Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 32 बारहवाँ दिन

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 32 बारहवाँ दिन

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 32

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दुर्योधन ने अर्जुन को युद्ध क्षेत्र से दूर ले जाने का निर्णय क्यों किया?
उत्तर:
दुर्योधन ने अर्जुन को रण क्षेत्र से दूर ले जाने का निर्णय इसलिए किया ताकि युधिष्ठिर को बंदी बना सके।

प्रश्न 2.
बारहवें दिन युद्ध में क्या अफवाह फैल गई?
उत्तर:
बारहवें दिन के युद्ध में यह अफवाह फैल गई कि भगदत्त के हाथी ने भीम को मार गिराया।

प्रश्न 3.
अर्जुन उस समय कहाँ किससे लड़ रहा था?
उत्तर:
अर्जुन उस समय दूर जाकर संशप्तकों से लड़ रहा था।

प्रश्न 4.
अर्जुन ने भगदत्त का क्या हाल कर दिया?
उत्तर:
अर्जुन ने भगदत्त के नाजुक स्थानों पर बाण चला कर उन्हें बेध डाला, उसकी रेशमी पट्टी काट डाली।

प्रश्न 5.
अर्जुन द्वारा छोड़े गए बाणों से शकुनि के कौन-कौन भाई मारे गए?
उत्तर:
अर्जुन द्वारा छोड़े गए बाणों से शकुनि के दो भाई कृषक तथा अचक मारे गए।

प्रश्न 6.
बारहवें दिन के युद्ध की उल्लेखनीय घटनाएँ क्या रहीं?
उत्तर:
बारहवें दिन की उल्लेखनीय घटनाएँ थीं, द्रोणाचार्य युधिष्ठिर को पकड़ने में असफल रहे और अर्जुन के द्वारा युद्ध में भगदत्त के अतिरिक्त असंख्य वीर योद्धा मारे गए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्जुन ने भगदत्त को कैसे मारा?
उत्तर:
अर्जुन ने अपने गांडीव से भगदत्त पर बाण चलाए। इससे भगदत्त के धनुष और तरकश का भी बुरा हाल हुआ। फिर अर्जुन ने भगदत्त के मर्म स्थलों को बाणों से छेद डाला। अर्जुन के तेज़ बाणों से भगदत्त के आँखों के ऊपर बँधी हुई रेशम की पट्टी फट गई जो उसकी आँखों के ऊपर लटक जाने वाली चमड़ी को उठाए रखती थी। इससे भगदत्त की आँखें बंद हो गईं। उसे कुछ नहीं सूझने लगा। वह अँधेरे में खो गया। फिर अर्जुन ने एक शक्तिशाली बाण से उसकी छाती बेध डाली जिससे भगदत्त गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 2.
बारहवें दिन के युद्ध में कौन-सी घटना घटी, जिसके कारण शकुनि अत्यंत क्रोधित हो उठा? उसका क्या परिणाम रहा?
उत्तर:
बारहवें दिन युद्ध में शकुनि के दो भाई कृषक और अचक वीरतापूर्वक पांडवों से युद्ध कर रहे थे। अर्जुन ने उसके पहिए को तहस-नहस कर दिया और उनकी सेना पर बाणों की भयंकर वर्षा कर दी, जिससे दोनों वीर मारे गए। अपने भाइयों के मारे जाने पर शकुनि अत्यंत क्रोधित हुआ। क्रोध में आकर उसने अर्जुन से युद्ध करना शुरू कर दिया। शकुनि, अर्जुन के बाणों से घायल हो गया और युद्ध भूमि से भाग खड़ा हुआ।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 32

बारहवें दिन युधिष्ठिर को जिंदा पकड़ने की कोशिश के असफल हो जाने पर अंत में यही निश्चय किया गया कि अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा जाए। लड़ते-लड़ते युधिष्ठिर से दूर ले जाया जाए। अर्जुन को संशप्तकों ने ललकारा और अर्जुन को दूर ले गए। एक अफवाह फैली की भगदत्त के हाथी ने भीम को मार दिया। इस बात पर यकीन कर युधिष्ठिर ने भगदत्त पर आक्रमण करने का आदेश दिया। अर्जुन भी वहीं रणभूमि में पहुँच गया। दूसरी ओर अर्जुन संशप्तकों से लड़ रहे थे। हाथी पर सवार भगदत्त ने अर्जुन और श्रीकृष्ण दोनों पर बाण बरसाने शुरू कर दिए। भगदत्त का चलाया तोमर अर्जुन के मुकुट पर जा लगा। अर्जुन को क्रोध आ गया और अर्जुन बोला- भगदत्त अब इस संसार को अंतिम बार अच्छी तरह से देख लो। अर्जुन ने उसके ऊपर बाण चलाया जिससे उसके धनुष टूट गए। कुछ ही देर बाद अर्जुन ने बाण से उसकी छाती छेद डाली। भगदत्त को गिरते देखकर कौरव सेना भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगी। इधर शकुनि के दो भाई कृषक और अचक जमकर लड़ते रहे। अर्जुन ने उन दोनों के रथों के पहिए को तोड़ डाला और उनके ऊपर भयंकर बाण का प्रहार किया जिससे दोनों की की मृत्यु हो गई।

अपने महाबली दो भाइयों के मारे जाने की सूचना पाकर शकुनि अत्यधिक क्रोधित हो गया। उसने युद्ध शुरू कर दिया। अंत में शकुनि अर्जुन के बाणों के सामने ठहर नहीं सका और रणभूमि छोड़कर हट गया।

इसके बाद पांडवों की सेना द्रोणाचार्य की सेना पर टूट पड़ी जिसमें काफ़ी संख्या में योद्धा मारे गए। खून की नदियाँ बह गईं। थोड़ी देर बाद सूर्यास्त हुआ और युद्ध समाप्त कर दोनों पक्षों की सेनाएँ अपने-अपने शिविर में लौट गईं। इस तरह बारहवें दिन का युद्ध समाप्त हुआ।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-78- किल – असफल, ललकारना – उकसाना, चेष्टा – कोशिश, हमला – आक्रमण, उत्साह – जोश, मर्म स्थान – संवेदनशील स्थान, सूझना – दिखना, तितर-बितर – इधर-उधर, विचलित – घबराना, परेशान – तंग, तहस-नहस – नष्ट करना।

पृष्ठ संख्या-79- अनुपम – अतुलनीय, आहत – घायल, असंख्य – जिसकी गिनती न हो सके।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 31 भीष्म शर-शय्या पर

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 31 भीष्म शर-शय्या पर are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 31 भीष्म शर-शय्या पर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 31

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दसवें दिन के युद्ध में अर्जुन ने किसकी आड़ लेकर किस पर तीर बरसाए?
उत्तर:
अर्जुन ने शिखंडी की आड़ लेकर भीष्म पितामह पर तीर बरसाए।

प्रश्न 2.
भीष्म ने अर्जुन पर क्या चलाया?
उत्तर:
भीष्म ने अर्जुन पर शक्ति अस्त्र चलाया।

प्रश्न 3.
भीष्म का शरीर भूमि से क्यों नहीं लगा?
उत्तर:
भीष्म के सारे शरीर से बाण प्रवेश किए हए थे, अतः भीष्म का शरीर बाणों पर टिककर भूमि से ऊपर ही अड़ा रहा।

प्रश्न 4.
अर्जुन ने पितामह भीष्म को पानी कैसे पिलाया?
उत्तर:
अर्जुन ने पितामह भीष्म को पानी पिलाने के लिए तुरंत धनुष तानकर उनके दाहिने बगल में पृथ्वी पर बड़े जोर से एक तीर मारा। बाण पृथ्वी में प्रवेश कर पाताल में जा लगा और उसी क्षण जल का एक सोता फूट निकला। पितामह ने अमृत के समान मीठा शीतल जल पीकर अपनी प्यास बुझाई।

प्रश्न 5.
भीष्म ने अपना शरीर कब त्यागा?
उत्तर:
भीष्म ने शरीर त्यागने का उचित समय सूर्य नारायण के उत्तरायण होने पर था।

प्रश्न 6.
भीष्म के बाद किसे सेनापति बनाया गया?
उत्तर:
भीष्म के बाद द्रोणाचार्य को सेनापति बनाया गया।

प्रश्न 7.
शर-शय्या पर पड़े भीष्म ने कर्ण से क्या कहा?
उत्तर:
शर-शय्या पर पड़े भीष्म ने कर्ण से कहा- बेटा, तुम राधा के पुत्र नहीं, कुंती के पुत्र हो सूर्यपुत्र। वीरता में तुम कृष्ण और अर्जुन के बराबरी हो। तुम पांडवों के बड़े भाई हो। इस कारण तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम उनसे मित्रता कर लो। मेरी यही इच्छा है कि युद्ध में मेरे सेनापतित्व के साथ ही पांडवों के प्रति तुम्हारे दुश्मनी का आज अंत हो जाए।

प्रश्न 8.
ग्यारहवें दिन के युद्ध में दुर्योधन ने द्रोणाचार्य से क्या अनुरोध किया?
उत्तर:
ग्यारहवें दिन के युद्ध में दुर्योधन आचार्य के पास जाकर बोला- आचार्य किसी भी तरीके से युधिष्ठिर को जीवित पकड़कर हमारे हवाले कर देते हमारे लिए उत्तम होगा।

प्रश्न 9.
युधिष्ठिर के पकड़े जाने पर अर्जुन ने क्या किया?
उत्तर:
अर्जुन के हमले के कारण द्रोणाचार्य को पीछे हटना पड़ा। युधिष्ठिर को जीवित पकड़ने का उनका प्रयत्न विफल हो गया और शाम होते-होते उस दिन का युद्ध भी बंद हो गया। कौरव-सेना में भय छा गया। पांडव की सेना-के योद्धा शान से अपने-अपने शिविर को लौट गए। सैन्य-समूह के पीछे-पीछे चलते हुए कृष्ण और अर्जुन अपने शिविर में आ पहुँचे। इस प्रकार ग्यारहवें दिन का युद्ध समाप्त हुआ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्जुन ने किस स्थिति में भीष्म पर बाण चलाया तथा इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
दसवें दिन के युद्ध में पांडवों ने शिखंडी को आगे किया था। शिखंडी की आड़ में अर्जुन ने पितामह पर बाण चलाए जिसके परिणामस्वरूप पितामह भीष्म का वक्षस्थल बिंध गया। फिर भी पितामह ने उसके प्रत्युतर में बाण नहीं चलाए। अर्जुन के बाणों ने पितामह के शरीर में उँगली तक रखने की जगह नहीं छोड़ी थी। ऐसी अवस्था में भीष्म रथ से सिर के बल गिरे किंतु उनका शरीर-भूमि से नहीं लगा। शरीर में लगे हुए बाण एक तरफ़ से प्रवेश कर दूसरी तरफ़ निकल गए। भीष्म का शरीर ज़मीन पर नहीं गिरकर तीरों के सहारे ऊपर उठा रहा। उन्होंने अर्जुन से कहा- बेटा! मेरे सिर के नीचे कोई सहारा नहीं होने के कारण वह लटक रहा है। अतः कोई ठीक-सा सहारा लगा दो।

प्रश्न 2.
भीष्म जब घायल होकर युद्ध क्षेत्र में पड़े थे। तब उन्होंने कर्ण और पांडवों में मेल कराने का प्रयास किस प्रकार किया?
उत्तर:
भीष्म ने कर्ण से कहा- बेटा तुम राधा के पुत्र नहीं, कुंती के पुत्र हो, सूर्यपुत्र। मैंने तुमसे द्वेष नहीं किया। अकारण ही तुमने पांडवों से बैर रखा। इसी कारण तुम्हारे प्रति मेरा मन मलिन हुआ। तुम्हारी दानवीरता और शूरता से भी भली-भाँति परिचित हूँ। इसमे कोई संदेह नहीं कि वीरता में तुम श्रीकृष्ण और अर्जुन के बराबर हो। तुम पांडव के बड़े भ्राता हो। अंतः इस कारण तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम उनसे मित्रता कर लो। मेरी यही इच्छा है कि युद्ध मेरे सेनापतित्व के साथ हो, जिससे पांडवों के प्रति वैर-भाव का अंत आज ही समाप्त हो जाए।

प्रश्न 3.
युधिष्ठिर को दुर्योधन जिंदा क्यों पकड़ना चाहता था?
उत्तर:
युधिष्ठिर को जिंदा पकड़ने का उद्देश्य दुर्योधन का यह था कि अगर उसे जीवित पकड़ लिया जाए तो युद्ध भी शीघ्र ही बंद हो जाएगा और जीत भी कौरवों की पक्की हो जाएगी। थोड़ा राज्य का हिस्सा युधिष्ठिर को दे देंगे और फिर चौसर में हराकर वापस ले लेंगे। इन सब विचारों से प्रेरित होकर दुर्योधन ने द्रोणाचार्य से युधिष्ठिर को जीवित पकड़ने का अनुरोध किया।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 31

दसवें दिन का युद्ध शुरू हुआ। अर्जुन ने शिखंडी को आगे किया। शिखंडी की आड़ में अर्जुन ने भीष्म पर बाण बरसाए। युद्ध में भीष्म पितामह का वक्षस्थल बिंध डाला लेकिन भीष्म पितामह ने शिखंडी के बाणों का जवाब नहीं दिया। उधर अर्जुन ने भीष्म पितामह के मर्म स्थानों पर तीक्ष्ण बाण मारे। भीष्म पितामह ने जो शक्ति अस्त्र अर्जुन पर चलाया उसे अर्जुन ने तीन बाणों से काट गिराया। बाणों ने भीष्म के शरीर को छलनी-छलनी कर दिया था। भीष्म रथ से सिर के बल ज़मीन पर गिर पड़े लेकिन उनका शरीर भूमि से न लगा। शरीर में लगे हुए बाण एक तरफ़ से घुसकर दूसरी तरफ़ निकल गए। भीष्म का शरीर ज़मीन पर नहीं गिरकर उन तीरों के सहारे ऊपर उठा रहा। भीष्म पितामह ने अर्जुन से कहा- बेटा मेरे सिर के नीचे कोई सहारा नहीं है। अतः मेरे सिर के नीचे कोई सहारा लगा दो। भीष्म के आदेश सुनकर अर्जुन ने अपने तरकश से तीन तेज़ बाण निकाले और पितामह का सिर उनकी नोक पर रखकर उनके लिए तकिया बना दिया। तब भीष्म ने कहा- मेरे शरीर त्याग करने का अभी उचित समय नहीं हुआ है। अतः सूर्य भगवान के उत्तरायण होने तक मैं ऐसे ही पड़ा रहूँगा। आप लोगों में से जो भी उस समय तक जीवित रहे, मुझे आकर देख जाएँ। इसके बाद पितामह ने अर्जुन से कहा- बेटा मेरा पूरा शरीर जल रहा है। प्यास भी लगी है। अतः मुझे पानी पिलाओ। अर्जुन ने तुरंत बाण धरती पर बड़े जोर से मारा जो सीधा पाताल में जा लगा। उसी समय जल का सोता फूट निकला। उस अमृत समान मधुर तथा शीतल जल को पीकर भीष्म ने अपनी प्यास बुझाई।

जब कर्ण को पता चला कि भीष्म पितामह घायल होकर रण क्षेत्र में पड़े हैं तो वह उनके पास दर्शन के लिए आया। वहाँ भीष्म पितामह ने कर्ण से कहा- बेटा, तुम राधा के पुत्र नहीं कुंती के पुत्र हो। सूर्य पुत्र हो। तुम्हारी दानवीरता तथा शूरता से मैं भली-भाँति परिचित हूँ। तुम पांडवों के सबसे बड़े भाई हो। अतः तुम्हारा कर्तव्य हैं कि तुम पांडवों से मित्रता कर लो। मेरी इच्छा है कि युद्ध में मेरे सेनापति के साथ ही पांडवों के प्रति तुम्हारे वैरभाव का भी आज ही अंत हो जाए।

यह सुनकर कर्ण बोला- मैं जानता हूँ कि मैं कुंती का पुत्र हूँ, पर मैं दुर्योधन का साथ नहीं छोड़ सकता। मेरा कर्तव्य है कि दुर्योधन के पक्ष में रहकर ही युद्ध करूँ। इसके लिए आप मुझे क्षमा करें। भीष्म ने कर्ण की बातों को ध्यान से सुना और कहा जैसी तुम्हारी इच्छा हो कर्ण।

दुर्योधन कर्ण के युद्ध क्षेत्र में आने पर बहुत प्रसन्न हुआ। वह पितामह के जाने का दुख भूल गया। कर्ण से विचार-विमर्श के बाद द्रोणाचार्य को सेनापति बनाया गया। द्रोणाचार्य ने पाँच दिन तक सेनापति का प्रतिनिधित्व किया। युद्ध में द्रोणाचार्य सात्यकि, भीम, अर्जुन, धृष्टद्युम्न, अभिमन्यु, द्रुपद, काशिराज जैसे सुविख्यात वीरों से अकेले ही भिड़ जाते थे।

दुर्योधन आचार्य द्रोण के पास जाकर बोला- युधिष्ठिर को आप जीवित पकड़कर हमारे हवाले कर दें तो अतिउत्तम होगा। दुर्योधन जानता था कि युधिष्ठिर की हत्या करने से कोई विशेष लाभ नहीं होगा अगर इसे जीवित पकड़ लिया जाए तो युद्ध स्वतः बंद हो जाएगा। युधिष्ठिर को थोड़ा सा हिस्सा देकर संधि कर लेंगे और फिर जुआ खेलकर उससे दिया हुआ हिस्सा वापस कर लेंगे, लेकिन जब द्रोणाचार्य को दुर्योधन के असली उद्देश्य का पता चला तो वे उदास हो गए। दुर्योधन का असली चेहरा उसके सामने आया। वे मन ही मन खुश हुए कि युधिष्ठिर का प्राण न लेने का बहाना मिल गया।

इधर जब पांडवों को द्रोणाचार्य की प्रतिज्ञा के बारे में पता चला तो वे डर गए। पांडव-पक्ष युधिष्ठिर की रक्षा में लग गया। युधिष्ठिर पकड़े गए की आवाज़ से सारा कुरुक्षेत्र गूंज उठा। इतने में अर्जुन के बाणों से सारा मैदान में अंधकार छा गया और युधिष्ठिर को जीवित पकड़ने का प्रयत्न विफल हो गया। शाम होते-होते उस दिन का युद्ध बंद हो गया। पांडव-सेना के वीर शान से अपने शिविर को लौट चले। इस तरह ग्यारवें दिन का युद्ध समाप्त हो गया।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-75- वक्षस्थल – सीना, छाती, शिकन न आना – लेश मात्र भी दुखी नहीं होना, प्रतिरोध – रोकना, मर्म स्थान – कोमल अंग।

पृष्ठ संख्या-76- प्राणहारी – प्राण लेने वाला, आदेश – आज्ञा, सिरहना – तकिया, स्थल – जगह, शीतल – ठंडा, रणक्षेत्र – युद्धभूमि, द्वेष – नफ़रत, ईर्ष्या, अकारण – बिना कारण के, शूरता – वीरता, ज्येष्ठ – बड़ा, अनुमति – आदेश, कथन – वचन, आशीष – आशीर्वाद, फूल उठना – बहुत खुश होना, विछोह – अलगाव।

पृष्ठ संख्या-77- अभिषेक – तिलक, खदेड़ना – भगाना, नाक में दम करना – परेशान करना। अनुरोध – प्रार्थना, गांडीव – अर्जुन के धनुष का नाम, विफल – असफल, विपरीत – उलटा, शीघ्र – जल्दी, परिचित – जानकार, अविरल – लगातार।

पृष्ठ संख्या-78- शिविर – छावनी, समाप्त – खत्म।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 30 सातवाँ, आठवाँ और नवाँ दिन

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 30 सातवाँ, आठवाँ और नवाँ दिन

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 30

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सातवें दिन के युद्ध की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
सातवें दिन के युद्ध की यह विशेषता थी कि वह एक स्थान पर केंद्रित न रहकर अनेक मोर्चों पर लड़ा जा रहा था।

प्रश्न 2.
सातवें दिन के युद्ध में किसकी मृत्यु हुई?
उत्तर:
सातवें दिन के युद्ध में कुमार शंख की मृत्यु हुई।

प्रश्न 3.
आठवें दिन के युद्ध में भीम ने क्या किया?
उत्तर:
आठवें दिन युद्ध में भीम ने धृतराष्ट्र के आठ बेटों को मार गिराया।

प्रश्न 4.
आठवें दिन के युद्ध में अर्जुन का कौन-सा पुत्र मारा गया?
उत्तर:
आठवें दिन अर्जुन का वीर पुत्र इरावान, जो नागकन्या से पैदा हुआ था, उसका वध हो गया।

प्रश्न 5.
नवें दिन के युद्ध में क्या हुआ?
उत्तर:
नवें दिन के युद्ध में अभिमन्यु और अलंबुष में घोर युद्ध हुआ। पांडवों की सेना की भीष्म पितामह ने घोर तबाही मचाई। यहाँ तक कि अर्जुन और कृष्ण को भी बड़ी पीड़ा हुई।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आठवें दिन के युद्ध की प्रमुख बातें क्या रहीं?
उत्तर:
आठवें दिन के युद्ध के पहले आक्रमण में ही भीम ने धृतराष्ट्र के आठ पुत्रों को मार गिराया। इधर अन्य भयंकर मुकाबले में अर्जुन का साहसी, लाडला और वीर पुत्र इरावान मारा गया, जो एक नागकन्या से पैदा हुआ था। अपने प्रिय पुत्र की मृत्यु ने अर्जुन को शोक संतप्त कर दिया। इरावान की मृत्यु के बाद भीम के बेटे घटोत्कच ने भयंकर तबाही मचाई जिससे कौरव-सेना भयभीत हो गई। इसके बाद घटोत्कच कौरव-सेना में भयंकर उत्पात मचाया।

प्रश्न 2.
महाभारत के युद्ध में नवें दिन की लड़ाई का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नवें दिन के युद्ध में अभिमन्यु और अलंबुष में घोर युद्ध छिड़ गया, पितामह ने पांडवों की सेना की बड़ी तबाही की। यहाँ तक कि पितामह ने अर्जुन और श्रीकृष्ण दोनों को ही बड़ी पीड़ा पहुँचाई। थोड़ी देर के बाद सूर्यास्त होते ही युद्ध बंद हो गया।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 30

सातवें दिन का युद्ध कई मोर्चों पर लड़ा जा रहा था। अर्जुन और भीष्म, द्रोणाचार्य, विराट राज, शिखंडी और अश्वत्थामा, धृष्टद्युम्न और दुर्योधन, नकुल, सहदेव और शल्य, भीम और दुर्योधन के चार भाई घटोत्कच व भगदत्त अलंबुष व सात्यकि, युधिष्ठिर व श्रुतायु, कृपाचार्य और चेकितान के मध्य भयंकर द्वंद्व युद्ध अलग-अलग मोर्चों पर चल रहे थे। द्रोण से विराट पराजित हुए और विराट का एक पुत्र कुमार शंख मारा गया। सूर्य अस्त होते ही युद्ध बंद हो गए।

आठवें दिन युद्ध में भीम ने धृतराष्ट्र के आठ बेटों को मार दिया। उस दिन युद्ध अर्जुन का नाग कन्या से उत्पन्न इरावान भी मारा गया। घटोत्कच व भीम ने भयंकर युद्ध किया।

नवें दिन युद्ध में अभिमन्यु और अलंबुष में घोर संग्राम की शुरुआत हुई। भीष्म पितामह ने पांडवों की सेना की बडी तबाही की। यहाँ तक की भीष्म ने अर्जुन और श्रीकृष्ण दोनों को बड़ी पीड़ा पहुँचाई। थोड़ी देर में सूर्यास्त हुआ और उस दिन का युद्ध समाप्त कर दिया गया।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 73, 74- विख्यात – प्रसिद्ध, घमासान – घोर, भीषण – भयंकर, शोक विह्वल – दुख में बेचैन, दुर्गति – बुरी हालत।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 29 चौथा, पाँचवाँ और छठा दिन

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 29 चौथा, पाँचवाँ और छठा दिन are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 29 चौथा, पाँचवाँ और छठा दिन

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 29

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चौथे दिन की लड़ाई में कौन मारा गया?
उत्तर:
चौथे दिन के युद्ध में शल्य का पुत्र एवं दुर्योधन के आठ भाई मारे गए।

प्रश्न 2.
भीम का पुत्र कौन था?
उत्तर:
भीम का पुत्र घटोत्कच था।

प्रश्न 3.
पाँचवें दिन के युद्ध की क्या विशेषता रही?
उत्तर:
पाँचवें दिन के युद्ध में अर्जुन ने कौरवों के हजारों सैनिक मारे।

प्रश्न 4.
कुरुक्षेत्र मैदान में का आँखों देखा हाल धृतराष्ट्र को कौन सुनाता था?
उत्तर:
कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान का आँखों देखा हाल धृतराष्ट्र को संजय सुनाता था।

प्रश्न 5.
छठे दिन के युद्ध में क्या हुआ?
उत्तर:
छठे दिन के युद्ध में भारी जन हानि हुई। उस दिन के अंत में द्रोण ने जो भयंकर तबाही मचाई कि उससे पांडव की सेना भाग खड़ी हुई।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुरुक्षेत्र के युद्ध के चौथे दिन घटोत्कच के क्रोध का ठिकाना क्यों न रहा?
उत्तर:
जब घटोत्कच ने देखा कि उसके पिता भीम को दुर्योधन ने भीषण अस्त्र चलाकर मूर्छित कर दिया है तब घटोत्कच के क्रोध का ठिकाना न रहा। उसने भीषण रूप धारण कर भयंकर युद्ध शुरू कर दिया, जिसके सामने कौरव सेना टिक नहीं सकी।

प्रश्न 2.
छठे दिन की मुख्य घटनाएँ क्या हुईं?
उत्तर:
छठे दिन के अंत में दुर्योधन बुरी तरह घायल हुआ और बेहोश होकर रथ से गिर पड़ा। तब कृपाचार्य ने बड़ी चतुराई से उसे रथ में ले लिया, जिससे दुर्योधन की जान बच गई।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 29

चौथे दिन सुबह होते ही युद्ध शुरू हो गया। शल्य का पुत्र मारा गया। भीम ने दुर्योधन के आठ भाइयों को मार डाला। क्रोध में दुर्योधन ने निशाना साधकर भीम को बाण मारा जिससे भीम मूर्छित सा होकर रथ पर बैठ गया। अपने पिता की यह दुर्दशा देखकर घटोत्कच ने भयानक युद्ध किया। कौरव-सेना भाग खड़ी हुई। अतः भीष्म ने युद्ध बंद कर दिया।

चौथे दिन के लड़ाई में दुर्योधन के कितने ही भाई मारे गए। इससे दुर्योधन शोकाग्रस्त हो गया। उधर संजय कुरुक्षेत्र के मैदान का आँखों देखा हाल धृतराष्ट्र को सुनाते जाते थे। धृतराष्ट्र सुनकर काफ़ी व्यथित हो जाते थे।

पाँचवें दिन के युद्ध में अर्जुन ने कौरव सेना के हजारों सैनिक मार गिराए। कौरव-सेना ने भी अर्जुन को घेरा। अंत में छठे दिन द्रोण ने भी तबाही मचाई जिससे पांडव सेना भाग खड़ी हुई।

इसके बाद तो घमासान युद्ध होने लगा। अंत में दुर्योधन घायल होकर रथ से गिर पड़ा। तब कृपाचार्य ने बड़ी होशियारी से उसे रथ पर ले लिया जिससे उसकी जान बच गई। सूर्यास्त तक युद्ध चलता रहा। तब धृष्टद्युम्न और भीम सकुशल लौट आए तो युधिष्ठिर ने बड़ा आनंद मनाया। उनकी खुशी की सीमा न थी।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-73- पौफटना – सुबह होना, विहवल – बेचैन, जीवन समाप्त होना – मर जाना, तादाद – संख्या, तबाही – परेशानी, अंधाधुंध – लगातार, भयंकर, बेहोश – मूर्च्छित, चतुराई – बुद्धिमानी, मुहूर्त – समय।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 28 पहला, दूसरा और तीसरा दिन

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 28 पहला, दूसरा और तीसरा दिन

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 28

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पहले दिन की लड़ाई के बाद घबराहट में पांडव किसके पास गए?
उत्तर:
पहले दिन लड़ाई के बाद पांडव घबराहट में श्रीकृष्ण के पास गए।

प्रश्न 2.
कौरवों की सेना में सबसे आगे कौन था?
उत्तर:
कौरवों की सेना में सबसे आगे दुःशासन था।

प्रश्न 3.
दूसरे दिन युद्ध की व्यूह-रचना किसने की?
उत्तर:
दूसरे दिन के युद्ध की व्यूह रचना धृष्टद्युम्न ने किया था।

प्रश्न 4.
कौरवों के सेना में तीन वीर कौन थे जो अर्जुन की मुकाबला कर सकते थे।
उत्तर:
भीष्म, द्रोण और कर्ण ही अर्जुन का मुकाबला कर सकते थे।

प्रश्न 5.
पहले दिन के युद्ध का परिणाम क्या निकला?
उत्तर:
पहले दिन के युद्ध में पांडव काफ़ी डर गए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दूसरे दिन युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
पहले दिन के युद्ध के बाद पांडवों में जो भय व्याप्त था, वह दूसरे दिन युद्ध के अंत के बाद कौरवों के मन पर छा गया। अर्जुन का रण-कौशल देखकर कौरवों के योद्धा दंग रह गए। सात्यकि के बाण ने भीष्म के सारथी को मार गिराया।

प्रश्न 2.
तीसरे दिन के युद्ध का क्या परिणाम रहा?
उत्तर:
दिन के शुरुआत में ही दुर्योधन के बेहोश होने व युद्ध भूमि छोड़ देने से कौरवों की सेना में भगदड़ मच गई। इसके बाद भीष्म के भयंकर आक्रमण से पांडव सेना के पाँव उखड़ गए। स्वयं श्रीकृष्ण को रथ से उतरकर भीष्म की ओर बढ़ना पड़ा। अर्जुन ने उन्हें रोककर रथ पर बिठाया। इसके बाद अर्जुन के भयंकर युद्ध से कौरव सेना बुरी तरह हार गई।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 28

कौरवों की सेना के आगे दःशासन और पांडवों की सेना के आगे प्रायः भीम रहा करता था। भयंकर मार-काट मची हुई थी। युद्ध में पिता ने पुत्र को मारा। पुत्र ने पिता को मारा। भानजे ने मामा की हत्या की मामा ने भानजे को मारा। पहले दिन ही भीष्म ने पांडवों की सेना को भयभीत कर दिया था। इससे दुर्योधन काफ़ी प्रसन्न था। श्रीकृष्ण पांडव-सेना को धैर्य बँधा रहे थे।

पहले दिन की लड़ाई में पांडवों की सेना की दुर्गति देखकर पांडव सेना के सेनापति धृष्टद्युम्न ने दूसरे दिन के युद्ध की तैयारी बड़ी सतर्कता से की। अर्जुन का रण-कौशल देखकर कौरव सेना के महारथी भी दंग रह गए। कौरवों में भीष्म, द्रोण और कर्ण ही ऐसे वीर थे, जो अर्जुन का मुकाबला कर सकते थे। भीष्म ने अर्जुन पर जोरों से हमला किया। भीष्म और अर्जुन के बीच युद्ध काफ़ी देर तक चलता रहा। इधर धृष्टद्युम्न और द्रोणाचार्य के बीच भी युद्ध होता रहा। सात्यकि के एक बाण से भीष्म का सारथी मारा गया। दूसरे दिन के युद्ध के बाद कौरवों की सेना काफ़ी घबरा गई। सारथी के गिरने से घोड़ा तेजी से इधर-उधर दौड़ने लगा।

इससे कौरवों की सेना में तबाही मच गई। कौरव की सेना जल्दी सूर्यास्त होने की राह देखने लगी ताकि युद्ध बंद हो जाए। दूसरे दिन सूर्यास्त हुआ और युद्ध बंद हो गया। तीसरे दिन के युद्ध में भीम का एक बाण दुर्योधन को ऐसा लगा कि वह बेहोश होकर रथ पर गिर पड़ा। सारथी ने दुर्योधन को युद्ध भूमि से हटा लिया जिसके परिणामस्वरूप सेना में भगदड़ मच गई।

इससे पांडवों की सेना में खुशी छा गई। उन्हें यह आशा नहीं थी कि भीष्म अपनी बिखरी हुई सेना को इकट्ठा कर पाएँगे तभी भीष्म ने जोरदार हमला किया जिससे पांडव-सेना का पाँव उखड़ गया। श्रीकृष्ण, अर्जुन, शिखंडी का सेना छितर-बितर हो गई। उधर भीष्म के बाण अर्जुन और श्रीकृष्ण के शरीर में लगे। इस पर क्रोधित होकर श्रीकृष्ण स्वयं भीष्म को मारने के लिए आगे बढ़े। तब अर्जुन ने दौड़कर श्रीकृष्ण को रोका और सारथी के रूप में बैठाया। श्रीकृष्ण की मनोदशा देखकर अर्जुन ने भीषण प्रहार किया जिससे शाम होते-होते कौरव सेना बड़ी बुरी तरह से हार गई। थकी-हारी सेना शिविर को लौट गई।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-71- अभ्रभाग – आगे का भाग, दुर्गति – बुरी हालत, थर्रा उठना – घबराना, भयभीत होना, सबक लेना – सीखना, ध्यान रखना, सतर्कता – सावधानी।
पृष्ठ संख्या-72- मुकाबला – बराबरी, प्रतिरोध – विरोध, दंग – आश्चर्य, अद्भुत – अनोखा, बैरी – दुश्मन, तबाही – परेशानी, मुक्ति – छुट्टी, मूर्च्छित – बेहोश, भगदड़ – इधर-उधर भागना, तितर-बितर – इधर-उधर।