अनारिकायाः जिज्ञासा Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 14

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Class 7 Sanskrit Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा Summary Notes

अनारिकायाः जिज्ञासा पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ की कथा के द्वारा बच्चों के मन में उठने वाले भावों एवं विचारों का वर्णन किया गया है। इस पाठ में अप्रत्यक्ष रूप में अनारिका के माध्यम से कहा गया है कि पुल का उद्घाटन उसके निर्माणकर्ता द्वारा होना चाहिए। पाठ से ‘ऋकारान्त’ शब्द रूपों का ज्ञान प्राप्त होता है।

अनारिकायाः जिज्ञासा Summary

अनारिका के मन में जिज्ञासा बनी रहती थी। उसके प्रश्न सुनकर प्रत्येक व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित हो जाती थी। एक बार वह उदास थी। वह घर से बाहर निकल गई। उसने देखा कि सभी मार्ग सजे हुए हैं। अतः कोई मन्त्री आज आएगा। उसने घर आकर अपने पिता से मन्त्री के आगमन का कारण पूछा। उसके पिता ने बताया कि एक पुल का निर्माण हुआ है।

अनारिकायाः जिज्ञासा Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 14

उसके उद्घाटन के लिए मन्त्री जी आ रहे हैं। उसने पूछा कि क्या मन्त्री ने पुल का निर्माण किया है ? उसके पिता ने बताया कि पुल का निर्माण नौकर करते हैं। उसके पिता ने आगे बताया कि प्रजा सरकार को धन देती है। उस धन से पत्थर इत्यादि सामग्री खरीदी जाती है। इससे पुल का निर्माण होता है। इस प्रकार उसके पिता ने अनारिका की जिज्ञासा को शान्त किया।

अनारिकायाः जिज्ञासा Word Meanings Translation in Hindi

(क) बालिकायाः अनारिकायाः मनसि सर्वदा महती जिज्ञासा भवति। अतः सा बहून् प्रश्नान्
पृच्छति। तस्याः प्रश्नैः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
मनसि-मन में (in the mind), सर्वदा-हमेशा (always), जिज्ञासा-कुतूहल (curiosity), पृच्छति-पूछती है (asks), सर्वेषां-सबकी (everyone’s), चक्रवत् पहिए के समान (like a wheel), भ्रमति-घूमती है (spins).

सरलार्थ :
बालिका अनारिका के मन में हमेशा बड़ा कुतूहल (जानने की इच्छा) होता है। इसलिए वह बहुत प्रश्न पूछती है। उसके प्रश्नों से सबकी बुद्धि पहिए के समान घूमने लगती है।

English Translation :
There is always great curiosity in the mind of child Anarika. Therefore. she asks lots of questions. Everyone’s intellect spins like a wheel at her questions.

(ख) प्रातः उत्थाय सा अन्वभवत् यत् तस्याः मनः प्रसन्नं नास्ति। मनोविनोदाय सा भ्रमितुं गृहात् बहिः अगच्छत्। भ्रमणकाले सा अपश्यत् यत् मार्गाः सुसज्जिताः सन्ति। सा चिन्तयति- किमर्थम् इयं सज्जा? सा अस्मरत् यत् अद्य तु मन्त्री आगमिष्यति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अन्वभवत्-अनुभव किया (felt), मनोविनोदाय-मन को प्रसन्न करने के लिए (to make her mind happy), भ्रमितुं-घूमने के लिए (to stroll), भ्रमणकाले-घूमने के समय (at the time of strolling), सुसज्जिताः-सजे हुए (decorated), अस्मरत्-याद किया (remembered), मन्त्री-मन्त्री (minister).

सरलार्थ : सुबह उठकर उसने अनुभव किया कि उसका मन प्रसन्न (खुश) नहीं है। मन प्रसन्न करने के लिए वह घूमने के लिए घर से बाहर गई। घूमने के समय उसने देखा कि रास्ते सजे हुए हैं। वह सोचती है-किस लिए यह तैयारी है? उसे याद आया कि आज तो मन्त्री आएँगे।

English Translation :
On getting up in the morning she felt that her mind was not happy. To make her mind happy she went out of her home to stroll. At the time of strolling she saw that the paths were decorated. She thinks- What is this decoration for? Thinking thus she remembered that the minister would be coming today

(ग) सः अत्र किमर्थम् आगमिष्यति इति विषये तस्याः जिज्ञासाः प्रारब्धाः। गृहम् आगत्य सा पितरम् अपृच्छत्-“पितः! मन्त्री किमर्थम् आगच्छति?” पिता अवदत्-“पुत्रि! नद्याः उपरि किं मन्त्री सेतोः निर्माणम् अकरोत्?”

शब्दार्थाः (Word Meanings):
जिज्ञासा-कुतूहल(जानने की इच्छा) (curiosity), प्रारब्धाः -आरम्भ हुईं (begun/aroused), आगत्य-आकर (having come), किमर्थम्-किस लिए (What for), निर्मितः निर्माण किया गया (constructed), उपरि-ऊपर (over), सेतुः-पुल (bridge), उद्घाटनार्थ-उद्घाटन के लिए (for inauguration).

सरलार्थ :
वे यहाँ किसलिए आएँगे इस विषय में उसका कुतूहल आरम्भ हुआ। घर आकर उसने पिता से पूछा-“पिता जी! मन्त्री किसलिए आ रहे हैं।” पिता जी बोले-“पुत्री! नदी के ऊपर नया पुल बना है, उसके उद्घाटन के लिए मन्त्री आ रहे हैं।” अनारिका ने फिर पूछा-“पिता जी! क्या मन्त्री ने पुल का निर्माण किया है?”

English Translation :
What will he come here for? Her curiosity was aroused in this matter. On returning home she asked her father, “Father! Why is the minister coming?” The father replied, “Daughter! the new bridge that has been constructed over the river, the minister is coming for its inauguration.” Anarika asked again, “Father! Did the minister construct the bridge?”

(घ) पिता अकथयत्-“न हि पुत्रि! सेतोः निर्माणं कर्मकराः अकुर्वन्!” पुनः अनारिकायाः प्रश्न: आसीत्-“यदि कर्मकराः सेतोः निर्माणम् अकुर्वन्, तदा मन्त्री किमर्थम् आगच्छति?” पिता अवदत्-“यतो हि सः अस्माकं देशस्य मन्त्री।” “पितः! सेतोः निर्माणाय प्रस्तराणि कुतः आयान्ति? किं तानि मन्त्री ददाति?”

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
कर्मकरा:-मजदूर (labourers), यतोहि-क्योंकि (because), अस्माकं-हमारा (our), सेतो:-पुल का (of the bridge), निर्माणाय-बनाने के लिए (for construction), प्रस्तराणि (ब०व०)-पत्थर (stones), आयान्ति-आते हैं (are coming), ददाति-देता है/देते हैं (is giving).

सरलार्थ :
पिता ने कहा- “नहीं पुत्री! पुल का निर्माण मजदूरों ने किया था।” फिर अनारिका का प्रश्न था “यदि मजदूरों ने पुल बनाया है, तब मन्त्री किसलिए आ रहे हैं?” पिता बोले-“क्योंकि, वे हमारे देश के मन्त्री हैं।” “पिता जी! पुल को बनाने के लिए पत्थर कहाँ से आते हैं ? क्या उन्हें मन्त्री देते हैं ?”

English Translation:
The father said, “No daughter, the bridge was constructed by the labourers.” Then Anarika’s question was, “If the labourers have constructed the bridge then why is the minister coming?” The father replied, “Because, he is the minister of our country.” (Anarika asked), “Father! From where have the stones come for construction of the bridge? Does the minister give them (stones)?”

(ङ) विरक्तभावेन पिता उदतरत्-“अनारिके! प्रस्तराणि जनाः पर्वतेभ्यः आनयन्ति।”पितः! तर्हि किम्, एतदर्थं मन्त्री धनं ददाति? तस्य पार्वे धनानि कुतः आगच्छन्ति?” एतान् प्रश्नान् श्रुत्वा पिताऽवदत्-“अरे! प्रजाः सर्वकाराय धनं प्रयच्छन्ति।” विस्मिता अनारिका पुनः अपृच्छत् “पितः! कर्मकराः पर्वतेभ्यः प्रस्तराणि आनयन्ति। ते एव सेतुं निर्मान्ति। प्रजाः सर्वकाराय – धनं ददति। तथापि सेतोः उद्घाटनार्थं मन्त्री किमर्थम् आगच्छति?”

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उदतरत्-उत्तर दिया (replied), प्रस्तराणि-पत्थर- पत्थर (stones) पर्वतेभ्यः -पहाड़ों से (from the mountains), आनयन्ति-लाते हैं (bringing), सर्वकाराय सरकार के लिए (for government), तर्हि-तो (then), किमर्थम् (किम् + अर्थम् )—किसलिए, क्यों (why).

सरलार्थ :
पिता ने उदासीन भाव से उत्तर दिया, “अनारिका! पत्थर लोग पहाड़ों से लाते हैं।” “पिता जी! तो क्या! इसके लिए मन्त्री धन देते हैं ? उनके पास धन कहाँ से आते हैं?” इन प्रश्नों को सुनकर पिता बोले -“अरे! प्रजाएँ सरकार को धन देती हैं।” आश्चर्यचकित अनारिका ने फिर पूछा- “पिता जी! मज़दूर पहाड़ों से पत्थर लाते हैं, वे ही पुल बनाते हैं, प्रजाएँ सरकार को धन देती हैं, तो भी मन्त्री पुल के उद्घाटन के लिए किसलिए (क्यों) आ रहे हैं?”

English Translation:
The father replied indifferently, “Anarika, people bring the stones from the mountains.” (Anarika asked), “Father, then does the minister give money for this? From where is he getting the money?” Hearing these questions the father said, “Oh, the people give money to the government.” Surprised Anarika again asked, “Father! if labourers bring stones from mountains. They themselves make the bridge, the people give money to the government then why is the minister coming for inauguration of the bridge?”

(च) पिता अवदत्-“प्रथममेव अहम् अकथयम् यत् सः देशस्य मन्त्री अस्ति।स जनप्रतिनिधिः अपि अस्ति। जनतायाः घोष निर्मितस्य सेतोः उद्घाटनाय जन प्रतिनिधिः आमन्त्रितो भवति। चल, सुसज्जिता भूत्वा विद्यालयं चल।” अनारिकायाः मनसि इतोऽपि बहवः प्रश्नाः सन्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रथममेव (प्रथमम् + एव)-पहले ही (already /in the beginning), उत्तरन्-उत्तर देते हुए (replying), भूत्वा (भू + क्त्वा)-होकर (being), इदानीम्-अब (now), बहवः-बहुत से (so many), इतोऽपि-इससे भी (even more) निर्मितस्य-बने हुए (already made) सेतो:-पुल का (bridge)

सरलार्थ :
पिता बोले, “पहले ही मैंने कहा था कि वे देश के मन्त्री हैं। जनप्रतिनिधि भी हैं। जनता के धन से बने हुए पुल के उद्घाटन के लिए जनता के प्रतिनिधि निमन्त्रित किए जाते हैं। चलो, तैयार होकर विद्यालय जाओ।” अब भी अनारिका के मन में बहुत से प्रश्न हैं।

English Translation:
The father said, “I had already said that he is the minister of the country. He is the public representative also. For the inauguration of the bridge constructed from the public money, the public representatives are invited. Go, get ready and go to the school.” Still there are many questions in Anarika’s mind.

 

अमृतं संस्कृतम् Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 13

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Class 7 Sanskrit Chapter 13 अमृतं संस्कृतम् Summary Notes

अमृतं संस्कृतम् पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में संस्कृत-भाषा के महत्त्व का वर्णन है। यह भाषा संसार की भाषाओं में प्राचीनतम और अधिकतर भाषाओं की जननी है। यह परिमार्जित और वैज्ञानिक भाषा है। इसका साहित्य संस्कृति का ज्ञान प्रदान करता है। अतः संस्कृति, आचरण और श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त करने के लिए संस्कृत अवश्य पढ़नी चाहिए।पाठ से ‘इकारान्त स्त्रीलिंग’ शब्दों का ज्ञान प्राप्त होगा।

अमृतं संस्कृतम् Summary

संसार की सभी भाषाओं में संस्कृत प्राचीनतम भाषा है। यह प्रायः सभी भारतीय प्रादेशिक भाषाओं की मूल स्वीकार की गई है। इसमें ज्ञान और विज्ञान का खजाना सुरक्षित है। संस्कृत भाषा कम्प्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है। इसका साहित्य अत्यधिक समृद्ध है। इसमें वेदों, शास्त्रों, पुराणों तथा अन्य आधुनिक शास्त्रों की रचना हुई है। संस्कृत भाषा के कालिदास जैसे कवि विश्व में प्रसिद्ध हैं। संस्कृत भाषा में अनेक शास्त्रों की रचना हुई। अनेक आचार्यों ने उल्लेखनीय कार्य किया है। आचार्य भास्कर, महर्षि चरक और महर्षि सुश्रुत का नाम आज भी आदर के साथ लिया जाता है।

अमृतं संस्कृतम् Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 13
संस्कृत की विशेषता सर्वतोमुखी है। इसका नीतिशास्त्र विश्व प्रसिद्ध है। नीतिशास्त्र में नीतिविषयक वचनों का संग्रह प्राप्त है। ये वचन मनुष्य को जीवनोपयोगी व समाजोपयोगी व्यवहार सिखाते हैं। संस्कृत के कारण ही भारत विश्व का गुरु कहलाता है। इसके सर्वातिशायी गुणों के कारण ही यह भाषा अजर-अमर है।

अमृतं संस्कृतम् Word Meanings Translation in Hindi

(क) विश्वस्य उपलब्धासु भाषासु संस्कृतभाषा प्राचीनतमा भाषास्ति। भाषेयं अनेकाषां
भाषाणां जननी मता। प्राचीनयोः ज्ञानविज्ञानयोः निधिः अस्यां सुरक्षितः। संस्कृतस्य
महत्त्वविषये केनापि कथितम्- ‘भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा’।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उपलब्धासु- उपलब्ध (भाषाओं) में (among available (languages)), प्राचीनतमा-सबसे पुरानी (oldest), भाषेयम् (भाषा+इयम् )-यह भाषा (this language), जननी-माता (mother), मता-मानी गई है (is considered), निधिः-खजाना (treasure), प्रतिष्ठे-दो प्रतिष्ठाएँ/सम्मानप्रद तत्त्व (two matters of honour).

सरलार्थ :
संसार की सभी उपलब्ध भाषाओं में संस्कृत भाषा सबसे अधिक प्राचीन है। यह भाषा अनेक भाषाओं की माता मानी गई है। प्राचीन ज्ञान विज्ञान का खज़ाना इसमें सुरक्षित है। संस्कृत के महत्त्व के विषय में किसी के द्वारा कहा गया है- भारत की दो प्रतिष्ठाएँ हैं- संस्कृत और (देश की) संस्कृति।

English Translation :
Of all the available languages of the world Sanskrit is the oldest language. This language is considered to be the mother of many languages. In this language (only) the treasure of knowledge and science is preserved. In the context of greatness of Sanskrit it has been said by someone “These two Sanskrit and culture are the honour (pride) of India.’

(ख) इयं भाषां अतीव वैज्ञानिकी। केचन कथयन्ति यत् संस्कृतमेव सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा। अस्याः वाङ्मयं वेदैः, पुराणैः, नीतिशास्त्रैः चिकित्साशास्त्रादिभिश्च समृद्धमस्ति। कालिदासादीनां विश्वकवीनां काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम्।कौटिल्यरचितम् अर्थशास्त्रं जगति प्रसिद्धमस्ति। गणितशास्त्रे शून्यस्य प्रतिपादनं सर्वप्रथमम् आर्यभट: अकरोत्। चिकित्साशास्त्रे चरकसुश्रुतयो: योगदानं विश्वप्रसिद्धम्। संस्कृते यानि अन्यानि शास्त्राणि विद्यन्ते तेषु वास्तुशास्त्रं, रसायनशास्त्रं, खगोलविज्ञानं, ज्योतिषशास्त्रं, विमानशास्त्रं इत्यादीनि उल्लेखनीयानि।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
केचन-कुछ लोग (some people), सर्वोत्तमा-सर्वश्रेष्ठ (best), वाङ्मयं-साहित्य (literature), अनुपमम्-अतुलनीय (incomparable), जगति-संसार में (in the world), अर्थशास्त्रम्-अर्थशास्त्र (economics), गणितशास्त्रे-गणित शास्त्र में (in Mathematics), शून्यस्य-शून्य का (of zero), सर्वप्रथमं – सबसे पहले (first of all), योगदानम्- योगदान (contribution), विश्वप्रसिद्धम्- संसार में विख्यात (world famous), खगोलशास्त्रं-अन्तरिक्ष शास्त्र (space science), वास्तुशास्त्रं-वास्तुशास्त्र (architecture), रसायनशास्त्रं-रसायनशास्त्र (chemistry), ज्योतिषशास्त्रं-ज्योतिषशास्त्र (astronomy), विमानशास्त्रं-विमानशास्त्र (aeronautics), उल्लेखनीयम्-लिखने (बताने) योग्य (remarkable/notable).

सरलार्थ :
यह भाषा बहुत वैज्ञानिकी है। कुछ लोग कहते हैं कि संस्कृत ही कम्प्यूटर के लिए सर्वश्रेष्ठ (सर्वोत्तम) भाषा है। इसका साहित्य वेदों से, पुराणों से, नीतिशास्त्रों से और चिकित्साशास्त्र आदि को से सम्पन्न (परिपूर्ण) है। कालिदास आदि विश्वकवियों का काव्य-सौन्दर्य अतुलनीय है। चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र संसार में प्रसिद्ध है। गणितशास्त्र में शून्य का प्रयोग सबसे पहले आर्यभट्ट ने किया था। चिकित्साशास्त्र में चरक और सुश्रुत का योगदान विश्वविख्यात है। संस्कृत में जो दूसरे शास्त्र हैं, उनमें वास्तुशास्त्र, रसायनशास्त्र, अन्तरिक्ष विज्ञान, ज्योतिषशास्त्र और विमानशास्त्र इत्यादि उल्लेखनीय हैं।

English Translation:
This language is very scientific. Some say that Sanskrit is the appropriate language for computers. Its literature is rich with Vedas, Purans, work of ethics and medical science etc. The beauty of poetry of world poets like Kalidas is incomparable. Arthshastra written by Chanakya is famous in the world.

First of all the use of zero in Mathematics was made by Bhaskaracharya. The contribution of Charak and Sushrut in medical science is world famous. Of the other scriptures in Sanskrit, architecture, chemistry, space science, astronomy and aeronautics are notable (remarkable).

(ग) संस्कृते विद्यमानाः सूक्तयः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति। यथा-सत्यमेव जयते, वसुधैव कुटुम्बकम्, विद्ययाऽमृतमश्नुते, योगः कर्मसु कौशलम् इत्यादयः। सर्वभूतेषु आत्मवत् व्यवहारं कर्तुं संस्कृतभाषा सम्यक् शिक्षयति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
विद्यमानाः-विद्यमान (existing), अभ्युदयाय-भौतिक उन्नति के लिए (for physicali progress), सत्यमेव (सत्यम् + एव)-सत्य ही (Truth alone), वसुधैव (वसुधा + एव)-पृथ्वी ही (The earth), विद्ययाऽमृतम् (विद्यया + अमृतम्)-विद्या द्वारा अमरत्व (Immortality through knowledge), अश्नुते-प्राप्त करता है (obtains), कर्मसु- कर्मों में (in actions / deeds.), सर्वभूतेषु-सब प्राणियों के प्रति (towards all beings), सम्यक् भली-भाँति (in a befitting manner)

सरलार्थ :
संस्कृत (साहित्य) में विद्यमान सूक्तियाँ भौतिक उन्नति के लिए प्रेरित करती हैं। जैसे- ‘सत्य की ही सदा विजय होती है’ ‘सारी पृथ्वी ही एक छोटा सा परिवार है’, ‘विद्या द्वारा अमरत्व की प्राप्ति होती है (अर्थात् विद्या द्वारा मनुष्य अमर हो जाता है)’ ‘कर्मों में कौशल/निपुणता ही योग है’ इत्यादि। सब के प्रति अपने जैसा व्यवहार करने के लिए संस्कृत भाषा अच्छी तरह से शिक्षा देती है।

English Translation :
The quotes existing in the Sanskrit language inspire us for progress (in life). For example- Truth alone triumphs’, ‘The entire earth is like a family’, ‘One obtains immortality through knowledge’, ‘Skill/perfection in performing actions/deeds is yoga’ etc. Sanskrit language (literature) guides/instructs/enlightens us properly one should behave toward others as towards one self.

(घ) केचन कथयन्ति यत् संस्कृतभाषायां केवलं धार्मिकं साहित्यम् वर्तते-एषा धारणा समीचीना नास्ति।
संस्कृतग्रन्थेषु मानवजीवनाय विविधाः विषयाः समाविष्टाः सन्ति।
महापुरुषाणां मतिः, उत्तमजनानां धृतिः सामान्यजनानां जीवनपद्धतिः च वर्णिताः सन्ति।
अतः अस्माभिः संस्कृतम् अवश्यमेव पठनीयम्। तेन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कारः भवेत्।
उक्तञ्च —
अमृतं संस्कृतं मित्र!
सरसं सरलं वचः। भाषासु महनीयं यद्
ज्ञानविज्ञानपोषकम्॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
केचन-कुछ (some), धारणा-सोच (notion), समीचीना उचिता (proper), समाविष्टाः -समावेश (समाये हुए) (contain), मति:-बुद्धि (wisdom), धृतिः धैर्य (patience), जीवनपद्धतिः-जीवन की प्रणाली (life system) परिष्कारः-शुद्धि (refinement sublimation), वचः-वाणी (language), महनीयम्-आदरणीय, पूज्य (respectable, honourable), पोषकम्-पोषण करने वाला (nourishes).

सरलार्थ :
कुछ लोग कहते हैं कि संस्कृत भाषा में केवल धार्मिक साहित्य है-यह सोच (धारणा) उचित नहीं है। संस्कृत ग्रन्थों में मानव जीवन के लिए विभिन्न विषयों का समावेश (समाए हुए) है। महापुरुषों की बुद्धि, सज्जनों का धैर्य और सामान्य मनुष्यों की जीवन प्रणाली (पद्धति) वर्णित की गई है। इसलिए हमारे द्वारा संस्कृत अवश्य ही पढ़ने योग्य है अर्थात् हमें संस्कृत अवश्य पढ़नी चाहिए। जिससे मानव की और समाज की शुद्धि हो। और कहा गया है मित्र संस्कृत अमृत है। सरस और सरल वाणी है। भाषाओं में जो सम्मान के योग्य है और ज्ञान एवं विज्ञान की पोषक (पोषण करने वाली) है।

English Translation :
Some (people) say that Sanskrit language has only religious literature. This view is not proper. The wisdom of greatmen, patience of gentlemen and life style of ordinary people has been described. Therefore Sanskrit language is definitely worth studying so that (by which) there is refinement/sublimation of human beings and society. And it has been said—“Friend!

Sanskrit is ambrosia. It is a sweet and simple language. It is worthy. It is worthy of honour (deserves a place of honour) among languages (of the world) and is a nurturer of the knowledge of arts and sciences i.e helps to nuture and increase our knowledge of arts and science.

विद्याधनम् Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 12

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Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् Summary Notes

विद्याधनम् पाठ का परिचय

पाठ का परिचय (Introduction of the Lesson) प्रस्तुत पाठ में श्लोकों के द्वारा विद्या के महत्त्व को बताया गया है। विद्या मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ धन है। विद्यावान् व्यक्ति का सर्वत्र सम्मान होता है, विद्या मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है। विद्या कल्पतरु के समान मनुष्य के सभी कार्य पूर्ण करती है। विद्याहीन मनुष्य पशु के समान होता है। अतः मनुष्य को श्रेष्ठ प्राणी बनने के लिए विद्या रूपी धन को संचित करना चाहिए।

विद्याधनम् Summary

विद्या कल्पलता की तरह होती है। इस पाठ में विद्या का महत्त्व बताया गया है। यथा विद्या को चोर चुरा नहीं सकता, राजा छीन नहीं सकता और भाई बाँट नहीं सकता। विद्या सभी धनों में श्रेष्ठ है। इसे व्यय किए जाने पर यह बढ़ती है। विद्या मनुष्य का सौन्दर्य है। यह गुप्त से गुप्त धन है। यह अनेक भोगों को देने वाली है तथा सुख प्रदान करने वाली है। राजाओं में ज्ञान की पूजा होती है तथा धन की नहीं।

मनुष्य की शोभा न तो हार से बढ़ती है और न ही पुष्प अथवा अङ्गराग के द्वारा बढ़ती है। मनुष्य की शोभा ज्ञान से बढ़ती विद्या माता की तरह रक्षा करती है, पिता की तरह हित का साधन करती है। यह शोभा को बढ़ाती है। विद्या मनुष्य का सभी प्रकार से भला करती है।

विद्याधनम् Word Meanings Translation in Hindi

(क) न चौरहार्यं न च राजहार्य
न भ्रातभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धत एव नित्यं
विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥1॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
चौरहार्यम्-चोरों के द्वारा चुराने योग्य (can be stolen by thieves), राजहार्यम्-राजा के द्वारा छीनने योग्य (can be snatched by king), भ्रातृभाज्यम्-भाइयों के द्वारा बाँटने योग्य (can be divided by brothers), भारकारि-भार (बोझ) बढ़ाने वाली [(that) which increases weight], वर्धते-बढ़ता है (increases), नित्यं-हमेशा (always), प्रधानम् प्रमुख (सर्वोत्तम) (best).

सरलार्थ :
न चोरों के द्वारा चुराने योग्य है और न राजा के द्वारा छीनने योग्य है, न भाइयों के द्वारा बाँटने योग्य है और न भार (बोझ) बढ़ाने वाला है। हमेशा खर्च करने पर बढ़ता ही है। विद्या का धन सभी धनों में प्रमुख (सर्वोत्तम) है।

English Translation :
Neither can it be stolen by thieves nor can it be snatched by the king, nor can it be divided by brothers and nor does it weight. It always grows on spending (using). The wealth of knowledge is the best of all the wealth.

(ख) विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परा देवता
विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्या-विहीनः पशुः ॥2॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रच्छन्नगुप्तम्-अत्यन्त गुप्त (hidden), भोगकरी-भोग का साधन उपलब्ध कराने वाली [(it) helps provide the means of pleasure], परा-सबसे बड़ी (greatest), गुरूणां-गुरुओं का (of teachers), राजसु-राजाओं में (among kings), विद्या-विहीनः-विद्या से रहित (without knowledge).

सरलार्थ :
विद्या मनुष्य का अधिक (अच्छा) स्वरूप है, छुपा हुआ गोपनीय धन है, विद्या भोग का साधन उपलब्ध कराने वाली है, कीर्ति और सुख प्रदान कराने वाली है, विद्या गुरुओं का गुरु है। विद्या विदेश जाने पर बन्धु (मित्र) के समान होती है, विद्या सबसे बड़ा देवता है। विद्या राजाओं में पूजी जाती है, धन नहीं। विद्या से रहित (मनुष्य) पशु के समान होता है।

English Translation :
Knowledge is a person’s best identity, (it) is the hidden wealth, (it) helps provide the means of pleasure, (it) provides fame and comfort/ happiness, knowledge is the teacher of teachers. On going to foreign country knowl edge is like a friend. Knowledge is the greatest god/divinity. Knowledge is worshipped among kings, not wealth. A person without knowledge is like an animal.

(ग) केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वला
न स्नानं न विलेपनं न कुसुमं नालङ्कता मूर्धजाः।
वाण्येका समलङ्करोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते
क्षीयन्तेऽखिलभूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम् ॥3॥

शब्दार्थाः (Word Meanings):
केयूरा:-बाजूबन्द (Bracelets), चन्द्रोज्ज्वला (चन्द्र+उज्ज्वला) चन्द्रमा के समान चमकदार (bright as the moon), विलेपनम्-शरीर पर लेप करने योग्य सुगन्धित-द्रव्य (चन्दन, केसर आदि) (scented material for anointing the body (hair) like sandal, saffron etc.), मूर्धजा:-बाल/वेणी/चोटी (plait), नालङ्कृता (न + अलङ्कृता)-नहीं सजाया हुआ (not decorated), वाण्येका (वाणी+एका)-एकमात्र वाणी (only speech), समलङ्करोति ( सम्+अलङ्करोति) अच्छी तरह सुशोभित करती है (adorns well), संस्कृता-परिष्कृत (संस्कारयुक्त) (Refined), धार्यते धारण की जाती है (is learnt), क्षीयन्तेऽखिलभूषणानि (क्षीयन्ते अखिलभूषणानि)-सम्पूर्ण आभूषण नष्ट हो जाते हैं (all ornaments decay), वाग्भूषणम्-वाणी का आभूषण (ornament of speech).

सरलार्थ :
मनुष्य को न बाजूबन्द सुशोभित करते हैं, न चन्द्रमा के समान चमकदार हार, न स्नान, न शरीर पर सुगन्धित लेपन (चन्दन, केसर आदि), न बालों/चोटी में सजाए हुए फूल सुशोभित करते हैं और ना हीं सजाई गई चोटी ही। मनुष्य को एकमात्र वाणी, भली प्रकार सुशोभित करती है, जो परिष्कृत (संस्कारयुक्त) रूप में धारण की जाती है (व्यवहार में लाई जाती है)। अन्य सभी आभूषण नष्ट होते हैं, (परन्तु) वाणी का आभूषण सदैव रहने वाला आभूषण है।

English Translation :
Neither bracelet nor bright as moon necklaces, nor bath, nor scented anointing on the body (sandal, saffron etc.), nor flowers decorating the hair plait adorn a person. Only speech which is learnt refined, adorns a person well. All other ornaments are destroyed, the ornament of speech is an everlasting ornament.

(घ) विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रयः
धेनुः कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्रं तृतीयं च सा।
सत्कारायतनं कुलस्य महिमा रत्नैर्विना भूषणम्
तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुरु॥4॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
कीर्तिरतुला (कीर्तिः + अतुला)-अतुल्य यश (incredible fame), कामदुधा-इच्छाओं की पूर्ति करने वाली (one that fulfils all aspiration/desires), रतिश्च (रतिः + च)-और प्रेम (love). सत्कारायतनम (सत्कार + आयतनम)-सम्मान का स्थान अर्थात् सम्मान प्रदान करने वाली (dwelling place of fame/giver of fame), रत्नौविना (रलैः+विना) (मूल्यवान.) रत्नों के बिना (without jewels), विद्याधिकारम्-(विद्या + अधिकारम्) विद्या पर प्रभुत्व (mastery over learning).

सरलार्थ :
विद्या वास्तव में (नाम) मनुष्य की अतुल्य कीर्ति है, भाग्यक्षय (बदकिस्मती) होने पर एक आश्रय/सहारा है। कामनापूर्ति करने वाली गाय अर्थात् कामधेनु है। विरह में प्रेम करती है और वही मनुष्य की तीसरी आँख होती है। सम्मान का स्थान है। कुल की महिमा है, (बहुमूल्य) रत्नों के बिना भी आभूषण है। अतः अन्य सब बातों को छोड़ विद्या पर अपना प्रभुत्व कर लो। .

English Translation :
Learning is indeed man’s incredible fame (ie learning bring unparalleled fame) It is a support in times of adverse circumstances. It is a cow that fulfils all desires, (satisfying) love in times of separation; it is the third eye (that can perceive everything beyond normal vision). It is the giver of honour/fame. It is the prestige of family. It is an adornment without any jewels. Hence, ignoring everything gains mastery over learning.

समवायो हि दुर्जयः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 11

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Class 7 Sanskrit Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः Summary Notes

समवायो हि दुर्जयः पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में एक चिड़िया की रोचक कथा है। इस कथा में वर्णित है कि कैसे समूह में रहकर और एकता से कार्य करके छोटे-छोटे प्राणी भी विशालकाय हाथी को परास्त कर देते हैं। बहुत से निर्बल प्राणियों का समूह कठिनाई को जीतने योग्य बन जाता है। अत: इस कथा से हमें शिक्षा मिलती है कि सामूहिक एकता में शक्ति होती है।

समवायो हि दुर्जयः Summary

एक वृक्ष पर एक चिड़िया रहती थी। एक बार कोई मस्त हाथी आया और वृक्ष की शाखा को तोड़कर फेंक दिया। इससे चिड़िया के बच्चे पृथ्वी पर गिर कर मर गए। सन्ततिनाश से दुःखित उस चिड़िया को काष्ठकूट पक्षी वीणारवा मक्खी के पास ले गया। उसकी बात सुनकर वह मक्खी उसे मेंढक के पास ले गई।

समवायो हि दुर्जयः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 11

उन सभी ने मिलकर एक योजना बनाई। योजना के अनुसार मक्खी ने हाथी के कान में मीठा-मीठा गुनगुनाना प्रारम्भ किया। मस्ती की दशा में वह आँखें बन्द किए पड़ा रहा। इसी समय काष्ठकूट ने उसकी आँखें चोंच से फोड़ डालीं। प्यास से व्याकुल वह हाथी यत्र-तत्र घूमने लगा।

तब एक गड्ढे के पास मेंढक टर्र-टर्र की आवाज निकालने लगा। उसे तालाब समझ कर वह हाथी उस गड्ढे में गिर गया और मर गया। अत: कहा गया है कि मेल (या एकता) दुर्जय होता है।

समवायो हि दुर्जयः Word Meanings Translation in Hindi

(क) पुरा एकस्मिन् वृक्षे एका चटका प्रतिवसति स्म। कालेन तस्याः सन्ततिः जाता। एकदा
कश्चित् प्रमत्तःगजः तस्य वृक्षस्य अधः आगत्य तस्य शाखांशुण्डेन अत्रोटयत्।चटकायाः
नीडं भुवि अपतत्। तेन अण्डानि विशीर्णानि । अथ सा चटका व्यलपत्। तस्याः विलापं
श्रुत्वा काष्ठकूटः नाम खगः दुःखेन ताम् अपृच्छत्-“भद्रे, किमर्थं विलपसि?” इति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
पुरा-पुराने समय में (in olden times), चटका-चिड़िया (sparrow), सन्ततिः-बच्चे (सन्तान) (chicks), प्रमत्तः-मतवाला (मस्त) (naughty), शुण्डेन-टूंड़ से (with trunk), नीडं -घोंसले को (to nest), भुवि- भूमि पर (on the ground), अण्डानि (ब० व०)-अण्डे (eggs), विशीर्णानि-नष्ट हो गए (destroyed), व्यलपत्-(वि+अलपत्) रोयी (was crying), विलापं-रोना (cry), किमर्थं-किसलिए (why).

सरलार्थ :
प्राचीन काल में एक पेड़ पर एक चिड़िया रहती थी। समय से उसके बच्चे हुए। एक बार किसी मतवाले हाथी ने उस पेड़ के नीचे आकर उसकी शाखा को तोड़ डाला। चिड़िया का घोंसला भूमि पर गिर गया। उससे अण्डे नष्ट हो गए। अब वह चिड़िया रोने लगी। उसका रोना सुनकर काष्ठकूट नामक पक्षी ने दुःख से उससे पूछा-“भली (चिड़िया) किसलिए रो रही हो?”

English Translation :
In olden times, there lived a sparrow on a tree. With time it had chicks. Once a naughty elephant came under the tree and broke its branch with his trunk. The sparrow’s nest fell on the ground. Due to that the eggs were destroyed. Now that sparrow was crying. Hearing her cry a bird named Kashthakoot asked her with sorrow—“Gentle (bird), why are you crying?”

(ख)चटकावदत्-“दुष्टेनैकेन गजेन मम सन्ततिः नाशिता। तस्य गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत्।”
ततः काष्ठकूटः तां वीणारवा-नाम्न्याः मक्षिकायाः समीपम् अनयत्। तयोः
वार्तां श्रुत्वा मक्षिकावदत्-“ममापि मित्रं मण्डूकः मेघनादः अस्ति। शीघ्रं तमुपेत्य यथोचितं करिष्यामः।” तदानीं तौ मक्षिकया सह गत्वा मेघनादस्य पुरः सर्वं वृत्तान्तं न्यवेदयताम्।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
नाशिता-नष्ट किए गए (were destroyed), वधेनैव (वधेन + एव)-वध करने से ही (by killing only), अपसरेत्-दूर हो (pass away), मक्षिकायाः-मक्खी के (to a fly), मण्डूकः-मेढक (a frog), शीघ्रं-जल्दी (quickly), तमुपेत्य-उसके पास जाकर (after going near him), पुरः-सामने (before), न्यवेदयत्-निवेदन किया (बताया) (told).

सरलार्थ :
चिड़िया बोली-“एक दुष्ट हाथी के द्वारा मेरे बच्चे नष्ट कर दिए गए हैं। उस हाथी की मौत से ही मेरा दुःख दूर होगा।” तब काष्ठकूट उसको वीणारवा नामक मक्खी के पास ले गया। उन दोनों की बात को सनकर मक्खी बोली-“मेरा भी मेघनाद नामक मेढक मित्र है। जल्दी ही उसके समीप जाकर जैसा ठीक हो, करेंगे।” तब उन दोनों ने मक्खी के साथ जाकर मेघनाद के सामने सारा समाचार बताया।

English Translation:
The sparrow said—“My chicks have been destroyed by a naughty elephant. My grief will pass away only with the death of that elephant.” Then Kashthakoot took her to a fly named Veenarava. After hearing both of them the fly said—“I also have a frog named Meghnaad as friend. Quickly we shall go to him and (then) do what is right. Then both of them along with the fly went to Meghnaad and before him narrated the entire incident.

(ग) मेघनादः अवदत्-“यथाहं कथयामि तथा कुरुतम्। मक्षिके! प्रथमं त्वं मध्याह्ने तस्य
गजस्य कर्णे शब्दं कुरु, येन सः नयने निमील्य स्थास्यति। तदा काष्ठकूटः चञ्च्वा तस्य
नयने स्फोटयिष्यति एवं सः गजः अन्धः भविष्यति।”

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
मध्याह्ने-दोपहर में (in the afternoon), नयने-दोनों आँखों को (two eyes), निमील्य-बन्द करके (closing), स्थास्यति-बैठेगा (रुक जाएगा) (will sit), स्फोटयिष्यति फोड़ देगा (will pierce), चञ्च्वा -चोंच से (with beak), अन्धः-नेत्रहीन (blind).

सरलार्थ :
मेघनाद बोला-“जैसा मैं कहता हूँ, (तुम दोनों) वैसा करो। मक्खी! पहले तुम दोपहर में उस हाथी के कान में आवाज़ करना, जिससे वह आँखें बन्द करके बैठेगा। तब काष्ठकूट चोंच से उसकी दोनों आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार वह हाथी अन्धा (नेत्रहीन) हो जाएगा।”

English Translation :
Meghnaad spoke—“Do as I say. Fly! first in the afternoon, you make noise in the elephant’s ear, because of which he will sit with his eyes closed. Then Kashthakoot will pierce both his eyes with his beak. Thus that elephant will become blind.”

(घ) तृषार्तः सः जलाशयं गमिष्यति।मार्गे महान् गर्तः अस्ति। तस्य अन्तिके अहं स्थास्यामि शब्द
च करिष्यामि।मम शब्देन तंगतँ जलाशयं मत्वा स तस्मिन्नेव गर्ने पतिष्यति मरिष्यति च।”
अथ तथाकृते सः गजः मध्याह्ने मण्डूकस्य शब्दम् अनुसृत्य महत: गर्तस्य अन्तः पतितः मृतः च।
तथा चोक्तम्- ‘बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जयः।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
तृषार्तः (तृषा आर्तः)-प्यास से पीड़ित (suffering from thirst), महान्-बड़ा (big), तथाकृते-वैसा करने पर (after doing so), अन्तिके-पास में (near), गर्त-गड्ढे को (to the pit), मण्डूकस्य-मेढक का (of the frog), अनुसृत्य-अनुसरण (पीछा) करके (following), पतितः-गिर गया (fell), मृतः-मर गया (died), बहूनामप्यसाराणाम् (बहूनाम् + अपि + असाराणाम्) अनेक निर्बलों का (of many weak), समवायः-समूह (group), दुर्जयः-कठिनाई से जीतने योग्य (hard to win/beat/conquer).

सरलार्थ :
प्यास से पीड़ित वह तालाब पर जाएगा। रास्ते में बड़ा गड्ढा है। उसके पास मैं बैलूंगा और आवाज़ करूँगा। मेरी आवाज़ से उस गड्ढे को तालाब मान कर वह उसी गड्ढे में गिर जाएगा और मर जाएगा। अब वैसा करने पर वह हाथी दोपहर में मेढक की आवाज़ का अनुसरण (पीछा) करके बड़े गड्ढे के अन्दर गिर गया और मर गया। और वैसे कहा भी गया है निश्चय से अनेक निर्बलों का समूह कठिनाई को जीतने योग्य होता है।

English Translation :
Suffering from thirst he (the elephant) will go to the pond. There is a big pit on the way. I will be near that and make sound. Assuming the pit as a pond due to my sound, he will fall in the same pit and die. Now on doing so in the afternoon the elephant following the sound of the frog fell in the big pit and died. And it has been said, Definitely a group of many (though) weak is hard to win/beat/conquer.

विश्वबंधुत्वम् Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 10

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Class 7 Sanskrit Chapter 10 विश्वबंधुत्वम् Summary Notes

विश्वबंधुत्वम् पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ के द्वारा संसार में बन्धुत्व अर्थात् भाईचारे की भावना की आवश्यकता और महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। सभी विकसित, विकासशील और अविकसित देशों में परस्पर प्रेम और मित्रता का व्यवहार होना चाहिए। पाठ में वर्णन किया गया है कि सूर्य, चन्द्र और प्रकृति भेदभाव नहीं करते हैं, तब मानव को भी वैरभाव छोड़कर बन्धुत्व के भाव से संसार में व्यवहार करना चाहिए। संसार के कल्याण के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी को एक परिवार के रूप में मानने वाले उदार एवं महान् व्यक्ति होते हैं। पाठ में कारक और उपपद विभक्तियों का प्रयोग छात्रों के लिए उपयोगी होगा।

विश्वबंधुत्वम् Summary

इस पाठ में भाईचारे का उपदेश किया गया है। पाठ का सार इस प्रकार है उत्सव में, व्यक्तिगत संकट में, अकाल पड़ने पर, देश पर आपदा आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह मित्र होता है। यदि संसार में सब जगह ऐसा भाव आ जाए तो विश्वबन्धुता सम्भव है।

दुःख की बात है कि समूचे संसार में कलह और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं समझते हैं। समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति अनादर की भावना ‘ प्रदर्शित करते हैं और उन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं। संसार में सब जगह शत्रुता, वैर और हिंसा की भावना दिखाई पड़ती है। देशों का विकास भी बाधित होता है।

यह महान् आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय से बन्धुता का व्यवहार करें। संसार के मनुष्यों में यह भावना आवश्यक है। इसके द्वारा विकसित अविकसित देशों के बीच में स्वस्थ स्पर्धा होगी। सभी देश ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में मैत्री भावना और सहयोग के द्वारा समृद्धि को प्राप्त करने में समर्थ हो जाएंगे।

सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश सब जगह समान रूप से फैलता है। प्रकृति भी सभी के साथ समान व्यवहार करती है। इसलिए हम सबको आपसी शत्रुता के भाव को छोड़कर संसार में भाईचारा स्थापित करना चाहिए। इसलिए विश्व के कल्याण के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-यह अपना है अथवा पराया है ऐसी सोच संकीर्ण मन वालों की होती है। उदार मन वालों के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी ही परिवार होती है।

विश्वबंधुत्वम् Word Meanings Translation in Hindi

(क) उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, दैनन्दिनव्यवहारे च यः सहायतां करोति सः बन्धुः
भवति। यदि विश्वे सर्वत्र एतादृशः भावः भवेत् तदा विश्वबन्धुत्वं सम्भवति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उत्सवे-पर्व में (in festival), व्यसने-संकट के समय में (at the time of distress), दुर्भिक्षे-अकाल पड़ने पर (at the time of famine), राष्ट्रविप्लवे-देश पर विपत्ति (संकट)आने पर [(coming of) trouble to the country], बन्धुः -भाई अथवा मित्र (brother or friend), विश्वबन्धुत्वं-विश्व के प्रति भाईचारा (brotherhood in the world), सम्भवति सम्भव है (is possible).

सरलार्थ :
पर्व (त्योहार) में, संकट के समय में, अकाल पड़ने पर, देश पर विपत्ति आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह भाई होता है। यदि संसार में सब स्थानों पर ऐसी भावना हो, तब संसार में भाईचारा सम्भव होता है।

English Translation :
He who helps during a festival at the time of distress, at the time of famine, adverse during times in a country and during trouble from the enemy is a brother (friend). When there is such feeling everywhere in the world then brotherhood in the world is possible.

(ख) परन्तु अधुना निखिले संसारे कलहस्य अशान्तेः च वातावरणम् अस्ति। मानवाः परस्परं न विश्वसन्ति। ते परस्य कष्टं स्वकीयं कष्टं न गणयन्ति।अपिच समर्थाः देशाः असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति, तेषाम् उपरि स्वकीयं प्रभुत्वं स्थापयन्ति। संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य,शत्रुतायाः, हिंसायाः च भावना दृश्यते।देशानां विकासः अपि अवरुद्धः भवति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अधुना-अब (now), निखिले-सम्पूर्ण (में) (in the whole), विश्वसन्ति-विश्वास करते हैं (are trusting), स्वकीयम्-अपना [(one’s) own], उपेक्षाभावम् अनादर की भावना की (disrespect), प्रभुत्वं-प्रभुता को (बड़प्पन की भावना) (superiority), विद्वेषस्य-शत्रुता की (of enmity), अवरुद्धः- रुक जाता/जाती है (stops).

सरलार्थ :
परन्तु अब सारे विश्व में लड़ाई और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे (मनुष्य) दूसरे की पीड़ा को अपनी पीड़ा नहीं गिनते (समझते) हैं। और (भी) सम्पन्न देश असमर्थ (गरीब) देशों के प्रति अनादर का भाव दिखाते हैं और उनके ऊपर अधिकार स्थापित करते हैं (रखते हैं) विश्व में सब स्थानों पर द्वेष की, वैर की और हिंसा की भावना दिखाई देती है। देशों की उन्नति भी रुक जाती है।

English Translation :
But now there is an atmosphere of hostility and unrest in the whole world. Men do not trust each other. They do not consider the pain (trouble) of others as their own. More prosperous countries show (have) a feeling of disrespect for the poorer countries, and impose their superiority over them. Because of that reason the feeling of jealousy, enmity and violence is seen at all places in the world. The progress of the countries also stops.

(ग) इयम् महती आवश्यकता वर्तते यत् एकः देशः अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात्। विश्वस्य जनेषु इयं भावना आवश्यकी। ततः विकसिताविकसितयोः देशयोः मध्ये स्वस्था स्पर्धा भविष्यति। सर्वे देशाः ज्ञानविज्ञानयोः क्षेत्रे मैत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धि प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वर्तते-है (is), अपरेण-दूसरे से (with another), जनेषु मनुष्यों में (in humans), स्पर्धा-होड़ (मुकाबला) (competition), ज्ञानविज्ञानयोः-ज्ञान और विज्ञान के (of knowledge and science), मैत्रीभावनया-मित्रता की भावना से (with the feeling of friendship).

सरलार्थ :
यह बड़ी आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय (मन) से भाईचारे का व्यवहार करे। संसार के लोगों के लिए यह भावना आवश्यक है। तब विकसित और अविकसित देशों के बीच में सही होड़ होगी। सभी देश ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मित्रता की भावना से और सहयोग से उन्नति प्राप्त करने के योग्य होंगे।

English Translation:
There is a great need that one country practices a behaviour of brotherhood with another country with a pure heart. This feeling is necessary among the people of this world. Then there will be healthy competition between the developed and undeveloped countries. All countries with the feeling of friendship and co-operation will be capable of progress in the fields of knowledge and science.

(घ) सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाशः सर्वत्र समानरूपेण प्रसरति। प्रकृतिः अपि सर्वेषु समत्वेन
व्यवहरति। तस्मात् अस्माभिः सर्वैः परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रसरति-फैलता है/बहता है (flows), ज्ञायते-जाना जाता है (is known), व्यवहरति-व्यवहार करती है (behaves), समत्वेन-समान भावना से (with a similar feeling), अपहाय-छोड़कर (give up), स्थापनीयम्-स्थापित करना चाहिए (establish).

सरलार्थ :
सूर्य और चन्द्र की रोशनी सब स्थानों पर समान रूप से फैलती है। प्रकृति भी सब में समान भावना से व्यवहार करती है। उसी कारण से हम सबको आपसी शत्रुता के भाव को छोड़कर संसार में भाईचारा स्थापित करना चाहिए।

Eglish Translation :
The light of sun and moon spreads equally at all the places. Nature also behaves with equality towards all. Due to this reason, giving up the feeling of mutual enmity we all should establish brotherhood in the world.

(ङ) अतः विश्वस्य कल्याणाय एतादृशी भावना भवेत्
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
निजः-अपना (own), लघुचेतसाम्-छोटे हृदय वालों का (of the narrow minded), वसुधैव (वसुधा+एव)-पृथ्वी ही (only earth), उदारचरितानां-विशाल (दयालु) हृदय वालों का (of large hearted people), कुटुम्बकम्-परिवार (family).

सरलार्थ :
इसलिए संसार की भलाई (हित) के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-यह अपना है और यह पराया है, इस प्रकार की गिनती (सोच) क्षुद्र (छोटे) हृदय वाले लोगों की होती है। दयालु अर्थात् विशाल हृदय वाले व्यक्तियों के लिए तो (सारी) पृथ्वी ही एक परिवार है।

English Translation :
Therefore, for the welfare of the world the feeling should be like this-This is (my) own and this is others, the narrow minded people think like this. For large-hearted people the (whole of) earth is one family.