Class 12 Hindi Important Questions Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल

Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल. Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board exams.

रुबाइयाँ, गज़ल Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 9

प्रश्न 1.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
नहला के छलके-छलके निर्मल जल से
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
जब कुहनियों में लेके है पिन्हाती कपड़े।
उत्तर
1. प्रस्तुत रुबाई हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि फ़िराक गोरखपुरी द्वारा रचित ‘रुबाइयों’ से अवतरित है।
2. इसमें कवि ने बच्चे को नहलाती हुई माँ की स्वाभाविक वृत्ति का सजीव चित्रण किया है। माँ बच्चे को निर्मल जल से नहलाकर उसको कंघी करती है। तत्पश्चात उसे अपनी गोदी में बिठाकर उसे कपड़े पहनाती है।
3. भाषा सरल, सरस, सुबोध खड़ी बोली है।
4. संस्कृत के तत्सम, तद्भव व विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
5. वात्सल्य रस की अभिव्यक्ति हुई है।
6. प्रसाद गुण है।
7. अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग है।
8. भावपूर्ण शैली है।
9. बिंब योजना अत्यंत सुंदर एवं सटीक है।
10. छलके-छलके में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
11. अनुप्रास, पदमैत्री, स्वाभाविक, उल्लेख, स्वरमैत्री आदि अलंकारों की छटा है।
12. रुबाई छंद है।

प्रश्न 2.
तेरे गम का पासे अदब है कुछ दुनिया का ख्याल भी है ।
सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके-चुपके रो ले हैं।-काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि फ़िराक गोरखपुरी द्वारा प्रणीत ‘गजल’ से अवतरित है।
2. इस काव्यांश में कवि ने अपनी प्रिया के प्रति प्रेमभाव प्रकट करते हुए अपनी विरह-व्यथा का चित्रण किया है। कवि का कथन है कि हे प्रिय! मैं तेरे गम का सम्मान करता हूँ लेकिन मुझे दुनिया से डर लगता है, इसलिए हम तो गम में डूबकर दर्द के मारे दुनिया से छिपकर चुपके-चुपके रोते हैं।
3. शृंगार रस की वियोगावस्था का मार्मिक चित्रण है।
4. माधुर्य गुण है।
5. बिंब योजना अत्यंत सार्थक एवं प्रसंगानुकूल हैं।
6. अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री आदि अलंकारों की शोभा है।
7. ‘चुपके-चुपके’ में शब्दावृत्ति होने से पुनरुक्ति प्रकाश की छटा है।
8. उर्दू, फारसी और बोलचाल की सरल, सरस भाषा है।
9. गजल छंद का प्रयोग है।

प्रश्न 3.
फ़िराक की रुबाई के आधार पर माँ-बच्चे के वात्सल्यपूर्ण चित्र को अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए। (C.B.S.E. Delhi 2017, Set-1 2012)
उत्तर
फ़िराक की रुबाई में नन्हा-सा बच्चा माँ की नजरों में चाँद का टुकड़ा है जिसे वह अपनी गोद में खिलाती है; झुलाती है और कुछ-कुछ देर बाद हवा में उछाल देती है, जिससे बच्चा प्रसन्नता से भर किलकारियां मारता है। खिलखिलाते बच्चे की हंसी वातावरण में गूंज उठती है। बच्चे को नहलाना-झुलाना, तैयार करना, कंघी करना और बच्चे के द्वारा माँ के चेहरे की ओर एकटक देखना अति सुंदर और वात्सल्य रस से ओतप्रोत है।

प्रश्न 4.
बच्चे के द्वारा माँ के चेहरे को एकटक निहारने के चित्र को प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
माँ बच्चे को साफ-स्वच्छ जल से नहलाती है, उसके उलझे बालों में कंघी करती है और उसे अपने घुटनों पर थाम कर कपड़े पहनाती है। बच्चे के मन में माँ के प्रति लाड़ उमड़ आता है और वह एकटक माँ के चेहरे की ओर निहारता है। माँ उसे तैयार करती रहती है और उसकी ओर अपनी नजरें जमाए रहता है।

प्रश्न 5.
‘बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर
दीवाली की शाम माँ अपने सजे-संवरे घर में दीपक जलाती है और फिर वह बच्चे के मिट्टी के बने छोटे से घरौंदे में दीया जला कर अपने बच्चे के सुखद और खुशहाल भविष्य के लिए मनौती मांगती है।

प्रश्न 6.
बच्चे को माँ चाँद किस प्रकार धरती पर लाकर देती है?
उत्तर
रात के समय आकाश में जगमगाता चंद्रमा बच्चे को आकृष्ट करता है। वह उसे एक खिलौना समझकर लेने के लिए मचलता है; ज़िद करता है। माँ उसके हाथों में दर्पण थमा देती है जिसमें चाँद का प्रतिबिंब दिखाई देता है। माँ कहती है कि ले बेटा, चाँद इस दर्पण में आ गया है और अब यह तेरा ही हो गया।

प्रश्न 7.
रक्षाबंधन के अवसर पर बहन अपने भाई के लिए कैसी राखी लाती है?
उत्तर
रक्षाबंधन वाले दिन आकाश में हलके-हलके बादल छाए हुए हैं। प्यारी बहन अपने भाई की कलाई पर बाँधने के लिए राखी लाई जिसके लच्छे बिजली के समान चमकते हैं। वह चमकीली लच्छों वाली अति सुंदर राखी अपने भाई की कलाई पर बाँधती है।

प्रश्न 8.
कवि ने ग़ज़ल में वातावरण की सृष्टि किस प्रकार की है?
उत्तर
कलियों की कोमल पंखुड़ियाँ नवरस से भरी हुई हैं और वे अपनी गाँठे खोल रही हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि रंग और सुगंध एक साथ आकाश में उड़ जाने के लिए पंख फड़फड़ाने लगे हों। फूलों और कलियों की मोहक गंध सारे वातावरण को सुगंध से सराबोर कर रही है।

प्रश्न 9.
फ़िराक की ग़ज़ल किस रस से परिपूर्ण है?
उत्तर
फ़िराक की गजल अंगार रस के वियोग भाव से परिपूर्ण है। वह वियोग में अपनी प्रेमिका के लिए आँसू बहाता है; तड़पता है। परेशान होता है। उसकी ग़जलों की शोभा और चमक उसके टपकते आँसुओं के कारण ही है। उसकी प्रेम-भरी दीवानगी सूनी-भीगी रातों में अपनी प्रेमिका के लिए व्यक्त हुई है। प्रेम की अधिकता के कारण उसे रात का सन्नाटा भी बोलता, बातें करता-सा प्रतीत होता है।

प्रश्न 10.
फ़िराक की ‘गजल’ की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर
फ़िराक की राजले श्रृंगार रस से परिपूर्ण हैं जिसकी भाषा और भाव उर्दू के संस्कारों से युक्त हैं। उन्होंने उर्दू के शब्दों को अधिकता से प्रयुक्त किया है। उनके शेर सरल हैं और हृदय को छूने की क्षमता रखते हैं। कहीं-कहीं उर्दू शब्दों की अधिकता से शेर समझने में कठिन प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित काव्याष्ठा को पढ़कर पूछे गए प्रष्ठनों के उत्तर लिखिए : (Outside Delhi 2017, Set-1) आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी रह-रह के हवा में जो लोका देती है गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।
(क) काव्याष्ठा किस छंद में है? उसका लक्षण बताइए।
(ख) काव्याष्ठा में रूपक अलंकार के सौंदर्य को स्पज्ट कीजिए।
(ग) काव्यांष्ठा की भाजा की दो विष्ठोजताएँ लिखिए।
उत्तर
(क) काव्याष्ठा रूबाई छंद में है। यह चार पंक्तियों का छंद है।
(ख) काव्यांष्ठा में चाँद के टुकड़े में रूपक अलंकार की छटा है। बच्चे पर चाँद के टुकड़े का अभेदारोप किया गया है।
(ग) काव्याष्ठा की भाजा सरल, सरस एवं खड़ी बोली है। प्रवाहमयता एवं संगीतात्मकता विद्यमान है। चित्रात्मकता का समावेष्ठा है।

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है
गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी। (C.B.S.E. Delhi 2008,C.B.S.E. Delhi 2013, Set-I, II,I,C.B.S.E. 2018)

शब्दार्थ : चाँद का टुकड़ा-प्यारा बच्चा। लोका देती है-उछाल देती है। गोद-भरी-गोद में भरकर, आँचल में लेकर। प्रसंग प्रस्तुत ‘रुबाई’ हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘रुबाइयाँ’ नामक कविता से अवतरित की गई है। इसमें कवि ने माँ के आँचल में खिलखिलाते बच्चे तथा माँ के वात्सल्य प्रेम का अनूठा चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि माँ अपने प्यारे बेटे को अपने घर के आँगन में लिए खड़ी है। वह अपने चाँद के टुकड़े को अपनी गोद में भरकर हाथों में झुला रही है। माँ अपने बच्चे को देखकर अत्यंत प्रसन्नता से भरी हुई है। वह बार-बार अपने नन्हें बच्चे को हवा में उछालती है।

जैसे ही माँ अपने बच्चे को हवा में उछालती है तो बच्चा खुश हो उठता है और उसकी खिलखिलाती हँसी संपूर्ण वातावरण में गूंज उठती है। कवि का कहने का अभिप्राय यह है कि अपनी माँ के हाथों में बच्चा खुश होकर खिलखिलाकर हँसने लगता है, और उसकी हँसी सारे वातावरण को गुंजायमान कर देती है। लगता है, बच्चे की खिलखिलाती हँसी के साथ वातावरण भी हँसने लगा हो।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. आँगन में कौन खड़ी है? वह क्या लिए हुए है?
2. माँ अपने बच्चे को कैसे हँसा रही है?
3. हवा में बच्चे की क्या गूंज उठती है?
4. उपर्युक्त काव्यांश के कवि तथा कविता का नाम बताएँ।
5. काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. आँगन में माँ खड़ी है। वह अपने हाथों में अपने चाँद के टुकड़े को लिए हुए है।
2. माँ अपने बच्चों को कभी अपने हाथों पर झुलाती है तो कभी उसे गोद में भरकर हवा में उछाल देती है, जिससे बच्चा हँसने लगता
3. हवा में बच्चों की हँसी गूंज उठती है।
4. उपर्युक्त काव्यांश के कवि का नाम फ़िराक गोरखपुरी है तथा कविता का नाम ‘रुबाइयाँ’ है।
5. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने माँ का बच्चे के प्रति वात्सत्य-प्रेम का अंकन किया है।
  • भाषा सरल व सरस है।
  • वात्सल्य रस का अनूठा चित्रण है।
  • अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, पदमैत्री, स्वाभाविक आदि अलंकारों का प्रयोग हुआ है।
  • प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है।
  • बिंब योजना अत्यंत सार्थक है।
  • प्रसाद गुण है।

2. नहला के छलके-छलके निर्मल जल से
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े। (C.B.S.E. Delhi 2013, Set-II, Set-III)

शब्दार्थ : छलके-छलके-छलक-छलका कर। गेसुओं में-बालों में। पिन्हाती-पहनाती। निर्मल-साफ़, स्वच्छ। घुटनियों में-घुटनों में।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘रुबाइयाँ’ से अवतरित है। इसमें कवि ने माँ का नन्हें बच्चे के प्रति वात्सल्य प्रेम करे अभिव्यक्त किया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि माँ अपने नन्हें, बच्चे को छलकते हुए निर्मल पानी में नहलाती है और नहलाने के बाद उसके उलझे हुए बालों मेंकंघी करती है, उन्हें सँवारती है। जब माँ अपने नन्हें बच्चे को अपने घुटनों में लेकर कपड़े पहनाती है तो बच्चा अपनी माँ को बड़े प्यार से देखता है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. माँ बच्चे को कैसे जल से नहलाती है?
2. बच्चा माँ के मुँह को कब देखता है?
3. माँ बच्चे को नहलाने के बाद क्या करती है?
4. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. माँ बच्चे को छलके छलके निर्मल जल से नहलाती है।
2. बच्चा माँ के मुँह को तब देखता है जब माँ उसे अपने घुटनों में लेकर कपड़े पहनाती है।
3. माँ बच्चों को नहलाने के बाद उसे कंघी करती है तथा घुटनों में लेकर कपड़े पहनाती है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • माँ की बच्चे के प्रति वात्सल्य तथा स्वाभाविक प्रक्रिया का चित्रण है।
  • अनुप्रास, स्वाभाविक, उल्लेख, पदमैत्री, पुनरुक्ति प्रकाश आदि अलंकारों की छटा शोभनीय है।
  • भाषा सहज, सरल और सरस है।
  • तत्सम, तद्भव एवं विदेशी शब्दावली का समायोजन हुआ है।
  • वात्सल्य रस की अभिव्यक्ति है।
  • बिंब योजना सुंदर है।
  • भावपूर्ण शैली का चित्रांकन है।
  • अभिधा शब्द-शक्ति है।
  • प्रसाद गुण का प्रयोग है।

3. दीवाली की शाम घर पुते और सजे
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे
वो रूपवती मुखड़े पै इक नर्म दमक
बच्चे के घरौंदे में जलाती है दीये

शब्दार्थ : शाम-संध्या, सायंकालीन समय। रूपवती-सुंदर। इक-एक। घरौंदे में-मिट्टी के घर में, छोटे घर में। पुते-लिपे हुए। मुखड़े पै-मुख पर। नर्म दमक-हल्की चमक। दीये-दीपक।

प्रसंग : यह रुबाई ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘रुबाइयाँ’ से अवतरित है। इसमें गोरखपुरी ने दीवाली पर्व के शोभा की सुंदर अभिव्यक्ति की है।

व्याख्या :कवि कहता है कि दीवाली के पावन पर्व की संध्या के समय सब घर लिपे-पुते, साफ-सुथरे तथा सजे-धजे होते हैं। घर में रखे
जगमगाते चीनी-मिट्टी के सुंदर खिलौने रौनक ले आते हैं। इन खिलौनों को देखकर नन्हा बच्चा खुश हो उठता है। माँ दीपावली की संध्या को अपने नन्हें बच्चे के मिट्टी के छोटे घर में दीपक जलाती है। नन्हें बच्चे का मिट्टी का छोटा-सा घर भी दीपक की रोशनी से जगमगा उठता है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. दीवाली पर लोग क्या करते हैं?
2. दीवाली के अवसर पर रूपवती के मुख पर क्या होती है?
3. दीवाली पर क्या लाए जाते हैं?
4. इस काव्यांश के काव्य-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. दीवाली पर लोग अपने घरों को संवारते और सजाते हैं।
2. दीवाली के अवसर पर रूपवती के मुख पर एक नर्म चमक होती है।
3. दीवाली पर चीनी-मिट्टी के जगमगाते खिलौने लाए जाते हैं।
4. काव्य-सौंदर्य

  • दीपावली की संध्या की सुंदरता का चित्रण है।
  • मिश्रित भाषा का प्रयोग है।
  • तत्सम, तद्भव एवं विदेशी शब्दावली है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वाभाविक अलंकारों की छटा है।
  • बिंब अत्यंत सटीक है।
  • प्रसाद गुण है।
  • अभिधात्मक शैली का चित्रांकन है।
  • रुबाई छंद का प्रयोग है।

4. आँगन में ठुनक रहा है जिदयाया है
बालक तो हई चाँद पै ललचाया है
दर्पण उसे दे के कह रही है माँ
देख आईने में चाँद उतर आया है। (C.B.S.E. Delhi 2008, 2011, Set-1)

शब्दार्थ : ठुनक-सिसकना। हई-है ही। आईने में-दर्पण में। ज़िदयाया-जिद पकड़ना, अड़ना। दर्पण-वह सीसा जिसमें चेहरा दिखता हो।

प्रसंग : प्रस्तुत पद्य ‘आरोह भाग-2′ में संकलित ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘रुबाइयाँ’ से अवतरित है। इसमें कवि नें नन्हें बच्चे कीचंचलता तथा माँ के वात्सत्य का चित्रांकन किया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि बच्चा आँगन में सिसक रहा है। उसका दिल चाँद पर आ गया है और उसने चाँद पाने के लिए जिद पकड़ रखी है। वह तो बच्चा है, उसे क्या मालूम। जब बच्चा नही मानता, तो माँ उसे दर्पण में चाँद की परछाई दिखाकर उसे बदलने का प्रयत्न करती है। वह करती है कि देख, इसमें चाँद उतर आया है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. बालक किस पर ललचाया है?
2. माँ दर्पण किसे देती है तथा उसे क्या कहती है?
3. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. बालक चाँद पर ललचाया है।
2. माँ दर्पण अपने पुत्र को देती है। वह उसे कहती है कि देखो, दर्पण में चाँद उतर आया है।
3. काव्य-सौंदर्य

  • बच्चे की स्वाभाविक वृत्ति की अभिव्यंजना हुई है।
  • समान अर्थ द्रष्टव्य है ‘मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों’
    यहाँ सूरदास के वात्सल्य रस के समान अभिव्यक्ति हुई है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वाभाविक, स्वरमैत्री अलंकारों की शोभा है।
  • तुकांत छंद है।
  • चित्रात्मक शैली का प्रयोग है।
  • प्रसाद गुण है।
  • भाषा सरल, सरस एवं प्रवाहमयी है।

5. रक्षा-बंधन की सुबह रस की पुतली
छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी
बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे
भाई के है बाँधती चमकती राखी।

शब्दार्थ : रस की पुतली-रस से भरी, रस का भंडार बंधन । गगन-आकाश। घटा-बादल। लच्छे-राखी के ऊपर चमकदार लच्छे।

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश ‘आरोह-भाग-2’ में संकलित कवि ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘रुबाइयाँ’ नामक कविता से अवतरित किया गया है। इसमें गोरखपुरी ने रक्षा-बंधन पर्व की मिठास और रस्म का मनोहारी चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि रक्षा-बंधन पर्व की पावनता का चित्रण करते हुए कहते हैं कि रक्षा-बंधन त्योहार की पावन सुबह आनंद और मिठास की सौगात
है अर्थात रक्षा-बंधन एक मीठा बंधन है। इसके सुबह ही आनंद की अनुभूति होने लगती है। रक्षा-बंधन का पावन पर्व सावन मास में मनाया जाता है। अतः इसके आते ही आकाश में हल्की-हल्की घटाएँ छाई हुई हैं। जिस प्रकार सावन में आकाश में छाए बादलों में बिजली चमकती है उसी तरह रक्षा-बंधन के कच्चे धागों में लच्छे चमकते हैं जिसे बहनें प्रेम स्वरूप अपने-अपने भाइयों को इन चमकती लच्छेदार राखियों को बाँधती हैं।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. रक्षा-बंधन के अवसर पर क्या छाया है?
2. किसके लच्छे चमक रहे हैं और कैसे?
3. भाई को किस अवसर पर और कौन राखी बांधती है?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. रक्षा-बंधन के अवसर पर आसमान में रस से भरे हलके-हलके बादल छाए हुए हैं।
2. राखी के लच्छे चमक रहे हैं। वे बिजली की तरह लगते हैं।
3. भाई को रक्षा-बंधन के अवसर पर बहन राखी बांधती है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • रक्षा-बंधन में बहन-भाई के प्रेम व रीति-रस्म का चित्रण है।
  • भाषा सरल, सरस, सुबोध एवं प्रवाहमयी है।
  • हलकी-हलकी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की छटा है।
  • तत्सम, तद्भव शब्दावली है।
  • प्रसाद गुण है।
  • अनुप्रास, स्वाभावोक्ति, पदमैत्री अलंकारों का चित्रण है।
  • अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।
  • रुबाई छंद का प्रयोग है।

6. नौरस गुंचे पंखड़ियों की नाजुक गिरहें खोलें हैं
या उड़ जाने को रंगो-बू गुलशन में पर तोलें हैं।

शब्दार्थ : नौरस-युवा, नया। नाजुक-कोमल। बू-खुशबू, महक, गंध। तोलें हैं-खोलती हैं। गुंचे-फूल की कलियाँ। गिरहें-बंधन, गाँठे, गुत्थियाँ । गुलशन-बाग-बगीचा, उद्यान।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि फ़िराक गोरखपुरी द्वारा रचित ‘गजल’ से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने बसंत ऋतु के आगमन पर वातावरण में छाए अपूर्व सौंदर्य का चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि बसंत ऋतु फूल की कलियों की पंखुड़ियों की कोमल गाँठों को खोल देती है या उद्यान में फूलों के रंगों की खुशबू उड़ने के लिए अपने पंखों को खोलती है। कवि का अभिप्राय यह है कि बसंत ऋतु के आगमन पर युवा कलियाँ अपने पंखुड़ियों की कोमल गुत्थियों को खोल देती हैं। उस समय ऐसा प्रतीत होता है जैसे बाग में खिले हुए फूलों के रंगों की खुशबू उड़ जाने हेतु अपने पंखों को खोल रही हो। संपूर्ण बाग में फूलों की सुंदरता और खुशबू फैल जाती है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. उपर्युक्त काव्यांश के कवि तथा कविता का नाम बताइए।
2. बसंत ऋतु क्या खोल देती है?
3. बसंत ऋतु में कौन अपने पंख खोलता है?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. उपर्युक्त काव्यांश के कवि का नाम ‘फ़िराक गोरखपुरी’ है तथा कविता का नाम ‘गजल’ है।
2. बसंत ऋतु फूलों की नई कलियों की कोमल गाँठों को खोल देती है।
3. बसंत ऋतु उद्यान में फूलों के रंगों की खुशबू में उड़ने की उत्सुकता के लिए पंख खोलती है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • बसंत ऋतु के आगमन पर उद्यान की शोभा की अभिव्यंजना हुई है।
  • उर्दू, फ़ारसी भाषा का प्रयोग है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, संदेह, स्वरमैत्री अलंकारों की छटा है।
  • कोमलकांत पदावली है।
  • बिंब योजना अत्यंत सुंदर है।
  • प्रसाद गुण है।
  • अभिधात्मक शैली है।

7.तारे आँखें झपकावें हैं जर्रा-जर्रा सोये हैं।
तुम भी सुनो हो यारो! शब में सन्नाटे कुछ बोले हैं।

शब्दार्थ : जर्रा-जर्रा-कण-कण। शब-रात, निशा, रात्रि।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘गजल’ से अवतरित है। इसमें गोरखपुरी ने रात्रि के सौंदर्य का चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि रात्रि के गहन अंधकार में प्रकृति का कण-कण सोया हुआ है। संपूर्ण वातावरण में सन्नाटा छाया हुआ है। लेकिन इस गहन अंधकार में भी तारे टिमटिमा रहे हैं। अपनी आँखें झपकाकर अपूर्व सौंदर्य प्रस्तुत कर रहे हैं। कवि लोगों को संबोधन करते हुए कहता है कि हे प्यारो! तुम सब सुनो ! रात्रि में चारों ओर छाया हुआ सन्नाटा कुछ रहस्य कहता है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. तारे क्या झपकाते हैं?
2. जर्रा-जर्रा सोये है’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
3. शब में कौन बोलते हैं?
4. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. तारे अपनी आँखें झपकाते हैं।
2. इस पंक्ति से कवि का तात्पर्य है कि जब रात हो जाती है तो सृष्टि का कण-कण शांत होकर सो जाता है। रात्रि के गहन अंधकार में चहुँ ओर सूनापन छा जाता है।
3. शब में सन्नाटे बोलते हैं।
4. काव्य-सौंदर्य

  • रात्रि के गहन अंधकार में तारों के टिमटिमाने का सुंदर चित्रण है।
  • जरा-जर्रा में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री स्वाभाविक अलंकारों की छटा है।
  • गजल का प्रयोग है।
  • प्रसाद गुण है।
  • उर्दू, फारसी भाषा है।

8. हम हों या किस्मत हो हमारी दोनों को इक ही काम मिला
किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो लें हैं। (C.B.S.E. Delhi 2008)

शब्दार्थ : इक-एक। किस्मत-भाग्य । लेवे है-लेती है।

प्रसंग : यह पद्य ‘फिराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘गजल’ से लिया गया है। इसमें कवि ने चित्रित किया है कि इस दुनिया में मनुष्य अपनी किस्मत को रोता रहता है।

व्याख्या : कवि कहता है इस जहाँ में अकर्मण्य इनसान हो या उसकी किस्मत दोनों को एक ही कार्य मिलता है। वह काम है कि समय-समय पर ऐसा इनसान अपनी किस्मत को रो लेता है और किस्मत उसको रो लेती है अर्थात कवि का अभिप्राय यह है कि इस संसार में आदमी अपनी किस्मत को रोता रहता है। वह अपना कर्म सत्यनिष्ठा और परिश्रम से नहीं करता। आजीवन किस्मत के सहारे होकर उसे ही दोष देता रहता है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. कवि का दोनों से क्या अभिप्राय है?
2. हम अर्थात कवि तथा किस्मत को क्या काम मिला है?
3. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. यहाँ दोनों से अभिप्राय है-किस्मत तथा कवि स्वयं।
2. हम अर्थात कवि तथा किस्मत को यह काम मिला है कि किस्मत कवि को रो लेती है तथा कवि अपनी किस्मत को रो लेता है।
3. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने किस्मत के सहारे बैठे अकर्मण्य व्यक्तियों पर कटाक्ष किया है।
  • उर्दू, फ़ारसी भाषा का प्रयोग है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री की छय है।
  •  बिंब योजना सार्थक एवं सटीक है।
  • गजल छंद का प्रयोग है।

9. जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें
मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोलें हैं। (C.B.S.E. Delhi 2008, 2014 Set-I, II, III)

शब्दार्थ : काश-इच्छा आदि को प्रकट करने का, सूचनार्थ शब्द।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित गजल से ली गई हैं। इस पंक्तियों में कवि ने बदनाम करने वाले लोगों पर कटाक्ष किया है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि इस दुनिया के जो लोग मुझको बदनाम करना चाहते हैं, मेरे ऊपर बदनामी का दाग लगाना चाहते हैं, उन्हें अपने बारे में सोचना चाहिए। कवि का अभिप्राय यह है कि इस समाज में दूसरों को वही लोग बदनाम करते हैं, जो स्वयं पहले से ही बदनाम होते हैं और ऐसा करके वे दूसरों को बदनाम नहीं करते, बल्कि अपने रहस्यों को ही खोल कर बताते हैं।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. कौन, किनको बदनाम करना चाहता है?
2. कवि बदनाम करने वाले लोगों को क्या आग्रह करना चाहता है?
3. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. समाज के कुछ लोग कवि को बदनाम करना चाहते हैं।
2. कवि बनदाम करने वाले लोगों को यह आग्रह करना चाहता है कि काश वे लोग इतना सोच सकें कि वे मेरा भेद खोल रहे हैं या अपना भेद खोल रहे हैं।
3. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने बदनाम लोगों की प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, संदेह, स्वरमैत्री अलंकारों का प्रयोग हुआ है।
  • उर्दू-फ़ारसी भाषा का प्रयोग हुआ है।
  • बिंब योजना अत्यंत सार्थक एवं सटीक है।
  • गजल छंद का प्रयोग है।
  • शैली भावपूर्ण है।

10. ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी हो ले हैं।

शब्दार्थ कीमत-मूल्य। बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास-विवेक के साथ दुरुस्त करना। अदा-चुकाना। दीवाना-प्रेमी, चाहने वाला।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘गजल’ से ली गई हैं। इनमें कवि ने प्रेम की कीमत अदा करने का चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि अपनी प्रिया को संबोधित करके कहता है कि हम पूरे विवेक के साथ और पूरे होशो-हवास में प्रेम की कीमत भी चुका देने को तैयार हैं और हम तुम्हारा सौदा करने वाला अर्थात तुम्हें खरीदकर अपने पास रखने वाला दीवाना भी बनने को तैयार हैं।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. कवि किस कीमत को अदा करने की बात कहता है?
2. कवि किसको संबोधित करता है?
3. कवि किसका सौदा करने को कह रहा है?
4. काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. कवि प्रेम की कीमत को अदा करने की बात कहता है।
2. कवि अपनी प्रियतमा को संबोधित करता है।
3. कवि अपनी प्रियतमा का सौदा करने को कह रहा है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • उर्दू व फ़ारसी भी बोलचाल की भाषा है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों का प्रयोग है।
  • गजल छंद है।
  • बिंब सुंदर एवं सटीक है।
  • भावपूर्ण शैली का अंकन हुआ है।

11. तेरे ग़म का पासे-अदब है कुछ दुनिया का खयाल भी है
सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके-चुपके रो ले हैं।

शब्दार्थ : ग़म-दुख, पीड़ा, वेदना। खयाल ख्याल, परवाह । पासे-अदब है-सम्मान करता हूँ, विनय स्वीकृत है।

प्रसंग : यह पद्य आरोह भाग-2 में संकलित कवि फ़िराक गोरखपुरी द्वारा रचित ‘गजल’ से लिया गया है। इसमें कवि ने हृदय में स्थित प्रेम की पीड़ा का वर्णन किया है।

व्याख्या : कवि प्रिया को संबोधन करते हुए कहता है कि मैं तेरे हृदय में स्थित पीड़ा का सम्मान करता हूँ। मैं स्वीकार करता हूँ कि तेरे हृदय में ग़मों का सागर उमड़ रहा है लेकिन मैं पूर्णतः तुम्हारी ओर समर्पित नहीं हो सकता क्योंकि मुझे कुछ दुनिया का भी ख्याल है। कवि कहता है कि कहीं दुनिया कोई संदेह न करने लगे इसलिए मैं अपने दर्द को खुलकर रो सकता हूँ, बल्कि किसी एकांत स्थल पर चुपके-चुपके रो लेता हूँ।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. कवि किसका सम्मान करता है?
2. कवि को अपनी प्रियतमा के साथ-साथ किसका ख्याल है और क्यों?
3. कवि चुपके-चुपके क्यों रोता है?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. कवि अपनी प्रियतमा के गमों का सम्मान करता है।
2. कवि को अपनी प्रियतमा के साथ-साथ दुनिया का भी ख्याल है, क्योंकि वह एक सामाजिक प्राणी है। वह दुनिया समाज के व्यंग्य से डरता है।
3. कवि चुपके-चुपके इसलिए रोता है, क्योंकि वह अपने प्रेम को दुनिया वालों को नहीं बताना चाहता है और दुनिया की हँसी का पात्र नहीं बनना चाहता है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • विरह भावना का मार्मिक चित्रण हुआ है।
  • शृंगार की वियोगावस्था का करुण चित्रण है।
  • उर्दू, फ़ारसी भाषा का प्रयोग है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों की छटा है।
  • ‘चुपके-चुपके’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  • माधुर्य गुण है।
  • बिंब अत्यंत सार्थक एवं सटीक है।
  • शैली भावपूर्ण है।

12. फितरत का कायम है तवाजुन आलमे-हुस्नो-इश्क में भी
उसको उतना ही पाते हैं खुद को जितना खो ले हैं।

शब्दार्थ : फितरत-स्वभाव, प्रकृति, आदत। आलमे-हुस्नो-इश्क-हुस्नो इश्क का आलम, प्रेम का हाल। तवाजुन-संतुलन। खुद-स्वयं को।

प्रसंग : प्रस्तुत पद्य आरोह भाग-2 में संकलित कवि गोरखपुरी द्वारा रचित ‘गजल’ से अवतरित है। इसमें कवि ने मोहब्बत में डूबे आशिक की मनोव्यथा का चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि मोहब्बत का नशा आज तक छाया हुआ है। प्रेम का यह आलम है कि प्रिया से विरह हुए इतना समय हो गया लेकिन आज तक भी उसकी आदत हुस्नो-इश्क में समाई हुई है। कवि कहता है कि इस वियोगावस्था में मैं अपने आप को जितना भूल जाता हूँ उतना ही अपनी प्रिया को प्राप्त कर लेता हूँ। प्रिया के प्रेम की वियोगावस्था में अपने को जितना खोने का प्रयास करता हूँ, मुझे और अधिक प्रिया की अनुभूति होने लगती है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. किसका तवाजुन कायम है?
2. कवि अपनी प्रिया को कैसे पाता है?
3. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. फितरत का तवाजुन कायम है।
2. कवि अपनी प्रिया को उतना ही पा लेता है जितना खुद को खो देता है।
3. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने अपनी प्रिया की वियोगावस्था का मार्मिक चित्रण किया है।
  • श्रृंगार रस के वियोग पक्ष का सजीव अंकन है।
  • माधुर्य गुण है।
  • बिंब योजना अत्यंत सार्थक एवं सटीक है।
  • उर्दू, फ़ारसी की बोल-चाल की भाषाओं का प्रयोग है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों की छटा है।

13. आबो-ताबे-अशआर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो
ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोलें हैं।

शब्दार्थ : आबो-ताबे-अशआर-शेरों की चमक-दमक। बैतों-शेरों।

प्रसंग : यह पद्य फ़िराक गोरखपुरी द्वारा रचित ‘गजल’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने प्रिया को संबोधन करके उसे जगाने का प्रयास किया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि तुम मुझसे मेरी शेरो-शायरी की चमक-दमक के बारे में मत पूछो क्योंकि तुम्हारे पास भी विवेक है। तुम अपने विवेक के बल पर निर्णय कर सकते हो कि ये मेरे शेरों की चमक अथवा सार्थकता है अथवा वैसे ही मोती बिखेर रखे हैं, अर्थात तुम अपने विवेक के द्वारा मेरी शेरो-शायरी के महत्व का अंदाजा लगा सकते हो।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. कवि किसकी चमक की बात कर रहा है?
2. यहाँ कवि किसको संबोधन करता है?
3. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. कवि अपने शेरों की चमक की बात कर रहा है।
2. यहाँ कवि अपने प्रिय को संबोधन करता है।
3. काव्य-सौंदर्य

  • कवि का शायरी के चमक-दमक अर्थात अमर की बात करता है।
  • उर्दू, फ़ारसी और बोलचाल का भाषा का प्रयोग है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों की शोभा है।
  • माधुर्य गुण है।
  • शृंगार रस का प्रयोग है।
  • बिंब अत्यंत सुंदर एवं सटीक है।
  • शैली भावपूर्ण है।

14. ऐसे में तू याद आये है अंजुमने-मय में रिदों को
रात गए गर्दू पॅ फरिश्ते बाबे-गुनह जग खोलें हैं।

शब्दार्थ अंजुमने-मय-शराब की महफ़िल। फरिश्ते-देवता, देवदूत। बाबे-गुनह-पाप का अध्याय। रिंदों को-शराबियों को। गर्दू-आकाश, आसमान। जग-संसार।

प्रसंग : ये पंक्तियाँ हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित ‘गजल’ से ली गई हैं। इनमें कवि ने अपने प्रियजन की यादों का बखान किया है।

व्याख्या : कवि कहता है कि हे प्रिय! तू इस विरहावस्था में ऐसे याद आती है जैसे शराब की महफिल में शराबियों को शराब की याद आती है। कवि कहता है कि जैसे अर्धरात्रि में आकाश में देवदूत संपूर्ण संसार के पाप का अध्याय खोलते हैं, उसी तरह मुझे तुम्हारी याद आती है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. इस अवतरण के कवि तथा कविता का नाम बताएं।
2. कहाँ, किसको, कौन याद आता है?
3. रात गए फरिश्ते कहाँ क्या खोलते हैं?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. इस अवतरण के कवि का नाम फ़िराक गोरखपुरी है तथा कविता का नाम ‘गजल’ है।
2. शराब की महफिल में शराबियों को अपना प्रियतम याद आता है।
3. रात गए फरिश्ते आकाश में संपूर्ण संसार के पाप का अध्याय खोलते हैं।
4. काव्य-सौंदर्य

  • विरहावस्था का मार्मिक चित्रण हुआ है।
  • उर्दू, फ़ारसी भाषा के शब्दों का प्रयोग है।
  • माधुर्य गुण है।
  • श्रृंगार रस है।
  • बिंब योजना अत्यंत सुंदर एवं सटीक है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों का प्रयोग हुआ है।
  • भावपूर्ण शैली का प्रयोग हुआ है।

15. सदके फिराक एजाजे-सुखन के कैसे उड़ा ली ये आवाज़
इन गजलों के परदों में तो ‘मीर’ की गज़लें बोले हैं।

शब्दार्थ : सदके फिराक-फिराक सदके जाता है। एजाजे-सुखन-बेहतरीन (प्रतिष्ठित) शायरी।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘फ़िराक गोरखपुरी’ द्वारा रचित गजल से अवतरित किया गया है। इसमें गोरखपुरी ने प्रतिष्ठित शायर मीर के प्रति श्रद्धा-भाव अभिव्यक्त किए हैं।

व्याख्या : कवि कहता है कि प्रतिष्ठित शायरी की ये आवाज उसने कैसे चुरा ली, इस पर फ़िराक सदके जाता है अर्थात अपने को न्योछावर करता है। कवि अपनी गज़लों को अपने गुरु महान शायर मीर के प्रति समर्पित करते हुए कहता है कि मेरी इन गजलों में तो प्रतिष्ठित शायर मीर की गजलें बोलती हैं। शायर मीर से ही प्रभावित होकर मैंने ये गजलें लिखी हैं।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. फ़िराक किस पर सदके जाता है?
2. इन गज़लों को क्या बोलता है?
3. कवि अपनी गज़लों को किनके प्रति समर्पित करता है?
4. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. फ़िराक शायरी सुंदरता और आवाज़ पर सदके जाता है।
2. इन गजलों में महान शायर ‘मीर’ की गजलें बोलता है।
3. कवि अपनी गजलों को महान शायर ‘मीर’ के प्रति समर्पित करता है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने अपनी गजलों को प्रतिष्ठित शायर मीर के प्रति समर्पित किया है।
  • उर्दू, फ़ारसी एवं साधारण बोलचाल की भाषा है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों का प्रयोग है।
  • बिंब योजना सुंदर है।
  • भावपूर्ण शैली का प्रयोग है।
  • गज़ल छंद का प्रयोग हुआ है।

Class 12 Hindi Important Questions Aroh Chapter 8 कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप 

Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 8 कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप. Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board exams.

कवितावली (उत्तर कांड से), लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 8

प्रश्न 1.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।
अस मम जितन बंधु बिनुं तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही॥
उत्तर
(i) प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘तुलसीदास’ के द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ के ‘लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप’ कविता से अवतरित है।
(ii) इसमें कवि ने लक्ष्मण-मूर्छा के पश्चात श्रीराम के व्यथित हृदय की करुण दशा का चित्रण किया है।
(iii) तत्सम प्रधान अवधी भाषा है।
(iv) चौपाई छंद है।
(v) अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री, उदाहरण, विभावना अलंकारों की छटा दर्शनीय है।
(vi) करुण रस का मार्मिक चित्रण है।
(vii) बिंब-योजना सार्थक एवं सटीक है।
(viii) अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।

प्रश्न 2.
दारिद-दसानन दबाई दुनी, दुनी दीनबंधु।
दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी॥-काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(i) प्रस्तुत कवित्त गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित कवितावली से लिया गया है।
(ii) इसमें कवि ने संसार में फैले गरीबी रूपी रावण का वर्णन किया है तथा प्रभु राम से यह प्रार्थना की है कि वह ग़रीबी रूपी रावण को नष्ट करें।
(iii) प्रस्तुत कवित्त में ‘द’ वर्ण की बार-बार आवृत्ति होने से (वृत्यानुप्रास) अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
(iv) दारिद-दसानन’ में रूपक अलंकार की शोभा है।
(v) कवित्त छंद का प्रयोग है।
(vi) तत्सम प्रधान ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।
(vii) बिंब योजना अत्यंत सुंदर है।
(viii) भावपूर्ण शैली का चित्रण है।

प्रश्न 3.
तलसीदास ने पेट की आग के विषय में क्या कहा है? उसे किस प्रकार शांत किया जा सकता है?
उत्तर
गोस्वामी तुलसीदास ने पेट की आग को अति भयानक माना है जो हरेक को सता रही है। मजदूर, किसान, व्यापारी, भिखारी, भाट, नौकर-चाकर, कुशल अभिनेता, चोर, दूत, बाजीगर आदि सभी पेट की आग से परेशान हैं। इसे बुझाने के लिए ऊँचे-नीचे सब प्रकार के काम करने को विवश हैं। यह आग तो समुद्र की आग से भी

प्रश्न 4.
तुलसी के कवित्त के आधार पर पेट की आग का वर्णन कीजिए।
अथवा
कवितावली से आप की पाठ्य पुस्तक में उद्धत छंदों के आधार पर सोधारण स्पष्ट कीजिए कि तुलसीदास अपने यूग की आर्थिक विषमताओं की अच्छी तरह समझ है। (C.B.S.E. 2018)
उत्तर
तुलसी मानते हैं कि पेट की आग बड़ी भयंकर है जो हर प्राणी को मृत्यु तक सताती है, परेशान करती है। हर व्यक्ति अपनी-अपनी कुशलता के आधार पर इसी को बुझाने में हर पल लगा रहता है। व्यापारी, मजदूर, किसान, नौकर-चाकर, चोर-दूत, नेता-अभिनेता, बाजीगर, भाट, भिखारी आदि सब इसे बुझाने में ही लगे हुए हैं। पेट के लिए कोई पढ़ता-लिखता है तो कोई कलाएँ सीखता है। कोई विद्याएँ सीखता है तो कोई पर्वतों पर भटकता दिखाई देता है। कोई दिनभर जंगलों में शिकार की खोज में भटकता रहता है। पेट की आग के लिए उनका ध्यान धर्म-कर्म की ओर भी नहीं जाता। लोग पेट की आग को बुझाने के लिए लोग अपने बेटे-बेटी तक को बेच देते हैं। यह आग तो समुद्र की आग से भी भयानक है।

प्रश्न 5.
पेट की आग को समुद्र की आग से भी भयानक क्यों माना गया है?
उत्तर
समुद्र की आग (बड़वानल) जल में भी धधकती रहती है पर वह भी पेट की आग से भयानक नहीं है। पेट की आग बुझाने के प्रयास में तो इनसान जानवर से भी नीचे गिर जाता है। उसका विवेक नष्ट हो जाता है, वह पशु की भाँति हिंसक हो जाता है और उसी की तरह गिर जाता है। वह धर्म-अधर्म, बेटा-बेटी आदि को भुलाकर केवल अपना पेट भरना चाहता है। वह तो इतना नीचे भी गिरने को तैयार हो जाता है कि अपने बेटे-बेटी बेचने को भी तैयार हो जाता है और पशु समान व्यवहार करने लगता है।

प्रश्न 6.
तुलसी ने वेदों-पुराणों के आधार पर वर्तमान के विषय में क्या कहा है?
उत्तर
तुलसी ने वेदों-पुराणों के आधार पर कहा है कि संकट और विपदा के समय में ईश्वर ही कृपा करते हैं, वही दुःखों को मिटाते हैं। तुलसी ने इसी आधार पर माना है कि कलयुग में भी ईश्वर ही दया करेंगे। श्रीराम ही प्राणियों के सभी कष्टों को मिटाएँगे। दरिद्रता रूपी रावण ने सबको अपने चंगुल में फंसा लिया है जिससे सब हाय-हाय करने लगे हैं, त्राहि-त्राहि मच गई है। सब दुखी और परेशान हैं। वर्तमान में कोई भी तो प्रसन्न नहीं है। सब ‘हाय-हाय’ कर रहे हैं।

प्रश्न 7.
तुलसी ने अपने बारे में दुनिया को क्या कहा है? क्यों?
उत्तर
तुलसी ने दुनिया को अपने बारे में कहा है कि उन्हें किसी की कोई परवाह नहीं है। उन्हें कोई धूर्त कहे या अवधूत योगी, राजपूत कहे या जुलाहा, छोटा कहे या बड़ा-उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें किसी की बेटी से अपने बेटे की शादी नहीं करनी थी कि जिस से किसी की जाति में बिगाड़ उत्पन्न होता हो। वे तो केवल राम के भक्त हैं। उन्हें जो कोई कहना चाहता है वह कहता रहे। वे माँग कर खा लेते हैं, मसजिद में जाकर सो जाते हैं, अपनी धुन में मस्त रहते हैं और उन्हें दुनिया से न तो कुछ लेना है और न ही देना है। तुलसी ने संभवतः ऐसा इसलिए कहा होगा कि उस समय के लोग उन्हें, उनके विचारों के कारण बुरा-भला कहते होंगे। उनसे व्यवहार नहीं करना चाहते होंगे।

प्रश्न 8.
तुलसी की फक्कड़ता किस प्रकार प्रकट हुई है ?
उत्तर
तुलसी ने गृहस्थ जीवन त्याग दिया था। उनका कोई भी अपना-पराया नहीं था। उन्हें सांसारिक मान-मर्यादाओं से कुछ लेना-देना नहीं था। उन्हें जाति-पाति की कोई परवाह नहीं थी। उन्हें समाज से रिश्ते नहीं बनाने थे, इसलिए वे किसी की कोई परवाह नहीं करते थे। वे खुलेआम कहते थे-‘जाको ऊँचै सो कहै कछु ओऊ’।

प्रश्न 9.
हनुमान ने संजीवनी बूटी ले जाते समय किसकी प्रशंसा की थी और क्यों?
उत्तर
हनुमान ने संजीवनी बूटी ले जाते समय भरत जी की तब प्रशंसा की थी जब वे भरत के बाण पर बैठकर लंका की ओर चले थे। उन्होंने भरत के चरणों की वंदना की थी।

प्रश्न 10.
हनुमान ने भरत के किन गुणों की प्रशंसा की थी और कैसे?
उत्तर
हनुमान ने भरत के मृदु-कोमल स्वभाव, अपार बाहुबल, गुण-धर्म और श्रीराम के प्रति अखंड-प्रेम की मन-ही-मन प्रशंसा की थी।

प्रश्न 11.
लक्ष्मण ने श्रीराम के लिए किन कष्टों को सहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लक्ष्मण ने अपने मन के भावों के कारण, स्वप्रेरणा और स्वेच्छा से श्रीराम के लिए उनके साथ वन-गमन का निर्णय लिया था। उन्होंने महलों के सुखों का त्याग, नवविवाहिता पत्नी उर्मिला से वियोग और माता-पिता से दूर रहकर जंगलों के सभी कष्टों को सहा था।

प्रश्न 12.
श्रीराम ने लक्ष्मण के बिना स्वयं को क्या माना था?
उत्तर
श्रीराम ने लक्ष्मण के बिना स्वयं को पंगु और शक्तिहीन अनुभव किया था जैसे पंखों के बिना पक्षी, मणि के बिना सर्प, सूंड के बिना हाथी शक्ति विहीन हो जाते हैं। उन्हें लगने लगा था कि लक्ष्मण के बिना कुछ नहीं कर पाएंगे।

प्रश्न 13.
राम ने नारी के संबंध में जो टिप्पणी की है, उस विषय में आप क्या सोचते हैं ?
उत्तर
राम ने नारी के विषय में कहा था ‘नारि हानि विसेष छति नहीं’। उन्होंने अपने भाई की तुलना में नारी को विशेष महत्त्व नहीं दिया था और उनकी क्षति को भाई की क्षति की अपेक्षा कम माना था। वस्तुतः राम ने यह टिप्पणी दुःख और कष्ट के समय अनर्गल चीत्कार करते हुए की थी जिससे उनका अपने भाई के प्रति प्रेम-भाव प्रकट हुआ है। इसके आधार पर राम के नारी विषयक नीति संबंधी विचार नहीं ढूँढ़े जा सकते।

प्रश्न 14.
‘राम का विलाप’ प्रसंग के वाचक कौन हैं? उन्होंने किससे क्या कहा था?
उत्तर
‘राम का विलाप’ प्रसंग के वाचक भगवान शंकर स्वयं हैं। उन्होंने अपनी पत्नी उमा को संबोधित करते हुए कहा था कि देखो, कृपालु भगवान राम नर रूप में किस प्रकार की लीला कर रहे हैं।

प्रश्न 15.
तुलसी की किसके प्रति कैसी आस्था थी?
उत्तर
तुलसी की भगवान राम के प्रति अगाध आस्था थी। वह स्वयं को ‘राम का गुलाम’ मानते थे और उन्हें इस पर गर्व अनुभव होता था। वे स्वयं को राम के चरणों में ही सदा देखना चाहते थे।

प्रश्न 16.
रावण कुंभकरण के पास किस आशा से गया था?
उत्तर
रावण की सेना का बड़ा हिस्सा राम की सेना का शिकार हो चुका था। वह चाहकर भी अपने पक्ष में युद्ध को नहीं मोड़ पाया था। राम की सेना के पराक्रम से एक-एक करके रावण के सारे योद्धा मारे गए थे। रावण की एक ही उपलब्धि थी कि मेघनाथ ने लक्ष्मण को मूर्च्छित कर दिया था। जब लक्ष्मण की मूर्छा टूट गई तो रावण ने सोचा था कि अब राम की सेना लंका पर दुगुने-चौगुने बल से आक्रमण कर उसे नष्ट कर देना चाहेगी। रावण ने निश्चय किया था, वह कुंभकरण की अपार शक्ति का सहारा लेकर राम की सेना को नष्ट कर विजय प्राप्त कर लेगा। इसलिए कुंभकरण सहायता माँगने के लिए वह उससे मिलने गया था।

प्रश्न 17.
कुंभकरण के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
कुंभकरण अति विशाल शरीरवाला बलशाली योद्धा था। वह रावण का भाई था और देखने में साक्षात यमराज-सा ही प्रतीत होता था। वह घमंडी, मुंहफट, बेपरवाह और स्पष्ट वक्ता था। वह समझदार भी था क्योंकि पूरी बात सुनने के बाद उसने रावण से कहा था कि उसने सीता को चुराकर दुष्टता का काम किया था और अब उसे कोई नहीं बचा सकता था।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित काव्याष्ठा को पढ़कर पूछे गए प्रष्ठनों के उत्तर लिखिए : (Outside Delhi 2017, Set-III)
प्रभु प्रलाप सुनि कान, विकल भए वानर निकर।
आइ गयउ हनुमान, जिमि करुना महँ वीर रस।।
(क) काव्याष्ठा किस छंद में है? उसका लक्षण स्पष्ट कीजिए।
(ख) काव्यांष्ठा में उत्प्रेक्षा अलंकार छटिए और उसका सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ग) काव्यांष्ठा की भाजा की दो विष्ठोजताएँ लिखिए।
उत्तर
(क) काव्यांष्ठा सोरठा छंद में है। सोरठा दोहा का उल्टा होता है। इसमें सम चरणों में 13-13 और विज़म चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं। इसके विज़म चरणों में तुक होती है।
(ख) ‘आइ गयउ हनुमान, जिमि करुना मह वीर रस’ पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार की छटा दीनीय है। इसमें हनुमान के आने से करुणा में वीर रस आने की संभावना व्यक्त की गई है।
(ग) अवधी भाजा है। संगीतात्मकता का प्रवाह है। प्रवाहमयता विद्यमान है।

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट,
चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।
पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि,
अटत गहन-गन अहन अखेटकी॥
ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,
पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।
‘तुलसी’ बुझाई एक राम घनस्याम ही तें,
आगि बड़वागितें बड़ी है अगि पेटकी॥ (C.B.S.E. 2008,09, A.I.C.B.S.E. 2011, Set II,C.B.S.E. Outside Delhi 2013, Set-1, Set-III)

शब्दार्थ : किसबी-मजदूर। कुल-परिवार, वंश, समाज। चपल-चंचल। अहन-दिन। बड़वागि–समुद्र की आग। बनिक-बनिया। गिरि-पर्वत। अगि पेटकी-पेट की आग अर्थात पेट की भूख।

प्रसंग : प्रस्तुत कवित्त हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘कवितावली’ के उत्तरकांड से लिया गया है। इसमें कवि ने अपने समय के समाज का यथार्थ अंकन किया है। जहाँ संसार के अच्छे-बुरे सभी प्राणियों का आधार पेट की आग का गहन यथार्थ है जिसको कवि राम रूपी घनस्याम के कृपा-जल से समाधान करने की प्रार्थना करते हैं।

व्याख्या : इस संसार में मजदूर, कृषक, व्यवसायी, वैश्य, भिक्षुक, भाट, नौकर-चाकर, चंचल नट, चोर, दूत, जादूगर सभी लोग अपना पेट भरने के लिए तरह-तरह के कार्यों को करते हैं। वे अनेक करिश्मों को करते हैं-यहाँ तक कि पर्वतों पर चढ़ते हैं। वे बड़े-बड़े कठिन कार्यों को करते हैं, घने जंगलों में पर्वतों पर चढ़ जाते हैं। शिकारी के रूप में सारा दिन भटकते रहते हैं।

पेट ऐसी ही बला है जिसके लिए लोग दर-दर की ठोकरें खाते फिरते हैं। उचितानुचित कार्य करने में भी वे नहीं हिचकिचाते हैं। धर्म-अधर्म की भावना लोगों में नहीं रह गई है। यहाँ तक कि अपने इस पेट को भरने के लिए अपने पुत्र-पुत्रियों को भी बेच डालते हैं। यह पेट की अग्नि समुद्र की आग से भी कहीं बढ़कर सिद्ध हो रही है। अब ऐसी भीषण अग्नि की शांति मेघ रूपी श्रीराम से ही हो सकती है अर्थात प्रभु राम की कृपा हो जावे तो यह भूख, जिसको शांत करने के लिए लोग भटक रहे हैं, शांत हो सकती है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. इस संसार में पेट भरने के लिए कौन-कौन कार्य करते हैं?
2. कलयुग में अपना पेट भरने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?
3. कवि के अनुसार पेट की आग को कौन बुझा सकता है?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. इस संसार में पेट भरने के लिए मजदूर, किसान कुल, व्यापारी, भिखारी, भाट, नौकर-चाकर, चोर, दूत, जादूगर आदि सभी कार्य करते हैं।
2. कलयुग में अपना पेट भरने के लिए लोग दर-दर की ठोकरें खाते हैं धर्म-अधर्म के ऊँचे-नीचे कार्य करने में भी नहीं हिचकिचाते हैं यहाँ तक कि वे अपने बेटा-बेटी को भी बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं।
3. कवि के अनुसार पेट की आग को राम रूपी घनस्याम ही बुझा सकता है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • समाज का यथार्थ अंकन हुआ है।
  • कवित्त छंद का प्रयोग है।
  • तत्सम-प्रधान ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।
  • अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।
  • बिंब योजना सुंदर एवं सटीक है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों की छटा है।

2. खेती न किसान को, भिखारी को न भीख, बलि,
बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।
जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,
कहँ एक एकन सों कहाँ जाई, का करी?
बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,
साँकरे सबें पै, राम! रावर कृपा करी।
दारिद-दसानन दबाई दुनी, दुनी, दीनबंधु
दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी॥ (C.B.S.E. Sample Paper AIC.B.S.E. 2014 Set-I, II, III)

शब्दार्थ : बनिक-बनिया। चाकर-नौकर, काम करने वाला। सीद्यमान-दुखी। एक-एकन सो-एक-दूसरे को, आपस में। बेदहूँ-वेद।सांकरे-संकटकाल में। दारिद-दसानन-दरिद्रता रूपी रावण। दीनबंधु-दीन-दुखियों या गरीबों के भाई । हहा करी-प्रार्थना करना। बनिज-व्यापार । चाकरी-नौकरी, काम। सोच बस-शोक वश।का करी-क्या करें। पुरान-पुराण । रावरें-सलोने। दुनी-दुनियाँ। दुरित-दहन-पापों को भस्म करने वाला।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘तुलसीदास’ द्वारा रचित कवितावली के ‘उत्तरकांड’ से लिया गया है। इसमें कवि ने प्रकृति और शासन की विषम से अपनी गरीबी और बेकारी की पीड़ा का यथार्थपरक चित्रण किया है तथा प्रभु राम से इसे दूर करने की प्रार्थना की है।

व्याख्या : तुलसी जी समकालीन समाज में व्याप्त गरीबी और बेकारी का यथार्थ चित्रण करते हुए प्रभु राम को संबोधन करके कहते हैं कि हे दीनबंधु! समाज में हर तरफ़ गरीबी और बेकारी का बोलबाला है। यहाँ प्रत्येक व्यक्ति दुखी है। किसान के पास खेती करने के लिए उचित साधन नहीं हैं जिससे वह खेती पैदा नहीं कर सकता। भिखारी को भीख नहीं मिलती। कोई संपन्न व्यक्ति नहीं जो भीख दे सके। व्यापारी के पास कोई व्यापार नहीं है जिससे उसकी आजीविका चल सके।

नौकरों तथा कार्य करनेवाले लोगों को नौकरी या काम नहीं मिल पाता। समाज में किसी के पास भी आजीविका चलाने का कोई साधन नहीं है। वे सब बेकारी के कारण शोक वश दुखी हैं। समाज का प्रत्येक वर्ग दीनहीन एवं दुखी है। दुखी होकर वे आपस में एक-दूसरे को यही कहते हैं कि अब कहाँ जाएँ और क्या करें जिससे जीवन-यापन हो सके। कवि कहते हैं कि हे राम! वेदों और पुराणों में कहा गया है और संसार में भी ऐसा देखा गया है कि भीषण संकट की स्थिति में साँवले प्रभु राम ही कृपा करते हैं।

अतः हे प्रभु! आप सभी पर अपनी कृपा करें। आज समाज का प्रत्येक व्यक्ति पीड़ित है। हे दीन-दुखियों की रक्षा करनेवाले दीनबंधु ! इस समय संपूर्ण समाज को गरीबी रूपी रावण ने दबा रखा है अर्थात दुनिया में हर कहीं गरीबी रूपी रावण का साम्राज्य है। चारों तरफ़ गरीबी फैली हुई है। तुलसी जी प्रभु से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे दरिद्रता को जला देनेवाले प्रभु! आप तो कष्टों का नाश करनेवाले है। अतः आप ही हमें इस गरीबी से निकालिए। आप ही दुनिया से गरीबी को दूर करें।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. इस काव्यांश के कवि तथा कविता का नाम बताएँ।
2. समाज में लोगों के पास क्या अभाव है?
3. समाज में आजीविका से हीन लोग क्या सोचते हैं?
4. वेदों और पुराणों में क्या कहा गया है?
5. ‘दारिद-दसानन दवाई दुनी, दुनी, दीनबंधु’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
6. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. इस काव्यांश के कवि का नाम गोस्वामी तुलसीदास है तथा कविता का नाम ‘कवितावली’ है।
2. समाज में किसान के पास खेती नहीं है, भिखारी को भीख नहीं मिलती, व्यापारी के पास व्यापार के साधन नहीं हैं तथा चाकर के पास
करने के लिए काम नहीं है।
3. समाज में आजीविका से हीन लोग सोचते हैं कि वे अब कहाँ जाएँ और क्या करें जिससे उनकी आजीविका चल सके।
4. वेदों और पुराणों में कहा गया है कि संकट के समय में प्रभुराम सभी पर कृपा करते हैं तथा सब दुखों को हर लेते हैं।
5. इस पंक्ति का भाव है कि समाज में फैले गरीबी रूपी रावण को दीन-दुखियों के रक्षक प्रभु राम ही नष्ट कर सकते हैं अर्थात गरीबी में
राम ही कृपा करनेवाले हैं।
6. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने समकालीन समाज की गरीबी और दरिद्रता का यथार्थ चित्रण किया है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है।
  • ‘दारिद-दसानन’ में रूपक अलंकार है।
  • ब्रजभाषा तत्सम, तद्भव शब्दावली से युक्त है।
  • कवित्त छंद का सुंदर प्रयोग है।
  • सामाजिक बिंब का सुंदर वर्णन है।

3. धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूत कही, जोलहा कही को।
काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार ना सोऊ॥
तुलसी सरनाम गुलामु है राम को, जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगी कै खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु न दैबको दोउ। (C.B.S.E. Outside Delhi, 2013, Set-III)

शब्दार्थ : धूत-त्यागा हुआ। रजपूत-राजपूत। कोऊ-कोई। रुचै-अच्छा लगना। सोइबो-सोना। अवधूत-संन्यासी, विरक्त। जोलहा-जुलाहा। काहूको-किसी की। मसीत-मसजिद । लैबो एकु न दैवको दोउ-लेना एक न देना दो (लोकोक्ति)।

प्रसंग : प्रस्तुत सवैया ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि तुलसीदास द्वारा रचित ‘कवितावली’ के उत्तरकांड से लिया गया है। इसमें भक्त हृदय के आत्मविश्वास का चित्रण है तथा कवि ने समाज में व्याप्त जातिवाद और धर्म का खंडन किया है।

व्याख्या : भक्त तुलसीदास जी आत्मविश्वास को प्रकट करते हुए कहते हैं कि समाज में मुझे चाहे कोई त्यागा हुआ कहे या संन्यासी, कोई जाति का राजपूत कहे या जुलाहा, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फिर मुझे किसी की बेटी से बेटे की शादी नहीं करनी जिससे किसी की जाति बिगड़ जाएगी। तुलसी जी जाति-धर्म का खंडन करते हुए कहते हैं कि मैं तो केवल प्रभु राम का दास हूँ फिर जिसे जो अच्छा लगे वह कहता रहे। मुझे किसी की जाति-धर्म से कोई सरोकार नहीं है। तुलसी जी कहते हैं कि मुझे किसी से कोई लेना-देना नहीं है। मैं तो भीख माँगकर पेट भरता हूँ और मसजिद में सोता हूँ। मैं तो पूर्ण रूप से प्रभु राम की शरण में समर्पित हो गया हूँ। मुझे संसार से कोई मतलब नहीं है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. ‘धूत कहौ, अवधूत कही, रजपूत कही, जोलहा कही कोऊ’ पंक्ति के माध्यम से कवि किन पर क्या व्यंग्य करता है?
2. कवि अपना जीवन कैसे जीता है?
3. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. इस पंक्ति के माध्यम से कवि समाज के उन ठेकेदारों पर व्यंग्य करता है जो जाति, धर्म, संप्रदायवाद को बढ़ावा देते हैं। वे कहते हैं कि मुझे चाहे कोई त्यागा हुआ कहे या संन्यासी, राजपूत कहे या जुलाहा कहे उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। उसे इन सबसे कोई लेना-देना नहीं
2. कवि लोगों से माँगकर खाते हैं और मसजिद में निश्चिंत होकर सोते हैं। उन्हें न तो किसी से कुछ लेना है और न देना है।
3. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने समाज में फैली जातिवाद तथा धर्म का खंडन किया है।
  • सवैया छंद है।
  • ‘लेना एक न देना दो’ लोकोक्ति का सटीक प्रयोग है।
  • भाषा सहज, सरल, प्रवाहमयी है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है।
  • बिंब-योजना का सुंदर प्रयोग है।
  •  लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप

4. तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत।
अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत॥
भरत बाहुबल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।
मन महुँ जात सराहत पुनि-पुनि पवनकुमार।। (C.B.S.E. 2013, Set-I, Set-II, Set-III)

शब्दार्थ : तव-तुम्हारा। उर-हृदय। जैहउँ-जाऊँगा। अस-ऐसा, इस तरह। पद-चरण, पैर, पाँव। बाहुबल-भुजाओं की शक्ति। गुन-गुण। प्रीति-प्यार। महुँ-में। पुनि-पुनि-बार-बार, फिर-फिर। प्रताप-बल। राखि-रखकर। तुरंत-इसी समय, अभी। आयसु-आज्ञा। बंदि-बंदना। सील-शील, स्वभाव। अपार-असीम, अनंत। सराहत-सराहना कर रहे है, बड़ाई कर रहे हैं। पवनकुमार-पवनपुत्र अर्थात हनुमान।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ के लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ नामक प्रसंग से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने लक्ष्मण-मूर्छा प्रसंग का करुण चित्रण प्रस्तुत किया है। हनुमान जी युद्ध-भूमि में मूर्च्छित पड़े लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेकर जा रहे थे तो भरत जी ने उन्हें राक्षस समझकर तीर मारा। हनुमान जी राम नाम लेते हुए मूर्च्छित हो गए। तब भरत ने उन्हें राम का दूत समझकर उन्हें स्वस्थ किया और उनसे सब स्थिति जानकर पछताने लगे। समय व्यतीत होता
देखकर उन्होंने हनुमान जी को अपने बाण पर चढ़कर प्रस्थान करने के लिए कहा जिससे वे शीघ्र ही वहाँ पहुँच सकें।

व्याख्या : हनुमान जी भरत जी से कहते हैं कि हे प्रभु! मैं आपका प्रताप हृदय में रखकर शीघ्र ही अपने स्वामी अर्थात श्रीराम के पास चला जाऊँगा। ऐसा कहकर और आज्ञा पाकर तथा भरत जी के चरणों की वंदना करके हनुमान जी ने वहाँ से प्रस्थान किया। भरत जी के बाहुबल, शील, गुणों और प्रभु राम के चरणों के प्रति उनके अपार प्रेम की मन-ही-मन बार-बार सराहना करते हुए पवनपुत्र हनुमान जी चले जा रहे हैं।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. इस काव्यांश में कौन किससे प्रार्थना कर रहे हैं?
2. हनुमान जी भरत जी से क्या प्रार्थना करते हैं और वे कहाँ जाना चाहते हैं?
3. हनुमान जी भरत जी के किन गुणों की सराहना करते हैं?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. इस काव्यांश में भक्त हनुमान जी भरत जी से प्रार्थना कर रहे हैं।
2. हनुमान जी भरत जी प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि वे उनका यश हृदय में रखकर संजीवनी बूटी लेकर तुरंत श्रीराम के पास जाना चाहते हैं।
3. हनुमान जी भरत जी की भुजाओं की शक्ति, शील, स्वभाव आदि गुणों की सराहना करते हैं।
4. काव्य-सौंदर्य

  • इन पंक्तियों में कवि ने भरत के राम के प्रति स्नेह तथा हनुमान दवारा भरत की सराहना का वर्णन किया गया है।
  • अवधी भाषा का प्रयोग है।
  • तत्सम शब्दावली का प्रचुर प्रयोग है।
  • करुण रस है।
  • भावपूर्ण शैली की योजना है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री, पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों की छया दर्शनीय है।
  • दोहा छंद का प्रयोग है।
  • अभिधा शब्द-शक्ति है।
  • बिंब-योजना सार्थक एवं सटीक है।

5. उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी॥
अर्ध राति गड़ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायऊ॥
सकहु न दुखित देखि मोहि काका बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ॥
मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु विपिन हिम आतप बाता॥ (C.B.S.E. Sample Paper 2012, Set-1)

शब्दार्थ : उहाँ-वहाँ। निहारी-देखा। अर्थ-आधी। कपि-वानर अर्थात हनुमान। अनुज-छोटा भाई लक्ष्मण। लायक-लगाया। दुखित-दुखी। बंधु-भाई। मृदुल-कोमल। मम-मेरा। सहेहु-सहन किया। आतप-गरमी। लच्छिमनहि-लक्ष्मण को। मनुज-अनुसारी-मनुष्य के अनुसार। राति-रात। आबउ-आए। उर-हदय। सकहु-सके। मोहि-मुझे। तव-तुम्हारा। सुभाऊ-स्वभाव। हित-भला। तजेह-छोड़ दिया। हिम-वरफ़, सरदी। वाता-वायु, आँधी।

प्रसंग : यह काव्यांश तुलसीदास रचित ‘लक्ष्मण-मूछा और राम का विलाप’ कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने लक्ष्मण-मू के समय श्रीरामचंद्र की करुण दशा का मार्मिक चित्रण किया है।

व्याख्या : प्रभु राम की करुणावस्था का चित्रांकन करते हुए कवि जी कहते हैं कि युद्ध-क्षेत्र में मूर्छित हुए लक्ष्मण को देखकर एक साधारण मनुष्य की तरह कहने लगे अर्थात कवि का आशय यह है कि लक्ष्मण के मूर्छित होने पर श्रीराम का हृदय इतना व्याकुल हो उठा कि वे एक साधारण मानव की तरह विलाप करने लगे। वे लक्ष्मण को देखकर करुण दशा में बोल पड़े कि आधी रात व्यतीत हो गई है लेकिन अभी तक हनुमान जी औषधि लेकर नहीं आए।

यह कहकर राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उठाकर अपने हृदय से लगा लिया। कहने का भाव है कि हनुमान के न आने पर श्रीराम जी बहुत ज्यादा व्याकुल हो गए और उन्होंने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उठाकर हृदय से लगा लिया। श्री रामचंद्र लक्ष्मण को याद करते हुए व्याकुल होकर कहते हैं कि हे भाई! तुम्हारा स्वभाव सदा से ही बहुत कोमल है इसलिए तुम मुझे कभी भी दुखी नहीं देख सके अर्थात सदैव तुमने दुखों में मेरी सहायता की है।

श्रीराम विलाप करते हुए कहते हैं कि हे भाई ! मैं तुम्हारी महानता का कहाँ तक बखान करूँ। तुमने तो मेरी भलाई के लिए अपने माता-पिता को भी छोड़ दिया तथा अयोध्या के ऐश्वर्यपूर्ण जीवन को छोड़कर तुम मेरे साथ जंगलों में चले आए। यहाँ तुमने जंगलों की भयानक सरदी, गरमी, आँधी और तूफानों को सहन किया। हे भाई! तुमने मेरे खातिर अपने सुखों को त्यागकर सदैव मेरा हित किया।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. राम किसको देखकर कैसे बोलते हैं?
2. राम व्याकुल होकर क्या करते हैं? .
3. राम मूर्छित लक्ष्मण को संबोधन कर क्या कहते हैं?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. राम मूर्छित लक्ष्मण को देखकर एक सामान्य मनुष्य की भाँति बोलते हैं।
2. राम व्याकुल होकर कहते हैं कि आधी रात बीत गई है लेकिन हनुमान जी अभी तक नहीं आए। यह कहकर वे लक्ष्मण को उठाकर अपने हृदय से लगा लेते हैं।
3. राम मूर्छित लक्ष्मण को संबोधन कर कहते हैं कि हे भाई! तुम मुझे कभी दुखी नहीं देख सके। तुम्हारा सदैव कोमल स्वभाव रहा है तुमने मेरे हित के लिए माता-पिता को भी छोड़ दिया और मेरे साथ जंगलों की सरदी, गरमी और आँधियों को सहा।
4. काव्य-सौंदर्य

  • इन पंक्तियों में श्रीराम के विलाप का करुण चित्रण है।
  • श्रीराम ने अपने मुख से लक्ष्मण के आदर्श रूप का चित्रण किया है।
  • तत्सम प्रधान अवधी भाषा का अंकन है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग है।
  • करुण रस का मार्मिक अंकन है।
  • अभिधात्मकता का सुंदर चित्रण है।
  • चौपाई छंद का प्रयोग है।

6. सो अनुराग कहाँ अब भाई। उठहु न सुनि मम बच बिकलाई॥
जाँ जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पिता बचन मनतेॐ नहिं ओह॥
सुत बित नारि भवन परिवारा। हौहि जाहि जग बारहिं बारा॥
अस बिचारि जियें जागहु ताता। मिलइन जगत सहोदर भाता॥ (C.B.S.E. Delhi 2008, 2009, 2011 Set-I, 2012, Set-1, 2014 Set-I, II, III)

शब्दार्थ : सो-वह। उठहु-उठो। बच-वचन। जौं-यदि। बंधु-भाई अर्थात लक्ष्मण। मनतेऊँ-मानता। सुत-बेटा, पुत्र। नारि-स्त्री,पत्नी। परिवारा-परिवार, कुल। बारहिं-बार। विचारि-सोचकर। ताता-भाई। अनुराग-प्रेम, प्रीति, लगाव। समु-मेरा, मेरे। बिकलाई-व्याकुल। जनतेउँ-जानता। बिछोहू-बिछोह, विरह। ओहू-आऊँ। बित-धन, संपत्ति। भवन-घर, महल। जग-संसार। अस-ऐसा, इस तरह। जियं-हदय। सहोदर-एक ही माँ के पेट से जन्मा भाई। प्रस्तुत पंक्तियाँ गोस्वामी तुलसीदास विरचित ‘आरोह भाग-2’ में संकलित रामचरितमानस के ‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’

प्रसंग : से अवतरित हैं। इसमें कवि तुलसीदास जी ने लक्ष्मण-मूर्छा के समय श्रीरामचंद्र जी के हृदय की व्याकुल अवस्था का मार्मिक चित्रण किया है।

व्याख्या : श्री रामचंद्र जी दुखी हृदय से अपने अनुज लक्ष्मण को संबोधन करते हुए कहते हैं कि हे भाई लक्ष्मण ! वह पहलेवाला प्यार, लगाव अब कहाँ है अर्थात जब तुम मुझे कभी दुखी नहीं देख सकते थे। मेरे कारण आपने माता-पिता को छोड़ दिया तथा वन में चले आए। अब मेरे प्रति आपका वह प्रेम कहाँ लुप्त हो गया है ? तुम पहले की तरह मुझसे प्रेम क्यों नहीं करते। श्रीराम जी अत्यंत विलाप करते हुए कहते हैं कि हे भाई।

उठो, तुम मेरे वचनों की व्याकुलता को सुनो। मेरे व्याकुल वचनों को सुनकर तुम उठकर बैठ जाओ और पहले की तरह मुझसे प्यार करो। राम अत्यंत दुखी हृदय से पश्चात्ताप करते हुए कहते हैं कि यदि मैं यह जानता कि वन में भाई का बिछोह होगा तो मैं पिता जी के वचनों को ही नहीं मानता और न यहाँ कभी वन में आता। यदि मुझे आभास होता कि वन में जाने के बाद मुझसे आपका बिछोह होगा तो मैं कदापि पिता के वचन न मानता।

श्री रामचंद्र जी लक्ष्मण को संबोधन करते हुए दुखी मन से कह रहे हैं कि हे भाई ! इस नश्वर संसार में पुत्र, धन संपत्ति, पत्नी, महल और परिवार बार-बार मिल जाते हैं और बार-बार नष्ट होते हैं लेकिन अपार यत्न करने पर भी संसार में एक माँ के पेट से जन्म लेनेवाला सगा भाई नहीं मिलता। इसीलिए हे तात ! तुम हृदय में ऐसा विचार करके जागृत हो जाओ। कवि का अभिप्राय यह है कि इस संसार में पुत्र-पत्नी, धन-संपत्ति, भवन और परिवार तो बार-बार मिल जाते हैं लेकिन लक्ष्मण जैसा आदर्श भाई कभी दोबारा नहीं मिल सकता।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. श्रीराम व्याकुल होकर क्या कह रहे हैं?
2. संसार में बार-बार क्या-क्या आते जाते रहते हैं?
3. संसार में पुन: क्या नहीं मिलता?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. श्रीराम व्याकुल होकर कह रहे हैं कि हे भाई लक्ष्मण, वह पहलेवाला प्यार आज कहाँ है। यदि मैं यह जानता कि वन में आकर अपने भाई को खो दूंगा तो मैं कभी भी पिता की बात नहीं मानता।
2. संसार में पुत्र, धन, नारी, भवन और परिवार बार-बार आते-जाते रहते हैं।
3. संसार में पुनः सहोदर भाई नहीं मिलता।
4. काव्य-सौंदर्य

  • श्री रामचंद्र जी के हृदय की व्याकुलता का चित्रण हुआ है।
  • चौपाई छंद का प्रयोग है।
  • अवधी भाषा है जिसमें तत्सम, तद्भव शब्दों का प्रयोग हुआ है।
  • करुण रस का सजीव वर्णन है।
  • अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।
  • बिंब सुंदर एवं सजीव है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों का स्वाभाविक चित्रण हुआ है।

7. जथा पंख बिनु खग अति दीना।
मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही।
जौं जड़ा दैव जिआवै मोही। (C.B.S.E. Delhi 2009, 2011 Set-1)
जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई।
नारि हेतु प्रिय भाइ गँवाई॥
बरु अपजस सहतेउँ जग माहीं।
नारि हानि बिसेष छति नाहीं॥ (C.B.S.E. Delhi 2008, 09, A.L.C.B.S.E. 2009, 2011)

शब्दार्थ : जथा-जिस प्रकार, जैसे। खग-पक्षी। दीना-दीन-हीन। फनि-साँप। कर-सूंड। मम-मेरा। बंधु-भाई। जैहउँ-जाऊँगा। कवन-कौन। लाई-लेकर। गंवाई-गवा दिया। अपजस-अपयश, कलंक। जग-संसार। बिसेष- विशेष। बिनु-के बिना। अति-बहुत अधिक। मनि-मणि। करिबर-हाथी श्रेष्ठ। अस-ऐसा, इस प्रकार, ऐसे। जिवन-जीवन। तोही-तुम्हारे। अवध अयोध्या। मुहु-मुँह । हेतु-के लिए। बरु-चाहे, ओर। सहतेउँ-सहन करना पड़ेगा। माहीं-में। छति-हानि, क्षति।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘तुलसीदास’ द्वारा रचित रामचरितमानस के ‘लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप’ प्रसंग से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने लक्ष्मण की अचेत अवस्था के पश्चात श्री रामचंद्र जी के मन की व्यथा का सजीव अंकन किया है।

व्याख्या : तुलसीदास जी का कहना है कि श्रीरामचंद्र जी अपने अनुज को संबोधन करके कहते हैं कि हे भाई लक्ष्मण, जिस प्रकार पंख के बिना पक्षी अत्यंत दीन है। मणि के बिना साँप तथा सैंड के बिना श्रेष्ठ हाथी बिलकुल हीन एवं तुच्छ है। उसी प्रकार हे भाई, आपके बिना मेरा जीवन भी व्यर्थ है। फिर शायद भाग्य केवल मुझे निर्जीव की भाँति जीवित रखना चाहता है।

श्रीराम जी मानते हैं कि जैसे पंख के बिना पक्षी उड़ नहीं सकते, मणि के बिना जैसे साँप का जीवन असंभव है तथा सूंड के बिना श्रेष्ठ हाथी का जीवन व्यर्थ है वैसे ही तुम्हारे बिना मुझ राम का जीवन भी व्यर्थ है। कवि का कथन है कि राम मानसिक रूप से अत्यंत दुखी हैं। वे मन-ही-मन में मंथन कर रहे हैं कि अब मैं लक्ष्मण के बिना अयोध्या क्या मुँह लेकर जाऊँगा। जब माता-पिता और अयोध्यावासी उनके बारे में पूछेगे तो मैं क्या जवाब दूंगा।

वे सब तो यही समझेंगे कि राम ने अपनी पत्नी के लिए अपने प्रिय भाई लक्ष्मण को न्योछावर कर दिया। इस प्रकार अयोध्यावासी अनेक आरोप लगाएँगे और संसार में यह कलंक सहना पड़ेगा कि श्रीरामचंद्र जी ने अपनी पत्नी सीता के लिए प्रिय भाई को गँवा दिया। कवि कहते हैं कि राम अपने मन ही मन यह सोचते हैं कि इस संसार में नारी की हानि कोई महत्त्वपूर्ण क्षति नहीं है। मैंने सीता को गँवा दिया था। यह मेरे लिए कोई विशेष हानि नहीं थी लेकिन प्रिय भाई की क्षति मेरे लिए अपयश सहने के समान है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. भाई के बिना श्रीराम को अपना जीवन कैसा लगता है ?
2. श्रीराम को अवध जाने पर क्या डर है?
3. श्रीराम के मतानुसार किसकी हानि विशेष नहीं है?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
5. यह किसका प्रलाप है और क्यों किया जा रहा है?
6. ‘फणी’ और ‘करिबर’ से तुलना का औचित्य बताइए।
7. अवध लौटने में किस प्रकार का संकोच बताया गया है?
8. काव्यांश के आधार पर नारी के प्रति तुलसी के दृष्टिकोण पर टिप्पणी कीजिए। (Delhi C.B.S.E.2016)
उत्तर
1. भाई के बिना श्रीराम को अपना जीवन ठीक वैसे ही लगता है जैसे पंखों के बिना पक्षी का तथा मणि के बिना साँप का जीवन सैंड के बिना हाथी का जीवन होता है। तात्पर्य यह है कि भाई के बिना राम को अपना जीवन व्यर्थ लगता है।
2. श्रीराम को अवध जाने पर यह डर है कि उनसे अवध के लोग यह कहेंगे कि उन्होंने नारी के लिए अपने प्रिय भाई को ही गवा दिया।
3. श्रीराम के मतानुसार नारी की हानि विशेष नहीं है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • कवि तुलसीदास जी ने श्रीराम की मनोव्यथा को अभिव्यक्त किया है।
  • अनुप्रास, विभावना, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों की शोभा है।
  • करुण रस का मार्मिक अंकन है।
  • तत्सम प्रधान अवधी भाषा का प्रयोग है।
  • अभिधा शब्द-शक्ति है।
  • बिंब-योजना की सजीव अभिव्यक्ति हुई है।
  • चौपाई छंद का प्रयोग है।

5. यह श्रीराम का प्रलाप हैं। यह इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उनके प्रिय अनुज लक्ष्मण मूर्छित पड़े हैं। कविता भी उड़ान भरती है और चिड़िया भी उड़ान भरती हैं।
6. जैसे मणि के बिना साँप (फणी) तथा सैंड के बिना हाथी का जीवन व्यर्थ है ठीक वैसे ही लक्ष्मण के बिना राम का जीवन भी व्यर्थ है। लक्ष्मण श्रीराम के प्रिय अनुज हैं। लक्ष्मण के बिना राम का जीवन अधूरा है।
7. अवधवासी ये कहेंगे कि श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता के कारण लक्ष्मण को न्योछावर कर दिया। वे स्वार्थी निकले-अवध लौटने में यही संकोच बताया गया है।
8. काव्यांश के आधार पर नारी के प्रति तुलसी का दृष्टिकोण सकारात्मक प्रतीत नहीं होता। समाज में नारी की विशेष प्रतिष्ठा नहीं है। यही कारण है कि नारी की हानि को वे विशेष स्थान नहीं देते।

8.अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहिहि निठुर कठोर उर मोरा॥
निज जननी के एक कुमारा। तात तासु तुम्ह प्रान अधारा
को सौंपेसि मोहि तुम्हहि गहि पानी। सब बिधि सुखद परम हित जानी॥
उतरु काह देहउँ तेहि जाइ। उठि किन मोहि सिखावहु भाई॥ (A.I.C.B.S.E 2011)

शब्दार्थ : अपलोकु-इस संसार में। तोरा-तुम्हारा। निठुर-निष्ठुर निर्दय, कठोर। उर-हृदय। निज-अपनी। तात-भाई। तुम्ह-तुम्ही। सौंपेसि-सौंपा था। तुम्हहि-तुम्हारा। पानी-हाथ। सुखद-सुखी। जानी-जानकर। काह-क्या। तेहि-उनको। मोहि-मुझे। सुत-बेटा। सहिहि-सहन कर लेगा। कठोर-निर्दय, दयाहीन। मोरा-मेरा। जननी-माँ (सुमित्रा)। तासु-उनके। अधारा-आधार। मोहि-मुझे। गहि-पकड़कर। सब बिधि-सब प्रकार से। हित-हितैषी। उतरु-उत्तर। देहऊँ-दूंगा। जाइ-जाकर। सिखावहु-सिखाओ।

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश रामचरितमानस के ‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ नामक कविता से लिया गया है। इसके कवि तुलसीदास जी हैं जो राम काव्यधारा के मुकुट शिरोमणि माने जाते हैं। इस चौपाई में कवि ने श्री रामचंद्र की मनोव्यथा का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या : श्री रामचंद्र जी लक्ष्मण को संबोधन करते कह रहे हैं कि हे तात! आपकी इस क्षति को तो मेरा निष्ठुर और निर्दयी हृदय सहन कर लेगा अर्थात तुम्हारी मृत्यु से मुझे जो दुख-वेदना हुई उसे तो मेरा कठोर हृदय किसी भी तरह सह लेगा किंतु मैं अयोध्या में जाकर माँ सुमित्रा को कैसे कहूँगा कि अब तुम्हारा पुत्र लखन इस संसार में नहीं रहा। कवि कहता है कि श्रीराम इसी चिंता से ग्रस्त हैं कि लक्ष्मण की मृत्यु का समाचार व उनकी माँ को किस प्रकार देंगे? श्रीराम कहते हैं कि हे भाई!

अपनी माँ सुमित्रा के तुम इकलौते पुत्र थे और तुम्हीं उनके प्राणों के आधार थे। राम इसी चिंता में हैं कि अब माँ सुमित्रा लक्ष्मण के बिना कैसे जी सकेंगी। राम कहते हैं कि हे भाई! अयोध्या से वन-प्रस्थान करते समय सुमित्रा माता जी ने मुझे सब प्रकार से सुखद और परम हितैषी जानकर तुम्हारा हाथ पकड़कर मुझे सौंपा था। अर्थात माता सुमित्रा ने तुम्हारा हाथ मुझे इसलिए सुपुर्द किया था कि मैं प्रतिपल आपको सुख प्रदान करूंगा तथा प्रतिपल आपकी रक्षा करूँगा।

राम अत्यंत उदास होकर कहते हैं कि हे भाई लक्ष्मण, अब मैं अयोध्या जाकर माता सुमित्रा जी को क्या उत्तर दूंगा। तुम्हीं स्वयं उठकर मुझे कुछ सिखाओ। तुम्हीं बताओ कि तुम्हारी माता जी के प्रश्नों का क्या उत्तर दूंगा जब वे पूछेगी कि मेरा पुत्र! लक्ष्मण कहाँ है जिसको मैंने तुम्हारे हाथों सौंपा था।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. श्रीराम व्याकुल होकर क्या कहते हैं?
2. लक्ष्मण को किसने और कैसे राम को सौंपा था?
3. अत्यंत दुखी होकर श्रीराम लक्ष्मण को क्या कहते हैं ?
4. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. श्रीराम व्याकुल होकर कहते हैं कि वह भाई की मृत्यु के दुख को तो सह लेंगे लेकिन अयोध्या में जाकर माँ सुमित्रा को कैसे कहेंगे कि अब उनका बेटा लक्ष्मण इस दुनिया में नहीं रहा।
2. लक्ष्मण को उसकी माँ सुमित्रा ने उसका हाथ पकड़ाकर राम को सौंपा था।
3. अत्यंत दुखी होकर श्रीराम लक्ष्मण को कहते हैं कि हे भाई! तुम्हीं मुझे सिखाओ कि मैं माता सुमित्रा को अयोध्या जाकर क्या उत्तर दूंगा, ___ जिन्होंने मुझे सब प्रकार से तुम्हारा हितैषी जानकर तुम्हें सौंपा था।
4. काव्य-सौंदर्य

  • श्रीराम जी के विलाप का कारुणिक चित्र उपस्थित हुआ है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री का स्वाभाविक चित्रण हुआ है।
  • चौपाई छंद का अंकन है।
  • करुण रस है।
  • अभिधात्मक शैली है।
  • अवधी भाषा का प्रयोग है जिसमें तत्सम शब्दावली की प्रधानता है।
  • बिंब-योजना सजीव एवं सार्थक है।

9. बहु बिधि सोचत सोच बिमोचन। स्रवत सलिल राजिव दल लोचन॥
उमा एक अखंड रघुराई। नर गति भगत कृपाल देखाई॥

शब्दार्थ : बहु-अनेक। सोचत-सोचकर । स्रवत-बहना। राजिव-दल। उमा-शांति, क्रांति, पार्वती। रघुराई-रघुवंश के पुत्र अर्थात श्रीराम। कृपाल-कृपा करके। बिधि-प्रकार, तरह । सोच बिमोचन-शोक दूर करनेवाला। सलिल-जल, पानी।लोचन-नेत्र। अखंड-जो खंडित न हो। नर गति-सामान्य मनुष्य जैसी दशा। देखाई-दिखाई।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के ‘लक्ष्मण-मूर्छा’ और ‘राम का विलाप’ प्रसंग से अवतरित हैं। इसमें कवि ने लक्ष्मण-मूर्छा से व्यथित राम की मानसिक वेदना का करुण चित्रण उपस्थित किया है

व्याख्या : तुलसीदास कहते हैं कि श्रीराम जी ने इस असहाय दुख पर अनेक प्रकार से चिंतन तथा सोच-विचार करके अपनी अपार पीड़ा को शांत कर लिया। तभी उनकी कमल-सी पंखुड़ियों रूपी दोनों आँखों से आँसू प्रवाहित होने लगे। उमापति श्रीराम जो अजर-अमर एवं शाश्वत हैं। वे सामान्य मानव की भाँति दुख से पीड़ित होकर मानव रूप में नश्वर संसार में अपने भक्तों पर अपनी कृपा दिखा रहे हैं।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. श्रीराम की आँखों की तुलना किससे की गई है?
2. श्रीराम की आँखों से आँसू क्यों बहने लगे?
3. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. श्रीराम की आँखों की तुलना कमल की पंखुड़ियों से की गई है।
2. श्रीराम की आँखों से आँसू इसलिए बहने लगे क्योंकि वे लक्ष्मण के बारे में अनेक प्रकार से सोच रहे थे।
3. काव्य-सौंदर्य

  • श्रीरामचंद्र की आंतरिक वेदना को आँसुओं के रूप में प्रकट किया है।
  • चौपाई छंद है।
  • तत्सम प्रधान अवधी भाषा का सुंदर प्रयोग है।
  • अनुप्रास, रूपक, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों का सुंदर प्रयोग है।
  • करुण रस की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है।
  • अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।

10.प्रभु प्रलाप सुनि कान विकल भए वानर निकर।
आइ गयउ हनुमान जियि करुना महं बीर रस॥ (A.L.C.B.S.E 2012, Set-1)

शब्दार्थ : प्रलाप-विलाप, दुखभरा रोदन । वानर-बंदर। जियि-जैसे। विकल-परेशान, व्याकुल। निकर-समूह, झुंड। मह-में।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ रामचरितमानस के ‘लंकाकांड’ के ‘लक्ष्मण-मूछा और राम विलाप’ प्रसंग से अवतरित हैं जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने के बाद राम का विलाप धीरे-धीरे प्रलाप में बदल गया था। राम का ईश्वरीय रूप सामान्य मानव की पीड़ा में बदल गया था। हनुमान को संजीवनी बूटी लाने में समय लग रहा था

व्याख्या : लक्ष्मण की मूछों के कारण दुखी राम का प्रलाप सुनकर वानर सेना अत्यंत व्याकुल हो उठी। अर्थात वानर-समूह परेशान हो गया था पर उसी समय हनुमान आ गए। इस संतप्त एवं पीड़ित वातावरण में हनुमान जी का संजीवनी बूटी लेकर आना ऐसा प्रतीत होता है जैसे करुण रस में वीर रस प्रकट हो गया हो। भाव है कि पलभर पहले परेशान वानर सेना उत्साह से भर गई।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. प्रभु राम का प्रलाप सुनकर कौन व्याकुल हो गया?
2. प्रभु के प्रलाप के समय वहाँ अचानक कौन आ गए?
3. हनुमान जी का आगमन कैसे हुआ?
4. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
5. काव्यांश के छंद का नाम और भाषा की एक विशेषता लिखिए। (C.B.S.E. A.I. 2016)
6. वानरों की व्याकुलता का कारण स्पष्ट कीजिए।
7. दूसरी पंक्ति में निहित अलंकार का नाम लिखकर उसका सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. प्रभु राम का प्रलाप सुनकर वानरों का समूह व्याकुल हो गया।
2. प्रभु के प्रलाप के समय वहाँ अचानक हनुमान जी आ गए।
3. हनुमान जी का आगमन उसी प्रकार हुआ जैसे करुण रस में वीर रस का समावेश हो जाता है।
4. काव्य-सौंदर्य (C.B.S.E. 2010, Set-I)

  • कवि ने राम के ईश्वरत्व को सामान्य मानव के रूप में प्रकट किया है। मन में उत्पन्न भावों को पलभर में बदलते हुए प्रकट करने की कुशलता कवि ने दिखाई है।
  • अवधी भाषा का प्रयोग किया गया है जिसमें तद्भव शब्दावली का अधिकता से प्रयोग किया गया है।
  • सोरठा छंद है।
  • करुण रस विद्यमान है।
  • अनुप्रास, उदाहरण और स्वाभावोक्ति का प्रयोग सराहनीय है।
  • प्रसाद गुण विद्यमान है।

5. सोरठा छंद है। अवधी भाषा है। करुण रस है।
6. लक्ष्मण की मूर्छा को तोड़ने के लिए हनुमान का संजीवनी बूटी लेकर न लौटने से वानर और श्री राम की व्याकुलता का होना स्वाभाविक ही था।
7. उत्प्रेक्षा अलंकार है।

11. हरषि राम भेंटेउ हनुमाना। अति कृतग्य प्रभु परम सुजाना॥
तुरत बैद तब कीन्हि उपाई। उठि बैठे लछिमन हरषाई॥
हृदयें लाइ प्रभु भेंटेउ भ्राता। हरषे सकल भालु कपिं ब्राता॥
कपि पुनि बैद तहाँ पहुँचावा। जेहि बिधि तबहिं ताहि लइ आवा॥ (C.B.S.E. Sample Paper)

शब्दार्थ : हरषि-खुश होकर, हर्षित होकर। अति-बहुत अधिक। तुरत-तुरंत, उसी समय, शीघ्र ही। उपाई-उपाय। हरषाई-हर्षित होकर, खुश होकर। भेंटेउ-मिले। सकल-समस्त । भ्राता-भाई। ताहि-जहाँ से। भेंटेउ-भेंट की, मिले। कृतग्य-किए हुए उपकार को माननेवाला कृतज्ञ। बैद-वैद्य । कीन्हि-किया। लछिमन-लक्ष्मण। हृदय-हृदय। हरषे-खुश हुए। कपि-वानर । लइ आवा-लेकर
आए थे।

प्रसंग : यह काव्यांश ‘तुलसीदास’ द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ के लंकाकांड के ‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ प्रसंग से अवतरित है। इसमें कवि ने लक्ष्मण की सचेतावस्था का चित्रण किया है जिसे देखकर राम सहित समस्त राम सेना हर्षित हो उठी है। कवि का कथन है कि संजीवनी औषधि लेकर आए हनुमान से श्रीराम जी की भेंट हुईं। हनुमान से मिलकर परम सुजान श्रीराम ने उनके प्रति अपार कृतज्ञता प्रकट की। वैद्य ने उपचार किया। वैद्य के उपचार से शीघ्र ही लक्ष्मण जी हँसते हुए उठ गए।

व्याख्या : लक्ष्मण जी को सचेत अवस्था में देखकर प्रभु राम अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को अपने हृदय से लगा लिया। राम को हँसता हुआ देखकर राम सेना के समस्त भालू, हनुमान और वानर भाई अत्यंत प्रसन्न हो गए अर्थात लक्ष्मण को जीवित और राम को हँसता देखकर राम की सेना में प्रसन्नता की लहर दौड़ पड़ी। तत्पश्चात हनुमान जी ने फिर वैद्य को वहाँ पहुँचा दिया जहाँ और जिस विधि से उसको लेकर आए थे। हनुमान जी ने वैद्य को सकुशल उनके निवास स्थान पर पहुँचा दिया।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. राम हनुमान से कैसे मिले और उन्होंने क्या किया?
2. संजीवनी औषधि लिए हनुमान के पहुँचते ही क्या हुआ?
3. लक्ष्मण के जीवित होने पर क्या हुआ?
4. लक्ष्मण के ठीक होने पर हनुमान जी ने वैद्य को कहाँ पहुँचाया?,
5. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. राम हनुमान से प्रसन्नतापूर्वक मिले तथा राम ने हनुमान जी के प्रति अपार कृतज्ञता प्रकट की।
2. हनुमान के पहुंचते ही राम प्रसन्न हो गए। तुरंत वैद्य ने लक्ष्मण का उपचार किया तभी लक्ष्मण जीवित होकर बैठ गए।
3. लक्ष्मण के ठीक होने पर राम ने उन्हें हृदय से लगा लिया। सभी भालू और वानर भाई भी प्रसन्न हो गए।
4. लक्ष्मण के ठीक होने पर हनुमान ने वैद्य को वहीं पहुँचाया जहाँ से वे उसे लेकर आए थे।
5. काव्य-सौंदर्य

  • लक्ष्मण के जीवित होने पर श्रीराम तथा समस्त सेना की खुशी का वर्णन हुआ है।
  • अवधी भाषा का प्रयोग है जिसमें तत्सम शब्दावली का समायोजन है।
  • चौपाई छंद है।
  • बिंब-योजना अत्यंत सजीव है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों का सजीव प्रयोग है।
  • अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।
  • प्रसाद गुण का प्रयोग है। (C.B.S.E. Delhi 2017 Set I, II, III)

12.यह वृतांत दसानन सुनेऊ।
अति विषाद पुनि-पुनि सिर धुनेऊ॥
व्याकुल कुंभकरन पहिं आवा। विविध जतन करि ताहि जगावा॥
जागा निसिचदेखि कैसा। मानहुँ कालु देह धरि बैसा॥
कुंभकरन बूझा कहु भाई। काहे तव मुख रहे सुखाई॥ (C.B.S.E. Sample Paper)

शब्दार्थ : वृतांत-समाचार, किसी घटित घटना का पूर्ण विवरण, वृत्तांत। सुनेऊ-सुना। विषाद-दुख। सिर धुनेऊ-सिर धुनने लगा। विविध-अनेक। निसिचर-राक्षस अर्थात कुंभकरण। कालु-काल, यमराज। तव-तुम्हारा। दसानन-दश मुख हैं जिसके अर्थात रावण। अति-बहुत। पुनि-पुनि-फिर-फिर, बार-बार। पहि-पास। जतन-प्रयास। मानहुँ-मानो। देह धरि-शरीर धारण करना।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण गोस्वामी तुलसीदास’ द्वारा रचित रामचरितमानस के लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने लक्ष्मण के जीवित होने पर रावण की व्याकुलता का चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि तुलसीदास जी कहते हैं कि संजीवनी के उपचार से जब लक्ष्मण सचेत हो गए तो राम-सेना अत्यंत प्रसन्न हो गई। यह बात चारों ओर फैल गई। यह बात लंकापति, रावण ने भी सुनी। इस.समाचार को पाकर रावण अत्यंत दुखी हुआ और बार-बार अपना सिर धुनने लगा; पछताने लगा। वह बहुत्त अधिक व्याकुल होकर कुंभकरण के पास सहायता माँगने के लिए आया। रावण ने अनेक प्रयास करके कुंभकरण को नींद से जगाया।

कुंभकरण अनेक प्रयास करने पर ही नींद से जागा। कवि कहता है कि रावण के अनेक प्रयास करने पर कुंभकरण नींद से जागृत हुआ। वह नींद से जागता हुआ ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो उसने यमराज के शरीर को धारण कर लिया हो। रावण को देखकर कुंभकरण ने पूछा कि हे भाई कहो, कैसे आए हो और तुम्हारे मुख पर व्याकुलता कैसी है? अर्थात तुम इतने दुःखी क्यों दिखाई दे रहे हो?

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. दशानन ने कौन-सा वृत्तांत सुना?
2. लक्ष्मण के जीवित होने की खबर सुनकर दशानन की क्या दशा हुई?
3. यह खबर सुनकर दशानन ने क्या प्रयास किया ?
4. कुंभकरण जागता हुआ कैसा प्रतीत हो रहा था?
5. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. दशानन ने लक्ष्मण के जीवित होने का वृत्तांत सुना।
2. दशानन लक्ष्मण के जीवित होने की खबर सुनकर बहुत दुखी हुआ। वह बार-बार सिर धुनने लगा।
3. यह खबर सुनकर दशानन व्याकल होकर कभकरण के पास सहायता मांगने के लिए गया। उसने अनेक प्रयास करके उसे जगाया।
4. कुंभकरण जागता हुआ यमराज की तरह प्रतीत हो रहा था।
5. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने रावण की उदासीनता का सजीव अंकन किया है।
  • तत्सम-प्रधान अवधी का प्रयोग है।
  • चौपाई छंद का प्रयोग हुआ है। भाषा अवधी है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग है।
  • ‘सिर धुनना’ तथा ‘मुख सूखना’ मुहावरे का सार्थक प्रयोग है।
  • बिंब-योजना अत्यंत सुंदर है।

13.कथा कही सब तेहिं अभिमानी। जेहि प्रकार सीता हरि आनी॥
तात कपिन्ह सब निसिचर मारे। महा महा जोधा संचारे॥
दुर्मुख सुररिपु मनुज अहारी। भट अतिकाय अकंपन भारी॥
अपर महोदर आदिक बीरा। परे समर महि सब रनधीरा॥(C.B.S.E. Sample Paper)

शब्दार्थ : कथा-कहानी, वार्ता । जेहि-जिस। आनी-लाए। कपिन-हनुमान आदि वानर । संघारे-संहार किया। सुररिपु-देवताओं का शत्रु। भट-योदया। महोदर-महान पेटवाला। बीरा-वीर। महि-भूमि। तेहि-उस। हरि-हरण किया। तात-भाई। जोधा-योद्धा। दुर्मुख-कड़वी जुबान बोलनेवाला। मनुज अहारी-मनुष्य को नष्ट करनेवाला। अतिकाय-विशाल शरीर (एक दैत्य का नाम)। आदिक-आदि। समर-युद्ध। रनधीरा-रणधीर।

प्रसंग : ये पंक्तियाँ राम काव्यधारा के प्रमुख कवि तुलसी द्वारा रचित हैं जो उनके रामचरितमानस के ‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ नामक प्रसंग से अवतरित की गई हैं। इसमें कवि ने बताया है कि रावण अपने भाई को जगाने पर उसे सारी बात बताता है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि जिस प्रकार वह सीता का हरण करके ले आया था उस अभिमानी रावण ने यह समस्त कथा अपने भाई से कही। रावण अपने भाई को संबोधन करके कहता है कि हे तात, वानरों ने हमारे सभी राक्षसों को मार गिराया है तथा हमारे बड़े-बड़े योद्धाओं का रामसेना ने संहार कर दिया है। रावण कुंभकरण को बताता है कि दुर्मुख, देवशत्रु, मनुष्य भक्षक, भारी योद्धा, अतिकाय, अकंपन, बड़े-बड़े पेटवाले आदि अन्य सभी रणवीर और रणधीर युद्धभूमि में मारे गए।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. किसने किसको कथा सुनाई थी?
2. रावण ने हनुमान के विषय में कुंभकरण को क्या बताया था?
3. अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
1. रावण ने कुंभकरण को सारी कथा सुनाई थी कि किस प्रकार वह सीता का हरण करके ले आया था।
2. रावण ने वानरों के विषय में बताया था कि उसने उनके सभी बड़े योद्धाओं का संहार कर दिया था।
3. काव्य-सौंदर्य

  • अभिमानी रावण के छल-कपटपूर्ण वृत्ति का चित्रण हुआ है।
  • रावण को मनुष्यता तथा देवों का शत्रु बताया है।
  • तत्सम प्रधान शब्दावली से युक्त अवधी भाषा का प्रयोग हुआ है।
  • चौपाई छंद है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री तथा स्वरमैत्री अलंकारों की शोभा है।
  • अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।
  • वीर रस विद्यमान है।
  • ओजगुण का चित्रण हुआ है।
  • बिंब-योजना अत्यंत सार्थक एवं सटीक है।

14.सुनि दसकंधर बचन तब कुंभकरन बिलखान।
जगदंबा हरि आनि अब सठ चाहत कल्यान॥

शब्दार्थ : दसकंधर-दस मुखवाला, रावण । जगदंबा-जगत जननी माँ। आनि-अन्य। कल्यान-कल्याण भलाई, मंगल। बिलखान-बिलखने लगा। हरि-प्रभुब्रह्मा । सठ-दुष्ट, नीच।

प्रसंग : यह दोहा तुलसी द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ के लक्ष्मण-मूर्छा तथा राम का विलाप’ प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने रावणके वचनों से व्याकुल कुंभकरण की व्याकुलता का वर्णन किया है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि कुंभकरण रावण के वचनों को सुनकर अत्यंत व्याकुल हो उठा और चिंतन करने लगा कि यह दुष्ट पापी रावण तो साक्षात जगत जननी माँ का हरण करके लाया है तब भी यह मुझसे अपना कल्याण चाहता है। अर्थात अब इस दुष्ट का संसार में कोई भी कल्याण नहीं कर सकता। इसकी मृत्यु निश्चित है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. कौन, किसके शब्दों को सुनकर व्याकुल हुआ था?
2. कुंभकरण ने किसे मूर्ख कहा?
3. कुंभकरण ने रावण को मूर्ख क्यों कहा?
4. किनकी मृत्यु निकट आनेवाली थी?
5. अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. कुंभकरण रावण के शब्दों को सुनकर व्याकुल हुआ था।
2. कुंभकरण ने रावण को मूर्ख कहा।
3. रावण ने सीता का अपहरण किया था।
4. रावण और कुंभकरण की मृत्यु निकट आनेवाली थी।
5. काव्य-सौंदर्य

  • कुंभकरण की व्याकुलता का बखान किया गया है।
  • दोहा छंद है।
  • तत्सम प्रधान अवधी भाषा का प्रयोग है।
  • अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
  • बिंब योजना सुंदर है।

Class 12 Hindi Important Questions Aroh Chapter 7 बादल राग

Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 7 बादल राग. Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board exams.

बादल राग Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 7

प्रश्न 1.
विप्लव के बादल का आह्वान क्यों किया गया है? (C.B.S.E. Outside Delhi 2013, Set-III)
अथवा
बादल राजा’ शीर्षक की सार्थकता को संदिग्ध कीजिए। (C.B.S.E. Sample Paper)
अथवा
बादल के विप्लवकारी स्वरूप का चित्रण कीजिए। (A.I.C.B.S.E. Set-I)
उत्तर
निराला ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। उन्होंने माना है कि समाज में निम्न वर्ग या सर्वहारा वर्ग सदियों से धनी वर्ग के शोषकों के शोषण का शिकार होता आ रहा है। ये धनी वर्ग के लोग सदा से निम्न वर्ग के धन को हड़प कर अपने खज़ाने भर रहे हैं।

बार-बार शोषण करने तथा खज़ाने भरने पर भी इनको संतोष नहीं है। इन्होंने किसानों के जीवन रूपी रक्त सार को पूर्णतः चूस लिया है। इनके शोषण के कारण अब किसानों का शरीर हाड़-मात्र शेष रह गया है। समाज में निम्न वर्ग दीन-हीन अवस्था में करुणापूर्ण जीवनयापन कर रहा है लेकिन पूँजीपति इनके धन पर ऐशो-आराम का जीवन भोग रहे हैं।

कवि के मन में पूँजीपतियों के प्रति घृणा और गहन आक्रोश है तथा सर्वहारा वर्ग के प्रति विशेष सहानुभूति है। कवि पृथ्वी से पूँजीपतियों का साम्राज्य मिटा देना चाहता है ताकि जनसामान्य भी सुखद जीवन जी सके। निराला ने इस कार्य की पूर्ति हेतु बालों को क्रांति का प्रतीक माना है। इसलिए समाज से पूँजीपति वर्ग के शोषण को मिटाने के लिए कवि विप्लव के बादल का आहवान करता है।

प्रश्न 2.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज्र हुंकार।
उत्तर
(i) प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित तथा निराला द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित है। इसमें कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। कवि का कथन है कि बादल की क्रांतिपूर्ण गर्जना को सुनकर संसार भयभीत हो उठता है।
(ii) इस काव्यांश में कवि ने ओजपूर्ण भाषा का प्रयोग किया है।
(iii) खड़ी भाषा के साथ संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्दों का प्रयोग है।
(iv) मुक्तक छंद का प्रयोग है।
(v) प्रतीकात्मक शैली का भावपूर्ण प्रयोग हुआ है।
(vi) ‘बार-बार’, ‘सुन-सुन’ में शब्दावृत्ति होने से पुनरुक्ति प्रकाश की छटा शोभनीय है।
(vii) पदमैत्री, रूपक अलंकार की शोभा है।
(viii) कथन में प्रवाहमयता एवं ध्वन्यात्मकता का समायोजन है।
(ix) ओजगुण है।
(x) वीर रस का प्रयोग है।
(xi) ‘हृदय थाम लेना’ मुहावरे का सटीक एवं सार्थक प्रयोग है।
(xii) बिंब-योजना अत्यंत सार्थक एवं भावपूर्ण है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार- हाथ हिलाते,
शस्य अपार, तुझे बुलाते
हिल-हिल, विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
खिल-खिल,
उत्तर
(i) प्रस्तुत काव्यांश निराला द्वारा रचित ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘बादल राग’ कविता से अवतरित है।
(ii) इस काव्यांश में कवि ने पौधों का मानवीकरण किया है।
(iii) कवि ने छोटे पौधों पर चेतना का आरोप किया है।
(iv) खड़ी बोली भाषा का प्रयोग है जिसमें तत्सम, तद्भव शब्दों का प्रयोग है।
(v) प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है। यहाँ छोटे पौधे निम्न वर्ग के जनसामान्य का प्रतीक हैं। बादल क्रांति का प्रतीक है।
(vi) ‘हिल-हिल’, ‘खिल-खिल’ में पुनरावृत्ति होने से पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की शोभा है।
(vii) मुक्तक छंद का प्रयोग है।
(viii) लाक्षणिकता एवं छंदात्मकता के कारण सौंदर्य की अभिवृद्धि हुई है।
(ix) बिंब-योजना भावपूर्ण है।

प्रश्न 4.
तिरती है समीर-सागर अस्थिर सुख पर दुख की छाया।”-काव्यांश का भाव-सौंदर्य एवं काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। भाव-सौंदर्य-प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि निराला द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित है। इसमें कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आह्वान किया है। यहाँ कवि का जीवन-दर्शन भी अभिव्यक्त हुआ है। कवि का कथन है कि हे क्रांति के दूत बादल! तेरी छाया वायु रूपी सागर पर उसी प्रकार तैरती रहती है जिस प्रकार चंचल और कभी स्थिर न रहनेवाले सुखों पर दुखों की छाया मँडराती रहती है। अर्थात मानव-जीवन में सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।
काव्य-सौंदर्य
(i) इस काव्यांश में निराला जी ने बादलों का क्रांति के दूत के रूप में आह्वान किया है।
(ii) भाषा सरल, सरस और खड़ी बोली है।
(iii) संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्दों का प्रयोग है।
(iv) प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है। अस्थिर सुख जीवन की परिवर्तनशीलता का प्रतीक है। बादल क्रांति का प्रतीक है।
(v) ओजगुण तथा मुक्तक छंद है।

प्रश्न 5.
‘यह तेरी रण-तरी, भरी आकांक्षाओं से’ का क्या आशय है?
उत्तर
इस पंक्ति के माध्यम से कवि क्रांति के दूत बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि जिस प्रकार युद्ध रूपी नौका युद्ध की सामग्री से भरी होती है उसी प्रकार से तुम्हारे अंदर जनसामान्य की अनेक कामनाएँ भरी हुई हैं जिन्हें तुम्हें वर्षा के माध्यम से पूरा करना है।

प्रश्न 6.
सुप्त अंकुर किसकी ओर ताक रहे हैं? वे किसलिए ऐसा कर रहे हैं?
उत्तर
धरती माँ की उपजाऊ मिट्टी में सोए हुए अंकुर निरंतर बादलों की ओर ताक रहे हैं। उन्हें पूरी आशा है कि बादलों के बरसने से मिट्टी नम हो जाएगी और उन्हें अंकुरित होने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ मिलेंगी; वे पनपेंगे; बड़े होंगे और उन्हें भी अपना रूप-गुण दिखाने का अवसर प्राप्त होगा। प्रतीकात्मकता से निम्न और समाज के द्वारा तुच्छ समझे जानेवाले लोग सुख-समृद्धि प्राप्त कर तरक्की की राह पर आगे बढ़ेंगे। समाज में आनेवाली क्रांति के कारण उन्हें भी अपना अस्तित्व प्रकट करने का अवसर
प्राप्त होगा, वे भी अपना उत्थान कर पाएंगे।

प्रश्न 7.
निराला जी ने ‘क्षत-विक्षत हत अचल शरीर’ के माध्यम से किनकी ओर संकेत किया है और क्यों?
उत्तर
निराला जी ने ‘क्षत-विक्षत हत अचल शरीर’ के माध्यम से समाज के समृद्ध और उच्च वर्ग की ओर संकेत किया है क्योंकि यही वर्ग शोषक बन निर्धन और कमजोर वर्ग का शोषण करता है; उनके अधिकारों को छीन स्वयं संपन्न बनता है। जब भी क्रांति आती है; तब समृद्ध और उच्च वर्ग ही क्रांति का शिकार बनता है। कवि उन्हें क्षत-विक्षत दिखाकर प्रकट करता है कि उनकी धन-दौलत, सुख-संपत्ति और शोषण से प्राप्त की गई सभी खुशियाँ क्रांति आने पर वापिस छीन ली जाएंगी। जन-क्रांति की गाज उन्हीं पर गिरेगी।

प्रश्न 8.
‘हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार’ के माध्यम से कवि ने किनकी ओर संकेत किया है और क्यों?
उत्तर
कवि ने ‘छोटे पौधे’ के माध्यम से पिछड़े वर्गों और शोषितों की ओर संकेत किया है जो संपन्न वर्ग के शोषण के कारण दीन-हीन दशा प्राप्त कर किसी प्रकार जीवन जी रहे हैं। वे क्रांति रूपी बादलों के आगमन पर प्रसन्न हैं कि क्रांति के बाद शोषक वर्ग मिट जाएगा और शोषित वर्ग का फूलने-पनपने का उचित अवसर प्राप्त हो जाएगा।

प्रश्न 9.
शोषक वर्ग सब प्रकार से सुरक्षित और संपन्न होते हुए भी क्रांति के नाम से क्यों भयभीत होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
शोषक वर्ग धन और शक्ति के कारण समाज में सबसे अधिक संपन्न और सुरक्षित होता है पर वह मन-ही-मन जानता है कि उसी ने निम्न और मध्यम वर्ग का शोषण किया है। यदि कभी भी जन-क्रांति हुई तो उसकी जान पर बन आएगी; वह उनसे नहीं बच पाएगा जिन्हें उसने शोषण का शिकार बनाया था। उसकी सारी सुख-संपत्ति लूट ली जाएगी। उसकी शान-शौकत मिट्टी में मिला दी जाएगी इसलिए वह क्रांति के नाम से भी कांपता है।

प्रश्न 10.
विप्लवी बादल की युद्ध-नौका की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? की उत्तर विप्लकी बादल की युद्ध नौका की निम्नलिखित विशेषताएँ
उत्तर
(i) विप्लवी बादल की युद्ध-नौका सदा अस्थिर सुख पर दुख की छाया बनकर मैंडराती रहती है।
(ii) वह दीन-हीन और असहाय समाज को क्रूर विनाश के लिए सदा तैयार करती है और क्रांति के लिए प्रेरित करती है।
(ii) वह अपनी गर्जना से विश्राम कर रहे क्रांतिवीरों को जागने की प्रेरणा देती है।
(iv) विनाश और विध्वंस के लिए वह सदा तैयार रहती है।
(v) वह दीन-हीन-असहायों को क्रांति में भाग लेने के लिए जागृत करती है। (CAD)

प्रश्न 11.
कषि ने किसान की दशा का चित्रण कैसा किया है?
उत्तर
कवि ने किसान की दयनीय और शोचनीय दशा का चित्रण किया है जो पंजीपतियों के शोषण का शिकार बना रहा है। ‘जीर्ण बाह है शीर्ण शरीर’ कहकर उसकी शारीरिक स्थिति को प्रकट करते हुए मानता है कि उसके पास न तो खाने को पूरी रोटी है और न शरीर को ढकने के लिए वस्त्र। उसकी कमजोर शक्तिहीन भुजाएँ कर्मठता से दूर हटकर निकम्मेपन की ओर बढ़ती जा रही हैं। वह इस जीवन से हताश-निराश है।

प्रश्न 12.
‘बादल राग’ के आधार पर विप्लव के बादलों की घोर गर्जना से धनी और पूँजीपति वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर
विप्लव के बादलों की घोर गर्जना सुनकर धनी और पूँजीपति वर्ग क्रांति के डर से काँप उठता है। उसे गरीबों के साथ किए गए अपने व्यवहार की याद आ जाती है। उसे अपने पाप डराने लगते है। उसे अब लुट जाने और मारे जाने का भय सताने लगता है। वह अपनी अति सुंदर पत्नी की निकटता पाकर भी भय से काँपता रहता है। उसे प्रतीत होता है कि अब उसे कोई नहीं बचा सकता।

प्रश्न 13.
‘बादल राग’ कविता के माध्यम से कवि के दृष्टिकोण में कौन-सा मूल बदलाव दिखाई दिया है?
उत्तर
निराला जी छायावादी कवि थे। उसकी कविता में प्रेम, सौंदर्य, कल्पना, रहस्यवाद, प्रकृति-चित्रण आदि भावों की प्रधानता दिखाई देती थी पर ‘बादल राग’ में उनका प्रगतिवादी पक्ष दिखाई देता है जिसमें कवि ने दीन-हीन निरीह लोगों का सजीव चित्रण करते हुए पूँजीपतियों के विनाश की कामना की है। वह समाज में परिवर्तन लाना चाहता है। वे पूंजीपतियों को क्रांति से मिटा कर दीन-हीनों के सुखों की कामना करते हैं।

प्रश्न 14.
निराला जी ने अमीरों-पंजीपतियों की अट्टालिकाओं को आतंक भवन क्यों कहा है?
उत्तर
अमीर-पूँजीपति गरीबों, किसानों और श्रमिकों पर अत्याचार कर उनके खून-पसीने की कमाई से अपनी तिजोरियाँ भरते हैं, ऊँचे-ऊँचे महलों-अट्टालिकाओं में शान-शौकत से रहते हैं। वे स्वयं तो सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं पर अपने क्रूरतापूर्ण

व्यवहार से दीन-दुखियों पर आतंक की भाँति छाए रहते हैं। उनके परिश्रम से अपने घर को भरते हैं। संपन्नता भरे जीवन को जीते : हुए भी वे मन-ही-मन जन-क्रांति से डरते रहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्होंने शोषण किया है। उन्हें भय है कि जब क्रांति आएगी तो उन्हें लूट लिया जाएगा, मार दिया जाएगा, उनके ऊँचे-शानदार भवन नष्ट कर दिए जाएंगे। इसलिए कवि ने उनकी अट्टालिकाओं को आतंक-भवन कहा है।

प्रश्न 15.
निराला की सहानुभूति किस वर्ग के प्रति है?
उत्तर
निराला जी की सहानुभूति पूर्ण रूप से पूँजीपति वर्ग के विरोध में गरीब, शोषित और कृषक वर्ग के प्रति है। अमीरों ने ही दीन-हीन वर्ग के शोषण में अपार सुख-समृद्धियों की प्राप्ति की है, अपने ऊँचे-ऊँचे महल खड़े किए हैं। वे चाहते हैं कि शोषित वर्ग एक साथ मिलकर पूँजीपतियों के विरुद्ध विरोध की लहर उत्पन्न करें, क्रांति की मशाल जलाएँ और पूँजीपतियों को समूल नष्ट कर दें।

प्रश्न 16.
‘बादल राग’ के आधार पर धनी शोषकों की जीवन-शैली पर टिप्पणी कीजिए। वे क्यों त्रस्त हैं? (Delhi C.B.S.E. 2016)
उत्तर
‘बादल राग’ कविता में कवि ने धनी एवं पूँजीपति वर्ग के शोषण एवं अत्याचार के शिकार निम्न एवं सर्वहारा वर्ग के जीवन की दयनीय दशा का मार्मिक अंकन किया है। धनी वर्ग का जीवन ऐश्वर्य से परिपूर्ण है किंतु निम्न वर्ग उनके शोषण से दुखी है। निम्न वर्ग ने उनके शोषण से मुक्ति पाने के लिए क्रांति ला दी है। इसीलिए धनी वर्ग त्रस्त हैं।

प्रश्न 17.
बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को ‘बादल राग’ कविता रेखांकित करती हैं? (C.B.S.E. 2018)
उत्तर
जब आकाश में बादलों का आगमन होता है तब बादल गर्जने लगते हैं। उनकी गर्जने की आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई देती है। बादलों में बिजली कोंधने लगती है और मूसलाधार वर्षा आरंभ हो जाती है। पानी मिल जाने के कारण बीजों का अंकुरण हो जाता है। जब वे बड़े होते हैं तो छोटे-छोटे पौधे हवा के चलने से अपने हाथ हिला-हिलाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। कमल के फूल से जल की बूंदें टपकने लगती हैं। धरती का कीचड़ जल के बहाव के कारण साफ हो जाता है।

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,
घन, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशाओं से
नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल! (C.B.S.E. A.I.C.B.S.E. 2009, 2010 Set-1, 2012, Set-I, C.B.S.E. Delhi 2017 Set-I, II, III)

शब्दार्थ : तिरती हैं-तैरती है। समीर-सागर-वायु रूपी सागर। जग-संसार। विप्लव-क्रांति । रण-तरी-युद्ध रूपी नौका। भेरी-गर्जन-नगाड़े की आवाज। सुप्त-सोए हुए। उर-छाती, गर्भ, हृदय, वक्षस्थल। अस्थिर-चंचल, जो स्थिर न हो। दग्ध-जले हुए, तप्त, दुखी, पीड़ित। प्लावित-भरी हुई, परिपूर्ण, फैली हुई। घन-बादल, अत्यधिक। सजग-सावधान, सचेत। अंकुर-कोंपल, बीज से पौधा निकलने की प्रारंभिक अवस्था। ताक रहे हैं-देख रहे हैं।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘बादल राग’ नामक कविता से अवतरित किया गया है। जिसके रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी हैं। ये छायावाद के प्रमुख स्तंभ और साम्यवादी चेतना से प्रेरित कवि माने जाते हैं। इस काव्यांश में कवि ने बादल को विप्लव और क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आह्वान किया है। बादल क्रांति के रूप में धरती से शोषण समाप्त कर शोषित वर्ग के जनसामान्य को नवजीवन प्रदान करने का प्रयास करते हैं।

व्याख्या : कवि बादल का क्रांति के रूप में आहवान करते हुए कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल, जिस प्रकार वायु सागर पर तैरती रहती है। मानवीय जीवन में अस्थिर सुखों पर दुखों की छाया मँडराती रहती है। ठीक उसी प्रकार संसार के दग्ध हृदय पर तेरी कठोर क्रांति रूपी माया छाई हुई है अर्थात मानव-जीवन में सुख अस्थायी है। हवा के समान सुख चंचल और अस्थिर है।

जीवन में सुखों पर सदैव दुख रूपी बादल मँडराते रहते हैं। मानव-जीवन में सुख-दुख की छाया का आवागमन चलता रहता है। वे कभी भी स्थिर नहीं रहते। संसार के दुख से दुखी और जले हुए हृदय पर कठोर क्रांति का मायावी विस्तार फैला हुआ है। जैसे क्रांति संसार के शोषण और दुखों को समाप्त कर सुख और अमन के वातावरण की सृष्टि कर देती है। उसी प्रकार क्रांति का प्रतीक बादल गरमियों की प्रचंड गरमी से परेशान और दुखी संसार को नवीन सुख और आनंद का संदेश देने आता है।

कवि कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल, जैसे युद्ध की नौका अनेक हथियारों और युद्ध-सामग्री से भरी हुई होती है उसी तरह तुझमें भी जनसामान्य की इच्छाएँ भरी हुई हैं। शोषित वर्ग के सामान्य लोग अपने मन में अनेक इच्छाएँ लेकर तुम्हारी क्रांति के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जिस प्रकार युद्ध-भूमि में युद्ध के नगाड़ों की ओजपूर्ण आवाज़ को सुनकर सोए हुए सैनिक जागृत हो जाते हैं और युद्ध लड़ने के लिए तैनात हो जाते हैं उसी प्रकार हे क्रांति-दूत बादल! तेरी अत्यधिक घनघोर गर्जना को सुनकर पृथ्वी के वक्षस्थल पर सोए हुए अंकुर सजग हो उठते हैं।

वे नवजीवन की आशाएँ लेकर अपना सिर ऊँचा करके तेरी ओर सहायता की उम्मीद नज़रों से बार-बार देख रहे हैं। . भाव यह है कि जिस प्रकार पृथ्वी की सतह पर छिपे अंकुरों की आशा होती है कि बादलों से वर्षा होगी और वे उसके पानी का पान करके खिलकर, बढ़कर हरे-भरे होकर लहलहा उठेंगे उसी प्रकार क्रांति के प्रतीक बादल से शोषित वर्ग में भी ऐसे ही नवजीवन की आशा का संचार होने लगता है। उन्हें विश्वास हो जाता है कि क्रांति आने से सदियों से पीड़ित, दलित जीवन स्वतंत्र हो जाएगा। वे भी समाज में सुखपूर्वक जीवन जी सकेंगे तथा अपने जीवन को प्रगति-पथ की ओर अग्रसर करेंगे।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. इस काव्यांश में कवि किसका और किस रूप में आह्वान करता है?
2. बादलों की छाया समीर-सागर पर किस प्रकार तैरती है?
3. ‘यह तेरी रण-तरी, भरी आकांक्षाओं से’ पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
4. पृथ्वी में सोए हुए अंकुर क्या सुनकर जागते हैं और वे किसके समान जागते हैं?
5. काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. इस काव्यांश में कवि बादलों का क्रांति-दूत के रूप में आह्वान करता है।
2. बादलों की छाया समीर-सागर पर उसी प्रकार तैरती है जिस प्रकार मनुष्य के अस्थिर सुखों पर दुखों की छाया मँडराती रहती है।
3. इस पंक्ति का भाव यह है कि हे क्रांति के दूत बादल, जिस प्रकार युद्ध रूपी नौका युद्ध की सामग्री से भरी होती है उसी प्रकार तेरे अंदर भी जनसामान्य की असंख्य इच्छाएँ भरी हुई हैं। अर्थात यह निर्धन वर्ग तुझसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति का आह्वान करता
4. पृथ्वी में सोए हुए अंकुर क्रांति के दूत बादलों के स्वर को सुनकर उसी प्रकार जाग जाते है जिस प्रकार युद्धभूमि में सोए हुए सैनिक नगाड़ों की आवाज सुनकर जागृत हो जाते हैं।
5. काव्य-सौंदर्य

  • निराला की प्रगतिवादी चेतना का चित्रण है।
  • कवि ने पूँजीपति वर्ग के प्रति घृणा तथा निम्न वर्ग के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है।
  • भाषा ओजगुण संपन्न है। खड़ी बोली भाषा में संस्कृत की तत्सम शब्दावली का प्रचुर प्रयोग है।
  • प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है। यहाँ बादल क्रांति और सुप्त अंकुर शोषित वर्ग के प्रतीक हैं।
  • ध्वन्यात्मकता इसकी प्रमुख विशेषता है।
  • मुक्तक छंद का प्रयोग हुआ है।
  • अनुप्रास, श्लेष, रूपक, मानवीकरण, पुनरुक्ति प्रकाश, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों की छटा दर्शनीय है।
  • ओजगुण विद्यमान है।
  • वीर रस का प्रयोग है।

2. फिर फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज-हुंकार।
अशनि-पात से शयित उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-विक्षत हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धा धीर।
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार
शस्य अपार,
हिल-हिल
खिल-खिल
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते। (C.B.S.E. 2010, Set-III)

शब्दार्थ : गर्जन-गरजना, बादलों की आवाज। मूसलाधार-ऐसी वर्षा जो मूसलके समान मोटी धारा में हो। अशनि-बिजली। शयित-सुलाया हुआ, गिराया हुआ, पड़ा हुआ। हत-मरना। गगन स्पी-आकाश को छूनेवाला। धीर-धैर्यवान । शोर-आवाज़। विप्लव-रव-क्रांति के शब्द, गर्जन या आवाजावर्षण-वर्षा, बरसना। वन हुँकार-वज्र रूपी घनघोर आवाज या गर्जना। पात-गिरना। क्षत-विक्षत-घायल। अचल-पर्वत, अडिग। स्प र्धा-प्रतियोगिता, होड़। रव-शब्द, स्वर। शस्य-हरियाली, हरा-भरापन, अनाज।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित तथा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित ‘बादल राग’ शीर्षक कविता से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने क्रांति-दूत के रूप में बादल का मानवीकरण किया है। क्रांति का प्रतीक बादल शोषक वर्ग का समूल नाश कर देना चाहता है। पूँजीपति बादल की गर्जना सुनकर भयभीत हो उठते हैं लेकिन शोषित वर्ग खुशी से झूम उठता है।

व्याख्या : कवि बादल को संबोधन कर कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल! तुम बार-बार तेज गर्जना करते हो और मूसलधार अर्थात घनघोर वर्षा भी करते हो। सारी धरती पर पानी ही पानी हो जाता है। तुम्हारी वज्र रूपी कठोर गर्जना को सुन-सुनकर संपूर्ण संसार अपना हृदय थाम लेता है और भयभीत हो उठता है। तुम्हारी बिजली के गिरने से उन्नति के शिखर पर चढ़े हुए सैकड़ों-हजारों वीर पुरुष पृथ्वी पर गिर जाते हैं। पर्वत के समान विशालकाय व अडिग, धैर्यवान लोग भी जिनमें आकाश को छूने की निरंतर होड़ लगी है।

तुम्हारी गर्जना सुनकर या तो घायल हो जाते हैं या फिर मर जाते हैं। कवि का मत है कि हे क्रांति के दूत बादल, तुम्हारी क्रांतिपूर्ण वज्ररूपी गर्जना को सुनकर ये विशालकाय, धैर्यवान अर्थात शोषक वर्ग के लोग जो अत्यंत धैर्य के साथ निरंतर ऊँचे ही ऊँचे जाना चाहते हैं घायल होकर नष्ट हो जाते हैं। कवि कहता है कि हे क्रांति के बादल, तुम्हारी वज्र रूपी घनघोर गर्जना का प्रतिकूल प्रभाव केवल पूँजीपति वर्ग के शोषकों पर होने से वे भयभीत हो उठते हैं, अपना धैर्य खो देते हैं लेकिन इस क्रांति से ये निम्न वर्ग के शोषित लोग तनिक भी भयभीत नहीं होते।

ये शोषित समाज के लोग तो तुम्हारी घनघोर गर्जना को सुन-सुनकर हँसते रहते हैं। आनंदमग्न हो उठते हैं। जब तुम भयंकर गर्जना करके बरसते हो तो बड़े-बड़े वृक्ष धरती पर आ जाते हैं। लेकिन छोटे-से भार को धारण किए हुए छोटे-छोटे पौधे खिल उठते हैं। वे अपार हरियाली से युक्त होकर प्रसन्नता से हिल-हिलकर खिलखिलाते हुए हाथ हिलाकर तुझे बुलाते रहते हैं। कवि का अभिप्राय यह है कि निम्न वर्ग सदा क्रांति से आनंदित हो उठता है। उसे क्रांति के स्वरों से डर नहीं लगता। फिर क्रांति की गर्जना से छोटे ही अर्थात जनसामान्य वर्ग के गरीब लोग ही शोभा प्राप्त करते हैं। क्रांति का सबसे अधिक लाभ निम्न वर्ग के शोषितों को ही प्राप्त होता है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. संसार भयभीत क्यों हो जाता है?
2. क्रांति की बिजली गिरने से क्या प्रभाव पड़ता है?
3. क्रांति आने पर कौन-कौन हँसते हैं और क्यों?
4. ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
5. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. क्रांति रूपी बादलों की वज्ररूपी हुँकार को सुनकर संसार भयभीत हो जाता है।
2. क्रांति की बिजली गिरने से ऊँचाई पर चढ़े हुए सैकड़ों-हजारों उच्च वर्ग के विशालकाय अडिग लोग धरती पर गिरकर घायल हो जाते हैं।
3. क्रांति आने पर छोटे पौधे अर्थात निर्धन वर्ग के लोग हँसते हैं, क्योंकि इनपर क्रांति का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। निम्नवर्ग क्रांति
से सदा आनंदित होता है।
4. इस पंक्ति का भाव यह है कि क्रांति के शब्दों से निम्न वर्ग के लोग ही शोभा प्राप्त करते हैं। अर्थात क्रांति आने पर निम्न वर्ग को ही लाभांश मिलता है जिससे उसके जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशी का संचार हो जाता है।
5. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने बादल को क्रांति और विद्रोह का प्रतीक मानकर इसका आह्वान किया है।
  • क्रांति का सदा अधिक लाभांश निम्न वर्ग को ही होता है।
  • ओजपूर्ण भाषा का प्रयोग है। संस्कृत की तत्सम शब्दावली का प्रचुर प्रयोग है।
  • प्रतीकात्मक शैली का भावपूर्ण प्रयोग है।
  • अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, रूपक, पदमैत्री, स्वरमैत्री, मानवीकरण, निदर्शना आदि अलंकारों का सुंदर एवं स्वाभाविक प्रयोग है।
  • ‘हृदय थाम लेना’ मुहावरे का सटीक एवं सार्थक प्रयोग है।
  •  लक्षणा शब्द-शक्ति है।
  • ओजगुण विद्यमान है।
  • वीर रस प्रधान है।

3. अट्टालिका नहीं हैरे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से
सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हँसता है
शैशव का सुकुमार शरीर। (C.B.S.E.Delhi 2008,C.B.S.E. Outside Delhi 2013, Set-12014 Set-I, II, III)

शब्दार्थ : अट्टालिका-विशाल भवन, अटारी, महल। आतंक-भवन-भय का घर या महल। विप्लव-क्रांति। क्षुद्र-तुच्छ, छोटा, निम्न। जलज-कमल। शैशव-बचपन। पंक-कीचड़। प्लावन-बाढ़। प्रफुल्ल-खिला हुआ। नीर-पानी, जल। सुकुमार-अत्यंत कोमल। शोक-दुख, खेद।

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित तथा कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित ‘बादल राग’ नामक कविता से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आह्वान किया है। उन्होंने बताया है कि क्रांति का प्रभाव सदा शोषक या पूँजीपति वर्ग पर होता है। क्रांति ही शोषक-शोषित के भेदभाव को मिटा सकती है।

व्याख्या : कवि क्रांति के बादल का आह्वान करते हुए कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल ! पूँजीपति या शोषक वर्ग के ये ऊँचे-ऊँचे विशाल भवन तेरी क्रांति से ऐशो-आराम या राग-रंग के महल नहीं रह गए हैं बल्कि ये तो आतंक और भय के स्थान बन गए हैं।

तुम्हारी क्रांतिपूर्ण गर्जना को सुनकर सुविधा-भोगी वर्ग के लोग अपने विशाल महलों में भी भयभीत हो रहे हैं। अब इन्हें राग-रंग कुछ भी अच्छा नहीं लगता। इन्हें अब यह डर रहता है कि क्रांति की प्रलयकारी गर्जना न जाने कब इन्हें मिटा दे। जिस प्रकार बाढ़ का विनाशकारी प्रभाव सदैव कीचड़ पर होता है उसी प्रकार क्रांति का विनाशकारी प्रभाव भी बराई रूपी कीचड़ अर्थात पंजीपति वर्ग के शोषकों पर ही होता है। बाढ़ में खिले हुए कमल के छोटे फूल से पानी सदा छलकता रहता है।

उस पर कोई बुरा प्रभाव नहीं होता न ही वह बाढ़ से विचलित होता है। रोग और दुःखों में भी बच्चे का सुकोमल शरीर सदा हँसता-मुसकराता रहता है। ठीक ऐसे ही विनाशकारी क्रांति आ जाने पर सर्वहारा वर्ग के लोग भी हँसते-मुसकराते रहते हैं। क्रांति का उनके जीवन पर कोई विनाशकारी प्रभाव नहीं होता। क्रांति से पूँजीपति शोषक ही भयभीत होते हैं। क्योंकि उन्हें सदैव अपने साम्राज्य के नष्ट होने का खतरा बना रहता है। सर्वहारा या शोषित वर्ग उससे तनिक भी भयभीत नहीं होते। वे तो आनंदित होते हैं।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. क्रांति का प्रभाव सदा कहाँ होता है?
2. जल सदैव किससे छलकता है?
3. शैशव का सुकुमार शरीर किसमें हँसता रहता है?
4. क्रांति आने पर ऊँचे-ऊँचे भवन क्या बन गए हैं?
5. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. क्रांति का प्रभाव सदा समाज की बुराई पर ही होता है।
2. जल सदैव खिले हुए छोटे से कमल से छलकता है।
3. शैशव का सुकुमार शरीर रोग-शोक में भी हँसता रहता है।
4. क्रांति आने पर ऊँचे-ऊँचे भवन आतंक का घर बन गए हैं।
5. काव्य-सौंदर्य

  • कवि को सर्वहारा वर्ग के प्रति विशेष सहानुभूति एवं शोषक वर्ग के प्रति घृणा व्यक्त हुई है।
  • भाषा खड़ी बोली है जिसमें तत्सम शब्दावली का प्रचुर प्रयोग है।
  • प्रतीकात्मक शैली का भावपूर्ण प्रयोग हुआ है।
  • मुक्तक छंद है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों की शोभा है।
  • लाक्षणिक प्रयोग सुंदर एवं सार्थक है।
  • बिंब-योजना अत्यंत सुंदर है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, रूपक, मानवीकरण अलंकार की छटा शोभनीय है।

4. रुद्ध कोष है, क्षुब्ध तोष
अंगना-अंग से लिपटे भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी, वज्र-गर्जन से बादल!
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर,
तुझे बुलाता कृषक अधीर,
ए विप्लव के वीर!
चूस लिया है उसका सार,
हाड़-मात्र ही है आधार,
ऐ जीवन के पारावार ! (C.B.S.E. Delhi 2009, 2010, Set-I, 2011, Set-I)

शब्दार्थ : रुद्ध-रुका हुआ, भरा हुआ। क्षुब्ध-बेचैन । अंगना-सुंदर अंगों वाली स्त्री। अंक-गोद। जीर्ण-जर्जर, शिथिल । अधीर-व्याकुल। कोष-खज़ाना। तोष-संतोष। आतंक-भय, डर। त्रस्त-डरे हुए, सहमे हुए। शीर्ण-अशक्त, शक्तिहीन, निर्बल। पारावार-सागर और जीवन प्रदान करनेवाले।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘निराला’ द्वारा रचित ‘बादल राग’ नामक कविता से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने शोषक वर्ग द्वारा शोषित वर्ग पर हुए शोषण का चित्रण करते हुए क्रांति के दूत बादल का शोषित वर्ग की सहायता के रूप में आह्वान किया है। कवि क्रांति के प्रतीक बादल को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे क्रांति के दूत बादल! पूँजीपति एवं शोषक वर्ग ने निम्न एवं निर्धन लोगों का शोषण कर करके अपने खजाने भर लिए हैं। उन्होंने गरीबों के धन एवं उनकी संपदा पर अपना अधिकार कर लिया है। लेकिन अभी भी धन इकट्ठा करने की उनकी इच्छा समाप्त नहीं हुई। खज़ाने भरे होने पर भी इन धनी लोगों को संतोष नहीं है अर्थात इनकी इच्छाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। इसपर निम्न वर्ग क्रांति कर उठा है।

कवि कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल! तेरी क्रांति की वज्ररूपी घनघोर गर्जना को सुनकर ये पूँजीपति वर्ग के लोग अपनी प्रेमिकाओं के अंगों से लिपटे रहने पर भी भय से काँप रहे हैं। निर्धन वर्ग की क्रांति के विद्रोह को देखकर अब धनिक लोग इतने भयभीत हो गए हैं कि उन्हें अपनी प्रेमिकाओं की गोद में भी भय लगता है। इस प्रकार ये शोषक वर्ग के लोग बादलों की वज्र रूपी हुंकार को सुनकर तथा उससे डरकर अपनी आँखें और मुँह ढक रहे हैं।

व्याख्या : वे अपने को कहीं छुपाने का प्रयास कर रहे हैं। कवि कहता है कि हे क्रांति के वीर बादल! ये शक्तिहीन और व्याकुलं किसान तेरा आह्वान कर रहा है अर्थात तुझे सहायता हेतु पुकार रहा है। जिसकी भुजाएँ पूँजीपति वर्ग के शोषण के कारण जर्जर हो चुकी हैं और उसका सारा खून पूँजीपतियों ने चूस लिया है। इसलिए अब उसका शरीर निर्बल हो गया है। पूँजीपति वर्ग के लोगों ने इस किसान का समस्त जीवन का रक्तरूपी सार चूस लिया है और वह अब ढाँचा मात्रा शेष रह गया है। कवि कहता है कि हे जीवन के पारावार ! तुम इन्हें नवजीवन प्रदान करनेवाले हो। अर्थात तुम्हीं इन्हें शोषक वर्ग के अत्याचार से मुक्त करके नया जीवन दे सकते हो।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. धनी वर्ग के लोग क्यों काँप रहे हैं?
2. धनी वर्ग के लोगडर कर क्या कर रहे हैं?
3. विप्लव का वीर कौन है? उसे कौन बुलाता है?
4. “चूस लिया है उसका सार, हाड़-मात्र ही है आधार” इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
5. उपर्युक्त काव्यांशों के कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
6. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्ता
1. धनी वर्ग के लोग निर्धन वर्ग की क्रांति एवं विद्रोह के डर से काँप रहे हैं।
2. धनी वर्ग के लोग डरकर अपनी आँखें और मुख ढक रहे हैं।
3. विप्लव का वीर बादल है। उसे व्याकुल कृषक बुलाता है।
4. इस पंक्ति का भाव यह है कि अमीर वर्ग ने निर्धन किसानों एवं मजदूरों का संपूर्ण धन हड़प कर लिया है। उन्होंने उनका खून चूस लिया है अब उनका शरीर हाड़-मात्र ही रह गया है।
5. उपर्युक्त काव्यांश के कवि का नाम सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है तथा कविता का नाम ‘बादल राग’ है।
6. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने कृषक वर्ग के प्रति सहानुभूति व करुणा तथा शोषक वर्ग के प्रति गहन आक्रोश व्यक्त किया है।
  • कवि की विद्रोह भावना अभिव्यक्त हुई है।
  • भाषा सरल, सरस और प्रवाहपूर्ण है। तत्सम शब्दावली का प्रचुरता से प्रयोग है।
  • अनुप्रास, रूपक, श्लेष, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों की छटा शोभनीय है।
  • चित्रात्मक तथा प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है।
  • मुक्तक छंद है।
  • भारतीय किसान की करुणावस्था का चित्रण हुआ है।
  • भयानक तथा करुण रस का अंकन हुआ है।
  • बिंब-योजना सार्थक एवं सटीक है।

Social Movements Class 12 Important Extra Questions Sociology Chapter 8

Here we are providing Class 12 Sociology Important Extra Questions and Answers Chapter 8 Social Movements. Sociology Class 12 Important Questions are the best resource for students which helps in class 12 board exams.

Class 12 Sociology Chapter 8 Important Extra Questions Social Movements

Social Movements Important Extra Questions Very Short Answer Type

Question 1.
What is a socio-reform movement?
Answer:
A movement that started to remove the existing social evils and ills of the society is known as socio-reform movements.

Question 2.
What is the main aim of the socio-reform movement?
Answer:
The main aim of the socio-reform movement is to remove the existing social evils from society and to make social life progressive.

Question 3.
Why were tribal movements started in India?
Answer:
Tribal movements were started to save the tribal cultures so that they could not be mixed with the cultures of other societies.

Question 4.
What is Social Reform?
Answer:
When people of the society start a movement against the existing evils of the society and tries to remove those evils then it is known as social reform.

Question 5.
Why is mobility present in social reform?
Answer:
Mobility is present in social reform because the social reforms are not the same in all ages and all societies. That’s why it is mobile.

Question 6.
What is social welfare?
Answer:
All those organized social efforts are included in social welfare with the help of which, all the members of the society receive facilities to develop themselves in a proper way. Lower and backward classes especially care in the works of social welfare so that all-round development and welfare of the whole society could take place.

Question 7.
What are the two objectives of social welfare?
Answer:

  1. the First objective of social welfare is that the needs of members of the society could be fulfilled.
  2. To establish those social relations with which people should be able to develop their abilities.

Question 8.
What is the difference between social welfare and social reform?
Answer:
In social welfare, the work is done for the all-around development of the lower classes and backward classes but in social reform, efforts are made to change the society by removing social evils from the society.

Question 9.
What is a Political Movement?
Answer:
The movement which aimed at achieving a political objective is called a political movement. For example, the freedom movement of India.

Question 10.
What is Cultural Movement?
Answer:
The movement which aims at the protection of its own culture is called a cultural movement. For example, tribal movement.

Question 11.
Why were caste-based movements started before independence?
Answer:

  1. Before independence, caste-based movements were started to oppose the supremacy of Brahmins over the other castes.
  2. To uplift the social status of our own caste in a caste hierarchy.

Question 12.
Why are reform movements known as social movements?
Answer:
The main objective of reform movements was to remove social and religious evils from society and that’s why they are known as social movements.

Question 13.
What is meant by Resource Mobilisation?
Answer:
Resource mobilization is a method in which any social movement gets strength
by its political influence, wealth, reach of media, and cooperation of the people.

Question 14.
What is meant by Redemptive Social Movement?
Answer:
A redemptive social movement is a movement that aims to bring about a change in the personal consciousness and actions of its individual members. For example, Narayana Guru led the people of the Ezhava community in Kerala to change their social practices.

Question 15.
What is meant by the Reformist Social Movement? (C.B.S.E. 2010)
Answer:
A reformist social movement is a movement that wanted to change the existing social and political systems through gradual and incremental steps. For example, the 1960’s movement for the reorganization of the Indian states on a linguistic basis and the recently launched Right to information campaigns.

Question 16.
What is meant by Revolutionary Social Movement? (C.B.S.E. 2010)
Answer:
This is a type of social movement which attempts to radically transform social relations, generally by capturing state power. For example, the French revolution in 1789 and the Russian revolution of 1917.

Question 17.
What is the theory of relative deprivation of social movement?
Answer:
According to the theory of relative deprivation, social conflict arises when a social group feels that its condition is worse than that of the others around it. Such conflict is likely to result in a successful collective protest.

Question 18.
Why were Ecological movements started?
Answer:
More stress is being laid on the development in the modem age because of which there was an unchecked use of natural resources. It was a matter of concern and that’s why ecological movements were started.

Question 19.
Why were peasant movements started before independence?
Answer:
The nature of every peasant movement was different which was started before independence, but their main demand was the removal of economic exploitation of farmers by the moneylenders.

Question 20.
Why were worker’s movements started during colonial rule?
Answer:
Labour, during the early age of colonial rule, was very less because the colonial government hardly made any laws regarding the wages and working conditions of laborers. That’s why the worker’s movement was started to save laborers from exploitation from their owners.

Question 21.
What does the theory of resource mobilization tell us about social movements? (C B.S.E. 2010)
Answer:
This theory was given by McCarthy and Zald. They argued that a social movement’s success depends on its ability to mobilize resources or means of different types. If a movement can muster resources and can use them within the available political structure, it is more likely to be effective.

Question 22.
Name any two women’s organizations of the early 20th century. (C.B.S.E. 2010)
Answer:

  1. The Women’s India Association (WIA)-1917
  2. All India Women’s Conference (AIWC)-1926

Question 23.
Explain the theory of relative deprivation. (C B.S.E. 2012)
Answer:
According to this theory, social conflict arises when a social group feels that it is worse off than others around it. Such conflict is likely to result in a successful and collective protest. This theory emphasizes the roles of psychological factors like resentment and rage in inciting social movements.

Question 24.
What are distinctive modes of protest? (C.B.S.E. 2013)
Or
What are distinct modes of protest? (C.B.S.E. 2017 (D))
Answer:
Candle and torchlight processions, use of black cloth, street theatres, songs, poetry, and Gandhian ways like ahimsa picketing, use of Charkha and Satyagraha are few modes of protest.

Question 25.
What were the main concerns of social reformers in the 19th century? (C.B.S.E. 2013, 2017 (D))
Answer:

  • The Muslim social reformers discussed a great deal about the meaning of purdah and polygamy.
  • The injustice suffered by the fourth caste and the issue of gender oppression.

Question 26.
Distinguish between social change and social movement. (C.B.S.E. 2015)
Answer:
Social movements are directed towards specific goals and these movements involve long and continuous social efforts and activities of the people.

Social change is a continuous and ongoing process that is sum total of countless individuals and collective action gathered across time and space.

Question 27.
In what ways do reformist and redemptive movements differ? (C.B.S.E. 2015)
Answer:
The reformist movement wants to change the existing social and political arrangement through gradual incremental steps such as the RTI campaign. Redemptive movement brings about a change in the personal consciousness and action of its individual members.

Question 28.
What are counter-movements? (C.B.S.E. 2017 (D))
Answer:
Counter Movements – Counter movements arise in defense of the status – quo when a social movement seeks to bring in a social change.
Example-
The role of Dharma sabha as a counter to Raja Ram Mohan Roy’s campaign against Sati.

Social Movements Important Extra Questions Short Answer Type

Question 1.
Which changes could be brought with the help of socio-reform move¬ments?
Answer:
India is a welfare state in which everyone gets equal opportunities. The main objective of the welfare state is to make the life of the people happy. But this is possible if all the existing beliefs and evils of society are removed. Only socio-reform movements can remove them. But nothing can be obtained only by making law. For this, reform is necessary for society. For example, laws are present for child marriage, dowry system, child labor, etc., but these things are common in our country. All these things are obstacles to our country’s growth. If we want to develop our society then socio reform movements are necessary. That’s why socio reform movements are necessary to bring changes in our society.

Question 2.
Give four features of social movements.
Answer:

  1. Social movements are always anti-social.
  2. Social movements are always planned and deliberate efforts.
  3. Their main objective is to bring about reforms in society.
  4. Collective efforts are required because one person cannot bring changes in society.

Question 3.
What is the nature of social movements?
Answer:

  1. Social movements are not institutions because institutions are permanent and traditional and are considered as a necessary aspect of the culture. These movements come to an end after the achievement of their objective.
  2. Social movements are not associations, because associations have their own constitutions. This movement is generally informal, unorganized, and is against traditions.
  3. Social movements are neither pressure nor sectional group because these movements demand changes in social norms.

Question 4.
Why were socio-reform movements started in India?
Answer:
Socio reform movements were started in India due to the following reasons:-

  1. Social evils of Indian society were attached to religion.
  2. Society was divided on the basis of caste and caste was made on the basis of religion. Breaking caste rules was considered a sin.
  3. The status of women was very low because of which they had no importance in society.
  4. The Indian society was full of illiterate people.
  5. Many social evils were present in the Indian society like caste system, Sati system, child marriage, child infanticide, restriction on widow remarriage, etc.

That’s why social reformers decided to bring reforms in the society and social reform movements were started in India.

Question 5.
Why were tribal movements started?
Or
Write a note on tribal movement with special reference to Jharkhand. (C.B.S.E. 2012)
Answer:
Hundreds of tribes live all over India. They have their own specific living style. They also have very limited needs. They are very conscious about maintaining their culture and tribal identity. If the tribal people observe that their culture is being interfered with or their demands are overlooked or if there is any danger in maintaining their tribal identity, then they generally take the path of movement. Except this, the tribal people also go for movement for a definite type of change due to the impact of the other communities, religions, and classes. For example, the tribal movement was started on the issue of the creation of a separate state of Jharkhand for the tribals. Birsa Munda of the Munda tribe started a movement against Christianity. Birsa was known as the Birsa God in his Munda tribe. Just because of his efforts, converted Christians of the Munda tribe came back into the Hindu religion and started to perform Hindu practices and customs.

Question 6.
What were the main features of social movements that started before independence?
Answer:

  1. the Main feature of social movements started before independence was to re¬establish Hinduism rationally because it took severe blows from Muslim rulers and Britishers.
  2. To uplift women, Harijans and exploited classes so that they could also live a better life like other classes.
  3. These movements wanted to remove the traditional ideology and wanted to establish a new system.
  4. These movements wanted to break the chains of the caste system and establish the feeling of equality and brotherhood among the people.
  5. These movements wanted to develop feelings of sympathy, tolerance, brotherhood, etc. among the Indian masses.

Question 7.
What are the features of Revolutionary movements?
Answer:

  1. Revolutionary movements wanted to establish a new system by removing the existing system.
  2. Violent and suppressive measures are used in revolutionary movements.
  3. Revolutionary movements are initiated at a time when there is a need to remove social evils.
  4. Revolutionary movement always aimed at ending the rule of the autocratic ruler.

Question 8.
What are the features of Reformist movements?
Answer:

  1. The reformist movement wanted to bring reforms to the old social system.
  2. The speed of the reformist movement is always slow.
  3. Peaceful methods are used in reformist movements and they are initiated for peaceful changes in society.
  4. They generally exist in democratic countries.

Question 9.
Distinguish between New social movement and the Old social movement.
Or
In what way the new social movements are different from the old social movements. (C.B.S.E. 2017 (D))
Answer:

  1. The old social movements functioned within the frame of political parties but the new social movements were not aimed at changing the distribution of power in the society as they were about the quality of life issues like having a clean environment.
  2. Old social movements wanted to remove evils from society and wanted to remove exploitation, but new social movements were started with an aspiration of better living standards.
  3. In the old social movements, the role of political parties was central but modem movements are left away by the formal political systems and they put pressure on the state from the outside.

Question 10.
Explain something about the Chipko Movement.
Answer:
Chipko movement started in the hilly areas of Uttrakhand (U.P. at that time) in 1070. Forests in those areas were the means of livelihood for people living there. People used to collect things from forests to live their lives. The Government gave these forests to private contractors to earn revenue. When the people went to the forests to collect wood and other things they were stopped by contractors as they also wanted to earn money from these forests. People of many villages stood against this and collectively started to struggle against this. When the contractors came to cut down the trees, villagers stepped forward to hug the trees to prevent them from being felled. Women and children actively participated in it. Prominent Environmentalist Sundra Lai Bahuguna also joined the struggle. As people used to hug the trees, this movement came to be known as the Chipko movement. In the end, the movement was successful and the government banned the cutting of forests of the Himalayan region for 15 years.

Question 11.
What were the issues against which the leaders of the Jharkhand movement were agitating? (C.B.S.E. 2010)
Or
Mention the issues which agitated the Jharkhand leaders. (C.B.S.E. 2017 (O.D.))
Answer:
The issues against which the leaders of the Jharkhand movement agitating were:

  1. Acquisition of land for large irrigation projects and firing ranges,
  2. Survey and settlement operations, which were held up, camps closed down, etc.,
  3. Collection of loans, rent, and cooperative dues, which were resisted,
  4. Nationalization of forest produce which they boycotted.

Question 12.
Bring out the differences between social change and social movement. (C.B.S.E. 2017 (OD))
Answer:
Difference between social change and social movements-

  1. Social change is continuous and ongoing.
  2. Sum total of countless individual and collective actions gathered across time and space.
  3. Social movements are directed towards some specific goals.
  4. Involves long and continuous social effort and action by people.

Question 13.
State the features of new farmer’s movements. (C.B.S.E. 2017 (OD))
Answer:
Features of New farmer’s movements

  1. Movements were regionally organized
  2. Involved farmer rather than peasants
  3. Not involved with any party
  4. The basic ideology of the movements was strongly “anti-state and anti-urban”
  5. Demands were “price and related ‘issues”
  6. Novel methods of agitation were used e.g., road and railway blocks, refusing entry of politicians/bureaucrats, etc.

Social Movements Important Extra Questions Essay Answer Type

Question 1.
What is meant by Social Movement? Explain its different types.
Answer:
When people of any society are dissatisfied with the prevailing social circumstances of society and they want to bring about change in it, then social movement comes into being. Social movement always starts with an ideology. Sometimes social movement develops to oppose any change. Earlier, sociologists used to think that social change is an effort to bring change but modern sociologists think that movement either brings social change or stops any change. Different thinkers gave their views about social movement and these are given below:

According to Merril and Eldridge, “Social movement is more or less a conscious effort for change in the society.” According to Hurston and Hunt, “Social movement is the collective effort for bringing change or opposing in the society or in its members.”

According to Herbert Blunder, “Social movement can be called as the collective effort to establish a new system of life.”

So on the basis of these views of different scholars, we can say that social movement is the collective behavior of the members of society, whose aim is to either change the prevailing culture and social structure or to oppose that change. So social movement can be understood in the form of the effort of social action and collective effort.

Types of Social Movements: Hurton and Hunt were of the view that the classification of social movement is not easy work. It is seen because of the different nature of different movements. Different scholars gave different classifications and the main types of social movements are given ahead:
1. Special Social Movements: Objectives of special social movements are pre¬determined and are pre-organized. These movements are controlled by experienced leaders. Revolutionary and Reformist movement come under this category.

2. General Social Movements: General Social movements are related to the prevailing cultural values of the society. This type of movement develops due to those slow changes which are included in cultural values. It is also because the changed values, ideas, and beliefs are not clear when they are in their earliest stage. Feminist movements and scheduled caste movements come under this category.

3. Expressive Movements: The main objective of expressive social movement is to express collective disagreement on any subject. Herbert Blumer had divided these types of movements into two parts and these are religious movements and linguistic movements. ‘

4. Resistance Movements: Resistance movements are exactly opposite to revolutionary movements. The main objective of the resistance movement is to stop or remove change but the main aim of the revolutionary movement is to bring change. Many types of resistance movements took place in India during the 20th century.

5. Utopian Movements: Those movements come under utopian movements that were started by great scholars or thinkers to make an imaginative and ideal society. The Socialist movement of Karl Marx and the Bhoodaan movement of Vinoba Bhave come under this category.

6. Migratory Movements: Migratory movements occur due to war, flood, famine, or any disease. People migrate from one place to another under this type of movement. When people of one area or country collectively decide to live in another country then this type of movement takes place.

7. Revolutionary Movements: The main objective of the revolutionary movement is to overthrow the existing system out of power and to establish a new system. These are of two types-violent and non-violent. These movements start due to dissatisfaction, which prevails in society. The main feature of revolutionary movements is their pace and violence. But many times non-violence is also present.

8. Reformative Movements: The main objective of reformative movements is to bring reforms in the society by removing evils from the existing social system. Brahmo Samaj, Arya Samaj, Ramakrishna Mission, and Prarthna Samaj come under this category. They can develop only in a democratic set up because the government, in democracy, itself is interested in bringing reforms in the society.

Question 2.
What were the conducive conditions in India to start Social reform movements?
Answer:
1. Western Education: When the Britishers started to rule over India, then they started to spread western education. When Indians came in contact with western education, they came to know about science and reasoning. They came to know that the prevailing customs of Indian society were useless and baseless. That’s why enlightened Indians started social movements.

2. Development of means of transport: Britishers developed means of transport for their own convenience but Indians took maximum advantage of these means. With the advent of means of transport, Indians came in contact with each other. Enlightened and educated Indians reached different parts of the country and explained to the people that the prevailing customs are useless for them. People . were already fed up with these customs. They gave a good response to these requests and conditions became conducive with the development of means of transport.

3. Advent of Indian Press: Press started in India after the advent of the British organizers of movements started to publish small newspapers and magazines so that Indians could read them and should understand that these evils are very harmful to the society. It is necessary for them to overthrow these evils from society. In this way, Indians came to know that it is necessary for them to remove these social evils.

4. Increasing impact of Missionaries: When the Britishers came to India Christian missionaries also came with them. They were given help by the Britishers. The function of these missionaries was to propagate Christianity but their way of propagating was somewhat different. First of all, they worked for social welfare. They solved the problems of the people and then used them to propagate their religion. Gradually, people started to adopt Christianity. When Indian social reformers came to know about this thing, they also started reform movements in India. In this way, these movements were started due to the impact of Christian missionaries.

5. Evils of Indian Society: Most of the social reform movements were started to remove the social evils of the society. Sati Pratha, child marriage, restriction on widow remarriage, dowry system, untouchability, etc. are examples of some of the social evils of Indian society. People were fed up with social evils. When these movements started the movement was welcomed with open hands. That’s why these movements got what conducive environment and social reform movements became successful.

Question 3.
What changes in Indian society due to social movements? Explain them.
Answer:
1. End of Sati Pratha Place: Sati System prevailed in Indian society from the very beginning. Widows had to die with the death of her husband. She had to sit alive on the funeral pyre of her husband. This inhuman custom was started by higher castes. Due to social movements, the British government started to oppose this system and it passed a law called ‘Sati Prohibition Act’ in 1829. This law declared Sati Pratha as illegal. In this way, the custom of ancient times came to an end. All this happened due to social movements.

2. End of Child Marriage: Child marriages were prevailing in Indian society. Due to child marriage, parents used to marry their children at the age of 4-5 years. It hardly mattered to them whether the child even knew the meaning of marriage or not. The British government fixed the minimum age of child marriage due to social movements. British Government made a law in 1860 and fixed a minimum age of 10 years for marriage.

3. Widow Remarriage: Widows in our society were not allowed to remarry and this custom was going on from the very beginning. They were not allowed to take part in family functions. They had no right to live a happy life. Due to the efforts of Ishwar Chandra Vidyasagar, the British Government passed an act in 1856 called the ‘Widow Remarriage Act, 1856’ with which widows got permission to remarry. In this way, they got the legal right to remarry and to live a happy life.

4. End of Purdah System: Purdah system prevailed among Muslims. Females always had to live behind purdahs. They were not allowed anywhere. Gradually, this system spread all over the country. Social reformers raised their voice against the purdah system. Even Sir Syed Ahmed Khan also raised his voice against this system. In this way, this system started to decrease and with the passage of time, it came to an end.

5. Change in Customs of Dowry System: Dowry is that which is given by the father of the bride at the time of her marriage according to his wish. But many problems also cropped up along with it. Parents of the bridegrooms started to demand dowry because of which parents of the girls had to face a number of problems. Many movements were started against this. That’s why the British government and later on in 1961, the Indian Government declared it illegal.

6. End of Untouchability: The custom of untouchability was prevalent in Indian society from the ages. In this, lower castes were not allowed to touch the people of higher castes. So the voice was raised in social movements against untouchability. That’s why an atmosphere was created for declaring it illegal. After independence, the Indian government passed an act with which it was declared illegal.

7. Intercaste marriages: Intercaste marriages were not allowed in Indian society. But inter-caste marriages were encouraged by these social movements and they also received legal permission after independence.

8. Caste System: The caste system was one of the important bases of Indian society. But the caste system was weakened by these movements. Almost all the movements raised their voices against the caste system. Gradually, the caste system lost its importance and it is now on the verge of its end.

9. Women Education: Almost all the social movements agreed on one thing and that was women’s education. The status of women was very low in our society. They had no rights. All the social movements worked for women’s education with which women’s education got encouragement. That’s why now she is standing side by side with her husband.

So we can say that social movements were started in the 19th century in India and many changes came in the Indian society due to these movements.

Question 4.
Explain the peasant movements that started in India.
Answer:
Peasant movements are associated with the relations between farmers and agricultural activities. When there is a lack of coordination between agricultural workers and landowners, then workers take the path of movement and peasant movement starts to take place. Actually, these movements start because of the exploitation of farmers. Its main base is class struggle and it is different from worker’s movement. The important base of these movements is the agricultural system. A different type of structure has been developed among the agricultural classes due to agriculture relations and the diversity of land systems. This structure is different in different areas. Agricultural classes of India can be divided into three parts-

  1. Owner
  2. Farmer
  3. Laborer.

The owner is also known as a landowner. This class is the owner of the whole land on which agricultural work takes place. Farmers come after landowners. Small marginal farmers are the owners of small pieces of land. They used to till their land themselves. The third class is of laborers who earned money by working in the agricultural field. They are generally landless and very poor.

Peasant movements started because of different causes. As the earning of agricultural laborers is affected by industrialization, they opposed it with a movement. Except this, there are certainly other reasons for initiating peasant movements, like the demand for more value of their produces, their exploitation by the officials, bonded laborers, opposition of reducing farming subsidies, etc.

Beginning of Peasant Movement: These movements started in the 19th century when the British government associated itself with the agricultural system. The Santhal revolt took place in the 19th century against the British. In 1875, riots of money lenders, Awadh revolt, and farmer’s opposition of money lenders in Punjab took the form of the peasant movement. Gandhiji adopted the way of nonviolence for farmers and workers in 1917-18. Farmer’s organization and peasant labor unions were formed in 1923.

Farmer’s association was developed in Uttar Pradesh, Bengal, and Punjab. The struggle between farmers and laborers started in Gujarat during 1928-29 and 1930-31. The first struggle was started under Sardar Patel and the government was forced to accept their demands. Many movements started from 1937 till 1946 against zamindars, landlords, and landowners. Peasant movements of Mysore and Travnkor were started against kings and local landlords. In the same way, the movements of Odisha, Udaipur, Gwalior, and Jaipur were important in the history of the Indian Peasant Movement.

Even after independence, there was no reduction in the problems of peasants and agricultural laborers and that’s why the number of farmer movements increased all over the country. The main objective of all these movements was the protection of the interests of farmers. These movements also aimed at removing farmer’s exploitation and providing socio-economic justice to the farmers.

Mass Media and Communications Class 12 Important Extra Questions Sociology Chapter 7

Here we are providing Class 12 Sociology Important Extra Questions and Answers Chapter 7 Mass Media and Communications. Sociology Class 12 Important Questions are the best resource for students which helps in class 12 board exams.

Class 12 Sociology Chapter 7 Important Extra Questions Mass Media and Communications

Mass Media and Communications Important Extra Questions Very Short Answer Type

Question 1.
In how many parts can the means of mass communication be divided?
Answer:
Means of mass communication can be divided into three parts:

  1. Printed Communication
  2. Electronic Communication
  3. Audio-visual Communication.

Question 2.
What is meant by mass communication?
Answer:
The word ‘Mass Communication’ is made up of two words. ‘Mass’ means the masses of people, and ‘Communication’ means the process of giving and receiving information. In this way, mass communication is that process in which information is being given to the people through modern means like satellite, computer, television, radio, etc. The feedback is also received from the audience in the form of complaints and appreciation.

Question 3.
What is cultural modernisation?
Answer:
The process of bringing change in culture is known as cultural modernisation. We can see changes everywhere, i.e., in our ways of living, eating habits, clothes, family and institution. All this is cultural modernisation because all these are a part of our culture.

Question 4.
What is Local Culture?
Answer:
A culture belonging to one definite territory. If any culture spreads within a definite geographical area then it is known as local culture.

Question 5.
What is included in Print Media?
Answer:
Newspapers, Magazines, Journals, etc. are included in print media.

Question 6.
What are the important means of electronic media?
Answer:
Akashvani and Doordarshan are important means of electronic media. Radio, internet and television are included in it.

Question 7.
What are the important means of motion pictures?
Answer:
Films are important means of motion pictures whether it is feature films or documentary films.

Question 8.
What is the main function of mass media?
Answer:
The main functions of mass media are broadcasting of information.

Question 9.
Name a few means of mass communication.
Answer:
Radio, television, newspapers, magazines, internet, telephone, etc., are a few means of mass media.

Question 10.
Name the first newspaper published in India.
Answer:
Bombay Samachar in 1882.

Question 11.
What is Entertainment revolution?
Answer:
The revolution that came in the field of entertainment because of a revolution in information technology, is known as an entertainment revolution. Now people are associated with television, computer, internet, etc. and this process has changed their fives.

Question 12.
What are the advantages of radio for rural people?
Answer:
Many radio programmes are broadcasted for rural people in which they are told about scientific methods of animal husbandry, irrigation system, new methods of agriculture and new methods of storage and distribution. They are advised to use this method to improve their farm production.

Question 13.
What type of programmes are broadcasted on television?
Answer:
Programmes of national level, regional level and local level are broadcasted on television.

Question 14.
What is the impact of the internet on the field of journalism?
Answer:
The world of journalism has shrunk due to the internet. News of one part of the world can be easily sent to other parts of the world within a few seconds only because of the internet. Journalists can talk to anyone directly through internet and can even organize Seminars.

Question 15.
Name 10 main newspapers being published in India.
Answer:

  1. Punjab Kesari
  2. Dainik Bhaskar
  3. Nav Bharat Times
  4. Hindustan Times
  5. Amar Ujala
  6. Hindustan
  7. The Tribune
  8. Times of India
  9. Dainik Jagaran
  10. Economic Times.

Question 16.
In what ways have Trans-national television companies adapted to the Indian audience? (C.B.S.E. 2010)
Answer:

  1. Trans-national television companies started to produce programmes in Hindi and other regional languages.
  2. Star television adopted the concept of localisation and started producing a chain of programmes in Hindi. It transformed itself completely into a Hindi channel. In the same way, other channels also did the same.

Question 17.
Why did Nehru call media as a watchdog of democracy? (C.B.S.E. 2012, 2013)
Answer:
The media was expected to spread the spirit of self-reliance and national development among the people. That’s why the first prime minister of India, Jawaharlal Nehru, called upon media as a watchdog of democracy.

Question 18.
What were the reasons for the amazing growth in Indian language newspapers? (C.B.S.E. 2012)
Answer:

  1. There is a rise in the number of literate people who are migrating to cities.
  2. The needs of the readers in small towns and villages are different from that of the cities and the Indian language newspapers cater to those needs.

Question 19.
What is meant by the term infotainment? (C.B.S.E. 2013)
Or
Write the meaning of term infotainment. (C.B.S.E. 2017 (D))
Answer:
Meaning of the term infotainment is a combination of information and entertainment to keep the interest of readers. Generally, newspapers advocate this term of infotainment.

Question 20.
How is mass media a part of our everyday life? (C.B.S.E. 2013, 2017 (D))
Answer:

  1. Mass media has become an essential part of our daily life as it plays a very important role in making our views.
  2. Mass media acts as an effective link between the state and the market. It establishes a close relationship with readers and audience.

Question 21.
How mass-media is a part of our everyday life? (C.B.S.E. 2017 (D))
Answer:
Mass media as part of everyday life-
Reading of newspaper Watching television/films etc.
Listening to the radio
Use of mobile phones
Use of Internet / social networking sites

Question 22.
What changes have been brought by technology in the newspaper industry? (C.B.S.E. 2017 (D))
Answer:
The technological changes brought about in the Newspaper industry are –
A network of a personal computer (PC)
Local area networks (LAN)
Use of newsmaking software, Newsmaker etc.
Mini tape recorders, a laptop,
Mobile or satellite phone Other accessories like modem etc.

Question 23.
In what way have TNCs adapted to the Indian audiences? (C.B.S.E. 2017 (OD))
Answer:
NCs adapted to the Indian audience
-Introduced a segment of Hindi language programming/MTV India
– Introduced entire new Hindi channels
– Dual commentary on star Sports and ESPN
– Regional language-based programmes/separate channels

Mass Media and Communications Important Extra Questions Short Answer Type

Question 1.
What are the functions of mass media?
Answer:

  1. Media provides all the information to the people about events which occur in the world.
  2. Information related to administration reaches the people through media.
  3. Media provides all the information of functions done by the Parliament and legislative assemblies.
  4. Television spreads ways of living, eating habits and ways of behaviour of people of different cultures.
  5. Media also teaches the people about their rights and duties.

Question 2.
What are the wrong impacts of mass media over the general masses?
Answer:

  1. Companies are using vulgar scenes of females through means of mass communication to sell their products.
  2. Sometimes, mass communication doesn’t show the actual picture of any event to the people.
  3. Means of mass communication takes the young people in a world of dreams and takes them away from reality.

Question 3.
What is the contribution of means of mass media in the field of education?
Answer:
There is a great contribution to mass communication in the field of education. U.G.C. always runs its programmes on Delhi Doordarshan through which children and young ones are given an education. Except this, educational programmes for children are always being produced. U.G.C. always arranges programmes of higher education so that young people could be given information.

All these programmes are being telecast on Doordarshan. Except for Doordarshan, many other educational channels are running their programmes like the Discovery Channel, National Geographic Channel, History Channel, Animal Planet channel, etc. The History channel always telecasts programmes related to the history of different parts of the world and these are very useful for children. Newspapers and magazines are helpful in increasing the knowledge of children. In this way, there is a great contribution to the means of mass communication in the field of education.

Question 4.
Explain the means of mass communication.
Or
Discuss different aspects of mass media. (C.B.S.E. 2013)
Answer:
Means of mass communication plays a very important role in providing information and entertaining the people. They also play a very important role in starting a movement in the country. Means of mass media are divided into three categories-print media, electronic media and audio-visual-communication. Newspapers and magazines are included in print media. Radio and television are included in electronic media. We can listen and watch the news on them. Films are included in audio-visual communication which not only entertains the people but they also provide knowledge to the people. They are the most important means of creating public opinion. They can also topple the government if they want.

Question 5.
What is the mass media expected to do in order to function as the “watchdog of democracy”? (C.B.S.E. 2010)
Answer:
In independent India, Jawaharlal Nehru, the first Prime Minister, called upon the media to function as the watchdog of democracy. The media was expected to spread the spirit of self-reliance and national development among the people. The media is seen as a means to inform the people of the various developmental efforts. The media is also encouraged to fight against social evils like untouchability, child marriages, ostracism of widows, as well as beliefs of witchcraft and faith healing. It is the duty of media to create awareness among the people on different issues. With this, it can function as the watchdog of democracy.

Question 6.
What strategies have been used to make the Indian language newspapers popular? (C.B.S.E. 2017 (OD))
Answer:
Strategies for making Indian language newspapers popular – Indian language newspapers have adopted advanced use of printing technologies.

  1. Provide supplements, pull- out and literary booklets
  2. Consumer contact programmes e.g. by Dainik Bhaskar group
  3. Door to door surveys and research
  4. Glossy magazine supplements
  5. National dailies publish regional editions in regional language.

Mass Media and Communications Important Extra QuestionsEssay Answer Type

Question 1.
Discuss the means of Electronic Mass Media.
Answer:
The meaning of Electronic is anything which runs with electricity. The meaning of electronic mass media are those means of mass media which run with the help of electricity; There are two most important means of electronic mass media and these are Radio and television. Their brief description is given below:-
1. Radio (AIR): First radio programme was transmitted in India in 1924 by ‘Radio Club of Bomba/. In 1927, private transmitters also started their broadcast. The government took all these private transmitters in its hands and started to run them under the name of ‘Indian Broadcasting Service’ in 1936. It was given the name of All India Radio in 1957. Right now AIR broadcasts its programmes in 24 Indian languages.

The main objective of AIR is to entertain the people. Right now 208 Radio stations are working in India. Many FM stations also have been established in India in recent years. 98% of Indian population listens to the programmes broadcasted by AIR. In 1966, the Green Revolution took place in India. That’s why AIR started to broadcast rural programmes through its various stations. It also broadcast women and children-oriented programmes. It has been expected from Radio to bring changes in rural areas and the process of change is underway.

2. Doordarshan (Television): First television in India was started in ‘Aakashvani Bhavan’ in 1959 as an experiment. Service of Doordarshan, which is being provided by the Indian government, is one of the largest services of mass media in the world. In its earlier phase, it was being broadcasted thrice a week. But later on, it started to broadcast its programmes daily. The first satellite experiment in India was carried out in 1975-76. It was the first step to give social education with the help of technology.

The second television centre, in the country, opened in 1972. Many other centres started in 1973 in the country. In 1976, Doordarshan was separated from AIR and made as a new department. Colour television started in 1982 during the Asian Games at Delhi. D.D. Metro was combined with Delhi Doordarshan in 1984. Initially, D.D. Metro was broadcasting in Delhi, Bombay, Calcutta and Madras but later on, the telecast spread to the whole country. D.D. sports, a sports channel was started in 1999 to telecast different sporting events on television.

Now television is available to more than 10 crore people in the country. 87% population is within the reach of it and television covers 78% area of the country. Doordarshan has production studios in 49 cities of the country. Doordarshan telecast many educational, and entertainment programmes. Doordarshan rims many educational programmes with the help of U.G.C. and IGNOU.

Except these, hundreds of private channels broadcast their programmes to entertain the masses. Sony, Zee, Starplus, Max, ESPN, Star Sports, Ten Sports and many news channels telecast their programmes round the clock and are entertaining the people.

So we can say that electronic mass media has been improved to a great deal in the country. Not only Doordarshan but hundreds of private channels are there with which people are being entertained to a great deal.

Question 2.
Explain different agencies of printed mass media.
Answer:
Printed mass media is one of the important means of mass media. Printed mass media is also known as the Press. Different newspapers and magazines come under it. According to the Annual report of Press Registrar of2001, 51960 newspapers and magazines are published in the country. Out of these, 5638 are daily, 348 are published twice or thrice a week, 1858 are weekly, 6881 are bi-monthly, 14634 are monthly, 3634 are quarterly, 469 are annual and 1774 are others which are being published in the country.

Most numbers of newspapers and magazines are published in Hindi. Newspapers are published in all the major Indian languages except Kashmiri. Uttar Pradesh publishes around 8400 newspapers. Uttar Pradesh is also number one from the point of view of daily newspapers. Oldest newspaper is ‘Bombay Samachar’ in the Gujarati language which is being published since 1882.

Many news agencies played an important role in encouraging printed mass media in the countries and these are:
1. Press Trust of India (PTI): It is the largest news agency of India which provides news to different newspapers with the help of Teleprinter. It was established in 1947 but it started to work from February 1949. It provides its services in both Hindi and English. Now it has its own satellite system, with which it provides news to different newspapers.

2. The Registrar of Newspapers in India (RNI): Newspapers are allotted paper to print their news and this allotment is being done through this agency. It was established in 1956. It is necessary for all the newspapers and magazines to register themselves with RNI so that they could be allotted the paper from the government quota. In this way, this agency plays a very important role.

3. United News of India (UNI): United News of India was established in 1961. This agency has its stations all over the world. It has 76 news Bureaus because of which it is one of the largest news agency in Asia. It started its news agency in Hindi in 1981. It also started its Urdu service for Urdu newspapers in 1991 with the help o a Teleprinter.

4. Press Information Bureau (PIB): It is one of the important agencies which provides information on the government’s policies, achievements, programmes, etc. It has 9 centres including the headquarters. Delhi is its main centre and rest of the centres are situated at Mumbai, Chennai, Chandigarh, Lucknow, Kolkata, Guwahati, Bhopal and Hyderabad. Every type of facility of mass media is available in all of these centres.

5. Press Council of India (PCI): Press Council was established for the security of freedom of newspapers, to maintain some quality of news and to bring some improvement in them. It received 1250 complaints in 2000-01 out of which 1175 were solved.

Question 3.
How is our culture affected by means of Mass Media?
Answer:
Indian culture is based upon ancient traditions, customs and some of its other aspects. We can find shadows of ancient culture over our modem culture. But the different means of mass media have brought a revolutionary change in our culture. We can say that today’s culture is influenced by means of mass media. We can see the impact of mass media on different aspects of our culture. Our culture, values, traditions, etc. are changing rapidly. Changes are taking place in both the aspects of our culture i.e., material and non-material culture. Very quick cultural changes are occurring with the help of mass media.

Mass media is one of the features of social change of the modern world. Press collects every type of information and passes it to the general masses. Today, newspapers are a very important part of our life. Newspapers are not only popular in cities but are popular in villages as well. These are printed everywhere in the world. They can also be called as the guard of democracy. People express their opinion with the help of mass media. Newspapers play a very important role in forming public opinion.

Press and television not only raise their voice against corruption but they perform constructive work for the society as well. They perform welfare works at the time of any natural calamity. Mass Media informs the people about the equal status of both males and females. Newspapers and magazines also entertain people. We generally read new stories, jokes, news, etc., in them. We can enjoy serials, films, news, games, etc. on television.

Modern means of mass media gave rise to new cultural challenges. They help in bringing cultural changes. The middle class has emerged in the country due to mass media. Now backward classes are conscious about their rights. Now scheduled castes are raising their voice against the exploitation by higher classes. Means of mass media help in exchange of culture of different groups. We can observe and adopt other culture only because of the means of mass media. So we can say that our culture has been greatly affected by the mass media.

Question 4.
What are the evil consequences of Television in our society?
Answer:
Our life is influenced by means of mass media. Television not only entertains us, but it also influences the thinking and living style of the people. Their ways of living and eating habits are affected by television. This process of influencing is more in cities as compared to villages. In this age of globalisation, the evil consequences of television are emerging in front of us. Television not only changes our culture but it affects our culture as well, television spreads wrong messages of western culture, with which our cultural values are deteriorating day by day. Television exerts a wrong impact on our children although this is one of the important means of mass media.

When television came to India, then it was seen just to spend some time but now children spend a lot of time watching television. They hardly care about their study. Children tend to become violent if they watch any violent scenes on television. Young people start to imitate their ideal heroes and like to five their fives according to their characters of the film. Young people adopt the wrong path of success only because of mass media.

Mass media plays a very important role in the maintenance and continuation of the culture. Culture fives itself only because of cultural continuation. Increasing globalisation has greatly affected cultural globalisation instead of economic and political globalisation. Now people like to adopt the culture of other countries. Indian classical music has lost its importance because of hip-hop and pop songs. People hardly like our traditional dances. Different companies are using obscene scenes of women to sell their products. In this way, television has exerted a wrong impact on our life and culture.

Question 5.
What is meant by Mass Communication? What are its positive and negative impacts on society?
Answer:
Science and technology were developed right from the beginning of the 19th century. From that time onwards, means of mass media also increased. With this, the political and economic position of the Indian Society has also changed. Diversities in the Indian Society has decreased in modern times through means of mass communication and mass media.

Meaning of Mass Media: The word mass in ‘mass media’ is used for any community, group or general people of the country. On the basis of this, we can say that mass communication is different from other types of communication because it is related to the whole population. The meaning of mass communication is to provide information to the public through a number of means. In simple language, the meaning of mass communication is the means of printed and electronic media like newspapers, magazines, radio, Doordarshan, films, etc., with which information is provided to the people.

Indian Society and Mass Media: Mass communication has played many important roles as a means of collecting information in Indian society. These functions of communication have brought many changes in many sectors of society. Functions of communication can be divided into positive and negative classes.

Positive Impacts: Positive impacts of functions of communication are:
1. Entertainment Functions: Entertainment is the most important function of communication. People not only enjoy films but they also get knowledge from information provided by the mass media. Mass communication also helps people in giving information on different subjects like sports, crime, health, etc. Most people entertain themselves by watching television shows, programmes, serials, news, matches, etc.

2. Helpful in the process of Socialisation: Socialisation is a process of learning. Communication, in modem times, also plays a very important role in the socialisation of the children. Family, neighbourhood, peer groups, schools, etc. play their own role in the socialisation of the child. But mass communication also affects the behaviour of the child to a great deal.

3. Helpful in Cultural Continuity: Mass communication is the base of Indian culture. It is that means on the basis of which our culture is living in the modern age. Our traditional cultural elements are losing their importance due to the changed circumstances and due to western culture. These traditional elements are being shown to people through different programmes like many programmes of classical music and religious epics are being telecast through radio and television. Many programmes on the basis of Ramayana, Mahabharta Vishnu Purana are being telecasted. It is a different effort to establish continuity between tradition and modernity. In this way, mass communication helps in cultural continuity.

4. Helpful in providing Information of day to day events: People come to know about the day to day events through means of mass communication. They come to know about local, national and international events. With this, they also come to know about climate, political events, natural calamities corrupt and violent activities. People of cities and metro’s are influenced by events through means of mass media and get information about them.

Negative function or Dysfunction: Mass communication is a mean to provide information to the people. But many scholars have expressed that mass communication has many dysfunctions and they have criticised the means of mass communication.

  1. Mass Communication is a means to provide information to the people but many times, wrong information is being given to the people which are far from reality. It means that means of mass communication portrays the wrong picture of reality which has a negative impact on the people.
  2. People forget about his likings and dislikings in mass communication. He forgets about his personal interests and moves towards cultural unity.
  3. Mass Communication also encourages people to migrate to other areas.
  4. Producing hatred ness among people is also considered as one of the negative impacts of mass communication.
  5. Females are used in a vulgar way by companies to sell their products.

Question 6.
How has mass media helped in cultural change?
Answer:
The modern age is the age of change. Change in any society and country depends upon social development and changes in means of information technology. Development and change in any country depend upon the change in ideas and point of views. Information is considered as necessary for bringing about change in society. According to a survey conducted by U.N.O., 70% population of the world is unable to get complete information, i.e., they are deprived of their right to vote. One ideology is developing in modern times that increases in production require knowledge, technology, intelligence and changes in ideas.

Means of mass communication like newspapers, magazines, etc. have greatly affected our social and cultural sectors. Social, cultural, political and economic consciousness has been aroused in rural areas just because of these means. Newspapers not only provide information to the people but is a very popular means of conveying people’s grievances to the leaders and government. Not only print media but electronic media as well, like radio and television has also influenced the Indian civilisation and culture. Information is provided to both rural and urban areas through television and radio. Farmers in villages can get information about new agriculture technology, new seeds and fertilizers. People listen to information about the forecast and programmes of public welfare. They also watch other programmes on television.

Cinema has greatly influenced Indian Culture. These days, films are made on the issues of social problems. A number of Indian films are based on social problems like caste system, exploitation of lower classes, child marriages, exploitation of women, poverty, illiteracy, unemployment, terrorism, etc. They clearly give the message that these problems should be rooted out of society. In this way, Indian cinema has greatly affected both rural and urban areas.

Yet, mass media is an important means of providing information but people are still unable to take complete advantage out of these. Only a very few educated people take advantage of these means. Most of the newspapers are of national or international level and local people are hardly interested in them. Films shown are from reality. Advertisements attract only higher or upper-middle classes in society.

Cultural values are also influenced by mass media. Mass media has given speed to the process of social change. Now people are receiving information about new subjects and places and that’s why new cultural elements are developing in their cultures. Daily ways of living, behaving, etc. are changing day by day. Now we are adopting western culture only because of the influence of mass media. It gave birth to many cultural challenges. Many people are associating themselves with their old traditions and the problem of imbalance has occurred between the new and old traditions. The association of old and new traditions has been made possible by mass media. So mass media helped a great deal in the cultural change of the country.