NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल)

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BoardCBSE
TextbookNCERT
ClassClass 7
SubjectHindi Vasant
ChapterChapter 14
Chapter Nameखानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल)
Number of Questions Solved13
CategoryNCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 105-07)

निबंध से

प्रश्न 1.
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें? [Imp.]
उत्तर
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य है सभी प्रांतों में खानपान के आधार पर मेलजोल होना। भारत में आजादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों के तबादलों के कारण खानपान की चीजें एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं। लोगों ने अपनी पसंद के आधार पर एक-दूसरे प्रांत की खाने की चीजों को अपने भोज्य पदार्थों में शामिल किया है। जैसे आज दक्षिण भारत के व्यंजन इडली-डोसा-साँभर-रसम उत्तर भारत में चाव से खाए जाते हैं और उत्तर भारत के ढाबे सारे भारत में महत्त्व पाते हैं। यहाँ तक कि पश्चिमी सभ्यता के व्यंजन बर्गर, नूडल्स का चलन भी बहुत बढ़ा है।
मेरा घर महाराष्ट्र में है। मैं मराठी परिवार से हूँ। मछली-चावल हमारा मुख्य भोजन है लेकिन हमारे घर में मछली-चावल से ज्यादा इडली-साँभर, चावल-चने-राजमाँ, पूरी-आलू, बर्गर व नूडल्स आदि अधिक पसंद किए जाते हैं। यहाँ तक कि हम यह सब बाज़ार से न लाकर घर में ही बनाते हैं क्योंकि आज हर प्रदेश के व्यंजन बनाने की पुस्तकें भी बाजार में उपलब्ध रहती हैं।

प्रश्न 2.
खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?
उत्तर-
खानपान में बदलाव के अनेक फायदे हैं। मसलन इससे स्थानीय व्यंजनों का प्रचार-प्रसार बढ़ गया है। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है। अब स्थानीय व्यंजन कभी भी किसी जगह ढाबों में उपलब्ध होता है। मसलन दक्षिण भारतीय व्यंजन इडली डोसा अब उत्तर भारत में हमें आसानी से मिल जाता है। राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने में मदद मिली है।

अब हम एक प्रकार का ही खाना नहीं खाते, बल्कि उसमें विविधता का समावेश हो गया है।

समय की बचत होती है। जैसे फास्ट फूड तुरंत तैयार होता है। उपरोक्त फायदों के बावजूद लेखक इस परिवर्तन को लेकर काफ़ी चिंतित है, क्योंकि लोग स्थानीय व्यंजनों को भूलते जा रहे हैं। वे बाजारों से गायब होते जा रहे हैं।

नई पीढ़ी विदेशी व्यंजनों को खाना अधिक पसंद करती है और उसको अधिक महत्त्व देती है।

अब स्थानीय व्यंजन तथा पकवान होटलों की वस्तु बनते जा रहे हैं। इन व्यंजनों का चलन कम होता जा रहा है, जिससे स्थानीय व्यंजनों के बारे में जानकारी ही नहीं, खाद्य पदार्थों में शुद्धता और गुणवत्ता की कमी होती जा रही है। स्थानीय व्यंजनों के स्वरूप बदलते जा रहे हैं। जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

प्रश्न 3.
खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है, किसी विशेष स्थान के खाने-पीने का विशेष व्यंजन। जिसका प्रचलन दूर-दूर तक हो। जैसे-मुंबई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुल्चे, मथुरा के पेडे व आगरे के पेठे-नमकीन आदि। पहले स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था। हर प्रदेश में किसी-न-किसी विशेष स्थान का कोई-न-कोई व्यंजन अवश्य प्रसिद्ध होता था लेकिन आज खानपान की मिश्रित संस्कृति ने लोगों को खाने-पीने के व्यंजनों में इतने विकल्प दे दिए हैं कि स्थानीय व्यंजन प्रायः लुप्त होते जा रहे हैं। आधुनिक पीढ़ी तो कई व्यंजनों के नामों से भी, अपरिचित है। दूसरी ओर महँगाई बढ़ने के कारण इन व्यंजनों की गुणवत्ता में कमी होने से भी लोगों का रुझान इनकी ओर कम होता जा रहा है।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाजार से आती हैं? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर
मैं उत्तर भारत का रहने वाला हूँ। हमारे घर में काफी चीजें पकती हैं। जैसे-दालें, सब्जियाँ, कड़ी, राजमाँ-चावल, चने-भटूरे, मांसाहारी भोजन आदि। इसके अलावा मेरी माँ पकौड़े, दही-भल्ले, इडली-साँभर, डोसा, रसम, नूडल्स, बर्गर, खीर, हलवा भी बहुत अच्छा बनाती हैं।
बाजार से समोसे, कचौड़ी, जलेबियाँ, गुलाबजामुन, आइसक्रीम, काठीरोल, ढोकला आदि आता है। माँ-पिता जी कहते हैं कि पहले हम समोसे-कचौड़ियाँ, गुलाबजामुन आदि घर में बनाया करते थे।

प्रश्न 2.
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए-
उबालना,     तलना,     भूनना,       सेंकना,      दाल,      भात,    रोटी,     पापड,
आलू,          बैंगन,       खट्टा,        मीठा,        तीखा,     नमकीन,       कसैला
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल) 1
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल) 2

प्रश्न 3.
छौंक, चावल, कढ़ी
• इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए? इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
उत्तर-
सभी विद्यार्थी अपने-अपने परिवार में माँ से इनके बारे में पता करें।
छौंक–छौंक में थोड़ा-घी-तेल डालकर हींग-जीरे के साथ तेज़ गर्म किया जाता है। फिर दाल में छौंक लगाया जाता है।
चावल-चावलों को उबाला जाता है। पुलाव के लिए उसमें कई सब्ज़ियाँ और मेवे-पनीर डाला जाता है।
कढ़ी-खट्टी दही या छाछ और बेसन को मिलाकर उबालकर बनाया जाता है।

प्रश्न 4.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा
सन् साठ का दशक – छोले-भटूरे
सन् सत्तर का दशक – इडली, डोसा
सन् अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) भोजन
सन् नब्बे का दशक – पीजा, पाव-भाजी
इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए।
उत्तर-

दशकमहिलाओं की पोशाकपुरुषों की पोशाक
सन् साठसाड़ी-ब्लाउज/लहँगा चोली, सलवार, कमीजधोती-कुर्ता पायजामा
सन् सत्तरसाड़ी-ब्लाउज/सलवार कमीज़ स्कर्ट टॉप/बेलबाटम/टॉपपैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा
सन् अस्सीसाड़ी-ब्लाउज/सलवार, कमीज/जींस टॉप कोट-पेंट टाई/ जींस, टी शर्टपैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा
सन् नब्बेसाड़ी-ब्लाउज/सलवार कमीज/स्कर्ट टॉप, जींस-टॉप।पैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा, जींस-टीशर्ट। कोट पैंट टाई, शेरवानी, पठानी-सूट।

नोट – अलग-अलग दशकों में प्रत्येक पोशाक के आकार-प्रकार और स्वरूप में परिवर्तन आता रहा है। पोशाकों के आकार और बनावट में परिवर्तन होता आ रहा है।

प्रश्न 5.
मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची ( मेन्यू) बनाइए।
उत्तर
पंजाब प्रांत की (मेन्यू) व्यंजन सूची
→ पानी व फल
→ चाय/कॉफी के साथ नमकीन एवं मीठा।
→ साग, मक्का की रोटी, पकौड़ी का रायता, मक्खन, अचार व लस्सी, मीठे में खीर।
→ शाम को चाय/कॉफी के साथ समोसा/कचौड़ी व बर्फी।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
‘फ़ास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफे-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।
उत्तर
कक्षा में करने योग्य है।

प्रश्न 2.
हर शहर कस्बे में कुछ ऐसी जगह होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए।
उत्तर-
छात्र-स्वयं करें।

प्रश्न 3.
खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफ़ी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी फ़िल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होनेवाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर
खानपान के मामले में शुद्धता होनी अति आवश्यक है क्योंकि अशुद्धता बीमारियों को बुलावा देती है। हल्दी व कालीमिर्च ऐसे पदार्थ हैं जिनमें मिलावट आमतौर पर मिलती है। हल्दी में पीली मिट्टी व काली मिर्च में पपीते के बीज मिला दिए जाते हैं। पिछले दिनों समाचार पत्रों में यह बात स्पष्ट शब्दों में थी कि घीया जो एक सब्ज़ी है उसे इंजेक्शन देकर एक दिन में ही बड़ा कर दिया जाता है। वास्तव में ऐसा करने से यह सही पौध का नहीं रहता। ऐसा डॉक्टरों का मत है कि इससे स्वास्थ्य खराब हो जाता है। आँखों की रोशनी कम हो जाती है, साँस संबंधी रोग हो जाते हैं और शरीर में टेढ़ापन आने का कारण भी यह बन सकता है। पत्ता गोभी की खाद में गलत पदार्थ डालने से यह भी स्वास्थ्य हेतु हानिकारक होती जा रही है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए।
सीना-पिरोना       भला-बुरा          चलना-फिरना
लंबा-चौड़ा          कहा-सुनी         घास-फूस
उत्तर
हर लड़की को सीना-पिरोना आना चाहिए।
मोहन ने कक्षा में झगड़ा होने पर मुझे भला-बुरा कहा।
रीढ़ की हड्डी पर चोट लग जाने के कारण स्नेहा को चलना-फिरना मना है।
मैंने जंगल में एक लंबा-चौड़ा वट वृक्ष देखा।
सास-बहू की कहा-सुनी होना तो आम बात है।
राम, लक्ष्मण और सीता वनवास में घास-फूस की झोंपड़ियों में रहे।

प्रश्न 2.
कंई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में इसे दिया जा सकता है
इडली-दक्षिण-केरल-ओणम्-त्योहार-छुट्टी-आराम।
उत्तर-
आराम-कुर्सी, तरण ताल-नहाना, नौका-दौड़, मौज-मस्ती, पेड़-जंगल, जानवर-चिड़ियाघर।

कुछ करने को

प्रश्न 1.
उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफ़ाई पर दिए गए ब्योरों को छाँटकर देखें कि हकीकत क्या है?
उत्तर-
छात्र स्वयं करें। समाचार-पत्र पत्रिकाओं के विज्ञापनों में देखें या पुस्तकालयों में पुराने पड़े समाचार पत्रों से एकत्रित कर उससे सहायता लें।

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 17 वीर कुंवर सिंह (विभागीय)

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ClassClass 7
SubjectHindi Vasant
ChapterChapter 17
Chapter Nameवीर कुंवर सिंह (विभागीय)
Number of Questions Solved11
CategoryNCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 17 वीर कुंवर सिंह (विभागीय)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 127-28)

निबंध से

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन-सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर-
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है

  • वीर कुंवर सिंह महान एवं वीर योद्धा थे। 1857 विद्रोह में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया व अंग्रेजों को कदम-कदम पर पराजित किया।
  • वे युद्ध कला में पूरी तरह कुशल थे। उन्हें छापामार युद्ध में महारत हासिल थी।
  • उनमें देशभक्ति और स्वाधीनता की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी।
  • वे जरूरतमंद गरीब एवं निर्धनों को सदैव मदद किया करते थे।
  • वे हिंदू और मुसलमानों में भेद-भाव नहीं किया करते थे। वे समाजसेवी एवं परोपकारी भी थे। यद्यपि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अचछी नहीं थी।

प्रश्न 2.
कुँवर सिंह को बचपन में किन कामों में मज़ा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?
उत्तर
बचपन में कुंवर सिंह को पढ़ने-लिखने से अधिक घुड़सवारी, तलवारबाजी और कुश्ती लड़ने में मजा आता था। जब वे बड़े होकर स्वतंत्रता सेनानी बने तो इन कार्यों से उन्हें बहुत मदद मिली। तलवार चलाने व तेज घुड़सवारी से ही तो वे कदम-कदम पर अंग्रेजों को मात दे सके।

प्रश्न 3.
सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था थी-पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए। [Imp.]
उत्तर
कुँवर सिंह की सांप्रदायिक सद्भावना में गहरी आस्था थी। इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता। है कि जिस समय कुँवर सिंह हुए उस समय भारत में हिंदू और मुसलमान दोनों जातियों का समान प्रभुत्व था। वे सभी को समान समझते थे तभी तो उन्होंने सामाजिक कार्यों में पाठशालाएँ व मदरसे समान रूप में बनवाए। उनकी सेना में भी उच्च पदों पर मुसलमान सैनिक इब्राहिम खाँ और किफायत हुसैन आसीन थे।

प्रश्न 4.
पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुँवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर-
वीर कुंवर सिंह जगदीशपुर हार जाने के बाद भी संघर्ष को जारी रखा और अंततः उन्होंने जगदीशपुर पर पुनः अधिकार कर लिया। इतना ही नहीं, वे वीर एवं बहादुर भी थे। उन्होंने गंगा की तेज़ धारा में गोली से जख्मी अपने हाथ को काटने में जरा भी संकोच नहीं किया। वे एक उदार व्यक्ति थे। अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति होने के बाद भी वे निर्धनों की। सहायता से पीछे नहीं हटते थे। उनमें स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा था। देशवासियों पर अंग्रेजों के जुर्म और अत्याचार बर्दाश्त नहीं कर सके और वे अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए तैयार हो गए।

प्रश्न 5.
आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद फ़रोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुंवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?
उत्तर
आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद-फ़रोख्त एवं मेल-जोल के लिए होते हैं लेकिन वीर कुंवर सिंह ने सोनपुर के मेले का उपयोग अंग्रेजों के विरूद्ध अपनी गुप्त बैठकों की योजनाओं के लिए किया। सोनपुर के मेले को एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता था। इसमें हाथियों को क्रय-विक्रय होता था। इसी ऐतिहासिक मेले में स्वाधीनता के लिए लोग एकत्रित होते ताकि अंग्रेजी सरकार को किसी प्रकार का शक न हो।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेनेवाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।
उत्तर

  1. लक्ष्मीबाई-झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वाधीनता संग्राम की प्रथम वीरांगना थीं। स्वाभिमानिनी, कुशल योद्धा, कुशल प्रशासिका, विदुषी, भगवत गीता को मानने वाली थीं। अंत तक अंग्रेजों से लड़ती रहीं।
  2. ताँत्या टोपे-कुशल सेनापति, स्वाभिमानी, प्रखर देशभक्त, वीर योद्धा व अंग्रेजों से टक्कर लेने वाला था। राष्ट्रीय स्वाधीनता के स्वप्न देखते-देखते फाँसी के फंदे पर झूल गया।
  3. नाना साहेब पेशवा-ईस्ट इंडिया कंपनी अर्थात् अंग्रेजों द्वारा निर्वासित मराठा पेशवा, स्वाभिमानी, कुशल सेनानी, प्रखर योद्धा व पक्के राष्ट्रभक्त थे। ताँत्या टोपे व लक्ष्मीबाई के प्रेरक रहे।
  4. अजीमुल्लाह खान-मौलवी अजीमुल्लाह खान नाना साहेब के विधिवेत्ता, प्रखर देशभक्त, धर्मनिरपेक्ष, वीर योद्धा व प्रखर स्वाधीनता सेनानी थे। अंत में अंग्रेज़ों के हाथों पकड़े गए।

प्रश्न 2.
सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं पुस्तकालय से पुस्तक लेकर कविता खोजकर लिख सकते हैं।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह को पढ़ने के साथ-साथ कुश्ती और घुड़सवारी में अधिक मन लगता था। आपको पढ़ने । के अलावा और किन-किन गतिविधियों या कामों में खूब मज़ा आता है? लिखिए।
उत्तर
हमें पढ़ने के साथ-साथ मॉल में घूमना, टी.वी. देखना, कंप्यूटर पर खेल खेलना, नए-नए बैटरी चालित खिलौनों से खेलना अच्छा लगता है। इनके अलावा विभिन्न खेलों जैसे क्रिकेट, बैडमिंटन व कभी-कभी शौक से घुड़सवारी करना भी अच्छा लगता है।

प्रश्न 2.
सन् 1857 में अगर आप 12 वर्ष के होते तो क्या करते? कल्पना करके लिखिए।
उत्तर-
यदि मैं 1857 में 12 वर्ष का होता तो अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीयों को एकजुट करने का प्रयास करता। घुड़सवारी और तलवारबाज़ी की ट्रेनिंग लेकर अंग्रेजों के विरुद्ध संग्राम में सम्मिलित होता।

प्रश्न 3.
अनुमान लगाइए, स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर मेले को क्यों चुना गया होगा?
उत्तर
स्वाधीनता की योजना बनाने हेतु सोनपुर के मेले को चुना गया क्योंकि यह मेला एक पशु मेला होता था जिसमें अधिकतर हाथियों का क्रय-विक्रय होता था। इस मेले में इतनी भीड़ होती थी कि यदि स्वतंत्रता सेनानी यहाँ कोई योजना बनाने हेतु एकत्रित हो भी जाए तो अंग्रेज़ी सरकार को कभी शक नहीं हो सकता था।

भाषा की बात

आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है। जैसे–सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के वर्ण ‘नी’ की मात्रा दीर्घ ‘ी’ (ई) से ह्रस्व ‘ि’ (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिनके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता जैसे-दृष्टि से दृष्टियों।
नीचे दिए गए शब्दों का वचन बदलिए-
नीति………… ज़िम्मेदारियों……….. सलामी…………..
स्थिति……….. स्वाभिमानियों……….. गोली……………
उत्तर

नीति                –   नीतियों
स्थिति              –   स्थितियों
ज़िम्मेदारियों     –    जिम्मेदारी
स्वाभिमानियों    –   स्वाभिमानी
सलामी            –  सलामियों
गोली              –   गोलियों

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर (यतीश अग्रवाल)

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ClassClass 7
SubjectHindi Vasant
ChapterChapter 6
Chapter Nameरक्त और हमारा शरीर (यतीश अग्रवाल)
Number of Questions Solved16
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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर (यतीश अग्रवाल)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

                                                                         (पृष्ठ 40-41)

पाठ से

प्रश्न 1.
रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?   [Imp.]
उत्तर
रक्त के बहाव को रोकने के लिए उस स्थान पर कसकर साफ़ कपड़ा बाँध देना चाहिए, क्योंकि दबाव पड़ने पर रक्त का बहना कम हो जाता है फिर जल्दी ही डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
खून को ‘भानुमती का पिटारा” क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
खून को ‘भानुमती का पिटारा’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें लाखों कण तरह-तरह के होते हैं। इसमें यदि सूक्ष्मदर्शी से खून की एक बूंद को जाँचा जाए तो इसमें लाखों की संख्या में लाल रक्त कण मौजूद होते हैं जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते। इसके अलावे इसके दो भाग होते हैं-पहला तरल भाग प्लाज्मा कहलाता है। दूसरे भाग में छोटे-छोटे कई कण होते हैं, जो प्लाज्मा में तैरते रहते हैं। इन कणों में कुछ लाल, कुछ-कुछ सफ़ेद तथा कुछ रंगहीन कण होते हैं। यह रंगहीन कण बिंबाणु कहलाते हैं। रक्त की एक बूंद में इतनी सारी चीज मौजूद होने के कारण ही उसे ‘भानुमती का पिटारा’ कहा जाता है।

प्रश्न 3.
एनीमिया से बचने के लिए हमें क्या-क्या खाना चाहिए?
उत्तर
एनीमिया से बचने के लिए हमें पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। हमें अपने भोज्य पदार्थों में उचित मात्रा में हरी सब्ज़ियाँ, फल, दूध, अंडे व गोश्त खाना चाहिए ताकि हमारे शरीर को प्रोटीन, लौहतत्त्व और विटामिन पूरी तरह मिलते रहें। |

प्रश्न 4.
पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है?   [Imp.]
उत्तर
पेट में कीड़े दूषित जल और खाद्य पदार्थों द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। इनसे बचने के लिए सफ़ाई से बने खाद्य पदार्थ ग्रहण करने चाहिए। भोजन करने से पहले हाथ धोने चाहिए और साफ़ जल पीना चाहिए। इसके अलावा हमें कभी नंगे पाँव नहीं घूमना चाहिए क्योंकि जमीन की ऊपरी सतह पर एक प्रकार के कीड़े पाए जाते हैं। ये अंडों से उत्पन्न लार्वे की सहायता से शरीर में प्रवेश कर आँतों तक पहुँच जाते हैं इसलिए नंगे पाँव कभी घूमना नहीं चाहिए।

प्रश्न 5.
रक्त के सफ़ेद कणों को ‘वीर सिपाही’ क्यों कहा गया है?   [Imp.]
उत्तर
रक्त के सफ़ेद कणों को ‘वीर सिपाही’ कहा गया है क्योंकि ये रोगों के कीटाणुओं को शरीर में घुसने नहीं देते, उनसे डटकर मुकाबला करते हैं। ये हमारी बहुत-से रोगों से रक्षा करते हैं।

प्रश्न 6.
ब्लड-बैंक में रक्तदान से क्या लाभ है?
उत्तर
ब्लड-बैंक में दान किए गए रक्त को सुरक्षित रूप में रखा जाता है। किसी भी व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता पड़े तो उसके लिए किसी भी रक्त-समूह का रक्त वहाँ से लिया जा सकता है। इससे मरीज़ की जान बच सकती है।

प्रश्न 7.
साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है

सफ़ेद कण             लाल कण
साँस नली               फेफड़े

उत्तर
लाल कण।

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
रक्त में हीमोग्लोबिन के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है-
जस्ता        शीशा
लोहा         प्लैटिनम
उत्तर
लोहा।

प्रश्न 2.
बिंबाणु (प्लेटलैट कण) की कमी किस बीमारी में पाई जाती है-
टाइफ़ायड     मलेरिया
डेंगू              फ़ाइलेरिया
उत्तर
डेंगू।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
(क) चार महीने के होते-होते ये नष्ट हो जाते हैं-
• इस वाक्य को ध्यान से पढिए। इस वाक्य में होते-होते’ के प्रयोग से यह बताया गया है कि चार महीने से पूर्व ही ये नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के पाँच वाक्य बनाइए जिनमें इन शब्दों का प्रयोग हो-

बनते-बनते, पहुँचते-पहुँचते, लेते-लेते, करते-करते

उत्तर
बनते-बनते         –   मैंने नया घर लेने का फैसला किया लेकिन बात बनते-बनते बिगड़ गई। |
पहुँचते-पहुँचते    –   वह घर पहुँचते-पहुँचते न जाने क्यों रास्ते में रुक गया।
लेते-लेते             –   मैंने सात्विक से पेंसिल लेते-लेते छोड़ दी।
करते-करते        –   माँ रात तक घर का काम करते-करते थक गई।
(ख) इन प्रयोगों को पढ़िए-

सड़क के किनारे –   किनारे पेड़ लगे हैं।
आज दूर            –   दूर तक वर्षा होगी।

• इन वाक्यों में होते-होते’ की तरह ‘किनारे-किनारे’ और ‘दूर-दूर’ शब्द दोहराए गए हैं। पर हर वाक्य में अर्थ भिन्न है। किनारे-किनारे का अर्थ है-किनारे से लगा हुआ और दूर-दूर का-बहुत दूर तक।
• आप भी निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए और उनके अर्थ लिखिए-

ठीक-ठीक, घड़ी-घड़ी, कहीं-कहीं, घर-घर, क्या-क्या

उत्तर
ठीक-ठीक (सही-सही)    –   माँ ने बच्चे से कहा-‘गृहकार्य ठीक-ठीक करना।’
घड़ी-घड़ी (हर पल)         –   विद्यालय की ओर से घूमने गए मोहन को घड़ी-घड़ी माता-पिता की याद आ रही थी।
कहीं-कहीं (किसी किसी स्थान पर)    –    बगीचे में कहीं-कहीं गुलाब के फूल लगे थे।
घर-घर (प्रत्येक घर में)     –    घर-घर यह खबर फैलते देर न लगी कि शहर में लुटेरे घूम रहे हैं।
क्या-क्या (कौन सा)         –    दिव्या ने मोहिनी से पूछा कि तुम्हें बाजार से क्या-क्या लेना है?

प्रश्न 2.
इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए

भानुमती का पिटारा, दस्तक देना, धावा बोलना, घर करना, पीठ ठोकना

उत्तर-

  1. भानुमती का पिटारा ( तरह-तरह की वस्तुएँ होना)-मेरी मम्मी का बक्सा तो पूरा भानुमती का पिटारा होता है।
  2. दस्तक देना (खट-खटाना)-चोर की सूचना पाकर पुलिस ने उसके घर पर दस्तक दी।
  3. धावा बोलना ( हमला करना)-डाकुओं ने अचानक गाँव पर धावा बोल दिया।
  4. घर करना (स्थान बना लेना)-रोगाणु धीरे-धीरे मनुष्य के शरीर में घर करने लगते हैं।
  5. पीठ-ठोकना (शाबाशी देना)-परीक्षा में प्रथम आने पर मेरे पिता जी ने मेरी पीठ ठोकी।

कुछ करने को

प्रश्न 1.
अपने परिवार के अट्ठारह वर्ष से पचास वर्ष तक की आयुवाले सभी स्वस्थ सदस्यों को रक्तदान के लिए प्रेरित कीजिए और समय आने पर स्वयं भी रक्तदान करने का संकल्प लीजिए।
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
शरीर-रचना का चित्र देखकर उसमें रक्त संचार क्रिया को ठीक-ठीक समझिए।
उत्तर-
पुस्तकालय में विज्ञान की पुस्तक में इस प्रश्न का उत्तर पूँढ़िएँ।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए प्रश्नों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए-
(क) ब्लू बेबी क्या है?
(ख) रक्त के जमाव की क्रिया में बिंबाणु (प्लेटलेट) का कार्य क्या है?
(ग) रक्तदान के लिए कम-से-कम कितनी उम्र होनी चाहिए?
(घ) कितने समय बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है?
(ङ) क्या स्त्री का रक्त पुरुष को चढ़ाया जा सकता है?
उत्तर

  1. किसी पैदा हुए बच्चे का यदि हृदय कमजोर हो तो उसे सही रूप से ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। वह ठीक से साँस नहीं ले सकता। धीरे-धीरे उसका शरीर नीला पड़ना शुरू हो जाता है क्योंकि ऑक्सीजन की कमी से खून सही रूप से पूरे शरीर में दौरा नहीं करता।
  2. रक्त के जमाव की क्रिया में बिंबाणु (प्लेटलैट) विशेष भूमिका निभाते हैं। जब कोई चोट लग जाए तो रक्त के तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है जो रक्त वाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। बिंबाणु इस जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दीवार में आई दरार भर जाती है, जिससे रक्त बाहर निकलना बंद हो जाता है।
  3. रक्तदान के लिए कम-से-कम अट्ठारह वर्ष की आयु होनी चाहिए।
  4. तीन महीने के बाद दुबारा रक्तदान किया जा सकता है।
  5. हाँ, स्त्री का रक्त पुरुष को चढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 4.
शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त-संचार रुक जाने से क्या-क्या परिस्थितियाँ उत्पन्न हो। सकती हैं?
उत्तर
शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त-संचार रुक जाए तो मनुष्य का वह अंग सही रूप में काम करना बंद कर देता है। कई बार इतनी विकट स्थिति पैदा हो जाती है कि जिस स्थान में रक्त संचार नहीं होता वहाँ के रुके हुए खून में जहर फैल जाता है और उस अंग को काटने तक की नौबत भी आ जाती है।

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी)

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BoardCBSE
TextbookNCERT
ClassClass 7
SubjectHindi Vasant
ChapterChapter 10
Chapter Nameअपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी)
Number of Questions Solved10
CategoryNCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 81-82)
पाठ से

प्रश्न 1.
यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।
उत्तर
यासुकी-चान तोत्तो-चान का घनिष्ठ मित्र था। उसे पोलियो हो गया था जिसके कारण उसके हाथ-पैर सही रूप में काम न करते थे। पेड़ पर चढ़ना तो उसके लिए संभव ही न था। जबकि जापान के शहर तोमोए में हर बच्चे का एक निजी पेड़ था, लेकिन यासुकी-चान ने शारीरिक अपंगता के कारण किसी पेड़ को निजी नहीं बनाया था। उसके मन की पेड़ पर चढ़ने की चाह को पूरा करने के लिए तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का अथक प्रयास किया।

प्रश्न 2.
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चाने और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।
उत्तर-
पेड़ से बच्चों का अटूट संबंध था। वे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे। वे पेड़ पर चढ़कर काफ़ी खुश होते थे। और मौज मस्ती करते थे। बाग में उनकी गतिविधियों को देखकर यासुकी-चान को अपनी अपंगता पर हताशा होती होगी। उसके मन में उदासी छा जाती होगी। उसे अपनी विवशता पर काफ़ी दुख होता होगा।

प्रश्न 3.
पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकती है?
उत्तर
पहली सीढ़ी से यासुकी-चान का पेड़ पर चढ़ने का प्रयास जब असफल हो गया तो तोत्तो-चान तिपाई सीढ़ी खींचकर लाई। अपने अथक परिश्रम से उसे ऊपर चढ़ाने का प्रयास करने लगी तो दोनों तेज़ सूर्य के ताप से पसीने में तरबतर हो रहे थे। जब यासुकी-चान पेड़ पर चढ़ गया और द्विशाखा पर बैठाने के लिए तोत्तो-चान नन्हें-नन्हें हाथों से उसे खींच रही थी तो बादल का टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें ककती धूप से बचा रहा था। हमारे । अनुसार इस परिस्थिति के बदलने का कारण यह हो सकता है कि तोत्तो-चान के अपने मित्र को खुशी प्रदान करने के इस कार्य से प्रकृति भी खुश होकर उन्हें सुख प्रदान करना चाहती थी।

प्रश्न 4.
‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह …… अंतिम मौका था।’-इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तर
यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला अवसर था जिसे तोत्तो-चान ने बड़ी मुश्किल से पूरा किया। यह इतना जोखिम भरा कार्य था कि शायद यह यासुकी-चान के लिए पहले के साथ-साथ अंतिम मौका था। लेखिका ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि बहुत जोखिम उठाकर, अपने माता-पिता को बिना बताए तोत्तो-चान उसे पेड़ पर लेकर गई थी। शायद वह दोबारा ऐसा कभी न कर पाएगी।

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ । बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?
उत्तर
इसमें असत्य नहीं कि तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का कार्य अत्यधिक दृढ़ निश्चय, बुद्धि व कठोर परिश्रम से पूरा किया। मैं अपने जीवन में समाज सुधारक बनना चाहता हूँ। इस हेतु मेरी तीव्र इच्छा है। कि समाज में बड़े-बुजुर्गों के साथ पारिवारिक अन्याय न हो। मैं अपनी बुद्धि के उपयोग व कठिन परिश्रम से इन लोगों को अधिक-से-अधिक सुविधाएँ प्रदान करवाऊँगा जिसमें सरकार व समाज दोनों का सहयोग हो।

प्रश्न 2.
हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’ कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर-
हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन शारीरिक चुनौतियों से गुजरने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ कुछ ही स्थानों पर दिखाई देती हैं, जैसे-सरकारी अस्पताल, बसों, रेलवे प्लेटफार्म, हवाई अड्डों आदि।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रे नीचे क्यों थीं?
उत्तर-
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रे नीचे इसलिए थी कि उसकी चोरी पकड़ी न जा सके। और अपने अपराध के कारण उसके नजरें नीचे थी उसे यह डर सता रहा था कि अगर वह झूठ पकड़ लेगी और फिर उसे जाने नहीं देगी।

प्रश्न 2.
यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुजरनेवाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइए।
उत्तर
शारीरिक चुनौतियों से गुजर रहे लोगों को विशेष सुविधाएँ अगर प्रदान की जाएँ तो उनका जीवन यापन कुछ सुलभ हो सकता है।
हमें शारीरिक चुनौतियों से गुजर रहे लोगों के लिए सुविधाएँ सरकारी अस्पतालों, बसों, रेलवे प्लेट फार्म व हवाई अड्डे पर ही मुख्य रूप से देखने को मिलती हैं। कई बार विशेष सभाओं में से भी विकलांगों को बैठने हेतु अलग स्थान प्रदान किया जाता है।

इसके अलावा शिक्षण संस्थानों व नौकरियों में विकलांगों का अलग कोटा (आरक्षण) है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
द्विशाखा शब्द द्वि और शाखा के योग से बना है। द्वि का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है-डाल। द्विशाखा | पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बननेवाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अकसर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे-हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेजी-एट।
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी) 1

प्रश्न 2.
पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’, जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इसमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज़ की हँसी को विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बनने वाले चार सार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर-
शर्माना, चलाना, बतियाना, झुठलाना।

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मिठाईवाला (भगवतीप्रसाद वाजपेयी)

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BoardCBSE
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ClassClass 7
SubjectHindi Vasant
ChapterChapter 5
Chapter Nameमिठाईवाला (भगवतीप्रसाद वाजपेयी)
Number of Questions Solved19
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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मिठाईवाला (भगवतीप्रसाद वाजपेयी)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

                                                                      (पृष्ठ 30-31)

कहानी से

प्रश्न 1.
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था? [Imp.]
उत्तर
मिठाईवाले के बच्चों की असमय मृत्यु हो गई थी। वह अपने बच्चों की झलक इन गली के बच्चों में देखता था। जब बच्चे अपनी मधुर आवाज़ में उससे अलग-अलग चीजें माँगते तो ऐसे लगता जैसे वह अपने बच्चों की फरमाइशें पूरी कर रहा हो। वह कई महीनों बाद आता था क्योंकि उसे पैसों का कोई लालच न था। वह तो केवल अपने मन को संतुष्ट करने के लिए बच्चों की मनपसंद चीजें बेचा करता था। दूसरे बच्चों में अपने बच्चों की झलक पाकर संतोष, धैर्य तथा सुख का अनुभव करता था।

प्रश्न 2.
मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?
उत्तर-
मिठाईवाले में अनेक गुण थे, जिसके कारण बच्चे, बड़े और बूढ़े भी उनकी ओर खिंचे चले आते थे। उनमें विशेष प्रकार के कई गुण मौजूद थे, उनमें थे
(क) उसका स्वर बहुत मीठा था। वह गा-गाकर चीजें बेचता था।
(ख) उसका स्वभाव अत्यंत विनम्र था। वह मृदुभाषी तथा सहनशील था।
(ग) बच्चों के प्रति उसका व्यवहार अत्यंत मृदु, प्रेमपूर्वक एवं कोमल था।
(घ) वह सदैव फायदे के चक्कर में नहीं रहता था। पैसे नहीं होने पर भी वह खिलौने या अन्य वस्तुएँ मुफ्त में दे दिया। करता था।
(ङ) वह बच्चों की पसंद की नई-नई वस्तुएँ लाया करता था। उसके हृदय में बच्चों के लिए ममता थी।

प्रश्न 3.
विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
उत्तर
विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता अर्थात् सामान बेचने वाला। विक्रेता ने स्वभावानुसार यह तर्क दिया कि सबको तो तीन रुपए की मुरली दी है लेकिन आपको दो रुपए की दे रहा हूँ क्योंकि हर दुकानदार ग्राहक को प्रसन्न करने हेतु ऐसा कहता है। दूसरी ओर विजय बाबू ने ग्राहक के स्वभावानुसार इस तर्क को काटा कि तुम लोग तो झूठ बोलते हो। तुमने सभी को ही इतने की दी होगी लेकिन मुझ पर ही अहसान जताना चाहते हो। वास्तव में किसी भी चीज के मोल-भाव करने के समय ऐसा संवाद क्रेता और विक्रेता के मध्य हो ही जाता है।

प्रश्न 4.
खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर
खिलौनेवाले की मधुर आवाज सुनकर बच्चे चंचल हो उठते। उसके स्नेहपूर्ण कंठ से फूटती हुई आवाज़ सुनकर निकट के मकानों में हलचल मच जाती। छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में लिए स्त्रियाँ भी चिकों को उठाकर छज्जों पर से नीचे झाँकने लगतीं। गलियों तथा उनके भीतर स्थित छोटे-छोटे उद्यानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का समूह उसे घेर लेता और तब वह खिलौनेवाला अपनी खिलौनों की पेटी वहीं खोल देता।

प्रश्न 5.
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया?   [Imp.]
उत्तर
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया क्योंकि वह आवाज़ जानी-पहचानी थी। खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था। मुरलीवाला भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ में गा-गाकर मुरलियाँ बेच रहा था।

प्रश्न 6.
किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर
दादी माँ की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने इन व्यवसायों को अपनाने का कारण यह बताया कि बच्चों को प्रसन्न देखकर मेरा हृदय प्रसन्न हो जाता है। इससे मुझे संतोष, धैर्य व असीम सुख की प्राप्ति होती है। इन बच्चों में मुझे अपने बच्चों की ही झलक नज़र आती है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हीं बच्चों के रूप में ही उन्होंने जन्म लिया होगा।

प्रश्न 7.
अब इस बार ये पैसे न लँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?  [Imp.]
उत्तर
दादी और रोहिणी से बातें करते हुए मिठाईवाला भावुक हो उठा उसने उन्हें बताया कि उसका भी घर-परिवार था, बाल-बच्चे व सुंदर पत्नी थी, वह स्वयं भी प्रतिष्ठित व्यक्ति था लेकिन अब उसके पास कुछ नहीं रहा। इसलिए अपने उन बच्चों की खोज में निकलता हूँ और इन्हीं बच्चों में मुझे उनकी झलक नज़र आती है तो संतुष्ट हो जाता हूँ। उसी समय रोहिणी के बच्चे चुन्नू-मुन्नू आकर मिठाई माँगने लगते हैं। वह दोनों को मिठाई से भरी एक-एक पुड़िया देता है। रोहिणी पैसे देती है तो उसका यह कहना–“अब इस बार ये पैसे न लँगा।” इस बात को दर्शाता है। कि उसका मन भर आया और वे बच्चे उसे अपने बच्चे ही लगे।

प्रश्न 8.
इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर-
आज प्रायः औरतें चिक के पीछे से बातें नहीं करती। हाँ, कुछ मुसलिम परिवारों, ग्रामीण क्षेत्रों, पिछड़े इलाके में औरतें परदे या चिक के पीछे आज भी बातें करती हैं। अपरिचित पुरुषों, गाँव-घर के बुजुर्गों से बातें करते समय ये परदा कर लेती हैं। ऐसे में वे चिक के पीछे से बात करने को मजबूर होती हैं। हमारी राय में यह पूर्णतया गलत है, क्योंकि स्त्री-पुरुष दोनों समाज के आधार हैं। दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए।

कहानी से आगे

प्रश्न 1.
मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर-
मिठाईवाले का परिवार अवश्य ही किसी दुर्घटना का शिकार हुआ होगा। मिठाईवाले का परिवार कहीं जा रहा होगा और किसी दुर्घटना में उसकी पत्नी एवं बच्चे की मृत्यु हुई होगी। कहानी-एक गाँव में एक मिठाईवाले की दुकान थी। तरहतरह की वह भी मिठाइयाँ बेचा करता था। दुकान के साथ ही उसका घर था। लोग बड़े शौक से मिठाइयाँ खाते थे। दूर-दूर से लोग वहाँ आकर उसकी मिठाइयाँ खरीदा करते थे। उसके भी दो बच्चे थे। उसकी पत्नी सुंदर थी। एक हँसती-खेलता परिवार था। शहर में उसका मान था। आलिशान घर था। व्यवसाय फल-फूल रहा था। एक बार की बात है कि उसके नगर में महामारी फैली। इस शहर में इस महामारी के कारण अनेक लोगों की जान चली गई। मिठाईवाले ने भी अपने बच्चे एवं पत्नी को बचाने का काफ़ी प्रयास किया लेकिन नहीं बचा सका। मिठाईवाले की दुनिया उजड़ गई। वह दुख के सागर में डूब गया। अपने दुख से उबरने के लिए अपने घर को एक अनाथ आश्रम बना दिया। अनाथ बच्चों का वह पालन-पोषण किया करता था उसमें उसे असीम सुख मिलता था। उन बच्चों में उसे अपने बच्चे की झलक देखने को मिलती थी।

प्रश्न 2.
हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर
हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में हमें मिठाइयाँ, गोलगप्पें, चाट-पापड़ी, फूट-चाट, चीलें, छोले-भटूरे, सांभर-डोसा, इडली, चाइनिज फूड व इनके अलावा विभिन्न खाद्य पदार्थ आकर्षित करते हैं।

उनको बनाने-सजाने में विभिन्न पाक कला विशेषज्ञों का हाथ होता है। उन चेहरों के बारे में हम यही कह सकते हैं कि उनके चेहरे पर परिश्रम झलकता है और वे हर कार्य में निपुण दिखाई पड़ते हैं। जैसे-समोसे बनाने वाला समोसे बनाने में, सांभर-डोसा बनाने वाला सांभर-डोसा बनाने में, इडली बनाने वाला इडली बनाने में, आइसक्रीम बनाने वाला आइसक्रीम बनाने में आदि।

प्रश्न 3.
इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिजाज की और कहानियाँ, कविताएँ हूँढ़िए और पढ़िए।
उत्तर
पुस्तकालय की मदद से यह कार्य कीजिए।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर
मैं दिल्ली में रहता हूँ। हमारी गली में मौसम के अनुसार कई फेरीवाले आते हैं। ऐसे ही सर्दियों में एक बार एक कश्मीरी शालें बेचने के लिए आया। माँ ने उसे बिठाया और शालें देखने लगी। मेरे मन में चाह हुई कि यह इतनी दूर से शालें बेचने क्यों आया है। मैंने उससे पूछ ही लिया कि ‘भैया’ तुम्हारी कोई दुकान नहीं है? वह बेचारा चुप हो गया और मुसकुराने लगा लेकिन मैंने जिज्ञासावश दोबारा पूछने की कोशिश की तो उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह कहने लगा कि मेरा बहुत बड़ा शोरूम था, कई नौकर-चाकर थे लेकिन आतंकवादियों ने ऐसा हमला किया कि हमारे बाजार में बम विस्फोट हो गया। बड़ी मुश्किल से जान बचाई। सामान व दुकान जलकर खाक हो गईं। पेट पालना भी कठिन हो गया। मेरे भी छोटे-छोटे बच्चे, पत्नी व माता-पिता हैं। उनकी परवरिश करने का साधन न रहा इसीलिए जगह-जगह जाकर कश्मीरी शालें बेचता हूँ।

प्रश्न 2.
आपके माता-पिता के ज़माने से लेकर अब तक फेरी की आवाजों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।
उत्तर
जब माता-पिता का जमाना था तो हर चीज़ फेरी वाले बेचने के लिए लाया करते थे। फेरी वालों की आवाजें मनभावन और कोई न कोई विशेषता लिए होती थी। जैसे कपड़े वाला आएगा तो डमडम या भोंपू, खिलौनेवाला ज़ोर-जोर से सीटियाँ, खाने की चीजों जैसे टिक्कीवाला अपने तवे पर ही भारी चीज़ से टनटन, ठंडे शरबत वाला लंबी-लंबी तान में आवाजें, झूले वाला धुंघरू बजाता था, लेकिन आज पहली बात तो यह है कि अधिक फेरी वाले आते ही नहीं क्योंकि लोग मोहर लगी चीजें अधिक पसंद करते हैं। दूसरा आते भी हैं तो अपने सामान से संबंधित आवाजें तो अवश्य लगाते हैं लेकिन उनमें विशेष आकर्षण कम हो गया है।

प्रश्न 3.
क्या आपको लगता है कि-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
मिठाईवाला बोलनेवाली गुडिया
• ऊपर वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-
(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?
उत्तर
(क)‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द संज्ञा और विशेषण के हैं-
(ख) मिठाईवाला में    –  मिठाई शब्द संज्ञा का है और वाला शब्द प्रकट करता है-मिठाई बेचने वाला।
बोलनेवाली गुड़िया में   –  बोलने वाली विशेषण शब्द है। जबकि गुड़िया शब्द संज्ञा है जो प्रकट करता है-वह गुड़िया जो बोलती है।

प्रश्न 2.
“अच्छा मुझे ज्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”

  • उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठो आलू, तीन ठो बटुली।
  • ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।

उत्तर-

  • उपर्युक्त वाक्यों में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान देने पर पता चलता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है; जैसे-भोजपुरी में-दो ठो आम, चार ठो समोसा, एक ठो लड़का।
  • चार नग टोपी।

प्रश्न 3.
“वे भी, जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”
“क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”
“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।”
• भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते। आप ये बातें कैसे कहेंगे?
उत्तर
“लगता है, वे भी पार्क में खेलने चले गए हैं।”
“भैया, यह मुरली कितने की है?”
“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। ज़रा मिठाईवाले को कमरे में बुलवाओ।”

कुछ करने को

प्रश्न 1.
फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे? यह जानने के लिए तीन-तीन के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से बात करे।
उत्तर
फेरीवाले बेचारे सुबह से शाम तक गलियों के चक्कर लगाते होंगे। उनका घर-परिवार या तो उनसे अलग किसी गाँव या दूसरे शहर में होगा या किसी छोटी कॉलोनी में होगा। उनकी जिंदगी में अनेक समस्याएँ आती होंगी जैसे पूरा सामान न बिकना, बारिश हो जाने पर फेरी पर न जा पाना, अधिक गरमी में लोगों को घर से बाहर ही न निकलना, पैसे मिल जाएँ इसलिए कम दामों पर सामान बेचना। इस प्रकार की और भी कई समस्याओं का उन्हें सामना करना पड़ता होगा।
प्रश्नानुसार आज अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से उनकी समस्याएँ व जीवन के बारे में बात करें।

प्रश्न 2.
इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।
उत्तर
कहानी मिठाईवाला पढ़कर इस बात की अनुभूति होती है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन को दुख कम होता है जैसे मिठाईवाले के बच्चे और पत्नी एक हादसे में मर चुके थे। वह दूसरे बच्चों को जब उनकी पसंद का सामान ला-लाकर बेचता तो उनके चेहरे पर खुशी की लहर देखकर उसे संतोष, धैर्य और सुख का अनुभव होता। वह उन्हीं में ही अपने बच्चों की झलक देखने लगता।

प्रश्न 3.
अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।
उत्तर-
मिठाईवाला मीठा स्वर, लंबा दुबले पतले शरीर, भूरी-भूरी आँखें, सिर पर टोकरी, पैरों में चप्पल, पजामा, कुर्ता पहने, कंधे पर गमछा लिए चलता होगा। वह सिर पर पगड़ी बाँधता होगा। उसके कंधों पर फेरी का सामान होता होगा, जिसमें खट्टीमीठी, स्वादिष्ट, सुगंधित गोलियाँ होंगी। जब वह मीठी स्वर में आवाज़ लगाते हुए गली में आता होगा तो बच्चे दौड़कर उसे घेर लेते होंगे।

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