अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 9

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Class 7 Sanskrit Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Summary Notes

अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ के माध्यम से बाल मजदूरी के विरोध में जन जागरूकता उत्पन्न करने का प्रयास किया गया है। साथ-साथ इसे गैर कानूनी बताते हुए शिक्षा के अधिकार से विद्यार्थियों को अवगत कराया गया है।

अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Summary

प्रस्तुत नाटक के माध्यम से बालशोषण का विरोध दर्शाकर उनके शिक्षा के मौलिक अधिकार का ज्ञान कराया गया है। एक अल्पवयस्का बालिका से गृहकार्य करवाना अनुचित है। अतः मालिनी दर्शना को कहती है कि यह समय तो उसकी अल्पवयस्का पुत्री के पढ़ने और खेलने का है तो दर्शना कहती है कि उसकी पुत्री एक परिवार का समस्त गृहकार्य करती थी। धनाभाव के कारण उन्हें यह सब करना पड़ता हैं क्योंकि उसका बीमार पति कुछ भी काम नहीं करता।
अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 9.1

तो मालिनी दर्शना को समझाती है कि शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार है। बच्चों की शिक्षा के लिए सरकारी विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क परिधान, पुस्तकें, स्कूलबैग, जूते, दोपहर का भोजन और छात्रवृत्ति आदि दी जाती है। यह सुनकर दर्शना की पुत्री खुशी से ताली बजाकर नाचती है और कहती है कि मैं भी विद्यालय जाऊँगी और मालिनी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती है।
अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 9.2

अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Word Meanings Translation in Hindi

(क) मालिनि – (प्रतिवेशिनी प्रति) गिरिजे! मम पुत्रः मातुलगृहं प्रति प्रस्थितः काचिद्
अन्यां कामपि महिला कार्यार्थं जानासि तर्हि प्रेषय।
गिरिजा – आम् सखि! अद्य प्रातः एव मम सहायिका स्वसुतायाः कृते कर्मार्थं पृच्छति स्म।
श्वः प्रातः एव तया सह वार्ता करिष्यामि।
(अग्रिमदिने प्रातः काले षट्वादने एव मालिन्याः गृहघण्टिका आगन्तारं कमपि सूययति मालिनी
द्वारमुदघाटयति पश्यति यत् गिरिजायाः सेविकया दर्शनया सह एका अष्टवर्षदेशीय, बालिका तिष्ठति)

सरलार्थः
मालिनी – (पड़ोसिनी से) हे गिरिजा! मेरा पुत्र मामा के घर गया है, किसी दूसरी महिला (औरत)
को काम के लिए जानती हो तो भेजो।।
गिरिजा – हाँ सखी! आज सुबह ही मेरी नौकरानी (सहायिका) अपनी बेटी के लिए काम हेतु पूछ
रही थी। कल सुबह ही उसके साथ बात करूँगी। (अगले दिन सुबह छह बजे ही मालिनी के घर की घंटी किसी आने वाले की सूचना देती है, मालिनी दरवाजा खोलती है कि गिरिजा की नौकरानी दर्शना के साथ एक आठ वर्ष की, लड़की खड़ी है)

English Translation :
Malini – (To her neighbour) Hey, Girijja! My son has gone to the house of maternal uncle. If you know the other woman for domestic work, send her.

Girijja – Yes, friend. Today in the morning my maid was asking for work for her daughter. I shall talk to her tomorrow in the morning only. (Next day at 6 : 00 AM only, the bell filled at the house of Malini rings to inform the arrival of someone. Malini opens the door and finds that a girl of eight years is standing with Darshana who is the maid of Girijja)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रतिवोशिनीम्-पड़ोसिनी (neighbour)। मातुलगृहम्-मामा के घर (house of maternal uncle)। प्रति-की ओर (towards)। प्रस्थितः-चला गया है (went away)। काचिद्-कोई (any)। अन्याम्-दूसरी (another)। कार्यार्थम्-काम के लिए (for work)। तर्हि-तो (then)। प्रेषय-भेजो (send)। कमपि-किसी को भी (anyone)। सूचयति-सूचना देती है (informs)| द्वारम् उद्घाटयति-दरवाज़ा खोलती है (opens the door)। प्रातः-सुबह (morning)। सहायिका-नौकरानी (maid)। स्वसुतायाः कृते-अपनी बेटी के लिए (for one’s daughter)। कर्मार्थम्-काम के लिए (for work)। पृच्छति स्म-पूछ रही थी (was asking)। श्व:-कल (आने वाला) (tomarrow)। तया सह-उसके साथ (with him/her)। अग्रिमदिने-अगले दिन (next day)। षट्वादने-छह बजे (at 6 o’ clock)। गृहघण्टिका-घट की घंटी (bell of the house)। आगन्तारम्-आने वाले को (visitor)। अष्टवर्षदेशीया-आठ वर्ष वाली (eight years of age)।

सन्धिविच्छेदः
कमपि – काम् + अपि, कार्यार्थम् – कार्य + अर्थम्
कर्मार्थम् – कर्म + अर्थम्, द्वारमुद्घाटयति – द्वारम् + उद्घाटयति।

(ख) दर्शना – महोदये! भवती कार्यार्थं गिरिजामहोदयां पृच्छति स्म कृपया मम सुतायै अवसरं प्रदाय अनुगृह्णातु भवती।
मालिनी – परमेषा तु अल्पवयस्का प्रतीयते। किं कार्यं करिष्यत्येषा? अयं तु अस्याः अध्ययनस्य क्रीडनस्य च कालः।
दर्शना – एषा एकस्य गृहस्य संपूर्ण कार्यं करोति स्म। सः परिवारः अधुना विदेशं प्रति प्रस्थितः।
कार्याभावे अहमेतस्यै कार्यमेवान्वेषयामि स्म येन भवत्सदृशानां कार्य प्रचलेत् अस्मद्सदृशाना गृहसञ्चालनाय च धनस्य व्यवस्था भवेत्।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
भवती-आप (you)। कार्यार्थम्-काम के लिए (for work)। पृच्छति स्म-पूछ रही थीं (was asking)। कृपया-कृपा करके (kindly)। मम-मेरी (my)। सुतायै-बेटी के लिए (को) (for daughter)। अवसरम्-मौका (opportunity)। प्रदाय-देकर (by giving)| अनुगृह्णातु-कृपा करें (kindly)| अल्पवयस्का -कम उम्र वाली (minor)। प्रतीयते-दिख रही है (appears)। एषा-यह (this)। अध्ययनस्य-पढ़ाई का (of study)। काल:-समय (period)। एकस्य-एक (का) (one)। सम्पूर्णम्-सारा (whole)। करोति स्म-करती थी (used to do)। अधुना-इस समय (अब) (at this time)। प्रस्थित:-चला गया है (went away)। कार्याभावे-काम के न होने पर (on joblessness)। एतस्यै-इसके लिए (for this)। अन्वेषयामि स्म-ढूँढ रही थी (was searching)। येन-जिससे (so that)। भवत्सदृशानाम्-आप जैसों का (के) (people like you)। प्रचलेत्-चले (let us go)। अस्मद्सदृशाना-हमारे जैसों का (के) (people like us)। गृहसञ्चालनाय-घर को चलाने के लिए (to run our family)। व्यवस्था-व्यवस्था (इन्तज़ाम) (arrangement)। भवेत्-हो जाए। (may be managed)।

सरलार्थः
दर्शना – महोदया (मैडम)! आप काम के लिए गिरिजा जी (देवी) से पूछ रही थीं कृपया मेरी बेटी को मौका देकर आप उपकार करें।

मालिनी – परंतु यह तो कम उम्र की दिखाई देती है। क्या काम करेगी यह? यह तो इसके पढ़ने और खेलने का समय है।
दर्शना – यह एक घर का सारा काम करती थी। वह परिवार इस समय विदेश चला गया है। काम की कमी के कारण मैं इसके लिए काम ढूँढ रही थी जिससे आप जैसों का काम चले और हमारे जैसों के घर को चलाने के लिए धन की व्यवस्था हो जाए।

English Translation:
Darshana – (Madam)! you are asking Girijja Jee (Devi) for work. Kindly, give the opportunity to my daughter and oblige. Malini – But she appears to be a minor. What work can she do? This is the time for her study and play.
Darshana – She could complete the whole work of a house. At present that family has gone to some foreign country. On account of the scarcity of jobs. I was searching jobs for her, that may serve your purpose, and for people like us, money may be arranged to run our family.

सन्धिविच्छेदः-
करिष्यत्येषा – करिष्यति + एषा, कार्याभावे – कार्य + अभावे
अहमेतस्यै – अहम् + एतस्यै, कार्यमेवान्वेषयामि – कार्यम् + एव +
अन्वेषयामि, अस्मद्सदृशानाम् – अस्मत् + सदृशानाम्

(ग) मालिनी – परमेतत्तु सर्वथाऽनुचितम्। किं न जानासि यत् शिक्षा तु सर्वेषां बालकानां सर्वासां बालिकानां च मौलिकः अधिकारः।
दर्शना – महोदये! अस्मद् सदृशानां तु मौलिकाः अधिकाराः केवलं स्वोदरपूत्तिरेवास्ति। एतस्य व्यवस्थायै एव अहं सर्वस्मिन् दिने पञ्च-षड्गृहाणां कार्यं करोमि। मम रुग्णः पतिः तु किञ्चिदपि कार्यं न करोति। अतः अहं मम पुत्री च मिलित्वा परिवारस्य भरण-पोषणं कुर्वः। अस्मिन् महार्घताकाले मूलभूतावश्यकतानां कृते एव धनं पर्याप्तं न भवति तर्हि कथं विद्यालयशुल्कं, गणवेषं पुस्तकान्यादीनि क्रेतुं धनामानेष्यामि।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
परम्-परन्तु (but)। सर्वथा-पूरी तरह से (completely)। अनुचितम्-ठीक नहीं है (not proper)। मौलिकः-जन्मजात (मूलभूत) (natural)| अधि कार:-अधिकार (right)। अस्मद् सदृशानाम्-हमारे जैसों का (people like us)। स्वोदरपूर्तिः-अपना पेट भरना (to fill our stomac)। व्यवस्थायै-व्यवस्था के लिए (for arranging)। सर्वस्मिन्-सारा (whole)। दिने-दिन में (day)। पञ्च-षड्गृताणाम्-पाँच-छह घरों का (of five to six houses)। रुग्णः-बीमार (ill)। किञ्चित्-अपि-कुछ भी (nothing)। मिलित्वा-मिलकर के (मिल् + क्त्वा) (together with)। अस्मिन्-इस (this)। महार्घतावाले-मँहगाई के समय में (time of dearness)। मूलभूत-आवश्यकतानाम् कृते-मूलभूत (ज़रूरी) ज़रूरतों के लिए (for basic needs)। पर्याप्तम्-काफ़ी (sufficient)। तर्हि-तो (then)। विद्यालयशुल्कम्-स्कूल की फ़ीस (school fees)। गणवेषम्-युनिफ़ार्म (uniform)। आदीनि-आदि को (etc)। क्रेतुम्-खरीदने के लिए (क्री+तुमुन्) (for purchasing)। आनेष्यामि-लाऊँगी, (shall bring)। कथम्-कैसे (how)।

सरलार्थः
मालिनी – परन्तु यह तो पूरी तरह से अनुचित (ठीक नहीं) है। क्या तुम नहीं जानती हो कि शिक्षा तो सभी लड़कों और सभी लड़कियों का मूलभूत (स्वाभाविक) अधिकार है।
दर्शना – देवी (मैडम)! हमारे जैसों का तो मूलभूत अधिकार केवल अपना पेट भरना ही है। इसकी व्यवस्था के लिए ही मैं सब दिन (पूरे दिन) में पाँच-छह घरों का काम करती हूँ। मेरे बीमार पति तो कुछ भी काम नहीं करते हैं। इसलिए मैं और मेरी बेटी मिलकर परिवार का भरण-पोषण (का काम) करते हैं। इस मँहगाई के समय में मूलभूत जरूरतों के लिए ही धन काफी नहीं होता है तो कैसे विद्यालय की फ़ीस, वेशभूषा (Uniform), पुस्तकें आदि को खरीदने के लिए धन लाएँगे।

English Translation:
Malini – But it is absolutely unfair (unreasonable). Do you have knowledge that education is the fundamental (natural) right of all boys and girls.
Darshana – Devi (Madam)! For people like us our fundamental is stomach only. For this helplessness only, I work for five to six houses the whale day. My ill husband does not do any work. Therefore my daughter and I maintain our family. In the age of this dearness, if money is not sufficient for basic needs, from where shall I get money for school fees, buying uniforms, books, etc?

सन्धिविच्छेदः –
सर्वथाऽनुचितम् – सर्वथा + अनुचितम्
स्वोदरपूर्तिरेवास्ति – स्व + उदरपूर्तिः + एव + अस्ति
षड्गृहाणाम् – षट् + गृहाणाम्
किञ्चिदपि – किम् + चित् + अपि
मूलभूतावश्यकतानाम् – मूलभूत + आवश्यकतानाम्
पुस्तकान्यादीनि – पुस्तकानि + आदीनि
धनमानेष्यामि – धनम् + आनेष्यामि।

(घ) मालिनी – अहो! अज्ञानं भवत्याः। किं न जानासि यत् नवोत्तर-द्वि-सहस्र (2009) तमे वर्षे सर्वकारेण सर्वेषां बालकानां, सर्वासां बालानां कृते शिक्षायाः मौलिकाधिकारस्य घोषणा कृता। यदनुसारं षड्वर्षेभ्यः आरभ्य चतुदर्शवर्षपर्यन्तं सर्वे बालाः समीपस्थं सर्वकारीयं विद्यालयं प्राप्य न केवलं नि:शुल्कं शिक्षामेव प्राप्स्यन्ति अपितु निःशुल्कं गणवेषं पुस्तकानि, पुस्तकस्यूतम्, पादत्राणाम्, माध्याह्नभोजनम्, छात्रवृत्तिम् इत्यादिकं सर्वमेव प्राप्स्यन्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अहो-अरे (hei!)। अज्ञानम्-अज्ञानता (foolishness)। भवत्याः -आपकी (your)। सर्वकारेण-सरकार के द्वारा (by government)। वर्षे-साल में (during years)। बालानां कृते-बच्चों के लिए (for children)। शिक्षायाः-शिक्षा के (for education)। मौलिकाधिकारस्य-मूल अधिकार की (of fundamental right)। यदनुसार-जिसके आधार पर (on which ground)। षड्वर्षेभ्यः-छह वर्षों से (from six years)। आरभ्य-शुरू होकर (beginning from)। चतुर्दशवर्षपर्चन्तम्-चौदह वर्षों तक के (till fourteen years)। समीपस्थम्-पास में स्थित (in the locality)। सर्वकारीयम्-सरकारी (government)। प्राप्य-पहुँचकर (जाकर) (on reaching)। निशुल्कम्-बिना फीस के (without fees)। प्राप्स्यन्ति-प्राप्त करेंगे (will get)। अपितु-बल्कि (but)। गणवेषम्-वर्दी (uniforms)। पुस्तकस्यूतम्-बस्ते को (for bags)। पादत्राणम्-जूते को (for shoes)। छात्रवृत्तिम्-वजीफे को (scholorship)। मध्याह्न भोजनम्-दोपहर के भोजन को (mid-day meal)। इत्यादिकम्-आदि
को (etc)। प्राप्स्यन्ति-पाएँगे (will get)।

सन्धिविच्छेदः –
नवोत्तर – नव + उत्तर
मौलिकाधिकारस्य – मौलिक + अधिकारस्य
यदनुसारम् – यत् + अनुसारम्
षडवर्षेभ्यः – षट् + वर्षेभ्यः
इत्यादिकम् – इति + अदिकम्

सरलार्थः
मालिनी अरे यह आपकी मूर्खता (नासमझी) है। क्या नहीं जानती हो कि सन् 2001 ई० वर्ष में सरकार ने सब बच्चों, सभी बच्चियों के लिए शिक्षा के मौलिक (स्वाभाविक) अधिकार की घोषणा की है। जिसके अनुसार छह वर्षों से लेकर चौदह वर्ष तक के सारे बच्चे पास के (पास स्थित) सरकारी स्कूल में जाकर न सिर्फ निशुल्क (without fee) पढ़ाई ही करेंगे बल्कि बिना फीस वर्दी (Uniform), पुस्तकें, बस्ते (Bags), जूते, दोपहर का भोजन और वज़ीफा (Scholar ship) आदि सभी कुछ पाएँगे।

English Translation :
Malini- Hei! it is you foolishness. Do you know that in 2001 the government declared education as fundamental right for all boys and girls. Accordingly, all the children above six to fourteen years of age will not only study free of cost in government school in their surrounding, but also get free uniforms, books, bags, shoes, mid-day meal and scholarship.

(ङ) दर्शना – अप्येवम् (आश्चर्येण मालिनी पश्यति)
मालिनी – आम्। वस्तुतः एवमेव।
दर्शना – (कृतार्थतां प्रकटयन्ती) अनुगृहीताऽस्मि महोदये! एतद् बोधनाय। अहम् अद्यैवास्याः
प्रवेशं समीपस्थे विद्यालये कारयिष्यामि। दर्शनायाःपुत्री- (उल्लासेन सह) अहं विद्यालयं गमिष्यामि! अहमपि पठिष्यामि! (इत्युक्त्वा
करतलवादनसहितं नृत्यति मालिनी प्रति च कृतज्ञतां ज्ञापयति)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अप्येवम्-ऐसा भी है (it is so)। आश्चर्येण-आश्चर्य से (with surprise)। वस्तुतः-वास्तव में (really)। एवमेव-यही है (it is this)। कृतार्थताम्-आभार को (of obligation)। प्रकटयन्ती-प्रकट करती हुई (showing)। अनुगृहीता-आभारी (obliged)। बोधनाय-बताने के लिए (for explanation)। प्रवेशम्-प्रवेश को (for admission)। अद्य एव-आज ही (today only)। अस्याः -इसका (its/(her)। समीपस्थे-पास में स्थित (in the locality)। कारयिष्यामि-कराऊँगी (shall get)। उल्लासेन-खुशी से (के) (with joy)। सह-साथ (together with)। पठिष्यामि-पलूंगी (shall read)। इति-इस प्रकार (therefore)। उक्त्वा -कहकर (by saying)। करतलवादनसहितम्-तालियाँ बजाने के साथ (with clapping hands)। कृतज्ञताम्-आभार को (for gratefulness)। ज्ञापयति-प्रकट करती है (expresses)।

सन्धिविच्छेदः
अप्येवम् – अपि + एवम्
अनुगृहीताऽस्मि – अनुगृहीता + अस्मि
अद्यैवास्याः – अद्य + एव + अस्याः
इत्युक्त्वा – इति + उक्त्वा
मालिनीप्रति – मालिनीम् + प्रति
अहं विद्यालयं गमिष्यामि – अहम् + विद्यालयम् + गमिष्यामि

सरलार्थः
दर्शना – ऐसा भी है (आश्चर्य से मालिनी को देखती है)
मालिनी – हाँ! वास्तव में यही है।
दर्शना – (कृतार्थता) (धन्यवाद) को प्रकट करती हुई) मैडम! मैं आभारी हूँ। यह बताने के लिए। मैं आज ही इसका प्रवेश पास (निकट) स्थित विद्यालय में कराऊँगी।
दर्शना की बेटी – (खुशी के साथ) मैं विद्यालय जाऊँगी। मैं भी पढंगी! (ऐसा कहकर ताली बजाकर नाचती है और मालिनी के लिए आभार व्यक्त करती है)

English Translation :
Darshna – It is so! (looking at Malini with surprise)
Malini – Yes! In reality, it is so.
Darshna – (Expressing gratefulness and thanks) Madam! I am obliged for telling this fact. Today I shall get her admitted to the school in the locality.
Darshna’s daughter – (Happily) I shall go to school. I shall also study (by telling this, she dances with clapping hands and expresses gratefulness to Malini)

 

त्रिवर्णः ध्वजः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 8

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Class 7 Sanskrit Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः Summary Notes

त्रिवर्णः ध्वजः पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में हमारे देश के राष्ट्रीय प्रतीक तिरंगे झंडे के विषय में बताया गया है। भारत के तिरंगे झंडे का क्या महत्त्व है ? तीन रंग कौन-कौन से हैं ? केसरी, सफेद और हरा रंग किसके सूचक हैं ? पाठ से षष्ठी व सप्तमी विभक्ति के प्रयोग का ज्ञान प्राप्त होता है।

त्रिवर्णः ध्वजः Summary

आज स्वतंत्रता दिवस है। विद्यालय के प्राचार्य ध्वजारोहण करेंगे। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। विद्यार्थियों में मिठाई बाँटी जाएगी। . हमारे देश का झण्डा तिरंगा है। इसमें तीन रंग हैं। यथा-केसरिया, श्वेत तथा हरा। सबसे ऊपर केसरिया रंग है। यह शौर्य का सूचक है। बीच में सफेद रंग सत्य का तथा नीचे हरा रंग समृद्धि का सूचक है। इन रंगों का अन्य महत्त्व भी है। केसरिया रंग त्याग और उत्साह का सूचक है। श्वेत रंग सात्त्विकता और पवित्रता का सूचक है।

त्रिवर्णः ध्वजः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 8.1

हरा रंग पृथ्वी की शोभा और उर्वरता का सूचक है। . झण्डे के बीच में नीले रंग का पहिया है। इसे अशोक चक्र कहते हैं। यह न्याय और प्रगति का प्रवर्तक है। सारनाथ में अशोक स्तम्भ है। उससे ही इसका ग्रहण किया गया है।

इस पहिए में 24 अरे हैं। भारत की संविधान सभा में 22 जुलाई, 1947 को इस झण्डे को स्वीकार किया गया था। यह झण्डा राष्ट्र गौरव का प्रतीक है। इसलिए स्वतन्त्रता दिवस और गणतन्त्र दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण किया जाता है।

त्रिवर्णः ध्वजः Word Meanings Translation in Hindi

(क) (केचन बालकाः काश्चन बालिकाश्च स्वतन्त्रता-दिवसस्य ध्वजारोहणसमारोहे
सोत्साहं गच्छन्तः परस्परं संलपन्ति।)
देवेश:- अद्य स्वतन्त्रता-दिवसः। अस्माकं विद्यालयस्य
प्राचार्यः ध्वजारोहणं करिष्यति। छात्राश्च सांस्कृतिककार्यक्रमान् प्रस्तोष्यन्ति। अन्ते च मोदकानि मिलिष्यन्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
त्रिवर्णः ध्वजः-तिरंगा (तीन रंगों वाला) झंडा (tricolour flag), ध्वजारोहणसमारोहे-झण्डा फहराने के समारोह में (in flag-hoisting ceremony), गच्छन्तः-जाते हुए (while going), प्रस्तोष्यन्ति-प्रस्तुत करेंगे (will present), संलपन्ति-वार्तालाप करते हैं (are conversing), मोदकानि (ब०व०)-लड्डू (laddu/sweetmeats).

सरलार्थ :
(कुछ बालक और कुछ बालिकाएँ स्वतन्त्रता दिवस के ध्वजारोहण समारोह में उत्साहपूर्वक जाते हुए आपस में वार्तालाप कर रहे हैं।) देवेश-आज स्वतन्त्रता दिवस है। हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य ध्वजारोहण करेंगे (झंडा फहराएँगे) और विद्यार्थी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करेंगे और अन्त में लड्डू मिलेंगे।

English Translation :
(Some boys and some girls are eagerly conversing among themselves while going to the flag-hoisting ceremony.) Devesh-Today is the Independence Day. The Principal of our school will hoist the flag. And students will present the cultural programmes. And in the end we shall get Laddus.

(ख) डेविड:- शुचे! जानासि त्वम्? अस्माकं ध्वजः कीदृशः?
शुचिः- अस्माकं देशस्य ध्वजः त्रिवर्णः इति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
जानासि-जानते हो (knows), कीदृशः-कैसा (How, like), त्रिवर्ण:-तिरंगा (tricolour).

सरलार्थ :
डेविड-शुचि! क्या तुम जानती हो? हमारा झण्डा कैसा है? शुचि-हमारे देश का झंडा तिरंगा है।

English Translation :
David-Shuchi! do you know? What is our flag like? Shuchi-Oh! The flag of our country is tricolour.

(ग) सलीमः-रुचे! अयं त्रिवर्णः कथम्?
रुचिः- अस्मिन् ध्वजे त्रयः वर्णाः सन्ति, अतः त्रिवर्णः। किं त्वम् एतेषां वर्णानां नामानि जानासि?
सलीमः- अरे! केशरवर्णः, श्वेतः, हरितः च एते त्रयः वर्णाः।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वर्णाः (ब०व०)-रंग (colours), वर्णानां-रंगों का (of colours), केशरवर्ण:-केसरी रंग (saffron colour), श्वेतः-सफेद (white), हरितः-हरा (green).

सरलार्थ :
सलीम – रुचि! यह तिरंगा क्यों है? रुचि- इस झंडे में तीन रंग हैं, इसलिए यह तिरंगा है। क्या तुम इन रंगों के नाम जानते हो? सलीम – अरे ! केसरी रंग, सफेद और हरा ये तीन रंग हैं ?

English Translation :
Salim- Ruchi! why is it tricolour? Ruchi- This flag has three colours, therefore it is tricolour. Do you know the names of these colours? Salim- Oh! Saffron colour, white and green, These are the three colours.

(घ) देवेशः- अस्माकं ध्वजे एते त्रयः वर्णाः किं सूचयन्ति?
सलीमः- शृणु, केशरवर्णः शौर्यस्य, श्वेतः सत्यस्य, हरितश्च समृद्धेः सूचकाः सन्ति।
शुचिः- किम् एतेषां वर्णानाम् अन्यदपि महत्त्वम्?

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
शृणु-सुनो (listen), हरितश्च (हरितः + च)-और हरा (and green), समृद्धेः-समृद्धि का (of prosperity), अन्यदपि (अन्यत् + अपि)-और भी (any other).

सरलार्थ :
देवेश- हमारे ध्वज में ये तीन रंग क्या सूचित करते हैं?
सलीम- सुनो, केसरी रंग वीरता का, सफ़ेद सत्य का और हरा समृद्धि का सूचक है।
शुचि- क्या इन रंगों का कोई और भी महत्त्व है?

English Translation :
Devesh- What do the three colours in our flag signify?
Salim- Listen, Saffron colour indicates bravery, White (indicates) truth and Green is an indication of prosperity.
Shuchi Is there any other significance of these colours? (Do these colours have any other significance)?

(ङ) डेविडः- आम्! कथं न? ध्वजस्य उपरि स्थितः केशरवर्णः त्यागस्य उत्साहस्य च
सूचकः। मध्ये स्थितः श्वेतवर्णः सात्त्विकतायाः शुचितायाः च द्योतकः।
अधः स्थितः हरितवर्णः वसुन्धरायाः सुषमायाः उर्वरतायाश्च द्योतकः।
तेजिन्दरः- शुचे! ध्वजस्य मध्ये एकं नीलवर्णं चक्रं वर्तते?
शुचिः – आम् आम्। इदम् अशोकचक्रं कथ्यते। एतत् प्रगतेः न्यायस्य च प्रवर्तकम्।
सारनाथे अशोकस्तम्भः अस्ति। तस्मात् एव एतत् गृहीतम्।

शब्दार्थाः (Word Meanings) : कथम् न-क्यों नहीं (why not), उपरि-ऊपर का (above), मध्ये-बीच में (in the middle), शुचितायाः-ईमानदारी से (of honesty), अधः-नीचे (below), वसुन्धरायाः-पृथ्वी का (of the earth), सुषमाया:-कान्ति/सौन्दर्य का (of beauty), उर्वरताया: उपजाऊपन का (of fertility), नीलवर्णम्-नीले रंग का (of blue colour), वर्तते-है (is), कथ्यते-कहा है (is said to be), प्रगते:-प्रगति का (of progress), प्रवर्तकम्-सूचक – (indicator), गृहीतम्-लिया गया है (is taken)

सरलार्थ :
डेविड- हाँ, क्यों नहीं, ध्वज के ऊपर स्थित केसरी रंग त्याग व उत्साह का सूचक है। बीच में स्थित सफ़ेद रंग सात्विकता और ईमानदारी का द्योतक है। नीचे स्थित हरा रंग पृथ्वी की सुषमा व उर्वरता का द्योतक है।
तेजिन्दर- हे शुचि! ध्वज के मध्य में एक नीले रंग का चक्र है?
शुचि- हाँ हाँ! यह अशोक चक्र कहलाता है। यह प्रगति और न्याय का प्रवर्तक है। सारनाथ में अशोक स्तम्भ है। यह वहीं से लिया गया है।

English Translation :
David- Yes, Why not! Saffron colour situated at the top of the flag is an indication of sacrifice and enthusiasm. White colour situated in the middle indicates goodness and honesty/truth. Green colour situated at the bottom is an indication of the earth’s beauty and fertility.
Tajindra- Shuchi! There is a blue coloured wheel at the centre?
Shuchi- Yes, Yes! This is called ‘Ashoka-Chakra’. It indicates progress and justice. At Sarnath there is the ‘Ashoka-Pillar’. It has been taken from there.

(च) प्रणवः- अस्मिन् चक्रे चतुर्विंशतिः अराः सन्ति।
मेरी- भारतस्य संविधानसभायां 22 जुलाई 1947 तमे वर्षे समग्रतया अस्य ध्वजस्य स्वीकरणं जातम्।
तेजिन्दर:- अस्माकं त्रिवर्णः ध्वजः स्वाधीनतायाः राष्ट्रगौरवस्य च प्रतीकः। अत एव
स्वतन्त्रतादिवसे गणतन्त्रदिवसे च अस्य ध्वजस्य उत्तोलनं समारोहपूर्वकं भवति।
जयतु त्रिवर्णः ध्वजः, जयतु भारतम्।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अरा:-तीलियाँ (spokes), संविधानुसमायाम्-संविधान सभा में (in the Parliament Assembly), स्वीकरणम्-स्वीकरण/अपनाना (adopting/accepting), जातम् -हो गया (was done), उत्तोलनम् – फहराना (hoisting), समग्रतया-सर्वमत से (unanimously).

सरलार्थ :
प्रणवः- इस चक्र में 24 तीलियाँ हैं।
मेरी- भारत की संविधान सभा में 22 जुलाई 1947 के साल में (को) सर्वसंमति से इस
ध्वज को अपनाया गया था। तेजिन्दर- हमारा तिरंगा झण्डा स्वाधीनता और राष्ट्रगौरव का प्रतीक/चिह्न है। इसलिए स्वतन्त्रता
दिवस और गणतन्त्र दिवस पर इस ध्वज को समारोहपूर्वक फहराया जाता है।
तिरंगा झण्डा विजयी हो अर्थात् तिरंगे झंडे की जय हो। भारत की जय हो।

English Translation :
Pranav- There are 24 spokes in this wheel.
Mary- This flag was unanimously adopted in India’s Parliament Assembly on 22nd July 1947.
Tajindra- Our tricolour flag is a symbol of independence and national pride.
That is why on Independence day and Republic day this flag is hoisted with great enthusiasm. May the tricolour flag be victorious. May India be victorious!

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 7

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Class 7 Sanskrit Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary Notes

सड.कल्पः सिद्धिदायकः पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में वर्णन किया गया है कि किस प्रकार कठिन तपस्या करके पार्वती ने शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कथा के द्वारा शिक्षा दी गई है कि दृढनिश्चय और कठोर परिश्रम से कठिन-से-कठिन कार्य को पूर्ण किया जा सकता है। इस पाठ से धातुरूपों का अधिक ज्ञान प्राप्त होगा।

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary

इस पाठ में बताया गया है कि दृढ़ इच्छा शक्ति सिद्धि को प्रदान करने वाली होती है। कथा का सार इस प्रकार हैनारद के वचन से प्रभावित होकर पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तप करने की इच्छा प्रकट की। पार्वती की माता मेना उसे तप करने के लिए निरुत्साहित करती हुई कहने लगी कि मनचाहे देवता औरसुख के सभी साधन तुम्हारे घर में हैं। तुम्हारा शरीर कोमल है जो कठोर तप के अनुकूल नहीं है। इसलिए तुम्हें तपस्या में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए।

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 7.1

पार्वती ने माता को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह किसी भी प्रकार की बाधा से भयभीत नहीं होगी तथा अभिलाषा के पूर्ण हो जाने पर पुनः घर लौट आएगी। इस प्रकार पार्वती अपनी माता को वचन देकर वन में जाकर तपस्या करने लगी। उनकी कठोर तपस्या से हिंसक पशु भी उनके मित्र बन गए। उन्होंने वेदों का अध्ययन किया तथा कठोर तपस्या का आचरण किया।

कुछ समय पश्चात् एक ब्रह्मचारी उनके आश्रम में आया। कुशलक्षेम पूछने के पश्चात् ब्रह्मचारी ने उनसे तपस्या का उद्देश्य जानना चाहा। पार्वती की सहेली के मुख से तपस्या का प्रयोजन जानकर वह जोर से हँसने लगा।

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 7.2

तब वह ब्रह्मचारी शिव की निंदा करने लगा। वह कहने लगा-शिव अवगुणों की खान है। वह श्मशान में रहता है। भूतप्रेत ही उसके अनुचर हैं। तुम उससे अपना मन हटा लो। शिव से सच्चा प्रेम करने वाली पार्वती शिव की निंदा सुनकर क्रोधित हो गईं। वह उस ब्रह्मचारी को बुरा भला कहने लगी और उसे वहाँ से चले जाने के लिए कहने लगी। ब्रह्मचारी के अडियल रवैये को देखकर पार्वती आश्रम से बाहर जाने को तत्पर हो गई। तब शिव ने अपना वास्तविक रूप प्रकट करके पार्वती से कहा कि मैं ब्रह्मचारी के रूप में शिव ही हूँ। आज तुम परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई हो। यह सुनकर पार्वती अत्यधिक प्रसन्न हो गईं।

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Word Meanings Translation in Hindi

(क) पार्वती शिवं पतिरूपेण अवाञ्छत्। एतदर्थं सा तपस्यां कर्तुम् ऐच्छत्। सा स्वकीयं
मनोरथं मात्रे न्यवेदयत्। तच्छ्रुत्वा माता मेना चिन्ताकुला अभवत्।

शब्दार्थाः (Word Meanings): अवाञ्छत् – चाहती थी (wanted/wished), एतदर्थम् (एतत्+अर्थम् )-इसके लिए (for this), कर्तुम्-करने के लिए (to do), ऐच्छत्-चाहती थी (wanted), मात्रे-माता को (to mother), न्यवेदयत्-निवेदन किया/बताया (told/informed), तच्छुत्वा (तत्+श्रुत्वा)-यह सुनकर (hearing this), चिन्ताकुला-चिन्ता से व्याकुल (restless with worry).

सरलार्थ :
पार्वती शिव को पति के रूप में चाहती थी। इसके लिए वह तपस्या करना चाहती थी। उसने अपनी इच्छा माँ को बताई। यह सुनकर माँ मेना चिन्ता से व्याकुल हो गईं।

English Translation :
Parvati wanted Shiva as her husband. For wanted to do penance. She informed her mother about her intention. Hearing this, Mother Mena became worried.

(ख) मेना- वत्से! मनीषिता देवता: गृहे एव सन्ति। तपः कठिनं भवति। तव शरीरं सुकोमलं वर्तते। गृहे एव वस।
अत्रैव तवाभिलाषः सफलः भविष्यति।
पार्वती- अम्ब! तादृशः अभिलाषः तु तपसा एव पूर्णः भविष्यति। अन्यथा तादृशं च पतिं कथं प्राप्स्यामि। अहं तपः एव चरिष्यामि इति मम सङ्कल्पः।
मेना- पुत्रि! त्वमेव मे जीवनाभिलाषः।।
पार्वती- सत्यम्। परं मम मनः लक्ष्यं प्राप्तुम् आकुलितं वर्तते। सिद्धिं प्राप्य पुनः तवैव शरणम् आगमिष्यामि। अद्यैव विजयया साकं गौरीशिखरं गच्छामि। (ततः पार्वती निष्क्रामति)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वर्तते-है (is), तवाभिलाषः (तव+अभिलाषः)-तुम्हारी अभिलाषा (your desire), तपसा-तप द्वारा (with penance), अन्यथा-नहीं तो (otherwise), प्राप्स्यामि-पाऊँगी (shall obtain), चरिष्यामि-करूँगी (shall observe), प्राप्तुम्-पाने के लिए (to obtain), प्राप्य-पाकर (having obtained), अद्यैव (अद्य + एव)-आज ही (today only), साकम्-साथ (with),निष्क्रामति-निकल जाती है (goes out), सङ्कल्पः-संकल्प (determination).

सरलार्थः
मेना- बेटी! इष्ट देवता तो घर में ही होते हैं। तप कठिन होता है। तुम्हारा शरीर कोमल है। घर पर ही रहो। यहीं तुम्हारी अभिलाषा पूरी हो जाएगी। पार्वती- माँ! वैसी अभिलाषा तो तप द्वारा ही पूरी होगी। अन्यथा मैं वैसा पति कैसे पाऊँगी। मैं तप ही करूँगी-यह मेरा संकल्प है। मेना- पुत्री, तुम ही मेरी जीवन अभिलाषा हो। पार्वती- ठीक है। पर मेरा मन लक्ष्य पाने के लिए व्याकुल है। सफलता पाकर पुन: तुम्हारी ही शरण में आऊँगी। आज ही विजया के साथ गौरी शिखर पर जा रही हूँ। (उसके बाद पार्वती बाहर चली जाती है)

English Translation :
Mena- My dear! The gods we adore are in the home only. Penance is difficult.
Your body is very gentle. Stay at home. Your desire will be fulfilled here only.
Parvati – Mother! A desire like that can be fulfilled by penance only.
Otherwise how can I obtain a husband like that. I shall do penance only-this is my resolve. (determination.)
Mena- Daughter! you are my Life’s desire.
Parvati – True. But my heart yearns to acheive its goal. Having achieved success.
I shall return to you only. I shall go to Gauri Shikhar today itself with my friend Vijaya.

(ग) (पार्वती मनसा वचसा कर्मणा च तपः एव तपति स्म। कदाचिद् रात्रौ स्थण्डिले,
कदाचिच्च शिलायां स्वपिति स्म। एकदा विजया अवदत्।)
विजया- सखि! तपःप्रभावात् हिंस्रपशवोऽपि तव सखायः जाताः।
पञ्चाग्नि-व्रतमपि त्वम् अतपः। पुनरपि तव अभिलाष: न पूर्णः अभवत्।
पार्वती- अयि विजये! किं न जानासि? मनस्वी कदापि धैर्यं न परित्यजति। अपि च मनोरथानाम् अगतिः नास्ति।
विजया- त्वं वेदम् अधीतवती। यज्ञं सम्पादितवती। तपःकारणात् जगति तव प्रसिद्धिः।
‘अपर्णा’ इति नाम्ना अपि त्वं प्रथिता पुनरपि तपसः फलं नैव दृश्यते।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
मनसा-मन से (in mind), वचसा-वाणी द्वारा (in speech), कर्मणा-कर्म द्वारा (by one’s deed), कदाचित्-कभी (sometimes), रात्रौ-रात को (at night), स्थण्डिले-भूमि पर (on barrenland), स्वपिति स्म-सोती थी (slept), हिंम्रपश्वः-हिंसक पशु (ferocious animals), सखायः-मित्र (friends), पुनरपि (पुनः + अपि)-फिर भी (inspite of that), अतपः-तप किया (did penance), किं न जानासि-क्या नहीं जानती हो (do you not know), मनस्वी-ज्ञानी (high-minded), अधीतवती-अध्ययन किया (did study), जगति-जगत में (in the world), नाम्ना-नाम से (by name), प्रथिता-विख्यात (famous), तपसः-तप का (of penance), दृश्यते-दिखाई देता है (is seen).

सरलार्थः
(पार्वती ने मन, वचन व कर्म से तप ही किया। कभी रात को भूमि पर और कभी शिला पर सोती थी। एक बार विजया ने कहा)
विजया- सखी! तप के प्रभाव से हिंसक पशु भी तुम्हारे मित्र बन गए हैं। पञ्चाग्नि व्रत भी तुमने किया। फिर भी तुम्हारी इच्छा पूर्ण नहीं हुई।
पार्वती- अरी विजया! क्या तुम नहीं जानती हो? मनस्वी कभी धैर्य नहीं छोड़ता है। एक बात और इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती।
विजया- तुमने वेद का अध्ययन किया। यज्ञ किया। तप के कारण तुम्हारी संसार में ख्याति है। ‘अपर्णा’ इस नाम से भी तुम विख्यात हो। फिर भी तप का फल नहीं दिखाई दे रहा।

English Translation :
(Parvati observed only penance in mind, speech and action. Sometimes she slept on barren land and sometimes on stone slab. Once Vijaya said.) Vijya- Friend! under the influence of your penance even the ferocious animals have become your friends. You observed the (difficult) panchagni vrata too. Inspite of all this your desire did not get fulfilled. Parvati – O Vijaya! Don’t you know? A high-minded person never gives up courage.

Besides there is no end to desires. Vijya- You studied the Veda. You performed sacrifice. You are famous in the world because of penance. You are also famous by the name ‘Aparna’. Despite all this the fruit of your penance is nowhere to be seen.

(घ) पार्वती- अयि आतुरहृदये! कथं त्वं चिन्तिता ………. ।
( नेपथ्ये-अयि भो! अहम् आश्रमवटुः। जलं वाञ्छामि।)
(ससम्भ्रमम् ) विजये! पश्य कोऽपि वटुः आगतोऽस्ति।
(विजया झटिति अगच्छत्, सहसैव वटुरूपधारी शिवः तत्र प्राविशत्)
विजया-वटो! स्वागतं ते! उपविशतु भवान्। इयं मे सखी पार्वती। शिवं प्राप्तुम् अत्र तपः करोति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
नेपथ्ये-परदे के पीछे (backstage), ससम्भ्रमम्-हड़बड़ाहट से (nervously), वटुः-ब्रह्मचारी (a bachelor scholar), झटिति-झट से (जल्दी) (quickly), उपविशतु-बैठिए (please sit), भवान्-आप (your reversed self), इयं-यह (this).

सरलार्थः
पार्वती- अरे, व्याकुल हृदय वाली, तुम चिन्तित क्यों हो? (परदे के पीछे- अरे कोई है! मैं आश्रम में रहने वाला ब्रह्मचारी हूँ। मैं पानी पीना चाहता हूँ। (मुझे पानी चाहिए)। (हड़बड़ाहट से)। विजया! देखो कोई ब्रह्मचारी आया है। (विजया झट से गई और सहसा ही वटुरूपधारी शिव ने प्रवेश किया) विजया- हे ब्रह्मचारी आपका स्वागत है। कृपया बैठिए। यह मेरी सखी पार्वती है जो शिव को पति रूप में पाने के लिए तप कर रही है।

English Translation :
O impatient one! Why are you worried ? (Backstage-Is anyone there! I am a bachelor scholar/student from the hermitage. I want water.) (Nervously) Vijaya! please see some bachelor scholar/student has come. (Vijaya quickly went. All of a sudden Shiva in the guise of a bachelor scholar entered.) Vijya- 0 scholar! Welcome to you. Please sit. This is my friend Parvati. She is observing penance to obtain Shiva.

(ङ) वटुः- हे तपस्विनि! किं क्रियार्थं पूजोपकरणं वर्तते, स्नानार्थं जलं सुलभम् भोजनार्थं फलं वर्तते? त्वं तु जानासि एव शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।
( पार्वती तूष्णीं तिष्ठति) वटुः- हे तपस्विनि! किमर्थं तपः तपसि? शिवाय?
(पार्वती पुनः तूष्णीं तिष्ठति)
विजया-(आकुलीभूय) आम्, तस्मै एव तपः तपति।
(वटुरूपधारी शिवः सहसैव उच्चैः उपहसति)
वटुः- अयि पार्वति! सत्यमेव त्वं शिवं पतिम् इच्छसि? (उपहसन्) नाम्ना शिवः
अन्यथा अशिवः। श्मशाने वसति। यस्य त्रीणि नेत्राणि, वसनं व्याघ्रचर्म, अङ्गरागः चिताभस्म, परिजनाश्च भूतगणाः। किं तमेव शिवं पतिम् इच्छसि?

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
क्रियार्थम्-तप की क्रिया के लिए (for doing penance), शरीरमाद्यम् (शरीरम् आद्यम् )-शरीर सर्वप्रथम (body is foremost), तूष्णीम्-चुपचाप (quiet), आकुलीमूय-व्याकुल होकर (getting agitated), उपहसति-उपहास करता है (makes fun), अशिवः-अशुभ (inauspicious), श्मशाने-श्मशान में (in the cremation ground), वसनम् वस्त्र (clothing), परिजनाश्च-(परिजनाः + च) और परिजन (all attendants), उपहसन् उपहास करते हुए (making fun).

सरलार्थः
वटुः- हे तपस्विनी! क्या तपादि करने के लिए पूजा-सामग्री है, स्नान के लिए जल उपलब्ध है? भोजन के लिए फल हैं। तुम तो जानती ही हो शरीर ही धर्म का आचरण के लिए
मुख्य साधन है। (पार्वती चुपचाप बैठी है)
वटुः- हे तपस्विनी किसलिए तप कर रही हो? शिव के लिए?
(पार्वती फिर भी चुप बैठी है)
विजया- (व्याकुल होकर) हाँ, उसी के लिए तप कर रही है।
(वटुरूपधारी शिव अचानक ही ज़ोर से उपहास करता है)
वटुः- अरी पार्वती! सच में तुम शिव को पति (रूप में) चाहती हो? (उपहास/मज़ाक करते हुए) वह नाम से शिव अर्थात् शुभ है अन्यथा अशिव अर्थात् अशुभ है। श्मशान में रहता है। जिसके तीन नेत्र हैं, वस्त्र व्याघ्र की खाल है, अंगलेप चिता की भस्म और सेवकगण
भूतगण हैं। क्या तुम उसी शिव को पति के रूप में पाना चाहती हो?

English Translation :
Vatu- (Celibate) O Lady Hermit! Is means of worship (available) for observing
penance; is water for ablutions easily available? Is there fruit for food? (You know very well that the body is the foremost means of following the path of ‘Dharma’ i.e. righteous duty). (Parvati stays quiets)
Vatu- (Celibate) O Tapasvini! Why are you observing penance? Is it for Shiva? (Parvati is still quiet)
Vijya- (Getting agitated) Yes, she is doing penance only for Him. (Shiva in the guise of a celibate bursts into laughter all of a sudden).
Vatu- O Parvati! Is it true you wish to have Shiva as your husband. (laughing in a joking manner) He is Shiva (auspicious) by name only. Otherwise he is Ashiva i.e., just the opposite. He lives in the cremation ground. He who has three eyes, tiger skin as clothing, ashes form the funeral pyre for anointment and hosts of ghosts for his attendants. Do you want that
Shiva as your husband?

(च) पार्वती- (क्रुद्धा सती) अरे वाचाल! अपसर। जगति न कोऽपि शिवस्य यथार्थं स्वरूपं जानाति। यथा त्वमसि तथैव वदसि।
(विजयां प्रति) सखि! चल। यः निन्दां करोति सः तु पापभाग् भवति एव, यः शृणोति सोऽपि पापभाग् भवति।
(पार्वती द्रुतगत्या निष्क्रामति। तदैव पृष्ठतः वटो: रूपं परित्यज्य शिवः तस्याः
हस्तं गृह्णाति। पार्वती लज्जया कम्पते)
शिव- पार्वति! प्रीतोऽस्मि तव सङ्कल्पेन अद्यप्रभृति अहं तव तपोभिः क्रीतदासोऽस्मि।
(विनतानना पार्वती विहसति)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वाचाल-बातूनी (one who talks too much/babbler), अपसर-दूर हट (go away), न कोऽपि (कः + अपि)-कोई भी नहीं (no body), पापभाग पापी (sinful), द्रुतगत्या-तीव्र गति से (hastily), पृष्ठतः-पीछे से (from behind), गृह्णति पकड़ लेता है (holds), लज्जया-लज्जा से (with shame), अद्यप्रभृति-आज से (today onwards), क्रीतदासः-खरीदा हुआ दास (slave), विनतानना-झुके हुए मुख वाली (with face hung).

सरलार्थः
पार्वती- (क्रुद्ध होकर) अरे वाचाल! चल हट। संसार में कोई भी शिव के यथार्थ (असली) रूप को नहीं जानता। जैसे तुम हो वैसे ही बोल रहे हो। (विजया की ओर) सखी! चलो। जो निन्दा करता है वह पाप का भागी होता है, जो सुनता है वह भी पापी होता है। (पार्वती तेज़ी से (बाहर) निकल जाती है। तभी पीछे से ब्रह्मचारी का रूप त्याग कर शिव उसका हाथ पकड़ लेते हैं। पार्वती लज्जा से काँपती है।)
शिव- पार्वती! मैं तुम्हारे (दृढ़) संकल्प से खुश हूँ। आज से मैं तुम्हारा तप से खरीदा दास हूँ। (झुके मुख वाली पार्वती मुस्कुराती है)

English Translation :
Parvati- (Being angry) 0 Babbler! go away. In this world no one knows the real Shiva. As you are so you speak. (To Vijaya) Friend, Move on. He who blames/criticizes (others) incurs sin; he who listens (to such talk) is also sinful. (Parvati exits in haste. At that very moment Shiva for saking the guise of the celibate hold her hand from behind. Parvati trembles with shame).
Shiva- Parvati! I am pleased with your (firm) resolve. Today onwards I am your slave bought by your acts of penance.
(Parvati smiles with her head hung)

सदाचारः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 6

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Class 7 Sanskrit Chapter 6 सदाचारः Summary Notes

सदाचारः पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ के श्लोकों के द्वारा मनुष्य के सद्व्यवहार का ज्ञान दिया गया है। मनुष्य का आचरण समाज में, गुरुजन और माता-पिता एवं मित्रों के प्रति कैसा होना चाहिए, इसका उपदेश दिया गया है।

सदाचारः Summary

प्रस्तुत पाठ में सदाचार एवं नीति से सम्बन्धित बातें कही गई हैं। प्रथम श्लोक में कहा गया है आलस्य मनुष्य का महान शत्रु है और परिश्रम बन्धु। द्वितीय श्लोक में कहा गया है कि मृत्यु किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। मनुष्य को समय रहते ही कार्य पूर्ण कर लेने चाहिएँ।

तीसरे श्लोक में बताया है कि मनुष्य को प्रिय सत्य बोलना चाहिए तथा अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए। इसी प्रकार प्रिय असत्य भी नहीं कहना चाहिए। . चतुर्थ श्लोक में कहा है कि मनुष्य को कुटिल व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिए। उसे अपने व्यवहार में सरलता, कोमलता तथा उदारता आदि रखनी चाहिए।

पाँचवें श्लोक में बताया गया है कि मनुष्य को श्रेष्ठ गुणों से युक्त व्यक्ति व माता-पिता की मन, वचन और कर्म से सेवा करनी चाहिए। छठे श्लोक में कहा है कि मित्र के साथ कलह करके व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता है। अतः मनुष्य को ऐसा नहीं करना चाहिए।

सदाचारः Word Meanings Translation in Hindi

(क) आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपूः।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति॥

अर्थः निश्चय से आलस्य मनुष्यों के शरीर में रहने वाला सबसे बड़ा दुश्मन (शत्रु) है। प्रयत्न (परिश्रम) के साथ उसका (मनुष्य का) कोई मित्र नहीं है जिसे करके वह दु:खी नहीं होता है।

English Translation :
Certainly, laziness is the greatest enemy dwelling in the human body. Hard work has no enemy. By doing hard work man never becomes sad.

अन्वयः – हि …………. (i) मनुष्याणां शरीरस्थः ……. (ii) रिपुः (अस्ति)। ……………. (iii) बन्धुः नास्ति, यं कृत्वा (मानव:) न …………… (iv)
मञ्जूषा- अवसीदति, आलस्यं महान्, उद्यमसमः
उत्तर-
(i) आलस्यं (ii) महान् (iii) उद्यमसमः (iv) अवसीदति

भावार्थः –
अर्थात् अस्मिन् संसारे ………..(i) एव जनानां शरीरे स्थितः महान् ……… (ii) अस्ति तेन कारणेन एव जनाः दु:खानि, दरिद्रतां कष्टानि च प्राप्नुवन्ति/परन्तु तथैव ……… (iii) एव जनानां मित्रमपि वर्तते। तम् कृत्वा जनाः कदापि ………(iv) न भवन्ति अर्थात् सदैव सुखानि एव प्राप्नुवन्ति। मञ्जूषा- परिश्रम्, आलस्यम्, दुःखिनः, शत्रुः
उत्तर-
(i) आलस्यम् (ii) शत्रुः (iii) परिश्रम् (iv) दु:खिनः

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
आलस्यम्-आलस्य (laziness)। हि-निश्चय से (certainly)। शरीरस्थः -शरीर में रहने वाला (dwelling in the human body)। महान्-सबसे बड़ा (greatest/ biggest)। रिपुः-शत्रु (दुश्मन) है (enemy)। उद्यमसमः-परिश्रम के समान (similar to hard work)। बन्धुः-मित्र(friend)। यम्-जिसको (whom)। न-नहीं (no/not)। अवसीदति-दुःखी होता है (becomes sad)।

(ख) श्वः कार्यमद्य कुर्वीत पूर्वाह्ने चापराह्निकम्।
नहि प्रतीक्षते मृत्युः कृतमस्य न वा कृतम्॥2॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
कुर्वीत-करना चाहिए (should do), पूर्वाह्ने-दोपहर से पहले (in the forenoon), आपराह्निकम्-दोपहर का (of the afternoon), न प्रतीक्षते-प्रतीक्षा नहीं करती है (does not wait), कृतमस्य (कृतम् + अस्य)-इसका हो गया है (his work is done), वा-या (or)

सरलार्थ :
कल का काम आज कर लेना चाहिए और दोपहर का पूर्वाह्न में। मृत्यु प्रतीक्षा (इन्तज़ार) नहीं करती कि इसका काम हो गया या नहीं हुआ अर्थात् इसने काम पूरा कर लिया या नहीं। भाव यह है कि काम को कभी टालना नहीं चाहिए क्योंकि पता नहीं कब जीवन समाप्त हो जाए।

English Translation :
One should do today what needs to be done tomorrow and in the afternoon. Death never waits for anyone whether a person’s job is done or not, that is to say that one should not procrastinate for what one doesn’t know when death will strike.

(ग) सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥3॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
ब्रूयात्-बोलना चाहिए (should speak), प्रियम्-मधुर (sweet), सत्यं-सच (truth), अनृतम्-झूठ (lie), सनातन:-शाश्वत (सदा से चला आ रहा) (eternal), धर्म:-धर्म/आचार (ethic).

सरलार्थ :
सच बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए, अप्रिय सच नहीं बोलना चाहिए और प्रिय झूठ भी नहीं बोलना चाहिए। यही शाश्वत (सदा से चला आ रहा) धर्म (आचार) है।

English Translation :
One should speak the truth, should speak pleasant words, should never speak the bitter truth a sweet lie. This is an eternal ethic.

(घ) सर्वदा व्यवहारे स्यात् औदार्यं सत्यता तथा।
ऋजुता मृदुता चापि कौटिल्यं च न कदाचन ॥4॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
सर्वदा-हमेशा (always), औदार्यम्-उदारता (generosity), ऋजुता-सीधापन (simplicity, straightforward), मृदुता-कोमलता (tenderness), कौटिल्यं-कुटिलता, टेढ़ापन (crookedness), न कदाचन-कभी नहीं (never).

सरलार्थ :
व्यवहार में हमेशा (सदैव) उदारता, सच्चाई, सरलता और मधुरता हो (होनी चाहिए), (व्यवहार में) कभी भी टेढ़ापन नहीं हो (होना चाहिए)।

English Translation :
There should always be generosity, truth, straight forwardness and pleasantness in behaviour. There should never be crookedness in behaviour.

(ङ) श्रेष्ठं जनं गुरुं चापि मातरं पितरं तथा।
मनसा कर्मणा वाचा सेवेत सततं सदा॥5॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वाचा-वाणी से (by speech), मनसा-मन से (by heart), कर्मणा-कार्यों से (by actions), सततं-निरन्तर (ceaselessly), सदा-हमेशा (always), सेवेत-सेवा करनी चाहिए (should serve).

सरलार्थ :
सज्जन, गुरुजन और माता-पिता की भी हमेशा मन से, कर्म से और वाणी से निरन्तर सेवा करनी चाहिए।

English Translation :
One should ceaselessly serve the good people, teachers and parents with (one’s) heart, (good) actions and sweet speech.

(च) मित्रेण कलहं कृत्वा न कदापि सुखी जनः।
इति ज्ञात्वा प्रयासेन तदेव परिवर्जयेत्॥6॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
मित्रेण-मित्र से (with friend), कलह-झगड़ा (variance quarrel), न कदापि-कभी भी नहीं (never), प्रयासेन-प्रयत्न से (by efforts), परिवर्जयेत्-दूर रहना चाहिए (stay away).

सरलार्थ :
मित्र के साथ झगड़ा करके मनुष्य कभी भी सुखी नहीं रहता है। यह जानकर प्रयत्न से उसे (झगड़े को) ही छोड़ देना चाहिए।

English Translation :
One never remains happy after quarrelling with a friend, knowing this one should stay away from quarrel i.e., make every effort to avoid strike.

पण्डिता रमाबाई Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 5

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Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई Summary Notes

पण्डिता रमाबाई पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में विदुषी रमाबाई के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला गया है। रमाबाई ने अपना सम्पूर्ण जीवन बालिकाओं और महिलाओं की शिक्षा के लिए अर्पित कर दिया था। इन्होंने असहाय महिलाओं के लिए पुणे नगर में आश्रम स्थापित किए।

पण्डिता रमाबाई Summary

रमाबाई, संस्कृत और वेदों की विदुषी थी। उनका जन्म 1858 सन् में अनन्तशास्त्री और लक्ष्मीबाई के यहाँ हुआ। उन्हें  ‘सरस्वती’ आदि उपाधियाँ प्राप्त थीं। रमाबाई ने अपनी माता से संस्कृत का अद्वितीय ज्ञान प्राप्त किया।
पण्डिता रमाबाई Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 5.1
उनके माता-पिता और बड़ी बहन की मृत्यु हो गई। रमाबाई ने समग्र देश की पैदल यात्रा की। वह ब्रह्मसमाज से अत्यधिक प्रभावित थी। 1880 सन् में उन्होंने विपिन बिहारी दास से विवाह किया, परन्तु शीघ्र ही उनके पति का देहान्त हो गया।
पण्डिता रमाबाई Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 5.2

उन्होंने स्त्रीशिक्षा और समाज सेवा के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। रमाबाई ने कई देशों में भ्रमण किया। उन्होंने विधवा स्त्रियों की सहायता के लिए अमेरिका में धन एकत्रित किया। भारत आकर उन्होंने मुम्बई में शारदा-सदन की स्थापना की। शारदा-सदन में स्त्रियों को छपाई, टाइप तथा काष्ठ-कला आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहाँ बेसहारा स्त्रियाँ सम्मानपूर्वक जीवन-यापन करती हैं। सन् 1922 में रमाबाई का देहान्त हो गया। परन्तु समाज सेवा तथा स्त्रीशिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

पण्डिता रमाबाई Word Meanings Translation in Hindi

(क) स्त्रीशिक्षाक्षेत्रे अग्रगण्या पण्डिता रमाबाई 1858 तमे ख्रिष्टाब्दे जन्म अलभत। तस्याः पिता अनन्तशास्त्री डोंगरे माता च लक्ष्मीबाई आस्ताम्। तस्मिन् काले स्त्रीशिक्षायाः स्थितिः चिन्तनीया आसीत्। स्त्रीणां कृते संस्कृतशिक्षणं प्रायः प्रचलितं नासीत्। किन्तु डोंगरे रूढिबद्धां धारणां परित्यज्य स्वपत्नी संस्कृतमध्यापयत्। एतदर्थं सः समाजस्य प्रतारणाम् अपि असहत। अनन्तरं रमा अपि स्वमातुः संस्कृतशिक्षा प्राप्तवती।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
चिन्तनीया-शोचनीय (pitiable), परित्यज्य-छोड़कर (giving up), अध्यापयत्-पढ़ाया (taught), प्रतारणाम्-ताड़ना को (to taunt), असहत-सहन किया (tolerated), स्वमातुः-अपनी माता से (from her mother), प्राप्तवती-प्राप्त की (received).

सरलार्थ :
स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में अग्रगण्या पण्डिता रमाबाई ने 1858 ई० में जन्म लिया। उनके पिता अनन्त शास्त्री डोंगरे और माता लक्ष्मीबाई थीं। उस समय में स्त्रियों की शिक्षा की दशा शोचनीय थी। स्त्रियों के लिए संस्कृत शिक्षा लगभग अप्रचलित थी। परन्तु डोंगरे ने रूढ़ियों से बँधी हुई धारणा को छोड़कर अपनी पत्नी को संस्कृत की शिक्षा दी। इसके लिए उन्होंने समाज की ताड़ना को भी सहा। इसके बाद रमा ने भी अपनी माता जी से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की।

English Translation :
Foremost in the field of female education scholar Ramabai was born in the year 1858. Her father was Anant Shastri Dongre and mother Lakshmi Bai. In those days the condition of women’s education was pitiable. Sanskrit education for women was almost not in vogue. But giving up the notion held by convention Dongre gave Sanskrit education to his wife. For this Rama’s father tolerated the taunts of the society also. After this Rama also received Sanskrit education from her mother.

(ख) कालक्रमेण रमायाः पिता विपन्नः सञ्जातः। तस्याः पितरौ ज्येष्ठा भगिनी च दुर्भिक्षपीडिताः दिवङ्गताः। तदनन्तरं रमा स्व-ज्येष्ठभ्रात्रा सह पद्भ्यां समग्रं भारतम् अभ्रमत्। भ्रमणक्रमे सा कोलकातां प्राप्ता। संस्कृतवैदुष्येण सा तत्र ‘पण्डिता’ ‘सरस्वती’ चेति उपाधिभ्यां विभूषिता। तत्रैव सा ब्रह्मसमाजेन प्रभाविता वेदाध्ययनम् अकरोत्। पश्चात् सा स्त्रीणां कृते वेदादीनां शास्त्राणां शिक्षायै आन्दोलनं प्रारब्धवती। 1880 तमे ख्रिष्टाब्दे सा विपिनबिहारीदासेन सह बाकीपुर न्यायालये विवाहम् अकरोत् । साधैकवर्षात्अनन्तरं तस्याः पतिः दिवङ्गतः।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
विपन्न:-निर्धन (poor), दुर्भिक्ष-अकाल (famine), कुर्वती करती हुई (while doing), आन्दोलनम्-आन्दोलन को (movement), प्रारब्धवती-आरम्भ किया (started), दिवङ्गताः-मृत्यु को प्राप्त हो गए (passed away), सार्धेकवर्षात्-डेढ़ साल से (के) (One and a half year).

सरलार्थ :
समय के बदलने से रमा के पिता निर्धन हो गए। उनके माता-पिता और बड़ी बहन अकाल से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त हो गए। इसके पश्चात् रमा अपने बड़े भाई के साथ पैदल सारे भारत में घूमती हुई कोलकाता पहुँचीं। संस्कृतविद्वता के कारण उन्हें वहाँ ‘पण्डिता’ और ‘सरस्वती’ उपाधियों द्वारा विभूषित किया गया। वहाँ ही ब्रह्म-समाज से प्रभावित होकर उन्होंने वेदों का अध्ययन किया। बाद में उन्होंने बालिकाओं और स्त्रियों के लिए संस्कृत और वेद-शास्त्र आदि की शिक्षा के लिए आन्दोलन आरम्भ किया। सन् 1880 ई० में उन्होंने विपिन बिहारी दास के साथ न्यायालय में विवाह किया। डेढ़ वर्ष के बाद उनके पति की मृत्यु हो गयी।

English Translation :
Time circle (fate) made Rama’s father poor. Her parents and elder sister passed away after suffering from famine. After that, touring India on foot Rama and her elder brother reached Kolkata. Due to deep knowledge of Sanskrit there she was adorned with ‘Pandita’ and ‘Saraswati’ titles.

After being impressed there with Brahmo-Samaj Rama studied Vedas. Later, she started a movement of teaching Sanskrit and Vedas, scriptures etc. to girls and women. In 1880 she married Vipin Bihari Das in court. After one and half years her husband expired.

(ग) तदनन्तरं । मनोरमया सह जन्मभूमिं महाराष्ट्र प्रत्यागच्छत्। नारीणां सम्मानाय शिक्षायै च सा स्वकीयं जीवनम् अर्पितवती। हण्टर-शिक्षा-आयोगस्य समक्षं रमाबाई नारीशिक्षाविषये स्वमतं प्रस्तुतवती।सा उच्चशिक्षार्थं इंग्लैण्डदेशं गतवती।तत्र ईसाईधर्मस्य स्त्रीविषयकैः उत्तमविचारैः प्रभाविता जाता।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रत्यागच्छत् ( प्रति+आगच्छत् )-लौट आई (returned), प्रस्तुतवती प्रस्तुत किया (presented.) सरलार्थः इसके पश्चात् वे पुत्री मनोरमा के साथ महाराष्ट्र लौट आईं। स्त्रियों के सम्मान और शिक्षा के लिए उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर दिया। हण्टर-शिक्षा-आयोग के सामने रमाबाई ने महिला शिक्षा के विषय में अपना मत प्रस्तुत किया। वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गईं। वहाँ स्त्रियों के विषय में ईसाई धर्म के उत्तम विचारों से प्रभावित हुईं।

English Translation:
After that she returned to Maharashtra with (her) daughter Manorama. She devoted her life for the proper honour and education of women. She presented her opinion about women’s education in Hunter Education Commission. She went to England for higher education. She was impressed with the remarkable thinking of the Christian faith about women.

(घ) इंग्लैण्डदेशात् रमाबाई अमरीकादेशम् अगच्छत्। तत्र सा भारतस्य विधवास्त्रीणां सहायतार्थम् अर्थसञ्चयम् अकरोत्। भारतं प्रत्यागत्य मुम्बईनगरे सा ‘शारदा-सदनम्’ अस्थापयत्। अस्मिन् आश्रमे निस्सहायाः स्त्रियः निवसन्ति स्म। तत्र स्त्रियः मुद्रण टङ्कण-काष्ठकलादीनाञ्च प्रशिक्षणमपि लभन्ते स्म।परम् इदं सदनं पुणेनगरे स्थानान्तरितं जातम्। ततः पुणेनगरस्य समीपे केडगाँव-नाम्नि स्थाने ‘मुक्तिमिशन’ नाम संस्थानं तया स्थापितम्। अत्र अधुना अपि निराश्रिताः स्त्रियः ससम्मानं जीवनं यापयन्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अर्थसञ्चयम्-धन इकट्ठा करना (collect money), प्रत्यागत्य (प्रति+आगत्य )-लौटकर (after returning), निस्सहायाः (ब०व०)-बेसहारा (destitute), मुद्रणम्-छपाई (printing), टङ्कणम्-टाइप (typing), काष्ठकला-लकड़ी पर कलाकारी (wood craft), संस्थानम्-संस्था (institution), निराश्रिताः (ब०व०)-बेसहारा (destitute), ससम्मानं आदर सहित (with honour), यापयन्ति-बिताती हैं (spending time).

सरलार्थः
इंग्लैण्ड देश से रमाबाई अमरीका गईं। वहाँ उन्होंने भारत की विधवा महिलाओं की सहायता के लिए धन इकट्ठा किया। भारत लौटकर मुम्बई नगर में उन्होंने ‘शारदा-सदन’ स्थापित किया। इस आश्रम में बेसहारा स्त्रियाँ रहती थीं। वहाँ महिलाएँ छपाई, टाइप और लकड़ी की कलाकारी आदि का प्रशिक्षण भी लेती थीं। परन्तु इस सदन का पुणे नगर में स्थान परिवर्तन हो गया। इसके पश्चात् पुणे नगर के समीप केडगाँव नामक स्थान पर इनके द्वारा ‘मुक्ति मिशन’ नामक संस्था स्थापित की गई। यहाँ अब भी बेसहारा महिलाएँ सम्मान का जीवन बिताती हैं।

English Translation :
Rama Bai went to America from England. There she collected money for the help of the Indian widows. After returning to India she founded ‘Sharda Sadan’ in Mumbai city. The destitute women lived in this asylum (shelter). Women also took training in typing, printing and woodcraft there. But this asylum (shelter) has been shifted to Pune. After this an institution by the name of ‘Mukti Mission’ was founded by her at a place named ‘Ked Gaon’ near Pune city. Here even now destitute women are spending their lives with honour.

(ङ) 1922 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई-महोदयायाः निधनम् अभवत्। सा देश-विदेशानाम् अनेकासु भाषासु निपुणा आसीत्। समाजसेवायाः अतिरिक्तं लेखनक्षेत्रे अपि तस्याः महत्त्वपूर्णम् अवदानम् अस्ति। ‘स्त्रीधर्मनीति’, ‘हाई कास्ट हिन्दू विमेन’ इति तस्याः प्रसिद्ध रचनाद्वयं वर्तते।

शब्दार्थाः (Word Meanings):
निधनम्-मृत्यु (death), अवदानम्-योगदान (contribution), समाजसेवायाः-समाजसेवा का (of social service), रचनाद्वयं-दो रचनाएँ (two works.) पण्डिता रमाबाई

सरलार्थ :
सन् 1922 ई० में रमाबाई जी की मृत्यु हो गई। वह देश-विदेश की अनेक भाषाओं में निपुण थीं। समाजसेवा के अलावा लेखन के क्षेत्र में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। ‘स्त्री धर्म नीति’ और ‘हाई कास्ट हिन्दू विमेन’ ये उनकी प्रसिद्ध दो रचनाएँ हैं।

English Translation :
Madam Rama Bai died in the year 1922. She was proficient in many native and foreign languages. Besides social service, her contribution in the field of writing is also important. ‘Stree Dharma Niti’ and ‘High Caste Hindu Women’ are her two famous works.