Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 7 कर्ण

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 7 कर्ण are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 7 कर्ण

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 7

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पांडवों ने किन-किन गुरुओं से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा पाई ?
उत्तर:
पांडवों ने पहले कृपाचार्य से और बाद में द्रोणाचार्य से शिक्षा पाई थी।

प्रश्न 2.
क्या देखकर दुर्योधन का मन ईर्ष्या-द्वेष से जलने लगा?
उत्तर:
अर्जुन की धनुष विद्या का कमाल और चतुरता देखकर दुर्योधन का मन ईर्ष्या और द्वेष से जलने लगा।

प्रश्न 3.
अर्जुन को चुनौती देते समय कर्ण ने क्या कहा था?
उत्तर:
अर्जुन को चुनौती देते हुए कर्ण ने कहा था- “अर्जुन जो भी करतब तुमने यहाँ दिखाए हैं, इससे बढ़कर कौशल मैं भी दिखा सकता हूँ।

प्रश्न 4.
कर्ण की चुनौती सुनकर तैश में आकर अर्जुन ने क्या कहा?
उत्तर:
कर्ण की चुनौती सुनकर अर्जुन ने तैश में आकर कहा- कर्ण! सभा में जो बिना बुलाए जाते हैं और बिना किसी के पूछे बोलने लगते हैं, वे निंदा के योग्य होते हैं।

प्रश्न 5.
अर्जुन की प्रतिक्रिया देने के बाद कर्ण ने उसका जवाब क्या दिया?
उत्तर:
अर्जुन की तैश में आकर प्रतिक्रिया देने के बाद उसके प्रत्युत्तर में कर्ण ने कहा- यह उत्सव केवल तुम्हारे लिए ही नहीं मनाया जा रहा है। राज्य के सभी प्रजाजन इसमें भाग लेने के हकदार हैं। व्यर्थ की डीगें मारने से क्या फायदा चलो, तीरों से मुकाबला कर लेते हैं।

प्रश्न 6.
कर्ण से कृपाचार्य ने क्या कहा था?
उत्तर:
कृपाचार्य ने कर्ण से कहा कि तुम अपना, अपने पिता, अपने राजकुल का परिचय दो। कुल का परिचय आए बिना राजकुमार कभी द्वंद्व युद्ध नहीं करते। अर्जुन परिचय पाकर वंद्व युद्ध के लिए तैयार है।

प्रश्न 7.
कर्ण को देखते ही कुंती के साथ क्या घटना घटी?
उत्तर:
कुंती ने कर्ण को देखते ही पहचान लिया और भय तथा लज्जा के कारण मुर्छित होकर गिर पड़ी।

प्रश्न 8.
कर्ण को लाचार देखकर दुर्योधन ने उसके लिए क्या किया?
उत्तर:
दुर्योधन ने कर्ण को अपने पितामह और धृतराष्ट्र की अनुमति से कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया।

प्रश्न 9.
अंग देश का राजा बनने के बाद कर्ण ने जब सभा में अधिरथ को देखा तो क्या किया?
उत्तर:
अंग देश का राजा बनने के बाद जब कर्ण ने सभा में अधिरथ को देखा तो कर्ण ने धनुष-बाण नीचे रख दिया और पिता मानकर बड़े आदर से उनके आगे सिर झुकाया। अधिरथ ने भी बेटा कहकर कर्ण को गले लगा लिया।

प्रश्न 10.
भीम ने कर्ण का उपहास कैसे उड़ाया ?
उत्तर:
भीम ने कर्ण का उपहास कर्ण के पिता सारथी अधिरथ को देखकर हँसी मारकर बोला-“सारथी के बेटे तुम धनुष छोड़कर हाथ में चाबुक लो, चाबुक। यही तुम्हें शोभा देगा। तुम भला कब से अर्जुन के साथ युद्ध करने के योग्य हो गए।”

प्रश्न 11.
इंद्र ने क्या भिक्षा माँगी और क्यों?
उत्तर:
इंद्र ने अर्जुन को विपत्ति से बचाने के लिए कर्ण से उसके जन्मजात कवच और कुंडलों की भिक्षा माँगी थी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नगर में समारोह का आयोजन क्यों किया गया था?
उत्तर:
जब पांडवों और कौरवों ने अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा में निपुणता प्राप्त कर ली तब उनके कौशल प्रदर्शन के लिए नगर में समारोह का आयोजन किया गया था। सारे नगरवासी देखने आए थे। उस समारोह में तरह-तरह के करतब हुए। सभी राजकुमारों ने प्रतिस्पर्धा में बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपने-अपने शक्ति का प्रदर्शन किया। सभी में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने की होड़ लगी रही।

प्रश्न 2.
कृपाचार्य ने कर्ण से क्या कहा?
उत्तर:
कृपाचार्य ने कर्ण से अपना परिचय देने के लिए कहा। उन्होंने पूछा कि तुम कौन हो? किसके पुत्र हो? किस राजकुल को विभूषित करते हो? उसके परिचय के बाद ही वंद्व युद्ध बराबर वालों के साथ ही होता है।

प्रश्न 3.
वरदान देने के बाद इंद्र ने कर्ण से क्या कहा?
उत्तर:
अपना ‘शक्ति’ नामक शस्त्र कर्ण को देते हुए देवराज ने कहा- युद्ध में तुम जिस किसी को लक्ष्य करके इसका प्रयोग करोगे, वह अवश्य ही मारा जाएगा, किंतु इसका प्रयोग तुम सिर्फ एक बार ही कर सकोगे। तुम्हारे शत्रु को मारने के बाद यह पुनः मेरे पास आ जाएगा।

प्रश्न 4.
परशुराम ने क्रोध में आकर कर्ण को क्या शाफ दिया? और क्यों?
उत्तर:
परशुराम यह जानकर क्रोधित हो गए कि कर्ण ब्राह्मण नहीं है, सुत पुत्र है- शाप देते हैं कि- तुमने अपने गुरु को धोखा दिया है इसलिए जो विद्या तुमने मुझसे सीखी है, वह अंत समय में तुम्हारे किसी काम न आएगी एवं वक्त पर तुम इसे भूल जाओगे और रण क्षेत्र में तुम्हारे रथ का पहिया ज़मीन में फँस जाएगा।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 7

कौरव-पांडवों ने पहले कृपाचार्य और बाद में द्रोणाचार्य से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी। विद्याध्ययन में सफलता प्राप्त करने के बाद उनके कौशल को प्रदर्शित करने के लिए एक समारोह का आयोजन हुआ। तरह-तरह के खेलों में सभी राजकुमारों ने अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया। तीर चलाने की विद्या में अर्जुन सर्वश्रेष्ठ रहा। उसकी दक्षता देखकर सभी दर्शक अत्यधिक प्रभावित हुए लेकिन इसके विपरीत दुर्योधन अंदर ही अंदर जलने लगा। तभी अधिरथ द्वारा पालन-पोषण किया गया कुंती पुत्र कर्ण वहाँ उपस्थित हुआ। कर्ण कुंती पुत्र है यह बात किसी को पता नहीं था। रणभूमि में उसने अपना कौशल दिखाने के लिए अर्जुन को ललकारा। कर्ण ने ललकारते हुए कहा- अर्जुन जो भी करतब तुमने यहाँ दिखाएँ, मैं उससे बढ़कर यहाँ कौशल दिखा सकता हूँ। इस चुनौती को सुनकर दर्शकों में खलबली मच गई लेकिन दुर्योधन मन ही मन काफ़ी प्रसन्न हुआ और वह कर्ण से बोला-बताओ हम तुम्हारे लिए क्या कर सकते हैं। “कर्ण ने कहा- राजन् मैं अर्जुन से वंद्व युद्ध और आपसे मित्रता करना चाहता हूँ। कर्ण की चुनौती सुनकर अर्जुन ने कर्ण से कहा- कर्ण सभा में बिना बुलाए आते हैं और बिना किसी के पूछे बोलने लगते हैं, वे निंदा के पात्र होते हैं। यह सुनकर कर्ण ने कहा- “अर्जुन यह उत्सव केवल तुम्हारे लिए ही नहीं मनाया जा रहा है। राज्य की सभी प्रजा इसमें भाग लेने का अधिकार रखती है। जब कर्ण ने अर्जुन को चुनौती दी तो दर्शकों ने तालियाँ बजाई। कुंती कर्ण को देखकर पहचान गई थी लेकिन भय और लज्जा के कारण मूर्छित हो गई।

इसी बीच कृपाचार्य ने उठकर कर्ण से कहा- “अज्ञातवीर! पांडु पुत्र अर्जुन तुम्हारे साथ युद्ध करने के लिए तैयार हैं किंतु इसके पहले तुम्हें अपना परिचय देना होगा। कुल का परिचय पाए बिना राजकुमार कभी युद्ध नहीं करते। कृपाचार्य की इस बात को सुनकर कर्ण का सिर झुक गया। पास में खड़ा दुर्योधन बोला- अगर बराबरी की बात है तो आज मैं कर्ण को अंग देश का राजा बनाता हूँ। दुर्योधन ने तुरंत पितामह भीष्म एवं पिता धृतराष्ट्र से अनुमति लेकर वहीं रणभूमि में कर्ण को अंगदेश का राजा घोषित कर दिया। उस समय शाम हो चुकी थी। अतः सभी लोग अपने-अपने घर जा रहे थे और अर्जुन, कर्ण और दुर्योधन का उद्घोष कर रहे थे। इस घटना के काफ़ी समय बाद एक दिन इंद्र बूढ़े ब्राह्मण के वेश में कर्ण के पास गए और उनके जन्मजात कवच और कुंडलों की भिक्षा स्वरूप माँगकर अपने साथ ले गए। इंद्र को डर था कि भावी युद्ध में कर्ण की शक्ति से अर्जुन पर विपत्ति आ सकती है। अतः कर्ण की शक्ति को कम करने की इच्छा से उसने यह भिक्षा माँगी।

उधर सर्यदेव ने कर्ण को पहले से ही सचेत कर दिया कि इंद्र तम्हें धोखा देने के लिए ऐसी चाल चलने वाले है लेकिन कर्ण तो महादानी था। इस बात को जानते हुए भी कर्ण ने इंद्र को अपना जन्मजात कवच और कुंडल निकाल कर भिक्षा में दान दे दिया। इंद्र इससे प्रसन्न होकर वरदान माँगने को कहा।

कर्ण ने देवराज इंद्र से कहा- “आप प्रसन्न हैं तो शत्रुओं का संहार करने वाला अपना ‘शक्ति’ नामक शस्त्र मुझे प्रदान करें।” बड़ी प्रसन्नता के साथ इंद्र ने अपना वह शस्त्र कर्ण को देते हुए कहा- युद्ध में तुम जिस किसी को लक्ष्य करके इसका प्रयोग करोगे, वह अवश्य ही मारा जायेगा परंतु एक ही बार तुम इसका प्रयोग कर सकोगे। तुम्हारे शत्रु को मारने के बाद यह मेरे पास वापस आ जाएगा” इतना कहकर इंद्र चले गए।

एक बार कर्ण ब्रह्मास्त्र सीखने की इच्छा से ब्राह्मण के वेश में परशुराम जी के पास गया और उनसे प्रार्थना की कि उसे शिष्य के रूप में स्वीकार करने की कृपा करें। परशुराम ने कर्ण को ब्राह्मण समझकर ब्रह्मास्त्र चलाना सिखा दिया।

एक दिन परशुराम जी कर्ण की जाँघ पर सिर रखकर सो रहे थे। एक काले भौंरे ने कर्ण की जाँघ के नीचे घुसकर कर्ण को लहूलुहान कर दिया। कर्ण ने गुरुदेव की नींद भंग होने की भय से जाँघ को हिलाया नहीं। रक्त से शरीर भीगने पर परशुराम जगे तो उन्होंने जाँघ से बहते हुए खून को देखकर कर्ण से पूछा- बेटा सच बताओ तुम कौन हो?” तब कर्ण असली बात न छिपा सका। उसने स्वीकार किया कि वह ब्राह्मण नहीं है। यह जानकर परशुराम को बड़ा क्रोध आया। अतः उन्होंने उसी समय कर्ण को शाप देते हुए कहा- चूँकि तुमने अपने गुरु को ही धोखा दिया है, इसलिए जो विद्या तुमने मुझसे सीखी है, वह अंत के समय में तुम्हारे किसी काम न आएगी। ऐन वक्त पर तुम उसे भूल जाओगे और रण क्षेत्र में तुम्हारे रथ का पहिया पृथ्वी में फँस जायेगा।

कर्ण को यह विद्या जीवन भर याद रही लेकिन कुरुक्षेत्र के युद्ध के समय याद न रही। शाप वश उसके रथ का पहिया ज़मीन में धंस गया। जब कर्ण धनुष-बाण रखकर धंसा हुआ पहिया निकाल रहा था, तब अर्जुन ने प्रहार करके कर्ण को मार दिया।

कर्ण सदैव कौरवों के साथ रहे। भीष्म और आचार्य द्रोण के बाद कर्ण कौरव सेनापति रहा और दो दिन तक कुशलता के साथ युद्ध का संचालन किया। कर्ण की मृत्यु सुनकर माता कुंती काफ़ी विचलित हो गई।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-14- निपुणता – कुशलता, प्रदर्शन – दिखावा, सानी – मुकाबला, रंगभूमि – समारोह का आयोजन स्थल।
पृष्ठ संख्या-15- विपत्ति – संकट, देवराज – देवताओं के राजा इंद्र, लहू – खून, सूत्र-पूत्र – सारथी का पुत्र, घनिष्ठता – नजदीकी।
पृष्ठ संख्या-16- आहत – घायल, प्रयत्न – कोशिश, प्रहार – वार, चोट।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 6 भीम

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 6 भीम are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 6 भीम

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 6

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दुर्योधन भीम से ईर्ष्या क्यों करता था?
उत्तर:
दुर्योधन भीम से ईर्ष्या इसलिए करता था, क्योंकि भीम दुर्योधन से अधिक ताकतवर था।

प्रश्न 2.
पांडव कितने भाई थे? उनके नाम बताइए।
उत्तर:
पांडव पाँच भाई थे- युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव।

प्रश्न 3.
धृतराष्ट्र के कितने पुत्र थे? वे क्या कहलाते थे?
उत्तर:
धृतराष्ट्र के सौ पुत्र थे। वे कौरव कहलाते थे।

प्रश्न 4.
कौरव-पांडव किससे अस्त्र विद्या सीखने लगे।
उत्तर:
कौरव-पांडव कृपाचार्य से अस्त्र-विद्या सीखने लगे।

प्रश्न 5.
भीम को मारने के लिए कौरवों ने क्या फ़ैसला किया?
उत्तर:
भीम को मारने के लिए कौरवों ने गंगा में डूबो कर मारने का फैसला किया।

प्रश्न 6.
भीम पर विष का क्या असर हुआ?
उत्तर:
भीम को बेहोशी आ गई और वह गंगा के किनारे गिर पड़ा।

प्रश्न 7.
पांडवों और कुंती की खुशी का कारण क्या था?
उत्तर:
भीम झूमता-झामता जिंदा चला आ रहा था। अतः उसे देखकर पांडवों और कुंती को काफ़ी प्रसन्नता हुई।

प्रश्न 8.
कंती ने अपनी चिंता किसके सामने प्रकट की?
उत्तर:
कुंती ने अपनी चिंता विदुर के सामने प्रकट की।

प्रश्न 9.
कुंती ने अपने पुत्रों के प्रति कौरवों के वैर-भाव देखकर विदुर से क्या चिंता व्यक्त की?
उत्तर:
कुंती ने अपने पुत्रों के प्रति कौरवों का ईर्ष्यापूर्ण रवैया देखकर विदुर से बोली कि दुष्ट दुर्योधन कोई न कोई चाल ज़रूर चल रहा है। राज्य के लोभ में वह भीम को मार डालना चाहता है। अतः उन्हें अपने बच्चों के प्रति चिंता हो रही है।

प्रश्न 10.
युधिष्ठिर ने भीम को क्या समझाया?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने भीम को समझाया कि भीम अभी सही समय नहीं आया है, उन्हें अपने आप को नियंत्रित करके रखना होगा। इस समय हम पाँचों भाइयों को किसी तरह एक-दूसरे की रक्षा करते हुए अपने आपको बचाना है।

प्रश्न 11.
भीम के जीवित वापस आने पर दुर्योधन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
भीम के वापस आ जाने पर दुर्योधन आश्चर्यचकित हो गया। अपनी योजना विफल होने पर उसका हृदय ईर्ष्या से जलने लगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भीम को मारने की दुर्योधन ने क्या योजना बनाई ?
उत्तर:
भीम को मारने के लिए दुर्योधन ने पांडवों को जल-क्रीड़ा का न्योता दिया। खेलने व तैरने से थकने के बाद सभी को भोजन कराया गया। दुर्योधन ने छल से भीम के भोजन में विष मिला दिया। भोजन करके सब अपने-अपने डेरों में सोने चले गए, लेकिन भीम विष के प्रभाव से गंगा तट पर रेत में गिर गया। ऐसी हालत में दुर्योधन ने भीम के हाथ पैर बाँधकर उसे गंगा नदी में बहा दिया।

प्रश्न 2.
कौरव विशेषकर भीम से ईर्ष्या क्यों रखते थे?
उत्तर:
कौरव विशेषकर भीम से ईर्ष्या इसलिए रखते थे, क्योंकि भीम में शारीरिक बल सबसे बढ़कर था। वह दुर्योधन और उसके भाइयों को खेल-कूद में खूब परेशान किया करता था। यद्यपि कौरवों के प्रति भीम के मन में कोई वेष भाव नहीं था। वह बचपन के जोश में ऐसा करता था। फिर भी कौरव पांडवों से विशेषकर भीम से जलते थे।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 6

पाँचों पांडव और धृतराष्ट्र के सौ पुत्र साथ-साथ रहते थे। वे आपस में खेलते व हँसी मज़ाक करते रहते थे। इन सभी भाइयों में भीम सबसे शक्तिशाली थे। खेलों में वह दुर्योधन व उसके भाइयों को बचपन के जोश में आकर खूब तंग करता था। इस कारण दुर्योधन तथा उसके भाई भीम से द्वेष करने लगे, यद्यपि भीम अपने मन में किसी से वेष एवं वैर भाव नहीं रखते थे। फिर भी दुर्योधन तथा उसके भाइयों के मन में भीम के प्रति वैर बढ़ने लगा। इधर कौरव और पांडव कृपाचार्य से और बाद में द्रोणाचार्य से शिक्षा प्राप्त करने लगे। विद्या में निपुणता प्राप्त करने के बाद उस कौशल को प्रदर्शित करने के लिए एक समारोह का आयोजन हुआ। तरहतरह के अभ्यासों में सभी राजकुमारों ने अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया। तीर चलाने की विद्या में अर्जुन सर्वश्रेष्ठ रहा। उसकी दक्षता देखकर सभी दर्शक अत्यधिक प्रभावित हुए किंतु दुर्योधन उनकी सफलता को देखकर ईर्ष्या से जलने लगे। दुर्योधन हमेशा पांडवों को नीचा दिखाने का प्रयास करने लगे। विद्याध्ययन में भी पांडव कौरवों से आगे थे, जिससे कौरव-पांडवों के बीच ईर्ष्या की भावना और बढ़ने लगी। दुर्योधन सदैव पांडवों को नीचा दिखाने में लगा रहता था। भीम और दुर्योधन के बीच आपस में कभी नहीं बनती थी। एक बार कौरवों ने भीम को गंगा में डूबोकर मार डालने की योजना बनाई।

एक दिन दुर्योधन ने जल क्रीड़ा करने के लिए पाँचों पांडवों को न्योता दिया। बहुत देर खेलने व तैरने के बाद डटकर भोजन के बाद सब अपने अपने डेरों में सो गए। दुर्योधन ने चुपके से भीम के भोजन में पहले से ही विष मिला दिया था। सब लोग सो रहे थे। भीम विष के नशे में गंगा के किनारे रेत में ही गिर गया। दुर्योधन ने लताओं से भीम के हाथ पैर बाँधकर गंगा में बहा दिया। दुर्योधन अंदर-अंदर. काफ़ी खुश था कि भीम तो मर गया।

जब युधिष्ठिर और उनके भाइयों की नींद खुली तब उन्होंने अपने बीच भीम को नहीं पाया। तब चारों भाइयों ने जंगल तथा गंगा तट पर भीम की तलाश की, पर भीम का कहीं पता न चला। वे सब निराश होकर अपनी-अपनी जगह पर वापस आ गए। इतने में भीम झूमता-झूमता वापस आ गया। भीम को देखकर कुंती तथा पांडवों को बहुत खुशी हुई। उन्होंने भीम को गले लगा लिए। माता कुंती को यह सब जानकर काफ़ी दुख हुआ। उसने विदुर को बुलवाया और अकेले में कहा कि- “दुष्ट दुर्योधन राज्य के लालच में भीम को जान से मार डालने की कोशिश कर रहा है।” मुझे इसकी चिंता हो रही है।

विदुर कुशल राजनीतिज्ञ थे और उन्होंने कुंती को समझाते हुए कहा कि तुम्हारा कहना सही है, लेकिन भलाई इसी में है कि इस बात को गुप्त रखा जाय। प्रत्यक्ष रूप से उसके सामने उसका निंदा नहीं करना वरना इससे उसका विद्वेष और बढ़ेगा। इस घटना से भीम काफ़ी उत्तेजित हो गया। फिर भीम को समझाते हुए युधिष्ठिर ने कहा- “भाई भीम, अभी समय नहीं आया है। इसमें अपने आप को सँभालना होगा तथा पाँचों भाइयों को किसी प्रकार एक दूसरे की रक्षा करनी होगी ताकि हम सबका जीवन सुरक्षित रहें।” भीम के वापस आ जाने से दुर्योधन को बड़ा आश्चर्य हुआ। वह ईर्ष्या से और जलने लगा।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-12
द्वेषभाव – ईर्ष्या की भावना, ज़रा – तनिक, छल – कपट, विष – जहर, खीझना – चिढ़ना, प्रयत्न – कोशिश।

पृष्ठ संख्या-13
काम तमाम करना – जान से मारना, निंदा – बुराई, कदापि-कभी नहीं, उत्तेजित – क्रोधित।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 5 कुंती

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 5 कुंती are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 5 कुंती

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 5

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विदुर का पहला नाम क्या था?
उत्तर:
विदुर का पहला नाम धर्मदेव था।

प्रश्न 2.
सूरसेन कौन थे?
उत्तर:
सूरसेन यदुवंश के लोकप्रिय राजा और श्रीकृष्ण के पितामह थे।

प्रश्न 3.
पृथा किसकी बेटी थी?
उत्तर:
पृथा यदुवंश के प्रसिद्ध राजा सूरसेन की पुत्री थी।

प्रश्न 4.
धर्मदेव का जन्म किसकी कोख से हुआ था?
उत्तर:
धर्मदेव का जन्म विचित्रवीर्य की रानी अंबालिका की दासी की कोख से हुआ था।

प्रश्न 5.
कर्ण का पालन-पोषण किसने किया था?
उत्तर:
कर्ण का लालन-पालन अधिरथ नाम के सारथी ने किया था।

प्रश्न 6.
पृथा का नाम कुंती कैसे पड़ा?
उत्तर:
पृथा के पिता सूरसेन ने अपने फूफेरे भाई कुंतिभोज को वचन दिया था कि अपनी पहली संतान उसे गोद देगा। जब कुंतिभोज ने पृथा को गोद लिया तब उन्होंने पृथा का नाम परिवर्तित कर कुंती रख दिया। इस प्रकार पृथा का नाम कुंती हो गया।

प्रश्न 7.
धृतराष्ट्र ने विदुर को क्या बनाया?
उत्तर:
धृतराष्ट्र ने विदुर को अपना प्रधानमंत्री बनाया।

प्रश्न 8.
पांडु के पत्नियों का नाम बताएँ।
उत्तर:
पांडु की दो पत्नियाँ थीं – कुंती व माद्री।

प्रश्न 9.
पांडु को शाप क्यों मिला?
उत्तर:
जंगल में हिरण का रूप धारण कर दो ऋषि दंपति विचरण कर रहे थे। जाने-अनजाने में शिकार खेलते हुए पांडु के तीर उन दंपति में से एक को जा लगी, जिससे उनमें से एक की मृत्यु हो गई। ऋषि ने मरते-मरते पांडु को शाप दिया था।

प्रश्न 10.
पांडु की मृत्यु कैसे हुई ?
उत्तर:
वसंत ऋतु में पांडु अपनी पत्नी माद्री के साथ वन-विहार कर रहे थे। ऋतु की मादकता और पत्नी की सुंदरता को देखकर आकर्षित हो गए। उनमें वासना की भावना जगी। वे शाप को भूल गए। माद्री के समीप आते ही उनकी मृत्यु हो गई।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विदुर का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
उत्तर:
विचित्रवीर्य की पत्नी अंबालिका की दासी की कोख से धर्मदेव का जन्म हुआ। यही बालक बड़ा होकर बिदुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। विदुर को धर्म-शास्त्र और राजनीति का काफ़ी ज्ञान था। उन्हें क्रोध नहीं आता था। उनके विवेक और ज्ञान के कारण ही उन्हें बाद में राज्य का प्रधानमंत्री बनाया गया था।

प्रश्न 2.
मुनि दुर्वासा कुंती से क्यों प्रसन्न थे? उन्होंने प्रसन्न होकर उसे क्या वरदान दिया?
उत्तर:
कुंती ने मुनि दुर्वासा की एक वर्ष तक बड़ी लगन के साथ सेवा की थी। उनकी सेवा भावना से खुश होकर उन्होंने उसे वरदान दिया कि जब तुम किसी भी देवता का ध्यान करोगी, तो वह अपने समान तेजस्वी पुत्र प्रदान करेगा।

प्रश्न 3.
माद्री पति के साथ सती क्यों हो गई?
उत्तर:
माद्री पति के साथ सती इसलिए हो गई क्योंकि वह स्वयं को पति की मृत्यु का कारण मानती थी, इसलिए वह पति के साथ सती हो गई।

प्रश्न 4.
कुंती ने पति की मृत्यु के बाद क्या किया?
उत्तर:
कुंती अपने पति की मृत्यु के बाद अपने पाँचों पुत्रों के साथ हस्तिनापुर चली गई और अपने पुत्रों को भीष्म पितामह को सौंप दिया।

प्रश्न 5.
पांडु की मृत्यु का सत्यवती पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
पांडु की मृत्यु की खबर सुनकर सत्यवती अपनी विधवा पुत्रवधुओं को लेकर वन में चली गई और कुछ दिन बाद इन तीनों विधवाओं की मृत्यु हो गई।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 5

एक बार कुंतिभोज के घर ऋषि दुर्वासा पधारे। ऋषि ने प्रसन्न होकर कुंती को वरदान दिया कि तुम जिस देवता का ध्यान करोगी, तो वह अपने समान तेजस्वी पुत्र प्रदान करेगा।

कुंती ने ऋषि के वरदान की परीक्षा लेने के लिए एक दिन सूर्यदेव का ध्यान किया। सूर्यदेव के संयोग से जन्मजात कवच और कुंडलों से युक्त एक बालक को जन्म दिया। कुंती अभी अविवाहित थी। अतः लोकनिंदा के डर से उसने बच्चे को एक पेटी में सावधानीपूर्वक बंद करके गंगा में बहा दिया। अधिरथ नाम के सारथी की नज़र उस बालक पर पड़ी। वह निस्संतान था। वह इस बालक को पाकर बहुत खुश हुआ। इस तरह से सूर्य पुत्र कर्ण एक सारथी के घर पलने लगा। यह बालक आगे चलकर शस्त्रधारियों में श्रेष्ठ कर्ण कहलाया।

विवाह योग्य होने पर कुंती ने स्वयंवर में पांडु का वरण किया। इस प्रकार पांडु का दूसरा विवाह मद्रराज की कन्या माद्री से हुआ। एक दिन महाराज पांडु वन में शिकार खेलने गए। वहाँ एक ऋषि दम्पति हिरण के रूप में विचरण कर रहे थे। पांडु उस दिन माद्री के साथ वहाँ प्रकृति का आनंद ले रहे थे। उन्हें इस बात का पता नहीं था कि हिरण जोड़ी ऋषि हैं। उन्होंने हिरण को मार गिराया। मरते-मरते ऋषि ने शाप दे दिया कि तुम भी जब अपनी पत्नी के साथ विहार करोगे तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-10
जन्मजात – पैदा होते ही, उत्पन्न होने के समय ही। विख्यात – प्रसिद्ध, महसूर। लोक – निंदा-समाज में होने वाली बुराई। नज़र – दृष्टि। निस्संतान – जिसको संतान न हो। प्रथा – परंपरा।

पृष्ठ संख्या-11
सलाह – राय, ब्याह – शादी, दंपति – पत्नी-पति, खिन्न – दुखी, लालसा – अभिलाषा, ज़िक्र – वर्णन, सुषमासौंदर्य, सुंदरता, निहारना – देखना, असर – प्रभाव, तत्काल – तुरंत, छल – प्रपंच-धोखा, संभवतः – शायद।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 4 विदुर

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 4 विदुर are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 4 विदुर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 4

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विदुर कौन थे?
उत्तर:
विदुर विचित्र वीर्य की रानी अंबालिका की दासी के पुत्र थे।

प्रश्न 2.
विदुर किस स्वभाव के व्यक्ति थे?
उत्तर:
विदुर धर्मशास्त्र एवं राजनीति के पंडित थे। इनमें इनका अथाह ज्ञान था। वे क्रोध एवं अभिमान से दूर रहते थे।

प्रश्न 3.
विदुर ने धृतराष्ट्र द्वारा दुर्योधन को जुआ खेलने की अनुमति दिए जाने पर क्या किया?
उत्तर:
विदुर ने धृतराष्ट्र को सलाह दिया कि जुआ खेलने से पुत्रों के बीच वैर भाव बढ़ेगा, अतः जुआ खेलने की अनुमति न दें। धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को समझाते हुए कहा कि विदुर बड़ा बुद्धिमान है, वह हमेशा हमारा हित चाहता है। उसके बताए हुए रास्ते पर चलने में हमारी भलाई है। अत: बेटा! जुआ खेलने का विचार छोड़ दो।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विदुर युधिष्ठिर के पास क्यों गए? युधिष्ठिर ने विदुर की बात क्यों नहीं मानी?
उत्तर:
विदुर युधिष्ठिर के पास इसलिए गए ताकि जुएँ के खेल को रुकवाया जा सके। युधिष्ठिर विदुर की बातों से सहमत थे, लेकिन महाराज धृतराष्ट्र के प्रस्ताव की अवहेलना नहीं कर सकते थे। उनका मानना था कि युद्ध या खेल के लिए बुलाए जाने पर न जाना क्षत्रिय धर्म नहीं है। यह बात बताकर युधिष्ठिर क्षत्रिय कुल की मर्यादा रखने के लिए जुआ खेलने गए।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 4

विचित्र वीर्य की रानी अंबालिका की दासी की कोख से धर्मदेव विदुर का जन्म हुआ था। वह आगे चलकर विदुर के नाम से प्रसिद्ध हुए। वे धर्म-शास्त्र तथा राजनीति के ज्ञाता थे। वे क्रोध और अहंकार से दूर रहते थे। वे बहुत ही बुद्धिमान व विनम्र थे। उनके विवेक और ज्ञान से प्रभावित होकर भीष्म पितामह ने उन्हें धृतराष्ट्र का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। जब धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को जुआ खेलने की अनुमति दी, तब विदुर ने धृतराष्ट्र को आग्रहपूर्वक समझाने का काफ़ी प्रयास किया। उन्होंने समझाया कि जुआ खेलने से पुत्रों में वैरभाव बढ़ेगा। धृतराष्ट्र ने विदुर की बात से प्रभावित होकर दुर्योधन को बहुत समझाया परंतु वह बिलकुल न माना। जब धृतराष्ट्र को विदुर नहीं समझा पाया तब वह युधिष्ठिर के पास गए और उनको जुआ खेलने से रोकने का प्रयत्न किया। युधिष्ठिर ने विदुर से कहा कि मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ लेकिन महाराज धृतराष्ट्र बुलाएँ तो मैं कैसे मना कर सकता हूँ।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-9
प्रख्यात – प्रसिद्ध, वैरभाव – दुश्मनी, कुचाल – गलत रास्ता, नाश – पतन, स्नेह – प्रेम।

पृष्ठ संख्या-10
न्यौता – निमंत्रण, आदर – सम्मान, मर्यादा – प्रतिष्ठा अथवा सम्मान

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 3 अंबा और भीष्म

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 3 अंबा और भीष्म are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 3 अंबा और भीष्म

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 3

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चित्रांगद कौन था?
उत्तर:
चित्रांगद सत्यवती का बड़ा लड़का था।

प्रश्न 2.
चित्रांगद की मृत्यु कैसे हुई।
उत्तर:
चित्रांगद वीर और स्वार्थी प्रकृति का व्यक्ति था। उसकी मृत्यु गंधर्वो के साथ युद्ध में हुई थी।

प्रश्न 3.
स्वयंवर में राजकुमारों ने हंसी क्यों उड़ाई थी।
उत्तर:
यहाँ पर सभी उपस्थित राजकुमार जानते थे कि भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा ली थी, भीष्म को स्वयंवर में देखकर राजकुमारों ने सोचा कि वे स्वयंवर में भाग लेने आए हैं। उनको लगा कि इन्होंने जो प्रतिज्ञा की थी वह झूठी है।

प्रश्न 4.
विचित्र वीर्य के विवाह योग्य होने पर भीष्म ने क्या किया?
उत्तर:
जब विचित्र वीर्य विवाह के योग्य हुए तो भीष्म को उसके विवाह की चिंता हुई। तभी भीष्म को पता चला कि काशीराज की पुत्री का स्वयंवर होने वाला है। वे स्वयंवर पहुँच गए और बलपूर्वक काशीराज की तीनों पुत्रियों को हस्तिनापुर ले आए। उनकी मनसा विचित्र वीर्य का विवाह इन कन्याओं के साथ कराना था।

प्रश्न 5.
भीष्म और शल्य के बीच युद्ध क्यों हुआ?
उत्तर:
शल्य राजकुमार काशीराज की बड़ी पुत्री से प्रेम करते थे। भीष्म ने अंबा को भी हरण कर लिया था। शल्य ने भीष्म को रोकने के लिए युद्ध किया लेकिन युद्ध में वह हार गया। काशीराज की पुत्री के अनुरोध पर शल्य को जीवित छोड़ दिया।

प्रश्न 6.
भीष्म से बदला लेने के लिए अंबा ने क्या प्रयास किया?
उत्तर:
भीष्म से बदला लेने के लिए अंबा कई राजाओं से मिलकर युद्ध करने के लिए अनुरोध किया लेकिन कोई राजा उनसे सामना करने की साहस नहीं जुटा पाए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जब विवाह मंडप में जाने का समय आया तो काशीराज की बड़ी पुत्री ने एकांत में जाकर क्या कहा?
उत्तर:
काशीराज की बड़ी पुत्री अंबा ने भीष्म को एकांत में जाकर बोली, मैंने अपने मन से सोम देश के राजा शल्य को अपना पति मान चुकी हूँ। इसी दौरान आप बलपूर्वक मुझे वहाँ से उठा लाए। मेरे मन की इच्छा जानने के बाद आप जो उचित समझें फैसला करें।

प्रश्न 2.
अंबा की शल्य को अपना पति स्वीकार करने की बात सुनकर भीष्म ने क्या किया?
उत्तर:
जब भीष्म ने अंबा की पूरी बात सुनी तो इसके बाद भीष्म ने अंबा को शल्य के पास भेजा दिया। अंबा ने शल्य को सारी बात बताई। शल्य ने अंबा को यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि भीष्म ने युद्ध में हरा दिया है और बलपूर्वक तुम्हारा हरण करके ले गया। ऐसी परिस्थिति में मैं तुमसे विवाह नहीं कर सकता हूँ।

प्रश्न 3.
अंबा परशुराम के पास क्यों गई?
उत्तर:
भीष्म से अपना बदला लेने के लिए वह परशुराम के पास गई क्योंकि परशुराम ही इतना शक्तिशाली था जो भीष्म को हराने की शक्ति रखता था। भीष्म और परशुराम में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में परशुराम की पराजय हुई।

प्रश्न 4.
अंबा ने भीष्म से किस प्रकार बदला लिया?
उत्तर:
परशुराम की पराजय के बाद अंबा ने वन में जाकर तपस्या शुरू कर दी। वह अपने तपो बल से स्त्री से पुरुष के रूप में परिवर्तित हो गई। पुरुष बनने के बाद उसने अपना नाम शिखंडी रख लिया। जब कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में युद्ध हुआ तो भीष्म के साथ युद्ध में लड़ते हुए शिखंडी अर्जुन के रथ के आगे बैठा था। भीष्म को यह बात मालूम थी कि शिखंडी ही अंबा है अतः उन्होंने उस पर बाण नहीं चलाया। शिखंडी को आगे करके विजय प्राप्त की। इस तरह से अंबा ने अपने अपमान का बदला लिया।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 3

सत्यवती के बड़े पुत्र चित्रांगद गंधर्वो के द्वारा युद्ध में मारे जाने के उपरांत विचित्र वीर्य हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठे। उस समय उनकी आयु काफ़ी कम थी। अतः हस्तिनापुर का राज-काज भी भीष्म को ही संभालना पड़ा। विचित्र वीर्य के विवाह योग्य होने पर भीष्म को उनके विवाह की चिंता हुई। उन्हें पता चला कि काशीराज की पुत्री का स्वयंवर होने वाला है। भीष्म भी स्वयंवर में पहुँच गए। भीष्म को देखकर सभी राजाओं के बीच चर्चा होने लगी कि इन्होंने जीवनभर ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की थी। क्या वह झूठी थी, यह जानकर काशीराज की पुत्रियों ने भी भीष्म की अवहेलना की। भीष्म इस अवहेलना को सहन नहीं कर पाए। वे बलपूर्वक काशीराज की तीनों पुत्रियों को रथ पर बैठाकर हस्तिनापुर चल पड़े। इसके बाद शल्य ने भीष्म का पीछा करके उसे रोकने का काफ़ी प्रयास किया। भीष्म और शल्य के बीच भयंकर युद्ध हुआ। भीष्म ने शल्य को हरा दिया लेकिन काशीराज की पुत्रियों के अनुरोध पर शल्य को जीवित छोड़ दिया। हस्तिनापुर पहुँचकर जब भीष्म विचित्रवीर्य के साथ विवाह के लिए काशीराज की पुत्रियों को विवाह मंडप पर ले जाने लगे तो काशीराज की बड़ी पुत्री अंबा ने भीष्म को एकांत में बुलाकर कहा कि मैं राजा शल्य से प्रेम करती हूँ। मैंने उन्हें अपना पति मान लिया है। भीष्म ने अंबा को शल्य के पास भेज दिया लेकिन शल्य ने यह कहकर लौटा दिया कि भीष्म ने सभी राजाओं के सामने उसे हरा दिया और तुम्हें हरण कर ले गया है, इसलिए अब मैं तुम्हें स्वीकार नहीं कर सकता। इसके बाद अंबा पुनः हस्तिनापुर लौट गई। विचित्रवीर्य भी अंबा से विवाह के लिए तैयार नहीं हुए। अंबा ने भीष्म से कहा अब आप ही मेरे साथ विवाह करें लेकिन भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के बारे में बताया कि वह किसी के साथ शादी नहीं कर सकते। अंबा इस प्रकार हस्तिनापुर और सौम्य देश के बीच भटकती रही। उसके मन में आक्रोश की आग जलने लगी। भीष्म से बदला लेने के लिए वह अनेक राजाओं के पास गई लेकिन कोई राजा भीष्म के साथ युद्ध करने के लिए तैयार नहीं हुआ। अंबा ने अपनी व्यथा परशुराम को सुनाई। परशुराम ने भीष्म के साथ युद्ध किया लेकिन उनकी पराजय हुई। उसके बाद अंबा वन में गई और वहाँ तपस्या करने लगी। तप के प्रभाव से वह स्त्री से पुरुष बन गई। पुरुष बनने के बाद उसने अपना नाम शिखंडी रखा। कौरवों और पांडवों के मध्य हुआ तो शिखंडी ने अर्जुन का सारथी बनकर भीष्म से अपना प्रतिशोध लिया। भीष्म ने शिखंडी पर बाण चलाना अपनी वीरोचित प्रतिष्ठा के खिलाफ़ समझा। इसी बीच अर्जुन ने भीष्म पर बाणों से प्रहार करके विजय प्राप्त की।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-7
स्वेच्छाचारी – अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने वाला, स्वयंवर – विवाह की एक प्रथा, स्पर्धा – प्रतियोगिता, फब्तियाँ – तंज कसना।

पृष्ठ संख्या-8
गांगेय – गंगा के पुत्र अर्थात भीष्म, मिन्नतें करना – निवेदन करना, दया – दया से परिपूर्ण भाव, वध करना – जान से मारना।