RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a

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Other Exercises

Question 1.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 1
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Question 2.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 2
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Question 3.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 4
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Question 4.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 6
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Question 5.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 8
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Question 6.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 10
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Question 7.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 12
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 13

Question 8.
Solution:
BC will be divided in the ratio 3 : 4

Question 9.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 14
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 15

Question 10.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 16
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13a 17

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र.

पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फिल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को जिन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, वे हैं-

  • राष्ट्रपति स्वर्ण पदक।
  • बंगाल जर्नलिस्ट एसोसिएशन का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार।
  • मास्को फ़िल्म फेस्टिवल पुरस्कार।

प्रश्न 2.
शैलेंद्र ने कितनी फिल्में बनाईं?
उत्तर:
शैलेंद्र ने मात्र एक फिल्म ‘तीसरी कसम’ बनाई।

प्रश्न 3.
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम बताइए।
उत्तर:
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्में हैं- राम तेरी गंगा मैली, सत्यम् शिवम् सुंदरम्, प्रेमरोग, मेरा नाम जोकर आदि।

प्रश्न 4.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फिल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर:
नायक का नाम- राजकपूर, नायिका का नाम-वहीदा रहमान।
नायक राजकपूर ने ‘हीरामन’ का और नायिका वहीदा रहमान ने ‘हीराबाई का अभिनय किया।

प्रश्न 5.
फिल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर:
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र ने किया।

प्रश्न 6.
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर:
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय शायद इसे बात की कल्पना नहीं की थी कि इस फ़िल्म के एक भाग को बनाने में छहः वर्ष का समय लग जाएगा।

प्रश्न 7.
राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?
उत्तर:
राजकपूर ने शैलेंद्र की फ़िल्म में काम करना स्वीकार कर लिया परंतु उन्होंने जब अपना पारिश्रमिक एडवांस माँगा तो शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया।

प्रश्न 8.
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?
उत्तर:
समीक्षक मानते हैं कि राजकपूर एक बड़े फिल्म निर्माता, सफल अभिनेता और कुशल निर्देशक थे। उन्हें जो भी चरित्र अभिनीत करने के लिए दिया जाता था, वे उससे एकाकार हो जाते थे। उनका महिमामय व्यक्तित्व किसी भी चरित्र की आत्मा में उतर जाता था। वे जुवान से नहीं आँखों से बोलते थे। वे कला मर्मज्ञ थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फिल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म लोकतत्वों को समेटे एक संवेदना एवं एक भावना प्रधान फ़िल्म थी। फ़िल्म को देखकर लगता था कि यह अभिनेताओं द्वारा अभिनीत कोई कहानी न होकर कैमरे की रील पर लिखी कोई कविता हो, जिसका फ़िल्मांकन करके प्रस्तुत किया जा रहा हो।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ फिल्म को खरीददार इसलिए नहीं मिल रहे थे, क्योंकि इसमें मनोरंजन सामान्य कोटि का नहीं था। यह एक साहित्यिक फ़िल्म थी। इसकी संवेदना को धन कमाने की इच्छा रखनेवाले वितरक समझ नहीं सके, लेकिन इस फ़िल्म में रची-बसी करुणा पैसे के तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी। वितरक जोखिम नहीं लेना चाहते थे, जबकि इसमें कलाकार भी उच्च स्तर के थे।

प्रश्न 3.
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?
उत्तर:
शैलेंद्र के अनुसार, कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचि का ध्यान तो रखे पर रुचि की आड़ में उथले और सस्ते मनोरंजन को उनके सामने न परोसे। उसे चाहिए कि वह दर्शकों की रुचि का परिष्कार और उसे उन्नत करे।

प्रश्न 4.
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफाई क्यों कर दिया जाता है?
उत्तर:
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफ़ाई इसलिए कर दिया जाता है ताकि अधिकतर लोगों का रुझान नकारात्मकता, त्रासद स्थितियों एवं हिंसा की ओर अधिक होने से उनको फ़िल्म देखने के लिए आकर्षित किया जा सके। जबकि सामाजिक सुधार के लिए उनमें कुछ सद्गुणों एवं शिक्षाप्रद दृश्यों को ग्लोरीफ़ाई करना चाहिए।

प्रश्न 5.
“शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं। इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक निर्माता के रूप में स्वयं राजकपूर भी तीसरी कसम के समान ही भावपूर्ण और साहित्यिक फ़िल्म का निर्माण करना चाहते थे। शैलेंद्र के इस फ़िल्म को देखकर ऐसा लगता था मानों राजकपूर जो चाहते थे वही शैलेंद्र ने कर दिया है।

प्रश्न 6.
लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
शोमैन ऐसे व्यक्ति को कहते हैं, जो बहुत लोकप्रिय हो, जो श्रेष्ठ कला का प्रदर्शन करके अधिक से अधिक जनसमुदाय को एकत्र कर सके और जिसके नाम से ही फिल्में बिकती हों। लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा “शोमैन’ इसलिए कहा है, क्योंकि उन्होंने अपने व्यापक विषयों को भी बड़ी संपूर्णता के साथ फिल्मी परदे पर उतारा था। साथ ही अंतर्मन की भावनाओं को भी बड़ी ही सूक्ष्मता के साथ उकेरा था। राजकपूर की फ़िल्में इन बातों की कसौटी पर खरी उतरती हैं। यही ‘शोमैन’ का आशय है, तात्पर्य है।

प्रश्न 7.
फ़िल्म ‘श्री 420′ के गीत ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
उत्तर:
इस गीत के शब्द-दसों दिशाओं’ पर संगीतकार शंकर जयकिशन ने इसलिए आपत्ति की क्योंकि जन सामान्य को दस दिशाओं का ज्ञान नहीं होता। उसकी समझ में दिशाएँ चार ही होती हैं। इस शब्द के प्रयोग से गीत अधिक चर्चित एवं लोक प्रिय बन सकेगा।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई? ।
उत्तर:
शैलेंद्र मुख्य रूप से कवि हृदय रखने वाले गीतकार थे। वे फ़िल्मी दुनिया से जुड़े हुए थे परंतु फ़िल्म निर्माण एवं एक को दो, दो को चार बनाने की कला से अपरिचित थे। इसके अलावा तीसरी कसम फ़िल्म की कहानी, भाव प्रबलता देखकर राजकपूर ने उन्हें फ़िल्म की असफलता के प्रति सावधान किया परंतु शैलेंद्र ने यह फ़िल्म इसलिए बनाई क्योंकि वे धन-यश लिप्सा के लिए नहीं बल्कि आत्मसंतुष्टि के लिए फ़िल्म निर्माण कर रहे थे।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर की महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में उतर जाता है। हीरामन फ़िल्म कथा का मुख्य पुरुष पात्र है। उसकी अपनी विशेषताएँ ओर सीमाएँ हैं। राजकपूर के व्यक्तित्व की यह विशेषता रही कि स्वयं हीरामन न होते हुए भी अपनी उत्कृष्ट अभिनय कला से हीरामन बन जाते हैं। वे हीरामन पर हावी नहीं होते। दूसरे शब्दों में दो होते हुए एक बन जाते हैं। अर्थात् इस अभिनय में राजकपूर की अभिनय कला का चरमोत्कर्ष उभरकर सामने आता है।

प्रश्न 3.
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत प्रतिशत न्याय किया है?
उत्तर:
प्रायः देखा जाता है कि फ़िल्म निर्माता मूल कहानी के साथ इतनी छेड़छाड़ और काट-छाँट करते हैं तथा इतने मसाले और लटके-झटके शामिल कर देते हैं कि मूल कहानी कहीं खो-सी जाती है तथा उसका स्तर गिर जाता है, परंतु ‘तीसरी कसम’ के निर्माता शैलेंद्र ने फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ की मूल रचना को यथावत बनाए रखा जिससे उसकी साहित्यिक गहराई एवं प्रभाव पर कोई असर नहीं हुआ।

प्रश्न 4.
शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
शैलेंद्र के गीतों की सबसे पहली विशेषता यह थी कि उनके गीत लोकप्रिय थे। उनके गीतों में गहराई के साथ-साथ आम जनता से जुड़ाव भी था। उनके गीत अच्छे भावों से ओत-प्रोत थे। शैलेंद्र के गीतों में कहीं भी जटिलता नहीं थी। उनके गीतों में शांत नदी की तरह गति व समुद्र की-सी गहराई थी। उनके गीतों में उनकी जिंदगी अभिव्यक्त हुई है।

प्रश्न 5.
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
एक फिल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र अपना अलग स्थान एवं महत्त्व रखते हैं। वे व्यावसायिकता से कोसों दूर रहकर धन और यश लिप्सा को फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने फ़िल्म में मूल कृति से छेड़छाड़ किए बिना उसकी साहित्यिकता को बनाए रखा। इसके अलावा उन्होंने करुणा पूर्ण दृश्यों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हुए लोगों की भावनाओं का शोषण नहीं किया।

प्रश्न 6.
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फिल्म ‘तीसरी कसम’ में झलकती है। शैलेंद्र अपने जीवन में बेहद गंभीर, शांत, उदार और भावुक कवि हृदय के व्यक्ति थे। उनके इन सभी गुणों का समावेश फिल्म में पूरी तरह से उजागर होता है। शैलेंद्र ने कभी भी झूठे अभिजात्य को नहीं अपनाया था और फिल्म में भी इसे नहीं दर्शाया। उनका जीवन नदी के समान शांत तथा समुद्र की तरह गंभीर था। यही विशेषता उन्होंने अपनी फिल्म में भी प्रदर्शित की है।

प्रश्न 7.
लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था-इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत हूँ। इस फ़िल्म के निर्माता शैलेंद्र ने यश, धन लिप्सा से दूर रहकर यह फ़िल्म बनाई थी। इसके निर्माण में आत्म संतुष्टि की अभिलाषा थी। इसके अलावा इस फ़िल्म में भावनाओं की जिस तरह से सुंदर अभिव्यक्ति हुई है उसे देखकर कहा जा सकता है कि ऐसा कोई सच्चा कवि हृदय ही कर सकता है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
…….वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ की कहानी लोकतत्वों का समावेश, कारुणिका दृश्यों का ग्लोरीफाई न होना, सफल बनाने के लिए मसाले या लटके-झटके न होना देखकर राजकपूर ने उन्हें फ़िल्म की असफलता के प्रति चेताया पर शैलेंद्र पर इसका कोई असर न हुआ क्योंकि वे धन या यश कमाने के लिए फ़िल्में बनाने के बजाय आत्म संतुष्टि के लिए यह फ़िल्म बना रहे थे।

प्रश्न 2.
उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।
उत्तर:
इसका आशय है कि शिल्पकार शैलेंद्र का यह दृढ़ निश्चय था कि दर्शकों की रुचि के बहाने या उनका सहारा लेकर हमें अपने सस्ते अथवा घटिया साहित्यिक विचारों का विक्रेता नहीं बनना चाहिए। हमें कभी भी किसी भी कीमत पर अपने ओछे विचारों तथा घटिया मानसिकता को दर्शकों पर नहीं थोपना चाहिए, बल्कि एक कलाकार तथा शिल्पकार को उपभोक्ता’ की रुचियों को काट-छाँट तथा तराश कर दर्शकों के लिए पर्दे पर उतारना चाहिए, यही एक निर्माता की सच्ची उपासना है, सच्ची कर्तव्य-परायणता है।

प्रश्न 3.
व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उत्तर:
कहा भी गया है कि दुख हमें सुख पाने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं। कुछ ऐसा ही करुणा या व्यथा के साथ भी है जिसके साथ सकारात्मक सोच रखने से व्यक्ति कभी निराश नहीं होता है। वह कथा से मुक्ति पाने का प्रयास करता है और सफल होता है। फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में समाहित करुणा का रूप भी कुछ ऐसा ही है।

प्रश्न 4.
दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।
उत्तर:
इसका आशय है कि इस फ़िल्म की संवेदनाओं को समझना सभी के लिए मुश्किल है। यह फिल्म तो संवेदनाओं से परिपूर्ण है। धन की लिप्सा रखने वाले वितरक तो इसे समझ ही नहीं पाए, क्योंकि उनकी बुधि व्यावसायिक होती है। वे केवल दो से चार बनाने का गणित ही समझते हैं इसलिए तो ‘तीसरी कसम’ जैसी कलात्मक, भावनात्मक फ़िल्म के लिए वितरक बड़ी ही कठिनाई से मिल पाए थे।

प्रश्न 5.
उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।
उत्तर:
शैलेंद्र गीतकार होने के साथ-साथ कवि हृदय व्यक्ति भी थे। उनके गीतों में की भाव प्रवणता, संवेदना को महसूस कर इसे समझा जा सकता है। इसके बाद भी ये गीत सरल, सहज और आम आदमी की समझ में आने वाले थे जो दुरूहता से कोसों दूर होते हैं।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।

  1. राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
  2. रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
  3. फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे।
  4. दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
  5. शैलेंद्र राजकपूर की इस यारानी दोस्ती से परिचित तो थे।

उत्तर:
केवल छात्रों के ज्ञानार्थ।

प्रश्न 2.
इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए

  1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
  2. उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
  3. फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
  4. खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ़ दिल की जुबाने समझता है, दिमाग की नहीं।

उत्तर:
केवल छात्रों के अवबोधनार्थ।

प्रश्न 3.
पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए –

  1. चेहरा मुरझाना,
  2. चक्कर खा जाना,
  3. दो से चार बनाना,
  4. आँखों से बोलना।

उत्तर:

  1. चेहरा मुरझाना – अपने अनुत्तीर्ण होने की खबर सुनकर मोहन का चेहरा मुरझा गया।
  2. चक्कर खा जाना – शहरी लड़कियों को सिगरेट पीते देखकर गाँव का होरी चक्कर खा गया।
  3. दो से चार बनाना – तुमने इतनी जल्दी उन्नति की है, उसे देखकर लगता है तुमने दो से चार बनाए हैं।
  4. आँखों से बोलना – अभिनेत्री वहीदा रहमान आँखों से अधिक बोलती थीं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए-

  1. शिद्दत        …………………..
  2. याराना       …………………..
  3. बमुश्किल   …………………..
  4. खालिस      …………………..
  5. नावाकिफ   …………………..
  6. यकीन        …………………..
  7. हावी          …………………..
  8. रेशा           …………………..

उत्तर:

  1. तीव्रता
  2. मित्रता
  3. बहुत कठिनाई से
  4. शुद्ध
  5. विश्वास
  6. अपरिचित
  7. छा जाना (प्रभाव में लेना)
  8. बारीक कण

प्रश्न 5.
निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए

  1. चित्रांकन   =   ……………..   +   ……………..
  2. सर्वोत्कृष्ट   =   ……………..   +   ……………..
  3. चर्मोत्कर्ष   =   ……………..   +   ……………..
  4. रूपांतरण  =   ……………..   +   ……………..
  5. घनानंद     =   ……………..   +   ……………..

उत्तर:

  1. चित्र + अंकन
  2. सर्व + उत्कृष्ट
  3. चरम + उत्कर्ष
  4. रूप + अंतरण
  5. घन + आनंद

प्रश्न 6.
निम्नलिखित को समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए

  1. कला-मर्मज्ञ   …………………..
  2. लोकप्रिय      …………………..
  3. राष्ट्रपति        …………………..

उत्तर:

  1. कला के मर्मज्ञ  –   तत्पुरुष समास
  2. लोक में प्रिय    –   तत्पुरुष समास
  3. राष्ट्र का पति    –   तत्पुरुष समास

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
फणीश्वरनाथ रेणु की किस कहानी पर तीसरी कसम’ फिल्म आधारित है, जानकारी प्राप्त कीजिए और मूल रचना पढ़िए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
समाचार पत्रों में फिल्मों की समीक्षा दी जाती है। किन्हीं तीन फिल्मों की समीक्षा पढ़िए और ‘तीसरी कसम’ फिल्म को देखकर इस फिल्म की समीक्षा स्वयं लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
फिल्मों के संदर्भ में आपने अकसर यह सुना होगा-‘जो बात पहले की फिल्मों में थी, वह अब कहाँ’। वर्तमान दौर की फिल्मों और पहले की फिल्मों में क्या समानता और अंतर है? कक्षा में चर्चा कीजिए। |
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ जैसी और भी फिल्में हैं जो किसी न किसी भाषा की साहित्यिक रचना पर बनी हैं। ऐसी फिल्मों की सूची निम्नांकित प्रपत्र के आधार पर तैयार करें।
   क्र.सं.             फिल्म का नाम           साहित्यिक              रचना                  भाषा रचनाकार

  1.                  ………………..              ………………..         ………………..                 ………………..
  2.                  ………………..              ………………..         ………………..                 ………………..
  3.                  ………………..              ………………..         ………………..                 ………………..
  4.                  ………………..              ………………..         ………………..                 ………………..

उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
लोकगीत हमें अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं। ‘तीसरी कसम’ फिल्म में लोकगीतों का प्रयोग किया गया है। आप भी अपने क्षेत्र के प्रचलित दो-तीन लोकगीतों को एकत्र कर परियोजना कॉपी पर लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 17

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 17 संस्कृति

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 17 संस्कृति.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है? [CBSE 2008 C; CBSE]
उत्तर:
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ शब्दों का प्रयोग बहुत मनमाने ढंग से होता रहा है। यहाँ तक कि उनके साथ ‘भौतिक’ और ‘आध्यात्मिक’ जैसे विशेषण जोड़े जाते रहे हैं। इन विशेषणों के कारण इन शब्दों की समझ और अधिक गड़बड़ा जाती है।

प्रश्न 2.
आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे? [Imp.] [CBSE 2008]
उत्तर:
आग की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता की पूर्ति करती है। वह भोजन पकाने के काम आती है। अतः आदि मनुष्य ने इसे सबसे महत्त्वपूर्ण खोज माना। आज भी इसका महत्त्व सर्वोपरि है। तभी तो हर सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले दीया जलाया जाता है और खेलों में मशाल जलाई जाती है। आज यदि आग न हो तो पूरी सभ्यता ताश के महल की भाँति भरभरा कर गिर जाएगी।
आग की खोज के पीछे भोजन की प्रेरणा तो रही ही होगी; साथ ही प्रकाश और गर्मी पाने की प्रेरणा भी रही होगी। रात में आग बहुत काम आई होगी। सर्दियों में तो यह अमृत-जैसी सिद्ध हुई होगी। घनघोर ठंडी काली रात में जब आदिमानव आग से गर्मी लेता होगा, काली रात में देख पाया होगा और मांस को भूनकर खा पाया होगा तो उसे कितना आनंद मिला होगा। अतः उसने अग्नि को देवता माना होगा और उसे सुरक्षित रखने के उपाय खोजे होंगे।

प्रश्न 3.
वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है? [Imp.] [A.I. CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
लेखक के अनुसार, वास्तविक संस्कृत व्यक्ति वह है जिसकी बुद्धि और विवेक ने किसी भी नए तथ्य का अनुसंधान और दर्शन किया होगा। जैसे-न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोजा। वह वास्तविक रूप से संस्कृत व्यक्ति था।

प्रश्न 4.
न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
उत्तर:
लेखक ने संस्कृत मानव की परिभाषा ऐसी दी है कि उसमें न्यूटन जैसे आविष्कारक और चिंतक ही आ पाते हैं। उनके अनुसार, जो व्यक्ति अपनी बुद्धि और विवेक से किसी नए तथ्य का अनुसंधान और दर्शन कर सकता है, वही संस्कृत व्यक्ति है। न्यूटन ने भी यही किया। उसने अपनी योग्यता, प्रेरणा और प्रवृत्ति से विज्ञान के विभिन्न नियमों को जाना और उसे जनता के सामने रखा। इस कारण वह संस्कृत व्यक्ति हुआ।
अन्य लोग, जो न्यूटन द्वारा खोजे गए सभी सिद्धांतों की जानकारी रखते हैं और अन्य सूक्ष्म सिद्धांत भी जानते हैं, न्यूटन जैसे संस्कृत नहीं हो सकते। कारण? उन्होंने अपनी योग्यता और प्रवृत्ति से ज्ञान का आविष्कार नहीं किया। उन्होंने तो न्यूटन या अन्य वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए सिद्धांतों को जाना-भर।

प्रश्न 5.
किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर:
अपने तन को ढंकने के लिए, स्वयं को गर्मी, सर्दी और नंगेपन से बचाने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। सुई-धागे की खोज से पहले मनुष्य नंगा रहता था। वह जैसे-तैसे वृक्ष की खाल या पत्तों से तन को ढंकता था। किंतु उससे शरीर की ठीक से रक्षा नहीं हो पाती थी। अत: जब उसने सुई-धागे की खोज कर ली तो उसके हाथ बहुत बड़ी तकनीक लग गई। यह तकनीक इतनी कारगर थी कि आज भी हम लोग इसका भरपूर उपयोग करते हैं।

प्रश्न 6.
“मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
अथवा
‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब मानव-संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं तथा जब मानव-संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया? [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
(क) मानव-संस्कृति एक है। हिंदू-संस्कृति’ के पक्षधर अपनी संस्कृति को महान बताएँ, यह स्वाभाविक है। हर मनुष्य को अधिकार है कि वह अपनी श्रेष्ठता और उपलब्धियों को याद रखे। इसी से उन्हें और अधिक बढ़ने का अवसर मिलता है। इसी भाँति ‘मुसलिम-संस्कृति’ भी अपनी पहचान को स्थापित करना चाहती है। यह स्वाभाविक है। परंतु सबसे घृणित लोग वे हैं जो किसी एक संस्कृति के पक्ष में होकर उसे अनचाहे लाभ दिलाते हैं। वे मुसलमान के नाम पर आरक्षण दिलाते हैं, नौकरियाँ पक्की कराते हैं, धार्मिक यात्राओं के लिए पैसे देते हैं, सरकारी खजाने से भोज देते हैं। बदले में उनके वोट पक्के करके सरकार पर कब्जा जमाना चाहते हैं। ऐसे लोग धूर्त सांप्रदायिक हैं। वे सांप्रदायिकता को हथियार बनाकर अपने विरोधियों को धूल चटाते हैं। ऐसे लोग ही दो संस्कृतियों को आपस में मिलने नहीं देते। वे उन्हें भिड़ाए रखते हैं।
(ख) मानव-संस्कृति एक है। विश्व के सभी लोग हिंदू-मुसलिम का भेद छोड़कर सभी संस्कृतियों की श्रेष्ठ चीजों को खुले मन से अपनाते हैं। ‘त्याग’ संस्कृति का महान गुण है। इसे कौन नहीं अपनाता? सभी अपनाते हैं। चाहे वे हिंदू हों, मुसलमान हों या ईसाई। इसी भाँति ‘बुद्ध’ के ‘अप्प दीपो भव’ (अपने दीपक स्वयं बनो) पर सभी का अधिकार है। जब जापान पर अमरीका ने परमाणु बम गिराया तो सभी संस्कृतियों ने इसका विरोध किया। सांप्रदायिक हिंसा के भी सभी विरोधी हैं। ‘रसखान’ ने कृष्ण का गुणगान किया तो बिस्मिल्ला खाँ ने बालाजी का आशीर्वाद लिया। इसी भाँति करोड़ों हिंदू अजमेर शरीफ जाकर खुदा से दुआएँ करते हैं और पीरों की पूजा करते हैं। वास्तव में सामान्य लोग तो सब संस्कृतियों को बराबर सम्मान देते हैं, परंतु कूटबुद्धि राजनेता और प्रतिबद्ध विचारक उन्हें भिड़ाकर ही दम लेते हैं।

प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए|
(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति? [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
(क) लेखक प्रश्न करता है-मानव की जो योग्यता, भावना, प्रेरणा और प्रवृत्ति उससे विनाशकारी हथियारों का निर्माण करवाती है, उसे हम संस्कृति कैसे करें? वह तो आत्म-विनाश कराती है।
लेखक कहता है-ऐसी भावना और योग्यता को असंस्कृति कहना चाहिए।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।
उत्तर:
मेरे विचार से हमारे विचार-चिंतन और प्रवृत्तियों की विशेषता संस्कृति है। वह सूक्ष्म गुण है। वह हमारे मन और बुद्धि का गुण है। वह हमारे सोचने का ढंग है जो कि हमारी भाषा और प्रतिक्रियाओं में व्यक्त होता है। दूसरे शब्दों में, हमारे संस्कार संस्कृति के मूर्त रूप हैं।
सभ्यता स्थूल होती है। हमारे रहन-सहन, खान-पान और पहनावे के ढंग को सभ्यता कहते हैं। हम किस अवसर पर कैसे वस्त्र पहनते हैं, क्या खाते हैं, कैसे मंच, पंडाल, भवन आदि बनाते हैं, इन सबको सभ्यता की संज्ञा दी जाती है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.

निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 17 1

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
‘स्थूल भौतिक कारण ही आविष्कारों का आधार नहीं है।’ इस विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर:
पक्ष में विचार-मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार ही विभिन्न आविष्कार करता है। उसे अपने शरीर को जीवित, सुरक्षित और सुखी रखने के लिए विभिन्न सामानों और उपकरणों की जरूरत पड़ती है। इसलिए वह कपड़ा, आग, सुई-धागा, फर्नीचर आदि सामानों का आविष्कार करता है। रेडियो, टी.वी., रेल, बस आदि भी मनुष्य की शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। परंतु मनुष्य के पास मन भी है। मन में अनंत जिज्ञासाएँ हैं, इच्छाएँ हैं, कामनाएँ हैं। इनकी द्विगु पूर्ति के लिए भी मनुष्य बहुत-से आविष्कार करता है। उदाहरणतया, महात्मा बुद्ध ने घर-बार छोड़कर यह जानने का प्रयत्न किया कि मनुष्य के दुखों का मूल कारण क्या है? संगीतकारों ने मनुष्य के हृदय के तारों को झंकृत करने के लिए स, रे, ग, म, प, ध, नि आदि सुरों का आविष्कार किया। हमारे ऋषि-मुनि परमात्मा का रहस्य जानने के लिए जीवन-भंर लगे रहे। हजारों सालों से परमात्मा को जानने का प्रयत्न चल रहा है। अतः हम कह सकते हैं कि सारे आविष्कारों की मूल प्रेरणा केवल भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति ही नहीं होती। । विपक्ष में विचार- मेरे विपक्षी वक्ता ने विषय के पक्ष में जो-जो तर्क दिए हैं, वे भ्रामक हैं। मनुष्य की सबसे बड़ी चिंता यह है कि वह भौतिक रूप से सुखी कैसे रहे? मेरे मित्र ने बुद्ध का उदाहरण दिया। बुद्ध ने संसार का त्याग किया संसार के दुखों का मूल कारण जानने के लिए। उनकी जिज्ञासा भी यही थी कि ये भौतिक पदार्थ आखिर दुखदायी क्यों हो जाते हैं? इस संसार को कैसे सुखी बनाया जा सकता है। उन्हें भी आखिरकार यही प्रतीत हुआ कि भौतिक ज़रूरतों के बिना संसार नहीं चल सकता। इसलिए उन्होंने संसार को अनिवार्य माना।

प्रश्न
उन खोजों और आविष्कारों की सूची तैयार कीजिए जो आपकी नज़र में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
आग, चरखा, बिजली, टेलीफोन, मोबाइल, दूरबीन, कैमरा आदि।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 16

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर:
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को दो कारणों से याद किया जाता है

1. डुमराँव प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ की जन्मभूमि है।
2. यहाँ सोन नदी के किनारे वह नरकट घास मिलती है जिसकी रीड का उपयोग शहनाई बजाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है? [Imp.] [CBSE 2008; CBSE]
अथवा
‘बिस्मिल्ला खाँ हमेशा अपनी अजेय संगीतयात्रा के नायक रहेंगे।’–इस कथन की पुष्टि कीजिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
शहनाई मंगलध्वनि का वाद्य है। भारत में जितने भी शहनाईवादक हुए हैं, उनमें बिस्मिल्ला खाँ का नाम सबसे ऊपर है। उनसे बढ़कर सुरीला शहनाईवादक और कोई नहीं हुआ। इसलिए उन्हें शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहो गया है।

प्रश्न 3.
सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?
उत्तर:
सुषिर-वाद्यों का अभिप्राय है-सुराख वाले वाद्य, जिन्हें फेंक मारकर बजाया जाता है। ऐसे सभी छिद्र वाले वाद्यों में शहनाई सबसे अधिक मोहक और सुरीली होती है। इसलिए उसे ‘शाहे-नय’ अर्थात् ‘ऐसे सुषिर वाद्यों का शाह’ कहा गया।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) ‘फटा सुर न बख्। लुगिया का क्या है, आज फटी हैं, तो कल सी जाएगी।’ [Imp.]
(ख) ‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ। [Imp.]
उत्तर:
(क) शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ खुदा से विनती करते हैं-हे खुदा! तू मुझे कभी फटा हुआ सुर न देना। शहनाई का बेसुरा स्वर न देना। लुंगिया अगर फटी रह गई तो कोई बात नहीं। आज यह फटी है तो कल सिल जाएगी। आज गरीबी है तो कल समृद्धि भी आ जाएगी। परंतु भूलकर भी बेसुरा राग न देना, शहनाई की कला में कमी न रखना।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ खुदा से विनती करते हैं-हे खुदा! तू मुझे ऐसा सच्चा और मार्मिक सुर प्रदान कर जिसे सुनकर श्रोताओं की आँखों से आँसू ढुलक पड़े। जिसमें हृदय को गद्गद करने की, तरल करने की, करुणाई करने की शक्ति हो।

प्रश्न 5.
काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे? [CBSE 2008 C]
उत्तर:
कोशी में पुरानी परंपराएँ लुप्त हो रही हैं। खान-पान की पुरानी चीजें और विशेषताएँ नष्ट होती जा रही हैं। मलाई-बरफ़ वाले गायब हो गए हैं। कुलसुम की छन्न करती संगीतात्मक कचौड़ी और देशी घी की जलेबी आज नहीं रही। न ही आज संगीत, साहित्य और अदब का वैसा मान रह गया है। हिंदुओं और मुसलमानों का पहले जैसा मेलजोल भी नहीं रहा। अब गायकों के मन में संगतकारों का वैसा सम्मान नहीं रहा। ये सब बातें बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करती हैं।

प्रश्न 6.
पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि
( क ) बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे। [Imp.]
( ख ) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे।
अथवा
बिस्मिल्ला खाँ हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे, कैसे? [CBSE 2012]
उत्तर:
(क) बिस्मिल्ला खाँ हिंदुओं और मुसलमानों की मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे। वे स्वयं सच्चे मुसलमान थे। उनकी मुसलिम धर्म, उसवों और त्योहारों में गहरी आस्था थी। वे मुहर्रम सच्ची श्रद्धा से मनाते थे। वे पाँचों समय नमाज़ अदा करते थे। साथ ही वे जीवन-भर काशी, विश्वनाथ और बालाजी के मंदिर में शहनाई बजाते रहे। वे गंगा को मैया मानते रहे। वे काशी से बाहर रहते हुए भी बालाजी के मंदिर की ओर मुँह करके प्रणाम किया करते थे। उनकी इसी सच्ची भावना के कारण उन्हें हिंदू-मुसलिम एकता का प्रतीक कहा गया।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ वास्तविक अर्थों में सच्चे इनसान थे। उन्होंने कभी धार्मिक कट्टरता, क्षुद्रता और तंगदिली नहीं दिखाई। उन्होंने काशी में रहकर काशी की परंपराओं को निभाया। मुसलमान होते हुए अपने धर्म की परंपराओं को निभाया। उन्होंने कभी खुदा से धन-समृद्धि नहीं माँगी। उन्होंने जब भी माँगा, सच्चा सुर माँगा। वे जीवन-भर फटेहाल, सरल और सादे रहे। ऊँचे-से-ऊँचे सम्मान पाकर भी वे सरल बने रहे।

प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?
उत्तर:
बिस्मिल्ला खाँ के संगीत-जीवन को निम्नलिखित लोगों ने समृद्ध कियारसूलनबाई, बतूलनबाई, मामूजान अलीबख्श खाँ, नाना, कुलसुम हलवाइन, अभिनेत्री सुलोचना।
रसूलनबाई और बतूलनबाई की गायिकी ने उन्हें संगीत की ओर खींचा। उनके द्वारा गाई गई ठुमरी, टप्पे और दादरा सुनकर उनके मन में संगीत की ललक जागी। वे उनकी प्रारंभिक प्रेरिकाएँ थीं। बाद में वे अपने नाना को मधुर स्वर में शहनाई बजाते देखते थे तो उनकी शहनाई को खोजा करते थे। मामूजान अलीबख्श जब शहनाई बजाते-बजाते सम पर आते थे तो बिस्मिल्ला खाँ धड़ से एक पत्थर जमीन में मारा करते थे। इस प्रकार उन्होंने संगीत में दाद देना सीखा।
बिस्मिल्ला खाँ कुलसुम की कचौड़ी तलने की कला में भी संगीत का आरोह-अवरोह देखा करते थे। अभिनेत्री सुलोचना की फिल्मों ने भी उन्हें समृद्ध किया।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया? [Imp.] [CBSE][ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
अथवा
बिस्मिल्ला खाँ के चरित्र की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनसे आप बहुत अधिक प्रभावित [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं ने मुझे प्रभावित किया धार्मिक सौहार्द-बिस्मिल्ला खाँ सच्चे मुसलमान थे। वे पाँचों समय नमाज़ पढ़ते थे। मुहर्रम का उत्सव पूरे शौक और भाव से मनाते थे। फिर भी वे हिंदुओं की पवित्र नदी गंगा को मैया कहते थे। बाबा विश्वनाथ और बालाजी के मंदिर में नित्य शहनाई बजाया करते थे। काशी के विश्वनाथ की कल्पना बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई के बिना नहीं हो सकती। उनका यह धार्मिक सौहार्द हमें सबसे अधिक प्रभावित करता है।
प्रभु के प्रति आस्थावान-बिस्मिल्ला खाँ के हृदय में खुदा के प्रति सच्ची और गहरी आस्था थी। वे नमाज़ पढ़ते हुए खुदा से सच्चे सुर की कामना करते थे। वे अपनी शहनाई की प्रशंसा को भी खुदा को समर्पित करते थे।
सरलता और सादगी-बिस्मिल्ला खाँ को भारत-रत्न प्राप्त हुआ। भारत के अनेक विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद उपाधियाँ दीं। अन्य अनेक सम्मान मिले। फिर भी उन्हें गर्व और अभिमान छू नहीं गया। वे सरलता, सादगी और गरीबी की जिंदगी जीते रहे। यहाँ तक कि वे फटी तहमद पहने रहते थे। उन्होंने कभी बनाव-श्रृंगार की ओर ध्यान नहीं दिया।
रसिक और विनोदी स्वभाव-बिस्मिल्ला खाँ बचपन से रसिक स्वभाव के थे। वे रसूलनबाई और बतूलनबाई की गायिकी के रसिया थे। जवानी में वे कुलसुम हलवाइन और सुलोचना के रसिया बने। वे जलेबी और कचौड़ी के भी शौकीन थे।
वे बात करने में कुशल थे। जब उनकी शिष्या ने भारत-रत्न का हवाला देकर उन्हें फटी तहमद न पहनने के लिए कहा तो फट से बोले-ई भारत-रत्न शहनईया पर मिला है, लुंगिया पर नहीं।

प्रश्न 9.
मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
बिस्मिल्ला खाँ को मुहर्रम के उत्सव से गहरा लगाव था। मुहर्रम के दस दिनों में वे किसी प्रकार का मंगलवाद्य नहीं बजाते थे। न ही कोई राग-रागिनी बजाते थे। शहनाई भी नहीं बजाते थे। आठवें दिन दालमंडी से चलने वाले मुहर्रम के जुलूस में पूरे उत्साह के साथ आठ किलोमीटर रोते हुए नौहा बजाते चलते थे।

प्रश्न 10.
बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए। [Imp.]
उत्तर:
बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे। उन्होंने 80 वर्षों तक लगातार शहनाई बजाई। उनसे बढ़कर शहनाई बजाने वाला भारत-भर में अन्य कोई नहीं हुआ। फिर भी वे अंत तक खुदा से सच्चे सुर की माँग करते रहे। उन्हें अंत तक लगा रहा कि शायद अब भी खुदा उन्हें कोई सच्चा सुर देगा जिसे पाकर वे श्रोताओं की आँखों में आँसू ला देंगे। उन्होंने अपने को कभी पूर्ण नहीं माना। वे अपने पर झल्लाते भी थे कि क्यों उन्हें अब तक शहनाई को सही ढंग से बजाना नहीं आया। इससे पता चलता है कि वे सच्चे कला-उपासक थे। वे दो-चार राग गाकर उस्ताद नहीं हो गए। उन्होंने जीवन-भर अभ्यास-साधना जारी रखी।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 11.
निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए
(क) यह ज़रूर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फेंका जाता है।
(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यत: सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूं ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।
(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।
उत्तर:
(क) 1. यह ज़रूर है। (प्रधान उपवाक्य)
2. शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। (संज्ञा उपवाक्य)
(ख) 1. रीड अंदर से पोली होती है। (प्रधान उपवाक्य)
2. जिसके सहारे शहनाई को फेंका जाता है। (विशेषण उपवाक्य)
(ग) 1. रीड नरकट से बनाई जाती है। (प्रधान उपवाक्य)
2. जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। (विशेषण उपवाक्य)
(घ)1. उनको यकीन है। (प्रधान उपवाक्य)
2. कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा। (संज्ञा उपवाक्य)
(ङ) 1. हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है। (प्रधान उपवाक्य)
2. जिसकी गमक उसी में समाई है। (विशेषण उपवाक्य)
(च) 1. खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है। (प्रधान उपवाक्य)
2. पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा। (संज्ञा उपवाक्य)

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद हैं।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया से मिला है, लुगिया पे नाहीं।
(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।
उत्तर:
(क) यही वह बालसुलभ हँसी है जिसमें कई यादें बंद हैं।
(ख) काशी की यह प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है कि यहाँ संगीत आयोजन होते हैं।
(ग) धत्! पगली ई भारतरत्न जो हमको मिला है, ऊ शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
(घ) यह काशी का नायाब हीरा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
कल्पना कीजिए कि आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध संगीतकार के शहनाई वादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सूचना देते हुए बुलेटिन बोर्ड के लिए नोटिस बनाइए।
उत्तर
शहनाई वादन ।
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि कल दिनांक 15 अक्तूबर, 2015 को विद्यालय के विशाल कक्ष में उस्ताद अली खाँ को शहनाईवादन होगा। अली खाँ भारत के जाने-माने शहनाईवादक हैं। यह कार्यक्रम सुबह 10.00 बजे से 12.00 बजे तक चलेगा। सभी विद्यार्थी तथा अध्यापक आमंत्रित हैं।

प्रश्न
आप अपने मनपसंद संगीतकार के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

प्रश्न
हमारे साहित्य, कला, संगीत और नृत्य को समृद्ध करने में काशी (आज के वाराणसी) के योगदान पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
काशी, जिसे आज हम वाराणसी कहते हैं, भारत का सांस्कृतिक नगर रहा है। यह नगर संगीत, साहित्य और कला का प्रसिद्ध केंद्र रहा है। शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ ने अपने सुदीर्घ जीवन के 80 वर्ष यहाँ शहनाई बजाते हुए बिताए।

प्रश्न
काशी का नाम आते ही हमारी आँखों के सामने काशी की बहुत-सी चीजें उभरने लगती हैं, वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
विश्वनाथ मंदिर, बोधगया, तीर्थस्थान, कबीर की जन्मस्थली।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
उत्तर:
तताँरा वामीरो की कथा उन द्वीपों की है जिन्हें आज लिटिल अंदमान और कार निकोबार के नाम से जाना जाता है। ये द्वीप कभी एक हुआ करते थे।

प्रश्न 2.
वामीरो अपनी गाना क्यों भूल गई?
उत्तर:
वामीरो अंदमान निकोबार दूद्वीपसमूह के एक दूसरे गाँव की रहने वाली युवती थी। वह सुंदर और मधुर गाती थी। जब वह समुद्र के किनारे गा रही थी, तो समुद्र की लहरें उसे भिगो गईं, जिससे वह हड़बड़ा गई और अपना गाना भूल गई।

प्रश्न 3.
तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की?
उत्तर:
तताँरा ने वामीरो से गाना पूरा करने और अगले दिन भी वहाँ आने की याचना की। इसके अलावा उसने उसका नाम भी जानना चाहा था।

प्रश्न 4.
तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी?
उत्तर:
तताँरा और वामीरो के गाँव की यह रीति थी कि लड़का-लड़की का विवाह एक ही गाँव के होने पर ही हो सकता | था अर्थात् विवाह के लिए लड़का-लड़की का एक ही गाँव का होना आवश्यक था।

प्रश्न 5.
क्रोध में तताँरा ने क्या किया?
उत्तर:
क्रोध में आकर तताँरा ने अपनी दैवीय शक्ति युक्त तलवार निकाली और उसे जमीन में घोंपकर खींचने लगा, जिससे द्वीप दो भागों में बँट गया।

लिखित-

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर:
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का मत यह था कि तताँरा की तलवार में दैवीय शक्ति है, जिसकी मदद से वह साहसिक कारनामे किया करता है और सदा अपनी कमर में बाँधे रहता है।

प्रश्न 2.
वापरो ने ताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
उत्तर:
जब समुद्र के किनारे बैठी वामीरो एक श्रृंगार-गीत गा रही थी, तभी अचानक एक सुंदर युवक तताँरा को सामने देखकर उसने अपना श्रृंगार-गीत बीच में रोक दिया, तो तताँरा ने इसका कारण पूछा और उससे बार-बार आग्रह करने लगा कि वह (वामीरो) गीत गाकर पूरा करे। इस असंगत प्रश्न के कारण ही वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से जवाब दिया कि पहले तताँरा बताए कि वह कौन है। वह उसे क्यों घूर रहा है और उससे असंगत प्रश्न क्यों कर रहा है? वह अपने गाँव के अतिरिक्त किसी अन्य गाँव के युवक को उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है।

प्रश्न 3.
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद निकोबार में यह परिवर्तन आया कि निकोबारी दूसरे गाँवों में भी आपसी वैवाहिक संबंध बनाने लगे।

प्रश्न 4.
निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
उत्तर:
निकोबार के लोग तताँरा को उसके बहुत-से गुणों के कारण पसंद करते थे। जैसे-तताँरा एक सुंदर तथा शक्तिशाली युवक था। वह एक नेक और मददगार व्यक्ति था, इसलिए सदैव दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहता था। वह अपने गाँववालों की ही नहीं, बल्कि समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझता था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
उत्तर:
निकोबार द्वीप समूह विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का यह विश्वास है कि कभी लिटिल अंडमान और कार निकोबार नामक द्वीप आपस में मिले हुए थे। द्वीप पर स्थित किसी गाँव के युवक-युवतियाँ अपने ही गाँव में वैवाहिक संबंध बनाते थे। यह उनकी परंपरा थी। पासा गाँव का तताँरा और लपाती गाँव की वामीरो ने परस्पर प्रेम किया तो लोगों ने तताँरा को अपमानित किया। क्रोधित तताँरा ने अपनी तलवार से धरती के दो टुकड़े किए और द्वीप समूह विभक्त हो गया।

प्रश्न 2.
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के ग्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद समुद्र किनारे गया। वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अलौकिक था-सूरज समुद्र से लगे क्षितिज तले डूबने को था तथा समुद्र से ठंडी बयारें आ रही थीं। लहरें संगीत सुना रही थीं। पक्षियों की सायंकालीन चहचहाहटें धीरे-धीरे कम हो रही थीं। सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र पर प्रतिबिंबित हो रही थीं। इस सायंकालीन प्राकृतिक सौंदर्य को तताँरा बालू पर बैठकर निहार रहा था।

प्रश्न 3.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के शांत जीवन में तूफ़ान-सा आ गया। तताँरा ने जब वामीरो को देखा तभी से वह अपनी सुध-बुध खो बैठा। वामीरो का सुरीले कंठ से निकला गीत उसे मदहोश बना रहा था। वामीरो को देखते ही पहले तो वह अपनी चेतना खो बैठा, जब वह चैतन्य हुआ तो वामीरो से कल फिर आने और नाम बताने की याचना करने लगा। अगले दिन से बेचैनीपूर्वक वामीरो की प्रतीक्षा करना ही उसका काम रह गया था।

प्रश्न 4.
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर:
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए ‘पशु-पर्व’ का आयोजन किया जाता था। इसमें हृष्ट-पुष्ट पशुओं के अतिरिक्त पशुओं से युवकों की शक्ति-परीक्षा प्रतियोगिता भी होती थी। सभी गाँवों के लोग इसमें हिस्सा लेते थे।
इस आयोजन में नृत्य-संगीत और भोजन का भी प्रबंध किया जाता था।

प्रश्न 5.
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परंपराएँ जो सदियों से चली आ रही हैं, कालांतर में अपना स्वरूप खो बैठती हैं। वे बदलते समय की आवश्यकतानुसार प्रासंगिक नहीं रह जाती हैं। उनसे फ़ायदा कम हानि अधिक होने लगती है। ऐसे में ये परंपराएँ रूढ़ियाँ बनकर समाज के लिए बंधन सिद्ध होती हैं। ऐसी रूढ़ियों का टूट जाना ही अच्छा होता है। इसका कारण यह है कि मानव-विकास के लिए परंपराएँ बनाई और निभाई जाती हैं। मनुष्य इनसे बहुत ऊपर है, अतः मानव का अहित करने वाली रूढ़ियों का टूटना ही अच्छा है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर:
वामीरो की माँ और गाँववालों ने अकारण तताँरा को अपमानित किया और दूसरी ओर वामीरो भी रोए जा रही थी तो तताँरा से अपमान और दुख से उपजा क्रोध सहा न गया। उसने क्रोध शमन कर पाने का कोई उपाय न देखकर अपनी विलक्षण तलवार निकाली और पूरी शक्ति से धरती में घोंप कर यह दर्शाना चाहा कि वह अपना सारा क्रोध धरती के हवाले कर दे रहा है। इससे धरती में दरार पड़ गई और द्वीप समूह दो भागों में बँट गया।

प्रश्न 2.
बस आस की एक किरण थी, जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर:
इसका आशय यह है कि वामीरो को पहली बार देखते ही तताँरा विचलित हो उठा था और उसकी चेतना लुप्त-सी हो गई थी। उसके शांत और गंभीर जीवन में पहली बार ऐसा हुआ था इसलिए वह अचंभित और रोमांचित था। इसी कारण उसे वामीरो से मिलने की प्रतीक्षा बहुत भारी लग रही थी। साथ ही उसके भीतर एक आशंका भी दौड़ रही थी कि वामीरो उससे मिलने आती भी है या नहीं। परंतु साथ ही आशा की एक किरण भी थी, जो उसी प्रकार समाप्त हो सकती थी, जिस प्रकार सूर्य के अस्त होने पर सूर्य की । किरणें समाप्त हो जाती हैं। वामीरो के ने आने पर आशा निराशा में भी बदल सकती थी।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के सामने दिए कोष्ठक में  (✓) का चिह्न लगाकर बताएँ कि वह वाक्य किस प्रकार का है-
(क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।                                (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ख) तुमने एकाएक इतनी मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया?    (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी।                                (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम?                             (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है।                                          (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा।                                          (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर:
(क) विधानवाचक वाक्य
(ख) प्रश्नवाचक वाक्य
(ग) विधानवाचक वाक्य
(घ) प्रश्नवाचक वाक्य
(ङ) विस्मयादिबोधक वाक्य
(च) विधानवाचक वाक्य

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना
उत्तर:
मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग-
(क) तताँरा वामीरो को देखकर अपनी सुध-बुध खो बैठा
(ख) तताँरा वामीरो की बाट जोहता रहा
(ग) वामीरो को देखकर तताँरा की खुशी का ठिकाना न रहा
(घ) तताँरा के प्रश्न पर वामीरो आग बबूला हो उठी
(ङ) हमें अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए-
          शब्द              मूल शब्द             प्रत्यय

  1. चर्चित            ……………….           ………………..
  2. साहसिक        ……………….           ……………….
  3. छटपटाहट      ……………….           ……………….
  4. शब्दहीन         ……………….           ……………….

उत्तर:
         शब्द            मूल शब्द               प्रत्यय

  1.  चर्चा             चर्चित                     इत
  2. साहसिक       साहस                     इक
  3. छटपटाहट     छटपटाना               आहट
  4. शब्दहीन        शब्द                      हीन

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए

  1. ……………… + आकर्षक =  ………………
  2. ……………… + ज्ञात        =  ………………
  3. ……………… + कोमल    =  ………………
  4. ……………… + होश       =  ………………
  5. ……………… + घटना     =  ………………

उत्तर:
उचित उपसर्ग लगाकर बने शब्द-

  1. अन + आकर्षक  = अनाकर्षक
  2. अ + ज्ञात           = अज्ञात
  3. सु + कोमल        = सुकोमल
  4. बे + होश           = बेहोश
  5. दुर् + घटना        = दुर्घटना

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए-
(क) जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। (मिश्र वाक्य)
(ख) फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। (संयुक्त वाक्य)
(ग) वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। (सरल वाक्य)
(घ) तताँरा को देखकर वह फूटकर रोने लगी। (संयुक्त वाक्य)
(ङ) रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
(क) मेरे जीवन में पहली बार ऐसा हुआ कि मैं इस तरह विचलित हुआ।
(ख) वह फिर तेज़ कदमों से चली और तताँरा के सामने ठिठक गई।
(ग) वामीरो कुछ सचेत होकर घर की तरफ़ दौड़ी।
(घ) उसने तताँरा को देखा और वह फूटकर रोने लगी।
(ङ) दोनों को एक ही गाँव का होना था क्योंकि गाँव की यह रीति थी।

प्रश्न 6.
नीचे दिए वाक्य पढ़िए तथा ‘और’ शब्द के विभिन्न प्रयोगों पर ध्यान दीजिए
(क) पास में सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। (दो पदों को जोड़ना)
(ख) वह कुछ और सोचने लगी। (अन्य के अर्थ में) ।
(ग) एक आकृति कुछ साफ़ हुई… कुछ और… कुछ और… (क्रमशः धीरे-धीरे के अर्थ में)
(घ) अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ गई। (दो उपवाक्यों को जोड़ने के अर्थ में)
(ङ) वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। (‘अधिकता’ के अर्थ में)
(च) उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। (‘निकटता’ के अर्थ में)
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-

  1. भय,
  2. मधुर,
  3. सभ्य,
  4. मूक,
  5. तरल,
  6. उपस्थिति,
  7. सुखद।

उत्तर:

  1. भय-निर्भय (अभय),
  2. मधुर-कटु,
  3. सभ्य-असभ्य,
  4. मूक-वाचाल,
  5. तरल-ठोस,
  6. उपस्थिति–अनुपस्थिति,
  7. सुखद-दुखद।

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-

  1. समुद्र,
  2. आँख,
  3. दिन,
  4. अंधेरा,
  5. मुक्त।

उत्तर:

  1. समुद्र – सागर, सिंधु ।
  2. आँख – नेत्र, लोचन।
  3. दिन – वासर, वार।।
  4. अंधेरा – अंधकार, तम।
  5. मुक्त – आज़ाद, स्वतंत्र।

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

  1. किंकर्तव्यविमूढ़,
  2. विह्वल,
  3. भयाकुल,
  4. याचक,
  5. आकंठ।

उत्तर:

  1. शेर को अचानक सामने देखकर मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया।
  2. अपने बच्चे के खो जाने की खबर सुनकर माँ विह्वल हो गई।
  3. आतंकवादियों को देखकर मैं भयाकुल हो गया।
  4. हम सभी ईश्वर के आगे याचक की तरह हैं।
  5. मैं एक दिन आकंठ नदी में डूब गया।

प्रश्न 10.
किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और उबाऊ दिन गुज़रने लगा’ वाक्य में दिन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? आप दिन के लिए कोई तीन विशेषण और सुझाइए।
उत्तर:

  • आँचरहित
  • एक
  • ठंडा
  • उबाऊ

तीन विशेषण-एक बार उष्णता रहित, बर्फीला और बड़ा दिन भी आया।

  1. उष्णता रहित,
  2. बर्फीला,
  3. बड़ा।

प्रश्न 11.
इस पाठ में देखना’ क्रिया के कई रूप आए हैं-‘देखना’ के इन विभिन्न शब्द-प्रयोगों में क्या अंतर है? वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 1
इसी प्रकार ‘बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग बताइए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 2
उत्तर

  1. आँखें केंद्रित करना – उसने पिक्चर पर अपनी आँखें केंद्रित कर लीं।
  2. नज़र पड़ना – रास्ता चलते एक भिखारिन पर मेरी नजर पड़ी।
  3. ताकना – कनखियों से मेरी तरफ क्या ताक रहे हो?
  4. घूरना – तुम क्रोध से मुझे क्यों घूर रहे हो।
  5. निहारना – माँ अपने बेटे को बार-बार प्यार से निहार रही थी।
  6. निर्निमेष ताकना – उस लड़की को तुम निर्निमेष क्यों ताक रहे हो।

‘बोलना’ के वाक्य प्रयोग-
कहना – तुम क्या कहना चाहते हो?
वाक् – मैं उसकी वाक्पटुता से प्रभावित हुई।
कथन – इस कथन की समीक्षा कीजिए।

प्रश्न 12.
वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए

  1. उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था।
  2. तताँरा को मानो कुछ होश आया
  3. वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।
  4. तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
  5. उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूंढ़ने में व्यस्त थीं।

उत्तर:
पदबंधों के प्रकार-

  1. विशेषण पदबंध
  2. क्रिया पदबंध
  3. क्रियाविशेषण पदबंध
  4. संज्ञा पदबंध
  5. संज्ञा पदबंध

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
पुस्तकालय में उपलब्ध विभिन्न प्रदेशों की लोककथाओं का अध्ययन कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
भारत के नक्शे में अंदमान निकोबार द्वीपसमूह की पहचान कीजिए और उसकी भौगोलिक स्थिति के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 3.
अंदमान निकोबार द्वीपसमूह की प्रमुख जनजातियों की विशेषताओं का अध्ययन पुस्तकालय की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
दिसंबर 2004 में आए सुनामी का इस द्वीपसमूह पर क्या प्रभाव पड़ा? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अपने घर-परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से कुछ लोककथाओं को सुनिए। उन कथाओं को अपने शब्दों में कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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