विमानयानं रचयाम Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 13

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Class 6 Sanskrit Chapter 13 विमानयानं रचयाम Summary Notes

विमानयानं रचयाम पाठ का परिचय

इस पाठ में बच्चों के मन की विशाल कल्पना का दिग्दर्शन कराया गया है। साथ ही उनके मन में छिपी हुई सुन्दरता और परोपकार की तरफ भी संकेत किया गया है। बच्चे अपने मन की कल्पना को साकार रूप देने में किस प्रकार संलग्न हो सकते हैं। उसका भी निर्देश दिया गया है।

विमानयानं रचयाम Summary

इस पाठ में चार पद्य हैं। प्रथम श्लोक में कहा गया है कि आओ हम विमान की रचना करें और आकाश में स्वच्छन्द होकर घूमें। द्वितीय श्लोक में कहा गया है कि हम ऊँचे-ऊँचे वृक्षों और भवनों को लाँघकर आकाश में छलाँग लगाएँ। हिमालय पर्वत को भी पार करके चन्द्रमा पर कदम रखें। तृतीय श्लोक में बताया है कि हम सूर्य आदि ग्रहों को गिनकर तथा तारों से एक हार बनाएँ। चतुर्थ श्लोक में कहा है कि हम बादलों की कतार को लेकर लौटें और पृथ्वी पर आकर दीन दुःखियों की सहायता करें। इस कविता में कवि के उदात्त विचार अभिव्यक्त हैं।

विमानयानं रचयाम Word Meanings Translation in Hindi

(क) राघव! माधव! सीते! ललिते!
विमानयानं रचयाम।
नीले गगने विपुले विमले
वायुविहारं करवाम॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
ललिते!-हे ललिता (oh Lalita), विमानयानम्-हवाई जहाज़ को (aeroplane), रचयाम-बनाएँ (should make), गगने-आकाश में (in sky), विपुले-बहुत अधिक (विस्तृत) (expansive), विमले-स्वच्छ (में) (clear), वायुविहारम्-वायु में भ्रमण (flying in the sky), करवाम-करें (should do)।

सरलार्थ :
हे राघव! हे माधव! हे सीता! हे ललिता!
(हम सब) विमान (हवाई जहाज़) बनाएँ।
बहुत विस्तृत स्वच्छ नीले आकाश में
वायु विहार (भ्रमण) करें।।

(ख) उन्नतवृक्षं तुङ्ग भवनं
क्रान्त्वाकाशं खलु याम।
कृत्वा हिमवन्तं सोपानं
चन्दिरलोकं प्रविशाम॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उन्नतवृक्षम्-ऊँचे वृक्ष को (high tree), तुङ्गभवनम्-ऊँचे भवन को (high buildings), क्रान्त्वा -पार करके (crossing over), खलु-निश्चय से (surely), याम-जाएँ (should go), कृत्वा-करके (do), हिमवन्तम्-बर्फ को (की) (snow made), सोपानम्-सीढ़ी को (ladder), चन्दिरलोकम्-चन्द्रलोक में (को) (moonland), प्रविशाम-प्रवेश करें (should enter)।

सरलार्थ :
ऊँचे वृक्ष, ऊँचे मकान को निश्चय से पार करके आकाश में जाएँ। बर्फ की सीढ़ी बना करके चन्द्रलोक में प्रवेश करें।

(ग) शुक्रश्चन्द्रः सूर्यो गुरुरिति
ग्रहान् हि सर्वान् गणयाम।
विविधाः सुन्दरताराश्चित्वा
मौक्तिकहारं रचयाम॥

शब्दार्थाः (Word Meanings):
गुरु:-गुरु (बृहस्पति) (Jupiter), इति-इत्यादि (आदि) (et cetera), ग्रहान्-ग्रहों को (planets), गणयाम-गिर्ने (should count), विविधाः-अनेक (many), सुन्दरतारा:-सुन्दर तारों को (lovely stars), चित्वा-चुनकर (by picking up), मौक्तिकहारम्-मोतियों के हार को (pearl neckless), रचयाम-बनाएँ (should make)। सरलार्थ : (हम) शुक्र, चन्द्र, सूर्य और गुरु आदि सभी ग्रहों को निश्चय से गिने। अनेक सुन्दर तारे चुनकर मोतियों के हार बनाएँ।

(घ) अम्बुदमालाम् अम्बरभूषाम्
आदायैव हि प्रतियाम।
दुःखित-पीडित-कृषिकजनानां
गृहेषु हर्षे जनयाम॥

शब्दार्थाः (Word Meanings):
अम्बुदमालाम्-बादलों की पंक्तियों को (cloud-garland), अम्बरभूषाम्-आकाश की शोभा को (beauty of sky), आदाय-लेकर (taking), हि-निश्चय से (surely), प्रतियाम-वापस लौटें (should return), दुःखित-दुखी (दुख से युक्त) (sad), पीड़ित-पीड़ा से युक्त (victim), कृषिकजनानाम्-किसानों के (farmers’), गृहेषु-घरों में (in houses), हर्षम्-प्रसन्नता को (in happiness), जनयाम-उत्पन्न करें (should create)।

सरलार्थ :
(हम) निश्चय से बादलों की माला (पंक्तियों) को और आकाश की शोभा को लेकर ही वापस लौटें और दुख पीड़ा से युक्त किसानों के घरों में खुशी उत्पन्न करें।

दशमः त्वम असि Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 12

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Class 6 Sanskrit Chapter 12 दशमः त्वम असि Summary Notes

दशमः त्वम असि पाठ का परिचय

इस पाठ में संख्यावाची पदों (पुल्लिग) से परिचय कराया गया है। पाठ में ‘क्त्वा’ प्रत्ययान्त पदों का प्रयोग भी है। यथा- दृष्ट्वा – देखकर, श्रुत्वा – सुनकर आदि। दस बालक स्नान के लिए नदी पर जाते हैं; स्नान के पश्चात् एक बालक गणना करता है किंतु स्वयं को गिनना भूल जाता है। अतः नौ बालक गिनता है। दूसरा बालक भी गणना में यही त्रुटि करता है। उन्हें लगता है कि उनमें से एक नदी में डूब गया है। वे बहुत दु:खी होते हैं। इसी बीच एक पथिक वहाँ आकर गणना में उनकी सहायता करता है। गिनने वाले को वह कहता है कि दसवें तुम हो। सभी प्रसन्न हो जाते हैं।

दशमः त्वम असि Summary

इस पाठ में संख्याओं का प्रयोग किया गया है। पाठ का सार इस प्रकार है एक बार दस बालक स्नान करने के लिए नदी पर गए। स्नान करने के पश्चात् एक बालक ने गिनना शुरू किया। उसने सभी बालकों को गिन लिया, परन्तु अपने आप को नहीं गिना। उसके अनुसार वहाँ नौ बालक थे। सभी ने निश्चय किया कि दसवाँ बालक नदी में डूब गया है।
दशमः त्वम असि Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 12

तब एक यात्री वहाँ आया। उसने उनकी समस्या को सुनकर गिनना प्रारम्भ किया। अब पूरे दस बालक थे। यात्री ने समझाया कि गणना करने वाले बालक ने स्वयं को गिना नहीं। अपनी भूल पर सभी बालक अत्यधिक शर्मिन्दा हुए। अब वे प्रसन्न होकर अपने घर को चले गए।

दशमः त्वम असि Word Meanings Translation in Hindi

(क) एकदा दश बालकाः स्नानाय नदीम् अगच्छन्। ते नदीजले चिरं स्नानम् अकुर्वन्। ततः ते तीर्वा पारं गताः। तदा तेषां नायकः अपृच्छत्-अपि सर्वे बालका: नदीम् उत्तीर्णाः?

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
एकदा-एक बार (once), दश-दस (ten), अगच्छन्-गए (went), चिरम्-देर तक (for long time), अकुर्वन्-किया (did), तीा -तैर कर (after swimming), अपृच्छत्-पूछा (asked), अपि सर्वे उत्तीर्णाः-क्या सब पार कर गए हैं? (have they all crossed?), नदीम्-नदी को (the river)।

सरलार्थ :
एक बार दस बालक स्नान के लिए नदी पर गए। उन्होंने देर तक नदी के जल में स्नान किया। फिर वे तैरकर नदी के पार गए। तब उनके नायक ने पूछा- क्या सभी बालक नदी पार कर गए हैं?’ अर्थात् क्या सभी नदी से बाहर आ गए हैं?

English Translation:
Once ten boys went to a river for bathing. They bathed in the river water for long. Then they crossed the river after swimming. Then their leader asked, ‘Have all boys crossed the river?’

(ख) तदा कश्चित् बालकः अगणयत्- एकः, द्वौ , त्रयः, चत्वारः, पञ्च, षट्, सप्त, अष्टौ, नव
इति। सः स्वं न अगणयत् अतः सः अवदत्- नव एव सन्ति।
दशमः न अस्ति। अपरः अपि बालकः पुनः अन्यान् बालकान् अगणयत् । तदा अपि नव एव
आसन्। अतः ते निश्चयम् अकुर्वन् यत् दशमः नद्यां मग्नः। ते दुःखिताः तूष्णीम् अतिष्ठन्।

वाक्य के आरंभ में अपि का प्रयोग होने से वाक्य प्रश्नात्मक हो जाता है।
यथा- अपि सर्वम् कुशलम्-क्या सब कुशल मंगल है? Is everything Ok?

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
कश्चित्-कोई (someone), द्वौ-दो (two), त्रयः-तीन (three), चत्वार:-चार (four), पञ्च-पाँच (five), षट्-छः (six), सप्त-सात (seven), अगणयत्-गिना (counted), अष्ट-आठ (eight), नव-नौ (nine), स्वं-अपने आपको (himself), दशम्-दस (ten), अपरः-अन्य, दूसरा (other), अन्यान्-दूसरों को (to others), आसन-थे (were), पुन:-फिर से (again), नद्याम्-नदी में (in the river), मग्नः-डूब गया (drowned), तूष्णीम्-चुपचाप (silent), अतिष्ठान्-बैठ गए (sat down, stayed)।

सरलार्थ :
तब किसी बालक ने गणना की-“एक, दो, तीन, चार, पाँच, छः, सात, आठ, नौ इस तरह।” उसने अपने आपको (स्वयं को) नहीं गिना। अतः वह बोला-“नौ ही हैं, दसवाँ नहीं है।” दूसरे बालक ने भी अन्य बालकों को गिना। फिर भी नौ ही थे। अत: उन्होंने निश्चय किया कि दसवाँ नदी में डूब गया है। वे दुखी हो, चुपचाप बैठ गए।

English Translation:
Then a boy counted one, two, three, four, five, six, seven, eight, nine. He did not count himself. Hence he said—There are only nine. The tenth one is not their.’ Another boy also counted them. Then also there were the same nine. Hence they decided that the tenth had drowned in the river. They were distressed and stayed quiet.

(ग) तदा कश्चित् पथिकः तत्र आगच्छत्। सः तान् बालकान् दुःखितान् दृष्ट्वा अपृच्छत्-बालकाः!
युष्माकं दुःखस्य कारणं किम्? बालकानां नायकः अकथयत्- ‘वयं दश बालकाः स्नातुम्
आगताः। इदानीं नव एव स्मः। एकः नद्यां मग्नः’ इति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
आगच्छत्-आया (came), पथिकः-पथिक/राहगीर (traveller), दृष्ट्वा -देखकर (having seen), युष्माकम्-तुम लोगों का (yours), अकथयत्-कहा (said), स्नातुम्-नहाने के लिए (to take bath), इदानीम्-अब (now), स्म:-हैं (हम) are (we)|

सरलार्थ :
तब कोई पथिक वहाँ आया। उसने उन बालकों को दुखी देखकर पूछा-“हे बच्चो! तुम लोगों के दुःख का कारण क्या है?” बालकों के नायक ने कहा-“हम दस लड़के स्नान के लिए आए थे। अब हम नौ ही हैं। एक नदी में डूब गया है।”

English Translation:
Then a traveller came there. Seeing them sad he asked, “Boys! what is the cause of your misery/unhappiness.?’ The leader of the boys said—“We ten boys, came to take a bath, Now we are only nine. One got drowned in the river.”

(घ) पथिकः तान् अगणयत्। तत्र दश बालकाः एव आसन्। सः नायकम् आदिशत् त्वं बालकान्
गणय। सः तु नव बालकान् एव अगणयत्। तदा पथिकः अवदत्-“दशमः त्वम् असि इति।”
तत् श्रुत्वा प्रहृष्टाः भूत्वा सर्वे गृहम् अगच्छन्।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
नायकम्-नायक को (to the leader), आदिशत्-आदेश दिया (gave instructions), गणय-गिनो count (you), दशमः-दसवाँ (tenth), असि-हो (तुम) are (you), श्रुत्वा-सुनकर (hearing/having heard), प्रहृष्टाः -प्रसन्न (happy), भूत्वा-होकर (keeping/having been)।

सरलार्थ :
पथिक ने उन्हें गिना। वहाँ दस बालक ही थे। उसने नायक को आदेश दिया-“तुम बालकों को गिनी। उसने तो नौ बालक ही गिने।” तब पथिक बोला-“दसवें तुम हो।” यह सुनकर सब खुश होकर घर चले गए।

English Translation:
The traveller counted them. There were ten boys only. He instructed the leader to count the boys. But he counted only nine boys. Then the traveller said—’you are the tenth.’ Hearing this they felt happy and went home.

अवधेयम् :
1. संस्कृत में एक से चार तक की गणना में संख्यावाची शब्दों में लिंग भेद होता है। पाँच से आगे
कोई लिंग भेद नहीं होता। यथा
दशमः त्वम असि Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 12.1

2. ‘क्त्वा’ प्रत्ययान्त पद यथा कृत्वा (कृ+ क्त्वा) = करके; दृष्ट्वा (दृश् + क्त्वा) = देखकर; भूत्वा
(भू+ क्त्वा) = होकर आदि अव्यय होते हैं। अर्थात् लिंग, वचन काल आदि के कारण इनमें कोई रूपांतर नहीं होता। क्त्वा प्रत्यय केवल धातुओं में जोड़ा जाता है। धातु में लगने पर इसका केवल ‘त्वा’ शेष रहता है।

यथा— पठ् + क्त्वा = पठित्वा (पढ़कर)
दशमः त्वम असि Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 12.2
अथवा अहं विद्यालये पठित्वा गृहं गच्छामि। दोनों वाक्यों में पुरुष व वचन का भेद होने पर भी
‘पठित्वा’ के रूप में कोई अंतर नहीं आया।
‘क्त्वा’ प्रत्यय का प्रयोग ‘करके’ के अर्थ में किया जाता है।

पुष्पोत्सवः Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 11

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Class 6 Sanskrit Chapter 11 पुष्पोत्सवः Summary Notes

पुष्पोत्सवः पाठ का परिचय

इस पाठ में पुष्पों के उत्सव ‘फूल वालों की सैर’ का वर्णन आया है। यह उत्सव दिल्ली में अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। पुष्पों से बने पंखे इस उत्सव के मुख्य आकर्षण हैं। यह उत्सव गत दो सौ वर्ष से चलता आ रहा है।

इस पाठ में सप्तमी विभक्ति के शब्द-रूप का प्रयोग आया है। सप्तमी का प्रयोग ‘में’ (in) तथा ‘पर’ (on) के अर्थ में होता है। यथा-स्कूल में (in the school) = विद्यालये, वृक्ष पर (on the tree) = वृक्षे इत्यादि।

पुष्पोत्सवः Summary

पुष्पोत्सवः Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 11.1

भारतवर्ष उत्सवप्रिय देश है। यहाँ कभी शस्योत्सव है तो कभी पशूत्सव है। कहीं धार्मिकोत्सव है तो कहीं यानोत्सव है। इनमें ‘पुष्पोत्सव’ अत्यधिक प्रसिद्ध उत्सव है। देहली में मेहरौली क्षेत्र में अक्टूबर मास में इसका आयोजन होता है। इस अवसर पर अनेक प्रकार के पुष्प दृष्टिगोचर होते हैं। इसमें फूलों से निर्मित पंखे विशेष आकर्षण होते हैं। कुछ गुलाब के फूलों से, कुछ कनेर के फूलों से तथा कुछ जपा पुष्पों से बनाये जाते हैं। यह उत्सव तीन दिन चलता है। इन दिनों में पतंग उड़ाना आदि खेल भी चलते हैं। बीच में यह परम्परा बंद हो गई थी, परंतु स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् यह परम्परा पुनः प्रारम्भ हो गई है।

पुष्पोत्सवः Word Meanings Translation in Hindi

(क) उत्सवप्रियः भारतदेशः। अत्र कुत्रचित् शस्योत्सवः भवति, कुत्रचित् पशूत्सवः भवति, कुत्रचित्
धार्मिकोत्सवः भवति कुत्रचित् च यानोत्सवः। एतेषु एव अस्ति अन्यतमः पुष्पोत्सवः इति। अयं ‘फूलवालों की सैर’ इति नाम्ना प्रसिद्धः अस्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उत्सवप्रियः- उत्सव का प्रेमी (lover of festival, festive occasion), कुत्रचित्-कहीं पर (somewhere), शस्योत्सवः (शस्य: + उत्सवः)-फसलों का उत्सव (festival of crops), पशूत्सवः ( पशु+उत्सवः)-पशुओं का उत्सव (festival of animals), यानोत्सव (यान + उत्सवः)-गाड़ियों का उत्सव (festival of vehicles), एतेषु-इनमें (among these), अन्यतमः-अनेक में एक (one among many), नाम्ना-नाम से (by name)।

सरलार्थ :
भारत उत्सव प्रेमी देश है। यहाँ कहीं पर फसलों का उत्सव होता है, कहीं पर पशुओं का उत्सव होता है। कहीं पर धार्मिक उत्सव होता है तो कहीं पर गाड़ियों का उत्सव होता है। इनमें से एक है-पुष्पोत्सव (फूलों का उत्सव)। यह ‘फूल वालों की सैर’ इस नाम से प्रसिद्ध है।

English Translation:
India is a country that loves festivals. Somewhere there is the festival of farmers, somewhere there is the festival of animals. Somewhere there are religious festivals and somewhere there is the festival of vehicles. Among these there is one festival of flowers. This is famous by the name of ‘Phool Walon Ki Sair’.

(ख) देहल्याः मेहरौलीक्षेत्रे ऑक्टोबर्मासे अस्य आयोजनं भवति। अस्मिन् अवसरे तत्र बहुविधानि पुष्पाणि दृश्यन्ते। परं प्रमुखम् आकर्षणं तु अस्ति पुष्यनिर्मितानि व्यजनानि। जनाः एतानि पुष्पव्यजनानि योगमायामन्दिरे बख्तियारकाकी इत्यस्य समाधिस्थले च अर्पयन्ति। केचन पाटलपुष्पैः निर्मितानि, केचन कर्णिकारपुष्पैः अन्ये जपाकुसुमैः, अपरे मल्लिकापुष्पैः, इतरे च गेन्दापुष्पैः निर्मितानि व्यजनानि नयन्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
देहल्या:-देहली के (of Delhi), अस्य-इसका (of this), अस्मिन् अवसरे-इस अवसर पर (on this occasion), दृश्यन्ते-दिखाई देते हैं (are seen), पुष्पनिर्मितानि-फूलों से बने (made with flower), व्यजनानि-पंखे (fans), समाधि स्थले-समाधि/ दरगाह पर (at the place of burial), अर्पयन्ति-अर्पण करते हैं (offer), पाटलपुष्पैः-गुलाब के फूलों से (with roses, flowers), कर्णिकारपुष्पैः-कनेर के फूलों से (with oleander flowers), जपाकुसुमैः–गुडहल के फूलों से (with china roses), मल्लिकापुष्पैः- चमेली के फूलों से (with jasmin flowers), इतरे/अतरे/अन्ये-दूसरे (others), नयन्ति-ले जाते हैं (take carry)।

सरलार्थ : देहली के मेहरौली क्षेत्र में अक्टूबर के महीने में इसका आयोजन होता है। इस अवसर पर अनेक प्रकार के फूल दिखाई देते हैं। किंतु मुख्य आकर्षण होता है-‘फूलों से बने पंखे।’ लोग इन फूलों के पंखों को योग माया के मंदिर में बख्तियार काकी की समाधि पर अर्पित करते हैं। कुछ गुलाब के फूलों से बने होते हैं, कुछ कनेर के फूलों से, कुछ गुड़हल के फूलों से, कुछ चमेली के फूलों से दूसरे गेंदा के फूलों से बने पंखे ले जाते हैं।

English Translation:
In Delhi’s Mehrauli region in the month of October, this (festival) is organised. Various types of flowers are seen on this occasion. But the chief attraction is the fans made of flowers. People bring these flower fans and offer it at the burial of Bakhtiar Kaki in Yoga Maya temple. Some people bring fans made with roses, some with oleander flowers, other with china roses, yet others with jasmine flowers.

(ग) अयम् उत्सवः दिवसत्रयं यावत् प्रचलति। एतेषु दिवसेषु पतङ्गानाम् उड्डयनम् विविधाः क्रीडा: मल्लयुद्धं चापि प्रचलति। विगतेभ्यः द्विशतवर्षेभ्यः पुष्पोत्सवः जनान् आनन्दयति। मध्ये इयं परम्परा स्थगिता आसीत्। परं स्वतन्त्रताप्राप्तेः पश्चात् इयं मनोहरिणी परम्परा पुनः समारब्धा। पुष्पोत्सवः अद्यापि सोल्लासं सोत्साहं च प्रचलति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
दिवसत्रयं यावत्-तीन दिन तक (for three days), पतङ्गानाम् उड्डयनम्-पतंगों को उड़ाना (flying the kites), मल्लयुद्धम्-कुश्ती (wrestling), प्रचलति-चलता रहता है (go on), विगतेभ्य: द्विशतवर्षेभ्यः-गत दो सौ साल से (for the last 200 years), आनन्दयति-आनंदित करता है (gives happiness), समारब्धा-शुरु हो गई (was started), सोल्लासम्-उल्लासपूर्वक (with excitement)।

सरलार्थ :
यह उत्सव तीन दिन तक चलता रहता है। इन दिनों में पतंगों का उड़ाना, विविध क्रीड़ाएँ और कुश्ती भी चलती है। गत दो सौ साल से पुष्पोत्सव लोगों को आनंदित कर रहा है। बीच में यह परंपरा स्थगित हो गई थी। किंतु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह मनोहारी प्रथा पुनः शुरू हो गई है। पुष्पोत्सव आज भी उत्साहपूर्वक
और उल्लासपूर्वक चलता है।

English Translation:
This festival goes on for three days. During these days flying of kites, various sports and wrestling too go on, For the last two hundred years this festival has entertained people. In the meantime, this tradition was abolished. But after independence this beautiful tradition has started once again. Even today this festival goes on with joy and excitement.

अवधेयम् :
समयवाचक व स्थानवाचक शब्दों में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
पुष्पोत्सवः Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 11

कृषिकाः कर्मवीराः Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 10

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Class 6 Sanskrit Chapter 10 कृषिकाः कर्मवीराः Summary Notes

कृषिकाः कर्मवीराः पाठ का परिचय

इस पाठ में हमारे अन्नदाता किसानों की कर्मठता और उनके संघर्षमय जीवन के विषय में बताया गया है। सर्दी-गर्मी के कष्टों को सहन करते हुए वे हम सब के लिए अन्न का उत्पादन करते हैं। अत्यधिक परिश्रम करने के उपरांत भी उन्हें निर्धनता का जीवन व्यतीत करना पड़ता है।

कृषिकाः कर्मवीराः Summary

इस पाठ में बताया गया है कि कृषक लोग ही सच्चे कर्मवीर हैं। सर्दी हो या गर्मी, कृषक कठोर परिश्रम करते हैं। गर्मी की ऋतु में शरीर पसीने से लथपथ हो जाता है और सर्दी में शरीर ठिठुरता है, परन्तु कृषक लोग कभी हल से तो कभी कुदाल से खेत को जोतते रहते हैं।

कृषक लोगों का जीवन कष्टमय होता है। वे स्वयं कष्ट उठाकर मानव मात्र की सेवा करते हैं। उनके पास न घर है, न वस्त्र हैं और न भोजन है। फिर भी वे मनुष्यों को सुख देने के लिए तत्पर रहते हैं। अतः कृषक ही सच्चे अर्थों में कर्मवीर हैं।

कृषिकाः कर्मवीराः Word Meanings Translation in Hindi

(क) सूर्यस्तपतु मेघाः वा वर्षन्तु विपुलं जलम्।
कृषिका कृषिको नित्यं शीतकालेऽपि कर्मठौ॥
ग्रीष्मे शरीरं सस्वेदं शीते कम्पमयं सदा।
हलेन च कुदालेन तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः॥2॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
सूर्यस्तपतु (सूर्य: + तपतु)-सूर्य तपाये (the Sun may burn), वर्षन्तु-बरसाएँ (may rain), विपुलम्-बहुत सारा (huge amount), कृषिका-किसान की स्त्री अथवा स्त्री किसान (a farmer’s wife or a lady farmer), कर्मठौ-काम में लगे हुए (active), सस्वेदम्-स्वेद (पसीने) से युक्त (full of sweat), कर्षत:-जुताई करते हैं (to plough), कृषिकः-किसान (farmer), कुदालेन-कुदाल से (with spade)

अन्वयः (Prose-order)
1. सूर्यः तपतु मेघाः वा विपुलं जलं वर्षन्तु। कृषिका कृषकः (च) शीतकाले अपि नित्यम् कर्मठौ (स्तः)।
2. ग्रीष्मे शरीरं सदा सस्वेदम् शीते (च) कम्पमयम् (अस्ति); तौ तु हलेन कुदालेन च क्षेत्राणि कर्षतः।

सरलार्थ :
चाहे, सूरज तपाये या बादल अत्यधिक बरसें किसान तथा उसकी पत्नी सदा सरदी में भी काम में लगे रहते हैं। गरमी में शरीर पसीने से भरा हुआ होता और ठंड में कंपनयुक्त अर्थात् काँपता रहता है किंतु फिर भी वे दोनों हल से अथवा कुदाल से खेतों को जोतते रहते हैं।

English Translation:
The Sun may burn or the clouds may pour huge amount of water, the farmer and his wife are always active even in winter, In summer the body is always full of sweat and in winter he shivers ie, it is shivering but they keep on ploughing the fields with their plough or with the spade.

(ख) पादयोन पदत्राणे शरीरे वसनानि नो।
निर्धनं जीवनं कष्टं सुखं दूरे हि तिष्ठति॥3॥
गृहं जीर्णं न वर्षासु वृष्टिं वारयितुं क्षमम्।
तथापि कर्मवीरत्वं कृषिकाणां न नश्यति॥4॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) : पदत्राणे-जूते (shoes), पादयोः-पैरों में (on feet), वसनानि-वस्त्र (clothes), तिष्ठति-रहता है ( stays), जीर्णम्-पुराना (old), वृष्टिम्-बारिश को (rain), वारयितुम्-रोकने के लिए (to ward off), क्षमम्-समर्थ (able/capable), कर्मवीरत्वम्-कर्मठता (activity/active nature), न नश्यति-नष्ट नहीं होता (is not destroyed/ does not stop)।

अन्वयः (Prose-order)
3. पादयोः पदत्राणे न: (स्तः) शरीरे वसनानि न (सन्ति), निर्धनम् कष्टम् जीवनम् कष्टम्, सुखम् दूरे हि तिष्ठति।
4. जीर्णम् गृहम् वर्षासु वृष्टिं वारयितुम् क्षमम् न (अस्ति); तथापि कृषिकाणाम् कर्मवीरत्वं न नश्यति।

सरलार्थ : पैरों में जूते नहीं, शरीर पर कपड़े नहीं, निर्धन, कष्टमय जीवन है, सुख सदा दूर ही रहता है। घर टूटा-फूटा (पुराना) है, वर्षा के समय बारिश (अर्थात् बारिश का पानी अंदर आने से) रोकने में असमर्थ है। तो भी किसानों की कर्मनिष्ठा नष्ट नहीं होती अर्थात् वे कृषि के काम में लगे रहते हैं।

English Translation: There are no shoes on the feet, no clothes on the body. Life is full of poverty and there are difficulties and comforts stay far away. Their dwelling is old and during rains it is not able to keep off the rain i.e; the rain water (from seeping in.) but their activity (hardwork) does not stop.

(ग) तयोः श्रमेण क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि सर्वदा।
धरित्री सरसा जाता या शुष्का कण्टकावृता॥5॥
शाकमन्नं फलं दुग्धं दत्त्वा सर्वेभ्य एव तौ।
क्षुधा-तृषाकुलौ नित्यं विचित्रौ जन-पालको॥6॥

शब्दार्थाः (Word Meanings):
तयोः-उन दोनों के (both of them), सस्यपूर्णानि-फसल से युक्त (full of crops), सर्वदा-हमेशा (always), धरित्री-धरा (earth/land), सरसा-रसपूर्ण। हरी-भरी (full of greenry), शुष्का-सूखी (dry), कण्टकावृता (कण्टक+आवृता)-काँटों से ढकी हुई (covered with thorns), शाकमन्नम् (शाकम्+अन्नम् )-सब्जी तथा अन्न (vegetables and grains), दत्त्वा-देकर (giving), क्षुधा-तृषाकुलौ (तृषा + आकुलौ)-भूख-प्यास से व्याकुल (distressed with hunger and thirst)।

अन्वयः (Prose-order)
5. तयोः श्रमेण क्षेत्राणि सर्वदा सस्यपूर्णानि (सन्ति), या धारित्री शुष्का कण्टकावृता (च आसीत्) (सा) सरसा जाता।
6. तौ सर्वेभ्यः एव शाकम् अन्नम् फलं दुग्धं (च) दत्त्वा नित्यं क्षुधा-तृषाकुलौ (स्तः) (तौ) विचित्रौ जनपालको (स्तः)।

सरलार्थ :
उन दोनों (किसान तथा उसकी पत्नी) के परिश्रम से खेत सदा फसलों से भर जाते हैं। धरती जो पहले सूखी व काँटों से भरी थी अब हरी-भरी हो जाती है। वे दोनों सब को सब्जी, अन्न, फल-दूध (आदि) देते हैं (किन्तु) स्वयं भूख-प्यास से व्याकुल रहते हैं। वे दोनों विचित्र (अनोखे) जन पालक हैं। (यह एक विडंबना है कि दूसरों की भूख मिटाने वाले स्वयं भूख का शिकार हैं।)

English Translation:
With the hard work of those two (the farmer and his wife) the fields are filled with crops. The land that was dry and full of thorns becomes fertile and full of greenry. They provide vegetables, grains, milk fruits to everybody but they themselves remain afflicted with hunger and thirst. These two are strange care-takers. (It is a paradox that those who alleviate the pangs of hunger of other people are themselves victims of hunger.)

क्रीडास्पर्ध Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 9

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Class 6 Sanskrit Chapter 9 क्रीडास्पर्ध Summary Notes

क्रीडास्पर्ध पाठ का परिचय

इस पाठ में मध्यम पुरुष तथा उत्तम पुरुष के सर्वनाम का प्रयोग किया गया है। यथा- त्वम् (तुम), यूयम् (तुम सब), तव (तुम्हारा) तथा अहम् (मैं), वयम् (हम सब), मम (मेरा) आदि। इसके साथ ही मध्यम तथा उत्तम पुरुष के क्रियापद भी प्रयोग किए गए हैं। यथा- ‘यूयम् गच्छथ‘, ‘वयम् गच्छामः‘ आदि।

स्मरणीयम्-क्रियापद की भाँति मध्यम तथा उत्तम पुरुष के सर्वनाम पद का रूप भी सभी लिंगों में एक समान होता है। यथा- वयम् बालकाः (पु०) गच्छामः। वयम् बालिकाः (स्त्री०) गच्छामः।

क्रीडास्पर्ध Summary

इस पाठ में सर्वनामों का प्रयोग बताया गया है। सबसे पहले ‘एषः विद्यालयः’ इस वाक्य से यह स्पष्ट हो जाता है कि जो विभक्ति, वचन तथा लिङ्ग संज्ञा शब्द में होता है वही सर्वनाम में भी रहता है। विद्यालयः’ में प्रथमा विभक्ति, एकवचन तथा पुँल्लिङ्ग का प्रयोग है।
क्रीडास्पर्ध Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 9
इसका अनुसरण करते हुए सर्वनाम में भी प्रथमा विभक्ति, एकवचन, पुंल्लिङ्ग वाले ‘एषः’ पद का प्रयोग हुआ है। प्रस्तुत पाठ के अंतर्गत पुंल्लिङ्ग में एषः (एकवचन) तथा एते (बहुवचन) रूपों के प्रयोग बताए गए हैं। स्त्रीलिङ्ग में एषा (एकवचन) तथा एताः (बहुवचन) पद होते हैं। इसी तरह नपुंसकलिङ्ग में एतत् (एकवचन) व एतानि (बहुवचन) होते हैं। ये सब प्रथम पुरुष के सर्वनाम हैं। मध्यम पुरुष में त्वम् (एकवचन), यूयम् (बहुवचन) तथा सम्बन्ध वाचक तव (एकवचन), युष्माकम् (बहुवचन) का प्रयोग बताया है। उत्तम पुरुष में अहम् (एकवचन) वयम् (बहुवचन) के साथ सम्बन्ध वाचक मम (एकवचन) तथा अस्माकम् (बहुवचन) के प्रयोग को दर्शाया गया है।

क्रीडास्पर्ध Word Meanings Translation in Hindi

(क) हुमा – यूयं कुत्र गच्छथ?
इन्दरः – वयं विद्यालयं गच्छामः।
फेकनः – तत्र क्रीडास्पर्धाः सन्ति। वयं खेलिष्यामः।
रामचरणः – किं स्पर्धा: केवलं बालकेभ्यः एव सन्ति?
प्रसन्ना – नहि, बालिकाः अपि खेलिष्यन्ति।
रामचरणः – किं यूयं सर्वे एकस्मिन् दले स्थ? अथवा पृथक् पृथक् दले?
प्रसन्ना – तत्र बालिका: बालकाः च मिलित्वा खेलिष्यन्ति।
फेकनः – आम्, बैडमिंटन-क्रीडायां मम सहभागिनी जूली अस्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
यूयम्-तुम सब (you all), कुत्र-कहाँ (where), गच्छथ-जा रहे हो (are going), वयम्-हम सब (all of us), विद्यालम्-स्कूल (को) (to school), गच्छामः-जा रहे हैं (are going), तत्र-वहाँ (there), क्रीडास्पर्धा:-खेल-प्रतियोगिता (sports competition), खेलिष्यामः-खेलेंगी/खेलेंगे (shall play), बालकेभ्य:-लड़कों के लिए (for boys), एव-ही (only), बालिका:-लड़कियाँ (girls), अपि-भी (also), खेलिष्यन्ति-खेलेंगी (shall play), सर्वे-सब (all), एकस्मिन् दले- एक ही दल में (in one team), स्थ-हो (are), पृथक्-अलग (different), मिलित्वा-मिलकर (together), आम्-हाँ (yes), बैडमिंटन क्रीडायाम्-बैडमिंटन के खेल में (in the game of badminton), मम-मेरा/ मेरे/मेरी (me’n’mine), सहभागिनी-साथी (mate/partner)।

सरलार्थ : हुमा – तुम लोग कहाँ जा रहे हो?
इंदर – हम विद्यालय जा रहे हैं।
फेकन – वहाँ खेल प्रतियोगिताएं हो रही हैं। हम खेलेंगे।
रामचरण – क्या प्रतियोगिताएँ केवल लड़कों के लिए हैं?
प्रसन्ना – नहीं, लड़कियाँ भी खेलेंगी।
रामचरण – क्या तुम सब एक दल में हो या
पृथक-पृथक दल में?
प्रसन्ना – वहाँ लड़के-लड़कियाँ मिलकरखेलेंगे।
फेकन – हाँ, बैडमिंटन में मेरी साथी जूली है।

English Translation:
Huma – Where are you going?
Inder – We are going to school.
Phekan – Sports competition is going on there. We too shall play.
Ramcharana – Are these matches only for boys?
Prasanna – No, girls will also play.
Ramcharana – Are you all in one team or different teams?
Prasanna – There the girls and boys will play together.
Phekan – Yes, in badminton my teammate is Julie.

(ख) प्रसन्ना – एतद् अतिरिक्तं कबड्डी, नियुद्धं, क्रिकेट, पादकदुकं, हस्तकन्दुकं, चतुरङ्गः इत्यादयः स्पर्धाः भविष्यन्ति।
इन्दरः – हुमे! किं त्वं न क्रीडसि? तव भगिनी तु मम पक्षे क्रीडति।
हुमा – नहि, मा चलचित्रं रोचते। परम् अत्र अहं दर्शकरूपेण स्थास्यामि।
फेकन: – अहो! पूरन: कुत्र अस्ति? किं सः कस्यामपि स्पर्धायाम् प्रतिभागी नास्ति?

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
एतत् अतिरिक्तं-इसके अलावा (beside this), नियुधं-जूडो (judo), पावकंदुकं-फुटबॉल (football), हस्तकन्दुकं-वॉलीबॉल/बास्केटबॉल (basket ball/ volleyball), चतुरङ्ग-चेस (chess), इत्यादयः-इत्यादि (etc.), भविष्यन्ति-होंगे/होंगी (will be), त्वम्-तुम (you), क्रीडसि-खेल रही हो (are playing) (singular), तव-तुम्हारी (your), भगिनी-बहन (sister), मम पक्षे-मेरे पक्ष में (in my team), मह्यम्-मुझे (मेरे लिए) (mel for me), रोचते-अच्छा लगता है (like), स्थास्यामि-रहूँगी/रहँगा (shall stay), कस्यामपि (कस्याम् + अपि)-किसी में भी (in any), स्पर्धायाम्-प्रतियोगिता में (in a match), नास्ति (न + अस्ति )-नहीं है (is not)

सरलार्थ :
प्रसन्ना – इसके अतिरिक्त कबड्डी, जूडो, क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, चेस इत्यादि स्पर्धाएँ भी होंगी।
इंदर – हुमा, क्या तुम नहीं खेल रही हो? तुम्हारी बहन तो मेरी टीम में खेल रही है।
हुमा – नहीं मुझे सिनेमा में रुचि है। वहाँ मैं दर्शक के रूप में रहूँगी।
फेकन – ओह! पूरन कहाँ है? क्या वह किसी मैच में भाग नहीं ले रहा?

English Translation:
Prasanna – Besides this, Kabaddi, Judo, Cricket, Football, Volleyball, Chess etc. sports competitions will be held there.
Inder – Huma, are you not participating in any game? Your sister is playing in our team.
Huma – No, I am interested in films. I shall be present there as a spectator.
Phekan – Oh! where is Pooran? Is he not participating in any match?

(ग) रामचरणः – सः द्रष्टुं न शक्नोति। तस्मै अस्माकं विद्यालये पठनाय तु विशेषव्यवस्था वर्तते। परं क्रीडायै प्रबन्धः नास्ति।
हुमा – अयं कथमपि न न्यायसङ्गतः। पूरन: सक्षमः, परं प्रबन्धस्यअभावात् क्रीडितुं न शक्नोति।
इन्दरः – अस्माकं तादृशानि अनेकानि मित्राणि सन्ति। वस्तुतः तानि अन्यथासमर्थानि।
फेकनः – अत: वयं सर्वे प्राचार्यं मिलामः। तं कथयामः। शीघ्रमेव तेषां कृते व्यवस्था भविष्यति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
द्रष्टुम्-देखना (to see), शक्नोति-सकता/सकती है (is able), तस्मै-उसके लिए (for him), अस्माकम्-हमारा/हमारी/हमारे (our), विद्यालये-विद्यालय में (in school), पठनाय-पढ़ने के लिए (for study), वर्तते-है (is), परम्-लेकिन (but), क्रीडायै-खेलने के लिए (for playing), अयम्-यह (this), कथमपि-किसी प्रकार भी नहीं (in no way), न्यायसङ्गत-उचित (justified), समर्थ-सक्षम, योग्य (capable), प्रबन्धस्य-प्रबन्ध के (for arrangement), अभावात्-अभाव के कारण (due to lack of), क्रीडितुम्-खेलने के लिए (to play), तादृशानि-वैसे (like that), वस्तुतः-वास्तव में (in fact), अन्यथासमर्थानि-अन्य तरीके से समर्थ (differently abled), मिलामः-मिलते हैं (हम) (meet), कथयामः-कहते हैं (tell), शीघ्रमेव (शीघ्रम् + एव)-जल्द ही (soon), तेषां कृते-उनके लिए (for them), व्यवस्था-व्यवस्था/इंतज़ाम (arrangement), भविष्यति-हो जाएगा/जाएगी (will be)

सरलार्थ :
रामचरण- वह देख नहीं सकता। उसके लिए हमारे विद्यालय में पढ़ने के लिए तो विशेष प्रबंध है, किंतु खेल के लिए प्रबंध नहीं है।
हुमा – यह किसी प्रकार भी न्यायसंगत नहीं है। पूरन सक्षम है, किंतु प्रबंध के अभाव के कारण खेल नहीं सकता।
इंदर – हमारे ऐसे अनेक मित्र हैं। वास्तव में वे भिन्न तरीके से समर्थ हैं।
फेकन – इसलिए हम सब प्रिंसिपल से मिलते हैं। उनसे कहते हैं। अर्थात् इस बारे में बात करते हैं। शीघ्र ही उनके लिए व्यवस्था हो जाएगी।

English Translation:
Ramchran – He is not able to see. For him there is special arrangement for studying in our school. But there is no arrangement for playing.
Huma – This is not at all fair, Pooran is capable, but due to lack of facilities, he can’t play.
Inder – We have many friends like that. In fact they are differently abled.
Phekan – We meet the principal. We tell him. Very soon there would be arrangement for them.

हमने सीखा
कर्ता के पुरुष के अनुसार भी क्रियापद में रूपांतर आता है।
.क्रीडास्पर्ध Summary Notes Class 6 Sanskrit Chapter 9

(घ) मम (मेरा), तव (तुम्हारा), माम् (मुझे), त्वाम् (तुम्हें), महयम् (मेरे लिए), तुभ्यम् (तुम्हारे लिए) आदि।