RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b

RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data,Cumulative Frequency Graph and O give Ex 9b

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Other Exercises

Question 1.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 1

Question 2.
Solution:
We prepare the frequency table, given below
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 2
The cumulative frequency is 25 and corresponding class is 21 – 28.
Thus, the median class is 21 – 28
l = 21, h = 7, f = 11, c = C.F. preceding class 21 – 28 is 14 and N/2 = 25
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 3
Hence the median is 28.

Question 3.
Solution:
We prepare the frequency table given below:

RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 4
The cumulative frequency just greater than 75 is 120 and corresponding class is 200 – 300.
Thus, the median class is 200 – 300
l = 200, h = 100, f = 48
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 5
Hence the median of daily wages is Rs. 206.25.
Hence the median is 28.

Question 4.
Solution:
We prepare the frequency table, given below:

RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 6
The cumulative frequency just greater than 24.5 is 26 and corresponding class is 15 – 20.
Thus, the median class is 15 – 20
l = 15, h = 5, f = 15
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 7
Median of frequency distribution is 19.5.

Question 5.
Solution:
We prepare the cumulative frequency table as given below:

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The cumulative frequency just greater than 33.5 is 42 and the corresponding class 125 – 145.
Thus, the median class is 125 – 145
l = 125, h = 20, f= 20 and c = CF preceding the median class = 22, N/2 = 33.5.
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 9
Hence median of electricity consumed is 136.5.

Question 6.
Solution:
Frequency table is given below:

RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 10
The cumulative frequency just greater than 50 is 56 and the corresponding class is 150 – 155
Thus, the median class is 150 – 155
l = 150, h = 5, f = 22, c = C.F.preceding median class = 34
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 11
Hence, Median = 153.64.

Question 7.
Solution:
The frequency table is given below. Let the missing frequency be x.

RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 12
l = 20, h = 10, f = x, c = C.F.
preceding median class = 30
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 13
Hence, the missing frequency is 25.

Question 8.
Solution:

RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 14

Question 9.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 15

Question 10.
Solution:
Let f1 and fbe the frequencies of class intervals 0 – 10 and 40 – 50
f1+ 5 + 9 +12 + f2 + 3 + 2 = 40
⇒ f1+ f2 = 9
Median is 32.5 which lies in 30 – 40, so the median class is 30 – 40
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Question 11.
Solution:
The given series is of inclusive form. Converting it into exclusive form and preparing the cumulative frequency table, we get
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 17

The cumulative frequency just greater than 170 is 199 and the corresponding class is 32.5 – 39.5.
Median class is 32.5 – 39.5
l = 32.5, h = 7, f = 68, c = C.F. of preceding median class = 131
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 18
Hence median is 36.5 years.

Question 12.
Solution:
Given series is in inclusive form converting it into exclusive form and preparing the cumulative frequency table, we get
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 19

The cumulative frequency just greater than 49 is 70 and corresponding class is 90.5 – 100.5.
median class is 90.5 – 100.5
l = 90.5, h = 10, f = 30, c = CF preceding median class = 40
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 20
Hence, Median = Rs 93.50.

Question 13.
Solution:
The given series is converted from inclusive to exclusive form and preparing the cumulative frequency table, we get
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 21

N = 123 ⇒ \(\frac { N }{ 2 } =\frac { 123 }{ 2 } =61\cdot 5\)
The cumulative frequency just greater than 61.5 is 65.
The corresponding median class is 15.5 – 20.5.
Then the median class is 15.5 – 20.5
l = 15.5, h = 5, f = 32, c = C.F. preceding median class = 33
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 22
Hence, Median = 19.95.

Question 14.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 23

The cumulative frequency just greater than 100 is 116 and the corresponding class is 50 – 60.
Thus the median class is 50 – 60
l = 50, h = 10, f = 24, c = C.F. preceding median class = 92, N/2 = 100
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 9 Mean, Median, Mode of Grouped Data Ex 9b 24
Hence, Median = 53.33.

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 5

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों? [Imp.] [A.I. CBSE 2008 C]
अथवा
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में अधिक मदद करती है। [CBSE 2008 C]
उत्तर:
लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है क्योंकि सच्चा लेखक मन की विवशता से प्रकट होता है। यह विवशता तब उपजती है जब मन में अनुभूति की प्रबलता हो। यह विवशता बाहरी घटनाओं को देखकर नहीं उत्पन्न होती है। मन में जब तक अभिव्यक्ति की बेचैनी प्रबल नहीं होती, तब तक लेखक सच्चा लेखन नहीं कर पाता है।

प्रश्न 2.
लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया? [Imp.] [CBSE 2012; CBSE 2008 C]
उत्तर:
लेखक हिरोशिमा की घटनाओं के बारे में सुनकर तथा उनके कुप्रभावों को प्रत्यक्ष देखकर भी विस्फोट का भोक्ता नहीं बन पाया। एक दिन वह जापान के हिरोशिमा नगर की एक सड़क पर घूम रहा था। अचानक उसकी नज़र एक पत्थर पर पड़ी। उस पत्थर पर एक मानव की छाया छपी हुई थी। वास्तव में परमाणु विस्फोट के समय कोई मनुष्य उस पत्थर के पास खड़ा होगा। रेडियम-धर्मी किरणों ने उस आदमी को भाप की तरह उड़ाकर उसकी छाया पत्थर पर डाल दी थी। उसे देखकर लेखक के मन में अनुभूति जग गई। उसके मन में विस्फोट का प्रत्यक्ष दृश्य साकार हो उठा। उस समय वह विस्फोट का भोक्ता बन गया।

प्रश्न 3.
मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं? (ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं? [CBSE 2008]
उत्तर:

  1. ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ से ज्ञात होता है कि लेखक को लिखने के लिए निम्नलिखित बातें प्रेरित करती हैं
    • ‘वह क्यों लिखता है’ यह जानने के लिए लेखक लिखता है।
    • लेखक के मन में भीतरी विवशता से ऐसी अनुभूति उत्पन्न होती है जो उसे लिखने के लिए विवश कर देती है।
  2. किसी रचनाकार को निरंतर लिखते रहने से ख्याति मिल जाती है। इसके अलावा उसे आर्थिक लाभ भी होता है।
    यही अन्य रचनाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाता है और वे उत्साहित होकर लेखन करते हैं।

प्रश्न 4.
कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तर:
ये बाह्य दबाव निम्नलिखित हो सकते हैं

  1. प्रकाशकों का आग्रह
  2.  संपादकों का आग्रह
  3.  आर्थिक लाभ
  4. किसी विषय पर प्रचार-प्रसार करने का दबाव।

प्रश्न 5.
क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?
उत्तर:
वाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित नहीं करते हैं, वरन् अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं। ये कलाकार खेल, सिनेमा, संगीत आदि अलग-अलग क्षेत्रों से हो सकते हैं। उदाहरण के लिए जो क्रिकेट या अन्य खेलों के कई खिलाड़ी अच्छा खेल रहे होते हैं, वे संन्यास लेने के बाद दर्शकों की माँग एवं टीम की आवश्यकता को देखते हुए पुनः खेलना शुरू कर देते हैं। सदी के नायक अमिताभ बच्चन निर्माता-निर्देशकों के आग्रह पर आज भी फ़िल्मों और विज्ञापनों में काम कर रहे हैं और संगीत की दुनिया में वरिष्ठ कलाकार अपनी कला का जादू बिखेर रहे हैं।

प्रश्न 6.
हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत: व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं? [CBSE]
उत्तर:
हिरोशिमा पर लिखी लेखक की कविता को हम उनके आंतरिक दबाव का परिणाम कह सकते हैं। इसके लिए उन्हें न तो किसी संपादक ने आग्रह किया, न किसी प्रकाशक ने तकाज़ा किया। न हीं उन्होंने इसे किसी आर्थिक विवशता के लिए लिखा। इसे उन्होंने शुद्ध रूप से मन की अनुभूति से प्रेरित होकर लिखा। जब पत्थर पर पिघले मानव को देखकर उनके मन में अनुभूति जग गई तो कविता स्वयं लिखी गई। इसलिए हम इस कविता को आंतरिक दबाव का परिणाम कह सकते हैं, किसी बाहरी दबाव का नहीं।

प्रश्न 7.
हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है? [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र [2008; 2009]
अथवा
हिरोशिमा की घटना का उल्लेख करते हुए बताइए कि मनुष्य किन-किने रूपों में विज्ञान का दुरुपयोग करने में प्रवृत्त होता जा रहा है? [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग तो है ही, इसके अलावा भी मनुष्य विभिन्न रूपों में विज्ञान का दुरुपयोग कर रहा है, जिसके दुष्परिणाम जगह-जगह पर देखे जा सकते हैं। विज्ञान के दुरुपयोग के रूप निम्नलिखित हैं-

  1. विज्ञान की मदद से मनुष्य ऐसे हथियार बनाए जिनसे वह सीमा पर दुश्मनों से मुकाबला करता है तथा हिंसक जानवरों का सामना करता है परंतु ये हथियार अब आतंकवादियों के हाथों अपनी विनाशलीला दिखा रहे हैं।
  2. मोबाइल फ़ोन जैसे बहु उपयोगी संचार साधन का गलत उपयोग किया जा रहा है।
  3. अल्ट्रासाउंड द्वारा कन्याभ्रूण को पहचानकर गर्भ में ही उसकी हत्या करके मनुष्य ने सामाजिक संतुलन को बिगाड़ दिया है।
  4. विज्ञान के साधनों का दुरुपयोग करते हुए मनुष्य प्रकृति का विनाश कर रहा है जिससे वायुमंडलीय प्रदूषण बढ़ा है तथा मनुष्य विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है।

प्रश्न 8.
एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है? [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008; 2009; CBSE 2012]
उत्तर:
मैं संवेदनशील युवा नागरिक हूँ। मैं सारी दुनिया को नहीं बदल सकता। परंतु स्वयं को बदल सकता हूँ। मैं विज्ञान के जिस भी यंत्र की बुराइयों के बारे में जानता हूँ, उनसे दूर रहने का प्रयत्न करता हूँ। मैं प्लास्टिक थैलों तथा वस्तुओं को कम-से-कम प्रयोग करता हूँ। बाजार में उपलब्ध कोक या सॉफ्ट ड्रिंक नहीं पीता। पीजा-बर्गर आदि भी नहीं खाता। मैंने संकल्प किया है कि कभी लिंग-भेद का विचार मन में नहीं आने दूंगा। मैं भूलकर भी भ्रूण-हत्या जैसा दुष्कर्म नहीं करूंगा।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है? । [Imp.] [CBSE 2008, 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के हर वर्ग का योगदान रहा है। समाज के सभ्य और कुलीन कहलाने वाले वर्ग के लोगों का योगदान प्रकाश में आ जाता है, पर समाज के उपेक्षित वर्ग का योगदान भरपूर होने पर भी परदे के पीछे ही रह जाता है। कजली गायिका दुलारी भी समाज के ऐसे ही उपेक्षित वर्ग से है जो त्योहारों और अन्य अवसरों पर गीत गाकर अपनी आजीविका चलाती है। उसकी गायकी पर टुन्नू नामक युवा कलाकार आसक्त है जो दबे शब्दों में अपने प्रेम का इजहार करने और होली के अवसर पर उपहारस्वरूप खादी की धोती लाता है। टुन्नू में देशभक्ति की प्रगाढ़ भावना है। इसी से प्रेरित होकर दुलारी ने विदेशी साड़ियों का बंडल जलाने वालों की चादर में फेंककर त्याग दिया। टुन्नू की मृत्यु पर जब उसे अमन सभा में गाने के लिए बुलाया जाता है तो वह टुन्नू की दी गई सूती धोती पहनकर आज़ादी की लड़ाई में अपना योगदान देती है।

प्रश्न 2.
कठोर हृदय समझी जाने वाली दलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी? [Imp.] [CBSE 2008, 2008 C]
उत्तर:
दुलारी को कठोर-हृदय समझा जाता था। वैसे भी वह जिस पेशे में थी, हृदयहीन होना उसका एक गुण माना जाता है, कमजोरी नहीं। वही कठोर दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित हो उठती है क्योंकि उसके मन में टुन्नू का एक अलग ही स्थान था। उसने जान लिया था कि टुन्नू उसके शरीर का नहीं, बल्कि उसकी आत्मा अर्थात् उसकी गायन-कला का प्रेमी था। शरीर से हटकर उसकी आत्मा को प्रेम करने वाले टुन्नू की मृत्यु पर गौनहारिन दुलारी का विचलित हो उठना स्वाभाविक था।

प्रश्न 3.
कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोकआयोजनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
इस कहानी का कालखंड स्वतंत्रता से पूर्व का है। उस समय लोगों के पास आज जैसी सुविधाएँ और मनोरंजन के साधन न थे। क्योंकि उनकी आवश्यकताएँ आज जैसी न थी। लोग त्योहारों को बढ़-चढ़कर मनाते थे। इन त्योहारों के अवसरों पर खुशी को और बढ़ाने तथा थके हारे मन को उत्साहित करने के लिए कजली दंगल जैसे आयोजन किए जाते थे। भादों माह में तीज के त्योहारों के अवसर पर लोगों के मन को उत्साहित करने के लिए कजली दंगल जैसे आयोजन किए जाते थे। भादों माह में तीज के त्योहार के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले लोकगीत गायन का उद्देश्य लोगों का मनोरंजन करना था। इसके अलावा ऐसे प्रतियोगिताओं से नए गायक कलाकारों को भी उभरने का मौका मिलता था। आल्हागायन, कुश्ती, लंबी कूद, जानवरों पक्षियों को लड़ाना कुछ ऐसे ही अन्य परंपरागत लोक आयोजन थे।

प्रश्न 4.
दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए। [Imp.] [CBSE 2012]
उत्तर:
दुलारी एक गौनहारिन है; इसलिए समाज में उसको अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। वह उपेक्षित एवं तिरस्कृत है। दूसरे शब्दों में, वह विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक एवं सांस्कृतिक दायरे से बाहर है; लेकिन अपनी चारित्रिक विशेषताओं के कारण अति विशिष्ट है। उसके चरित्र की ये विशेषताएँ उसे विशेष दर्जा प्रदान करती हैं
(क) स्वर कोकिला-दुलारी का स्वर अति मधुर है। उसे कजली गाने में तो महारत हासिल है। यही कारण है कि कजली-दंगल में उसे अपने पक्ष से प्रतिद्वंद्वी बनाकर खोजवाँ बाजार वाले निश्चित थे।
(ख) प्रतिभाशाली शायरा (कवयित्री)-दुलारी के पास मधुर कंठ ही नहीं, त्वरित बुद्धि भी है। वह स्थिति के अनुसार तुरंत ऐसा पद्य तैयार करके गा सकती थी कि सुनने वाले दंग रह जाते। वह पद्य में ही सवाल-जवाब करने में माहिर थी, इसलिए विख्यात शायर भी उसका लिहाज़ करते थे। उसके सामने गाने में उन्हें घबराहट होती थी।
(ग) निर्भीक एवं स्वाभिमानी-दुलारी स्वस्थ शरीर की मल्लिका है। वह हर रोज कसरत करती है। उसका शरीर पहलवानों जैसा हो गया है। वह स्वाभिमान से जीती है। पुलिस का मुखबिर फेंकू सरदार उससे बदतमीजी करने की कोशिश करता है तो वह इस बात की परवाह किए बिना कि वह उसे हर प्रकार की सुख-सुविधा देता है, उसकी झाड़ से खबर लेती है।
(घ) सच्ची प्रेमिका-दुलारी एक गौनहारिन है। उसके पेशे में प्रेम का केवल अभिनय किया जाता है। लेकिन दुलारी टुन्नू से प्रेम करती है। वह जान चुकी है कि टुन्नू उसके शरीर को नहीं गायन-कला को प्रेम करता है। ऐसे सात्विक प्रेम का प्रतिदान भी वह उसी की शैली में देती है। वह भी टुन्नू की भाँति रेशम छोड़ खद्दर अपना लेती है और टुन्नू की दी गई खद्दर की साड़ी पहनकर ही पुलिस वालों के सामने गाती हुई टुन्नू की मृत्यु का शोक मनाती है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि दुलारी के चरित्र की विशिष्टता उसे एक अलग ही स्थान प्रदान करती है।

प्रश्न 5.
दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ? [Imp.] [CBSE 2008 C]
उत्तर:
दुलारी कजली की प्रसिद्ध गायिका थी। टुन्नू भी इसी प्रकार की पद्यात्मक शायरी करने वाला उभरता कलाकार था। तीज के अवसर पर आयोजित खोजवाँ बाजार के कजली दंगल में टून्नू का दुलारी से परिचय हुआ था। दुलारी खोज़वाँ बाजारवालों की ओर से कजली गाने के लिए आई थी। दुलारी ने दुक्कड़ पर जब कजली गीत सुनाया तो उसका जवाब देने के लिए। बजरडीहा की ओर से टुन्नू नामक सोलह-सत्रह वर्षीय युवा गायक उठ खड़ा हुआ, जिसने अपने जवाबी गायन और मधुर कंठ से श्रोताओं का ही नहीं दुलारी का भी ध्यान अपनी ओर खींचा। यहीं दोनों का प्रथम परिचय हुआ था।

प्रश्न 6.
दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था- ”तें सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट? :::: दुलारी के इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
टुन्नू के गायन का जवाब देते हुए दुलारी ने कहा था-तै सरबउला बोल जिंदगी में कब देखले लोट “। इसका भाव था कि तुझ सिरफिरे ने जिंदगी में नोट कहाँ देखे हैं। यहाँ नोट के दोनों अर्थ सही हैं कि न तो सोलह-सत्रह वर्ष की कच्ची उम्र में टुन्नू ने परमेश्वरी लोट (प्रॉमिसरी नोट) ही देखे हैं और न ही नोट यानि धन-माया। टुन्नू के पिता गरीब पुरोहित थे, जो जैसे-तैसे कौड़ी-कौड़ी जोड़कर गृहस्थी चला रहे थे।
दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए यही संदेश निहित है कि उन्हें सपनों की हसीन दुनिया से निकल कर कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए।

प्रश्न 7.
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
उत्तर:
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में टुन्नू और दुलारी ने अपने-अपने ढंग से अपना योगदान दिया। टुन्नू जो महँगे मलमल के कपड़े पहनता था, उसे छोड़कर खादी के कपड़े पहनने लगा। वह विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए विदेशी कपड़े एकत्र करने वालों के जुलूस में शामिल होकर यह काम करता रहा और इसी कारण पुलिस जमादार की पिटाई का शिकार हुआ, जिससे उसकी जान चली गई। इस प्रकार देश की आजादी के लिए उसने अपना बलिदान दे दिया। टुन्नु की देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता से प्रभावित होकर दुलारी ने अपनी विदेशी साड़ियों का बंडल जलाने के लिए फेंक दिया तथा उसने सूती साड़ी पहनकर अपने ढंग से योगदान दिया।

प्रश्न 8.
दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी। यह प्रेम दुलारी को देश-प्रेम तक कैसे पहुँचाता है? [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
टुन्नू सोलह-सत्रह वर्ष का युवक था तो दुलारी ढलते यौवन की प्रौढ़ा थी। टुन्नू घंटे-आधे घंटे आकर दुलारी के पास बैठता और उसकी बातें सुनता। वह केवल दुलारी की कला का प्रेमी था। उसे दुलारी की आयु, रंग या रूप से कुछ लेना-देना न था। दुलारी भी टुन्नू की कला को पहचान कर उसका मान करने लगी थी। यह परस्पर सम्मान का भाव ही प्रेम में बदल गया। कहने को तो दुलारी ने होली पर गाँधी आश्रम से धोती लाने वाले टुन्नू को फटकार कर भगा दिया, लेकिन टुन्नू के जाने के बाद उसे टुन्नू का बदला वेश, उसका कुरता और गाँधी टोपी का ध्यान आया तो उसे समझने में देर न लगी कि टुन्नू स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गया है। एक सच्ची प्रेमिका की तरह उसने भी तुरंत वही राह अपनाने का फैसला कर लिया और फेंकू सरदार की लाई हुई विदेशी मिलों में बनी महीन धोतियाँ होली जलाने के लिए स्वराज-आंदोलनकारियों की फैलाई चद्दर पर फेंक दी। यह एक छोटा-सा त्याग वास्तव में एक बड़ी भावना की अभिव्यक्ति था।

प्रश्न 9.
जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फर्ट-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?
उत्तर:
विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के लिए वस्त्रों का संग्रह कर रहे देश के सेवकों की चादर पर वस्त्र-कमीज, धोतियाँ, कुर्ता, साडी आदि की जो वर्षा हो रही थी, उनमें अधिकांश फटे और पुराने थे परंतु दुलारी ने विदेशी मिलों में बनी कोरी साडियों का वह बंडल फेंका जो एकदम नया था और जिनकी साड़ियों की तह भी नहीं खुली थी। उसका ऐसा करना देशभक्ति की उत्कट भावना और सच्ची राष्ट्रीयता की अभिव्यक्ति करता है। इसके अलावा इससे टुन्नू के प्रति प्रेम की मानसिकता भी दिखाई देती है।

प्रश्न 10.
“मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमरे का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?[Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
टुन्नू का यह कथन सत्य है। वैसे भी टुन्नू का प्यार आत्मिक था। इसलिए उसे दुलारी की आयु या उसके रूप से कुछ लेना-देना नहीं था। क्योंकि यह प्रेम मात्र आकर्षण या शारीरिक भूख से प्रेरित न था; इसलिए उनके विवेक ने इसे देश-प्रेम की ओर मोड़ दिया, जो स्वार्थ से परे प्रेम का सर्वोच्च स्वरूप है। देश-प्रेम ही आत्मा की पवित्रतम भावना है। टुन्नू और दुलारी का प्रेम उनकी आत्मा द्वारा चालित होकर देश-प्रेम में बदल गया।

प्रश्न 11.
‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का प्रतीकार्थ समझाइए। [ V. Imp.] [CBSE 2012]
उत्तर:
‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का शाब्दिक अर्थ है-इसी जगह पर मेरी लौंग अर्थात् नाक का आभूषण खो गया है। इसका प्रतीकार्थ है-टाउन हाल का वह स्थान जहाँ पुलिस जमादार अली सगीर द्वारा टुन्नू की हत्या कर दी गई थी। टुन्नू दुलारी से प्रेम करता था और दुलारी जो कठोर हृदयी समझी जाती थी, टुन्नू से प्रेम करने लगी थी। वह उसी हत्या वाली जगह की ओर संकेत करके कहती है-”इसी स्थान पर उसका सबसे प्रिय (टुन्नू और उसका प्रेम) खो गया है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था? [CBSE 2012]
उत्तर:
गंतोक पर्वतीय स्थान जहाँ चारों ओर पर्वत, वादियाँ और प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा रहता है। रात के समय यहाँ ऊपर देखने पर लेखिका को ऐसा लगा जैसे आसमान उलटा पड़ा था और सारे तारे बिखरकर नीचे टिमटिमा रहे थे। दूर ढलान लेती तराई पर सितारों के गुच्छे रोशनियों की झालर बना रहे थे। रात में जगमगाते इस शहर का सौंदर्य लेखिका को सम्मोहित कर रहा था।

प्रश्न 2.
गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया? [Imp.] [CBSE 2008)
उत्तर:
‘मेहनतकश’ का अर्थ है-कड़ी मेहनत करने वाले। ‘बादशाह’ का अर्थ है-मन की मर्जी के मालिक। गंतोक एक पर्वतीय स्थल है। पर्वतीय क्षेत्र होने के नाते यहाँ स्थितियाँ बड़ी कठिन हैं। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यहाँ के लोग इस मेहनत से घबराते नहीं और ऐसी कठिनाइयों के बीच भी मस्त रहते हैं। इसलिए गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों को शहर’ कहा गया है।

प्रश्न 3.
कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
सिक्किम में बुद्धिस्टों द्वारा दो अवसरों पर पताकाएँ फहराई जाती हैं-मृत्यु के समय श्वेत पताकाएँ तथा शुभ कार्य के समय रंगीन। श्वेत पताकाएँ शांति और अहिंसा की प्रतीक होती हैं, जिन पर मंत्र लिखे होते हैं। किसी बौद्ध धर्म के अनुयायी की मृत्यु होने पर उसकी आत्मा की शांति हेतु एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं, जिन्हें उतारा नहीं जाता है। रंगीन पताकाएँ तब फहराई जाती हैं जब किसी नए कार्य की शुरुआत की जाती है। ऐसा बुद्ध के अनुयाइयों द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम को प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए। [CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009; CBSE]
उत्तर:
जितेन नार्गे उस वाहन (जीप) का गाइड-कम-ड्राइवर था, जिसके द्वारा लेखिका सिक्किम की यात्रा कर रही थीं। जितेन एक समझदार और मानवीय संवेदनाओं से युक्त व्यक्ति था। उसने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, भौगोलिक स्थिति तथा जन-जीवन के विषय में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। उसने बताया कि सिक्किम बहुत ही खूबसूरत प्रदेश है और गंतोक से यूमथांग की 149 किलोमीटर की यात्रा में हिमालय की गहनतम घाटियाँ और फूलों से लदी वादियाँ देखने को मिलती हैं। सिक्किम प्रदेश चीन की सीमा से सटा है। पहले यहाँ राजशाही थी। अब यह भारत का एक अंग है।
सिक्किम के लोग अधिकतर बौद्ध धर्म को मानते हैं और यदि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाए तो उसकी आत्मा की शांति के लिए एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं। किसी शुभ अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। यहाँ के लोग बड़े मेहनती हैं। इसलिए गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का नगर’ कहा जाता है और यहाँ की स्त्रियाँ भी कठोर परिश्रम करती हैं। वे अपनी पीठ पर बँधी डोको (बड़ी टोकरी) में कई बार अपने बच्चे को भी साथ रखती हैं। यहाँ की स्त्रियाँ चटक रंग के कपड़े पहनना पसंद करती हैं और उनका परंपरागत परिधान ‘बोकू’ है।

प्रश्न 5.
लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी? V. Imp.
उत्तर:
लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर जब लेखिका ने नार्गे से उसके बारे में पूछा तो पता चला कि यह धर्मचक्र है, जिसे घुमाने पर सारे पाप धुल जाते हैं। यह सुनकर लेखिका को ध्यान आया कि पूरे भारत की आत्मा एक है। यहाँ जगहजगह पर कुछ ऐसी मान्यताएँ हैं जैसे-गंगा में स्नान करने से पापमुक्त हो जाते हैं, काशी में मरने पर सीधा स्वर्ग मिलता है, दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से यमराज क्रुद्ध हो जाते हैं। भले ही आज देश में इतनी प्रगति हो गई है परंतु लोगों की आस्था, विश्वास, अंधविश्वास और पाप-पुष्य की मान्यताएँ एक जैसी ही हैं।

प्रश्न 6.
जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं? [CBSE 2012]
उत्तर:
जितेन नार्गे एक कुशल गाइड है। वैसे तो पर्यटक वाहनों में ड्राइवर अलग और गाइड अलग होते हैं; लेकिन जितेन ड्राइवर-कम-गाइड है। अतः हम कह सकते हैं कि एक कुशल गाइड को वाहन चलाने में भी कुशल होना चाहिए। ताकि आवश्यकता पड़े तो वह ड्राइवर की भूमिका भी निभा सके।
एक कुशल गाइड को अपने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति तथा विभिन्न स्थानों के महत्त्व तथा उनसे जुडी रोचक जानकारियों को ज्ञान भी होना चाहिए, जैसे कि जितेन को पता है कि देवानंद अभिनीत ‘गाइड’ फिल्म (यह अपने समय की अति लोकप्रिय फिल्म थी) की शूटिंग लोंग स्टॉक में हुई थी। इससे पर्यटकों का मनोरंजन भी होता है और उनकी स्थान में रुचि भी बढ़ जाती है।

जितेन यद्यपि नेपाली है, लेकिन उसे सिक्किम के जन-जीवन, संस्कृति तथा धार्मिक मान्यताओं का पूरा ज्ञान है। वहाँ की कठोर जीवन-स्थितियों से भी वह भली-भाँति परिचित है। यह किसी कुशल गाइड का आवश्यक गुण है।
जितेन का सबसे अच्छा गुण है-मानवीय संवेदनाओं की समझ तथा परिष्कृत संवाद शैली। वह सिक्किम की सुंदरता का गुणगान ही नहीं करता, वहाँ के लोगों के दुख-दर्द के बारे में लेखिका से बातचीत करता है। उसकी भाषा बड़ी परिष्कृत और संवाद का ढंग अपनत्व से पूर्ण है, जो किसी गाइड का आवश्यक गुण है।

प्रश्न 7.
इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों लिखिए।
उत्तर:
इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका के मुख्य आकर्षण का केंद्र हिमालय रहा है। उसे हिमालय के विभिन्न रूप अत्यंत मनोरम लगे। हिमालय की भव्यता एवं प्राकृतिक सौंदर्य देखकर लेखिका की आत्मा तथा आँखें दोनों ही तृप्त हो गईं। हिमालय का रूप हर पल नया-सा लगा। हिमालय कहीं चटेक हरे रंग का मोटा कालीन ओढ़ था तो कहीं हल्का पीलापन लिए हुए। कहीं वह प्लास्टर उखड़ी दीवार की तरह पथरीला दीखता, तो सब कुछ अचानक यूँ गायब हो जाता। जैसे किसी ने जादू की छड़ी घुमाकर गायब कर दिया हो। कुछ ही देर में हिमालय पर बादलों की एक मोटी चादर सी नज़र आती थी और थोड़े समय बाद ही हिमालय की वादियाँ फूलों की चादर से ढकी दिखाई देती थीं।

प्रश्न 8.
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है? [CBSE 2012]
उत्तर:
हिमालय का स्वरूप पल-पल बदलता है। प्रकृति इतनी मोहक है कि लेखिका किसी बुत-सी ‘माया’ और ‘छाया’ के खेल को देखती रह जाती है। उसे लगता है कि प्रकृति उसे अपना परिचय दे रही है। वह उसे और सयानी (बुद्धिमान) बनाने के लिए अपने रहस्यों का उद्घाटन कर रही है। प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर उसे अनेक अनुभूतियाँ होती हैं। उसे लगता है जीवन की सार्थकता झरनों और फूलों की भाँति स्वयं को दे देने में अर्थात् परोपकार में ही है। झरनों की भाँति निरंतर चलायमान रहना और फूलों की भाँति अपनी महक लुटाना ही जीवन का सच्चा स्वरूप है।

प्रश्न 9.
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए? V. Imp.]
उत्तर:
गंतोक से यूमथांग के रास्ते पर जाते हुए लेखिका प्राकृतिक दृश्य और हिमालय के सौंदर्य को देखकर अभिभूत थी। सौंदर्य की अधिकता के कारण वह मंत्रमुग्ध हो तंद्रिल अवस्था में चल रही थी कि तभी उसने देखा कि कुछ पहाड़ी औरतें पत्थरों पर बैठी पत्थर तोड़ रही हैं। गुथे आटे-सी कोमल काया और हाथों में कुदाल-हथौड़े। इनमें से अनेक की पीठ पर बँधे बच्चे। स्वर्गीय सौंदर्य, नदी फूल, वादियाँ और झरने के बीच भूख, मौत, दैन्य और जिंदा रहने की यह जंग जैसे दृश्य लेखिका को झकझोर गए।

प्रश्न 10.
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्ले। करें। [CBSE 2012]
उत्तर:
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में अनेक प्रकार के लोगों का योगदान रहता है। सबसे पहले इस दृश्य में उस ट्रेवल की भूमिका रहती है, जो सैलानियों के लिए स्थान के अनुसार वाहन तथा उनके ठहरने संबंधी व्यवस्थाएँ करता है। इसके बाद उनके वाहन का चालक तथा परिचालक भूमिका निभाते हैं, जो उन्हें गंतव्य तक पहुँचाते हैं। फिर उनके गाइड (मार्गदर्शक) की भूमिका शुरू होती है जो पर्यटन स्थल की जानकारी देता है। पर्वतीय स्थलों पर कई बार सैलानियों को अपना बड़ा वाहन (बस) छोड़कर जीप जैसा छोटा वाहन लेना पड़ता है। प्रायः इन छोटे वाहनों के चालक जितेन नार्गे की भाँ ड्राइवर-कम-गाइड होते हैं। इसके अतिरिक्त उनके ठहरने व खाने-पीने की व्यवस्था करने वाले होटल के कर्मचारी तथा पर्यटक-स्थल पर छोटी-छोटी अन्य सुविधाएँ-जैसे बर्फ पर चलने के लिए लंबे बूट व अन्य जरूरी सामान किराए पर देने वाले दुकानदार तथा हस्तशिल्प व कलाकृतियाँ बेचने वाले वे फोटोग्राफर जैसे लोगों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण होती है।

प्रश्न 11.
“कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है? [Imp.] [CBSE 2012]
उत्तर:
लेखिका ने यह कथन उन पहाड़ी श्रमिक महिलाओं के विषय में कहा है, जो पीठ पर बँधी डोको (बड़ी टोकरी) में अपने बच्चों को सँभालते हुए कठोर श्रम करती हैं। ऐसा ही दृश्य वह पलामु और गुमला के जंगलों में भी देख चुकी थी, जहाँ बच्चे को पीठ पर बाँधे पत्तों (तेंदु के) की तलाश में आदिवासी औरतें वन-वन डोलती फिरती हैं। उसे लगता है कि ये श्रम-सुंदरियाँ ‘वैस्ट एट रिपेईंग’ हैं; अर्थात् ये कितना कम लेकर समाज को कितना अधिक लौटा देती हैं। वास्तव में यह एक सत्य है कि हमारे ग्रामीण समाज में महिलाएँ बहुत कम लेकर समाज को बहुत अधिक लौटाती हैं। वे घर-बार भी सँभालती हैं, बच्चों की देखभाल भी करती हैं और श्रम करके धनोपार्जन भी करती हैं। यह बात हमारे देश की आम जनता पर भी लागू होती है। जो श्रमिक कठोर परिश्रम करके सड़कों, पुलों, रेलवे लाइनों का निर्माण करते हैं या खेतों में कड़ी मेहनत करके अन्न उपजाते हैं; उन्हें बदले में बहुत कम मजदूरी या लाभ मिलता है। लेकिन उनका श्रम देश की प्रगति में बड़ा सहायक होता है। हमारे देश की आम जनता बहुत कम पाकर भी देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाती है।

प्रश्न 12.
आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।[Imp.] [CBSE 2008, 2008 C]
अथवा
प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ को कैसे रोका जा सकता है? [CBSE 2012]
उत्तर:
आज की पीढ़ी पहाड़ी स्थलों को अपना विहार-स्थल बना रही है। वहाँ भोग के नए-नए साधन पैदा किए जा रहे हैं। इसलिए जहाँ एक ओर गंदगी बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर तापमान में वृद्धि हो रही है। परिणामस्वरूप पर्वत अपनी स्वाभाविक सुंदरता खो रहे हैं। | इसे रोकने में हमें सचेत होना चाहिए। हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे पहाड़ों का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो, गंदगी फैले और तापमान में वृद्धि हो।

प्रश्न 13.
प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।[Imp.J[CBSE 2012]
उत्तर:
प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का उल्लेख किया गया है, परंतु प्रदूषण के अन्य दुष्परिणाम जो सामने आए हैं, वे हैं

  • प्रदूषण के कारण कम बरफ़ गिरने से प्राकृतिक सौंदर्य में कमी आ गई है।
  • बरफ़ गिरने या न गिरने की अनिश्चितता के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी आने से पर्यटन उद्योग प्रभावित हो रहा है।
  • कम बरफ़बारी से नदियों का जलस्तर घट रहा है।
  • प्रदूषण से वैश्विक तापमान बढ़ा है, जिससे ध्रुवों की बरफ़ जल्दी पिघलने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
  • प्रदूषण से जलवायु चक्र प्रभावित हुआ है, जिससे असमान वर्षा तथा प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हुई है।
  • स्वाँस संबंधी बीमारियों के अलावा अन्य नाना प्रकार की बीमारियों में अचानक वृद्धि हुई है।

प्रश्न 14.
‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?
अथवा
‘कटाओ’ पर किसी दुकान का न होना इस पर्यटन-स्थल के लिए वरदान क्यों है? पाठ के आधार पर लिखिए। [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
कटाओ सिक्किम की एक खूबसूरत किंतु अनजान-सी जगह है, जहाँ प्रकृति अपने पूरे वैभव के साथ दृष्टिगोचर होती है। यहाँ पर लेखिका को बर्फ का आनंद लेने के लिए घुटनों तक के लंबे बूटों की आवश्यकता अनुभव हुई तो उसने देखा कि वहाँ पर झांगु की तरह ऐसी चीजें किराए पर मुहैया करवाने वाली दुकानों की कतारें तो क्या, एक दुकान भी न थी।
लेखिका को लगा कि कटाओ में किसी दुकान का न होना भी वहाँ के लिए वरदान है। क्योंकि अगर वहाँ दुकानों की कतार लग गई तो कटाओ का नैसर्गिक सौंदर्य तो दबेगा ही, स्थानीय आबादी भी बढ़ेगी और पर्यटकों की भीड़ भी। अंततः वहाँ भी प्रदूषण अपने पाँव पसारेगा। ऐसे में कटाओं में दुकानों का न होना एक वरदान ही है।

प्रश्न 15.
प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है? [Imp.][A.I. CBSE 2008 C; CBSE 2008 C]
उत्तर:
प्रकृति का हर काम बेजोड़ एवं सबसे अलग तरीके से होता है। इसी तरह प्रकृति में जलसंचय का तरीका भी अद्भुत है। प्रकृति शीत ऋतु में पर्वत शिखरों पर गिरी बरफ़ को एकत्रकर जलसंचय कर लेती है। ये पर्वत शिखर वास्तव में अनूठे। जल स्तंभ हैं। इनकी बरफ़ सूर्य के ताप से गरमियों में पिघलकर पानी के रूप में नदियों में बहती है और लोगों की प्यास बुझाने के अलावा कृषि की सिंचाई करने के काम आता है। अन्य स्थानों पर वर्षा का एकत्र जल तालाब, झील, पोखर आदि का वाष्पीकरण करके प्रकृति उसे बादल के रूप में एकत्र कर लेती है।

प्रश्न 16.
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझन हैं? उनके प्रति हमारा क्या नरदायित्व होना चाहिए? [CBSE 2012]
उत्तर:
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी प्रकृति के प्रकोप को सहन करते हैं। जाड़ों में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में जब तापमान शून्य से 20-25 सैल्सियस नीचे चला जाता है तो भी वे सीमा पर डटे रहते हैं। देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए वे रात-रात भर जागते हैं। तपते रेगिस्तान में धूल-भरे तूफानों के बीच वे भूखे-प्यासे अपने कर्तव्यों की पूर्ति करते हैं। आवश्यकता पड़े तो वे सीने पर शत्रु की गोली भी खाते हैं।
देश के रक्षक फौजियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उनके प्रति स्नेह तथा सम्मान का भाव रखते हुए उन्हें हर प्रकार की सहायता दें। उनके परिवारों को किसी प्रकार का कष्ट या अभाव न हो, उनके बच्चों की शिक्षा भली-भाँति हो सके, इस बात का ध्यान रखना हमारा ही उत्तरदायित्व है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले.

पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर:
बिल्डर निर्माण कार्य हेतु उसे धीरे-धीरे पीछे धकेलते जा रहे थे।

प्रश्न 2.
लेखक का घर किस शहर में था?
उत्तर:
लेखक का घर वर्सावा शहर में था।

प्रश्न 3.
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर:
जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिमटने लगा है।

प्रश्न 4.
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर:
कबूतर परेशानी में इधर-उधर इसलिए फड़फड़ा रहे थे, क्योंकि उनका एक अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया और दूसरा अंडा लेखक की माँ की असावधानी के कारण टूट गया। इस तरह दोनों अंडों के टूट जाने पर अर्थात् अपने बच्चों का विनाश देखकर कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
अरब में लशकर को ‘नूह’ के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर:
अरब में लशकर को ‘नूह’ के नाम से लोग इसलिए याद करते हैं, क्योंकि ‘नूह’ नामक पैगंबर का असली नाम ‘लशकर’ ही था।

प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
उत्तर:
लेखक की माँ सूरज ढलने के समय आँगन के पेड़ों से पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं, क्योंकि उनकी कहना था कि इस समय पत्ते तोड़ने से वे रोते हैं और किसी को भी दुख पहुँचाना ठीक नहीं है।

प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ है?
उत्तर:
प्रकृति में आए असंतुलन का भयंकर परिणाम हुआ है। जैसे-अब गरमी के मौसम में गरमी की अति, बेवक्त की बरसातें, ज़लज़ले, सैलाब, तूफ़ान और नित नए रोगों का उत्पन्न होना आदि अर्थात् अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि तथा अनावृष्टि का होना इसी का परिणाम है।

प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?
उत्तर:
लेखक की माँ ने पूरे दिन का दोज़ा पश्चाताप हेतु रखा। दरअसल उनके मकान के दालान में दो रोशनदान थे, जिसमें कबूतर के जोड़े ने घोंसला बना लिया था। घोंसले में दिए दो अंडों में से एक को बिल्ली ने उचक कर एक तोड़ दिया। यह देखकर माँ बहुत दुखी हुईं। उन्होंने दूसरे अंडे को बचाने के लिए प्रयास किया, लेकिन ऐसा करने से दूसरा अंडा भी टूट गया। इस गुनाह के लिए ही उन्होंने एक दिन का रोज़ा रखा।

प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक कई बदलावों को महसूस किया। जैसे–लेखक का वर्सावा में आज जो घर है, वहाँ पहले दूर तक जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे तथा दूसरे जानवर थे और अब यहाँ समंदर के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है।

प्रश्न 6.
“डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘डेरा डालने से आशय है कि अपने रहने के लिए अस्थायी घर बनाना। पाठ में बताया गया है कि समुद्र के किनारे बस्तियाँ बन जाने से कई पेड़ कटे, कई पक्षी पलायन कर गए और जो न जा सके, उन्होंने जहाँ-तहाँ डेरी डाल लिया।

प्रश्न 7.
शेख अयाज़ के पिता अपनी बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देखे भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए?
उत्तर:
शेख आयाज़ के पिता अपनी बाजू पर च्योंटा रेंगता देख, भोजन छोड़कर इसलिए उठ खड़े हुए, क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने एक च्योंटे को बेघर कर दिया है। वह च्योंटा कुएँ पर रहता था। इसलिए वे उसे छोड़ने कुएँ पर गए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। बढ़ती हुई आबादी के कारण समुद्र ने पीछे सरकना शुरू कर दिया है, पेड़ों को काट-काटकर उन्हें रास्तों से हटाया जा रहा है तथा फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया है। बारूद की विनाशलीला ने वातावरण को प्रदूषित करना शुरू कर दिया है। गर्मी की अति, सर्दी की अति, बरसात की अति, ज़लज़ले, सैलाब, तूफ़ान और नित नए-नए रोगों का उत्पन्न होना आदि का बढ़ती हुई आबादी के कारण ही तो सामना करना पड़ रहा है।

प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर:
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली इसलिए लगवानी पड़ी, क्योंकि लेखक के घर में कबूतरों के एक जोड़े ने अपना घोंसला बना लिया था, जिससे उन कबूतरों का आना-जाना शुरू हो गया। जब वे कबूतर अपने बच्चों को दाना खिलाने आते, तो घर की किसी-न-किसी चीज़ से टकराकर उसे गिरा देते तथा कभी पुस्तकालय में घुसकर किताबें खराब कर देते थे।

प्रश्न 3.
समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
उत्तर:
समुद्र के गुस्से की वज़ह थी कि उसे निरंतर सिमटते जाना पड़ रहा था। बिल्डर निर्माण कार्य हेतु उसे धीरे-धीरे पीछे धकेलते जा रहे थे। उसने स्वयं को काफी सिकोड़ा, पर जब उसकी सहन-शक्ति समाप्त हो गई, तो उसे गुस्सा आ गया। उसने अपना गुस्सा प्रकट करने के लिए अपनी लहरों पर दौड़ते हुए तीन जहाज़ों को उठाकर बच्चों की गेंद की तरह तीनों दिशाओं में फेंक दिया। एक जहाज़ वर्ली के समुद्र के किनारे पर जा गिरा, तो दूसरा जहाज़ बांद्रा में कार्टर के सामने औंधे मुँह गिरा और तीसरा गेट-वे ऑफ इंडिया पर टूटकर सैलानियों का नज़ारा बना। ये तीनों जहाज़ कोशिश करने के बावजूद भी दुबारा चलने-फिरने योग्य न रहे।

प्रश्न 4.
‘मट्टी से मटूटी मिले, खो के सभी निशान। किसमें कितना कौन है, कैसे हो पहचान – इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक इन पंक्तियों के माध्यम से दो बातें कहना चाहता है। पहली-मृत्यु होने पर सभी प्राणियों के शरीर मिट्टी में मिलकर मिट्टी ही बन जाते हैं। अर्थात् फिर कोई पहचान नहीं रहती कि किस मिट्टी में किसका शरीर मिला है। दूसरी-आध्यात्मिकता की दृष्टि से जिस प्रकार समुद्र में बूंद के मिलने पर उसकी पहचान खो जाती है, उसी प्रकार सभी आत्माएँ मृत्यु के बाद कहाँ जाती हैं, मुक्त होती हैं अथवा परमात्मा में मिल जाती हैं; यह पहचानना भी अति दुष्कर है। संसार का रचयिता अपने अनुसार सबको रचता है, इसमें किसी की चाहत या इच्छा कार्य नहीं करती। जीवन के अंत में सभी इस मिट्टी में मिल जाते हैं। सबकी एक ही गति होती है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था।
उत्तर:
इसका आशय है कि जैसे प्रत्येक मनुष्य की सहन-शक्ति की एक सीमा होती है, ठीक उसी तरह नेचर (प्रकृति) की सहन-शक्ति की भी सीमा होती है। जब हम प्रकृति के साथ छेड़खानी करते हैं, खिलवाड़ करते हैं, तो कुछ समय बाद उसकी सहन-शक्ति समाप्त हो जाती है। और तब वह बदला लेती है, आंदोलन करती है। ऐसा ही एक नमूना कुछ समय पहले बंबईवासियों को झेलना पड़ा था। उस समय भूकंप ने बंबईवासियों को इतना डरा दिया था कि उन्हें पूजा-स्थलों की शरण में जाना पड़ा था।

प्रश्न 2.
जो जितना बड़ा होता है, उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
उत्तर:
इसका आशय है कि जिस प्रकार धीर पुरुष छोटी-मोटी बातों से तथा दुख व अपमान आदि से नहीं घबराते, लेकिन अत्याचारों की अति होने पर वे अत्यधिक गंभीर परिणाम भुगतने के लिए अत्याचारी को बाध्य कर देते हैं उसी प्रकार समुद्र पर बिल्डरों और मछुआरों का कोप, धरती पर शिकारियों तथा भूमाफियों का अतिक्रमण तथा वायु में कल-कारखानों से निकलती ज़हरीली गैसों के कारण प्रकृति सभी को गंभीर परिणाम भुगतने के लिए बाध्य कर रही है, क्योंकि प्रकृति सबसे अधिक शक्तिशाली है।

प्रश्न 3.
इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं, उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।
उत्तर:
इसका आशय है कि मानव की बढ़ती महत्त्वाकांक्षाएँ, कभी न समाप्त होने वाली इच्छाएँ, बढ़ती हुई आबादी की लोलुपता की पूर्ति हेतु पेड़ों की कटाई, जंगलों का सफ़ाया, जंगली-जानवरों का शिकार तथा प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़खानी इत्यादि हरकतें पशु-पक्षियों को बेघर कर देती हैं, जिससे मनुष्य अपने दुर्भाग्य को ही निमंत्रण देता है। अतः मानव इस प्रकार के प्रकृति को असंतुलित करने वाले कुकृत्यों से बाज आना चाहिए।

प्रश्न 4.
शेख अयाज़ के पिता बोले ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इन पंक्तियों में शेख अयाज़ के पिता की परोपकार की भावना प्रकट हो रही है। वे एक परोपकारी व्यक्ति थे। समस्त जीवों के प्रति इन पंक्तियों के माध्यम से उनकी प्रेम-भावना उजागर हो रही है। दरअसल वे एक सरल हृदय, निष्कपट, दयालु और नेक इंसान थे। वे पशु-पक्षियों तथा कीड़े-मकोड़ों के दर्द और दुख-तकलीफ़ को भी समझते थे। उनकी भावनाएँ सभी के लिए समान थीं।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक चिह्नों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए-
जैसे-
(क) माँ ने भोजन परोसा।                                               कर्ता
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।                           ………………..
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।                      ………………..
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ो रहे थे।         ………………..
(ङ) दरिया पर जाओ, तो उसे सलाम किया करो।            ………………..

उत्तर:
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।                           संप्रदान
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।                      कर्म
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।        अधिकरण
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो।            अधिकरण

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए-

  1. चींटी,
  2. घोड़ा,
  3. आवाज़,
  4. बिल,
  5. फौज,
  6. रोटी,
  7. बिंदु,
  8. दीवार,
  9. टुकड़ा।

उत्तर:
        एकवचन                बहुवचन

  1. चींटी                       चींटियाँ
  2. घोड़ा                       घोड़े
  3. आवाज़                    आवाजें
  4. बिल                        बिलों
  5. बिंदु                        बिंदुओं
  6. फौज                       फौजें
  7. रोटी                        रोटियाँ
  8. दीवार                      दीवारें
  9. टुकड़ा                     टुकड़े

प्रश्न 3.
ध्यान दीजिए नुक्ता लगाने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। पाठ में ‘दफा’ शब्द का प्रयोग हुआ है, जिसका अर्थ होता है-बार (गणना संबंधी), कानून संबंधी। यदि इस शब्द में नुक्ता लगा दिया जाए, तो शब्द बनेगा ‘दफा जिसका अर्थ होता है-दूर करना, हटाना। यहाँ नीचे कुछ नुक्तायुक्त और नुक्तारहित शब्द दिए जा रहे हैं, उन्हें ध्यान से देखिए और अर्थगत अंतर को समझिए।

  1. सजा – सज़ा
  2. नाज – नाज़
  3. जरा – ज़रा
  4. तेज – तेज़

निम्नलिखित वाक्यों में उचित शब्द भरकर वाक्य पूरे कीजिए-

  1. आजकल ……………………… बहुत खराब है। (जमाना/ज़माना)
  2. पूरे कमरे को ……………………… दो। (सजा/सज़ा)
  3. ……………………… चीनी तो देना। (जरा जरा)
  4. माँ दही …………………….. भूल गई। (जमाना/ज़माना)
  5. दोषी को ………………………….: दी गई। (सजा/सज़ा)
  6. महात्मा के चेहरे पर ………………… था। (तेज/तेज़)

उत्तर:

  1. ज़माना
  2. सजा
  3. ज़रा
  4. जमाना
  5. सज़ा
  6. तेज

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
पशु-पक्षी एवं वन्य संरक्षण केंद्रों में जाकर पशु-पक्षियों की सेवा-सुश्रूषा के संबंध में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अपने आसपास प्रतिवर्ष एक पौधा लगाइए और उसकी समुचित देखभाल कर पर्यावरण में आए असंतुलन को रोकने में अपना योगदान दीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
किसी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए, जब अपने मनोरंजन के लिए मानव द्वारा पशु-पक्षियों का उपयोग किया गया हो।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 are helpful to complete your homework.

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