NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है। [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
अथवा
जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर सरकारी क्षेत्र की बदहवासी किस मानसिकता की द्योतक है? [CBSE; CBSE 2008 C]
उत्तर:
इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ के भारत आने की खबर से सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की टूटी नाक ठीक करने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है। वह हमारी गुलाम या परतंत्र मानसिकता को दर्शाती है। इससे यह पता चलता है। कि अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए विवश कर हम भले शारीरिक रूप से स्वयं को स्वतंत्र मानकर खुश हो लें, पर वास्तव में हम मानसिक गुलामी में अब भी जी रहे हैं।

इसका प्रमाण जगह-जगह अंग्रेजों की लगी मूर्तियाँ (लाट) तथा उनके नाम पर बने भवन तथा सड़कें हैं। वास्तव में इनका नामकरण देश के शहीदों तथा प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नाम पर किया जा सकता है। वास्तव में हमारे नौकरशाह तथा नेतागण आज भी मानसिक गुलामी से मुक्त नहीं हो सके हैं। वे आज भी अंग्रेजों के प्रति वफ़ादार दिखाई देते हैं। इसके द्वारा लिए गए निर्णय में कभी-कभी देश के सम्मान एवं प्रतिष्ठा के महत्त्व को ध्यान में नहीं रखा जाता है।

प्रश्न 2.
रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?[CBSE] |
उत्तर:
रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी यह थी कि रानी भारत, पाकिस्तान और नेपाल के शाही दौरे पर कौन-सी वेशभूषा धारण करेंगी। उसे लगता था कि रानी की आन-बान-शान भी बनी रहनी चाहिए और उसकी वेशभूषा विभिन्न देशों के अनुकूल भी हो। दरजी की परेशानी जरूरत से अधिक है। किसी देश में घूमते वक्त अपने कपड़ों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देना, चकाचौंध पैदा करना अनावश्यक है। परंतु यदि रानी अपने कपड़ों को लेकर परेशान है तो दरजी बेचारा क्या करे? उसे तो रानी की शान और वातावरण के अनुकूल वेशभूषा तैयार करनी ही पड़ेगी।

प्रश्न 3.
‘और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा’–नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे? [A.I. CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009; CBSE]
उत्तर:
इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ भारत आने वाली थीं। उनके आने की जोर-शोर से चर्चा थी। उनके दिल्ली आने का भी कार्यक्रम था। आनन-फानन में नई दिल्ली का कायापलट करने का प्रयास किया जाने लगा। इसके लिए हर स्तर पर प्रयत्न किया गया होगा। इसके लिए-

  1. दिल्ली की सड़कों की साफ़-सफ़ाई की गई होगी।
  2. वहाँ की महत्त्वपूर्ण इमारतों को साफ़-सुथरा बनाया गया होगा तथा उन पर रंग-रोगन कर चमकाया गया होगा।
  3. उन पर सुंदर रोशनी की व्यवस्था कर आकर्षक बनाया गया होगा। उनके आने-जाने वाले रास्तों पर ध्वज लगाए गए होंगे।
  4. रास्तों के किनारों पर रंग-बिरंगे फूल तथा छायादार वृक्ष लगवाए गए होंगे।
  5. मार्ग पर पुलिस भी नियुक्त किए गए होंगे।

प्रश्न 4.
आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा हैं
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है? [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता मनोरंजन-पत्रकारिता के अंतर्गत आती है। हर देश का फैशन अपने समय के महत्त्वपूर्ण नायक-नायिकाओं की वेशभूषा को देखकर चलता है। अतः मनोरंजन-पत्रकारिता का चर्चित हस्तियों के खान-पान और पहनावे को लेकर बातें करना स्वाभाविक है। इन बातों को सीमित महत्त्व देना चाहिए। इन्हें समाचार-पत्र के भीतरी पृष्ठों पर मनोरंजन-परिशिष्ट के अंतर्गत ही स्थान मिलना चाहिए। इन्हें राष्ट्रीय समाचार-पत्रों की पहली खबर बनाना आवश्यकता से अधिक महत्त्व देना है। इस प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए।
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता को रहन-सहन के तौर-तरीकों और फैशन आदि के प्रति जागरूक करती है। बहुत से युवक-युवतियाँ पढ़ाई-लिखाई से अधिक फैशन में रुचि लेने लगते हैं। वे काम की बातों से अधिक ध्यान ऊपरी दिखावे पर देने लगते हैं।

प्रश्न 5.
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए? [ Imp.] [A.I. CBSE 2008; CBSE]
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने कई प्रयास किए; जैसे-

  • उसने सबसे पहले वह पत्थर ढुढ़वाने का प्रयास किया जिससे जॉर्ज पंचम की नाक बनी थी।
  • सरकारी फाइलों से कुछ पता न चल पाने पर उसने स्वयं पर्वतीय प्रदेश की यात्राएँ की और पत्थर की खानों का निरीक्षण किया।
  • भारत के किसी नेता की मूर्ति की नाक लगाने के लिए उसने पूरे देश के शहीद नेताओं की नाकों का नाप लिया पर असफल रहा।
  • उसने वर्ष 1942 में बिहार में शहीद बच्चों की मूर्तियों की नाकों की नाप ली पर वे भी बड़ी निकलीं।
  • अंत में उसने गुपचुप तरीके से जॉर्ज पंचम की लाट पर एक जिंदा नाक लगवाकर अपनी और देश की भलाई चाहने वालों की परेशानी दूर की।

प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी है।’ ‘सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ़ ताका।’ पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
ऐसे अन्य व्यंग्यात्मक कथन इस प्रकार हैं

  • शंख इंग्लैंड में बज रहा था, पूँज हिंदुस्तान में आ रही थी।
  • गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
  • सभी सहमत थे कि अगर यह नाक नहीं है तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी।
  •  एक की नजर ने दूसरे से कहा कि यह बताने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।
  • पुरातत्व विभाग की फाइलों के पेट चीरे गए पर कुछ भी पता नहीं चला।
  • एक खास कमेटी बनाई गई और उसके जिम्मे यह काम दे दिया गया।
  • यह छोटा-सा भाषण फ़ौरन अखबारों में छप गया।

प्रश्न 7.
नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए। [Imp.][CBSE]
उत्तर:
नाक सदा से ही प्रतिष्ठा का प्रश्न रही है। नाक की इसी प्रतिष्ठा को व्यंग्य रूप में इस पाठ में प्रस्तुत किया गया है। इस पाठ के माध्यम से देश के सरकारी अधिकारियों, कार्यालयों की कार्यप्रणाली, क्लर्को द्वारा अपनी जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति तथा काम को आनन-फानन में येनकेन प्रकारेण निपटाने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया गया है। पाठ में हम भारतीयों की गुलाम मानसिकता पर भी व्यंग्य किया गया है जिसके कारण आज़ादी मिले हुए इतना समय बीत जाने पर भी एक टूटी नाक के पीछे इतना परेशान हो जाते हैं कि यह परेशानी देखते ही बनती है। देश के शहीद नेताओं की नाक को अधिक बड़ा तथा शहीद बच्चों की नाकों को भी जॉर्ज पंचम की लाट की नाक के योग्य न समझकर एक ओर सम्मानित किया गया है, परंतु अंत में बुत पर जीवित नाक लगाकर देश की प्रतिष्ठा को ज़मीन पर ला पटकी है।

प्रश्न 8.
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है। [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009; CBSE]
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की नाक सभी भारतीय नेताओं और बलिदानी बच्चों से छोटी थी-यह बताना लेखक का लक्ष्य था। भारत में आजादी के लिए लड़ने वाले बलिदानी बच्चों का मान-सम्मान जॉर्ज पंचम से भी अधिक था। गाँधी, नेहरू, सुभाष, पटेल आदि नेता तो निश्चित रूप से जॉर्ज पंचम से कहीं अधिक सम्माननीय थे। यह बताना ही लेखक का उद्देश्य है।

प्रश्न 9.
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया? [CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को प्रस्तुत करते हुए लिखा कि मूर्तिकार को जब जॉर्ज पंचम की लाट के लिए उपयुक्त पत्थर नहीं मिला तथा उस लाट के अनुरूप नाक न मिल सकी तो उसने लाट पर जिंदा नाक लगाने का फैसला कर लिया। यह बात देश की जनता नहीं जानती थी। सब तैयारियाँ अंदर ही अंदर चल रही थीं। लाट पर किसी जीवित भारतीय की नाक लगाने के सरकारी कदम का अखबार विरोध कर रहे थे। ऐसे में अखबारों ने पत्थर में जिंदा नाक लगने की खबर को बिना किसी दिखावे-प्रदर्शन के चुपचाप तथा शांति एवं सादगी के साथ प्रस्तुत किया। अखबारों में लिखा था कि ‘जॉर्ज पंचम की जिंदा नाक लगाई गई है…यानी ऐसी नाक जो पत्थर की नहीं लगती है।

प्रश्न 10.
“नयी दिल्ली में सब था … सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता [Imp.] [CBSE 2008 C]
उत्तर:
इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि आजाद भारत में किसी प्रकार की सुख-सुविधा में कोई कमी नहीं थी। सब कुछ था। परंतु अब भी भारतीयों में आत्मसम्मान की भावना नहीं थी। यदि जॉर्ज पंचम ने उन्हें गुलाम बनाकर उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाई थी तो उसे गलत ठहराने की हिम्मत नहीं थी।

प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
उत्तर:
किसी भी देश का समाचार पत्र वहाँ घट रही घटनाओं का आइना तथा लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी होते हैं। अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने और उन्हें देश से बाहर करने में समाचारपत्रों ने जोशीले लेखों, भाषणों और विभिन्न घटनाओं के माध्यम से लोगों को उत्साहित और प्रेरित किया था और लोगों की रगों में बहते खून को लावे में बदल दिया था। वही समाचार पत्र उस घटना को कैसे छापते जिसमें देश की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान को मिट्टी में मिला दिया गया हो। जॉर्ज पंचम की लाट पर जिंदा नाक लगाने के कुकृत्य को प्रकाशित करने के बजाए समाचार पत्रों ने चुप रहना ही बेहतर समझा।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे को अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ को शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है? [CBSE; CBSE 2008 ; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
अथवा
माँ के प्रति अधिक लगाव न होते हुए भी विपत्ति के समय भोलानाथ माँ के आँचल में ही प्रेम और शांति पाता हैं। इसका आप क्या कारण मानते हैं? [CBSE 2008 C]
उत्तर:
चूहे के बिल से निकले साँप को देखकर भयभीत भोलानाथ जब गिरता-पड़ता घर भागता है तो उसे जगह-जगह चोट लग जाती है। वह अपने पिता को ओसारे में हुक्का गुड़गुड़ाता हुआ देखता है परंतु उनकी शरण में न जाकर घर में सीधे माँ के पास जाकर माँ के आँचल में छिप जाता है। साँप से भयभीत अर्थात् विपदा के समय पिता के दुलार की कम, माता के स्नेह, ममता और सुरक्षा की ज़रूरत अधिक होती है। यह सुरक्षा उसे माँ के आँचल में नज़र आती है, इसलिए बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव होने पर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण में जाती है।

प्रश्न 2.
आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है? [Imp.] [CBSE; CBSE 2008 C; A.I. CBSE 2008 ]
उत्तर:
भोलानाथ को अपने साथियों के साथ खेलने में गहरा आनंद मिलता है। वह साथियों की हुल्लडबाजी, शरारतें और मस्ती देखकर सब कुछ भूल जाता है। उसी मग्नावस्था में वह सिसकना भी भूल जाता है।

प्रश्न 3.
आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जव-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की दुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर:
छात्र अपने बचपन से जुड़ी किसी तुकबंदी के बारे में स्वयं लिखें।

प्रश्न 4.
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है? [CBSE; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
आज ज़माना बदल चुका है। आज माता-पिता अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखते हैं। वे उसे गली-मुहल्ले में बेफिक्र खेलने-घूमने की अनुमति नहीं देते। जब से निठारी जैसे कांड होने लगे हैं, तब से बच्चे भी डरे-डरे रहने लगे हैं। अब न तो हुल्लडबाजी, शरारतें और तुकबंदियाँ रही हैं; न ही नंगधडंग घूमते रहने की आजादी। अब तो बच्चे प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक्स के महँगे खिलौनों से खेलते हैं। बरसात में बच्चे बाहर रह जाएँ तो माँ-बाप की जान निकल जाती है। आज न कुएँ रहे, न रहट, न खेती का शौक। इसलिए आज का युग पहले की तुलना में आधुनिक, बनावटी और रसहीन हो गया है।

प्रश्न 5.
पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों? [Imp.]
अथवा
ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए जब अपनी माता या पिता का स्नेह आपके अंतर्मन को छू गया हो। [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
‘माता का अँचल’ नामक इस पाठ में अनेक ऐसे प्रसंग हैं, जो अनायास ही हमारे मन को छू जाते हैं। ये प्रसंग निम्नलिखित हैं-

  1. भोलानाथ पिता जी की छाती पर चढ़कर उनकी पूँछे उखाड़ने लगता था। उनके चुम्मा माँगने पर जब अपनी मूंछे भोलानाथ के पिता जी उसके गाल पर गड़ा देते तब भोलानाथ फिर से उनकी पूँछे उखाड़ने लगता।
  2. भोलानाथ के प्रत्येक खेल में पिता जी का शामिल होना दिल को छु जाता है।
  3. भोजन तैयार करके बैठे बच्चों के बीच जब खाने के लिए पिता जी भी पंक्ति में बैठते तो बच्चे हँसते हुए भाग जाते थे।
  4. भोलानाथ का साँप से भयभीत होकर भागना तथा पिता जी की शरण में न जाकर माँ के आँचल में छिपने जैसे प्रसंग मन को अनायास छू जाते हैं।

प्रश्न 6.
इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं। [Imp.]
अथवा
‘माता का अँचल’ पाट में ग्रामीण जीवन का चित्रण हुआ है। यह आज के ग्रामीण जीवन से किस प्रकार भिन्न है? [CBSE]
उत्तर:
आज की ग्रामीण संस्कृति में अनेक परिवर्तन हो चुके हैं। आज कुओं से सिंचाई होने की प्रथा प्रायः समाप्त हो गई है। उसकी जगह ट्यूबवैल आ गए हैं। अब बैलों की जगह ट्रैक्टर आ गए हैं। आजकल पहले की तरह बूढे दूल्हे भी नहीं दिखाई देते। आज धीरे-धीरे ग्रामीण अंचल मौज-मस्ती और आनंद मनाने की चाल को भूलता जा रहा है। वहाँ भी भविष्य, प्रगति और पढ़ाई-लिखाई का भूत सिर पर चढ़कर बोलने लगा है।

प्रश्न 7.
पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता को लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर:
सौम्य के बचपन की डायरी का एक पेज-
सोमवार, 12 अक्टूबर, 20XX

मनुष्य के मस्तिष्क से माता-पिता के स्नेह का चित्र कभी गायब नहीं होता है। मुझे याद है कि बचपन की वह घटना जब पिता जी ने मुझे मेरे जन्मदिन पर नई साइकिल दिलवाई थी। मुझे साइकिल चलाना नहीं आता था, इसलिए पिता जी मुझे बाग की ओर ले गए। वे घंटे भर साइकिल पकड़कर चलाना सिखाते रहे, पर मैंने उनसे कहा कि अब मैं खुद चलाऊँगा। मैं थोड़ी दूर ही गया था कि आगे थोड़ी ऊँचाई थी, जिसे मैं पार करना चाहता था पर साइकिल पार न हो सकी और पीछे की ओर सरकने लगी। मैं स्वयं को सँभाल न सकी और गिर पड़ा। साइकिल मेरे ऊपर थी। मेरे पैर चेन और गीयर के बीच में होने से घाव हो गया। पिता जी भागे-भागे आए। मुझे गोद में उठाया और डॉक्टर के पास ले गए। इलाज करवाया। इधर माँ और पिता जी हफ्तों तक मेरे ऊपर विशेष ध्यान रखते रहे। वह स्नेह मैं आज भी नहीं भूल पाया हूँ।

प्रश्न 8.
यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए। [Imp.]
उत्तर:
माता का अँचल’ में माता-पिता के वात्सल्य का बहुत ही सरस और मनमोहक वर्णन हुआ है। बच्चे के माता-पिता में मानो वात्सल्य की होड़ है। बच्चे के पिता अपने बच्चे से माँ जैसा प्यार करते हैं। वे बच्चे को अपने साथ सुलाते हैं, जगाते हैं, नहाते-धुलाते हैं और खाना भी खिलाते हैं। उन्हें यह सब करने में बहुत आनंद मिलता है। वे कभी अपने बच्चे को डाँटते-फटकारते नहीं। वे माँ यशोदा की तरह बच्चे की एक-एक क्रीड़ा में पूरी रुचि लेते हैं। वे उसके एक-एक खेल को मानो भगवान भोलानाथ की लीला मानकर साथ देते हैं। इसलिए वे हँसकर पूछते हैं-‘फिर कब भोज होगा भोलानाथ?’ ‘इस साल की खेती कैसी रही भोलानाथ?’ पिता बच्चे से हर संभव लाड़ करते हैं। उसके साथ खेलते हैं। उससे जान-बूझकर हारते हैं। फिर उसे चूमते हैं, कंधे पर बिठाकर घूमते हैं। इन सारी क्रियाओं में उन्हें बहुत आनंद मिलता है।

बच्चे की माता भी मानो ममता की मूर्ति है। उसे इस बात का बोध है कि बच्चे का पेट तो महतारी के खिलाने से ही भरता है। उसका मन बच्चे को खिलाने-पिलाने और पुचकारने-दुलराने के लिए तरसता है। वह बच्चों से लाड़ करने में पारंगत है। वह भरपेट खाना खाए हुए बच्चे को भी अपनी वात्सल्य-कला से रिझाकर ढेर सारा और भोजन करा देती है। यह उसकी ममता का ही प्रसाद है कि बच्चा अपने पिता के संग रहने का अभ्यासी होने पर भी माँ का आँचल खोजता है। विपत्ति में उसे माँ की गोद ही अधिक सुरक्षित प्रतीत होती है। माँ का ममतालु मन इतना भावुक है कि वह बच्चे को डर के मारे काँपता देखकर रोने ही लगती है। उसकी यह सजल ममता पाठक को बहुत प्रभावित करती है।

प्रश्न 9.
माता का अँचल शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्पक सुझाइए।
उत्तर:
किसी भी कहानी, उपन्यास या नाटक का शीर्षक उसके मुख्य पात्र, घटनाक्रम या पाठ की महत्ता प्रकट करने वाला होता
है। ‘माता को अंचल’ पाठ का शीर्षक इस पाठ की घटनाओं पर आधारित है। वास्तव में भोलानाथ अपने पिता के साथ अधिक लगाव रखता, वह उन्हीं के साथ पूजा पर बैठता, खेलता तथा वे ही भोलानाथ को गुरु जी से बचाकर लाए, पर बिल में पानी डालने पर जब अचानक साँप निकल आता है और भोलानाथ गिरता पड़ता घर आता है तो माँ के अंचल को सुरक्षित मान उसी में शरण लेता है। अतः यह शीर्षक पूर्णतः उपयुक्त है। इस पाठ के अन्य शीर्षक हो सकते हैं:

  • बचपन के दिन
  • बच्चों की दुनिया
  • बचपन की दुनिया कितनी रंग-बिरंगी।

प्रश्न 10.
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? [CBSE; A.I. CBSE 2008; CBSE 2008 ]
अथवा
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? अपने जीवन से संबंधित कोई घटना लिखिए जिसमें आपने अपने माता-पिता के प्रति प्रेम अभिव्यक्त किया हो। [CBSE]
उत्तर:
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को उनके साथ रहकर, उनकी सिखाई हुई बातों में रुचि लेकर, उनके साथ खेल करके, उन्हें चूमकर, उनकी गोद में या कंधे पर बैठकर प्रकट करते हैं।
मेरे माता-पिताजी की बीसवीं वर्षगाँठ थी। मैंने उनके बीस वर्ष पुराने युगल-चित्र को सुंदर से फ्रेम में सजाया और उन्हें भेंट किया। उसी दिन मैं उनके लिए अपने हाथों से सब्जियों का सूप बनाकर लाई और उन्हें आदरपूर्वक दिया। माता-पिता मेरा यह प्रेम देखकर बहुत प्रसन्न हुए।

प्रश्न 11.
इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है? [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
‘माता का अँचल’ नामक पाठ में बच्चों की जिस दुनिया की संरचना की गई है उसकी पृष्ठभूमि पूर्णतया ग्रामीण जीवन पर आधारित है। पाठ में तीस-चालीस के दशक के आस-पास का वर्णन है। इस ग्रामीण परिवेश में खेतों में उगी फ़सलें, फ़सलों के बीच उड़ती-फिरती चिड़ियाँ, उनका बालकों द्वारा उड़ाया जाना, बिल में पानी डालना और चूहे की जगह साँप निकलने पर डरकर भागना, आम के बाग में बच्चों का पहुँचना और वहाँ भीगना, बिच्छुओं को देखकर भागना, मूसन तिवारी को चिढ़ाना, माता दुवारा पकड़कर बलपूर्वक तेल लगाना, टीका लगाना आदि का अत्यंत स्वाभाविक चित्रण है।

यह सब हमारे बचपन से पूर्णतया भिन्न है। आज तीन वर्ष या उससे कम उम्र में ही बालकों को पूर्व प्राथमिक विद्यालयों में भरती करा दिया जाता है। इससे उनका बचपन प्रभावित होता है। खेलों में क्रिकेट, फुटबॉल, कंप्यूटर, वीडियोगेम, मोबाइल फ़ोन पर गेम, लूडो, कैरम आदि खेलते हैं। माता-पिता के पास कहानियाँ सुनाने का समय न होने के कारण बच्चे टीवी पर कार्यक्रम देखकर अपनी शाम बिताते हैं।

प्रश्न 12.
फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन की आँचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर:
छात्र पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर पढ़ें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
काठगोदाम के पास भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई थी?
उत्तर:
किसी कुत्ते ने ख्यूक्रिन की उँगली काट ली थी। उसने कुत्ते को पकड़ लिया था जिससे कुत्ता डर और भय से चिल्ला रहा था। ख्यूक्रिन और कुत्ते की आवाजें सुनकर काठगोदाम के पास भीड़ इकट्ठी हो गई थी।

प्रश्न 2.
उँगली ठीक न होने की स्थिति में ख्यूक्रिन का नुकसान क्यों होता?
उत्तर:
ख्यूक्रिन का नुकसान इसलिए होता, क्योंकि ख्यूक्रिन एक कामकाजी आदमी था। वह सुनार था और उसका काम पेचीदा था। उसने खुद कहा था कि एक हफ्ते तक उँगली काम करने लायक नहीं हो सकेगी। इसीलिए तो उसने कुत्ते के मालिक से हरज़ाना दिलवाने की बात भी की।

प्रश्न 3.
कुत्ता क्यों किकिया रहा था?
उत्तर:
कुत्ता इसलिए किकिया रहा था क्योंकि उँगली में काट लेने के कारण ख्यूक्रिन उसे मार-पीट रहा था। उसने कुत्ते की टाँग पकड़ रखी थी जिससे कुत्ता आतंकित हो रहा था।

प्रश्न 4.
बाजार के चौराहे पर खामोशी क्यों थी?
उत्तर:
बाज़ार के चौराहे पर किसी आदमी का न होना यह संकेत करता है कि चौराहे पर मात्र बेजान वस्तुएँ थीं। खरीदने-बेचने का काम पूरी तरह बंद था अर्थात् बाज़ार में होने वाली हलचल पूरी तरह बंद थीं। बाजार की दुकानों के सामने कोई भिखारी तक नहीं था। उपरिलिखित कारणों से बाजार के चौराहे पर खामोशी थी।

प्रश्न 5.
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में बताया कि यह हमारा नहीं है। यह तो जनरल साहब का है, जो कुछ देर पहले यहाँ आए हैं। उन्हें यही नस्ल पसंद है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की क्या दलील दी?
उत्तर:
ख्यूक्रिन ने मुआवजा पाने की यह दलील दी कि वह कामकाजी आदमी है तथा उसका काम पेंचीदा किस्म का है। कुत्ते द्वारा उँगली काट खाने से अब वह हफ्ते भर तक काम नहीं कर सकता है। इससे उसका काफ़ी नुकसान होगा।

प्रश्न 2.
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का यह कारण बताया कि वह! तो मेढ़े की तरह चुपचाप जा रहा था, मुझे मित्री मित्रिच से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाना था, तब अचानक इस कंबख्त कुत्ते ने मेरी उँगली काट खाई। उसने साथ में यह भी कहा कि वह एक कामकाजी आदमी है और उसका काम पेचीदा किस्म का है, इसलिए वह सप्ताह तक काम करने की स्थिति में नहीं है।

प्रश्न 3.
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए क्या कहा?
उत्तर:
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए इंसपेक्टर से कहा कि ख्यूक्रिन हमेशा कोई-न-कोई शरारत करता रहता है। जरूर ही इसने अपनी जलती सिगरेट से इसकी नाक जला दी होगी, जिससे कुत्ते ने इसे काटा है। इसमें सारा दोष ख्यूक्रिन का ही है।

प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह संदेश क्यों भिजवाया होगा कि उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है?
उत्तर:
ओचुमेलॉव एक चापलूस तथा भाई-भतीजावाद में विश्वास रखने वाला पुलिस इंस्पेक्टर था। वह जनरल साहब पर अपनी कर्तव्यनिष्ठा व वफ़ादारी की छाप छोड़ना चाहता था। इसलिए उसने जनरल साहब को यह संदेश भिजवाया कि यह कुत्ता उसे गली में मिला है और वह उसे वापिस भेज रहा है, क्योंकि उसे जनरल साहब के कुत्ते का बहुत खयाल है। कुत्ता काफ़ी महँगा है और इसे कोई भी नुकसान पहुँचा सकता है।

प्रश्न 5.
भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?
उत्तर:
कुत्ते द्वारा काटे जाने से काम करने में असमर्थ ख्यूक्रिन कुत्ते के मालिक से मुआवजा चाहता था, परंतु जब इंसपेक्टर को ज्ञात होता है कि वह कुत्ता जनरल के भाई साहब का है तो वह ख्यूक्रिन को धमकाने और कुत्ते को पुचकारने लगता है। इससे ख्यूक्रिन की स्थिति कुत्ते से भी बदतर हो जाती है और भीड़ हँसने लगती है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी’-ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
उत्तर:
ओचुमेलॉव दोहरी भूमिका जीने वाला चाटुकार, अवसरवादी इंसपेक्टर था। पहले तो वह ख्यूक्रिन को काटने वाले कुत्ते के मालिक को सबक सिखाने, उसे खुला छोड़ देने के लिए दंड देना चाहता था। वह जानना चाहता था कि आखिर यह कुत्ता है किसका, पर जैसे ही उसे पता चलता है कि यह कुत्ता जनरल साहब का है, वह अपना रंग-ढंग और बात बदल लेता है। वह कहता है ख्यूक्रिन कुत्ते पर झूठा आरोप लगा रहा है, जबकि उसने कील-वील से उँगली छील ली होगी। वह ऐसा इसलिए कहता है ताकि वह जनरल साहब की कृपा का पात्र बनकर पदोन्नति पा सके।

प्रश्न 2.
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. ओचुमेलॉव एक अवसरवादी पुलिस इंस्पेक्टर है।
  2. वह समय, परिस्थिति, अवसर को देखकर हमेशा अपनी प्रतिक्रिया एवं कथनों को बदल लेता है।
  3. वह अपनी वाकू-पटुता की विशेषताओं का अच्छी तरह से लाभ उठाता है। तभी तो कभी ख्यूक्रिन को हरज़ाना दिलाने की बात करता है, तो कभी मरियल-से कुत्ते को ‘सुंदर डॉगी’ कहता है।
  4. वह उच्च वर्ग के प्रति विशेष पक्षपात का सहारा लेता है और कुत्ते को जनरल साहब के पास भेज देता है।
    अर्थात् ओचुमेलॉव अवसरवादी, वाक्-पटुता में माहिर तथा उच्च वर्ग का साथ देनेवाला व कहानी का मुख्य पात्र है।

प्रश्न 3.
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है-ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आया और क्यों?
उत्तर:
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है-ओचुमेलॉव के व्यवहार में जमीन-आसमान का अंतर आ जाता है। कुछ देर पहले तक जो इंसपेक्टर कुत्ते का काम खत्म करने की बात कर रहा था, वह यह बात जानने के बाद गिरगिट की भाँति रंग बदल लेता है और कुत्ते को पुचकारते हुए उसे अत्यंत सुंदर डॉगी और अत्यंत खूबसूरत पिल्ला कहने लगता है। वह उसे नन्हा शैतान कहकर जनरल के बावर्ची को सौंप देता है। अब वह पीड़ित ख्यूक्रिन को ही धमकाता है। ऐसा वह इसलिए करता है ताकि जनरल साहब से अपना स्वार्थ पूरा करा सके। वह उन्हें नाराज नहीं करना चाहता था तथा समय आने पर उनसे लाभ उठाने की फिराक में था।

प्रश्न 4.
ख्यूक्रिन का यह कथन कि “मेरा एक भाई भी पुलिस में है …।’ समाज की किस वास्तविकता की ओर संकेत करता है ?
उत्तर:
ख्यूक्रिन का यह कथन समाज में फैली अराजकता तथा भाई-भतीजावाद की वास्तविकता की ओर संकेत करता है। जब भी किसी व्यक्ति का कोई संबंधी पुलिस में होता है, तो वह उसके सहारे से न्याय प्राप्त करना चाहता है। जब पुलिस इंस्पेक्टर को यह पता चला कि यह कुत्ता जनरल साहब या उनके भाई का है तो उसने ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहरा दिया, तब ख्यूक्रिन ने न्याय न मिलता देख तथा न्याय मिलने की इच्छा में ऐसा कहा कि उसका भाई भी पुलिस में है।

प्रश्न 5.
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं?
अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ इसलिए रखा गया होगा क्योंकि गिरगिट ऐसा जीव है जो परिस्थिति की माँग के अनुसार रंग बदलने में सिद्धहस्त है। इस कहानी का प्रमुख पात्र ओचुमेलॉव का चरित्र भी कुछ ऐसा ही है। वह अपने स्वार्थ एवं लाभ के लिए अपनी सोच, बात, व्यवहार और दृष्टिकोण को बार-बार बदलता रहता है। इतना ही नहीं वह सच को झूठ और झूठ को सच सिद्ध करने से भी नहीं चूकता है। वह भीड़ और जनसमूह को देखकर उनके जैसा बनने की कोशिश करते हुए उनसे दिखाता है परंतु जनरल और उनके भाई का नाम सुनते ही गिरगिट की भाँति रंग बदल लेता है। इंसपेक्टर का ऐसा व्यक्तित्व देख इसका शीर्षक ‘गिरगिट’ रखा गया होगा। इसका अन्य शीर्षक हो सकता है-स्वार्थी इंसपेक्टर या हरजाना, क्योंकि दोनों ही शीर्षक पाठ का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘गिरगिट कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज में व्याप्त कई विसंगतियों पर व्यंग्य किया है, जो निम्नलिखित हैं-

  1. पुलिस समाज में उच्च वर्ग का साथ देती है तथा आम जनता के साथ उसका व्यवहार उपेक्षापूर्ण होता है।
  2. सामान्य व्यक्ति को तो छोटे-से अपराध के लिए भी दंडित किया जाता है, लेकिन उच्च वर्ग के छोटे-मोटे अपराधों को अनदेखा कर दिया जाता है।
  3. समाज में भ्रष्टाचार चारों ओर व्याप्त है, छोटे से बड़े स्तर तक अधिकतर लोग बेईमानी का साथ देते हैं।
  4. भाई-भतीजावाद का बोलबाला है।

आज भी हमारे समाज में ऐसी विसंगतियाँ देखने को मिलती हैं। आज कमजोर व असहाय व्यक्ति की कोई सहायता नहीं करता। लोग पक्षपात पूर्ण व्यवहार के शिकार हो रहे हैं। हम देखते हैं कि पुलिस की मनमानी आज भी चल रही है। उच्चवर्ग व शासन-वर्ग अपराध कर भी दे, तो वह बच जाता है या उसे बचा दिया जाता है। आज सज्जन व्यक्ति को समाज में अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। पुलिस का व्यवहार सामान्य आदमी के प्रति उपेक्षापूर्ण है। पुलिस जनता का नहीं अपना हित साधती है। आज समाज में जंगलराज है। जिसकी लाठी उसकी भैंस’ वाला सिद्धांत चल रहा है। पुलिस अधिकारियों के नाम अलग भले ही हों, पर काम एक जैसे ही हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।
उत्तर:
आशय यह है जिस कुत्ते ने ख्यूक्रिन की उँगली काट खाई थी, उसे ख्यूक्रिन ने पकड़ लिया था। वह जोर-जोर से किकिया रहा था। ख्यूक्रिन ने उसे मारा भी था, इसलिए वह काँप रहा था। पकड़ लिए जाने से कुत्ता भावी संकट का अनुमान कर और भी आतंकित हो रहा था। यह सब उसकी आँखों में साफ़ तौर पर देखा जा सकता था।

प्रश्न 2.
कानून सम्मत तो यही है … कि सब लोग अब बराबर हैं।
उत्तर:
इसका आशय है कि जब येल्दीरीन ख्यूक्रिन को दोषी ठहराता है, तो ख्यूक्रिन अपने बचाव के लिए कानून की दुहाई देता है और निष्पक्षता की बात करता है कि कानून की दृष्टि में समाज के सभी लोग समान हैं। कानून किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करता अर्थात् वह ओचुमेलॉव से न्याय दिलाने की बात कहता है, जिसका वह हकदार है।

प्रश्न 3.
हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।
उत्तर:
ये सिपाही येल्दीरीन का कथन है जो देखता है कि काठगोदाम के पास भीड़ जमा है। एक आदमी चीखकर कहता है, “मत जाने दो।” एक कुत्ता किकिया रहा है और उसकी टाँग पकड़े ख्यूक्रिन चीख रहा है। यह दृश्य देख सिपाही अपने इंसपेक टर ओचुमेलॉव से कहता है कि कानून व्यवस्था भंग होने से लोग इस प्रकार इकट्ठे होकर शायद विद्रोह करना चाहते हैं।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए-

  1. माँ ने पूछा बच्चो कहाँ जा रहे हो
  2. घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
  3. हाय राम यह क्या हो गया।
  4. रीना सुहेल कविता और शेखर खेल रहे थे
  5. सिपाही ने कहा ठहर तुझे अभी मजा चखाता हूँ।

उत्तर:

  1. माँ ने पूछा- “बच्चो! कहाँ जा रहे हो?”
  2. घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
  3. हाय राम! यह क्या हो गया?
  4. रीना, सुहेल, कविता और शेखर खेल रहे थे।
  5. सिपाही ने कहा- “ठहर, तुझे अभी मजा चखाता हूँ।”

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए-

  • मेरा एक भाई भी पुलिस में है।
  • यह तो अति सुंदर ‘डॉगी है।
  • कल ही मैंने बिलकुल इसी की तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।

वाक्य के रेखांकित अंश ‘निपात’ कहलाते हैं, जो वाक्य के मुख्य अर्थ पर बल देते हैं। वाक्य में इनसे पता चलता है। कि किस बात पर बल दिया जा रहा है और वाक्य क्या अर्थ दे रहा है। वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करने में सहायता करते हैं, उन्हें निपात कहते हैं;
जैसे- ही, भी, तो, तक आदि।
ही, भी, तो, तक आदि निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए-
उत्तर: 

  1. मैं आज ही अलीगढ़ जाऊँगा।
  2. अब तुम भी कुछ करो।
  3. मैं जा तो रहा हूँ।
  4. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है।
  5. तुम आज से ही पढ़ाई शुरू कर दो।

प्रश्न 3.
पाठ में आए मुहावरों में से पाँच मुहावरे छाँटकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:

  1. उस भयानक जंगल में आदमी का नामो-निशान तक नहीं था।
  2. भारत में गरीबी के रेखा के नीचे जीने वाले नरक की जिंदगी जी रहे हैं
  3. हमें अपने बड़ों की बातें गाँठ बाँध लेनी चाहिए
  4. सिपाही ने चोर को पीटकर मजा चखाया
  5. लालबत्ती पर चौराहा पार करने वालों पर जुर्माना होना चाहिए।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए
………….. + भाव        = …………..
………….. + पसंद      =  …………..
………….. + धारण      = …………..
………….. + उपस्थित  = …………..
………….. + लायक    = …………..
………….. + विश्वास    = …………..
………….. + परवाह    = …………..
………….. + कारण    = …………..
उत्तर:
            उपसर्ग                शब्द:

  1. अ + भाव           =  अभाव
  2. ना + पसंद         =  नापसंद
  3. निर् + धारण       =  निर्धारण
  4. अन् + उपस्थित  =  अनुपस्थित
  5. ना + लायक       =  नालायक
  6. अ + विश्वास       =  अविश्वास
  7. ला + परवाह      =  लापरवाह
  8. अ + कारण       =  अकारण

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-

  1. मदद   +  ……………..  = ……………..
  2. बुधि    +  ……………..  = ……………..
  3. गंभीर  +  ……………..  = ……………..
  4. सभ्य   +  ……………..  = ……………..
  5. ठंड     + ……………..  = ……………..
  6. प्रदर्शन + ……………..  = ……………..

उत्तर:

  1. मदद + गार = मददगार
  2. बुधि + हीन = बुधिहीन
  3. गंभीर + ता = गंभीरता
  4. सभ्य + ता = सभ्यता
  5. ठंड + क = ठंडक
  6. प्रदर्शन + ई = प्रदर्शनी

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए-

  1. दुकानों में ऊँघते हुए चेहरे बाहर झाँके।
  2. लाल बालोंवाली एक सिपाही चला आ रहा था।
  3. यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है
  4. एक कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चला आ रहा है।

उत्तर:

  1. संज्ञा पदबंध
  2. विशेषण पदबंध
  3. क्रिया पदबंध
  4. क्रिया-विशेषण पदबंध

प्रश्न 7.
आपके मोहल्ले में लावारिस/आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है, जिससे आने-जाने वाले लोगों को। असुविधा होती है। अतः लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
अधिकारी
दिल्ली नगर निगम
सेक्टर-22
रोहिणी दिल्ली-85

विषय : लावारिस कुत्तों से सुरक्षा के लिए पत्र
महोदय,
विनम्र अनुरोध यह है कि हमारे गाँव वेगमपुर में चार-पाँच कुत्तों ने आतंक मचा रखा है। वे किसी भी चलते-फिरते व्यक्ति को काट लेते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि अपने प्राण बचाने के लिए लोगों को हॉस्पिटल जाकर इंजेकशन लगवाने पड़ते हैं। यह समस्या स्थाई-सी लग रही है। काफी दिनों से लोग कुत्तों को लेकर परेशान हैं। आपसे निवेदन है कि अतिशीघ्र कुत्तों के भय से जनता को भयमुक्त कराने के लिए प्रभावी प्रयास करें। विश्वास है कि आप हमारी सहायता करेंगे।

भवदीय
क०ख०ग
वेगमपुर
दिनांक…………..

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
जिस प्रकार गिरगिट शत्रु से स्वयं को बचाने के लिए अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार रंग बदल लेता है, उसी प्रकार कई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार, दृष्टिकोण, विचार को बदल लेते हैं। यही कारण है कि ऐसे व्यक्तियों को गिरगिट’ कहा जाता है।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 2.
अवसर के अनुसार व्यावहारिकता का सहारा लेना आप कहाँ तक उचित समझते हैं? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 3.
यहाँ आपने रूसी लेखक चेखव की कहानी पढ़ी है। अवसर मिले तो लियो ताल्स्ताय की कहानियाँ भी पढ़िए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
‘गिरगिट’ कहानी में आवारा पशुओं से जुड़े किस नियम की चर्चा हुई है? क्या आप इस नियम को उचित मानते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
‘गिरगिट’ कहानी में आवारा पशुओं से जुड़े इस नियम की चर्चा हुई है कि आवारा कुत्ते या पशु सार्वजनिक स्थान पर नहीं छोड़ने चाहिए, क्योंकि इनसे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ाती है। इनको छोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। उन्हें दंडित किया जाए या करवाया जाए। दंड मिलने के भय से लोग आवारा कुत्तों या पशुओं को नहीं छोड़ेगें। आवारा कुत्तों को उनके मालिकों को सुपुर्द कर देना चाहिए। ये आवारा कुत्ते या पशु किसी भी निर्दोष व्यक्ति को काट या मार सकते हैं। इनसे जनता की सुरक्षा बहुत आवश्यक है। इनसे रक्षा के लिए कानून बनना चाहिए तथा कानून का उल्लंघन करने वालों को दंडित किया जाए। हम इस नियम से पूरी तरह सहमत हैं कि कुत्ते या पशुओं के आवारा छोड़ने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाया जाए और नियम तोड़ने वालों को दंडित किया जाए ताकि आम आदमी की सुरक्षा की जा सके।

प्रश्न 2.
गिरगिट कहानी का कक्षा में या विद्यालय में मंचन कीजिए। मंचन के लिए आपको किस प्रकार की तैयारी और सामग्री की ज़रूरत होगी, उनकी एक सूची भी बनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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