NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?
उत्तर:
‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल ।’ कविता में ‘दीपक’ कवयित्री की अपने प्रभु के प्रति आस्था, आध्यात्मिकता और लगाव का प्रतीक है।
‘प्रियतम’ उसका अज्ञात प्रभु या ईश्वर का प्रतीक है जिसके आगमन के लिए उसके पथ में आलोक बिखराने हेतु वह अपनी आस्था का दीपक जलाए रखना चाहती है।

प्रश्न 2.
दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?
उत्तर:
कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने के लिए आग्रह किया है, क्योंकि ये सभी स्थितियाँ दीपक के जलने की हैं-कभी तो वह मधुरता के साथ जलता है, तो कभी पुलकित होकर जलता है। इसके अतिरिक्त कभी दीपक सिहर-सिहर कर, तो कभी विहँस-विहँस कर जलता है। कवयित्री ने दीपक को हर परिस्थिति में तूफ़ानों का सामना करते हुए अपने अस्तित्व को मिटाकर अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके आलोक फैलाने के लिए कहा है, क्योंकि कवयित्री के हृदय में हर विषय परिस्थिति से जूझने व उमंग के साथ जीवन का उत्सर्ग कर प्रियतम के पथ को आलोकित करने की उत्कट अभिलाषा है।

प्रश्न 3.
‘विश्व-शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?
उत्तर:
‘विश्व-शलभ’ दीपक के साथ इसलिए जल जाना चाहता है, क्योंकि वह अहंकार और अज्ञान के कारण प्रभु से नाता नहीं जोड़ पा रहा है। यह अहंकार और अज्ञान उसे प्रभु के निकट जाने में बाधक सिद्ध हो रहे हैं। इसी अहंकार और अज्ञान को नष्ट करने के लिए वह आग में जलना चाहता है ताकि प्रभु के लिए आस्था का दीप जला सके।

प्रश्न 4.
आपकी दृष्टि में ‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!’ कविता का सौंदर्य इनमें से किसपर निर्भर है
(क) शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) सफल बिंब अंकन पर।
उत्तर:
हमारी दृष्टि में तो कविता का सौंदर्य शब्दों की आवृत्ति तथा सफल बिंब अंकन दोनों पर ही निर्भर है। दोनों के कारण ही कविता में भाव-सौंदर्य तथा शिल्प-सौंदर्य की वृद्धि हुई है। कविता में छिपा रहस्यवाद दोनों के कारण ही उभर रहा है। शब्दों की आवृत्ति से कविता का भाव स्पष्ट हो रहा है, तो सफल बिंब अंकन के कारण कविता का सजीव, मनोहारी तथा चित्रात्मक वर्णन हुआ है। अव्यक्त से व्यक्त प्रभु के साकार रूप को सृष्टि के रूप में दर्शाया गया है।

प्रश्न 5.
कवयेत्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?
उत्तर:
कवयित्री अपने प्रियतम अर्थात् प्रभु का पथ अलोकित करना चाहती है। उसका प्रभु अदृश्य, निराकार और रूपहीन है। वह अपनी आध्यात्मिकता एवं आस्था के दीपक के माध्यम से अपने प्रियतम का मार्ग आलोकित करना चाहती है ताकि उस तक आसानी से पहुँच सके।

प्रश्न 6.
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
उत्तर:
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से इसलिए प्रतीत हो रहे हैं, क्योंकि ये सभी प्रकृतिवश, यंत्रवत होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। इनमें कोई भावना नहीं है, प्रेम नहीं है तथा परोपकार का भाव नहीं है अर्थात् ये सभी प्रभु के प्रेम से हीन हैं। इनमें प्रभु के लिए तड़प नहीं है, तभी तो टिमटिमाते हुए भी स्नेहहीन ही प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 7.
पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
उत्तर:
पतंगे के मन में यह क्षोभ है कि वह लौ से मिलकर, उसके साथ अपना अस्तित्व नष्ट करके दीपक के संग एकाकार होना चाहता था पर वह ऐसा न कर सका। हाथ आए इस अवसर को खो बैठने के कारण वह पछताते हुए अपना क्षोभ प्रकट कर रहा है। वास्तव में यह पतंगा प्रभुभक्ति से हीन मनुष्य है जो अज्ञान और अहंकार के कारण प्रभुभक्ति और प्रभु का सान्निध्य न प्राप्त कर सका।

प्रश्न 8.
मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस-कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने के लिए इसलिए कहा है, क्योंकि ये सभी स्थितियाँ दीपक के जलने की हैं-कभी तो वह मधुरता के साथ जलता है, कभी पुलकित होकर जलता है। इसके अतिरिक्त कभी दीपक सिहर-सिहर कर, कभी विहँस-विहँस कर जलता है अर्थात् कवयित्री ने दीपक को हर परिस्थिति में तूफानों का सामना करते हुए, अपने अस्तित्व को मिटाकर अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके आलोक फैलाने के लिए हर बार अलग तरह से जलने को कहा है।

प्रश्न 9.
नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए जलते नभ में देख असंख्यक, स्नेहहीन नित कितने दीपक, जलमय सागर का उर जलता, विद्युत ले घिरता है बादल! विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

  1. ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है?
  2. सागर को ‘जलमय’ कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?
  3. बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?
  4. कवयित्री दीपक को ‘विहँस विहँस’ जलने के लिए क्यों कह रही है?

उत्तर:

  1. स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य है- आकाश में फैले असंख्य तारे जो अपनी चमक बिखेरने और प्रकाश फैलाने में असमर्थ हैं, क्योंकि इनका तेल समाप्त हो चुका है।
  2. सागर को जलमय बताने का तात्पर्य है-संसार के लोगों के पास सांसारिक सुख-सुविधाएँ होने पर भी लोग असंतुष्ट हैं, क्योंकि वे ईष्र्या, द्वेष, अज्ञान, अहंकार आदि के कारण दुखी हैं।
  3. बादलों की यह विशेषता बताई गई है कि वे-बिजली लेकर आकाश में घिर आते हैं। बादल जब घिरते हैं और गरजते हैं तो बिजली की यह चमक दिखाई दे जाती है।
  4. कवयित्री दीपक को विहँस-विहँस कर जलने के लिए इसलिए कहती है क्योंकि वह अपने प्रभु के आध्यात्मिकता, आस्था और भक्ति का दीप जलाकर बहुत खुश है। वह अपनी असीम खुशी को अभिव्यक्त करने के लिए ऐसा कहती है।

प्रश्न 10.
क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा ‘महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अंतर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
वास्तव में महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा कहा जाता है। दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो-जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें कुछ समानता तथा कुछ अंतर दोनों विद्यमान हैं। दोनों का पारिवारिक जीवन सुखी नहीं था। दोनों की कृतियों में अपने-अपने आराध्य देव प्रभु के लिए तड़प है, वियोगजन्य पीड़ा है तथा दोनों में उससे मिलकर उसी में समा जाने का भाव है। समानता के साथ-साथ दोनों में अंतर भी है। मीरा के आराध्य श्रीकृष्ण थे, उसके लिए सर्वस्व श्रीकृष्ण थे और वे कृष्णमयी ही हो गई थीं, लेकिन महादेवी प्रभु की सृष्टि को साकार रूप मानकर उसके अनंत प्रकाश पुंज में मिल जाना चाहती हैं।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल!
उत्तर:
भाव यह है कि कवयित्री चाहती है कि उसकी आस्था का दीपक खुशी-खुशी जलते हुए स्वयं को उसी तरह गला दे जैसे मोमबत्ती बूंद-बूंद कर पिघल जाती है। इसी तरह जलते हुए दीप भरपूर प्रकाश उसी तरह फैला दे जैसे सूर्य की धूप चारों ओर प्रकाश फैला देती है।

प्रश्न 2.
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!
उत्तर:
इन पंक्तियों का भाव है कि कवयित्री अपने आस्था रूपी दीपक से प्रतिक्षण, प्रतिदिन तथा प्रतिपल युगों तक निरंतर जलने की प्रार्थना करती है ताकि उसके परमात्मा रूपी प्रियतम का पथ आलोकित हो, जिससे वह आसानी से वहाँ पहुँच सके अर्थात् अपने प्रियतम से मिल सके।

प्रश्न 3.
मूदुल मोम-सा घुल रे मूदु तन!
उत्तर:
भाव यह है कि कवयित्री पूर्ण रूप से समर्पित होकर आस्था का दीप जलाए रखना चाहती है और प्रभु प्राप्ति के लिए अपने शरीर को मोम की भाँति विगलित कर देना चाहती है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
कविता में जब एक शब्द बार-बार आता है और वह योजक चिन्ह द्वारा जुड़ा होता है, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है; जैसे-पुलक-पुलक इसी प्रकार के कुछ और शब्द खोजिए, जिनमें यह अलंकार हो।
उत्तर:
मधुर-मधुर, युग-युग, गल-गल, पुलक-पुलके, सिहर-सिहर, विहँस-विहँस । उपरिलिखित सभी शब्दों में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
इस कविता में जो भाव आए हैं, उन्हीं भावों पर आधारित कवयित्री द्वारा रचित कुछ अन्य कविताओं को अध्ययन करें; जैसे-
(क) मैं नीर भरी दुख की बदली
(ख) जो तुम आ आते एकबार ये सभी कतिवाएँ ‘सन्धिनी’ में संकलित हैं।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
इस कविता को कंठस्थ करें तथा कक्षा में संगीतमय प्रस्तुति करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा कहा जाता है। इस विषय पर जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
भक्तिकाल की कृष्णमार्गी शाखा की कवयित्री मीरा ने कृष्ण के गीत गाकर उनके प्रति अपनी भक्ति व आस्था व्यक्त की। मीरा ने अपना समूचा जीवन कृष्ण भक्ति के लिए समर्पित कर दिया। मीरा की तरह ही महादेवी वर्मा ने अपनी ईश्वर विषयक रचनाओं के माध्यम से अपनी भक्ति और आस्था प्रकट की है। महादेवी वर्मा की काव्य रचनाओं में मीरा की सी लगन, तनमयता, समर्पण व आस्था के भाव हैं। महादेवी वर्मा ने अपनी कविताओं में ईश्वर के प्रति अपना भावात्मक लगाव व्यक्त किया है। सांसारिक वस्तुओं से दोनों में से किसी को भी लगाव नहीं था। इस तरह इन मूलभूत समानताओं के कारण महादेवी वर्मा को ‘आधुनिक मीरा’ कहना तर्कसंगत है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? [Imp.]
अथवा
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?[A.I. CBSE 2008)
उत्तर:
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने, के स्थान पर ‘गरजने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि कवि को बादल क्रांति दूत के रूप में नजर आते हैं। समाज में क्रांति लाने के लिए विनम्रता की नहीं उग्रता की आवश्यकता होती है। बादलों की उग्रता उनके गर्जन में छिपी होती है, जिससे लोग सजग हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? [CBSE 2012]
उत्तर:
कवि ने उत्साह कविता में बादलों से गरजने की कामना की है और ऐसी गरजना जिससे जन-सामान्य में चेतना का संचार हो जाए। ऐसी गरजना, जिसकी गड़-गड़ाहट को सुन उदासीन लोग भी उत्साहित हो जाएँ। कवि अपेक्षा करता है कि लोग बादल की गरजना से अपनी उदासीनता को छोड़ दें और उत्साहित हो जाएँ। ऐसी अपेक्षा करते हुए कवि ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा है।

प्रश्न 3.
कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? [CBSE 2012]
उत्तर:
कविता में बादल निम्नलिखित तीन अर्थों की ओर संकेत करते हैं

  • क्रांति के दूत और समाज में बदलाव लाने हेतु लोगों में उत्साह भरने वाले के रूप में।
  • लोगों के कष्ट और ताप हरकर शीतलता देने वाले के रूप में।
  • जल बरसाने वाली शक्ति विशेष के रूप में।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिएrञ्च
( क ) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात। [Imp.]
( ख ) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल [Imp.] बाँस था कि बबूल?
उत्तर:
निम्नलिखित पंक्तियों में नाद-सौंदर्य दर्शनीय है-

  1. घेर-घेर घोर गगन।
  2. विकल विकल, उन्मन थे उन्मन।
  3. तप्त धरा, जल से फिर।।
  4. शीतल कर दो-बादल गरजो!

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
मुसकान मन की प्रसन्नता को प्रकट करने वाला भाव है। मुसकान से वातावरण में प्रसन्नता फैल जाती है। मुसकराने वाला तो प्रसन्न होता ही है सामने वाला भी मुसकान देखकर खुश हो जाता है।
क्रोध मन की उग्रता और अप्रसन्नता को प्रकट करने वाला भाव है। क्रोध प्रकट करने से वातावरण में तनाव उत्पन्न हो जाता है। क्रोधी व्यक्ति की आँखों से तो अंगारे निकलते ही हैं, जो भी इस क्रोध का सामना करता है वह भी अशांत हो जाता है।

प्रश्न 6.
दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
इस कविता से यह अनुमान लगता है कि वह बच्चा 8-9 महीने का रहा होगा। लगभग इसी उम्र में बच्चे के दाँत निकलना शुरू होते हैं।

प्रश्न 7.
बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कवि दाँत निकालते बच्चे से मिला तो प्रसन्न हो उठा। शिशु की भोली मुसकान को देखकर उसके निष्प्राण जीवन में प्राण आ गए। उसे लगा मानो आज कमल के फूल तालाब में न खिलकर उसकी झोंपड़ी में उग आए हैं। उसके बूढे नीरस शरीर में इस तरह मधुरता छा गई मानो बबूल के पेड़ से शेफालिका के कोमल फूल झरने लगे हों। पहले तो शिशु कवि को पहचान नहीं सका। इसलिए वह उसे एकटक निहारता रहा। जब उसकी माँ ने उसे कवि से परिचित कराया तो वह शर्माने लगा। वह कवि को तिरछी नजरों से देखकर मुँह फेरने लगा। धीरे-धीरे उनकी नज़रें मिलीं। आपस में स्नेह उमड़ा। तब*बच्चा मुसकरा पड़ा। उसके उगते हुए दाँत दीखने लगे।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न .
आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
कल मैं पहली बार अपनी बहन की ससुराल में गया। मुझे देखते ही मेरे भानजे ने एक किलकारी मारी और मुझे निहारने लगा। मैं उसकी आँखों में प्रसन्नता देखकर उसकी ओर लपका। जैसे ही मैंने उसे अपनी बहन से लेना चाहा, उसने बड़े नटखट अंदाज़ में मेरी ओर से मुँह फेर लिया। मैं मुड़कर पीछे गया तो उसने फिर-से मुँह फेर लिया। मैंने हाथों के स्पर्श से उसे गोद में लेना चाहा तो वह फिर-से माँ की गोदी में छिपने लगा। अब मैंने उसे छोड़ दिया और दूर जाकर खड़ा हो
गया। अब वह फिर से उचककर मेरी ओर देखने लगा और हँसने लगा। सचमुच मेरा भानजा बहुत नटखट है। न आता है, न दूर जाने देता है। उसे आँखमिचौली खेलने में यों ही आनंद आता है।

प्रश्न .
एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा नागार्जुन पर बनाई गई फ़िल्म देखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं देखें।

फसल

प्रश्न 1.
कवि के अनुसार फसल क्या है? [CBSE 2012]
उत्तर:
कवि के अनुसार फसलें पानी, मिट्टी, धूप, हवा और मानव-श्रम के मेल से बनी हैं। इनमें सभी नदियों के पानी का जादू समाया हुआ है। सभी प्रकार की मिट्टियों का गुण-धर्म निहित है। सूरज और हवा का प्रभाव समाया हुआ है। इन सबके साथ किसानों और मजदूरों का श्रम भी सम्मिलित है।

प्रश्न 2.
कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं? ।
उत्तर:
फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्त्व हैं
1. पानी
2. मिट्टी।
3. सूरज की धूप
4. हवा।

प्रश्न 3.
फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? [CBSE 2008; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008; 2009]
उत्तर:
इसमें कवि कहना चाहता है कि किसानों के हाथों का प्यार भरा स्पर्श पाकर ही ये फसलें इतनी फलती-फूलती हैं। यह किसानों के श्रम की गरिमा और महिमा ही है जिसके कारण फसलें इतनी अधिक बढ़ती चली जाती हैं।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का
उत्तर:
कवि कहना चाहता है कि ये फसलें और कुछ नहीं सूरज की किरणों का बदला हुआ रूप हैं। फसलों की हरियाली सूरज की किरणों के प्रभाव के कारण आती है। फसलों को बढ़ाने में हवा की थिरकन का भी भरपूर योगदान है। मानो हवा सिमट-सिकुड़ कर फसलों में समा जाती है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
कवि ने फसल को हजार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर:
(क) मिट्टी के गुण-धर्म का आशय है-मिट्टी में मिले हुए वे प्राकृतिक तत्त्व, खनिज पदार्थ और पोषक तत्त्व, जिनके मेल से किसी मिट्टी का स्वरूप अन्य मिट्टियों से विशेष हो जाता है।
(ख) वर्तमान जीवन-शैली प्रदूषण उत्पन्न करती है। हम कृत्रिम पदार्थों का उत्पादन करके उसका कचरा मिट्टी में छोड़ देते हैं। प्लास्टिक जैसे कृत्रिम पदार्थ मिट्टी में मिलकर उसके गुण-धर्म को नष्ट करते हैं। फैक्टरियों का कचरा और विषैला रसायन धरती के पानी को प्रदूषित करता है। इस कारण उस मिट्टी का मूल स्वभाव बदलकर विकृत हो जाता है।
(ग) यदि मिट्टी अपना मूल गुण-धर्म और स्वभाव छोड़ देगी तो जीवन का स्वरूप विकृत हो जाएगा। शायद जीवन तो नष्ट न हो किंतु वह अपरूप और विद्रूप जरूर हो जाएगा।
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हम बहुत कुछ कर सकते हैं। सबसे पहली बात हम सचेत हों। हम मिट्टी के गुण-धर्म को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जानें। इससे हम स्वयमेव जागरूक हो जाएँगे। हम स्वयं जागकर अन्य लोगों को जगाने का कार्य भी कर सकते हैं।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न .
इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के संपादक को पत्र लिखिए।

उत्तर:

सेवा में
संपादक महोदय
दैनिक भास्कर
नई दिल्ली
15 मार्च, 2015
महोदय
मैं आपके पत्र के माध्यम से अपने विचार पाठकों तक पहुँचाना चाहता हूँ। कृपया इन्हें प्रकाशित कर अनुगृहीत करें।
भारत कृषिप्रधान देश है। किसान ही भारत की अर्थ-व्यवस्था और कृषि-व्यवस्था की रीढ़ हैं। परंतु दुर्भाग्य से किसान ही खुशहाल नहीं हैं। वे देश को खुशहाल बनाते हैं, अपने हाथों के स्पर्श से फसलें उगाते हैं, सब लोगों का पेट भरते हैं, किंतु वे स्वयं भूखे रह जाते हैं। बाज़ार की शक्तियाँ उनका शोषण करती हैं। पिछले दिनों हजारों किसानों ने पैसों की तंगी के कारण आत्महत्या कर ली। यह भारत की कृषि-व्यवस्था पर कलंक है। इसे तुरंत रोको जाना चाहिए। सरकार को किसानों के भले के लिए ऐसी योजनाएँ लागू करनी चाहिए जिससे वे संकट की स्थिति से उबर सकें। उनकी फसलों का बीमा हो सकता है, उन्हें सस्ता ऋण दिया जा सकता है, ऋण पर ब्याज माफ़ किया जा सकता है। ऐसे अनेक उपायों से उनकी दशा को सुधारा जाना चाहिए।
भवदीय
रमेश चौहान
317, वैशाली
नई दिल्ली।

प्रश्न .
फसलों के उत्पादन में महिलाओं के योगदान को हमारी अर्थव्यवस्था में महत्त्व क्यों नहीं दिया जाता है? इस बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर:

फसलों के उत्पादन में किसानों के महत्त्व को बढ़-चढ़ कर प्रचारित किया जाता है। देश के किसानों की चर्चा की जाती है किंतु किसानिनों की नहीं। भारत की कोई महिला अगर सबसे अधिक श्रम करती है, तो वह किसान-महिला है। किसान परिवारों की महिलाएँ पशुओं के चारे की कटाई, पशुओं के चारे की व्यवस्था, खेतों में रोटी पहुँचाना, फसलों को ढोना
आदि अनेक कार्य रोज-रोज करती हैं। इन कार्यों को किसी खाते में नहीं डाला जाता। उनकी गिनती नहीं की जाती। इस कारण उन्हें महत्त्व भी नहीं दिया जाता। यह किसान-महिलाओं पर अन्याय है। हमें चाहिए कि हमें उनके श्रम की चर्चा करें, उन्हें सम्मानित करें, उनको मूल्य तय करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5 पर्वत प्रदेश में पावस

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पावस ऋतु में पर्वतीय प्रदेश में प्रकृति में पल-पल नए-नए परिवर्तन होते रहते हैं जिन्हें देखकर लगता है कि प्रकृति अपना परिधान बदल रही है। इससे प्रकृति का सौंदर्य और भी मनोहारी हो जाता है। पावस ऋतु में इस प्रदेश में निम्नलिखित बदलाव आते हैं-

  1. तालाब जल से भर उठता है, जिसमें पहाड़ अपनी परछाई देखता प्रतीत होता है।
  2. पर्वत पर भाँति-भाँति के फूल खिल जाते हैं।
  3. झरने मोतियों की लड़ियों की भाँति सुंदर लगते हैं।
  4. अचानक बादल छा जाने से पर्वत और झरने अदृश्य हो जाते हैं।
  5. तालाब से धुआँ-सा उठने लगता है।
  6. शाल के वृक्ष बादलों में खोए से लगते हैं।
  7. आकाश में उड़ते बादल इंद्र देवता के उड़ते विमान-से लगते हैं।

प्रश्न 2.
“मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?
उत्तर:
‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ है-“करधनी’ के आकार की पहाड़ की ढाल, अर्थात् जिसने चारों ओर से घेरा बनाया हुआ हो। कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ इसलिए किया है, क्योंकि ये पर्वत संपूर्ण पर्वत प्रदेश में चारों ओर से घेरा बनाकर खड़े प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 3.
‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्यो तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?
उत्तर:
‘सहस्र दृग-सुमन’ का तात्पर्य है- हज़ारों पुष्प रूपी आँखें। पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में पर्वतों पर नाना प्रकार के रंग-बिरंगे हज़ारों फूल खिल जाते हैं। पहाड़ के पैरों के पास जो विशाल तालाब है, उसमें पहाड़ का प्रतिबिंब बन रहा है। पहाड़ पर खिले हुए इन फूलों को देखकर लगता है कि पर्वत इन फूल रूपी आँखों से अपना प्रतिबिंब जल में निहारकर आत्ममुग्ध हो रहे हैं।
कवि ने इस पद का प्रयोग पहाड़ पर खिले हजारों फूलों के लिए किया है।

प्रश्न 4.
कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?
उत्तर:
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की समानता दर्पण के साथ दिखाई गई है, क्योंकि दोनों पारदर्शी हैं तथा दोनों में व्यक्ति अपना प्रतिबिंब देख सकता है। तालाव का जल निर्मल व स्वच्छ है। तालाब में दर्पण की भाँति महाकार पर्वत अपना प्रतिबिंब निहार रहा है।

प्रश्न 5.
पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?
उत्तर:
पर्वत के हृदय से उठे ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर इसलिए देख रहे हैं क्योंकि वे आकाश को छूने का प्रयास कर रहे हैं। इन पेड़ों की आकांक्षाएँ आकाश सरीखी ऊँची हैं। वे इन आकांक्षाओं को पूरी करने के उपाय के लिए चिंतनशील से प्रतीत होते हैं।
ऊँचे-ऊँचे पेड़ इस बात को प्रतिबिंबित करते हैं कि मनुष्य को अपनी महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, अपने लक्ष्य को पाने के लिए एकाग्रचित्त होकर चिंतन-मनन करते हुए उपाय सोचना चाहिए।

प्रश्न 6.
शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों फँस गए?
उत्तर:
पर्वत प्रदेश में पावस के समय कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है, मानों पृथ्वी पर आसमान टूट पड़ा हो और इस भय से उच्च-आकांक्षाओं से युक्त विशाल शाल के पेड़ धरती में धंस गए हों।

प्रश्न 7.
झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?
उत्तर:
झर-झरकर बहते हुए झरने पर्वतों का गौरव गान कर रहे हैं। कवि ने इन बहते झरनों की तुलना मोतियों की लड़ियों से की है। ये झरने सफ़ेद झाग से युक्त हैं। इन्हें देखकर लगता है कि जैसे ये झरने पर्वतों के सीने पर मोतियों की लड़ियाँ हैं।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
है टूट पड़ा भू पर अंबर।
उत्तर:
पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में जब बादल घिरते हैं तो कभी-कभी अचानक मूसलाधार वर्षा होने लगती है। इन बादलों के कारण पहाड़, पेड़, झरने तक अदृश्य हो जाते हैं। वर्षा का वेग देखकर लगता है कि आकाश धरती पर टूट पड़ा है।

प्रश्न 2.
यों जलद-यान में विचर-विचर था इंद्र खेलता इंद्रजाल ।
उत्तर:
पर्वत के सीने पर उगे ऊँचे-ऊँचे वृक्षों को देखकर लगता है कि वे मनुष्य की ऊँची-ऊँची महत्त्वाकांक्षाओं की भाँति ऊँचे आसमान की ओर अडिग होकर अपलक निहारे जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि वे आसमान छूना चाहते हैं। वे आसमान कैसे छुएँ, इसी के लिए उपाय सोचते हुए चिंतातुर से प्रतीत हो रहे हैं।

प्रश्न 3.
गिरिवर के उर से उठ-उठ कर उच्चाकांक्षाओं से तरुवर हैं झाँक रहे नीरव नभ पर अनिमेष, अटल कुछ चिंतापर।
उत्तर:
इन पंक्तियों का भाव है कि पर्वतों पर अनेक वृक्ष उगे हुए हैं। ये उगे हुए वृक्ष ऐसे प्रतीत होते हैं, मानों ये पर्वतों के हृदय से उठने वाली उच्चाकांक्षाएँ हों। ये पेड़ एकटक स्थिरता से शांत आकाश की ओर निहारते हुए से प्रतीत होते हैं अर्थात् कवि ने वृक्षों की सभी क्रियाओं का मानवीकरण किया है।

कविता का सौंदर्य

प्रश्न 1.
इस कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किस प्रकार किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपकी दृष्टि में इस कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर करता है
(क) अनेक शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर।
(ग) कविता की संगीतात्मकता पर।
उत्तर:
(क) अनेक शब्दों की आवृत्ति पर।

प्रश्न 3.
कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। ऐसे स्थलों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर:

  1. उड़ गया, अचानक लो, भूधर फड़का अपार पारद के पर! रेव-शेष रह गए हैं निर्झर! है टूट पड़ा भू पर अंबर! धंस गए धरा में सभय शाल!
  2. गिरि का गौरव गाकर झर-झर मद में नस-नस उत्तेजित कर मोती की लड़ियों-से सुंदर झरते हैं झाग भरे निर्झर!

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
इस कविता में वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों की बात कही गई है। आप अपने यहाँ वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु के आगमन से प्रकृति में सरसता आ जाती है। वर्षा के आते ही पेड़-पौधे, घास सभी हरियाली से हरे-भरे हो जाते हैं। गर्मी की भीषणता से निजात मिल जाती है। पक्षी चहचहाने लगते हैं। प्राणियों का मन मयूर नाचने लगता है। सभी जड़-चेतन वर्षा में उत्सव-सा मनाते हैं। ऐसा लगता है कि वर्षा ऋतु पानी की वर्षा के साथ आनंद की वर्षा भी कर रही है। वर्षा ऋतु मुझे बहुत अच्छी लगती है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
वर्षा ऋतु पर लिखी गई अन्य कवियों की कविताओं का संग्रह कीजिए और कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र अध्यापक की सहायता से स्वयं करें ।

प्रश्न 2.
वारिश, झरने, इंद्रधनुष, बादल, कोयल, पानी, पक्षी, सूरज, हरियाली, फूल, फल आदि या कोई भी प्रकृति विषयक शब्द का प्रयोग करते हुए एक कविता लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
छात्र अध्यापक की सहायता से स्वयं करें ।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 मनुष्यता

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?
उत्तर:
मनुष्य मरणशील प्राणी है। इस संसार में प्रतिदिन लाखों लोगों की मृत्यु होती रहती है, परंतु उन पर कोई ध्यान नहीं देता है। उन्हीं में से कुछ लोग ऐसे होते हैं जो मानवता की भलाई करते हुए जीवन बिताते हैं। ऐसे लोग मरकर भी अपने-अपने कार्यों के कारण लोगों द्वारा याद किए जाते हैं तथा दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहते हैं और आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाते हैं। कवि ने सत्कार्यों में लीन व्यक्ति को मिलने वाली ऐसी मौत को ‘सुमृत्यु’ कहा है।

प्रश्न 2.
उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
उत्तर:
उदार व्यक्ति की पहचान उसके सत्कार्यों, उसकी परोपकारिता तथा दूसरों के लिए अपना सर्वस्व त्याग देखकर की।
जा सकती है अर्थात् उदार व्यक्ति के मन, वचन, कर्म से संबंधित कार्य मानव मात्र की भलाई के लिए ही होते हैं। यही उसकी पहचान है अथवा यही माध्यम है उसकी पहचान का।

प्रश्न 3.
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर ‘मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए यह संदेश दिया है कि दूसरों की भलाई का अवसर मिलने पर कभी भी ऐसा अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। कवि ने बताना चाहा है कि इन दानवीरों और परोपकारियों का जीवन परोपकार एवं त्याग से भरपूर था। वास्तव में इनका जीना और मरना दोनों के मूल में ही परोपकार था। ऋषि दधीचि ने मानवता की भलाई के लिए अपनी हड्डियाँ दान दे दी तो कर्ण ने अपनी जान की परवाह किए बिना कवच और कुंडल दान दे दिया। ऐसा परोपकार पूर्ण कार्य करने के कारण उनका जीवन धन्य हो गया। इस तरह कवि ने इन महापुरुषों के उदाहरण के माध्यम से हमें त्याग और परोपकार करने का संदेश दिया है।

प्रश्न 4.
कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व-रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
उत्तर:
कवि ने निम्नलिखित पंक्तियों में व्यक्त किया है कि हमें गर्व-रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में, सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्ते में ।”

प्रश्न 5.
“मनुष्य मात्र बंधु हैं’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से हमें ज्ञात होता है कि सभी मनुष्य आपस में भाई-भाई हैं। वास्तव में जब सभी मनुष्य उसी एक अजन्मे पिता की संतान हैं और सभी में उसी का अंश समाया हुआ है तो सभी मनुष्यों में भाई-भाई का रिश्ता हुआ। इसके बाद भी यदि मनुष्य मनुष्य से भेद करता है तो इसका तात्पर्य है कि वह अपने भाई से भेद करता है। अतः मनुष्य को परस्पर भेद-भाव त्यागकर सभी को अपना भाई समझकर मेल-जोल से रहना चाहिए और जरूरत के समय एक-दूसरे की मदद करना चाहिए।

प्रश्न 6.
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?
उत्तर:
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है, क्योंकि एकता में ही बल होता है, जिससे हम संसार के किसी भी असंभव काम को संभव कर सकते हैं, जीवन में आने वाली प्रत्येक विघ्न-बाधा पर विजय प्राप्त कर सकते हैं तथा जीवन रूपी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इससे भाईचारे तथा सामाजिकता को भी बल मिलता है।

प्रश्न 7.
व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
‘मनुष्यता’ कविता से हमें यह ज्ञान होता है कि मनुष्य को उदारमना होकर दूसरों की जरूरतों में काम आते हुए, निस्स्वार्थ भाव से परोपकार करते हुए जीवन बिताना चाहिए। वर्तमान स्थिति इसके विपरीत है क्योंकि मनुष्य में स्वार्थपरता और आत्मकेंद्रित होने की भावना बढ़ती जा रही है। वह सभी काम अपनी स्वार्थपूर्ति और भलाई के लिए करता है। मनुष्य के पास धन आते ही वह अहंकार भाव से भर उठता है, जबकि मनुष्य को घमंड नहीं करना चाहिए। जिस ईश्वर की कृपा से उसके पास धन आया है वही ईश्वर दूसरों की मदद के लिए भी तैयार रहता है, इसलिए किसी को कमज़ोर और अनाथ समझने की भूल नहीं करना चाहिए। मनुष्य को सदैव विनम्र होकर दूसरों की भलाई करते हुए जीना चाहिए।

प्रश्न 8.
“मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहता है कि संसार में आकर मनुष्य स्वार्थरहित होकर दीन-हीन, निर्बल एवं जरूरतमंद की सेवा करते हुए ऐसे सत्कर्म करे ताकि मृत्यु के बाद अमर हो जाए। मनुष्य मात्र बंधु है, इस तथ्य से अवगत होकर संसार के हर मानव के साथ मानवता का व्यवहार करे।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही; वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही। विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा, विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
उत्तर:
भाव यह है कि मनुष्य के पास धन-बल और यश आ जाने पर भी उसे अपनी सहानुभूति भावना बनाए रखना चाहिए। सहानुभूति के बिना वह दूसरों के सुख-दुख और पीड़ा को अपना नहीं समझ सकेगा। सहानुभूति के अभाव में वह परोपकार के लिए प्रेरित नहीं हो सकेगा। सहानुभूति वास्तव में महाविभूति है। सहानुभूति और परोपकार के कारण लोग वश में हो जाते हैं। बुद्ध के विरुद्ध उठा विरोध उनकी दयाभावना के आगे न टिक सका। जो लोग विनम्र हैं उनके सामने सारी दुनिया झुकने को तैयार रहती है।

प्रश्न 2.
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में, सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में। अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं, दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
उत्तर:
इन पंक्तियों का भाव है कि मनुष्य को कभी भी तुच्छ तथा नश्वर धन के लोभ में आकर अहंकार नहीं करना चाहिए, अर्थात् धन के आ जाने पर मनुष्य को इसपर इतराना नहीं चाहिए। इस संसार में कोई भी त्रिलोकीनाथ के साथ होते हुए अनाथ नहीं है। उस दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं। वे सभी की सहायता हेतु दया बरसाने वाले हैं।

प्रश्न 3.
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए, विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए। घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी, अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
उत्तर:
भाव यह है कि मनुष्य अपने स्वभाव, रुचि एवं पसंद के कारण अपना जीवन लक्ष्य निर्धारित करता है। उसने जो भी लक्ष्य निर्धारित किया है उसकी प्राप्ति के लिए निरंतर कदम बढ़ाना चाहिए। इस मार्ग में भी जो रुकावटें आती हैं उनको धक्का देकर आगे बढ़ना चाहिए। ऐसा करते हुए हमें आपसी एकता और तालमेल भी बनाए रखना चाहिए ताकि कोई मतभेद न उभर सके। मनुष्य को चाहिए कि वह बिना किसी विवाद के सावधानीपूर्वक अपनी मंजिल की ओर बढ़ता रहे।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
अपने अध्यापक की सहायता से रंतिदेव, दधीचि, कर्ण आदि पौराणिक पात्रों के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 2.
“परोपकार’ विषय पर आधारित दो कविताओं और दो दोहों का संकलन कीजिए। उन्हें कक्षा में सुनाइए। उत्तरे छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की कविता ‘कर्मवीर’ तथा अन्य कविताओं को पढ़िए तथा कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
भवानी प्रसाद मिश्र की ‘प्राणी वही प्राणी है’ कविता पढ़िए तथा दोनों कविताओं के भावों में व्यक्त हुई समानता को लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3 दोहे

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
छाया भी कब छाया हूँढ़ने लगती है?
उत्तर:
जेठ वह महीना होता है जब गरमी अपने चरम पर होती है। इस महीने में जब सूर्य सिर के ऊपर होता है तो वस्तुओं की परछाई बिलकुल छोटी रह जाती है। इस छोटी छाया को देखकर लगता है कि छाया भी वस्तु को ओर गरमी से बचने के लिए भाग रही है। इस समय पेड़ों और घरों की छाया भी घर और पेड़ के नीचे दुबक जाती है। इस समय छाया बाहर कहीं नहीं दिखती है। इस तरह जेठ महीने में छाया भी छाया हूँढ़ने लगती है।

प्रश्न 2.
बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है-‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’–स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बिहारी की नायिका ऐसा इसलिए कहती है, क्योंकि नायिका और नायक का प्रेम सच्चा है तथा दोनों के हृदयों के तार आपस में जुड़े रहते हैं इसलिए वे एक-दूसरे के दिल की बात को स्वयं ही जान लेते हैं, क्योंकि प्रेम अनुभव को विषय है। नायिका से अपने हृदय की बात न तो पत्र के रूप लिख पा रही है और न मौखिक रूप से संदेश भेज पा रही है। संदेश भेजने में उसे लज्जा आती है।

प्रश्न 3.
सच्चे मन में राम बसते हैं। दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि बिहारी देखते हैं कि कुछ लोग भक्ति का आडंबर और दिखावापूर्ण भक्ति करते हुए प्रभु को पाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोग हाथ में जपमाला लेकर राम-राम जपते हैं या राम नाम छपा वस्त्र धारण करके भक्त होने का दम भरते हैं और कुछ लोग तो माथे पर तिलक लगाकर प्रभु को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। ऐसी भक्ति कच्चे मन वाले लोग करते हैं। कवि का मानना है कि राम तो सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।

प्रश्न 4.
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं?
उत्तर:
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी उनकी प्यारी-प्यारी रसभरी तथा अलौकिक आनंद प्रदान करने वाली बातों को सुनने के लालच के लिए छिपा लेती हैं अर्थात् श्रीकृष्ण से बातचीत करने के लिए गोपियाँ उनकी बाँसुरी छिपा देती हैं।

प्रश्न 5.
बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कवि बिहारी ने अपने दोहे में कहा है कि बैठक में घर के छोटे-बड़े सभी सदस्य उपस्थित हैं। ऐसे में नायक-नायिका इन सदस्यों की उपस्थिति में बातें नहीं कर पाते हैं तो वे बातें करने का तरीका खोज़ लेते हैं। नायक आँखों के संकेत से नायिका से प्रणय निवेदन करता है जिसे नायिका संकेतों से मना कर देती है। नायिका के मना करने के ढंग से नायक प्रसन्न हो जाता है। मना करने के बाद भी प्रसन्न होने से नायिका खीझ जाती है और बनावटी क्रोध प्रकट करती है। जिससे दोनों की आँखें मिल जाती हैं। वे खुश हो जाते हैं और मूक स्वीकृति बन जाती है। अब नायिका नारी सुलभ लज्जा के कारण लज्जित हो जाती है। इस तरह नायक-नायिका ने सभी की उपस्थिति में संकेतों में बातें कर लीं।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पयौ प्रभात।
उत्तर:
भाव यह है कि श्रीकृष्ण ने अपने साँवले शरीर पर पीला वस्त्र धारण कर रखा है। इससे श्रीकृष्ण का सौंदर्य बढ़ गया है। उनके शरीर पर पीला वस्त्र ऐसे सुशोभित हो रहा है, मानो नीलमणि पर्वत पर प्रभातकालीन सूर्य की पीली किरणें पड़ने से उसका सौंदर्य निखर उठा है।

प्रश्न 2.
जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाध निदाघ।
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है कि संसार (जगत) को प्रभु ने ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड गरमी से उसी प्रकार तपा दिया है, जिस प्रकार तपस्वी तपोवन को अपने तप के द्वारा शुद्ध एवं पवित्र करता है।

प्रश्न 3.
जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु।
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु ।
उत्तर:
भाव यह है कि कुछ लोग प्रभु को पाने के लिए भक्ति कम आडंबर और दिखावा ज्यादा करते हैं। ये लोग जपमाला लेकर राम-नाम जपते हैं। रामनामी वस्त्र ओढ़कर आडंबर करते हैं और तिलक लगाकर प्रभु भक्त होने का दम भरते हैं। ऐसा कुछ कच्चे मन वाले करते हैं। राम को पाने के लिए इस दिखावे की आवश्यकता नहीं, क्योंकि राम तो सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
सतसैया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर। देखन में छोटे लगे, घाव करें गंभीर।। अध्यापक की मदद से बिहारी विषयक इस दोहे को समझने का प्रयास करें। इस दोहे से बिहारी की भाषा संबंधी किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर:
इस दोहे से बिहारी की भाषा संबंधी विशेषता का पता चलता है कि कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक बात कहना। अर्थात् गागर में सागर भरना। बिहारी कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक अर्थ भरने की कला में दक्ष हैं। बिहारी की अभिव्यक्ति कला बहुत सक्षम एवं प्रभावी है। उन्होंने मुक्तक काव्य-शैली को अपनाया है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
बिहारी कवि के विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए और परियोजना पुस्तिका में लगाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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