Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 3 दो वरदान

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 3 Question Answers Summary दो वरदान

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 3

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राम के विवाह के बाद राजा दशरथ के मन में क्या इच्छा थी?
उत्तर:
राम के विवाह के बाद राजा दशरथ के मन में राम का राज्याभिषेक करने की इच्छा थी।

प्रश्न 2.
राज्याभिषेक की घोषणा के समय भरत और शत्रुघ्न कहाँ थे?
उत्तर:
राज्याभिषेक की घोषणा के समय भरत और शत्रुघ्न अपने नाना कैकेयराज के यहाँ गए थे।

प्रश्न 3.
राम के किन गुणों से सभी प्रभावित थे?
उत्तर:
राम की विद्वता, विनम्रता तथा पराक्रम से सभी प्रभावित थे।

प्रश्न 4.
मंथरा कौन थी?
उत्तर:
मंथरा रानी कैकेयी की मुँहलगी दासी थी।

प्रश्न 5.
कैकेयी ने दशरथ से कितने वर माँगे थे?
उत्तर:
कैकेयी ने दशरथ से दो वर माँगे थे।

प्रश्न 6.
पहला वरदान क्या था?
उत्तर:
भरत के लिए राजगद्दी।

प्रश्न 7.
दूसरा वरदान क्या था?
उत्तर:
दूसरा वरदान था राम को चौदह वर्ष का वनवास।

प्रश्न 8.
राम के राज्याभिषेक का समाचार सुनकर कैकेयी ने क्या किया?
उत्तर:
राम के राज्याभिषेक का समाचार सुनकर कैकेयी ने प्रसन्न होकर अपने गले का हार मंथरा को दे दिया।

प्रश्न 9.
कैकेयी कोप भवन में क्यों चली गई?
उत्तर:
मंथरा के भड़काने पर राम के राज्याभिषेक की बात कैकेयी को षड्यंत्र जैसी लगी। इसलिए वह कोपभवन में चली गई।

प्रश्न 10.
वरदान न देने पर कैकेयी ने क्या धमकी दी?
उत्तर:
उसने धमकी दी कि वह विष पीकर आत्महत्या कर लेगी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा दशरथ राम का राज्याभिषेक क्यों करना चाहते थे?
उत्तर:
राजा दशरथ बूढ़े हो चले थे। उन्होंने राम को साम्राज्य के काम-काज में शामिल करना शुरू कर दिया था। राम इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभा रहे थे। प्रजा भी उन्हें चाहती थी इसलिए राजा दशरथ राम का राज्याभिषेक करना चाहते थे।

प्रश्न 2.
राम के राज्याभिषेक की खबर सुनकर मंथरा क्यों जलभुन गई?
उत्तर:
मंथरा रानी कैकेयी की मुँहलगी दासी थी। कैकेयी का हित उसके लिए सर्वोपरि था। वह रानी से बहुत अधिक प्रेम करती थी। रानी भी उसे बहुत मानती थी। राम का राज्याभिषेक मंथरा को कैकेयी के विरुद्ध एक षड्यंत्र लगा। इस कारण वह राज्याभिषेक की खबर सुनकर जलभुन गई।

प्रश्न 3.
मंथरा ने रानी कैकेयी को क्या बात समझाई ?
उत्तर:
मंथरा ने रानी कैकेयी को यह बात कही कि तुम्हारे सुखों का अंत होने वाला है। महाराज दशरथ ने कल सुबह राम का राज याभिषेक करने का निर्णय लिया है। यदि राम राजा बने तो भरत उनके दास हो जाएंगे और उन्हें स्वयं कौशल्या की दासी बनना पड़ेगा। अतः अच्छा यही है कि वह दशरथ से समय रहते दो वचन माँग लें। वही वचन जिसे देने का संकल्प उन्होंने पहले दिया था। पहले वचन में भरत के लिए राजगद्दी तथा दूसरे वचन में राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगने की सलाह मंथरा ने कैकेयी को दी।

प्रश्न 4.
मंथरा ने रानी कैकेयी को क्या उपाय बताया?
उत्तर:
मंथरा ने रानी कैकेयी से कहा कि वह मैले कपड़े पहनकर कोप भवन में चली जाए। महाराज आएँ तो उनकी ओर मत देखना, बात मत करना। वे तुम्हारा दुख नहीं देख सकेंगे। जब वे मनाने लगें बस उसी समय पिछली बात याद दिलाकर दोनों वचन माँग लेना।

प्रश्न 5.
कैकेयी ने अंतिम हथियार के रूप में राजा दशरथ के ऊपर क्या किया?
उत्तर:
रानी ने राजा दशरथ पर दवाब बनाने के लिए अपना अस्त्र चलाते हुए कहा-“अपने वचन के पीछे हटना रघुकुल की रीति नहीं है। आप चाहें तो ऐसा कर सकते हैं। पर तब आप दुनिया को मुँह दिखाने योग्य नहीं रहेंगे। अगर आप वचन पूरा नहीं करेंगे तो मैं विष पीकर आत्महत्या कर लँगी। यह कलंक आपके माथे रहेगा।”

प्रश्न 6.
कैकेयी द्वारा वरदान माँगे जाने पर दशरथ की क्या दशा हुई?
उत्तर:
कैकेयी द्वारा वरदान माँगे जाने पर महाराज दशरथ हैरान रह गए। उनका चेहरा सफ़ेद पड़ गया। उन पर मानो वज्रपात हो गया। वे कुछ बोल नहीं पाए। वे मूर्छित होकर गिर पड़े। कुछ देर बाद होश में आने पर वे कातरभाव से कैकेयी से बोले-“यह तुम क्या कह रही हो। वे बार-बार कैकेयी की माँग अस्वीकार करते रहे। पर कैकेयी अपनी ज़िद पर अड़ी रही। वे दोबारा बेहोश हो गए और रातभर बेसुध पड़े रहे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा दशरथ ने राम के राज्याभिषेक का निर्णय क्यों लिया?
उत्तर:
राजा दशरथ बूढ़े हो चले थे। उन्होंने मुनि वशिष्ठ से विचार-विमर्श करके दरबार में कहा-मैंने लंबे समय तक राज-काज चलाया। अब मेरे अंग शिथिल हो गए हैं। राम चारों भाइयों में बड़े हैं। जब से वे सीता स्वयंवर के बाद अयोध्या वापस आए थे। राजा दशरथ ने उन्हें राज-काज में शामिल करना शुरू कर दिया था। राम भी यह जिम्मेदारी अच्छी तरह उठा रहे थे। इसके अतिरिक्त विद्वता, विनम्रता और पराक्रम में वे काफ़ी आगे थे। राज्य की प्रजा उन्हें काफ़ी चाहती थी। दशरथ उन्हें प्यार करते थे। दरबार में राम का काफ़ी सम्मान था। यह सब देखकर राजा दशरथ ने उन्हें युवराज बनाने का निर्णय लिया।

प्रश्न 2.
कोप भवन में कैकेयी और राजा दशरथ के बीच क्या वार्तालाप हुआ?
उत्तर:
जब राजा दशरथ कोप भवन में पहुँचे तो वहाँ का दृश्य देखकर हैरान रह गए। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। महाराजा दशरथ ने कैकेयी से पूछा कि “तुम्हें क्या दुख है? तुम अस्वस्थ हो राज्य वैद्य को बुलाया जाए।” पर कोई उत्तर नहीं मिला। कैकेयी रोती रही। दशरथ कैकेयी से बोले कि ‘तुम मेरी सबसे प्रिय रानी हो। मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ।’ किंतु कुछ भी उत्तर न मिला। तब कैकेयी ने कहा कि ‘हाँ, मैं बीमार हूँ। मैं अपनी बीमारी के बारे में आपको बताऊँगी पहले आप मुझे एक वचन दें कि जो माँगू उसे पूरा करेंगे।’ राजा दशरथ ने तुरंत हामी भर दी। उन्होंने राम की सौगंध खाकर वचन पूरा करने को कहा। राजा दशरथ राम की सौगंध ली तो कैकेयी उठकर बैठ गई और बोली “आप मुझे दो वरदान दें जो वर्षों पहले आपने रणभूमि में देने का संकल्प लिया था। मेरा पहला वरदान-भरत को राजगद्दी तथा दूसरा वरदान, राम को चौदह वर्ष का वनवास।” राजा दशरथ यह सुनकर मूर्छित हो गए। होश में आने पर बोले-“यह तुम क्या कह रही हो। मझे विश्वास नहीं होता कि मैंने सही सुना है।” कैकेयी अपनी बात पर अड़ी रही। उसने धमकी दी-“अगर आप वरदान नहीं देंगे तो मैं विष पीकर आत्महत्या कर लूँगी। यह कलंक आपके माथे रहेगा।”

प्रश्न 3.
मंथरा पर कैकेयी की डाँट का असर क्यों नहीं हुआ? उसने कैकेयी से अपनी बात किस तरह मनवा ली?
उत्तर:
मंथरा कैकेयी की दासी थी। उसे कैकेयी से काफ़ी लगाव था। उसके लिए कैकेयी और भरत का हित ही सर्वोपरि था। कैकेयी भी उसे बहुत मानती थी। इसलिए उसे कैकेयी की डाँट का बुरा नहीं लगता था तथा उस पर कोई असर नहीं होता था। उसने अपनी बात मनवाने के लिए कैकेयी को भोली और नादान कहा। उसने कैकेयी से कहा कि तुम्हारे सुखों का अंत होने वाला है। आप कौशल्या के रानी बनते ही तुम दासी बन जाओगी और भरत दास बनकर रह जाएँगे। राम के बाद उसका पुत्र ही अगला राजा होगा। राम का राज्याभिषेक होते ही वे भरत को राज्य से बाहर निकाल देंगे। उसकी ऐसी बातें कैकेयी पर असर कर जाती हैं और वह राजा से अपनी बात मनवा ही लेती है।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या आप कभी ऐसी यात्रा पर गए हो जिसमें आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ा हो? अपना अनुभव लिखो।
उत्तर:
हाँ, एक बार हमें भी ऐसी कष्टपूर्ण यात्रा करनी पड़ी। उस दिन दिल्ली बंद थी। स्कूटर-टैक्सियों की हड़ताल थी। मुझे स्टेशन जाना था। अतः मैं घर से पैदल ही चल पड़ा। मुझे स्टेशन तक पहुँचने में तीन घंटे लगे। मेरे पैर सूज गए। मैं थककर चूर हो गया था।

प्रश्न 2.
राम सीता का चित्र बनाकर उसमें रंग भरिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
मान लो कि आपके विद्यालय में राम कथा को नाटक के रूप में खेलने की तैयारी चल रही है। आप इस नाटक में कौन से पात्र की भूमिका अदा करोगे और क्यों?
उत्तर:
मैं नाटक में राम के पात्र की भूमिका अदा करना चाहूँगा। राम एक आदर्श पुरुष थे। उनमें विद्वता, विनम्रता तथा पराक्रम काफ़ी थे। उनके इन गुणों का अनुसरण सभी करना चाहते हैं। अयोध्या की आम जनता भी राम से काफ़ी खुश रहती थी। इसलिए मैं राम के पात्र की भूमिका अदा करना चाहूँगा।

अभ्यास प्रश्न

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. राम के राज्याभिषेक के समय भरत और शत्रुघ्न कहाँ थे?
2. रानी कैकेयी के दो वरदान क्या थे?
3. मंथरा को क्या देखकर अचंभा हुआ?
4. राजा दशरथ की क्या इच्छा थी?
5. मंथरा ने रानी कैकेयी को क्या सलाह दी?
6. मंथरा की विद्रोह भरी बातों से कैकेयी पर क्या असर हुआ?
7. राजा दशरथ राम को ही युवराज क्यों बनाना चाहते थे?
8. उस घटना का वर्णन कीजिए जिससे दशरथ पर वज्रपात-सा हो गया?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. राजा दशरथ ने राम के राज्याभिषेक का निर्णय क्यों और किस प्रकार लिया?
2. कैकेयी द्वारा वरदान माँगे जाने पर महाराज दशरथ की क्या दशा हुई?
3. कोप भवन में रानी कैकेयी और राजा दशरथ के बीच क्या वार्तालाप हुआ?
4. कैकेयी ने ऐसा क्या सुना कि उसने अपने गले का हार मंथरा को दे दिया?

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 3 Summary

राजा दशरथ बूढे हो चले थे। उनके दिल में राम के राज्याभिषेक की इच्छा बची हई थी। दशरथ के लिए राम प्राणों से भी प्यारे थे। राम की विद्वता, विनम्रता और पराक्रम से सभी प्रभावित थे। सारी प्रजा राम को चाहती थी। राजा दशरथ ने मुनि वशिष्ठ से विचार-विमर्श किया और राज-काज राम को सौंपने का निश्चय हुआ। उसके बाद दरबार में राम को राजा बनाने की घोषणा की गई। समस्त सभा ने राजा दशरथ के प्रस्ताव का स्वागत किया। चारों ओर राम की जय-जयकार होने लगी। राजा जनक ने कहा- “शुभ काम में देरी नहीं होनी चाहिए। मेरी इच्छा है कि राम के राज्याभिषेक की तैयारियाँ कल सुबह कर दी जाएँ।” राजा दशरथ को यह जानकर काफ़ी संतोष हुआ कि प्रजा राम को राजा बनाये जाने से काफी खुश है। यह खबर पूरे नगर में फैल गई और राम के राज याभिषेक की तैयारियाँ होने लगीं।

उस समय भरत और शत्रुघ्न अयोध्या में नहीं थे। वे अपने ननिहाल केकयराज के यहाँ गए हए थे। भरत को अयोध्या की घटनाओं की सूचना नहीं थी। उन्हें राज्याभिषेक की भी सूचना नहीं थी। राजा दशरथ ने इस संबंध में राम से चर्चा की। उन्होंने कहा कि”भरत यहाँ नहीं हैं पर मैं चाहता हूँ कि राज्याभिषेक का कार्यक्रम न रोका जाए। प्रजा ने तुम्हें अपना राजा चुना है। तुम राजधर्म का पालन करना।”

राम के राज्याभिषेक की तैयारियाँ कैकेयी की दासी मंथरा भी देख रही थी। मंथरा कैकेयी की मुँहलगी दासी थी। कैकेयी का हित उसके लिए सर्वोपरि था। यह सब देखकर वह जलभुन गई। उसने राजमहल में जाकर कैकेयी को भड़काया कि तेरे ऊपर भयानक विपदा आने वाली है। यह सोने का समय नहीं है। महाराज दशरथ ने राम का राज्याभिषेक करने का निर्णय लिया है। अब राम युवराज होंगे। यह एक षड्यंत्र है। भरत को जान-बूझकर ननिहाल भेज दिया गया है। समारोह के लिए बुलाया तक नहीं है। कैकेयी ने पहले मंथरा को इस प्रकार के विचारों के लिए डाँटा-फटकारा। जब उसने और भड़काया तो कैकेयी पर मंथरा की बातों का असर होने लगा। उसका सिर चकरा गया। आँखों में आँसू आ गए। उसे प्रसन्नता की जगह क्रोध आने लगा। वह घबड़ाकर मंथरा से बोली तम्हीं बताओ कि मैं क्या करूँ। ‘कैकेयी ने इससे बचाव का उपाय पूछा तो मंथरा ने रानी को याद दिलाया-महाराज दशरथ ने तुम्हें दो वरदान दिए थे। उसने बताया कि ‘एक वरदान के लिए भरत को राज गद्दी तथा दूसरे वरदान के लिए राम को चौदह वर्ष का वनवास माँग लो।’ अब कैकेयी को मंथरा की बात अच्छी लगने लगी। कैकेयी इसके लिए तैयार हो गई। कैकेयी कोप भवन में चली गई। राजा दशरथ वहाँ पहुँचे। वहाँ का दृश्य देखकर वे हैरान रह गए। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। महाराज दशरथ ने कैकेयी से पूछा कि “तुम्हें क्या दुख है। तुम अस्वस्थ हो राज वैद्य को बुलाया जाए।” पर कोई उत्तर नहीं मिला। कैकेयी रोती रही। दशरथ कैकेयी से बोले कि “तुम मेरी सबसे प्रिय रानी हो। मैं तम्हें प्रसन्न देखना चाहता हूँ।” किंतु कुछ भी उत्तर न मिला। अब राजा दशरथ भूमि पर बैठ गए। विनती करते रहे। कैकेयी ने कहा कि ‘हाँ, मैं बीमार हूँ। मैं अपनी बीमारी के बारे में आपको बताऊँ गी लेकिन पहले आप मुझे एक वचन दें कि जो माँगू उसे पूरा करेंगे।’ राजा दशरथ ने राम की सौगंध खाकर वरदान देने का संकल्प दोहराया। कैकेयी ने मौका देखकर कह दिया कि कल सुबह राम के स्थान पर भरत का राज्याभिषेक होना चाहिए और राम को चौदह वर्ष का वनवास हो। यह सुनकर राजा दशरथ का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। वे अवाक रह गए उनका सिर चकराने लगा और मूर्छित होकर गिर पड़े। कुछ देर में राजा को होश आया। वे बड़े कातर भाव से कैकेयी से बोले-‘यह तुम क्यों कह रही हो। मुझे विश्वास नहीं होता कि मैंने सही सुना है।’ कैकेयी अपनी जिद पर अड़ी रही। कैकेयी ने स्मरण दिलाया कि अपने वचन से पीछे हटना रघुकुल का अनादर है। अगर आप वरदान नहीं देंगे तो मैं विष खाकर आत्महत्या कर लूंगी। यह कलंक आपके माथे होगा।’ राजा दशरथ यह सुन नहीं सके । वे बेहोश होकर गिर पड़े। बीच-बीच में होश आता रहा। वे रात भर कैकेयी के सामने गिड़गिड़ाते रहे, डराते रहे, धमकाते रहे पर कैकेयी टस-से-मस नहीं हुई। सारी रात इसी प्रकार बीत गई।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 14
विचार-विमर्श – सलाह करना। राज्याभिषेक – राज गद्दी पर बैठना। पराक्रम – ताकत। शिथिल – कमज़ोर। तुमुलध्वनि – ज़ोर की आवाज़। पलक झपकते – बहुत जल्दी। निर्णय – फैसला।

पृष्ठ संख्या 15
रौनक – शोभा। अचंभा – हैरानी। सर्वोपरि – सबसे ऊपर। मुँहलगी – बहुत प्रिय। विपत्ति – दुख। अमंगल – अशुभ, अनिष्ट।

पृष्ठ संख्या 16
उग्र – तेज। अगाध – बहुत। सर्वदा – हमेशा। ज्येष्ठ पुत्र – बड़ा बेटा। फटकार – डाँट-डपट । नादान – मासूम। आसन्न – निकट, समीप। संकट – विपत्ति, विपदा। तरस आना – दया आना। दासी – नौकरानी। अनर्थ – बिना अर्थ के। तिरस्कार – उपेक्षा। भाँपना – अनुमान लगाना। कोपभवन –जहाँ क्रोध में रहा जाता है।

पृष्ठ संख्या 17
तुरंत – फौरन। कक्ष – कमरा। प्रयास – कोशिश। बज्रपात – भारी संकट। सौगंध – कसम। भूमि – जमीन। विनती – प्रार्थना। संकल्प – पक्का इरादा। दृश्य – नजारा।

पृष्ठ संख्या 19
अवाक – चुप, स्तब्ध। कातर भाव – व्याकुल नगरों से। अस्वीकार – इनकार। अनादर – तिरस्कार। विष – ज़हर। आत्महत्या – जान देना। कलंक – बदनामी। दोबारा – दूसरी बार।