सुनाइए।
उत्तर:
छात्र याद करके कक्षा में सुनाएँ।

Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. Learn Insta try to provide online tutoring for you.